Body Language - Hindi
Body Language - Hindi
ल वेज
पहचा नए शरीर क भाषा
Why not use Allan Pease as guest speaker for your next
Conference or Seminar?
PEASE INTERNATIONAL PTY LTD
PO Box 1260, Buderim 4556, Queensland, AUSTRALIA
Tel: +61 7 5445 5600
Email: [email protected]
Website: www.peaseinternational.com
Allan and Barbara Pease are the most successful relationship authors in the business. They have written a
total of 15 bestsellers - Including 9 number ones-and give seminars in up to 30 countries each year. Their
books are available in over 100 countries, are translated into 51 languages and have sold over 25 million
copies. They appear regularly in the media worldwide and their work has been the subject of 9 television
series, a stage play and a number one box office movie which attracted a combined audience of over 100
million.
Their company, Pease International Ltd, produces videos, training courses and seminars for business and
governments worldwide. Their monthly relationship column was read by over 20 million people in 25
countries. They have 6 children and 5 grandkids and are based in Australia and the UK.
Audio Programs
The Definitive Book Of Body Language
Why Men Don’t Listen & Women Can’t Read Maps
Why Men Don’t Have A Clue & Women Always Need More Shoes
How To Make Appointments By Telephone
Questions Are The Answers
It’s Not What You Say
Books
Body Language-How to Read other’s Thoughts by their Gestures
The Body Language of Love
Body Language in the Work Place
The Definitive Book Of Body Language
Why Men Don’t Listen & Women Can’t Read Maps
Why Men Lie & Women Cry
Why Men Want Sex & Women Need Love
You Can! People Skills For Life
Questions Are The Answers
Why He’s So Last Minute & She’s Got It All Wrapped Up
Why Men Can Only Do One Thing. At A Time & Women Never Stop Talking
How Compatible Are You? Your Relationship Quiz Book
Talk Language
Gett Write
बॉडी ल वेज
पहचा नए शरीर क भाषा
अनुवाद : नीलम भ
मंजुल प ल शग हाउस
This book is dedicated to all people who who have good eyesight but who cannot see.
ISBN 978-81-8322-318-8
All rights reserved. No part of this publication may be reproduced, stored in or introduced into a retrieval
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वषय – सूची
आभार
प रचय
अ याय 1 बु नयाद बात समझना
अ याय 2 आपके हाथ म है श
अ याय 3 मु कुराहट और हँसी का जा
अ याय 4 आम स न स (बाँह के संकेत)
अ याय 5 सां कृ तक अंतर
अ याय 6 हाथ और अँगूठे क मु ाएँ
अ याय 7 मू याँकन और छल-कपट क मु ाएँ
अ याय 8 आँख के संकेत
अ याय 9 घुसपैठ करने वाले – इलाके और नजी दायरे
अ याय 10 टाँग कैसे बताती ह क दमाग या चाहता है
अ याय 11 दै नक जीवन म दखने वाली 13 सबसे आम मु ाएँ
अ याय 12 त ब बत करना – हम कैसे घ न ता बनाते ह
अ याय 13 सगरेट, च मे और मेकअप के गु त संकेत
अ याय 14 शरीर उधर कैसे संकेत करता है, जधर दमाग़ जाना चाहता है
अ याय 15 णय- नवेदन दशन और आकषण संकेत
अ याय 16 वा म व, े और लंबाई के संकेत
अ याय 17 बैठने क व था - कहाँ बैठे और य
अ याय 18 सा ा कार, श - दशन और कायालय क राजनी त
अ याय 19 अपनी जानकारी का मू यांकन कर
आभार
डॉ. जॉन टकेल, डॉ. डे नस वेटली, डॉ. आं े डेव रल, ोफ़ेसर फ लप ह सेकर, े वर डॉ बी,
आ मन गॉ टरमेन, लोठा मेन,े रे ड थ पीज़, मै कम एडवड् स, इयान माशल, लॉरा मीयन, रॉन
ड टोबी हेल, डै रल वट , सूज़न लै ब, सडाक हायाशसी, डेब मेरटस, डेब ह समैन, डॉरीन
कैरल, ट व राइट, डे रन हच, डैना री स, रॉनी कॉबट, वनेसा फ़े ट् ज़, ए थर रटज़ेन, जॉनाथन
कोलमैन, श गोदार, केरी ऐन केनरली, बट यूटन, रॉजर मूर, लेनी हेनरी, रे मा टन, माइक
वॉ श, डॉन लेन, इयान लेज़ली, ऐड डायमंड, जेरी ड शेरी मीडोज़, टै न ज़ेरमा नक, डैरेल
सॉमस, आं े स केपेस, लयॉन बायनर, बॉब गे डॉफ़, लाद मर पु तन, डी मेकनैब, जॉन
हावड, नक ड कैथरीन ाइनर ाइस कटनी, टोनी ड शेरी लेयर, ेग ड कैथी ओवन, लडी
चबरलेन, माइक टॉलर, जेरी ड कैथी ेडबीयर, ट ड पैट बॉएड, माक व टर है सन, ायन
े सी, केरी पैकर, इयान बॉथम, हेलेन रचड् स, टोनी ेग, साइमन टाउनसड, डायना पसर, स
व लयम, स हैरी, स चा स, डॉ. डेसमंड मॉ रस, सस ऐन, डे वड ड यैन गुड वन, इवेन
ै गी, व टो रया सगर, जॉन ने वन, रचड ऑटन, राउल बॉएल, मै यू ॉ ड, डू ग कॉ टे बल,
जॉज डेवरॉ, रॉब एडमंड्स, जेरी हैटन, जॉन हेपवथ, बॉब हसलर, गे बर, इयान मैक कलप,
डे लया म स, पामेला डरसन, वेन म ज, पीटर ओपी, डे वड रोज़, ऐलन वाइट, रॉब वच,
रॉन ताक , बैरी मारकॉफ़, ट न मार, सैली ड जेफ़ बक, जॉन फ़े टन, नॉमन ड लडा
लेनड
और
ऐलन पीज़
अ याय 1
हर कोई कसी न कसी ऐसे को जानता है, जो लोग से भरे कसी कमरे म घुसते ही कुछ
पल म मौजूदा लोग के र त और उनक भावना के बारे म एकदम सट क ववरण दे सकता
है। कसी इंसान के वहार को दे खकर उसके रवैय े और वचार को पढ़ने क यो यता भाषा के
वकास से पहले मनु य म मौजूद थी और उसके मा यम से वे एक- सरे तक अपनी बात
प ँचाते थे।
रे डयो के आ व कार से पहले अ धकतर संचार कताब , प और समाचारप के
मा यम से लेखन ारा कया जाता था। इसका अथ था क अ ाहम लकन जैस े कु प और
ख़राब व ा भी सफल हो सकते थे, बशत वे डटे रह और उनम अ छा लखने क यो यता हो।
रे डयो के युग ने व टन च चल जैसे राजनी त को अवसर दया, जनक भाषा पर अ छ
पकड़ थी। ले कन च चल जैस े अ छे व ा को आज के य और रंग- प को मह व दे न े वाले
युग म ब त संघष करना पड़ सकता था।
आज के राजनी त जानते ह क राजनी त का संबंध उनक छ व और उनके रंग- प
से है। आजकल अ धकतर बड़े राजनी त के नजी बॉडी ल वेज क सलटट होते ह, जो स चा,
लोग क परवाह करने वाला और ईमानदार दखने म उनक मदद करते ह, खासकर तब जब क
उनम ये गुण मौजूद नह होते।
यह आ यजनक है क हज़ार साल से यादा के हमारे वकास के बावजूद, बॉडी
ल वेज का अ ययन कसी पैमाने पर स य तौर पर 1960 के दशक म कया गया और
अ धकांश लोग को इसके अ त व क जानकारी 1978 म हमारी कताब बॉडी ल वेज के
का शत होने पर ई। फर भी अ धकतर लोग का मानना है क अब भी बोलचाल क भाषा
हमारे संचार का मुख व प है। वकासा मक कोण से दे ख तो बोलचाल क भाषा हमारे
संचार के साधन के प म हाल ही म शा मल ई है और इसका योग मु य तौर पर त य और
आँकड़ को बताने के लए कया जाता है। शायद भाषा 20 लाख से 5 लाख वष के बीच
वक सत ई, इसी दौरान हमारे म त क का आकार तीन गुना बढ़ गया। उससे पहले बॉडी
ल वेज और गले से नकलने वाली व नयाँ हमारी भावना को सर तक प ँचाने का मुख
मा यम थ और आज भी यही बात सच है। ले कन हम बोले जाने वाले श द पर इतना अ धक
यान दे ते ह क अपनी ज़दगी म बॉडी ल वेज क अह मयत को समझना तो र क बात है, उसे
लेकर हम कोई जानकारी ही नह होती।
हालाँ क हमारी बोलचाल क भाषा हमारे संचार म बॉडी ल वेज क अह मयत को
बयान करती है। हमारे ारा यु कुछ उ याँ यही सा बत करती ह–
शु आत म …
चाल चैप लन जैस े मूक फ़ म के कलाकार बॉडी ल वेज के नर के अ णी लोग म से थे,
य क परदे पर संचार का यही एकमा उपल ध साधन था। हर कलाकार के नर को अ छे या
बुर े के प म वग कृत करना इस बात पर नभर करता था क वह कस हद तक अपने हावभाव
और शारी रक संकेत का इ तेमाल दशक से जुड़ने म करता था। जब सवाक फ़ म सफल होने
लग तो अ भनय के श द से परे या गैर-ज़बानी नॉन - वबल) आयाम पर कम ज़ोर दया जाने
लगा, ब त से मूक फ़ म के कलाकार नज़र से ओझल हो गए और सफ़ वही कलाकार टके
रहे, जनका बोलचाल और शारी रक हावभाव संबंधी कौशल अ छा था।
जहाँ तक बॉडी ल वेज के सै ां तक अ ययन का सवाल है, शायद इस े म बीसव
सद से पूव क सबसे भावशाली पु तक चा स डा वन क 1872 म का शत द ए ेशन
ऑफ द इमोश स इन मैन ड ए नम स थी, ले कन इसे मु यतया श ा वद ने पढ़ा। इसने
चेहरे के भाव और बॉडी ल वेज के आधु नक अ ययन को ज म दया और डा वन के ब त से
वचार और ट प णय को नया भर के शोधकता ने मा यता द । तब से लेकर आज तक
शोधकता ने लगभग दस लाख नॉन-वबल संकेत को दज कया है। 1950 के दशक के बॉडी
ल वेज के एक अ णी शोधकता ऐ बट मेहरे बयन ने पाया क कसी भी संदेश के कुल भाव
का 7 तशत शा दक होता है, 38 तशत मौ खक (इसम आवाज़ का लहजा, उतार-चढ़ाव
और अ य व नयाँ शा मल ह) और 55 तशत नॉन-वबल होता है।
केवल श द ही पया त नह
यह मानना भले राजनी तक तौर पर सही हो, ले कन जब हम पहली बार लोग से मलते ह तो
हम उनके दो ताना रवैय,े उनके भु व और संभा वत यौन साथी के प म दखने को लेकर
ब त ज द नणय दे त े ह और ऐसे म हम सबसे पहले उनक आँख म नह झाँकते।
अ धकतर शोधकता सहमत ह क श द का इ तेमाल ाथ मक तौर पर सर तक
जानकारी प ँचाने के लए कया जाता है, जब क बॉडी ल वेज का योग लोग के आपसी भाव
के आदान- दान म होता है और कुछ मामल म तो ये शा दक संदेश के वक प का काम
करती है। उदाहरण के लए, कोई म हला कसी पु ष को का तलाना नगाह से दे खते ए मुँह
खोले बना उस तक अपनी बात ब कुल प प से प ँचा सकती है।
सं कृ त क बात छोड़ द, तो श द और ग त व धयाँ इतनी अ छ तरह संकेत दे त े ह क
बड हसटे ल ने पहली बार यह दावा कया क एक श त कसी भी इंसान क
ग त व धय का अंदाज़ा उसक आवाज़ सुनकर लगा सकता है। उ ह ने कसी इंसान के हावभाव
को दे खकर उसक भाषा के बारे म पता लगाने का तरीका भी सीखा।
ब त से लोग को यह बात वीकारने म मु कल होती है क जै वक तौर पर मनु य
आ ख़रकार एक जानवर है। हम ाइमेट - होमो से पयंस क एक जा त ह, जो क प र कृत
म त क वाला, दो पैर पर चलने वाला एक बालर हत वानर है। ले कन अ य जा तय क तरह
हम पर भी जीववै ा नक नयम हावी हो जाते ह, जो हमारी या , त या , बॉडी
ल वेज और हावभाव को नयं त करते ह। आ यजनक बात यह है क मानव इस बात को
लेकर ब त कम सजग है क उसके उठने-बैठने के तरीके, ग त व धयाँ और हावभाव अलग
कहानी कह सकते ह, जब क उसक आवाज़ कुछ और ही बता रही होती है।
म त क के कैन या दखाते ह
अ धकांश म हला का म त क इस कार बना होता है क वे संचार के े म पु ष को
पछाड़ सकती ह। मैगने टक रेज़ोनस इमे जग (एमआरआई) से प होता है क लोग से
बातचीत करने और उनका मू याँकन करने क का ब लयत म हला म य यादा होती है।
उनके म त क म अ य लोग के वहार का मू याँकन करने के लए चौदह से सोलह भाग होते
ह, जब क पु ष के म त क म ये ह से चार से छह होते ह। इससे प हो जाता है क कैसे
डनर पाट म शा मल कोई म हला वहाँ मौजूद अ य जोड़ के र त क थ त का ब त तेज़ी से
व ेषण कर सकती है, जैसे क कसके बीच बहस ई है, कौन कसे पसंद करता है, इ या द।
इससे यह भी साफ़ हो जाता है क य म हला को लगता है क पु ष यादा बात नह करते
और उ ह य लगता है क म हला को चुप करवाना नामुम कन है।
हमने वाय मेन ड ट लसन ड वमेन कांट रीड मै स (ऑ रयन) म दखाया था क
य का म त क एक से अ धक काम करने के लए बना है। एक औसत म हला एक ही समय
म एक- सरे से ब कुल अलग दो से चार तरह के काम को सँभाल सकती है। वह कॉफ़ पीते
ए टे लीफ़ोन पर बात करते-करते टे ली वज़न दे ख सकती है और साथ ही अपने पीछे हो रही
सरी बातचीत को भी सुन सकती है। एक ही बातचीत म वह कई ब कुल अलग क म के
वषय पर बात कर सकती है और कसी वषय को बदलने या कसी ब पर बल दे न े के अपने
वर म पाँच तरह के बदलाव का इ तेमाल करती है। भा यवश, अ धकतर पु ष इनम से केवल
तीन वर को पहचान सकते ह। नतीजतन, जब म हलाएँ पु ष से बातचीत करने क को शश
करती ह, तो पु ष चकरा जाते ह।
अ ययन से पता चला है क जो कसी सरे के वहार के बारे म य दखाई
दे न े वाले ठोस त य का सहारा लेता है, वह उस क तुलना म अ धक सट क राय दे सकता
है, जो सफ़ अपने भीतरी एहसास पर नभर रहता है। इंसान क बॉडी ल वेज म सभी माण
मौजूद होते ह, म हलाएँ अनजाने ही उ ह पढ़ सकती ह, ले कन कोई भी इन संकेत को
पढ़ना सीख सकता है।
भ व यव ा ने टल बॉल म झाँका और फर
अ नयं त ढं ग से हँसने लगी। जॉन ने उसक नाक पर
मु का दे मारा। ऐसा पहली बार आ था क जॉन ने
कसी हँसते मा यम को चोट प ँचाई थी।
श दे तर या नॉन-वबल संकेत ज मजात होते ह, सीखे जाते ह, आनुवं शक तौर पर आगे बढ़ाए
जा सकते ह या कसी अ य तरीके से हा सल कए जा सकते ह, इसे जानने के लए काफ़ वाद-
ववाद और शोध कए जाते रहे ह। हीन लोग (जो दे खकर शारी रक हावभाव को पढ़ना नह
सीख सकते) के अवलोकन, नया भर म व भ सं कृ तय के सांके तक वहार के नरी ण
और क प तथा बंदर जैस े अपने नज़द क मानवशा ीय संबं धय के वहार के अ ययन से
त य जुटाए जाते रहे ह।
इस शोध के प रणाम से पता चला क कुछ मु ाएँ हर ेणी म आती ह। उदाहरण के
लए, अ धकतर नरवानर शशु चूसने क ख़ा सयत के साथ पैदा होते ह, जो यह दखाता है क
यह ज मजात आनुवं शक होता है। जमन वै ा नक आइबल-आइबसफ़े ट ने पाया क ज म से
मूक-ब धर ब च का मु कुराना सीखने या नकल करने पर नभर नह करता, जसका अथ है क
ये हावभाव ज मजात होते ह। एकमन, ज़ेन और सॉरेनसन ने पाँच व भ सं कृ तय के लोग
के चेहरे के हावभाव का अ ययन करते समय ज मजात मु ा के बारे म डा वन क मूल
मा यता का समथन कया। उ ह ने पाया क हर सं कृ त म भाव को करने के लए
चेहरे क कुछ बु नयाद मु ा का योग कया जाता है और वे इस नतीजे पर प ँच े क ये
मु ाएँ ज मजात ह गी।
सावभौ मक मु ाएँ
सावभौ मक मु ा का एक अ छा उदाहरण कंधे उचकाना है, जसका इ तेमाल यह दखाने के
लए कया जाता है क आपक कही बात वह नह समझ रहा या उसे वह नह जानता।
यह कई छोट -छोट मु ा से मलकर बनी है, जसके तीन ह से ह : खुली हथे लयाँ, जो यह
बताती ह क हाथ म कुछ भी नह छपाया गया है, गले को हमले से बचाने के लए उठे ए कँधे
और उठ ई भ ह, जसे नयाभर म अधीनता या बात मान लेन े क मु ा के प म दे खा जाता
है।
कँधे उचकाना अधीनता द शत करता है
अतः सही अथ समझने के लए हमेशा भाव-भं गमा के पूर े समूह को दे ख। हमम से हर कोई
एक या उससे अ धक दोहराए जाने वाली मु ाएँ अपनाता है, जो बताती ह क हम या तो ऊब गए
ह या फर कसी दबाव म ह। लगातार बाल को छू ना या उनके छ ले बनाना इसका आम
उदाहरण है, ले कन बाक हावभाव से अलग करके दे ख तो इसका अथ हो सकता है क वह
अ न त महसूस कर रहा हो या बेचैन हो। लोग अपने बाल या सर को सहलाते ह,
य क बचपन म उनक माँ उ ह ऐसा करके तस ली दे ती थी।
समूह के बारे म अ धक समझने के लए एक ब त आम उदाहरण है, टकल या
ववेचना मक मु ा समूह का। यह तब अपनाई जाती है, जब कोई सुनी ई बात से
भा वत न हो : मुख ववेचना मक संकेत है, चेहरे पर हाथ रखने क मु ा, जसम गाल पर
तजनी सीधी रखी है और बाक उँग लय से चेहरा ढँ का आ है और अँगठ ू ा ठु ी पर टका है।
इस ोता के आलोचना मक रवैय े क बात को उसक मुड़ी ई टाँग और बाजू (र ा मक
मु ाएँ), झुका आ सर और ठु ी (नकारा मक / श ुतापूण मु ाएँ) मा णत कर रही ह। उसका
बॉडी ल वेज ‘वा य‘यह कहता लग रहा है, ‘मुझ े आपक बात कतई पसंद नह ’, ‘म असहमत
ँ‘या ‘म अपनी नकारा मक भावना को रोके ए ।ँ ’
झूठ बोलती ब ची
मुँह ढँ कने से माता- पता ब चे का झूठ पकड़ सकते ह और हो सकता है क झूठ बोलने पर मुँह
ढँ कने क यह मु ा वह हमेशा अपनाए, बस उसक ग त म कुछ अंतर आ सकता है। जब
कोई कशोर झूठ बोलता है, तो उसका हाथ भी पाँच साल के ब चे क तरह मुँह पर जाता है,
ले कन वह हाथ से उसे ढँ कने क बजाय अपनी उँग लय को मुँह के आसपास घुमाता रहता है।
झूठ बोलती कशोरी
इससे ज़ा हर होता है क जैसे-जैस े लोग बूढ़े होते जाते ह, उनके हावभाव या मु ाएँ अ धक
प र कृत और कम प होती जाती ह, यही कारण है क पाँच साल के ब चे के मुकाबले एक
पचास साल के वय क का झूठ पकड़ना यादा मु कल होता है।
या आप ढ ग कर सकते ह?
हमसे अ सर पूछा जाता है, ‘ या नकली बॉडी ल वेज बनाई जा सकती है?’ ?‘इसका सामा य
जवाब है,’ ‘नह ’ , य क ऐसी थ त म मु य मु ा , शरीर के सू म संकेत और बोले गए
श द के बीच सामंज य या तालमेल नह रहेगा। मसलन, खुली हथे लय को ईमानदारी से जोड़ा
जाता है, ले कन अगर कोई ढ गी आपसे झूठ बोलते समय अपनी हथे लयाँ सामने रखे और
मु कुराता रहे, तब भी उसके शरीर के छोटे -छोटे संकेत उसके झूठ को बयान कर दगे। उसक
पुत लयाँ सकुड़ सकती ह, एक भ ह उठ सकती है या उसके मुँह का एक छोर फ़ड़क सकता है
और ये संकेत उसक खुली हथे लय और स ची मु कुराहट के ठ क उलट काम कर सकते ह।
नतीजतन, उसक बात सुनने वाले लोग, ख़ासकर म हलाएँ, उसक बात पर व ास नह करगी।
हालाँ क कुछ मामले ऐसे होते ह, जनम मौके का फ़ायदा उठाने के लए जानबूझकर झूठ
शारी रक भाव-भं गमाएँ अपनाई जाती ह। मसलन, मस व ड या मस यू नवस जैसी
तयो गता म हर तयोगी लोग पर अपनी गमजोशी और ईमानदारी क छाप छोड़ने के लए
बारीक से सीखी गई शारी रक मु ा और हावभाव का इ तेमाल करती है। यह इस हद तक
होता है क हर तयोगी ऐसे संकेत लोग तक प ँचाकर नणायक से अंक हा सल कर सकती
है। ले कन ब त मा हर तयोगी भी ब त कम समय तक ही सही लगने वाले हावभाव का
दखावा कर सकती ह और आ खरकार शरीर वरोधाभासी संकेत दे न े लगता है, जन पर
जानबूझकर कए गए हावभाव का कोई असर नह होता। कई राजनी त मतदाता को
अपनी बात से आ त करने के लए शारी रक हावभाव का ढ ग करने म मा हर होते ह और जो
ऐसा कर पाने म सफल होते ह, उनम ‘क र माई‘कहा जाता है- जैस े जॉन एफ़ कैनेडी और
अडॉ फ़ हटलर।
सारांश यह है क लंबे समय तक बॉडी ल वेज का ढ ग या दखावा करना क ठन है,
ले कन जैसा क आगे हम दे खगे, अ य लोग से संचार के लए सकारा मक भाव भं गमा का
इ तेमाल करना और गलत संदेश दे न े वाले नकारा मक शारी रक हावभाव से बचना सीखना
ज़ री है। इससे आप अ य लोग के साथ अ धक सहज ह गे, वे आपको अ धक अपनाएँगे और
यही हमारी पु तक के ल य म से एक है।
आपके हाथ म है श
हाथ से जुड़ा एक ख़याल - आपका हाथ भारी है या फर आप उसे ऊपर रखने म यक न रखते
ह, खाने के लाले पड़ने से बचने के लए हाथ क सफ़ाई म यक न रखते ह या अपना हाथ ऊपर
रखने का मौका आप हाथ से जाने नह दे ते। एक बात का यान रख क रंगे हाथ न पकड़े जाएँ
या कसी गलती से हाथ धोने क को शश न कर, य क अगर आपने उस हाथ को काटने क
को शश क , जो आपके मुँह म नवाला डालता है, तो पूरा मामला आपके हाथ से नकल
जाएगा।
मानव वकास म हाथ सबसे मह वपूण अंग रहे ह और दमाग तथा हाथ के बीच शरीर
के कसी भी अ य अंग के मुकाबले यादा ताल-मेल है। कम लोग इस बात पर यान दे त े ह क
कसी से मलने पर उनके हाथ कैसा बताव करते ह या कसी से मलने पर वे कैसे हाथ मलाते
ह। इसके बावजूद हाथ मलाते समय शु आती पाँच या छह बार उसे हलाने से पता लग जाता है
क कौन हावी होगा, कौन झुकेगा या कैसे श - दशन होगा। समूच े इ तहास म खुली हथे लय
को स चाई, ईमानदारी, न ा और समपण से जोड़ा जाता है। ब त सी शपथ आज भी हथेली
को दल पर रखकर ली जाती ह और अदालत म गवाही दे त े समय हथेली को उठाए रखा जाता
है; बाएँ हाथ म बाइबल रखी जाती है और दा हथेली को अदालत के सामने उठाए रखा जाता
है। कसी इंसान के खुलेपन और ईमानदारी का पता लगाने के लए सबसे मह वपूण सुराग
उसक हथे लय म मलता है। जैस े कु ा वजेता के त अधीनता या समपण के प म अपनी
गदन सामने लाता है, उसी तरह इंसान नह था होने और खतरा न होने को अपनी हथे लय के
मा यम से दखाता है।
हथे लय क श
जब इंसान कसी को दशा- नदश दे रहा होता है या फर हाथ मला रहा होता है, ऐसे म उसक
हथेली सबसे सश संकेत दे ती है, जस पर ब त कम यान दया गया है। एक न त तरीके से
इ तेमाल कए जाने पर हथेली क श को मूक भु व दान करती है।
हथेली से जुड़े तीन मुख आदे शा मक संकेत ह : हथेली का सीधे रहना, हथेली का
उ टे रहना और हथेली बंद रहना, ले कन उँगली का सीधे तने रहना। इन तीन म अंतर को इस
उदाहरण म समझाया गया है: मान ली जए, आप कसी को कोई चीज़ उठाकर कह और ले
जाने के लए कह रहे ह हर उदाहरण म आपका वर, आपके श द और चेहरे के हावभाव एक
जैसे रहगे, बस आप अपनी हथेली क थ त बदल लगे।
हथेली को सीधा रखने या फैलाने का इ तेमाल दबने और ख़तरनाक न होने क मु ा के
प म कया जाता है और यह कसी भखारी के याचनापूण भाव क याद दलाता है।
वकासा मक से यह दखाता है क इंसान के पास कोई ह थयार नह है। जस को
आप सामान ले जाने के लए कह रहे ह, वह काम का दबाव महसूस नह करेगा और आपके
अनुरोध से ख़तरा महसूस नह करेगा। य द आप चाहते ह क वह आपसे बात करे तो
आप हथेली सीधी रखकर उसे यह संकेत दे सकते ह क वह आपसे बात कर सकता है और
आप उसे सुनने के लए तैयार ह।
हथेली सीधे सामने रखने क मु ा कई स दय म पांत रत ई और हवा म उठ ई
हथेली, दल पर हथेली रखने जैसी तथा कई अ य व भ मु ाएँ वक सत ई।
बंद हथेली और तनी ई उँगली कसी व ा ारा इ तेमाल क जाने वाली एक ब त ही खझाने
वाली मु ा है, ख़ासकर जब वह व ा के श द से पहले दखाई दे । मले शया और फ़लीपी स
जैसे दे श म कसी इंसान क तरफ़ उँगली दखाने को अपमान माना जाता है और जानवर क
ओर संकेत करने के लए उसका इ तेमाल कया जाता है। लोग क ओर इशारा करने या दशा
बताने के लए मले शयाई लोग अँगठ ू े का योग करते ह।
नयं ण लेना
समानता का भाव
स ाव बनाना
हाथ मलाते समय स ावना करने के लए दो चीज़ मह वपूण ह। सबसे पहले, यह
सु न त कर ल क आपक और सरे क हथे लयाँ लंबवत् ह , ता क कोई भी हावी होने
या दबने क थ त म न हो। सरी बात यह क हाथ मलाते समय उतना ही दबाव रख, जतना
आपके हाथ पर पड़ रहा है। इसका अथ है क य द मज़बूती के 1-10 के पैमाने पर आपका
दबाव 7 है और सरे का केवल 5, तो आपको अपनी पकड़ या प 20 तशत कम
करनी होगी। य द सरे क पकड़ 9 है । और आपक 7, तो आपको 20 तशत पकड़ बढ़ानी
होगी। य द आप दस लोग के समूह से मल रहे ह, तो आपको हर कसी से सौहाद और बराबरी
क भावना बनाए रखने के लए हाथ मलाने के तरीके और कोण म फेरबदल करते रहना होगा।
यह यान रखना भी ज़ री है क कसी म हला के मुकाबले पु ष का हाथ औसतन दोगुना ज़ोर
लगा सकता है, इस लए इस बात को नज़र अंदाज़ न कर। मक वकास म काटने, चीरने,
सामान उठाने, फकने और हथौड़ा मारते ए पु ष के हाथ क पकड़ क ताकत 100 पाउंड (45
क ा) तक हो सकती" है।
याद र खए क हाथ मलाने का वकास अ भवादन करने या वदाई दे न े और समझौता
करने क अ भ के लए आ है, इस लए इसे गमजोशी से भरा, दो ताना और सकारा मक
होना चा हए।
उ ट हथेली का दबाव
अगर आपको लगे क कोई जानबूझकर हथेली उ ट कर दबाव डाल रहा है, तो इस तरह उसका
जवाब दया जा सकता है:
फर अपना दायाँ पैर आगे बढ़ाते ए, सरे के सामने से गुज़रकर उसके करीबी दायरे
यानी पसनल पेस म प ँच जाएँ। आ ख़र म अपने बाएँ पैर को दाएँ पैर क ओर ले जाएँ, ता क
आपक या पूरी हो जाए और फर उस से हाथ मलाएँ। इससे आपको सीधा रखकर
हाथ मलाने म मदद मलेगी या उसे काबू करने क थ त बन जाएगी। इससे लगता है क आप
उसके आगे से जा रहे ह, जो क पंजा लड़ाने का मुकाबला जीतने के बराबर है। उसके पसनल
पेस म घुसपैठ करके आप नयं ण अपने हाथ म ले सकते ह।
दायाँ पैर बढ़ाते ए उसके सामने आकर उसक हथेली को पकड़कर ऊपर लाएँ
डबल हडर
इस तरह नयं ण या ताकत उसके हाथ से आपके हाथ म आ जाती है, यह थ त से नपटने का
ब त साधारण तरीका है, जसे म हलाएँ आसानी से अपना सकती ह। अगर आपको लगे क
पावर लेयर जानबूझकर आपको भयभीत करने क को शश कर रहा है और वह बार-बार ऐसा
करता है, तो ऊपर से उसके हाथ को पकड़कर उसे हलाएँ (जैसा अगले च म दखाया गया
है)। इससे पावर लेयर को झटका लगेगा, इस लए इसे अपनाते समय यान रख और अं तम
उपाय के प म ही इसका इ तेमाल कर।
अं तम उपाय
अगर आपके साथ कभी ऐसा हो, तो बाएँ हाथ से सामने वाले इंसान के दाएँ हाथ को लेकर
अपने दाएँ हाथ पर सही ढं ग से रख और मु कुराते ए कह, ‘ फर से को शश करते ह!‘इससे
आपक व सनीयता ब त बढ़ जाती है और उसे लगता है क आपको इस मुलाकात क इतनी
परवाह है क आप सही ढं ग से हाथ मलाना चाहते ह। य द आप म हला ह, तो बेहतर होगा क
आप हाथ मलाने क मंशा का पहले से कोई संकेत द। जतनी ज द हो सके, अपना हाथ आगे
बढ़ाएँ ता क सामने वाले को साफ़ तौर पर पता चल जाए क आप हाथ मलाना चाहती ह, इससे
असहजता से बचा जा सकता है।
इस तरह से हाथ मलाने क पहल करने वाले का सरे के साथ शारी रक संपक बढ़ता है और
उस का दायाँ हाथ सी मत कर पहल करने वाले को नयं ण क थ त मल जाती है। इसे
‘राजनी त का हडशेक’ भी कहा जाता है, य क इसम पहल करने वाला अपने भरोसेमंद
और ईमानदार होने क छाप छोड़ना चाहता है, ले कन तुरंत मले कसी पर इसे आज़माने
से सरे को उसक मंशा पर शक हो सकता है। डबल हडर दरअसल गले मलने का लघु
प है और और इसका इ तेमाल तभी कया जा सकता है, जब गले मलना भी सामा य प से
वीकृत हो।
‘आप ब त यारे, यादगार इंसान ह - आप चाह जो कोई भी ह ...’
न बे तशत मनु य अपने दा बाँह को शरीर के आगे करते ह, यह बाँह उठाकर कया गया
हार है और आ मर ा के लए अपनाई गई सहज मु ा है। डबल हडर इंसान को हफाज़त
करने से रोकता है, इस लए सरे के साथ कोई गत संबंध न होने क थ त म इसे
ब कुल नह अपनाया जाना चा हए। इसका इ तेमाल तभी कया जाना चा हए जब एक
भावना मक र ता पहले से हो, जैस े क कसी पुराने दो त के साथ मुलाकात म। इन हालात म
आ मर ा का कोई सवाल नह उठता, इस लए हाथ मलाने को स चे प म लया जाता है।
टोनी लेयर पर डबल हडर का इ तेमाल करते यासर अराफ़ात, ह ठ भ चे ए लेयर
के हावभाव बता रहे ह क वे इससे भा वत नह ह
नयं त करने वाला हडशेक
हाथ मलाते ए दोन हाथ का इ तेमाल करने के पीछे ईमानदारी, भरोसा या सामने वाले इंसान
के लए गहराई से महसूस करने का भाव होता है। दो मह वपूण त व पर यान दया जाना
ज़ री है। पहला, बाएँ हाथ का इ तेमाल भावना क गहराई को करने के लए कया
जाता है और यह इस बात पर नभर करता है क पहल करने वाले का बायाँ बाज़ू सरे
क दा बाँह पर कतनी ऊँचाई पर रखा गया है। । यह गले लगाने क इ छा जैसा है और पहल
करने वाले क बा बाँह घ न ता को नापने के लए इ तेमाल क जाती है। इसे सरे क
बाँह पर जतनी ऊँचाई पर रखा जाता है, पहल करने वाला उतनी ही दखाने क को शश
करता है। वह सामने वाले से न केवल घ न संबंध दखाने क को शश करता है, ब क
साथ-साथ उसक ग त व ध को भी नयं त करने क को शश करता है।
उदाहरण के लए, कलाई क पकड़ के मुकाबले कोहनी को पकड़ना और ऊपरी बाँह
पकड़ने क तुलना म कंधे को पकड़ना अ धक आ मीयता और नयं ण दखाता है।
सरे, पहल करने वाले क बा बाँह सरे के पसनल पेस म ह त ेप करती है। आमतौर
पर कलाई और कोहनी क पकड़ को तभी वीकृत कया जाता है, जब एक सरे से
नज़द क महसूस करता है और ऐसे म पहल करने वाला का बायाँ हाथ सरे के पसनल पेस के
बाहरी कनारे तक ही प ँचता है। कंधे को थामना और ऊपरी बाँह पर पकड़ से नज़द क का
पता चलता है और इसके बाद लोग गले मल (पसनल पेस के बारे म व तार से अ याय 11 म
पढ़गे) सकते ह। अगर दोन म नज़द क का एहसास न हो या पहल करने वाले के पास डबल
हडर आज़माने का कोई उ चत कारण न हो, तो सामने वाला इंसान शंकालु हो सकता है और उस
के इराद पर संदेह कर सकता है। सं ेप म कह तो य द सरे के साथ आपक
घ न ता नह है, तो डबल हडर न अपनाएँ। य द कोई इंसान ऐसा करता है और उसके साथ
आपका कोई जुड़ाव नह है, तो उसके गु त इरादे पर यान द।
राजनी त आमतौर पर अपने मतदाता के साथ और कारोबारी अपने ाहक के साथ हाथ
मलाते ए डबल हडर का इ तेमाल करते ह, वे यह नह समझ पाते क इससे लोग उनसे र हो
सकते ह, जो क राजनी तक और ापा रक से नुकसानदे ह हो सकता है।
समाधान
य द आप ख़ुद को हमेशा त वीर म दा ओर पाते ह और उसके कारण नयं ण खोते ह, तो ऐसी
थ त से बचने के लए आपको र से ही ज द से जलद अपना हाथ बढ़ाना चा हए, जससे
सरा को सामने से ही सीधे आपसे हाथ मलाना पड़े। इससे आप बराबरी पर हाथ मला
पाएँग।े य द फ़ोटो या वी डयो लया जा रहा है, तो पहले आगे ब ढ़ए ता क आपको उसम बा
ओर का थान मल जाए। ऐसा न हो पाने क थ त म बराबरी तक आने के लए डबल हडर
का इ तेमाल कर।
हमारी हथे लय म शरीर के कसी अ य अंग के मुकाबले यादा वेद यानी पसीने क ं थयाँ
होती ह, जससे उनम पसीना साफ़ तौर पर दखता है। आ यजनक प से इस तरह से हाथ
मलाने वाले लोग को इसक कोई जानकारी नह होती, इस लए आने वाली मी ट स म अपनाए
जाने वाली शैली पर वचार करने से पहले बेहतर है क दो त से अपने हाथ मलाने के तरीके पर
राय ली जाए।
2. द वाइस ( शकंजा)
व सनीयता मू याँकन : 4/10
वाइस या शकंजे का ब त नज़द क हडशेक है, ह य को तोड़ दे ने वाला बोन शर। इससे
सब लोग डरते ह, य क यह तरीका न सफ़ हाथ मलाने वाले क ऊँग लय , ब क उसके
दमाग़ पर भी अ मट छाप छोड़ता है और पहल करने वाले के सवा कोई अ य इससे
भा वत नह होता। यह आ ामक व क नशानी है, ऐसा बना कसी चेतावनी के
शु आती बढ़त लेता है और अपने वरोधी क ऊँग लय के जोड़ का चूरा बनाकर उसे
हतो सा हत करने क को शश करता है। य द आप म हला ह, तो बज़नेस मी ट स म दाएँ हाथ
पर अँगू ठयाँ पहनने से बच, य क बोन शर उन पर दबाव बनाकर ख़ून जमा सकता है और
आपको सदमे क हालत म अपना काम करना शु करना पड़ सकता है।
बोन शर
य द आपके साथ ऐसा हो, तो अपने बाएँ हाथ से सरे इंसान का दायाँ हाथ लेकर अपने दाएँ
हाथ पर रखकर मु कुराते ए कह, ‘च लए, फर से को शश करते ह।‘और फर बराबरी पर हाथ
मलाएँ। इससे आपक व सनीयता बनती है, य क आप उस को बता रहे ह क
आपक नज़र म वह इतना मह वपूण है क आप उससे सही तरीके से हाथ मलाना चाहते ह।
सॉकेट रचर
7. प प हडल (प प चलाना)
व सनीयता मू याँकन : 4/10
मज़बूत ामीण छाप वाली इस मु ा म पहल करने वाला सरे के हाथ को लपककर
मज़बूती से पकड़ता है और लयब ढं ग से उसे ऊपर-नीचे करता है।
सात बार तक ऐसा करना सामा य बात है, ले कन कई लोग हाथ को ऊपर-नीचे करते
रहते ह, जैसे क प प चलाकर पानी नकालने क को शश कर रहे ह ।
प प हडल
कई बार हाथ को प प करना कम हो जाता है, ले कन पहल करने वाला हाथ को थामे रखता है,
ता क सरा उसे छु ड़ा न सके। दलच प यह है क अ सर लोग अपना हाथ छु ड़ाने क
को शश भी नह करते। शारी रक संपक बनाए रखने क यह मु ा हाथ छु ड़ाने क को शश को
कमज़ोर कर दे ती है।
8. डच ट
व सनीयता मू याँकन : 2/10
नई पीढ़ म इस हडशेक क जगह ‘बतन प छने क गीले नम कपड़े‘ने ली है। जैसा क नाम से
प है, इसका मतलब बताने क ज़ रत नह है।
अराफ़ात-रै बन हडशेक
नीचे द गई त वीर म इज़राइल के वग य धानमं ी य ज़ैक रै बन और फ़ ल तीनी चेयरमैन
यासर अराफ़ात 1993 म हाइट हाउस म हाथ मलाते दख रहे ह, इसम कई दलच प चीज
उजागर हो रही ह। रा प त लंटन बीच बीच खड़े रहने, अ त र ऊँचाई और फैली ई बाँह
और खुली हथे लय के कारण मह वपूण थ त म ह, उ ह दे खकर लग रहा है जैस े क वे अपने
लोग क सभा म कोई अ ध ाता दे वता ह। लंटन क अ चं ाकार भची ई मु कान उनके
ारा महसूस कए जा रहे या दखाए जा रहे भावना मक संयम को कर रही है।
यासर अराफ़ात ारा बट - आम - पुल - इन क को शश और उनक ओर खचने से
बचते ए टफ़-आम ट अपनाते ए य ज़ैक रै बन (बाएँ)
सारांश
इस स चाई के बावजूद क कसी मुलाकात के शु आती कुछ मनट ही कसी र ते को बनाने या
बगाड़ने का काम कर सकते ह, ब त कम लोग जानते ह क शु आती मुलाकात म लोग पर
उनका कैसा भाव पड़ता है। समय नकालकर अपने म और सहक मय के साथ हाथ
मलाने क शै लय का अ यास करने से आप ज द ही सीख जाएँगे क हर बार सकारा मक
ढं ग से हाथ कैसे मलाया जा सकता है। हथे लय को लंबवत रखकर और सामने वाले क
पकड़ क बराबरी करने वाले हडशेक को 10/10 यानी सबसे अ छा माना जाता है।
अ याय 3
मु कुराहट और हँसी का जा
बॉब क नज़र कमरे के सरे कोने पर खड़ी काले बाल वाली एक आकषक म हला से
मल । उसे लगा क वह उसे दे खकर मु कुरा रही है। मौका न गँवाते ए वह तेज़ी से
उस म हला के पास प ँचा और उससे बातचीत करने लगा। वह यादा बात नह कर
रही थी, ले कन उसक मु कान ने बॉब को को शश करते रहने के लए े रत कया।
उसक एक म हला म उनके पास से गुज़री और फुसफुसाकर बोली, ‘भूल जाओ,
बॉब... उसे लगता है क तुम बेवकूफ़ हो।’ वह भ च का रह गया। ले कन वह तो अब
भी उसे दे खकर मु कुरा रही थी! जैसा क पु ष के साथ अ सर होता है, बॉब म हला
क दाँत को द शत न करने वाली भचे ह ठ वाली मु कान के नकारा मक मतलब को
नह समझ सका।
सरा है, ‘ ले फ़ेस‘यानी खलंदड़ा चेहरा। इसम दाँत दखाई दे त े ह, मुँह के कनारे और आँख
ऊपर क ओर होती ह तथा इंसान क हँसी जैसी आवाज़े नकाली जाती ह। दोन मामल म इन
मु कुराहट का योग समपण क मु ा के प म कया जाता है। पहली कहती है, ‘तु ह मुझसे
ख़तरा नह है, य क जैसा क तुम दे ख सकते हो म तुमसे डरा आ ँ’ और सरी कहती है,
‘तु ह मुझसे ख़तरा नह है, य क जैसा क तुम दे ख सकते हो म तो खलंदड़े ब चे क तरह
ँ‘। कसी हमले या घायल होने से आशं कत बेचैन या डरा ए च पांज़ी ऐसा ही चेहरा बनाता
है। ज़ायगोमै ट स मांसपे शयाँ मुँह के कनार को ै तज या नीचे क ओर पीछे करती ह और
ऑ ब यूल रस मांसपे शयाँ नह हलत । यह वही घबराहट भरी मु कान है, जो कसी त
सड़क पर चल रहे उस आदमी के चेहरे पर आती है, जो तभी कसी बस के नीचे कुचले जाने से
बचा हो। यह डर क त या है, वह मु कुराते ए कहता है, ‘म तो बस मरने ही वाला था!’
नर वानर क तरह इंसान का मु कुराना भी वही काम करता है। यह सरे को
बताता है क उसे आपसे कोई ख़तरा नह है और वे आपको नजी तर पर वीकार कर सकते
ह। मु कुराहट क कमी बताती है क य लाद मर पु तन, जे स कै नी, लंट ई टवुड, मागरेट
थैचर और चा स ॉ सन जैसे भावशाली हमेशा चड़ चड़े या आ ामक तीत होते ह
और उ ह शायद ही कभी कोई मु कुराते ए दे खता है – वे कसी भी तरह से ख़ुद को कसी से
कम नह दखाना चाहते।
अदालत पर ए शोध से पता चलता है क मु कुराहट के साथ क गई मा याचना म
बना मु कान के साथ माफ़ माँगने क तुलना म कम दं ड भुगतना पड़ता है। वाकई दाद माँ क
बात सही थी।
स , वन या आपक चीर-फाड़ क तैयारी म ?
या आप इस कलाकार को पहचानते ह ?
हमने डरावना चेहरा दखाने के लए ांट क आँख और मु कान को काटकर यहाँ चपकाया,
ले कन जैसा क आप दे ख सकते ह, आपका म त क उ टाए ए चेहरे पर दखती मु कान को
भी पहचान सकता है। इसके अलावा म त क चेहरे के अ य ह स से भी मु कान को अलग कर
सकता है। इससे मु कुराहट के ज़ोरदार असर क मसाल मलती है।
त कर कम मु कुराते ह
ऑ े लयाई क ट स ने 1986 म हम ऑ े लया म त करी कर लाई गई अवैध तबं धत
व तु और नशीले पदाथ क अ धक मा ा ज़ त करने म सहायता करने वाला एक काय म
तैयार करने को कहा। तब तक क ट स अ धकारी यह मानते थे क झूठ बोलते समय या कसी
दबाव म होने पर झूठे लोग यादा मु कुराते ह। हमने कुछ लोग को जानबूझकर झूठ बोलने को
कहा और उ ह फ़ माया। व ेषण से ठ क इससे उ टे प रणाम मले, झूठ बोलने पर लोग कम
या फर ब कुल नह मु कुराए और हर सं कृ त म ऐसे प रणाम मले। सच बोलने वाले नद ष
लोग ने ईमानदारी का दशन करते समय अपनी मु कुराहट बढ़ा द । मु कुराने क जड़ समपण
म ह, इस लए बेगन ु ाह लोग इ ज़ाम लगाने वाल को संतु या ख़ुश करने क को शश म यादा
मु कुरा रहे थे, जब क पेशेवर झूठ बोलने वाल ने मु कुराना और अ य शारी रक संकेत कम कर
दए थे। यह वैसा ही है, जैसे ै फ़क लाइट् स पर पु लस क कोई कार आप तक प ँच े और कसी
कानून को न तोड़ने के बावजूद पु लस क मौजूदगी से आप ख़ुद को कसूरवार महसूस कर
मु कुराने लग। इससे प होता है क नकली मु कुराहट को कैसे नयं त कया जाता है और
इसे आसपास क प र थ त के संदभ म दे खा जाना चा हए।
उदाहरण के लए, एक म हला कसी सरी म हला के बारे म सोचती है, ‘मेरे ख़याल से वह ब त
आ ामक और अ त मह वाकां ी है’, ले कन असल म ऐसी बात करने के बजाय वह कहती है,
‘वह ब त का बल औरत है और जानती है क उसे या चा हए’, और फर अपने ह ठ कसकर
बंद रखकर मु कुराती है। प का म छपी ापार जगत के सफल य क त वीर म भी
टाइट ल ड माइल होती है, जो दरअसल कहती है, ‘मेरे पास सफलता के सू ह, आपको
उनका अनुमान लगाने क को शश करते र हए।’ इन सा ा कार म ये लोग सफलता के स ांत
क बात करते ह, ले कन ऐसा ब त कम होता है क वे अपनी सफलता के बारे म व तार से
बताएँ। इसके उलट, रचड ै सन के चेहरे पर हमेशा दाँत दखाती मु कान रहती है और वे
अपनी सफलता के कारण पर बात भी करते ह, य क वे जानते ह क अ धकतर लोग वैसा
करगे नह ।
रोने क हद तक हँसना
मनोवै ा नक और शरीर वै ा नक के कोण से रोना और हँसना एक– सरे से जुड़े ह। पछली
बार कब कसी के चुटकुला सुनाने पर हँसते–हँसते आपके पेट म बल पड़ गए थे और आप ख़ुद
पर काबू नह रख पाए थे ? उसके बाद आपने कैसा महसूस कया था ? आपको एक सहरन सी
महसूस ई थी, है न ? आपके माग ने आपके शरीर म ए डॉ फ़ स छोड़ दए थे, जससे
आपको वाभा वक तौर पर मदहोशी महसूस ई थी। नशेड़ी लोग को भी नशा करने के बाद
ऐसा ही महसूस होता है। जदगी क मु कल को झेलते ए जन लोग को हँसने म मु कल
होती है, वे ए डॉ फ़ स के कारण आने वाली हँसी के एहसास को महसूस करने के लए अ सर
शराब तथा अ य नशीले पदाथ का सहारा लेत े ह। शराब से बंधन ढ ले पड़ जाते ह और लोग
यादा हँस पाते ह, जससे ए डॉ फ़ स का ाव होता है। यही वजह है क ज़दगी से संतु लोग
शराब पीने पर यादा हँसते ह, जब क नाख़ुश लोग यादा उदास या हसक भी हो जाते ह।
ला टर म (हँसी – क )
1980 के दशक म कई अमे रक अ पताल म ‘ला टर म‘क अवधारणा शु क गई। नॉमन
कज़ स के अनुभव और डॉ टर पैच ऐड स के हँसी से जुड़े शोध के आधार पर एक कमरा चुना
गया, जसम चुटकुल क कताब, हा य फ़ म और टे स रखे गए और हा य कलाकार और
जोकर को नय मत प से बुलाया गया। मरीज़ को हर रोज़ 30 से 60 मनट तक वहाँ रखा
गया। प रणाम ब त कारगर रहे – मरीज़ क सेहत म नाटक य सुधार आ और मरीज़ क
अ पताल म रहने क औसत अव ध भी कम ई। ला टर म के कारण दद नवारक दवाइय के
इ तेमाल म भी कमी आई और मरीज़ से नपटना आसान हो गया। तो कहा जा सकता है क
मे डकल पेश े ने अपनी हँसी को ब त गंभीरता से लया।
हा य बकता है
सन सनाट यू नव सट के कॉलेज ऑफ़ बज़नेस एड म न े शन म माक टग क ोफ़ेसर कैरन
मैकलाइट ने पाया क व ापन म हा य डालने से ब बढ़ती है। उ ह ने पाया क हा य होने
क वजह से ाहक ारा व ापनदाता के दाव को मान लेने क संभावना अ धक होती है,
इस लए ऐसे व ापन क वीकायता और भी बढ़ जाती है, जनम हा य का त व होने के साथ–
साथ कोई स भी हो।
यार म हँसना
रॉबट ोवाइन ने पाया क कोट शप ( ( णय– नवेदन) के दौरान म हलाएँ ही यादा हँसती–
मु कुराती ह, न क पु ष। ऐसी थ त म हँसना यह तय करने का एक तरीका है क वह जोड़ा
अपने र ते म कतना सफल होगा। साधारण श द म कह तो ेमी जतना अपनी े मका को
हँसाएगा, वह उसे उतना ही आकषक मानेगी। इसका कारण यह है क सरे लोग को हँसाने को
एक भु वशाली गुण के प म दे खा जाता है और म हलाएँ ऐसे पु ष को पसंद करती ह,
जब क पु ष को अधीन रहने वाली म हलाएँ पसंद आती ह। ोवाइन ने यह भी दे खा क
अधीन थ अपने से उ च पद पर बैठे को खुश करने के लए हँसेगा और उ च पद
वाला भी अपने मातहत को हँसाएगा, ले कन ख़ुद नह हँसेगा, य क यह उसक े ता
बनाए रखने का एक तरीका है।
कोई म हला कसी पु ष को कैसे दे खती है। पु ष ारा हँसाए न जाने पर म हला को
वह बा ओर क त वीर जैसा दखता है। जब पु ष म हला को हँसाता है, तो वह उसे
दा ओर क त वीर जैसा दखता है।
सारांश
जब भी आप कसी को दे खकर मु कुराते ह, तो वह भी जवाब म मु कुराता है, जससे
कारण और भाव के प रणाम व प दोन म सकारा मक भावनाएँ जागती ह। अ ययन से
सा बत आ है क य द आप नय मत तौर पर मु कुराएंगे व हँसगे और इसे अपनी आदत बना
लगे, तो आपक अ धकतर मुलाकात बना कसी ग तरोध के, लंब े समय तक चलगी और उनके
अ छे प रणाम मलगे। लोग से आपके र ते भी बेहतर ह गे।
माण से यह स आ है क मु कान और हँसी से रोग तरोधक णाली बनती है,
रोग–बीमा रय से र ा होती है, शरीर व थ होता है, आपके वचार लोग को पसंद आते ह,
पढ़ाई बेहतर ढं ग से होती है, यादा दो त आक षत होते ह और जीवन क अव ध बढ़ती है।
हा य हम व थ रखता है।
अ याय 4
आम स न स (बाँह के संकेत)
ल गक अंतर
पु ष क बाँह अंदर क ओर और म हला क बाँह थोड़ी बाहर क ओर मुड़ती ह। इस अंतर
के कारण पु ष सट क ढं ग से कोई चीज़ फक सकते ह और ल य साध सकते ह, जब क
म हला क बाहर क ओर नकली ई कोह नयाँ ब च को पकड़ने के लए खुली और यादा
थर थ त दे ती ह। एक दलच प अंतर यह है क म हलाएँ जब आकषक लगने वाले पु ष के
आसपास होती ह, तो वे अपनी बाँह को यादा खुला रखती ह और आ ामक व अनाकषक
पु ष के सामने अपनी बाँह को सीने पर मोड़ लेती ह।
हम अपनी लोकल काउं सल क एक मी टग म गए, जहाँ पर डेवलपस ारा पेड़ काटे जाने पर
बहस हो रही थी। डेवलपस कमरे म एक ओर बैठे थे और उनके वरोधी पयावरण ेमी सरी
ओर। मी टग क शु आत म वहाँ मौजूद लगभग आधे लोग क बाँह सीने पर मुड़ी थ ।
डेवलपस ारा बातचीत कए जाने के दौरान 90 तशत पयावरण े मय ने ऐसा कया और
जब पयावरण े मय ने अपनी बात रखी तो लगभग 100 तशत डेवलेपस ने यही मु ा
अपनाई। इससे प है क कसी बात से असहमत होने पर लोग कैसे बाजू मोड़ने क मु ा
अपना लेत े ह। ब त से व ा अपनी बात ोता तक नह प ँचा पाए, य क उ ह ने ोता
क बाँह मोड़े रखने क मु ा पर यान नह दया। अनुभवी व ा जानते ह क ोता को
अ धक हणशील थ त म लाने के लए उ ह कसी कारगर तरीके क ज़ रत होगी, जससे
ोता का रवैया नकारा मक से सकारा मक हो सके।
जब आप कसी को यह मु ा अपनाते दे ख तो यह मानना सही होगा क शायद आपने
कोई ऐसी बात कही है, जससे वह असहमत है। शा दक तौर पर भले ही वह
आपसे सहमत होता लगे, ले कन ऐसे के साथ बहस करने का कोई फ़ायदा नह होगा।
स चाई यह है क श द के मुकाबले बॉडी ल वेज यादा ईमानदार होती है।
समाधान
बाँह मोड़े रखने क थ त को र करने का एक साधारण, ले कन असरदार तरीका यह है क
ोता को पकड़े रखने के लए कोई चीज़ द जाए या कोई काम थमा दया जाए। पेन, कताब,
ॉशर, सै पल या ल खत टे ट दे ने से लोग को अपनी बाँह खुली रखनी ह गी और आगे झुकना
पड़ेगा। इससे वे अ धक खुली थ त म आ जाते ह, इस लए उनका रवैय े म भी खुलापन आ
जाता है। कसी को वजुअल ेज़टे शन दे खने के लए आगे झुकने को बोलना भी उनक बाँह
खोलने का अ छा तरीका हो सकता है। आप भी आगे बढ़कर हथे लयाँ सीधी कर उनसे पूछ
सकते ह, ‘मुझ े लगता है क आप कुछ पूछना चाहते ह...आप या जानना चाहते ह?‘या
‘आपक या राय है?‘ फर आप पीछे टककर उ ह संकेत दे सकते ह क अब उनके बोलने क
बारी है। अपनी हथे लय का इ तेमाल कर आप बना कुछ कहे भी उ ह बता सकते ह क आप
चाहते ह क वे खुलकर ईमानदारी से बात कह, य क आप भी वैस े ही ह।
इस मु ा म बाजू मुड़ने के साथ ही दोन अँगठू े ऊपर क ओर होना यही जताता है क वह ख़ुद
को ‘कूल’ या आ म व ासी मानता है और थ त को अपने नयं ण म मानता है। बात करते ए
वह अपने अँगठ ू े से अपनी बात पर ज़ोर डालता है, जैसा क हम पहले बता चुके ह क थ स
अप यानी अँगठ ू े ऊपर करने क मु ा, सर को यह बताने का तरीका है क हमम आ म व ास
है, जब क मुड़े बाजू सुर ा मक भाव करते ह।
जो एक साथ र ा मक और अधीनता का भाव महसूस कर रहा हो, वह
सम मतीय या सम थ त म बैठेगा, जसका अथ है क उसके शरीर का एक ह सा सरे ह से
को ही त ब बत कर रहा है। उसक मांसपे शयाँ तनी ई होती ह और उसे दे खने से लगता है
क उसे कसी के हमला करने क आशंका है। जो र ा मक होने के साथ-साथ वयं को
भु वशाली भी मान रहा हो, उसक मु ा वषम या असम मतीय होगी, यानी उसके शरीर का
एक ह सा सरे ह से को त ब बत नह करेगा।
थ स अप मलना
आप कसी के सामने अपना प तुत कर रहे ह और आपके ेज़टे शन के बाद आपको थ स
अप आ स ॉ ड (मुड़ी ई बाँह के साथ अँगठ ू ा ऊपर क ओर) दखाई दे और उसके साथ
अ य सकारा मक मु ा समूह भी हो, तो इससे यह संकेत मलता है क आप ब त आसानी से
उस इंसान से तब ता क आशा कर सकते ह। सरी ओर, य द ेज़टे शन के आ ख़र म
आपको फ़ ट् स ल ड आ स ॉ ड मु ा (कसी ई मु य के साथ मुड़ी बाँह ) के साथ-साथ
भावशू य चेहरा दखे तो समझ जाइए क ऐसे म ‘हाँ‘कहलवाने क को शश म आप कसी
मुसीबत को बुलावा दे सकते ह। ऐसे म सवाल पूछकर उस क आप य को जानना
बेहतर होगा। कसी ताव को जब कोई ‘न’ कहता है, तो आ ामक दखे बना उसक
राय बदलना थोड़ा मु कल हो जाता है। बॉडी ल वेज पढ़ने-समझने क मता से आप कसी
नकारा मक नणय को श द म अ भ होने से पहले ही ‘दे ख‘सकते ह और आपको अपनी
बात कहने का कोई और तरीका ढूं ढने का मौका मल जाता है।
ह थयार ले जा रहे या सुर ा मक कवच पहने लोग कभी-कभार ही बाजू मोड़ने क मु ा अपनाते
ह, य क उनके ह थयार और कवच उ ह पया त सुर ा दे त े ह। उदाहरण के लए, बं क लए
ए पु लस अफ़सर ब त कम अपने बाजू मोड़ते ह, वे ऐसा तभी करते ह जब वे कसी चौकसी
पर ह । आमतौर पर वे कसकर बंद मु क मु ा अपनाते ह, ता क लोग को यह संदेश प तौर
पर मल जाए क वे जहाँ खड़े ह, वहाँ से जाने क अनुम त कसी को नह है।
आपको लगेगा क पचास साल से यादा लोग क नज़र म रहने और वशाल भीड़ से सामना
करते रहने के बाद स चा स जैसे शाही इंसान को घबराहट नह होती होगी, ले कन बाँह को
मोड़ने क उनक छोट -छोट मु ा से यही सामने आता है क वे भी उन हालात म हमारे
जतना ही असुर त महसूस करते ह।
बेचैन या संकोची भी अपनी घड़ी के फ ते को ठ क करता, अपने वॉलेट क
चीज़ को जाँचता, अपने हाथ को पकड़ता या रगड़ता, कफ़ के बटन के साथ खेलता या कोई
ऐसी मु ा अपनाता दखेगा जो उसके बाजू को शरीर के सामने वाले ह से पर मोड़े। असुर त
बज़नेसमैन कसी बज़नेस मी टग म ीफ़केस या फ़ो डर को अपने शरीर के आगे रखकर
चलता है। श त के लए इस तरह क मु ाएँ संकेत मा ह, जनसे कसी उ े य क
ा त नह होती, बस घबराहट को छपाने क को शश क जाती है। इन मु ा को उन जगह
पर दे खा जा सकता है, जहाँ कसी को लोग के सामने से गुज़रना होता है, जैस े डांस
लोर को पार करके कसी म हला से डांस के लए पूछने जाता पु ष या इनाम लेने के लए मंच
से गुज़रकर जाता ।
म हला ारा बाजु क आड़ लया जाना पु ष क तुलना म कम प होता है,
य क वे कसी संकोच या अ न तता क थ त म अपने हडबैग या पस को पकड़ सकती ह।
सेस ऐन लोग के बीच से गुज़रते ए अ सर फूल का गुलद ता पकड़कर रखती ह और वीन
ए लज़ाबेथ फूल या हडबैग को थामे रखती ह। यह तो न त है क वे अपने बैग म लप टक,
मेकअप का सामान, े डट काड या थयेटर टकट लेकर नह चलती ह गी। वे तो इसका
इ तेमाल कसी सुर ा आवरण क तरह या फर संदेश दे न े के लए करती ह। रॉयल वॉचस ने
उनके ारा अपने कमचा रय को दए 12 संकेत दज कए ह, जो क उनके चलने, कने, कह
से जाने या उबाऊ क म के लोग से उ ह बचाने क थ त म दए गए थे।
कॉफ़ कप क आड़
बातचीत के दौरान खाने-पीने क चीज़ पेश करना यह जाँचने का अ छा तरीका है क आपक
पेशकश को सरा कैसे ले रहा है। चाय-कॉफ़ पीने के बाद उस ारा कप रखने क
जगह आपको संकेत दे ती है क वह आपक बात से सहमत है या नह या आपक बात के त
उसका रवैया कतना खुला है। संकोची, अ न त या आपक बात के त नकारा मक
कोण रखने वाला अपने कप को शरीर के सरी ओर रखेगा, ता क उसके एक बाजू से
आड़ बन जाए। कसी ारा कप को अपनी तरफ़ ही रखे जाने पर उसके खुलेपन या
वीकृ त भरे कोण का पता चलता है।
पश क श
दायाँ हाथ मलाते समय कसी को अपने बाएँ हाथ से छू ने से ज़बरद त नतीजे मल सकते
ह।
मनेसोटा यू नव सट म शोधकता ने ‘द फ़ोन बूथ टे ट’ कहलाने वाला एक योग
कया। उ ह ने टे लीफ़ोन बूथ पर एक स का रख दया और एक पेड़ के पीछे छपकर वहाँ आने
वाले लोग का इंतज़ार करने लगे। कसी के आने पर कोई शोधकता बाहर नकलकर उससे
पूछता, ‘ या आपने फ़ोन बूथ पर मेरा स का दे खा? मुझ े एक और कॉल करना है।’ केवल 23
तशत लोग ने ही स का मलने क बात कही और उसे लौटाया।
अ ययन के सरे ह से म स के को फर से बूथ पर रखकर योग को दोहराया गया,
ले कन इस बार शोधकता ने लोग क कोहनी को सफ़ कुछ सेकड् स के लए छु आ और फर
उनसे स के के बारे म पूछा। इस बार 68 तशत लोग ने स का लेन े क बात क और कुछ
झपते ए इस कार कहा, ‘म आसपास दे ख रहा था क यह कसका है...’
इस तरीके के कारगर होने के तीन कारण ह : पहला, कोहनी को प लक पेस माना जाता है
और यह शरीर के अंतरंग ह स से र होती है; सरा, अ धकतर दे श म अजन बय को छू ना
अ छा नह माना जाता, इस लए इस पश का असर पड़ता है; तीसरा, तीन सेकड तक कोहनी
को छू ने से दो लोग के बीच एक णक जुड़ाव हो जाता है। जब हमने एक ट वी ो ाम के लए
इस योग को दोहराया, तो हमने पाया क स का लौटाने क दर हर सं कृ त म अलग थी और
यह इस बात पर नभर करता था क कसी न त जगह पर सामा यतया पश कतनी बार
कया गया था। उदाहरण के लए, कोहनी छू ने पर ऑ े लया म 72 तशत, इं लड म 70
तशत, जमनी म 85 तशत, ांस म 50 तशत और इटली म केवल 22 तशत लोग ने
स के लौटाए। इस नतीजे से ज़ा हर होता है क कस तरह कोहनी छू ने से उन जगह पर बेहतर
प रणाम मले, जहाँ लोग को अ सर छू ना सां कृ तक प से आम नह है। हम जन दे श म
अ सर जाते ह, वहाँ हमने कैफ़े म लोग के एक- सरे को छू ने से संबं धत आँकड़े दज कए और
पाया क रोम म एक घंटे म 220 बार, पे रस म 142 बार, सडनी म 25 बार, यूयॉक म 4 बार
लोग के बीच पश का आदान- दान आ, जब क लंदन म एक घंटे म एक बार भी ऐसा नह
आ। इससे यह पु होती है क आप अगर टश या जमन ह, तो आपके ारा लोग को छू ने
क संभावना कम होगी, इस लए कोहनी के पश का योग आप पर अ धक सफल होगा।
हाथ का पश
एक अ य अ ययन म लाइ े रयन को शा मल कया गया और उ ह कहा गया क वे कताब दे ते
समय सरे के हाथ को धीरे से छु एँ। लाइ ेरी के बाहर कताब लेन े वाल का सव ण
कया गया और उनसे लाइ ेरी ारा द जाने वाली सेवा के बारे म पूछा गया। जन लोग के
हाथ कताब लेत े समय छु ए गए थे, उ ह ने सभी के उ र म अनुकूल त या द और उ ह
लाइ े रयन का नाम भी याद रहा। टश सुपरमाकट् स म कए गए अ ययन से पता चला क
बचे ए पैस े दे त े ए ाहक के हाथ का पश करने पर भी ऐसी ही सकारा मक त या
मली। अमे रका म भी म हला वेटर के साथ भी यही योग कया गया, जनक आमदनी का
एक बड़ा ह सा लोग ारा द गई टप से आता है। पु ष क कोहनी और हाथ को छू ने वाली
म हला वेटर को उन वेटर से 36 तशत अ धक टप मली, ज ह ने ऐसा नह कया। पु ष
वेटर क आमदनी 22 तशत बढ़ , इससे कोई अंतर नह पड़ा क उ ह ने पु ष का पश
कया या म हला का।
अगली बार जब आप कसी नए से हाथ मलाते समय अपनी बाई बाँह बढ़ाकर
उनक कोहनी या हाथ को धीरे से पश कर और इस बात क पु करने के लए क आपने उस
का नाम सही सुना है, उसका नाम दोहराएँ और फर उसक त या दे ख। इससे न
केवल वह मह वपूण महसूस करता है, ब क दोहराने से आपको भी उसका नाम याद
रखने म आसानी होती है।
सावधानीपूवक, कुशलता से कोहनी और हाथ छू ने से लोग का यान आपक ओर
जाता है, बात यादा असरदार होती है, वचार अ धक भावी होता है, सर को आप अ धक
भा वत कर पाते ह, लोग आपको याद रखते ह और हर कसी पर आपक अ छ छाप पड़ती
है।
सारांश
इस बात से कोई अंतर नह पड़ता क सीने पर बाजू मोड़ने को आप कैसे दे खते ह, ले कन सही
बात यह है क इसे नकारा मक माना जाता है और इसका असर इस मु ा को अपनाने वाले और
दे खने वाले, दोन के दमाग़ पर पड़ता है। हो सकता है क पीठ के दद के कारण आप अपनी
बाँह मोड़, ले कन दे खने वाला अवचेतन तौर पर पर यही समझेगा क उसक बात को लेकर
आपका रवैया नकारा मक है। आप अभी से सोच ल क आपको अपनी बाँह को नह मोड़ने का
अ यास करना है। आने वाले अ याय म हम आपको बताएँग े क अ धक सकारा मक और
आ म व ासी छ व के लए या करना चा हए।
अ याय 5
सां कृ तक अंतर
इटली के थानीय लोग से बातचीत करते समय वे आपके पेस ( े ) म खड़े रहते ह, लगातार
आपको पकड़ते रहते ह, च लाने क हद तक ज़ोर-ज़ोर से बात करते ह और हर बात को लेकर
गु से म लगते ह। दरअसल यह सब इटै लयन लोग क रोज़मरा क दो ताना बातचीत को आम
ह सा है। सभी सं कृ तय म एक जैसी चीज़ के मतलब समान नह होते।
सां कृ तक परी ा
बॉडी ल वेज से जुड़े सां कृ तक अंतर के बारे म आप या जानते ह? यह करके दे ख – अपने
हाथ को ऊपर करके सं या पाँच दखाएँ तुरंत ऐसा कर। अब इसे दो म बदल द। अगर आप
लो-सै सन ह, तो इस बात क संभावना 96 तशत है क आपने अपनी मडल (म यमा)
और इंडे स फ़गर (तजनी) को उठाया होगा। अगर आप यूरोपीय ह, तो 94 तशत संभावना है
क आपने अपने अँगठ ू े और तजनी को उठाया होगा। यूरोपीय हाथ पर गनती क शु आत
अपने अँगठ ू े से करते ह, तजनी पर दो क गनती और म यमा पर तीन गनकर उनक गनती
आगे बढ़ती है। एं लो-सै सन तजनी से गनती क शु आत करते ह, दो म यमा पर आता है और
अँगठ
ू े पर पाँच के साथ गनती पूरी होती है।
अब आप आगे दए गए हाथ के संकेत को दे खकर बताइए क आप हर एक से कतने
अलग अथ नकाल सकते ह। हर सही उ र के लए ख़ुद को एक अंक द और ग़लत जवाब पर
एक अंक घटा द। पृ के अंत म उ र दए गए ह।
हर सही उ र के लए वयं को एक अंक द।
एफ. प मी दे श : चार
जापान : अपमानबोधक
जी. प मी दे श : सं या पाँच
हर जगह : को!
ीस और तुक : जह ुम म जाओ!
जे. ीस : जह ुम म जाओ!
प मी जगत : दो
एल. यूरोप : एक
ऑ े लया : इस पर बैठो! (ऊपर क ओर झटका दे कर)
हर जगह : मु त क सवारी करना; ब ढ़या; ओके
ीस : अप योअस! (आगे क ओर करना)
जापान : पु ष; पाँच
15-30 अंक : आपको बु नयाद बात पता ह क लोग के वहार म अंतर हो सकता है।
लगातार अ यास करके आप अपनी समझ को बेहतर बना सकते ह।
15 या उससे कम अंक : आपको लगता है क हर कसी क सोच आपके जैसी है। आपको
पासपोट मलना तो र घर से नकलने क भी इजाज़त नह होनी चा हए। आपको ब कुल भी
अंदाज़ा नह है क बाक नया आपसे अलग है। आपको लगता है क हर जगह एक ही समय
और एक ही मौसम रहता है। शायद आप अमे रक ह।
अ भवादन म अंतर
हाथ मलाने के अंतर से कई बार ब त झप भरी और हा या पद सां कृ तक मुठभेड़ हो जाती ह।
टश, ऑ े लयाई, यूज़ीलडवासी, जमन और अमे रक लोग अ सर मुलाकात होने और
वदा होने पर हाथ मलाते ह। कई यूरोपीय सं कृ तय म लोग दन भर म कई बार हाथ मलाते ह
और कुछ च लोग तो एक दन म हाथ मलाने म 30 मनट तक का समय भी लगाते ह।
इं डयन, ए शयाई और अरब सं कृ तय म लोग हाथ मलाने के बाद भी आपका हाथ थामे रह
सकते ह। जमन और च लोग एक दो बार हाथ हलाकर उसे थोड़ी दे र थामे रहते ह, जब क
कसी अमे रक के पाँच से सात बार हाथ हलाने क तुलना म टश लोग तीन से पाँच बार
ऐसा करते ह। अंतरा ीय स मेलन म हैरत म पड़े व भ त न धय को अपने-अपने तरीके से
हाथ मलाते ए दे खना एक मज़ेदार अनुभव होता है। हाथ मलाते ए बस एक बार उसे हलाने
वाले जमन लोग अमे र कय को उदासीन लगते ह, जब क अमे रक लोग का यादा बार हाथ
हलाना जमन लोग को ऐसा लगता है जैसे वे एयरबेड म हवा भर रहे ह ।
गाल पर चु बन दे न े दे कर अ भवादन करने के मामले म क डने नया के लोग एक बार
चूमना पसंद करते ह, च दो बार, जब क डच, बे जयन और अरबी लोग के लए यह तीन बार
होना चा हए। ऑ े लयाई, यूज़ीलडवासी और अमे रक लोग चूमकर अ भवादन करने के
मामले म उलझन म रहते ह और चूमने के लए आगे बढ़ते ए अ सर उनक नाक आपस म
टकरा जाती ह। टश अ सर पीछे खड़े रहकर उससे बचने क को शश करते ह या फर
यूरोपीय दोहरे चु बन से आपको हैरत म डाल दे त े ह। अपनी पु तक अ ू ॉम द स मट म सर
एडमंड हलेरी ने एवरे ट क चोट पर प ँचने क बात याद करते ए लखा है क कस तरह
उ ह ने बधाई दे ने के लए ब कुल टश अंदाज़ म अपना हाथ शेरपा तेन ज़ग नोरगे से मलाने
के लए बढ़ाया। ले कन नोरगे ने आगे बढ़कर गले से लगाकर उ ह चूम लया, जो क बधाई दे ने
का त बती तरीका था।
दो सं कृ तय का आमना-सामना
इटली के लोग बात करते ए अपने हाथ ऊपर उठाए रखते ह। बातचीत के दौरान नेहपूवक
बाँह को छू ना दरअसल ोता को उसके हाथ ऊपर करने से रोकना और उसे बातचीत का क
बनने से रोकना होता है। कसी इटै लयन को बातचीत के बीच रोकने के लए आपको उसका
हाथ पकड़कर नीचे करना होता है। इनक तुलना म टश और जमन लोग ऐसे लगते ह, जैसे
बातचीत के दौरान उ ह लकवा मार गया हो। उ ह इटै लयन और च लोग से बातचीत क
को शश करना ब त चुनौतीपूण लगता है और कभी-कभार ही उ ह बोलने का मौका मल पाता
है। बातचीत करते ए च अपनी बाँह के आगे वाले ह से और हाथ का, इटै लयन अपनी पूरी
बाँह तथा शरीर का ब त इ तेमाल करते ह, जब क टश और जमन लोग एकदम सावधान
क मु ा म खड़े रहते ह।
अंतरा ीय बज़नेस के मामले म बेहतरीन वेशभूषा, ब ढ़या रे रस और एक अ छा
ताव कई बार ब त मामूली और बेहद नामालूम से लगने वाले वाले हावभाव से मात खा जाते
ह और बज़नेस डील डू ब जाती है। 42 दे श म कए गए हमारे शोध से पता चला क उ री
अमे रकन लोग को सां कृ तक भ ता क समझ सबसे कम होती है और टश इसम सरे
म पर ह। 86 तशत उ री अमे रकन के पास पासपोट नह है, जससे इस नतीजे पर प ँचा
जा सकता है क अंतरा ीय बॉडी ल वेज से जुड़े संकेत क जानकारी म वे सबसे अन भ ह।
जॉज ड यू बुश को भी अमे रका का रा प त बनने के बाद पासपोट के लए आवेदन करना
पड़ा था, ता क वे सरे दे श क या ा कर सक। सरी ओर टश व भ थान क या ा तो
करते ह, ले कन चाहते ह क बाक लोग अं ेज़ी बोल सक, फ़श और च स पेश कर और उ ह
टश बॉडी स न स क जानकारी हो। अ धकतर वदे शी सं कृ तयाँ आपसे उनक भाषा
सीखने क अपे ा नह करत , ले कन जब कोई पयटक उनक थानीय बॉडी ल वेज के बारे म
जानता और सीखता है तो वे ब त भा वत होते ह। इससे उ ह पता चलता है क आप उनक
सं कृ त का स मान करते ह।
जापानी लोग
जापान एक ऐसी जगह ह, जहाँ हाथ मलाने, चूमने और कसकर गले लगाने को आज भी
वीकृ त नह है, य क वहाँ पर शारी रक संपक को अ श ता माना जाता है। पहली बार मलने
पर जापानी झुककर अ भवादन करते ह और सबसे ऊंचे दज का आदमी सबसे कम झुकता है,
जब क कम दज का सबसे यादा। पहली बार मलने पर बज़नेस काड एक- सरे को दए जाते
ह, ता क हर का दजा प हो जाए और फर उसी के अनुसार झुकना तय हो।
1. रग
उ ीसव सद के आरंभ म अमे रका म यह मु ा अमे रका म समाचारप ारा लोक य क
गई, जब वे सामा य मुहावर को करने के लए आ ा र (इनी शय स) का चलन शु
कर रहे थे। मूलतः ‘ओके‘के अथ को लेकर कई कार के वचार पाए जाते ह। कुछ लोग मानते
ह क इसका अथ ‘ऑल करे ट यानी सब सही‘है, जसम ऑल म ‘ए’ के बजाय ‘ओ’ और
करे ट के ‘सी’ के बजाय ‘के’ लखा जाता था। बाक लोग का कहना है क ‘नॉक आउट‘वाले
‘के ओ‘को उलटकर ‘ओके’ बनाया गया।
2. थ ब-अप
ऑ े लया, अमे रका, द ण अ का, सगापुर और यूज़ीलड जैसे दे श म, जहाँ पर टश
भाव दे खा जा सकता है, थ स अप (अँगठ ू ा ऊपर करना) के तीन मतलब हो सकते ह :
आमतौर पर मु त सवारी करने वाले ल ट लेन े के लए इसका इ तेमाल करते ह; यह ओके
स नल है; ले कन जब अँगठ ू े को झटका दे कर ऊपर कया जाता है, तो इसका मतलब ‘अप
योअस’ या ‘इस पर बैठो‘होता है, जो क अपमानजनक है। ीस जैस े कुछ दे श म अँगठ ू े को
आगे कया जाता है, जसका अथ होता है, ‘गेट ट ड‘!
ीस म कभी ल ट न माँग।
अँगठू ा हाथ का सबसे मह वपूण ह सा है, इसका इ तेमाल श के तीके प म कया जाता
है और इसे अ सर जेब , वे ककोट आ द से बाहर नकलते दे खा जा सकता है। सामा य तौर पर
या जब कोई हम ‘अपने अँगठू े के नीचे करने‘क को शश करता है, तो अ य मु ा के साथ
अँगठ ू े का इ तेमाल कर हम अपनी श और े होने का संकेत दे सकते ह। अँगठ ू े क ताकत
के कारण इसे श से जोड़ा जाता है।
3. वी-साइन (वी का च ह)
ऑ े लया, यूज़ीलड और ेट टे न म आमतौर पर इसका इ तेमाल कया जाता है और इसका
मतलब ‘अप योअस‘के प म भी लया जाता है। सरे व यु के दौरान व टन च चल ने
इसे लोक य बनाया, ले कन यह च ह बनाते ए उनक हथेली लोग के सामने होती थी,
जब क व ा क ओर हथेली होने का मतलब अ ीलतापूण अपमान जाता है।
पश कर या नह
बातचीत करते ए छु ए जाने पर कोई बुरा मानेगा या नह , यह उसक सं कृ त पर नभर
करता है। उदाहरण के लए, ांसीसी और इतालवी लोग बातचीत करते ए लगातार एक- सरे
को छू ना पसंद करते ह, जब क टश ऐसा करना पसंद नह करते और ब त से लोग के सामने
खेल के मैदान पर ही ऐसा कर सकते ह। टश, ऑ े लयाई और यूज़ीलड के खला ड़य
ारा एक- सरे को गले लगाना द ण अमरीक और कॉ टनटल खला ड़य क नकल है, जो
क गोल हो जाने पर गले लगते ह और एक- सरे को चूमते ह। उनका यह वहार े सग म म
भी बरकरार रहता है। ले कन ऑ े लयाई, टश या यूज़ीलड के खलाड़ी खेल के मैदान से
नकलते ही अपने पुराने ढर पर लौट आते ह यानी एक- सरे से र रहने क नी त अपनाते ह।
खेल के मैदान पर कोई पॉइंट मलने या गोल हो जाने पर
टश खलाड़ी एक- सरे को छू ते ह, गले लगते ह, चूमते
ह और एक- सरे को पकड़ते ह। ले कन कसी पब म
आप यह सब करने क को शश करके दे खए, आप जान
जाएँगे क या होगा।
अ य सं कृ तय को ठे स प ँचाना
जब अनजाने म अ य सं कृ तय को ठे स प ँचाने का सवाल आता है, तो इसका पहला
पुर कार अ सर अमरीक लोग ले जाते ह। जैसा क पहले भी बताया जा चुका है, अ धकतर
अमरी कय के पास पासपोट नह ह और वे मानते ह क बाक नया उनक तरह सोचती है
और उनके जैसा बनना चाहती है। यहाँ जॉज बुश क एक त वीर म वे टे सस लॉ गहॉन फुटबॉल
ट म क व श मु ा दखा रहे ह, जसके वे समथक ह। तजनी और छोट उँगली बैल के स ग
दशाती ह, इस फुटबॉल वाली मु ा को अ धकतर अमरीक पहचानते ह।
इटली म यह अमे रक फ़टबॉल वाली मु ा दखाने पर आपको जेल हो सकती है
इटली म इस मु ा को ‘कक ड‘के नाम से जाना जाता है, जसका इ तेमाल कसी पु ष को यह
बताने के लए कया जाता है क उसक प नी के अ य पु ष से संबंध ह। 1985 म रोम शहर म
वे टकन के बाहर पाँच अमरी कय को यह मु ा अपनाकर लॉ गहॉन क जीत का ज मनाते
गर तार कया गया था। लगता है पोप इससे भा वत नह ए।
सारांश
लोग ऐसे ही लोग के साथ काम करना पसंद करते ह, जो उ ह सहज महसूस कराएँ और
आ ख़रकार यह सब ईमानदारी और श ाचार पर नभर करता है। कसी सरे दे श म जाने पर
थानीय लोग से मलने-जुलने का अवसर मलने तक अपनी बॉडी ल वेज को सी मत रख।
बॉडी ल वेज से जुड़े सां कृ तक अंतर को सीखने-समझने का एक सरल तरीका वदे शी फ़ म
को रकॉड कर उनक आवाज़ बंद करके, उनके सबटाइटल पढ़े बना उ ह दे खना है। य को
दे खकर घटना म को समझने क को शश कर और फर सबटाइट स के साथ फ़ म को
दे खकर अपने अंदाज़े क जाँच कर।
य द आप नह जानते क कसी अ य सं कृ त म श ता
के या मायने ह तो थानीय लोग से जानकारी ल।
हाथ और अँगठ
ू े क मु ाएँ
ज़ाक-लुई डे वड ारा बनाया गया नेपो लयन का च , 1812, ांसीसी नेता इसम
अपनी स मु ा म ह- या उ ह सचमुच पे टक अ सर था या फर वे जीवन का
आनंद ले रहे थे?
मनु य के हाथ म 27 छोट ह याँ होती ह, जनम से कंकड़ के आकार क आठ ह याँ कलाई
म पाई जाती ह। ये लगामट् स के जाल से आपस म जुड़ी होती ह, जोड़ को हलाने के लए
दजन छोट -छोट मांसपे शयाँ होती ह। वै ा नक ने पाया है क शरीर अ य अंग के मुकाबले
हाथ और म त क के बीच सबसे अ धक तं का संपक होते ह, इस लए हाथ ारा अपनाई
जाने वाली मु ाएँ या उनक व भ थ तयाँ हमारी भावना मक थ त को दशाती ह। हमारे
हाथ अ सर शरीर के सामने दखाई दे ते ह, इस लए इन संकेत को दे खना आसान है। हमम से
अ धकतर लोग क हाथ क थ त से जुड़ी ख़ास मु ाएँ होती ह, जनका हम अ सर इ तेमाल
करते ह। उदाहरण के लए, ‘नेपो लयन’ कहते ही हर कोई ऐसे आदमी का वणन करेगा, जसका
हाथ उसके वे टकोट म होगा और उसका अँगठ ू ा ऊपर क ओर होगा, फर शायद कोई अनुमान
लगाएगा या कोई चुटकुला सुनाएगा क नेपो लयन ऐसा य करता था। इनम से कुछ चुटकुले ह
: उ ह पेट का अ सर था; वह अपनी घड़ी को चाबी दे रहे थे; उस युग म जेब म हाथ डाले रखना
अ श ता थी; उ ह छाती का कसर था; उनका हाथ वकृत था; वे अपने कपड़ के भीतर
ख़ुशबूदार थैली रखते थे और उसे सूँघते थे; ऐसे ही अपना मनोरंजन करते थे या फर च कार
को हाथ बनाना पसंद नह था। स ची कहानी यह है क नेपो लयन के ज म से भी पहले 1738 म
ांसुआ नवेलॉन ने अ बुक ऑफ़ जट ल बहे वयर। का शत क , जस इस मु ा का वणन
कया गया क ‘...इस तरह हाथ रखना कुलीन और नडर पु ष क आम मु ा थी, जसम
वन ता का पुट था।’ जब नेपो लयन ने अपनी प टग दे खी, तो कलाकार से कहा, ‘तुमने मुझे
अ छ तरह से समझा, मेरे य डे वड।’ इस कार यह तबा दखाने क मु ा थी।
इ तहास क कताब से पता चलता है क नेपो लयन आमतौर पर इस मु ा को नह
अपनाता था, दरअसल इस स प टग के लए भी वह कभी सामने नह बैठा। कलाकार ने
अपनी याददा त से इसे बनाया और यह मु ा उसम जोड़ द । इस तरह हाथ रखने क कु या त
ने यह ज़ र बताया क कस कार ज़ाक-लुई डे वड को हाथ और अँगठ ू े क थ त के मह व
क समझ थी।
एक तरफ़...
एक को दोन प को तुत करते ए कसी चचा का सार बताते ए दे खकर पता
लगाया जा सकता है क उसका झुकाव कस ओर है। लोग अ सर अपनी हथेली को सामने
रखकर हर ब पर बात करते ह और फर सरे हाथ से वप के ब बताते ह। दाएँ हाथ का
इ तेमाल करने वाले लोग अपने प का कोण दाएँ हाथ से और बाएँ हाथ का इ तेमाल करने
वाले उसे बाएँ हाथ से बताते ह।
हाथ को रगड़ना
हाल ही म हमारी एक म ने हमारे घर आकर हमारे आने वाले क इंग हॉ लडे के बारे म चचा
क । बातचीत के दौरान वह आराम से कुस पर बैठ , मु कुरा और तेज़ी से अपनी हथे लयाँ
रगड़ते ए बोली, ‘म ब त बेस हो रही ँ।’ उठे ए हाथ को रगड़ते ए उसने बना कुछ कहे
हम बता दया क उ ह उ मीद है क हमारी छु याँ शानदार रहगी।
सकारा मक संभावना दखाना
हथे लय को रगड़ना एक ऐसा तरीका है, जससे लोग सकारा मक अपे ाएँ करते ह।
पासा फकने वाला उसे पहले अपनी हथे लय के बीच रखकर रगड़ता है, इससे वह जीतने क
अपे ा करता है कसी समारोह का संचालक अपनी हथे लयाँ रगड़ते ए ोता से
कहता है, ‘हम अपने अगले व ा को सुनने के लए बेताब ह,’ और उ सा हत से सपसन से स
मैनेजर के ऑ फस म घुसकर अपनी हथे लयाँ रगड़ते ए कहता है, ‘हम अभी एक बड़ा ऑडर
मला है।’ ले कन शाम ख़ म होने पर आपक टे बल पर आया आ वेटर अगर हथे लयाँ रगड़कर
आपसे पूछता है, ‘कुछ और चा हए, सर?’ तो वह बना बोले आपको यह बता रहा है क उसे
अ छ टप मलने क उ मीद है।
जतनी तेज़ी से कोई इंसान अपनी हथे लयाँ रगड़ता है, उससे पता चलता है क वह
कसे सकारा मक लाभ होने क उ मीद कर रहा है। उदाहरण के लए, आप एक घर ख़रीदना
चाहते ह और कसी ए टे ट एजट से मलते ह। घर का वणन करते ए एजट तेज़ी से अपनी
हथे लयाँ रगड़ते ए कहता है, ‘मुझ े आपके लए एकदम सही घर मल गया है!’ इस तरह एजट
यह संकेत दे ता है क उसे उ मीद है क घर आपके लए उपयु रहेगा। ले कन आपको कैसा
लगेगा अगर वह धीरे-धीरे हथे लयाँ रगड़ते ए आपसे कहे क उसे आपके लए ब ढ़या घर मल
गया है? ऐसे म वह घ टया या कु टल लगेगा और आपको महसूस हो जाएगा क उसे अपने
फ़ायदे क उ मीद है न क आपके।
हमेशा संदभ को याद रख : कसी ठं डे दन पर बस ट मनल पर खड़ा कोई आदमी अगर अपनी
हथे लय को तेज़ी से रगड़ता है तो इसका यह मतलब नह क वह बस क उ मीद कर रहा है,
ब क यह है क उसके हाथ ठं डे ह।
नेगो सएशन ए सपट नीरेनबग और कलेरो ारा हाथ को कसकर आपस म बाँध े रखने पर कए
गए शोध से पता चला क कसी नेगो सएशन के दौरान इ तेमाल क गई यह मु ा नराश भी
दखाती है और इससे संकेत मलता है क वह कोई नकारा मक या बेचैन रवैया छपाए
ए है। इसे अ सर उस ारा अपनाया गया, जो सरे को आ त करने म नाकाम रहा था
या जसे लग रहा था क वह नेगो सएशन म चूक रहा है।
इस मु ा क तीन थ तयाँ ह : चेहरे के सामने बँध े हाथ; डे क पर बँध े ए हाथ और
खड़े होने पर ॉच या ऊ सं ध पर बँध े हाथ।
ट पल (मीनार)
अब तक हमने इस बात पर ज़ोर दया है क वा य म श द क तरह मु ाएँ समूह म होती ह और
जस थ त म आप उ ह दे ख रहे ह, उनक ा या उनके संदभ म क जानी चा हए। ट प लग
इन नयम का अपवाद हो सकती है, य क यह अलग-थलग होती है। एक हाथ क उँग लयाँ
सरे हाथ क उँग लय से मलकर चच क मीनार जैसी बनाती ह और कई बार कसी आईने म
मकड़ी ारा ऊपर उठने क तरह आगे-पीछे होती ह।
हमने पाया क ट पल का इ तेमाल व र और मातहत कमचा रय के बीच वहार म
कया जाता है और यह आ म व ास का संकेत दे ता है। व र लोग अ सर अपने मातहत
कमचा रय को नदश या सलाह दे ते ए इसका इ तेमाल करते ह और इसे आमतौर पर
अकाउंटट, वक ल और बंधक ारा अपनाया जाता है। आ म व ासी, े तर लोग अ सर
इस मु ा को अपनाते ह और इस तरह अपने आ म व ासी रवैय े को दखाते ह।
सही जवाब होने का आ म व ास
लोअड ट पल
सारांश
आपके हाथ हमेशा आपके आगे रहते ह और आपक भावना तथा रवैय े को दखाते ह। ब त
से शारी रक हावभाव को सीखना मु कल हो सकता है, ले कन हाथ क मु ा का अ यास
कया जा सकता है और बार-बार अ यास करके आप अपने हाथ क ग त व धय पर अ छा
नयं ण पा सकते ह। हाथ से जुड़ी मु ा को समझने के बारे म सीखकर आप अ धक
आ म व ासी दखगे, अ धक सफल महसूस करगे और शतरंज क यादा बा ज़याँ जीत पाएँग।े
फ़ेस लैटर (चेहरे को परोसना)
यह नकारा मक मु ा नह है - यह णय- नवेदन के समय इ तेमाल होने वाली सकारा मक मु ा
है। इसका इ तेमाल म हला और समल गक पु ष ारा अ धक कया जाता है, जो कसी
पु ष का यान अपनी ओर ख चना चाहते ह। म हला अपना एक हाथ सरे पर रखकर उस पर
अपना चेहरा पु ष के सामने उससे तारीफ़ पाने के लए ऐसे परोसती है, जैसे क वह कसी थाल
पर रखा हो।
चेहरे को परोसना - अपना चेहरा कसी पु ष ारा सराहे जाने हेत ु तुत करते ए
अँगूठे का दशन
जैसा क पहले बताया जा चुका है, अँगठ ू ा े ता दखाता है। ह तरेखा शा म अँगठ ू ा च र
क मज़बूती व अहंकार का त न ध व करता है और इससे जुड़े शारी रक हावभाव भी आ म-
मह व के रवैय े को दखाते ह। अँगठू का इ तेमाल भु व, ढ़ आ ह या कभी-कभी आ ामक
रवैया दखाने के लए कया जाता है। अँगठ ू े से जुड़ी मु ाएँ गौण होती ह और अ सर कसी
समूह का ह सा होती ह। अँगठ ू ा सकारा मक संकेत दखाता है और अ सर ‘कूल’ या
आ म व ासी इसे अपनाता है, जो अपनी े ता जताने के लए ऐसा करता है। कोई
कसी ऐसी म हला के सामने बाहर क ओर नकले अँगठ ू े क मु ा अपनाएगा, जसक
ओर वह आक षत हो। ऊँचे दज के कपड़े पहने भी अपने अँगठ ू े दशाते ह। ऐसा ब त कम
होगा क आप कसी सड़कछाप जैसे नचले दज के को यह मु ा अपनाते दे ख।
वे टकोट म अँगठ
ू े ठूँ सना
अँगठ
ू ा दशाने वाले अ सर ऊँचाई का आभास दे न े के लए अपनी ए ड़य के बल खड़े
होकर आगे-पीछे होते ह।
कई बार अँगठ
ू े पीछे क जेब से भी बाहर नकलते ह ( च दे खए), जैसे क वह अपने
भु वशाली रवैय े को छपाने क को शश कर रहा हो। 1960 के दशक तक म हला को अँगठ ू े
द शत करते ब त कम दे खा जाता था, उसके बाद से उ ह ने पट पहनना और समाज म यादा
सश भू मकाएँ नभाना शु कया।
अँगठ
ू े का दशन आ म व ासी और ताकतभरा रवैया दखाता है
कसी सरे को अँगठ ू ा दखाकर उसका इ तेमाल कसी का मज़ाक उड़ाने या अपमान
करने के संकेत के प म भी कया जा सकता है। उदाहरण के लए, अपने दो त पर टका आ
कोई आदमी अँगठ ू े से अपनी प नी क ओर इशारा करके ‘यह हमेशा सर खाती है’, कहकर
उससे झगड़ा मोल लेता है। इस मामले म हलता आ अँगठ ू ा उसका मज़ाक उड़ाने म इ तेमाल
हो रहा है। प रणाम व प अँगठ ू े से इशारा करना अ धकतर म हला को ब त खजाने वाला
लगता है, ख़ासकर जब कोई पु ष ऐसा करता है। अँगठ ू ा हलाने क मु ा म हला म आम नह
है, ले कन कई बार वे इसका इ तेमाल उन लोग क ओर इशारा करने म करती ह, ज ह वे पसंद
नह करत ।
सारांश
अँगठ
ू का इ तेमाल ताकत और स ा के संकेत के प म हज़ार साल से कया जाता रहा है।
रोमन काल म ऊपर या नीचे क ओर कए गए अँगठ ू े से कसी लै डएटर क जदगी या मौत तय
होती थी बना कसी श ण के भी लोग सहजबोध से अँगठ ू े के संकेत को समझकर उनका
अथ नकाल लेत े ह। अब आप न केवल अँगठ
ू े के संकेत को समझ सकते ह, ब क उनके
इ तेमाल के लए वयं को श त कर सकते ह।
अ याय 7
मू याँकन और छल–कपट क
मु ाएँ
झूठ पर शोध
श द से झूठ पकड़ना मु कल है, य क इन पर इंसान का पूरा काबू होता है और वह बार–बार
अपने झूठ का अ यास कर सकता है। झूठ पकड़ने के व सनीय सुराग कसी क मु ाएँ
हो सकती ह, य क उ ह वह वतः अपनाता है और उन पर उसका नयं ण नह होता। झूठ
बोलने के दौरान ये हावभाव ज़ा हर हो सकते ह, य क झूठे इंसान के लए भावना मक तौर पर
वे ब त अहम होते ह।
ऐमह ट म मैसाचुसेट्स यू नव सट म रॉबट फ़े डमैन ने कसी तीसरे से बात
करते ए 121 जोड़ का अ ययन कया। एक– तहाई लोग को कहा गया क वे पसंद आने
लायक लग, अ य एक– तहाई को कहा गया क वे अपने काम म बेजोड़ लग और अ य लोग से
कहा गया क वे अपने सहज प म रह। बाद म सभी लोग को अपना वी डयो दे खने को कहा
गया और बातचीत के दौरान कहे गए छोटे –मोटे या फर बड़े झूठ को पहचानने के लए कहा
गया। कुछ तो कोरे झूठ थे, जैस े क नापसंद इंसान को पसंद करने क बात कहना, जब क कुछ
झूठ कसी रॉकबड का टार होने क बात कहने जैस े ब त बड़े थे। कुल मलाकर फे डमैन ने
पाया क अ ययन म भाग लेने वाले 62 तशत लोग ने हर दस मनट पर औसतन दो से तीन
झूठ बोले थे। द डे अमे रका टो ड द टथ के लेखक जे स पैटरसन ने 2006 से यादा
अमरी कय का इंटर ू लया और पाया क उनम से 91 तशत घर और द तर, दोन जगह
नय मत प से झूठ बोलते थे।
तो आप कैसे बता सकते ह क कोई झूठ बोल रहा है, टालमटोल कर रहा है या फर बस बात पर
वचार कर रहा है ? धोखे, टालमटोल, ऊब और मू याँकन मु ाएँ कुछ सबसे अ छे अवलोकन
कौशल हो सकते ह, ज ह आप सीख सकते ह। इस अ याय म आप उन बॉडी ल वेज संकेत के
बारे म सीखगे जो लोग क पोल खोल दे त े ह। पहले भाग म हम झूठ और छल के बारे म जानगे।
बुरी ख़बर सुनने पर या कोई भयावह घटना दे खने पर अ सर लोग अपने हाथ से पूरा चेहरा
ढक लेत े ह, ता क तीका मक तौर पर वे बुरी खबर को सुनने या दे खने से बच जाएँ। 11 सतंबर
2001 को ट् वन टावर पर वमान के टकराने क ख़बर सुनकर नयाभर म लोग ने यही मु ा
अपनाई थी।
जैसा क हम पहले भी बता चुके ह, झूठ बोलने पर ब चे अ सर अपने हाथ चेहरे पर ले
जाते ह। झूठ बोलने पर कोई ब चा झूठ को मुँह से नकलने से बचाने के लए अ सर अपने एक
या दोन हाथ से अपने मुँह को ढक लेता है। अगर वह मां–बाप क डांट नह सुनना चाहता, तो
वह आवाज़ से बचने के लए अपने हाथ से कान को ढक लेता है। अगर उसे ऐसा कुछ दखता
है, जो वह दे खना नह चाहता तो वह अपने हाथ या बाजू से अपनी आंख ढक लेता है। बड़ा होने
पर चेहरे पर हाथ ले जाने क मु ा यादा तेज़ और कम प हो जाती है, ले कन फर भी झूठ
बोलने, उस पर पदा डालने या छलकपट दे खने के दौरान इसे अपनाया जाता है।
ये मु ाएँ संदेह, अ न तता या अ तशयो से भी जुड़ी ह। डेसमंड मॉ रस ने एक शोध
कया, जसम उ ह ने एक बनावट थ त म नुस को अपने मरीज़ से उनक सेहत के बारे म
झूठ बोलने को कहा। झूठ बोलने वाली नस सच बोलने वाली नस के मुकाबले कई बार अपने
हाथ को चेहरे पर ले गई। झूठ बोलते समय ी–पु ष बार–बार थूक गटकते ह, ले कन पु ष
क यह हरकत उनके बड़े कंठ के कारण प तौर पर दखाई दे ती है।
झूठ बोलना मु कल य है
जैसा क हमने अ याय 3 म कहा क अ धकतर लोग का मानना है क झूठ बोलते ए लोग
सामा य से यादा मु कुराते ह, जब क शोध से इसके उलट प रणाम मले ह क वे लोग कम
मु कुराते ह। झूठ बोलने के साथ मु कल यह है क अवचेतन म त क वत: काम करता है, जो
हमारे शा दक झूठ से अलग काम करता है और हमारे शारी रक हावभाव से हमारी चोरी पकड़ी
जाती है। यही कारण है क कम झूठ बोलने वाले लोग ब त व सनीय ढं ग से झूठ बोलने के
बावजूद आसानी से पकड़े जाते ह। उनके झूठ बोलते ही उनका शरीर वरोधाभासी संकेत भेजने
लगता है और उससे हम जान जाते ह क वे सच नह बोल रहे ह। झूठ के दौरान अवचेतन
म त क नवस ऊजा भेजता है, जो ऐसी मु ा के प म सामने आती है जो कही गई बात के
वपरीत काम करती है। राजनी त , वक ल, कलाकार और ट वी अनाउंसर जैसे पेशेवर झूठ
बोलने वाले लोग ने अपनी बॉडी ल वेज को इतना प र कृत कर लया है क उनके झूठ को
‘दे खना‘मु कल हो जाता है और लोग उनके झाँस े म आ जाते ह।
वे इसे इनम से कसी एक तरीके से करते ह। पहला, वे झूठ बोलते समय सही ‘महसूस’
होने वाली मु ा का अ यास करते ह, ले कन यह तभी कारगर होता है जब उ ह ने लंबे समय
तक ब त सारे झूठ बोलने का अ यास कर लया हो। सरा, झूठ बोलते समय वे मु ा या
शारी रक हावभाव को कम कर दे त े ह, ता क कसी सकारा मक या नकारा मक मु ा का
इ तेमाल न हो। यह करना ब त मु कल होता है।
1. मुँह ढकना
छलकपट भरे श द को बाहर आने से रोकने के लए अवचेतन प से म त क हाथ को मुँह पर
ले जाने का नदश दे ता है। कई बार केवल कुछ उंग लय या मु को मुह
ँ पर ले जाया जाता है,
ले कन उसका मतलब वही रहता है।
मुँह ढकना
2. नाक छू ना
इसम नाक के नीचे कई बार हाथ रगड़ा जाता है या फर इसे इतनी तेज़ी से कया जाता है क
यह नजर म नह आता। पु ष के मुकाबले म हलाएँ इसे धीरे करती ह, शायद वे अपना मेकअप
खराब नह करना चाहत ।
नाक छू ना
बॉडी इमे जग कैमर क मदद से ए अ ययन से पता चला है क कसी पु ष ारा झूठ
बोले जाने पर खून का दौरा बढ़ जाने पर उसका श भी फूल जाता है। शायद ड यूरी को
बल क पतलून उतारकर दे खनी चा हए थी।
ड यूरी ॉ स यूटर : ‘ म. लंटन – चकन (चूज)े ने सड़क पार य क ?’
बल लंटन : ‘ चकन से आपका या मतलब है? या आप उसक प रभाषा
दे सकते ह ? मने उस चकन के साथ सड़क पार नह क ।’
3. नाक खुजलाना
नाक पर हो रही खुजली को रगड़कर या खर चकर र कया जा सकता है, जो क हौले से नाक
को छू ने से काफ़ अलग होता है। मुँह ढकने क तरह नाक छू ने का इ तेमाल व ा ारा अपने
छल को छपाने और ोता ारा व ा के श द के त अ व ास करने के लए कया जा
सकता है। खुजली बार–बार क जाती है और कसी क पूरी बात से उसका कोई तालमेल
नह होता और उसका कोई संदभ भी नह होता।
4.आँख रगड़ना
‘बुरा मत दे खो,’ एक समझदार बंदर ने कहा। जब कोई ब चा कोई चीज़ नह दे खना
चाहता तो वह एक या दोन हाथ से अपनी आँख छपा लेता है। जब कोई बड़ा ऐसा नह
करना चाहता तो वह अपनी आँख मसलता है। आँख मसलकर म त क छल, संदेह या
अ चकर चीज़ को र रखने क को शश करता है या जस से झूठ बोला जा रहा है, उसे
दे खने से बचने क को शश करता है। पु ष अ सर ब त ज़ोर से आँख मसलते ह और बड़ा झूठ
होने पर कह और दे खने लगते ह। म हला ारा ऐसा कए जाने क संभावना कम होती है,
य क उनक परव रश के दौरान उ ह सखाया जाता है क उ ह भारी–भरकम मु ाएँ नह
अपनानी चा हए या फर अपने मेकअप को खराब होने से बचाने के लए वे आँख को कम
मसलती ह। ोता क नज़र से बचने के लए वे और कह दे खती ह।
आँख रगड़ना
‘लाइंग ू योअर ट थ’ यानी साफ़ झूठ बोलना एक आम कहावत है। यह ऐसे मु ा समूह
क ओर इशारा करती है, जसम दाँत भ चकर नकली मु कान के साथ आँख को मसला जाता
है। फ मी कलाकार इस मु ा का इ तेमाल बेईमानी का भाव दखाने के लए करते ह और
इं लश जैसी कुछ ‘ श ’ सं कृ तय म इसका इ तेमाल यह जताने के लए कया जाता है क
जो कुछ सोच रहा है, उसे आपको नह बताना चाहता।
5. कान पकड़ना
मान ली जए क आप कसी से कह रहे ह, ‘इसक क मत सफ़ 300 पाउंड ह’ और वह
अपने कान पकड़ते ए कह और दे खते ए आपसे कहता है, ‘मेरे हसाब से यह ब ढ़या सौदा
है।’ यह सुनने वाले ारा ‘बुरा मत सुनो’ का तीका मक यास है। वह अपने कान पर या उसके
आसपास हाथ रख कर या कान क लव को छू कर सुने गए श द को रोकने क को शश करता
है। यह कसी ब चे ारा माँ–बाप क फटकार सुनने से बचने के लए दोन हाथ को कान पर
रखने का बड़ ारा इ तेमाल का एक व प है। कान पकड़ने के अ य प ह, कान के पीछे
हाथ रगड़ना, उँगली के छोर को कान म डालकर आगे–पीछे करना, लव को ख चना या समूचे
कान को आगे लाकर कान के छे द को बंद करना।
“म यह नह सुनना चाहता”
6. गला खुजलाना
अ सर लखने वाले हाथ क तजनी से कान क लव के नीचे गदन को खुजलाया जाता है।
हमारे अ ययन के मुता बक एक औसतन पाँच बार ऐसा करता है। ऐसा ब त कम होता है
क पाँच से यादा बार या इससे कम बार ऐसा कया जाए। यह मु ा संदेह या अ न तता का
संकेत है और यह ऐसे इंसान का ल ण है, जो कहता है, ‘म प का नह सकता क म सहमत
ँ।’ श द के वरोधाभास से यह मु ा ब त प दखाई दे ती है, उदाहरण के लए, अगर कोई
गदन खुजलाते ए कह रहा हो, ‘म समझ सकता ँ क तुम कैसा महसूस कर रहे हो’ तो यही
संकेत मलता है क वह सचमुच आपक थ त नह समझता।
अ न तता दखाना
7. कॉलर ख चना
डेसमंड मॉ रस ने पहली बार यह खोज क क झूठ बोलने से चेहरे और गदन के कोमल ऊतक
म सहरन होती है और उसे रगड़ने या खुजलाने क ज़ रत पड़ती है। यह न केवल उन लोग के
लए सही है, जो अ न तता म अपनी गदन खुजलाते ह, ब क यह इस बात का प ीकरण भी
है क कुछ लोग झूठ बोलने पर और यह संदेह होने पर क वे पकड़े गए ह, अपना कॉलर य
ख चते ह। जब झूठ बोलने वाले को लगता है क आपको संदेह है क वह सच नह बोल रहा, तो
छल से बढ़े र चाप के कारण उसक गदन पर पसीना आता है।
कॉलर के नीचे गम
महसूस होना
ऊब
जब ोता अपने हाथ का इ तेमाल सर को सहारा दे न े के लए करने लगता है तो यह इस बात
का संकेत है क उसे ऊब होने लगी है और वह सर को हाथ से सहारा दे कर खुद को सोने से
बचाने क को शश कर रहा है। ोता क ऊब और उसक बाँह और हाथ ारा सर को सहारा
दे न े क सीमा के बीच सीधा संबंध है। इसक शु आत अ सर अँगठ ू े से ठोड़ी को सहारा दे न े से
होती है और फर दलच पी घटने पर कलाई का सहारा दया जाता है। दलच पी के ब कुल
कम होने जाने को हाथ से पूरी तरह सर को सहारा दे न े के प म दे खा जा सकता है ( च दे ख)
और ऊब होने का अं तम संकेत तब सामने आता है जब सर को हाथ का पूरा सहारा हो और
खराटे क आवाज सुनी जा सकती ह ।
हाथ से सर को सहारा दे कर सोने से बचा जा रहा है
मू याँकन मु ाएँ
ठोड़ी या गाल पर पर टके बँध े ए, हाथ और तजनी के ऊपर क ओर होने से मू याँकन का पता
चलता है। जब इंसान क दलच पी ख म होने लगती है, ले कन फर भी वह श ता के कारण
दलच पी का दखावा करना चाहता है तो थ त म बदलाव आता है और ऊब बढ़ने पर हथेली
का छोर सर को सहारा दे ने लगता है।
दलच पी वाला मू याँकन – सर अपने सहारे होता है और हाथ गाल पर टका होता है
हाथ से सर को सहारा दे न े के बजाय उसे हौले से गाल पर रखकर असली दलच पी दखाई
जाती है। जब गाल पर रखी तजनी ऊपर क ओर होती है और अँगठ ू े से ठोड़ी को सहारा दया
जाता है, तो इसका अथ है क व ा या उसके वषय को लेकर ोता क सोच नकारा मक या
आलोचना मक है। नकारा मक सोच के दौरान कई बार तजनी से आँख को रगड़ा या ख चा
जाता है।
वे ऊब चुके ह या भा वत नह ह
ठोड़ी सहलाना
अगली बार जब आपको लोग के समूह के सामने अपना वचार तुत करने का मौका मले तो
अपना वचार रखते समय उ ह यान से दे खएगा, शायद आप उनम से अ धकतर लोग को
अपने एक हाथ को चेहरे पर ले जाकर मू याँकन मु ा अपनाते दे ख। अपने ेजटे शन के आ खर
म जब आप उस समूह को अपने वचार या सुझाव दे न े के लए कहगे तो उनक मू याँकन मु ाएँ
क जाएँगी और ठोड़ी सहलाना शु हो जाएगा। ठोड़ी सहलाना इस बात का संकेत है क ोता
नणय लेने क या से गुज़र रहा है।
नणय लेना
टालमटोल के मु ा समूह
कई बार कसी नणय पर प ँचने के दौरान च मा लगाने वाले लोग ठोड़ी को न सहलाकर च मा
उतारकर उसके एक सरे को मुँह म रखने क मू याँकन मु ा अपनाते ह। सगरेट पीने वाला
उसका कश लगता है। जब कोई नणय के बारे म पूछे जाने पर अपने मुँह म पेन या उंगली
डालता है, तो यह इस बात का संकेत है क वह अ न त है और उसे आ त चा हए। मुँह म
रखी चीज़ नणय को टालने म उसक मदद करती है और उसे महसूस कराती है क त काल
जवाब दे ने क ज़ रत नह है।
कई बार ऊब, मू याँकन और नणय लेने क मु ाएँ संयु प से सामने आती ह और
हर एक मु ा उस के रवैय े के व भ त व को दखाती है।
अगले च म मू याँकन मु ा ठोड़ी पर प ँच गई और हाथ अब भी ठोड़ी को सहला रहा
है। यह ताव का मू याँकन करते ए नणय तक प ँच रहा है।
दोहरा अथ
हमने एक नकली इंटर ू को रकॉड कया, जसम इंटर ू दे ने वाले ने सवाल पूछे जाने पर
अचानक अपने मुंह को ढक लया और अपनी नाक को रगड़ा। जवाब दे ने से कुछ सेकड पहले
उसने मुँह ढका और फर अपनी खुलेपन क मु ा म आ गया। तब तक इंटर ू के खेल म उसक
मु ा खुलापन लए थी उसके कोट के बटन खुले थे, हथे लयाँ दख रही थ , सर हल रहा था
और जवाब दे त े समय वह आगे क ओर झुक रहा था, इस लए हमने सोचा क हो सकता है क
वे मु ाएँ अलग–थलग ह और उनका कोई संदभ न हो। वी डयोटे प क समी ा करने पर हमने
उससे हाथ को मुँह पर ले जाने क मु ा के बारे म पूछा। उसने कहा क पूछे जाने पर उसने
सोचा क वह दो तरीके से जवाब दे सकता है : नकारा मक और सकारा मक। नकारा मक
जवाब के बारे म और उसके त इंटर ू लेन े वाले क त या के बारे म सोचते ही उसे अपने
मुँह को ढक लया। जब उसने सकारा मक जवाब के बारे म सोचा तो उसका हाथ मुँह से र
चला गया और उसके हावभाव म खुलापन आ गया। नकारा मक जवाब के बारे म इंटर ू लेने
वाले क संभा वत त या को लेकर उसक अ न तता के कारण उसने अचानक मुँह ढक
लया।
इससे प होता है क कतनी आसानी से मुँह पर हाथ ले जाने क मु ा का गलत अथ
नकालकर गलत प रणाम तक प ँचा जा सकता है।
अ याय 8
आँख के संकेत
समूचे इ तहास म हमने आँख और मानव वहार पर उनके भाव को लेकर ब त मह व दया
है। आँख के संपक से बातचीत नयं त होती है और भु व का सुराग मलता है, जैस े ‘उसने
मुझे नीची नगाह से दे खा‘या कसी झूठे इंसान पर शक करने का आधार मलता है, जैस े ‘मेरी
आँख म आँख डालकर कहो!’ हम कसी से मुलाकात करते ए यादा समय उस इंसान के
चेहरे को दे खते ह, इस लए आँख के इशारे कसी इंसान के रवैय े और वचार को पढ़ने के मामले
म ब त मह चपूण होते ह। जब लोग पहली बार मलते ह, तो वे दखाई दे ने वाली चीज़ के
आधार पर ही तेज़ी से अपनी राय बनाते ह। ‘उसने मुझे पैनी नज़र से दे खा’, ‘उसक आँख म
चमक थी’, ‘उसक आँख ब च जैसी ह’, ‘वह तोताच म है’, ‘उसक आँख नमं ण दे ती लगती
ह’ , ‘उसने का तलाना नज़र से उसे दे खा’, ‘उसक नज़र ठं डी थ ’ या ‘उसने मुझ े शैतानी नज़र
से दे खा’ जैसी कहावत का हम अ सर इ तेमाल करते ह। हम यह भी कहते ह क फ़लाँ इंसान
क बेट डे वस आईज़, पै नश आईज़ (ये सभी मश र गाने ह), बेड म आईज़ (कामुक
नगाह), स त, नाराज़, ख़ाली, नजी, खी, खुश, नडर ठं डी, इ यालु, बेरहम और पैनी आँख
ह। जब हम इन कहावत या वा यांश का इ तेमाल करते ह, तो अनजाने ही इंसान क पुत लय
के आकार और उसक नज़र के बताव क बात कर रहे होते ह। इंसान के सभी संचार संकेत म
आँख सबसे यादा सारग भत और अचूक हो सकती ह, य क वे शरीर का क ब होती ह
और पुत लयाँ चेतन नयं ण से अलग काम करती ह।
‘बीडी’ आईज़
बेड म आईज़
पुतली परी ण कर
पुत लय के फैलने का अथ नकालने क यो यता म त क म वाभा वक तौर पर होती है और
यह ब कुल वतः ही होती है। इसका परी ण करने के लए च (बी) को छपाकर कसी को
च (ए) म मौजूद ‘पुत लय ‘को लगातार दे खने को कह। फर उ ह च (बी) दे खने को कह,
आप पाएँगे क कैसे च से मेल खाने के लए उनक पुत लयाँ फैल जाती ह, य क दमाग को
लगता है क वह उन आँख को दे ख रहा है, जो उसे आकषक समझती ह। पु ष के मुकाबले
म हला क पुत लयाँ उस चीज़ से संपक साधने के लए यादा तेज़ी से फैलती ह, जसे उनका
दमाग सरे क आँख समझता है।
च - ए
च - बी
भ ह उठाना
यह मु ा र से कया गया ‘हलो‘का अ भवादन संकेत है, जो ाचीनकाल से हर जगह इ तेमाल
होता रहा है। आई ाउ लैश या भ ह उठाना सावभौ मक है और इसका इ तेमाल सामा जक
अ भवादन के संकेत के प म बंदर और क पय ारा भी कया जाता है, जससे यही पु
होती है क यह एक ज मजात मु ा है। भ ह ब त कम समय के लए तेज़ी से उठती ह और फर
नीचे हो जाती ह। इसका मकसद चेहरे क ओर यान ख चना है, ता क प संकेत का आदान-
दान हो सके। केवल जापानी सं कृ त म ही इसका इ तेमाल नह कया जाता, य क वहाँ इसे
अनु चत या अ श माना जाता है और इसके यौन न हताथ भी होते ह।
भ ह उठाना
यह अ य क उप थ त को वीकारने का एक अवचेतन संकेत है और शायद
आ यच कत होने पर क गई भय त या है, या यह कहना है क ‘म तुमसे हैरान और डरा
आ ‘ँ , जसका अथ है क ‘म तु हारी उप थ त वीकार करता ँ और तुमसे डरा आ नह
ँ। ‘सड़क पर गुज़रते ए अजन बय और नापसंद कए जाने वाले लोग के साथ हम ऐसा नह
करते। जो लोग आरं भक अ भवादन पर भ ह उठाने क मु ा नह अपनाते उ ह आ ामक माना
जाता है। इस साधारण से परी ण को आज़माकर आप खुद आई ाउ लैश क जबरद त
ताकत को समझ सकते ह। कसी होटल क लॉबी म बैठकर हर आने-जाने वाले को दे खकर
अपनी भ ह ऊपर कर। आप पाएँगे क न केवल जवाब म लोग ऐसा ही करते और मु कुराते ह,
ब क कई लोग आपसे बात करने लगते ह। बु नयाद नयम यही है क ऐसा केवल उन लोग को
दे खकर कर, ज ह आप पसंद करते ह या ज ह आप चाहते ह क वे आपको पसंद कर।
आँख को फैलाना
भ ह नीचे करके इंसान भु व या अ य लोग के त आ ामकता दखाते ह, जब क उ ह
चढ़ाकर समपण दखाया जाता है। क टग ड क टग ने पाया क क पय व बंदर क कुछ
जा तयाँ इसी उ े य के लए ब कुल इ ह मु ा को अपनाती ह। उ ह ने यह भी पाया क
जो लोग जानबूझकर अपनी भ ह उठाते ह, उ ह मनु य एवं क पय ारा द बू माना जाता है
और भ ह को नीचे करने वाल को आ ामक माना जाता है।
वाय मेन लाय ड वमेन ाय (ओरायन) म हमने दखाया क कैसे न हे शशु जैसा
दखने के लए ‘बेबी फ़ेस‘बनाने के लए म हलाएँ अपनी भौह व पलक को उठाकर अपनी
आँख को चौड़ा करती ह। इससे पु ष पर ब त ज़बरद त असर पड़ता है और उनके म त क
म कुछ ऐसे हाम स ा वत होते ह, जो मादा को बचाने और उनक सुर ा करने के लए उ ह
उ त करते ह। म हलाएँ अपनी भौह के आकार को माथे पर थोड़ा ऊँचा कर के अ धक वन
या द बू दखती ह, य क अवचेतन तर पर वे जानती ह क ये पु ष को पसंद आता है। पु ष
ारा अपनी भौह क काँट-छाँट ऊपर से नीचे क ओर क जाती है, ता क आँख संकरी और
अ धक भु वशाली लग।
सेस डायना अपने वैवा हक संकट के दौरान ऊपर दे खने के मु ा समूह का इ तेमाल
कर नया क समानुभू त जगाती थ
सस डायना ऊपर क ओर दे खते ए ब त ही नफ़ासत से अपनी ठु ी को नीची कर अपनी
नाजुक गदन को सामने करती थ । ब च जैसी यह मु ा लाख -करोड़ लोग म मातृ व और
पतृ व क भावना जगाती थी, खासकर तब जब वे टश शाही प रवार के नशाने पर होती थ ।
इन समपण मु ा का इ तेमाल करने वाले लोग अ सर जानबूझकर इनका अ यास नह करते,
ले कन यह ज़ र जानते ह क इनके इ तेमाल से उ ह सही प रणाम मलते ह।
पु ष कैसे आक षत होते ह
चेहरे का भूगोल
आमने-सामने बातचीत करते ए नज़र के दायरे म दखता के चेहरे और शरीर का
भौगो लक े उसके प रणाम पर ब त बड़ा असर डालता है।
अगले भाग को पढ़ने के बाद बना कसी को बताए हमारी तकनीक को आज़माने क
को शश करके आप इनके ज़बरद त असर को खुद ही महसूस कर सकते ह। ह ते भर तक
आँख क इन तकनीक का अ यास कर आप दे खगे क ये आपके आपसी संचार का सामा य
ह सा बन जाएँगी। टकटक लगाकर दे खने के तीन बु नयाद तरीके ह। सामा जक (सोशल
गेज़), अंतरंग (इं टमेट गेज़) और श (पावर गेज़ ।)
1. सोशल गेज़
टकटक लगाकर दे खने को लेकर कए गए योग से उजागर आ है क सामा जक मेलजोल के
दौरान कसी क आँख सरे के चेहरे के कोणीय ह से यानी आँख और मुंह के बीच
लगभग 90 तशत समय तक दे खती ह।
(सोशल गेज़ का े )
2. इं टमेट गेज़
जब लोग थोड़ी री से एक- सरे तक प ँचते ह तो वे तेज़ी से सरे के चेहरे और उसके
लग को जानने के लए शरीर के नचले ह से को पहले दे खते ह और फर उनम अपनी
दलच पी के तर को आँकने के लए सरी बार दे खते ह। यह नज़र आँख के पार और ठु ी के
नचले ह से से के शरीर के नचले ह से तक जाती है। ब त नज़द क मुलाकात म यह
आँख और छाती के बीच का कोणीय ह सा होता है और र से दे खने के मामले म यह आँख
से लेकर ॉइन ( ो ण े ) तक या उससे नीचे तक होता है।
ी- पु ष इसका इ तेमाल एक- सरे म दलच पी दखाने के लए करते ह और
दलच पी रखने वाले लोग जवाब म नज़र मलाते ह हम अ सर दो बार सरसरी नगाह डालते ह
और फर लोग के चेहरे को दो बार दे खते ह। अ धकतर लोग ारा मना कए जाने के बावजूद
हमारे छपे ए कैमर से ए अ ययन से उजागर आ है क हर कोई, यहाँ तक क न स भी,
ऐसा ही करती ह।
जैसा क हमने पहले भी कहा क म हला के पे रफेरल वज़न (प रधीय ) का
दायरा ब त व तृत होने के कारण वे कसी पु ष को ऊपर से नीचे तक दे ख सकती ह और
कसी को पता भी नह चलता । अपने टनल वज़न (सुरंग ) के कारण पु ष म हला को
ब त साफ़ तौर पर ऊपर से नीचे तक दे खते ह। पु ष पर म हला को नज़द क से घूरने के
आरोप का एक कारण यह भी हो सकता है, जब क म हला ारा घूरे जाने के बावजूद उन पर
ऐसा आरोप ब त कम लगता है। इसका यह मतलब नह क पु ष यादा घूरते ह, ब क यह है
क उनके टनल वज़न के कारण वे पकड़े जाते ह।
अंतरंग े
पावर गेज़
अगर आप अपनी नज़र उनक आँख के तर से नीचे न कर तो दबाव बना रहेगा। दो ताना
रोमां टक मुलाकात म इसे ब कुल न या आज़माएँ। ले कन यह उस के लए ब कुल
उपयु है, जसे आप डराना चाहते ह या जो चुप न हो रहा हो।
इसके लए अपने कंध को थर रखकर पहले अपनी आईबॉ स (ने गोलक ) को हलाएँ और
फर अपने सर को घुमाएँ। आन ड ा ज़नेगर ने द ट मनेटर म इसी पावर टे अर को अपनाया
था, इससे हमलावर के दल दहल जाते ह। वैसे बेहतर यही है क आप सफ खुश मज़ाज लोग
से ही संपक रख, ता क आपको कभी पावर टे अर का इ तेमाल ही न करना पड़े ।
एक नेता क कहानी
जब कोई बात करते ए इधर-उधर दे खता रहता है या आँख म सीधे नह दे खता, तो उस
क व सनीयता पर हमारा भरोसा नाटक य ढं ग से कम हो जाता है, जब क संभव है क वह
शम लेपन के कारण ऐसा न कर पा रहा हो। हमारे पास एक ऐसा नेता आया, जो इंटर ू
दे न े के मामले म अनाड़ी था और इंटर ू दे न े के दौरान रपोटर और कैमर के बीच अपनी नज़र
घुमाता रहता था। इससे न पर वह धूत दखाई दे ता था और हर बार ट वी पर आने पर उसक
लोक यता घट जाती थी। हमने उसे कैमरे को नज़र अंदाज़ कर केवल रपोटर को दे खने को
कहा और उसक व सनीयता बढ़ गई। एक अ य नेता को हमने कहा क टे ली वज़न पर बहस
म भाग लेत े ए वह टू डयो म बैठ जनता पर यान न दे कर केबल टे ली वज़न कैमरे को दे ख।
टू डयो म मौजूद 150 लोग भले उससे र ए ह , ले कन ट वी दे खने वाले लाख दशक को
लगा क वह सीधे उनसे बात कर रहा है और वे उससे ब त भा वत ए।
समाधान
जब कभी आप इंटर ू के लए जाएँ तो हाथ मलाकर इंटर ूअर को दो-तीन सेकड का समय
द, ता क वे आपको अ छ तरह दे ख सक। अपना ीफ़केस या फ़ो डर खोलने के लए नीचे दे ख
या मह वपूण काग़ज़ को ठ क कर, कोट टाँगने के लए मुड़ या कुस को नज़द क लाने के लए
ख च और फर ऊपर दे ख। से स इंटर ू फ़ माने के दौरान हमने पाया क इससे न केवल
इंटर ू अ छे रहे, ब क इस रणनी त को अपनाने वाले से स के लोग को बेहतर से स प रणाम
मले।
आप कस ओर दे ख रहे ह?
कसी क आँख क ग त व धय से पता चल जाता है क उनका दमाग कस चीज़ पर
यान लगा रहा है, वह दे खी ई, सुनी ई, सूँघी गई, वाद ली गई या छु ई गई चीज़ को याद करने
क को शश कर रहा है। अमे रक मनोवै ा नक ाइंटर और बडलर ने इस तकनीक का वकास
कया है, जसे यूरो ल व टक ो ा मग या एनएलपी कहा जाता है।
साधारण श द म, अगर कोई दे खी ई चीज़ को याद कर रहा है, तो उसक
आँख ऊपर क ओर घूमगी। अगर वह सुनी ई बात को याद कर रहा है तो वह सर को एक ओर
झुकाकर उस तरफ़ दे खेगा जैसे क कुछ सुन रहा हो। अगर वह कसी एहसास को याद
कर रहा है तो वह नीचे दा तरफ़ दे खेगा। य द वह ख़ुद से बात कर रहा है तो वह नीचे दा
ओर दे खेगा।
मु कल यह है क आँख क ये हरकत एक सेकड के ब त छोटे से तौर पर ह से म होती ह
और अ य मु ा के साथ होती ह, जससे सीधे तौर पर य पढ़ना क ठन होता है।
वी डयोटे प को दे खने से आप उस क बोली ई बात और उसक असली सोच म अंतर को
दे ख सकते ह।
पतीस तशत लोग वजुअल इ फॉमशन चैनल ( दखने वाली जानकारी) पसंद करते ह
और म दे ख सकता ं क आप या कहना चाहते ह’, ‘ या आप इसे दे ख सकते ह ?’, ‘यह तो
ब कुल प है’ या ‘ या आप मुझ े दखा सकते ह?’ जैसे वा य का इ तेमाल करते ह। ऐसे
लोग को त वीर, चाट् स और ा स दखाकर आप उनका यान अपनी ओर ख च सकते ह और
उनसे पूछ सकते ह क उ ह सही त वीर मली या नह ।
प चीस तशत लोग ऑ डटरी चैनल (सुनकर मली जानकारी) पसंद करते ह और
‘इससे दमाग़ क घंट बजी’, ‘म आपको सुन सकता ’ँ ‘यह सुनने म ठ क नह लगता’ और वे
आपके साथ ‘सही सुर’ म ह, जैस े श द का योग करते ह। अ य चालीस तशत लोग
फ़ ल स चैनल (महसूस करके मली जानकारी) पसंद करते ह और ‘इस वचार को अपनाते ह’,
‘हमारे डपाटमट को ो साहन क ज़ रत है’ और ‘म आपक बात समझ नह पा रहा’ जैसी
बात कहगे। उ ह चीज़ का परी ण करना पसंद होता है और उ ह कसी परी ण म शा मल
करके पूछा चा हए क या ‘वे बात को समझ पाए’।
एनएलपी एक शानदार खोज और ज़बरद त संचार साधन है, जसे एक अलग वषय
मानना चा हए। हमारा सुझाव है क आप इस कताब म दए गए रे रस से शन म बताई गई
ाइंडर और बडलर क रचनाएँ पढ़कर इस वषय को समझने क को शश कर।
अमे रका म ए वॉटन अ ययन म पाया गया क वबल ेज़टे शन यानी शा दक तु तकरण से
मली जानकारी याद रखने का तशत केवल 10 था। इसका अथ है क शा दक तु तकरण
को असरदार बनाने के लए मु य ब को कई बार दोहराना पड़ता है। इसक तुलना म वबल
और वजुअल ेज़टे शन को मलाकर याद रखने क दर 50 तशत हो जाती है। इसका मतलब
है क वजुअल एड् स यानी य संबंधी सहायक चीज़ के इ तेमाल से कुशलता म 400 तशत
तक वृ हो सकती है। अ ययन म यह भी पाया गया क वजुअल एड् स के इ तेमाल से औसत
बज़नेस मी टग के समय को 25.7 मनट से घटाकर 18.6 मनट कया जा सकता है यानी समय
क 28 तशत बचत होती है।
पावर ल ट
कसी इंसान क नज़र को काबू म रखने के लए तथा ेज़टे शन क ओर इशारा करने के लए
पेन का इ तेमाल कर और उसी समय दखने वाली बात को श द से कर। फर पेन को
ेज़टे शन से उठाकर उसे अपनी और उसक आँख के बीच म रख। इससे उसका सर उठ
जाएगा और वह आपक तरफ़ दे खकर आपक बात को दे खेगा और सुनेगा, जससे आपक
अ धकतर बात उस तक प ँच सकेगी। बोलते ए अपनी सरी हथेली खुली रख।
सारांश
आमने-सामने क बातचीत पर इस बात का ब त असर पड़ता है क आपक नज़र कहाँ जमी ह।
य द आप मैनेजर ह और अपने मातहत कसी लापरवाह कमचारी को डाँटने वाले ह या माता/
पता ह जो अपने ब चे को डाँटने वाले ह, तो आपक कैसी होगी ? य द आप सोशल ग ज़ग
अपनाएँगे तो आपक बात का कोई वज़न नह रह जाएगा, फर चाहे आप कतनी भी ज़ोर से
डाँटने क को शश कर। सोशल गे ज़ग आपके श द को कमज़ोर कर दे गी, जब क इं टमेट
गे ज़ग से वे डर या झप जाएँगे। पावर गे ज़ग का डाँट खाने वाले पर ज़बरद त असर पड़ेगा और
उसे प संदेश मलेगा।
नजी दायरा
अ धकतर ा णय के शरीर के आसपास एक न त हवाई े होता है, जसे वे अपना नजी
े मानते ह। यह दायरा कतना बड़ा होगा, यह इस बात पर नभर करता है क वह ाणी
कतनी भीड़भरी प र थ तय म पला-बढ़ा है और थानीय सं या का घन व कतना था।
इस लए थानीय प र थ तय के मुता बक नजी दायरा व तृत या संकु चत हो सकता है।
अ का के सु र े म पले-बढ़े शेर का े ीय दायरा उस े के शेर क सं या के घन व के
अनुसार 30 मील (50 कलोमीटर) तक या उससे अ धक हो सकता है। वह मल या मू याग
करके अपनी सीमाएँ नधा रत करता है। सरी ओर, अ य शेर के साथ पजरे म पले-बढ़े शेर
का नजी दायरा केवल कुछ याड (मीटर) का हो सकता है, जो क भीड़ भरी प र थ तय का
सीधा प रणाम है।
अ धकतर ा णय क तरह, हर इंसान का भी अपना नजी चलायमान अथात् या
पोटबल ‘एयर बबल’ (हवा का बुलबुला) होता है, जसे लेकर वह चलता है; इसका आकार उस
जगह के जनसं या घन व पर नभर करता है, जहाँ वह पला-बढ़ा है। पसनल पेस या नजी
दायरा सां कृ तक तौर पर नधा रत होता है। जापान जैसी सं कृ तयाँ भीड़भाड़ क आद ह,
जब क अ य सं कृ तयाँ खुल े ए े को पसंद करती ह और आपसे फ़ासला बनाए रखना
चाहती ह।
नजी े – पोटवल बबल, जसे हम अपने साथ लेकर चलते ह
े ीय रयाँ
अब हम ऑ े लया, यूज़ीलड, ेट टे न, उ री अमे रका, उ री यूरोप, क डने वया, कनाडा
या फर सगापुर, गुआम और आइसलड जैस े ‘पा ा यीकरण‘ वाले दे श के उपनगर म रहने
वाले म यमवग य लोग के आसपास के हवाई बुलबुले के दायरे पर वचार करगे। हो सकता है
क जस दे श म आप रहते ह , उनके े यहाँ बताए गए े से बड़े या छोटे ह , ले कन
आनुपा तक तौर पर वे ऐसे ही रहगे। 12 वष क आयु तक ब चे इस फ़ासले के बारे म सीख
जाते ह, इसे चार अलग-अलग इलाक म बाँटा जा सकता है :
1. अंतरंग े (इं टमेट ज़ोन) 6 से 18 इंच (15–45 सट मीटर) के बीच होता है। सभी े म
से यह सबसे मह वपूण है, य क कोई भी इंसान अपनी संप क तरह इसक र ा करता है।
भावना मक तौर पर हमारे नज़द क लोग ही इसम वेश पा सकते ह। ेमी, माता- पता, प त-
प नी, ब चे, नज़द क दो त, र तेदार और पालतू जानवर इनम शा मल ह। इसम शरीर के 6 इंच
(15 सट मीटर) दायरे तक का एक उप े होता है, जसम ब त अंतरंग संपक के दौरान ही
प ँचा जा सकता है। यह नज़द क अंतरंग े होता है।
2. नजी े (पसनल ज़ोन) 18 इंच से 48 इंच (46 सेमी – 1.22 मीटर) के बीच होता है। हम
कॉकटे ल पा टय , ऑ फ़स पा टय , सामा जक समारोह और दो ताना मह फ़ल म बाक लोग
से इतने फ़ासले पर खड़े होते ह।
नजी े क री
े ीय री के ावहा रक उपयोग
हमारे इं टमेट ज़ोन (6 से 18 इंच, 15–45 सेमी) म कोई इंसान इनम से कसी एक कारण से
वेश करता है : पहला, वह ब त नज़द क र तेदार या दो त है या फर वह यौन संपक क
को शश कर रहा हो; सरा, वह श ुतापूण हो और हमला करने वाला हो। हम अजन बय को
अपने पसनल और सोशल ज़ोन म आने दे ते ह, ले कन वे हमारे इं टमेट ज़ोन म आ जाए तो हमारे
शरीर म बदलाव आने लगते ह। दल ज़ोर से धड़कने लगता है, र म ए ेन लन बढ़ जाता है,
र म त क म जाने लगता है और हमारी मांसपे शयाँ संभा वत लड़ाई या भाग नकलने क
थ त के लए शारी रक तैयारी करने लगती ह।
इसका मतलब है क कसी ऐसे के गले म बाँह डालने से, जससे आपक अभी
मुलाकात ई हो, वह आपके त नकारा मक महसूस कर सकता है। यह और बात है क
वह मु कुराकर उसे झेल रहा हो, ता क आपको बुरा न लगे।
हम ल ट् स म जाना य नापसंद है
संगीत समारोह, सनेमा, रेल या बस म अनचाहे ही लोग के इं टमेट ज़ो स म घुसपैठ होती है
और ऐसे म लोग क त या दे खने लायक होती है। भीड़ भरी जगह , जैस े लोग से खचाखच
भरी ल ट म, कसी सड वच शॉप क कतार म या सावज नक प रवहन म सफ़र करते ए,
अ धकतर सं कृ तय म लोग कुछ नयम का पालन करते ह।
ल ट म चलने के कुछ आम नयम इस कार ह :
ऐसा बताव ‘मा कंग’ यानी भावना को छपाना कहलाता है और यह हर जगह आम है। यह
एक न प मुखौटा पहनकर अपनी भावना को अ य लोग से छपाने क को शश है।
हम अ सर त समय म सावज नक प रवहन से सफ़र करते लोग का वणन करने के
लए ‘ खी’, ‘नाख़ुश’ और ‘उदास’ जैसे श द का इ तेमाल करते ह। इनके ारा हम या य के
ख़ाली, भावनाशू य चेहर का वणन करते ह, ले कन यह दरअसल दे खने वाले क ग़लत धारणा
है। जो कुछ दखाई दे ता है, वह असल म लोग ारा अपनी भावना को छपाने क को शश है,
ऐसा करके वे उन नयम का पालन कर रहे होते ह, जो भीड़भरी जगह म उनके इं टमेट ज़ोन म
होने वाली अप रहाय घुसपैठ पर लागू होते ह।
अगली बार भीड़ भरे सनेमा म अकेले जाने पर अपने बताव पर गौर कर। अजनबी चेहर से
घरी ई अपनी सीट चुनते ए गौर कर क कस तरह एक ी- ो ा ड रोबोट क तरह आप भी
भीड़भाड़ वाली जगह म अपनी भावनाएँ छपाने के अ ल खत नयम का पालन करना शु
कर दगे। अपनी सरी ओर बैठे अजनबी के साथ कुस के ह थे के लए मुकाबला करते ए आप
समझ जाएँग े क अ सर सनेमा म अकेले जाने वाले लोग य लाइट बंद होने और फ़ म शु
हो जाने पर ही अपनी सीट पर य प ँचते ह। हम चाहे भीड़ भरी ल ट म ह , सनेमा हॉल म
या फर बस म, आसपास के लोग हमारे लए अ त वहीन हो जाते ह, यानी हमारे लए उनका
कोई वजूद नह रहता। इस लए जब कोई हमारे दायरे म घुसपैठ करता है, तब भी हम इस तरह
त या नह करते, जैसे हम पर हमला कया जा रहा हो।
भीड़ ो धत य हो जाती है
कसी साझे उ े य से जुट गु सैल भीड़ या दशनका रय के समूह का बताव उस से
अलग होता है, जसके दायरे म घुसपैठ ई हो; ब क इसम अलग कुछ घ टत होता है। भीड़
बढ़ने के साथ हर का नजी दायरा कम होता जाता है और वह मनी का भाव महसूस
करने लगता है। यही कारण है क भीड़ बढ़ने के साथ ही अ धक गु सैल व ख़तरनाक होती जाती
है और झगड़ क आशंका होने लगती है। पु लस भीड़ को ततर– बतर करने क को शश करती
है, ता क हर कसी को अपना नजी े मल जाए और वह शांत हो जाए।
हाल के वष म ही सरकार और शहर क योजना बनाने वाल को समझ आने लगा है
क उ च घन व वाली आवास प रयोजनाएँ कैसे लोग को उनके नजी े से वं चत करती ह।
अमे रका म चैज़ापीक बे म मैरीलड के तट से लगभग एक मील (2 कलोमीटर) र मौजूद जे स
प पर हरन के एक अ ययन से उ च घन व म रहने और अ य धक भीड़भाड़ से होने वाले
प रणाम सामने आए। वहाँ पर बड़ी सं या म हरन क मौत हो रही थी, जब क वहाँ उनके लए
पया त भोजन था, उनके शकारी नह थे और कोई सं मण भी मौजूद नह था। चूह और
खरगोश पर ए इसी तरह के अ ययन से यही वृ सामने आई। अ धक खोजबीन से पता
चला क हरन अ त स य ए ीनल ं थ के कारण मारे गए, जो हरन क सं या बढ़ने के साथ
हर हरन के नजी े के कम हो जाने से पैदा ए तनाव का प रणाम था। शरीर क बढ़ोतरी,
जनन और सुर ा को नयं त करने म ए ेनल ं थ मह चपूण भू मका नभाती है। अ य धक
सं या बढ़ने के कारण पैदा ए तनाव के त ई शारी रक त या के कारण मौत ई, न क
भूख, सं मण या अ य हरन क आ ामकता के कारण यही कारण है क उ च जनसं या
घन व वाले इलाक म सबसे अ धक अपराध होते ह और हसा क दर अ धक होती है।
दे श और शहर के री संबंधी े
जैसा क बताया जा चुका है कसी क पसनल पेस क ज़ रत और उसके नवास थान
के जनसं या घन व के बीच संबंध होता है। खुल े ए कम जनसं या वाले ामीण े म पले–
बढ़े लोग को सघन जनसं या वाले शहर म पले-बढ़े लोग के मुकाबले अ धक पसनल पेस क
ज़ रत होती है। हाथ मलाने के लए कोई कतनी र तक अपनी बाँह ले जाता है, इससे
संकेत मल जाता है क वह बड़े शहर से है या फर कसी ामीण े से। शहर के लोग का
अ सर 18 इंच (46 सेमी) का नजी ‘बबल’ होता है; हाथ मलाने के लए उसे बढ़ाते ए उनक
कलाई और धड़ के बीच क री भी यही होती है।
शहर के दो लोग एक- सरे का अ भवादन करते ए, उनके हाथ 18 इंच (46 सेमी)
तक बढ़ते ह
ामीण लोग के पैर ज़मीन पर मज़बूती से टके होते ह और आपसे हाथ मलाते ए वे आगे क
ओर झुकते ह, जब क शहर का आपसे अ भवादन करते ए आगे कदम बढ़ाएगा। सु र
इलाक म पले-बढ़े लोग क पसनल पेस क ज़ रत 18 फ ट (6 मीटर) तक बड़ी हो सकती
ह। वे अ सर हाथ मलाने के बजाय फ़ासले से हाथ हलाना पसंद करते ह।
शहर म रहने वाले खेती-बाड़ी के उपकरण बेचने वाले से स के लोग के लए ामीण इलाक के
कसान से मुलाकात म यह जानकारी काम आती है। मान ली जए क एक कसान का ‘बबल’
3 से 6 फ ट (1–2 मीटर) या अ धक है, ऐसे म हाथ मलाने को े ीय घुसपैठ के प म दे खा
जा सकता है, जसके कारण कसान नकारा मक या र ा मक त या दे सकता है। दे हात म
सफलतापूवक काम करने वाले से स के लोग ने लगभग सवस म त से माना है क सबसे अ छे
हालात तब होते ह, जब वे र से हाथ बढ़ाकर ामीण ाहक का अ भवादन करते ह और सु र
इलाके म रहने वाले कसान का अ भवादन र से हाथ हलाकर करते ह।
े और वा म व
कसी के वा म व वाली जायदाद या उसके ारा यु े उसका नजी इलाका होता है
और वह उसक वैस े ही र ा करता है, जैस े क अपने नजी बुलबुल े क करता है। एक का
घर, द तर और कार उसके इलाके का त न ध व करते ह और हर कसी क द वार, फाटक,
चारद वारी और दरवाज़ के प म न त सीमा या घेरा होता है। हर इलाके म कई उप े हो
सकते ह। उदाहरण के लए, घर म मौजूद रसोईघर उस का नजी े हो सकता है और
वह कसी के उसम वेश और उसके इ तेमाल को लेकर आप कर सकता है; बज़नेसमैन क
य जगह उसक कॉ स टे बल होती है, कैफ़े म जाने वाल क वहाँ पर कोई पसंद दा सीट
होती है या फर घर म माता– पता क कोई य कुस होती है। इन जगह पर या इनके आसपास
अपनी नजी चीज़ रखकर या फर इनका अ सर इ तेमाल कर े को च हत कया जाता है।
कैफ़े म जाने वाला ‘अपनी’ जगह पर अपने नाम के कुछ अ र लखने क हद तक जा
सकता है और बज़नेसमैन अपने कॉ स टे बल पर पसनल फ़ो डर, पेन, कताब आ द रखकर
और अपने इं टमेट ज़ोन क 18 इंच (46 सेमी) क सीमा पर मेज़पोश बछाकर अपने े को
च हत करता है।
डेसमंड मॉ रस ारा पु तकालय म बैठने क व था पर कए गए अ ययन से पता
चला क डे क पर अपनी कताब या नजी चीज़ छोड़कर जाने से वह जगह औसतन 77 मनट
के लए आर त हो जाती है और कुस पर जैकेट छोड़ दे ने से वह दो घंटे के लए आर त हो
जाती है। घर म प रवार का कोई सद य अपनी पसंद दा कुस को च हत करने के लए उस पर
या उसके आसपास हडबैग या प का जैसी कोई चीज़ छोड़कर उस े पर अपना दावा और
वा म व दखाता है।
अगर घर का मा लक कसी मेहमान को उसक जगह दखाता है, ले कन भूल से वह
ग़लत कुस पर बैठ जाता है, तो मा लक अपने े म घुसपैठ को लेकर आंदो लत हो सकता है
और र ा मक थ त म आ सकता है। ऐसे म साधारण सा सवाल ‘आपक कुस कौन सी है?’
पूछकर इस तरह क ग़लती के नकारा मक नतीज से बचा जा सकता है।
कार े
कार चलाते ए लोग क त या अ सर उनके सामा य सामा जक, े ीय वहार से काफ़
अलग होती है।
वाहन का कसी के पसनल पेस के आकार पर काफ़ बड़ा असर पड़ता है। कुछ
मामल म तो यह े सामा य आकार से 10 गुना तक बढ़ जाता है, और चालक को लगता है
क वह अपनी कार के आगे और पीछे के 25 से 30 फ ट (8–10 मीटर) तक के े पर दावा कर
सकता है। जब कोई अ य चालक उसके आगे आता है, चाहे वह ख़तरनाक न भी हो, तब भी इस
चालक म शारी रक बदलाव आ सकते ह, वह ो धत हो जाता है और सरे चालक पर हमला
भी कर सकता है, इसे हम ‘रोड रेज’ के नाम से जानते ह। अब इसक तुलना उस थ त से
क जए जब वही ल ट म घुसता है और कोई अ य उसके नजी े म घुसता
आ उससे पहले चला जाता है। ऐसे म म उसक त या सामा यतया मायाचना क होती है
और वह उस को पहले जाने दे ता है; यह उस थ त से पूरी तरह अलग है, जब वही
खुली सड़क पर उससे आगे नकल जाता है।
कार म बैठे ए ब त से लोग को लगता है क वे अ य
ह। इस लए वे लोग के सामने कुछ बेहद नजी हरकत
करते ह।
कुछ लोग के लए कार एक सुर ा मक कवच बन जाती है, जसम वे बाहरी नया से छप
सकते ह। पटरी के कनारे, लगभग गटर पर गाड़ी चलाते ए वे सड़क पर उतने ही जो खम भरे
हो सकते ह, जतने क व तृत पसनल पेस वाले चालक। अपनी थान संबंधी कम ज़ रत
वाले इटै लयन लोग पर अ सर सड़क पर ‘टे ल गेटर’ होने यानी सरी गाड़ी के ब त नज़द क
तक आने वाले और लगातार आगे बढ़ते रहने क को शश करने का आरोप लगता है, य क वे
बाक जगह पर सां कृ तक तौर पर वीकृत री से कम फ़ासले पर होते ह।
परी ण कर
अगले च को दे ख और उन दो लोग के बीच के फ़ासले को दे खकर नणय कर क उनके बीच
या प र य हो सकता है। कुछ साधारण से और दोन को गौर से दे खने पर सही जवाब
मल सकता है और आपको ग़लत धारणाएँ बनाने से बचने म मदद मल सकती है।
सारांश
लोग के पसनल पेस के त आपके स मान के मुता बक लोग आपको आमं त या अ वीकृत
करगे। यही कारण है क हर मलने वाले को धौल जमाने वाले या बातचीत के दौरान लोग को
छू ने वाले म तमौला क म के आदमी को हर कोई नापसंद करता है। कसी ारा सरे
के साथ बनाई गई री को ब त से कारक भा वत कर सकते ह, इस लए समझदारी इसी
म है क कसी ारा बनाए गए फ़ासले पर कोई राय दे ने से पहले हर मानदं ड पर गौर कर
लया जाए।
अ याय 10
माक अपनी टाई पर हाथ फेरते ए, नमकदानी को सहलाते ए टाँग फैलाकर वहाँ
बैठा रहा। उसने यान ही नह दया क पछले 20 मनट से म हला क टाँग उससे र
बँधी ई थी और बाहर नकलने के दरवाज़े क ओर मुड़ी ई थ ।
ठोस मेज़ के मुकाबले काँच के ऊपरी ह से वाली मेज़ से हम यादा तनाव होता है, य क
ऐसे म हमारी टाँग साफ़ दखती ह और हम नह लगता क सब कुछ हमारे काबू म है।
टाँग का उ े य
मानव म टाँग का वकास दो उ े य को पूरा करने के लए कया गया : भोजन के लए आगे
बढ़ने और ख़तरे से भागने के लए। मानव का म त क कुदरती तौर पर इन दो ल य को
समझता है - जो हम चाहते ह उसक ओर बढ़ना और जसे हम नह चाहते, उससे र भागना।
जस तरह से कोई इंसान अपने पैर व टाँग का इ तेमाल करता है, उससे पता चलता है क वह
कहाँ जाना चाहता है। अ य श द म, उनसे पता चलता है क वह बातचीत म शा मल
रहना चाहता है या उसे छोड़कर जाना चाहता है। खुली ई टाँग खुल े या भु वशाली रवैय े को
दखाती ह, जब क बँधी ई टाँग संक ण रवैय े या अ न तता को उजागर करती ह।
कसी पु ष म दलच पी न रखने वाली म हला छाती पर अपनी बाँह मोड़ लेगी और
अपनी टाँग को उससे र मोड़ लेगी, इस तरह वह उसे र रहने का संकेत दे गी, जब क
दलच पी लेन े वाली म हला खुल े शारी रक हावभाव अपनाएगी।
1. सावधान क मु ा
यह औपचा रक थ त है, जो कह आने या वहाँ से जाने क तब ता के बजाय तट थ रवैया
दखाती है। ी-पु ष का आमना-सामना होने पर इसका इ तेमाल म हला ारा यादा
कया जाता है, य क इसम टाँग ‘कोई ट पणी नह ’ के संकेत के तौर पर एक साथ होती ह।
व ाथ अपने अ यापक से व क न अ धकारी अपने व र अ धका रय से बात करते ए,
आम जनता शाही लोग से मलते ए और कमचारी अपने बॉस से बात करते ए इसका
इ तेमाल करते ह।
सावधान क मु ा
2. टाँग र रखना
जैसा क पहले भी बताया जा चुका है, यह मु यतया पु ष क मु ा है और यह खड़े होकर ॉच
डस ले (ऊ सं ध का दशन) करना है। ऐसा करने वाला अपने पैर मज़बूती से ज़मीन पर
रखता है और यह प संदेश दे ता है क उसका वहाँ से जाने का इरादा नह है। यह पु ष का
एक भु वशाली संकेत है, य क इसम जननांग सामने होते ह, जससे ॉच डस लेयर का
रवैया मदाना दखता है।
ॉच डस ले - मदानगी का दशन
पु ष खलाड़ी खेल के म यांतर म एक- सरे के साथ इस तरह खड़े होकर अपने ॉच को ठ क
करते दे ख े जा सकते ह। इसका खुजली से कोई लेना-दे ना नह है, ब क इससे पु ष को अपनी
मदानगी दखाने और एक समान काम करके ट म के प म एकता दखाने का मौका मलता है।
4. टाँग मोड़ना
अगली बार लोग के साथ मुलाकात करने पर आप गौर करगे क कुछ लोग के समूह अपनी
बाँह और टाँग मोड़कर खड़े ह। ब त यान से दे खने पर आप पाएँगे क वे एक- सरे से सामा य
सामा जक फ़ासले से भी अ धक री पर खड़े ह।
आदतन अपनी बाँह या टाँग मोड़ने वाले लोग यह मानने के बजाय क वे घबराहट, बेचैनी या
र ा मक महसूस करते ह, ठं ड को इसका कारण बताते ह। कुछ लोग के लए यह बस
‘आरामदे ह’ होता है। हो सकता है क यह सच हो, य क जब कोई र ा मक या असुर त
महसूस करता है तो उसे बाँह या टाँग को मोड़कर आराम मलता है और यह उसक
भावना मक अव था से मेल खाता है।
इसक शु आत बँधी ई थ त से होती है, बाँह और टाँग मुड़ी ई होती ह ( च 1)। एक- सरे
के साथ सहज महसूस करने के साथ संपक बनने लगता है, पहले टाँग खुलती ह और फर पैर
एक साथ होकर सावधान क मु ा म आ जाते ह। फर बाँह मोड़ने क मु ा म ऊपर रखा आ
हाथ नीचे आता है और बातचीत करते ए बीच-बीच म हथेली दखती है और बाधा के प म
उसका इ तेमाल नह कया जाता। हो सकता है क उसका इ तेमाल एक बाँह क बाधा वाली
थ त म सरी बाँह को पकड़ने म हो। फर दोन बाँह खुल जाती ह और एक बाँह से संकेत दए
जाते ह या उसे कू हे पर या फर जेब म रखा जाता है। आ ख़रकार, एक अपना पाँव आगे
ले जाता है, जो क सरे को वीकारना द शत करता है ( च 2)।
जब कोई टाँग व बाँह को साथ मोड़ता है, तो वह भावना मक तौर पर बातचीत से ख़ुद
को अलग कर लेता है और इस तरह बैठने वाले को राज़ी करने क को शश करना नरथक हो
सकता है।
बज़नेस के मामल म हमने पाया क बाँह व टाँग खुली रखकर बैठने वाले लोग के मुकाबले इस
तरह बैठे लोग छोटे वा य बोलते ह, अ धक ताव को ठु कराते ह और चचा म शा मल बात को
कम याद रख पाते ह।
टखने मोड़ना
इस मु ा को अपनाने वाले पु ष अ सर अपनी मु य को घुटन पर टकाकर उ ह कसकर बाँधे
रखते ह या अपने हाथ से कुस के ह थे को जकड़े रहते ह और साथ ही ॉच द शत ( च
दे ख) करते ह। म हला क मु ा थोड़ी अलग होती है, उनके घुटने साथ होते ह, पैर एक ओर हो
सकते ह और हाथ बगल म या फर टाँग के ऊपरी ह से पर, एक पर एक रखे हो सकते ह।
टखने मोड़ने के अ ययन के दौरान शु आती चरण म हमने पाया क सवाल पूछकर उ मीदवार
को शांत करके उनके टखन को खुलवाया जा सकता है। हमने जाना क अगर इंटर ू लेन े वाला
उ मीदवार के पास आकर उसक तरफ़ बैठकर डे क क बाधा को हटाता है तो इससे उ मीदवार
सहज महसूस कर अपने टखन को खोल दे ता है और बातचीत म यादा खुलापन व अपनापन
आ जाता है।
हम एक कंपनी को कारगर क टमर टे लीफ़ोन कॉ टै ट मामले म सलाह दे रहे थे क
तभी हमारी मुलाकात ऐसे आदमी से ई जो ऋण वसूली का काम करता था। हमने उसे फ़ोन
करते दे खा, उसक आवाज़ तो शांत लग रही थी, ले कन हमने गौर कया क ाहक से बात
करते ए कुस के नीचे उसके टखने लगातार बँध े ए थे, जब क हमसे बातचीत के दौरान उसने
ऐसा नह कया। हमारे पूछने पर क ‘आपको यह काम कैसा लगता है?’, उसका जवाब था,
‘ब ढ़या! ब त मज़ा आता है।’ वह दखने और बोलने म व सनीय लग रहा था, ले कन उसके
श द उसके नॉन-वबल संकेत से मेल नह खाते थे। हमने पूछा, ‘ या सचमुच ऐसा है?’ एक पल
ककर उसने अपने टखने खोले और खुली हथे लयाँ दखाते ए जवाब दया, ‘असल म यह
काम मुझे चकरा दे ता है!’ उसने कहा क दन भर म उसे ऐसे ाहक के फोन आते ह, जो अ श
और आ ामक होते ह और वह अपनी भावना पर काबू रखने का अ यास करता है, ता क
वह उ ह उनके लहज़े म ही जवाब न दे । हमने ऐसे से सक मय के अनुभव भी रकॉड कए, जो
टे लीफोन कॉल पसंद नह करते और अ सर टखने मोड़कर बैठते ह।
छोट कट क सम या
मनी कट पहनने वाली म हलाएँ प और आव यक कारण से अपनी टाँग और टखन को
मोड़ती ह। अपनी पुरानी आदत से मजबूर बूढ़ याँ भी इसी थ त म बैठती ह, जससे न
केवल वे औपचा रक महसूस करती ह, ब क बाक लोग भी अनजाने ही इसे नकारा मक
समझते ह और उनसे ब त सावधानी से पेश आते ह।
मनी कट म कोई म हला ऐसी दख सकती है जैस े क
उस तक प ँचा नह जा सकता।
टाँग का लपटना
इस मु ा का इ तेमाल वशेष तौर पर म हला ारा अ धक कया जाता है, यह शम ली व
संकोची म हला और अंशका लक कलाबाज़ क नशानी है। इमस एक पैर को सरी टाँग पर
लपेटा जाता है, जो असुर त रवैया दखाता है और शरीर के ऊपरी ह से के सहज होने के
बावजूद इससे पता चलता है क म हला कसी कछु ए क तरह अपने खोल म समट गई है। य द
आप इस खोल को खोलना चाहते ह तो आपको गमजोशी भरा, शांत व दो ताना तरीका
अपनाना होगा।
समानांतर टाँग
म हला क टाँग और कू ह क अ थ संरचना के कारण वे इस मु ा को अपना सकती ह,
पु ष ऐसा नह कर सकते, इस लए इसे ी व के सश संकेत के प म दे खा जाता है। आ य
क बात नह क टाँग के मू यांकन के हमारे सव ण म 86 तशत से अ धक पु ष ने इसे
म हला के बैठने क सबसे आकषक थ त बताया।
पु ष ने बैठ ई म हला क समानांतर टाँग को अपनी सबसे पसंद दा थ त
बताया
इसम एक टाँग सरी पर रखी जाती है, जससे वह यादा सेहतमंद और युवा दखती
है। जनन के कोण से पु ष को यह मु ा आक षत करती है। बताव के तरीके और
मॉड लग क क ा म म हला को यह मु ा सखाई जाती है। इसे टाँग को लगातार मोड़ने
और खोलने क मु ा से अलग करके दे खा जाना चा हए, जसे म हलाएँ तब अपनाती ह, जब वे
अपने पसंद दा पु ष का यान अपनी टाँग क तरफ़ ख चना चाहती ह।
सारांश
हमारे पैर बताते ह क हम कहाँ जाना चाहते ह और हम कसे पसंद या नापसंद करते ह। अगर
आप म हला ह, तो बज़नेसमैन के साथ बैठे रहने क थ त म अपनी टाँग तभी मोड़े जब आपने
कोई ए-लाइन या घुटन तक क ेस पहनी है। कसी भी म हला क जाँघे लगभग सभी पु ष
का यान भटकाती ह और उनका यान उसक बात पर कम रहता है। वे उस म हला को तो याद
रखगे, ले कन उसक अ धकतर बात उ ह याद नह रहगी। बज़नेस क नया म ब त सी
म हलाएँ छोट ेस पहनती ह, य क मी डया उन पर ऐसा दखने का दबाव डालता है। सभी
म हला टे ली वज़न तुतकता को छोटे कपड़े पहनने पड़ते ह और टाँग का दशन करना
पड़ता है। इसका कारण यह है क अ ययन से सा बत आ है क ऐसे म पु ष दशक लंबे समय
तक काय म दे खगे, ले कन यही अ ययन बताते ह क कसी काय म म म हला जतनी
अ धक टाँग दखाएगी, पु ष को उसक बात उतनी ही कम याद रहेगी। एक सीधा सा नयम है
क सामा जक थ तय म म हला ारा टाँग मोड़ना सही हो सकता है, ले कन बज़नेस म
ऐसा न कर। अगर आप पु ष ह और म हला के साथ काम करते ह तो आप पर भी यही
नयम लागू होता है क अपने घुटन को एक साथ रख।
अ याय 11
सर हलाना य सीखना चा हए
अ धकतर लोग ने अपनी बात मनवाने के तौर पर सर हलाने के तरीके क अह मयत को नह
समझा है। शोध दखाते ह क ोता ारा नय मत अंतराल पर तीन बार सर हलाने पर व ा
सामा य से तीन-चार गुना यादा बात करते ह। सर हलाने क ग त से ोता म धैय होने या
उसक कमी का पता चलता है। धीमी ग त से सर हलाने का अथ है क ोता बात म दलच पी
ले रहा है, इस लए कसी ारा बात कए जाने पर धीरे से तीन बार सर हलाएँ। तेज़ी से
सर हलाने से व ा समझा जाता है क आप काफ़ सुन चुके ह और चाहते ह क वह अपनी
बात ख़ म कर दे , ता क आप अपनी बात रख सक।
सर क आधारभूत थ तयाँ
थर चेहरे वाली मु ा
2. सर एक ओर झुकाना (हेड ट ट)
सर को दाई या बाई ओर झुकाना समपण का संकेत है, य क इसम गदन व गला सामने होता
है और इंसान अपने आकार से छोटा और कम ख़तरनाक लगता है। शायद इसक उ प शशु
ारा अपने माता- पता के कंधे या छाती पर सर टकाने से ई हो। इस मु ा ारा सं े षत
समपण और कम ख़तरनाक होने के अथ को अवचेतन तौर पर सभी लोग, वशेषकर म हलाएँ
समझ लेती ह।
का प नक रोएँ नकालना
जब कोई अ य लोग के वचार या रवैय े से असहमत होता है, ले कन कुछ कहना नह
चाहता तो उसका नज़ रया अ य मु ा से दखाई दे ता है, यानी अनजाने ही उसके शारी रक
हावभाव उसके ारा दबाई गई राय को उजागर कर दे त े ह। अपने कपड़ से का प नक रोएँ
नकालना एक ऐसी ही मु ा है। ऐसा यह मामूली सी बेमतलब हरकत करते ए अ सर
नीचे क ओर और लोग से हटकर कह और दे खता है। यह असहम त का आम संकेत है और
प तौर पर बताता है क हर चीज़ पर सहम त क बात करने के बावजूद कही गई बात उसे
पसंद नह आ रही।
अपनी हथे लयाँ सामने करके उस से कह, ‘‘आपका या वचार है?’ या फर ‘मुझ े लगता
है क इस बात पर आपक कोई राय है। या आप उसे बताएँग?े ’ पीछे टककर बैठे, बाँह अलग
रख और हथे लयाँ सामने कर जवाब का इंतज़ार कर। अगर वह आपक राय से सहम त जताने
के बाद भी का प नक रोएँ नकालना नह छोड़ता, तो आपको सीधे ही उसे पूछकर उसक छपी
ई आप य को जानना होगा।
अपने माता- पता से बहस करते ए ब चे, अपनी बारी क ती ा म धावक, तयो गता शु
करने का इंतज़ार करता बॉ सर और अपने े म घुस आए अ य पु ष *रखने को नॉन-वबल
चुनौती दे न े वाले पु ष अपने कू ह पर हाथ रखने क मु ा अपनाते ह। हर उदाहरण म अपनाई
गई कू ह पर हाथ रखने क थ त एक सावभौ मक मु ा है, जसका इ तेमाल यह बताने म
कया जाता है क वह कायवाही के लए तैयार है। इससे वह अ धक जगह घेरता है और
नकली ई कोह नयाँ ह थयार का काम करती ह, जससे पास आने वाले या वहाँ से गुज़रने वाले
लोग को रोका जा सकता है। आधी उठ ई बाँह हमले क तैयारी दखाती ह और लड़ाई के
दौरान काउबॉय यही मु ा अपनाते ह। कू हे पर रखा एक हाथ भी यही संदेश दे ता है, ख़ासकर
जब वह शकार क दशा म हो। इसका इ तेमाल हर*का जगह कया जाता है और मले शया म
तो यह गु से या नाराज़गी का संदेश दे ता है।
इसे ‘तैयारी’ क मु ा के प म भी जाना जाता है, यानी वह कायवाही के लए
तैयार है, हर जगह इसे सू म तरीके के आ ामक रवैय े के प म समझा जाता है। इसे सफल
क मु ा भी कहा जाता है, जसे ऐसे ल य-क त से जोड़ा जाता है जो अपने
उ े य के लए या फर कसी कायवाही के लए तैयार है। पु ष अ सर अपने न या मक रवैये
को दखाने के लए म हला के सामने यह मु ा अपनाते ह।
कू ह पर हाथ रखकर आप अ धक जगह घेरते ह,
इस लए अ धक बड़े और सु प दखते ह
काउबॉय क मु ा
बे ट या जेब के ऊपरी ह से म ठूँ से ए अँगठ
ू े जननांग े के गठन को प करते ह और
इसका इ तेमाल मु यतया यौन प से आ ामक पु ष ारा कया जाता है। ट वी पर दखाई
जाने वाली यह आम मु ा है, जसके ारा दशक के पसंद दा बं कधारी के पौ ष का दशन
कया जाता है।
काउबॉय क मु ा - उसक उँग लयाँ उस ओर इशारा करती ह, जहाँ वह आपका यान
आक षत करना चाहता है
अगर ये दोन पु ष आमने-सामने खड़े होते, उनक टाँग फैली होत और पैर ज़मीन पर टके
होते, तो लड़ाई क आशंका हो सकती थी।
टाँग फैलाना
यह लगभग पूरी तरह से नर क मु ा है और वानर ारा भी अ य वानर पर भुता जमाने क
को शश म इसका योग कया जाता है। घायल होने से बचने के लए वे अपनी टाँग फैला दे त े ह
और सबसे बड़ा दशन करने वाले को सबसे भु वशाली माना जाता है। ऐसा ही मनु य म नर
के साथ होता है। यह अ सर अनजाने म होता है, ले कन इससे सश संदेश दया जाता है। एक
पु ष ारा अपनी टाँग फैलाए जाने के बाद अ य पु ष भी थ त बनाए रखने के लए ऐसा ही
करते ह, ले कन तब इसका नकारा मक असर पड़ता है जब कोई पु ष म हला के सामने ऐसा
करता है और वह भी कामकाज क थ तय म, य क म हलाएं जवाब म ऐसा नह कर पात ।
मी ट स क हमारी वी डयो रकॉ डग से पता चला क ऐसा होने पर कई म हलाएं अपनी टाँग
और बाँह मोड़ लेती ह, जससे वे र ा मक थ त म आ जाती ह। यहां पु ष के लए प
सलाह है - बज़नेस मी ट स म अपनी टाँग एक साथ रख। अगर आप म हला ह और आपका
सामना अ सर ॉच दशन करने वाले पु ष से होता है, तो ऐसे म कोई त या न द। अगर
आप तर ा मक तरीके से त या करगी तो यह आपके ख़लाफ़ जा सकता है। इसके
बजाय उसके ॉच को संबो धत करने क को शश कर, जैसे, ‘बॉब, आपक बात सही है’ और
‘म दे ख सकती ँ क यह बात कहाँ से आई है’, इससे उसे सबक मल जाएगा और सही समय
पर इसके इ तेमाल से हँसने का बहाना मल जाएगा।
कुस के ह थे पर टाँग रखना
यह अ धकतर पु ष ारा कया जाता है, य क इसम टाँग फैलाई जाती ह। इससे न केवल
कुस पर पु ष का वा म व प होता है, ब क यह भी पता चलता है क उसका रवैया कतना
अनौपचा रक और आ ामक है।
अगर आप म हला ह और कोई पु ष कैटाप ट अपनाता है, तो खड़े होकर बात करना जारी
रख। इससे कैटाप टर को बातचीत जारी रखने के लए अपनी मु ा बदलनी होगी। अगर वह
कैटाप ट रोक दे , तो फर बैठ जाएँ। उसके फर से ऐसा करने पर खड़े हो जाएँ। यह लोग को
बताने का अना ामक तरीका है क वे आप पर रौब जमाने या आपको भयभीत करने क
को शश न कर। सरी ओर अगर कैटाप ट करने वाला आपसे व र है और आपको डाँट रहा है
तो आप उसक नकल करके उस पर रौब मारने क को शश करगे। उदाहरण के लए, दो बराबर
ओहदे के लोग एक- सरे क उप थ त म कैटाप ट अपनाकर बराबरी और सहम त दखा सकते
ह, ले कन कसी शरारती छा के ऐसा करने पर सपल आगबबूला हो सकते ह।
एक इं योरस कंपनी म हमने पाया क 30 पु ष से स मैनेजर म से 27 अपने
सहक मय या मातहत कमचा रय के सामने नय मत प से कैटाप ट अपनाते थे, ले कन
अपने व र अ धका रय क उप थ त म ऐसा ब त कम होता था। अपने से व र अ धका रय
के साथ होने पर यही मैनेजर समपण और अधीन थता से जुड़े मु ा समूह को अपनाते थे।
सारांश
इस अ याय म बताए गए बॉडी ल वेज संकेत को पढ़ पाना आसान है, य क उनम बड़ी मु ाएँ
शा मल ह। न केवल इन संकत के मह व को समझना ज़ री है, ब क बेहतर स पक के लए
यह भी आव यक है क आप अपने पटारे म से नकारा मक मु ा को हटा ल और उन चीज़
का अ यास कर, जो आपको सकारा मक प रणाम द।
अ याय 12
त ब बत करना – हम कैसे
घ न ता बनाते ह
जब हम कसी से पहली बार मलते ह तो हम तेज़ी से पता लगाना पड़ता है क वह इंसान हमारे
त सकारा मक कोण रखता है या नकारा मक, ठ क वैसे ही जैसे जी वत रहने के लए
अ धकतर अ य ाणी करते ह। हम सरे के शरीर क कै नग करके दे खते ह क या वे
भी उसी तरह क हरकत करते ह या मु ाएँ अपनाते ह, जैस े क हम। इस तरीके से त ब बत
करने को ‘ मर रग‘कहते ह। हम जुड़ने, वीकार कए जाने और सामंज य बनाने के लए एक–
सरे क बॉडी ल वेज को त ब बत करते ह, ले कन इसे लेकर हम अ सर अनजान रहते ह।
ाचीन काल म मर रग एक सामा जक तरीका था, जससे हमारे पूवज को बड़े समूह म
सफलता से तालमेल बैठाने म मदद मली। यह दरअसल नकल करने से जुड़े सीखने के आ दम
तरीके का बचा–खुचा अंश भी है।
मर रग का एक सबसे प व प ज हाई लेना है। एक इंसान इसे शु करता है और
सभी ऐसा ही करने लगते ह। रॉबट ोवाइन ने पाया क ज हाई लेना इतना सं ामक होता है क
आपको सरे इंसान को ऐसा करते ए दे खने क ज़ रत नह होती, इसके लए बस खुला आ
मुँह दे खना ही काफ़ होता है। पहले यह वचार था क उबासी लेन े का मकसद शरीर को
ऑ सीजन उपल ध कराना था, ले कन हम जानते ह क यह मर रग का एक व प है, जससे
बाक लोग से तारत य बनता है और आ ामकता से बचा जा सकता है, ठ क वैसे ही जैसे बंदर
और च पां ज़य म होता है।
मर रग बना कुछ बोले यही कहती है, ‘मुझे दे खो; म तु हारे जैसा ँ। म तु हारी तरह महसूस
करता ँ और मेरा नज़ रया तुमसे मलता है।‘यही कारण है क कसी रॉक कॉ सट म सभी लोग
एक साथ उछल–कूद कर संगीत को सराहते ह या मलकर ‘मे सकन वेव‘बनाते ह। भीड़ का
एक साथ ऐसा करना भाग लेने वाल म सुर ा क भावना को बढ़ावा दे ता है। इसी तरह गु साई
ई भीड़ भी आ ामक रवैय े को त ब बत करेगी और यही वजह है क अ सर शांत रहने
वाले लोग भी ऐसी थ त म अपना आपा खो दे ते ह।
एक– सरे क हरकत को त ब बत करना कसी कतार का आधार होता है। कतार
म लगे लोग ऐसे लोग के साथ भी सहयोग करते ह, जनसे वे कभी नह मले और कभी मलगे
भी नह । बस का इंतज़ार इंतज़ार करते करते) ए, कसी आट गैलरी म, बक म या यु म कंधे
से कंधा / मलाते ए वे बताव से जुड़े कुछ अ ल खत नयम का पालन कर रहे होते ह।
म शगन यू नव सट के ोफ़ेसर जोसेफ़ हाइन रख़ ने पाया क सर को त ब बत करने क
इ छा हमारे म त क म सहज प से मौजूद होती है, य क आपसी सहयोग से समुदाय को
अ धक भोजन, बेहतर वा य और आ थक वृ ा त होती है। इससे यह भी पता चलता है क
मर रग करने म बेहद अनुशा सत समाज , जैस े टश, जमन और ाचीन रोम, ने य कई वष
तक नया पर राज कया।
अपने माता– पता को त ब बत करने क शु आत ज द हो जाती है : स फ लप
और स चा स कदम से कदम मलाते ए
मर रग से सरे को सहजता का अनुभव होता है। यह सामंज य बनाने म इतना कारगर तरीका
है क लो–मोशन वी डयो शोध से उजागर आ है क आँख झपकाने, नथुन े फुलाने, भ ह उठाने
और यहाँ तक क पुत लयाँ फैलाने तक म इसे अपनाया जाता है। यह वाकई अनोखी बात है,
य क इन सू म मु ा क नकल जानबूझकर नह क जा सकती।
मलता को शक य तर पर मर रग
अमे रक दय श य च क सक डॉ. मेहमेत ओज़ ने नए दल पाने वाल से मली हैरत अंगेज़
जानकारी द । उ ह ने पाया क शरीर के बाक अंग क तरह दय म भी को शक य मृ तयाँ
रहती ह और इससे कुछ मरीज़ को वैसा ही महसूस होता है, जैसा क दय दान करने वाले को
होता होगा। इससे भी आ यजनक यह है क उ ह ने पाया क कुछ मरीज़ ने तो दाता क मु ाएँ
और शैली तक अपनाई, जब क उससे वे कभी मले भी नह थे । वे इस प रणाम पर प ंच े क
दय क को शकाएँ ा तकता के म त क को दाता क बॉडी ल वेज अपनाने का नदश दे ती
ह। इसके वपरीत, ऑ ट म जैसी बीमा रय से त लोग म सरे के बताव को
त ब बत करने क मता नह होती, जससे बाक लोग से बातचीत करने म उ ह मु कल
का सामना करना पड़ता है। नशे म धुत लोग के साथ भी यही होता है और उनक मु ाएँ उनके
श द से तालमेल नह रख पात , जसके कारण मर रग संभव नह होती
काय और कारण क वजह से अगर आप जानबूझकर कोई शारी रक मु ा अपनाते ह
तो आप उनसे जुड़ी भावना को महसूस करने लगगे। उदाहरण के लए, अगर आप
आ म व ासी महसूस कर रहे ह तो आप अपने आ म व ास को द शत करने वाली ट पल
(मीनार वाली मु ा) को अपना लगे ले कन अगर आप जानबूझकर ट पल अपनाएं तो न केवल
आप अ धक आ म व ासी महसूस करने लगगे, ब क बाक लोग भी आपको आ म व ासी
समझगे। लोग क बॉडी ल वेज और थ त के साथ जानबूझकर ताल मलाने से अ य लोग से
घ न ता बन जाती है।
मलती–जुलती आवाज़
मर रग के दौरान वचार म सामंज य बैठाने और घ न ता बनाने के लए वर शैली, आवाज़ क
उठान, वर का उतार–चढ़ाव और बोलने क र तार का भी तालमेल होता है। इसे ‘पे सग’ कहा
जाता है और इससे लगता है क जैस े दो सुर म गाना गा रहे ह । आप अ सर दे खगे क
व ा बात करते ए अपने हाथ हलाता है और ोता सर हलाकर उसक ताल से ताल मलाता
है। समय के साथ जब र ता गहरा होता है तो शारी रक थ तय क मर रग कम हो जाती है,
य क हर सरे के रवैय े को पहले से समझ जाता है और घ न ता बनाए रखने के लए
बोलने क र तार मुख मा यम बन जाती है।
सरे से यादा तेज़ ग त से बोलने क को शश कभी न कर। अ ययन से उजागर
आ है क जब कोई सरे से अ धक तेज़ी से बोलता है तो सुनने वाला
दबाव महसूस करता है। क बोलने क ग त बताती है क उसका म त क कस दर से
चेतन तौर पर जानकारी का व ेषण करता है। सरे के बराबर या उससे धीमी ग त से
बात कर और उनके वर क शैली और वराघात को त ब बत कर। टे लीफ़ोन पर मलने का
समय लेने के दौरान पे सग ब त मह वपूण होती है, य क ऐसे म आपक आवाज़ ही संचार
का एकमा मा यम होती है।
जानबूझकर घ न ता
बनाना बॉडी ल वेज से जुड़ी बात को जानने के लहाज़ से मर रग सीखना ब त मह वपूण है,
य क इसके मा यम से लोग हम बताते ह क वे हमसे सहमत ह या नह , या वे हमारे जैसे ह।
हम भी लोग क बॉडी ल वेज क मर रग करके उ ह यह जता सकते ह क हम उ ह पसंद करते
ह।
अगर बॉस अपने घबराए ए कमचारी के साथ सौहाद बनाना चाहता है और वातावरण
को सहज बनाना चाहता है तो अपने उ े य क पू त के लए वह उस कम क मु ा क नकल
करेगा। इसी कार, कोई उभरता आ कमचारी बॉस ारा अपनी राय रखने पर उसक मु ा
क नकल करके अपनी सहम त दखाने क को शश करेगा। इस जानकारी का इ तेमाल कर
लोग क सकारा मक मु ा को अपनाकर उ ह भा वत कया जा सकता है। इससे सामने
वाला हण करने क मु ा म जाता है और उसक मन: थ त भी शांत हो जाती है, य क
वह ‘दे ख‘सकता है क आप उसके कोण को समझ रहे ह।
सरे के शारी रक हावभाव को त ब बत करके वीकृ त पाना
कदम मलाना– चा स आगे ह और कै मला उनसे थोड़ा पीछे ह; 2003 म इराक संकट
क शु आत के बाद से टोनी लेयर बे ट म अँगठ
ू े डालने क जॉज बुश क मु ा
अपनाने लगे
सारांश
कसी के शारी रक हावभाव को त ब बत करने से वह वीकृत महसूस करता है और
इससे एक जुड़ाव बनता है। दो त और बराबरी के दज के लोग के बीच वाभा वक तौर पर
ऐसा होता है। इसके वपरीत, हम उन लोग क मु ा को त ब बत नह करते, ज ह हम
नापसंद करते ह या फर जो अजनबी ह , जैसे ल ट म साथ चलते लोग या सनेमा क कतार
म खड़े लोग।
सरे क बॉडी ल वेज और उसके बात करने के तरीके को त ब बत करना
तेज़ी से घ न ता या सौहाद बनाने का सबसे सश तरीका है। कसी से पहली बार होने
वाली मी टग म उसके बैठने के ढं ग, थ त, शरीर के कोण, मु ा , भाव और आवाज़ के लहज़े
को त ब बत कर। थोड़ी ही दे र म उस को लगेगा क आपम कुछ है जो उसे पसंद आ
रहा है, वह कहेगा क आपके साथ ‘काम करना आसान‘है। इसका कारण यह है क वह आपम
अपना त ब ब दे खता है। यहाँ पर एक चेतावनी भी है क मुलाकात होते ही ऐसा न कर,
य क हमारी पहली पु तक बॉडी ल वेज के का शत होने के बाद ब त से लोग मर रग
रणनी तय के बारे म जानने लगे ह और उसके बाद आई टे ली वज़न सीरीज़ को एक अरब से
यादा लोग दे ख चुके ह। जब कोई कसी खास मु ा को अपनाता है, तो आपके पास तीन
वक प होते ह – उसे नज़र अंदाज़ कर, कुछ और कर या उसे त ब बत कर। मर रग से ब त
फ़ायदा होता है, ले कन यान रहे क कसी के नकारा मक संकेत क नकल न कर।
अ याय 13
सगरेट, च मे और मेकअप के गु त
संकेत
धू पान करने वाले लोग के बचपन म अँगठू ा चूसने क संभावना न केवल तीन गुना थी, ब क
वे धू पान न करने वाल के मुकाबले तं का रोग से अ धक त होते ह और मुँह म कुछ डालने
क लत को पूरा करने के लए अपने च मे का सरा चूसकर, नाखून कुतरकर, पेन चबाकर, ह ठ
चबाकर और प सल कुतरकर कसी को श मदा कर दे न े वाली हरकत करते ह। प है क
तनपान करने वाले ब च क चूसने और सुर त महसूस करने क इ छा समेत ब त सी
इ छाएँ पूरी होती ह, जब क बोतल से ध पीने वाले ब च के मामले म ऐसा नह होता।
ऊपर क ओर धुआ ँ छोड़ना: आ म व ास, े ता, सकारा मकता, धुआँ नीचे छोड़ना :
नकारा मक, रह या मक, संदेहा पद
टालमटोल क यु याँ
जैसा क सगरेट पीने म होता है, मुँह म च मे क डंडी रखने क मु ा का इ तेमाल कसी नणय
को टालने या उसम वलंब करने म कया जा सकता है। नेगो सएशन के दौरान पाया गया क यह
मु ा तब बार-बार अपनाई जाती है, जब कसी को नणय लेन े के लए कहा जाता है।
लगातार च मा नकालकर उसके लस साफ़ करना भी नणय लेने के लए अ धक समय लेन े का
एक तरीका है। अगर फैसला लेन े के लए बोले जाने के तुरंत बाद कोई ऐसा करता है तो
शांत रहना सबसे अ छा रहेगा।
इसके बाद क मु ाएँ उस क मंशा या नीयत का संकेत दे ती ह और नेगो शएटर
को उनके मुता बक त या दे न े के लए सचेत करती ह। उदाहरण के लए, य द वह
फर से च मा लगा लेता है, तो अ सर इसका मतलब होता है क वह त य को फर से
‘दे खना‘चाहता है। च मे को मोड़ना या उसे र रख दे ना बातचीत समा त करने के संकेत ह और
च मे को डे क पर ज़ोर से रखना तीका मक तौर ताव को अ वीकार करना है।
च मे के ऊपर से झाँकना
1920 और 1930 के दशक क फ़ म म कलाकार च मे के ऊपर से झाँकने क मु ा का
इ तेमाल कसी आलोचना मक च र (जैस े कसी इं लश प लक कूल क ट चर) के अ भनय
के लए करते थे। अ सर उस ने पढ़ने म इ तेमाल होने वाला च मा पहना होता था और
कसी को दे खने के लए उसे उतारने के बजाय उसके ऊपर 7 से दे खना उसे सु वधाजनक लगता
था। जस को इस तरह से दे खा जाता था, उसे लगता था क जैसे उसे कोई जाँच-परख
रहा है। च मे के ऊपर से दे खने क आदत महँगी पड़ सकती है, य क सुनने वाला इसे दे खकर
अपनी बाँह व टाँग मोड़ सकता है या बहस पर उतर सकता है। अगर आप च मा पहनते ह तो
बात करते समय उसे उतार द और सुनने के समय पहन ल। इससे न केवल सरा शांत
महसूस करता है, ब क आपको बातचीत का नयं ण भी लेन े दे ता है। ोता समझ जाता है क
जब आप च मा उतारते ह तो बोलने क बारी आपक है और उसे वापस रख दे ने पर वह बात
कर सकता है।
च मे के ऊपर से झाँकने से कोई भी तनाव महसूस कर सकता है
सर पर च मा चढ़ाना
मी ट स के दौरान काले च मे पहनने वाल को संदेहा पद, रह यमय और असुर त माना जाता
है, जब क उसे सर पर रखने वाले को तनावमु , युवा और कूल माना जाता है, य क उससे
ऐसा भाव मलता है क उस के सर पर फैली ई पुत लय वाली दो बड़ी-बड़ी आँख ह,
उससे शशु और उन गुदगुदे खलौन का यान आता है, जन पर बड़ी-बड़ी आँख बनी होती
ह।
बना मेकअप वाली सहायक को नजी गुण और दशन, दोन म सबसे खराब बताया गया
और मेकअप के बना च मा पहनने से ाहक के ख़ और बात याद रखने पर कुछ ख़ास अंतर
नह पड़ा। अ धकतर म हला ाहक ने यान रखा क कब सहायक ने मेकअप नह कया था,
जब क अ धकतर पु ष याद नह कर पाए क उ ह ने मेकअप कया था या नह । दलच प बात
यह है क लोग को लगा क मेकअप वाली सहायक क कट मेकअप न करने वाली सहायक
से छोट थी, यानी इससे सा बत आ क मेकअप करने से अ धक आकषक छ व बनती है। प
है क मेकअप से म हला क छ व अ धक बु मान, आ म व ासी और आकषक बनती है।
बज़नेस क नया म मेकअप और च मे के मेल से दे खने वाल पर ब त सकारा मक और
यादगार असर पड़ता है, इस लए एक सामा य च मे का इ तेमाल बज़नेस मी ट स के लए ब त
ब ढ़या रणनी त हो सकता है।
ह ठ को सजाना
अपने एक टे ली वज़न शो म हमने नौ म हला को इंटर ू के लए आने को कहा, इंटर ू लेने
वाल म म हला व पु ष दोन थे। आधे इंटर ू के दौरान म हला ने लप टक लगाई, ले कन
बाक समय उ ह ने ऐसा नह कया। योग के बाद इंटर ू लेने वाल के रवैय े ब कुल प हो
गए, उ ह ने माना क लाल लप टक वाली और ह ठ को अ धक उभारने वाली म हलाएँ केवल
ख़ुद म और पु ष का यान आक षत करने म दलच पी रखती थ , जब क ह ठ कम
उभारनेवाली और ह के रंग लगाने वाली म हला को क रयर म च रखने वाली और
ोफ़ेशनल समझा गया। लप टक न लगाने वाली म हला को पु ष के मुकाबले कामकाज
के त अ धक गंभीर माना गया, ले कन उनम नजी गुण क कमी मानी गई। लगभग सभी
म हला इंटर ूअस ने गौर कया क उ मीदवार ने लप टक लगाई थी या नह , जब क आधे
पु ष ने इस बात पर यान दया क कब म हला ने लप टक नह लगाई थी। इसका मतलब
है क डेट्स पर जाने के लए म हला को लाल रंग क चटख लप टक लगानी चा हए,
जब क बज़नेस बैठक म ह ठ को कम उभारने वाली, ह के रंग क लप टक का इ तेमाल
करना चा हए। अगर वह ऐसे बज़नेस म है, जो म हला क छ व, जैसे कपड़े, कॉ मे ट स
और हेयर े सग को बढ़ावा दे ता है, तो चटख दशन को सकारा मक माना जा सकता है, य क
ऐसे काम म म हला के आकषण को बेचा जाता है।
ीफ़केस संकेत
ीफ़केस के आकार का सीधा संबंध उसके मा लक के ओहदे से है। माना जाता है क बड़े-बड़े
ीफ़केसजातेह, य क ले जाते लोग सारा काम करते ह और काम को घर भी ले जाते जाते ह ,
य क य क वे समय का सही बंधन नह कर पाते। छोटे ीफ़केस बताते ह क उसका
मा लक केवल नणायक काम से सरोकार रखता है, इस लए उसका ओहदा बड़ा है। ीफ़केस
को हमेशा एक ओर, हो सके तो अपने बाएँ हाथ म रख, इससे आप लोग से आसानी से अपना
दायाँ हाथ मला पाएँगे। अगर आप म हला ह, तो ीफ़केस और हडबैग दोन को एक साथ न ले
जाएँ, य क इससे आपको बज़नेस बाला कम और अ व थत अ धक समझा जाएगा। अपने
और सरे इंसान के बीच ीफ़केस को कभी बाधा न बनने द।
सारांश
इस बात से कोई अंतर नह पड़ता क हम कस कार क व तु से खेल रहे ह, पहन रहे या
धू पान कर रहे ह। कुछ ऐसे संकेत होते ह, जो अनजाने ही हम द शत करते ह। हम जतना
अ धक इन चीज़ का इ तेमाल करते ह, उतना ही अ धक हम अपने इराद या भावना को
ज़ा हर करते ह। इन संकेतो को पढ़ना सीखकर आप एक अ य बॉडी ल वेज के सुराग को समझ
सकते ह।
अ याय 14
पैर के संकेत
पैर न केवल उस दशा क ओर इशारा करने का काम करते ह, जस ओर का दमाग
जाना चाहता है, ब क वे उन लोग क ओर संकेत भी करते ह, जो हम सबसे यादा दलच प
या आकषक लगता है। मान ली जए क आप कसी सामा जक समारोह म ह और आप तीन
पु ष व एक ी के समूह को दे खते ह। बातचीत पर पु ष हावी ह और म हला केवल ोता का
काम कर रही है। फर आप गौर करते ह क सभी पु ष के पाँव म हला क ओर संकेत कर रहे
ह।
सारांश
ब त कम लोग इस बात पर यान दे त े ह क शरीर और पैर क थ त कस कार अ य लोग
के रवैय े और त या को भा वत करने म मह वपूण भू मका नभाती है। अगर आप लोग
को सहज महसूस कराना चाहते ह तो 45 ड ी क ओपन पोज़ीशन अपनाएँ और कसी पर
दबाव बनाने के लए शरीर को सीधे उसक ओर रख। 45 ड ी वाली थ त म सामने वाला
बना कसी दबाव के वतं प से काम कर सकता है और सोच सकता है। कभी कसी
पु ष के पास सीधे सामने से और म हला के पीछे से उसके पास न जाएँ।
इन मु ा म महारत हा सल करने के लए अ यास क ज़ रत होती है, ले कन ज द
ही ये आपके वहार का सहज ह सा बन जाती ह। लोग से आपक रोज़मरा क मुलाकात म
पैर व शरीर से संकेत करने और खुली बाँह , सामने दखती हथे लय , आगे झुकने, सर एक
ओर झुकाने व मु कुराने जैसी सकारा मक भाव-भं गमा से बाक लोग को न केवल आपक
संग त म आनंद मलता है, ब क वे आपके कोण से भा वत भी होते ह।
अ याय 15
क सा ाहम का
ाहम एक पु ष था, जसके नर को पाने के लए पु ष कुछ भी करगे।
वह कसी भी सामा जक समारोह म जाकर कसी तरह ज द से कसी उपल ध म हला
को खोजकर कम से कम समय म उसके साथ बाहर क ओर जाता दखता। म हला को अपनी
कार तक ले जाकर वह उसके साथ अपने अपाटमट म चला जाता। फर से पाट म आकर वह
इस या को दोहराता और कभी-कभार तो एक ही शाम म कई बार ऐसा होता। शायद उसम
उपल ध म हला को खोजने का कोई राडार पहले से मौजूद था, जो सही समय पर काम करता
और वह म हला को साथ ले जाने म कामयाब हो जाता। कसी ने नह जाना क वह कैसे यह
सब कर पाता था।
जीव व ा नय ारा जीव-जंतु के णय- नवेदन वहार और वहारवाद
वै ा नक ारा कए गए शोध से यह बात सामने आई है क नर व मादा ा णय ारा कुछ
ज टल णय- नवेदन मु ा क एक ृंखला अपनाई जाती है, उनम से कुछ प होती‘ह, कुछ
ब त सू म होती ह और इ ह अवचेतन प से अपनाया जाता जाता है। जंत ु जगत म हर जा त
णय- नवेदन के अपने बताव म कुछ न त और पूव- नधा रत तरीके अपनाती है। उदाहरण के
लए, प य क कई जा तय म मादा के सामने नर मटक कर चलते ए आवाज़ नकालता
नकालता है है अपने पंख फुलाता है और उसका यान आक षत करने के लए ब त सू म
तरीके से शारी रक ग त व धयाँ करता है, जब क मादा उसम न के बराबर या ब त कम
दलच पी दखाती है। यह ठ क वैसा ही है, जैसा इंसान ारा कया जाता है।
इंसान ारा क गई ल टग या इ कबाज़ी म हावभाव का लंबा सल सला होता है, जो
व यजीवन के काय म म दखाए गए प य व अ य जीव-जंतु के णय नृ य क तरह है।
बु नयाद बात यह है क जब कोई वपरीत लग के इंसान को आक षत करना
चाहता है तो वह उनके बीच मौजूद यौन अंतर को ख़ास तौर पर उभारता है। वपरीत लग के
इंसान को हतो सा हत करने के लए हम इन अंतर को कम करते ह या फर उ ह छपाते ह।
लग अंतर को व श प से दखाने से ही
कोई इंसान आकषक दखता है।
ाहम कसी ऐसी म हला को खोजता था, जसक बॉडी ल वेज उसके उपल ध होने का संकेत
दे रही हो, फर वह अपने नरो चत णय- नवेदन मु ा से त या करता था। दलच पी
रखने वाली म हलाएँ उ चत संकेत दे ती थ , वे उसे अगले चरण म जाने के लए कुछ कहे बना
ही हरी झंडी दखा दे ती थ
अंतरंग मुलाकात म म हला को मली कामयाबी का सीधा संबंध पु ष को णय-
नवेदन के संकेत दे न े क उनक मता और पु ष से मलने वाले संकेत के मतलब समझने से
है। कसी पु ष के लए मलन के खेल म सफलता, पहल करने क यो यता के बजाय मु यतया
उसे भेजे गए संकेत को समझने क उसक मता पर नभर करती है। अ धकतर म हलाएँ
मलन के संकेत से प र चत होती ह, ले कन पु ष इस मामले म कम जानकार होते ह और
अ सर उनसे पूरी तरह अनजान रहते ह, इसी लए ब त से पु ष को संभा वत साथी खोजने म
मु कल होती है।
ाहम यह जानता था क कस चीज़ क तलाश करनी है और म हला ने उसे
आकषक, मदाना, मज़ा कया व ‘मुझ े नारी क तरह महसूस करवाने वाला‘बताया। इस
त या का कारण ाहम ारा उन पर लगातार यान दया जाना और उसके ारा यु
मलन के संकेत थे। सरी ओर, पु ष ने उसे ‘आ ामक’, ‘कपट ‘, ‘अहंकारी’ और
‘मज़ा कया नह ’ बताया, जो दरअसल ाहम के त ं प के त उनक त या थी।
नतीजतन, ाहम के पु ष दो त कम थे, ज़ा हर है क कोई भी पु ष नह चाहेगा क उसक
दो त उसके संभा वत त ं पर यान दे । इस अ याय म हम म हला के उन संकेत पर
वचार करगे, ज ह ाहम दे ख पाता था और उस बॉडी ल वेज क बात करगे, जसका वह बदले
म इ तेमाल करता था।
आकषण या
जैसा क अ य जीव-जंतु के साथ होता है, कसी आकषक से मलने पर मनु य का
णय- नवेदन भी संभा वत पांच चरण के म को अपनाता है।
मादक यौवनाएँ जानती ह क मुह ँ तथा होठ का योग यान- आकषण हेतु कैसे कया
जाए
3. वयं को छू ना
जैसा क पहले बताया जा चुका है, हमारा दमाग़ हमारे शरीर को सबसे गु त इ छा को
करने को कहता है और ख़ुद को छू ना कुछ ऐसा ही है। पु ष के मुकाबले य म अ धक
तं का संवेदक होते ह, जसके कारण वे पश को अ धक महसूस कर सकती ह और छु ने के
त अ धक संवेदनशील होती ह। जब कोई ी धीरे-धीरे कामुक ढं ग से अपनी जाँघ , गदन या
गले को छू ती है तो उससे यह अनुमान लगाया जा सकता है क अगर कोई पु ष सट क तरीके से
अपने प े खेल े तो वह उस ी को उसी तरह से छू सकता है। इसके अलावा ी ारा ख़ुद को
छु ए जाने से वह क पना कर सकती है क पर उसे कैसा महसूस होगा।
4. कलाई को ढ ला छोड़ना
चलते ए या बैठे ए कलाई को ढ ला छोड़ना ( ल प र ट) समपण क एकमु ा है, जसका
इ तेमाल म हला व समल गक पु ष ारा कया जाता है। इसी तरह से एक प ी भी शकारी
को अपने घ सले से र रखने के लए अपने पंख को घायल दखाने का ढ ग करता है। अ य
श द म, इससे यान ख चना आसान हो जाता है। यह पु ष को आक षत करती है, य क
इससे उ ह लगता है क वे अपना भु व जमा सकते ह। कामकाज क प र थ तय म ल प
र ट से म हला क व सनीयता से यान हटता है और लोग उसे गंभीरता से नह लेत।े यह और
बात है क कोई उसे डेट पर आने का नमं ण दे सकता है।
प ी घायल पंख का बहाना बनाकर यान ख चते ह म हलाएँ ढ ली कलाई का
इ तेमाल करती ह
6. अनावृत कलाई
दलच पी रखने वाली म हला धीरे-धीरे अपनी कलाई क अंद नी चकनी, कोमल वचा को
संभा वत पु ष साथी को दखाएगी ओर दलच पी बढ़ने के साथ-साथ कलाई सामने करने क
दर बढ़ती जाएगी। एक लंबे समय से कलाई के ह से को ी के शरीर के सबसे कामो ेजक
ह स म से एक माना जाता रहा है, य क यह ब त नाजुक होता है। यह कहना मु कल है क
यह सीखा आ बताव है या फर ज मजात है, ले कन एक बात तय है क यह सब अवचेतन तर
पर होता है। बात करते ए म हला अ सर अपनी हथे लय को भी पु ष के सामने रखती है।
सगरेट पीने वाली म हलाएँ उसे पीने के दौरान ककंधे के साथ हथेली को ऊपर करके ऐसा ब त
आसानी से कर लेती ह। अ सर म हला क तरह दखने क चाह रखने वाले समल गक पु ष
अनावृत कलाई और सर झटकने क मु ा क नकल करते ह।
म हलाएँ हथेली के भीतरी ह से पर पर यूम लगाती ह, उ ह लगता है क इससे कलाई
क न ज़ से वह सब तरफ़ फैल जाएगा। ले कन इसका असली मकसद कलाई को संभा वत
साथी क ओर बढ़ाना होता है। ख़ुशबू से म हला क ओर यान जाता है और पु ष उसक कलाई
के भीतरी ह से को दे ख पाता है।
9. पे वक ( ोणीय) को एक ओर झुकाना
मे डकल त य दखाते ह क अ छ सेहत वाली और ब चे पैदा करने म स म म हला क
कमर व कू ह का अनुपात 70 तशत होता है, यानी उसक कमर उसके कू ह के आकार का
70 तशत होती है। यह उसे सुडौल आकार दे ता है, जसे आवर लास (काँच का समय मापक
लास) फ़गर कहा जाता है। समूचे इ तहास म शरीर का यह अनुपात नाटक य ढं ग से पु ष का
यान ख चता रहा है। इस अनुपात के 80 तशत से अ धक होने पर पु ष क दलच पी ख़ म
होने लगती है और इस अनुपात के कम या अ धक होने से पु ष क च कम होगी। ी का
अनुपात 100 तशत होने पर उसके त पु ष क दलच पी पूरी तरह ख़ म हो जाती है,
ले कन 70 तशत से कम होने पर वह दलच पी बनाए रखती है। हर हाल म 70 तशत का
अनुपात जनन सफलता के लए उपयु रहता है। इस अनुपात को व श प से दशाने के
लए वह खड़े होने पर अपने पे वस को एक ओर झुकाती है।
काइली मनॉग उन सभी चीज़ का म ण है, जसे पु ष पसंद करते ह - लंबे बाल,
खुली गदन, 70 तशत कमर-कू हे का अनुपात, खुला आ भीगा मुँह, उभरे ह ठ,
झुक पलक, उभरा व व गोलाकार नत ब, वयं को छू ना और कू ह पर हाथ रखने
क मु ाएँ
जूता संकेत दे ता है
1. नत ब
पु ष को गोलाकार, नाशपाती के आकार के नत ब सबसे आकषक लगते ह। इंसानी मादा के
नत ब अ य नरवानर से इस से अलग होते ह क नरवानर क मादा के नत ब सहवास के
लए तैयार होने पर बड़े होकर उभर जाते ह। इंसान म मादा के नत ब थायी तौर पर बड़े
आकार इंसानी मादा ही एक ऐसी नरबानर के होते ह और लगभग हमेशा नर है, जसके नत ब
का बड़ा आकार के लए उपल ध होते ह, ता क मनु य क यौन ग त व ध नय मत चलती रहे।
इससे ब च केपालन–पोषण क सफलता के लए लंबे समय तक जोड़ा बनाए रखने को बढ़ावा
मलता है।
2. व
हाल के वष म नया के अ धकतर ह स म व को लेकर जुनन ू छा गया है और लीवेज यानी
तन के बीच का ह सा व कृ म ढं ग से व बड़ा करने का काम आज करोड़ डॉलर का
ापार बन गया है यह अनोखी बात है, य क मानव मादा का व पसीने क बढ़ ई ं थय
से अ धक कुछ नह है।
व का बड़ा ह सा वसा के ऊतक से बनता है। इससे वे गोलाकार बनती ह और इन
ऊतक का अ धकतर ह सा ध बनाने के काम नह आता।
व ापन
खुले गले के कपड़े और व थल को ऊपर करने वाली ा लीवेज बनाकर इस संकेत पर ज़ोर
दे ती है। लगभग सभी से स रसच सव ण के नतीजे बताते ह क पु ष को हर आकार और
बनावट क छा तयाँ पसंद आती ह और लीवेज उ ह सबसे यादा उ े जत करता है। इससे
कोई फ़क नह पड़ता क म हला का व छोटे न बू के आकार का है या तरबूज़ का, अ धकतर
पु ष उनम गहरी दलच पी लेत े ह और उ ह लीवेज अ छा लगता है। कसी पु ष क तरफ़
आक षत होने वाली म हला आगे क ओर झुकती है और अपनी बाँह को अपने शरीर के
नज़द क लाती है, जससे उसके तन एक साथ आकर लीवेज बनाते ह।
अमे रका म दो स ताह रहने के बाद मोना लसा
जब कोई ‘हॉट’ हो
मानव शरीर का मूल तापमान 98.6 ड ी फ़ैरेनहाइट होता है, ले कन वचा के तापमान म हमारी
भावना मक दशा के अनुसार बदलाव आता है। जैसा क पहले बताया जा चुका है, जन लोग
को ‘ठं डा‘और ‘अलग – थलग‘कहा जाता है, अ सर शारी रक प से वे ठं डे होते ह, य क
तनाव होने पर ‘लड़ो या भागो‘क थ त म उनका खून टाँग व बाँह क मांसपे शय म खचता
है। इस लए जब आप कसी को ‘को ड फ़श‘कहते ह तो आप भावना मक और शारी रक,
दोन तर पर सही होते ह। इसके वपरीत, जब एक इंसान सरे क तरफ आक षत होता है, तो
उसका र चचा क सतह पर आ जाता है, जससे वह गम हो जाता है। यही वजह है क ‘हीट
ऑफ़ पैशन‘यानी ेम के आवेश म ेमी ‘गमजोशी से गले लगते‘ह, उनका कामो ेजक
मलन‘होता है और वे ‘हॉट‘हो सकते ह। ब त सी म हला म शरीर के तापमान म बढ़ोतरी
दे खी जा सकती है, उनका व उ े जत हो जाता है या उनम लाल ध बे हो जाते ह और उनके
गाल भी लाल हो जाते ह।
अगर आप पु ष ह तो आ खरी ह से को पढ़कर
आपका पैसा वसूल हो गया होगा
पु ष को म हला क ऊँची ए ड़याँ पसंद आती ह, य क उनसे लंबी टाँग का म बनता है,
जो जननशीलता क नशानी ह। ऊँची ए ड़य के कारण म हला क टाँग लंबी लगती ह, उसक
पीठ पीछे क ओर मुड़ती है, जससे उसके नत ब बाहर क ओर उभरते ह, पाँव छोटे लगते ह
और पे वस आगे क ओर होता है। इसी वजह से सबसे ऊँची एड़ी के बड़े फ ते लगे जूते बाज़ार
म मौजूद सबसे भावी से स–सहायक ह।
पु ष का ॉच जुनून
कसी म हला क ओर जो सबसे सीधा यौन दशन पु ष अपना सकता है, वह है बे ट म अँगठ
ू े
ठूँ सने क आ ामक मु ा, जससे उसका ॉच े सु प होता है। वह अपने शरीर को म हला
क ओर कर सकता है, अपना पाँव उसक ओर कर सकता है, गहरी नज़र से उसे दे ख सकता है
और थोड़े लंबे समय तक उससे नज़र मलाए रख सकता है। अगर वह बैठा हो या फर द वार से
टका आ हो, तो वह अपनी टाँग फैलाकर अपने ॉच का दशन कर सकता है।
बबून बंदर के झुंड म या फर अ य नर वानर के मामले म नर अपने लग का दशन
कर अपने भु व को दखाता है। अपनी टाँग फैलाकर वह झुंड के अ य सद य को अपने लग
का पूरा आकार दखाता है और समय–समय पर उसे छू ता है, इस कार वह अपने भु वशाली
दज को बार–बार दखाता है। मानव नर भी अपने को दखाने के लए इसी दशन को अपनाता
है, हालाँ क बबून क तुलना म यह ब त प र कृत ढं ग से होता है, य क बबून जैसा दशन
इंसान को जेल क हवा खला सकता है।
पं हव सद म कॉडपीस (पु ष के ॉच को ढकने, के लए यु लैप) के इ तेमाल
से पौ ष का दशन होता था और उससे उसके सामा जक तबे का। इ कसव सद म यू गनी
के नवासी अब भी लग का दशन करते ह, जब क प मी जगत के पु ष कसी ई पतलून,
छोटे आकार के पीडो व मग ं स या अपने ॉच के सामने चाबी के बड़े–से गु छे या बे ट के
लंबे कनारे को लटका कर यह दशन कर सकते ह।
ॉच ठ क करना
सबके सामने ॉच को ठ क करना सावज नक तौर पर पु ष के यौन दशन का एक व प है।
हर जगह म हला क यही शकायत रहती है क जब वे कसी पु ष से बात कर रही होती ह
तो वह अचानक बना कसी ख़ास वजह के वह अपने ॉच को ठ क करने या छू ने लगता है। यह
अनुमान है क उसके जननांग इतने बड़े होते ह क र संचार के वाह को कने से बचाने के
लए उन पर लगातार यान दे न े क ज़ रत पड़ती है।
टाई एक ओर पहनना
अगर आप पु ष ह और जानना चाहते ह क कौन–सी म हला आपको पसंद करती है, तो एक
अ छा–सा सूट और टाई पहन, ले कन टाई को थोड़ा एक ओर करके पहन और अपने कंधे पर
कुछ रोएँ डालकर रख। आपको आकषक मानने वाली म हला आपके कंधे से रोएँ झाड़ने और
आपक टाई को ठ क करने से ख़ुद को रोक नह पाएगी, य क वह चाहेगी क आप अ छे
दख।
2. छोटा, सुग ठत नत ब
छोटे , सुग ठत नत ब सभी य को पसंद आते ह, ले कन उनम से कुछ ही इसके चुंबक य
आकषण को समझती ह। इसका रह य यह है क गठा आ मज़बूत पछला ह सा सहवास के
दौरान आगे क ओर धकेलने क ग त व ध के लए आव यक होता है, जससे शु ाणु साथी तक
तक सफलतापूवक प ँच जाते ह। भारी–भरकम नत ब जन ह से परका म हलाएँमू याँकन
पु ष के हो सकती है और वह ऐसा करते ए अपने शरीर का पूरा भार ी पर डाल सकता है।
ी के लए यह आदश थ त नह है, य क पु ष के भार से उसे साँस लेन े म क ठनाई हो
सकती है। इसके वपरीत, छोटे और गठे ए पछले ह से से यही काम असरदार ढं ग से हो
सकता है।
इंटरनेट पर कई ऐसी साइट् स ह, वाले पु ष को ऐसा करने म मु कल पछले ह से का
मू याँकन कर सकती ह
सारांश
नया म सगल यानी अकेले रहने का चलन बढ़ गया है। सभी प मी दे श म ववाह क दर
पछले सौ वष म आज सबसे कम है, जो 25 साल पहले क तुलना म आधी रह गई है।
ऑ े लया जैस े दे श म 28 तशत वय क ने कभी शाद नह क ।
यह त य क ी–पु ष शु आत म शारी रक गुण से आक षत होते ह, कई लोग को
नराशाजनक लग सकता है, ले कन इसका सकारा मक प यह है क हर कसी के पास अपने
प– रंग को बेहतर करने का मौका होता है, और येक वपरीत लग के लए अपना
आकषण बढ़ाने का नणय ले सकता है। जो बदलना नह चाहते, उनके लए ऑनलाइन डे टग,
आई ट मैचमे कग और पीड डे टग जैसी चीज़ हर जगह फलफूल रही ह, यूयॉक टाइ स के
अनुमान के अनुसार 2003 म इनका वा षक ापार 3 ब लयन डॉलर का था। म हला क
तुलना म पु ष को वपरीत लग से मुलाकात करने म यादा मु कल होती है, इस लए नया
भर क ल टग लासेज़ म पु ष क सं या म हला से दोगुनी होती है।
अ याय 16
वा म व, े और लंबाई के संकेत
डे क पर अपना वा म व जताना
हमारे से मनार म हम लगातार गौर करते ह क टॉप लेवल के मैनेजर बाक लोग से
काफ़ लंबे होते ह। इं ट ूट ऑफ़ मैनेजमट क सहायता से हमने कंपनी डायरे टर तर के
2566 मैनेजर के कद और वेतन के आँकड़े जमा कए और पाया क कंपनी के सामा य तर से
ऊँचाई के एक इंच बढ़ने से के वेतन म 400 पाउंड क बढ़ोतरी ई, यह ी-पु ष के
मामले म समान प से सही था। अमे रका म ए शोध म पाया गया क कद का संबंध व ीय से
भी है, वॉल ट पर कद म एक इंच क बढ़ोतरी से हर के अं तम लाभ म 340 पाउंड क
वृ ई। सरकारी वभाग , म भी यही पार प रक संबंध पाया गया, जहाँ यह माना जाता है क
लोग क पदो त कद के आधार पर न होकर उनक यो यता व समानता के आधार पर होती है।
एक अमे रक अ ययन ने बताया क अमे रक कंप नय म लंबे लोग को न केवल सबसे अ छ
नौक रयाँ मल , ब क उनका शु आती वेतन भी अ धक था। 6 फ ट 2 इंच (1.9 मीटर) कद के
लोग को 6 फ ट (1.85 मीटर) से कम कद के लोग से 12 तशत यादा तन वाह मली।
लोर टे ट कर
अगर आप कद के साथ जुड़े भु व क जाँच करना चाहते ह तो अपने कसी दो त के साथ यह
परी ण कर। पहले, फ़श पर लेट जाएँ और फर ऊँचाई के अंतर को अ धकतम करने के लए
अपने दो त से कह क, आपके पास खड़ा हो जाए। फर अपने दो त से कह क वह जतना
जोर से हो सके आपको डाँटे। अब अपनी थ त बदल द, आप खड़े हो जाए और उसे फ़श पर
लेटने को कहकर फर से डाँटने को कह। आप पाएँगे क न केवल उसे ऐसा करने म मु कल
होगी, ब क उसक आवाज़ भी अलग लगेगी और ऐसा करते ए उसक आवाज़ म भु व भी
नह होगा।
सारांश
कद के अंतर से र त पर गहरा असर पड़ता है, ले कन ऊँचाई व श अ सर केवल हमारे
आभास होते ह। कम कद के लोग अपने कद का आभास बढ़ा सकते ह और गहरे रंग के कपड़े,
धारीदार सूट या पतलून पहनकर, और ह के, दबे ए मेकअप (म हला के लए) और बड़े
आकार क घ ड़य से लोग को अ धक लंबे इंसान के प म याद रहते ह। घड़ी का आकार
जतना छोटा होगा, उतना ही उस इंसान का भाव कम होगा। सीधे खड़े होकर, और तनकर
चलने से आप आ म व ासी लगते ह और काय-कारण के नयम क वजह से ऐसा करके आप
अ धक आ म व ासी महसूस करगे।
अ याय 17
कोने क थ त (बी 1)
दो ताना, सामा य बातचीत म लगे लोग इस थ त म बैठते ह। यहाँ बैठने से एक– सरे से आँख
का संपक बना रहता है, कई तरह क भाव–भं गमाएँ अपनाई जा सकती ह और सरे के
हावभाव भी दे ख े जा सकते ह। अगर इंसान संकट महसूस करे तो डे क का कनारा आं शक
अवरोध उपल ध करवाता है, इस थ त से मेज़ का े ीय वभाजन नह होता। यह सबसे
सफल रणनी तक थ त है, जससे बी कोई ेज़टे शन दे सकता है। हम मानकर चलते ह
क ए ोता है। अपनी कुस को बी 1 पर ले जाकर आप तनावपूण माहौल को ह का कर
सकते ह और सकारा मक नतीजे क संभावना को बढ़ा सकते ह।
कोने क थ त
सहयोग क थ त (बी 2)
जब दो लोग एक जैसा सोचते ह या कसी काम को एक साथ करते ह, तो यह थ त होती है।
हमने पाया क 55 तशत लोग इस थ त को सबसे सहयोगा मक समझते ह या कसी सरे
इंसान के साथ काम करने को कहे जाने पर सहज ही इसे चुनते ह।
सहयोग क थ त
वतं थ त (बी 4)
इस थ त म तब बैठा जाता है, जब लोग एक– सरे के साथ बातचीत नह करना चाहते।
पु तकालय , पाक क बच या रे तराँ म अजन बय के बीच इसी थ त म बैठा जाता है और
इसका इ तेमाल हम यह बताने के लए करते ह क कैसे कसी वचार के त हम ‘पूरी तरह
वपरीत‘ह। हमारे सवाल का जवाब दे ने वाले 42 तशत लोग ने कहा क इससे यह संदेश
मलता है क कसी क दलच पी नह है और कुछ लोग इसे उदासीनता या श ुता के प म भी
लेत े ह। य द लोग के बीच खुली बातचीत आपका ल य है तो इस थ त से बचना चा हए।
कग आथर का तरीका
कग आथर अपने हर नाइट (सामंत) को बराबर अ धकार व ओहदा दे न े के लए गोलाकार मेज़
का इ तेमाल करता था। गोलाकार मेज़ राहत भरी औपचा रकता का वातावरण बनाती है और
समान दज के लोग के बीच बातचीत को बढ़ावा दे ने के लए उपयु है, य क ऐसे म हर
मेज़ के समान े पर अ धकार जता सकता है। वृत नयाभर म एकता व श का
तीक बन गया है और उसके चार ओर बैठने से यही भाव पैदा होता है। बद क़ मती से कग
आथर को नह पता था क य द समूह के लोग के दज म अंतर है तो गोलाकार मेज़ सामू हक
श के आयाम को बदल सकती है। राजा सवा धक श शाली था, जसका अथ था क
उसके दाएँ–बाएँ बैठे नाइट् स को उसके बाद के म म चुपचाप श शाली मान लया गया और
दाई ओर बैठे नाइट को बाई ओर वाले के मुकाबले यादा ताकतवर मान लया गया। राजा से
री के आधार पर नाइट् स क श कम होती गई।
घर म श का खेल
कसी प रवार क डाइ नग टे बल के आकार से उस प रवार म श – वभाजन का संकेत मल
सकता है, हम मानकर चल रहे ह क डाइ नग म म कसी भी आकार क मेज़ आ सकती है
और ब त सोच–समझकर उस आकार क मेज़ को चुना गया होगा। ‘खुल‘े मज़ाज के प रवार
गोल मेज़ चुनते ह, जब क ‘संक ण‘सोच के प रवार वगाकार मेज़ और ‘तानाशाही‘रवैय े के
प रवार आयाताकार मेज़ को चुनते ह।
अगली बार कसी डनर पाट म जाने पर इस योग को आज़माएँ : सबसे शम ले,
सबसे अ धक अंतमुखी मेहमान को मेज़ के शीष थान पर, दरवाज़े से र बैठाएँ और ऐसे म
उसक पीठ द वार से र हो। आपको आ य होगा क कस तरह से सफ़ भावशाली जगह पर
बैठने से उस को भु वशाली ढं ग से बातचीत करने का ो साहन मलेगा और कस कार
अ य लोग भी उस पर अ धक यान दे ने लगगे।
यान दे न े का े
रॉबट सॉमर और ऐड स व बडल जैसे शोधकता के मानदं ड को अपनाते ए हमने दशक
का एक अ ययन कया, जसम हमने इस बात पर यान दया क क से मनार क म बैठने क
जगह के आधार पर डे लगेट्स क सहभा गता कतनी रही और ेज़टर क कही बात उ ह
कतनी याद रही। आ यजनक प से हमारे प रणाम रॉबट सॉमर के मूल अ ययन जैस े ही रहे,
हालाँ क हमारे अ ययन म भाग लेने वाले लोग वय क थे जब क सॉमर ने व ा थय का
अ ययन कया था। हम ऑ े लया, सगापुर, द ण अ का, जमनी, टे न, ांस और
फ़नलड के लोग के बीच कुछ सां कृ तक अंतर दखाई दए। अ धकतर थान पर, वशेषकर
जापान म, ऊँचे दज के लोग पहली कतार म बैठे और उनक भागीदारी सबसे कम रही, इस लए
हमने दशक के उ ह आँकड़ को दज कया, जहाँ पर डे लगेट्स समान दज के थे। इससे मले
प रणाम को हमने ‘फ़नल इफ़े ट‘कहा।
उप थ त लोग ारा उनके बैठने क जगह के चुनाव के आधार पर जानकारी याद
रखना और उनक भागीदारी (पीज़, 1986)
हज़ार साल पहले, हमारा पूवज मानव शाम हो जाने पर अपने शकार के साथ लौटता था और
अपने समूह के साथ अपनी गुफा म उसे मल–बाँटकर खाता था। गुफा के वेश ार पर शकारी
जानवर को भगाने और गमाहट पाने के लए आग जलाई जाती थी। हर कोई गुफा क द वार
पर टक कर बैठता था, ता क उसके खाना खाने के दौरान पीछे से कसी हमले क आशंका न
रहे। ऐसे म सफ़ चीरने–फाड़ने और आग क चगा रय क आवाज़ सुनाई दे ती थ । आग के
आसपास मल–बैठकर खाना बाँटने क यह ाचीन या एक सामा जक घटना क शु आत
थी और आधु नक इंसान आज बारबे यू, घर से बाहर खाना पकाने व डनर पा टय म इसी को
दोहराता है। ऐसे म उसका बताव ठ क वैसा ही रहता है, जैसा क हज़ार साल पहले रहता था।
अब हम अपनी रे तराँ या डनर पाट क बात कर तो अपने प म कोई नणय
करवाना तब आसान होता है, जब सरा आराम से हो और उसका र ा मक चौक ापन
कम हो। इस ल य को पाने और हमारे पूवज के बारे म बताई गई बात को यान म रखते ए,
कुछ सामा य नमय का पालन कया जाना चा हए।
पहला, आप चाहे घर म खाना खा रहे ह या कस रे तराँ म ह तो यान रख क सरे
क पीठ मज़बूत द वार या कसी न क ओर हो। शोध बताते ह क जब कसी
क पीठ खुली जगह क ओर होती है, ख़ासकर जब वहाँ पर लोग क चहल–पहल हो तो सन,
दयग त, म त क क तरंग क आवृ और र चाप तेज़ी से बढ़ता है। यह तनाव तब और
बढ़ जाता है जब उस क पीठ ज़मीन के तर पर मौजूद खुल े दरवाज़े या खड़क क ओर
हो। यह जगह उस को बैठाने के लए सही होगी, जसे आप हतो सा हत करना या
गड़बड़ा दे ना चाहते ह । सरा, ब याँ मंद होनी चा हए और पृ भू म म ह का–सा संगीत बजना
चा हए, ता क मन शांत हो जाए। कई बड़े रे तरां म ाचीन काल म गुफा क दावत म जलने
वाली आग का भाव तैयार करने के लए खुल े फ़ायर लेस होते ह या वेश ार के पास नकली
आग रखी जाती है। अ छा होगा क गोल मेज़ उपयोग म लाई जाए और सरे को अ य
लोग न दख व आपक बात पर उसका यान रहे, इसके लए कसी न या बड़े पौधे का
इ तेमाल कया जा सकता है।
बड़े रे तराँ म साधारण–से भोजन के लए अपने ाहक से यादा पैसा वसूलने के लए
आराम प ँचाने क यही तकनीक अपनाई जाती ह और पु ष हज़ार वष से अपनी े मका
के लए रोमां टक वातावरण बनाने के लए इनका इ तेमाल करते रहे ह। ऐसे हालात म कसी
को अपने प म करना आसान है, जब क तेज़ रोशनी, खुली जगह म मेज़–कुस लगने और
लट व छु री–काँट क आवाज़ के बीच ऐसा करना काफ़ मु कल हो सकता है।
सारांश
बैठने क व था संयोगवश नह होनी चा हए; कुछ न त लोग को न त थान पर बैठाने से
कसी बैठक का प रणाम भा वत हो सकता है। अगली बार जब आप कसी के साथ मी टग म
जाएँ तो ख़ुद से पूछ : आप कसे सबसे अ धक भा वत करना चाहते ह और इसे पाने के लए
कस जगह पर बैठना सबसे उपयु रहेगा? कसके ारा बहस या वरोध करने क आशंका हो
सकती है? अगर कोई नेता नह चुना गया है, तो सबसे श शाली थ त पर कसने अपना दावा
पेश कया है? अगर आप नयं ण करना चाहते ह, तो आपको कहाँ बैठना चा हए? इन के
उ र न केवल आपको ज़बरद त बढ़त दगे, ब क बाक लोग को मी टग म भुता जमाने व
नयं ण करने से रोकगे।
अ याय 18
सा ा कार, श – दशन और
कायालय क राजनी त
ऐडम ने इस संदेह के साथ इंटर ू छोड़ा क उसका दशन ख़राब रहा है। या उसक
कही बात ने खेल बगाड़ दया? या शायद उसके चॉकलेट ाउन सूट, छोट दाढ़ , कान
के बूंदे और ज़ रत से यादा भरा ीफ़केस उ ह पसंद नह आया? या कह वह ग़लत
कुस पर तो नह बैठ गया?
नौकरी के अ धकतर इंटर ू थ होते ह, य क अ ययन से पता चला है क इंटर ू लेन े वाले
ारा उ मीदवार को पसंद कए जाने और उ ह नौकरी मलने या न मलने के बीच गहरा संबंध
होता है। अंततः श ा व काम से जुड़े जानकारी, जो क उ मीदवार के दशन का अ छा पैमाना
है, उसे भुला दया जाता है। इंटर ू लेन े वाले पर पड़े उ मीदवार के भाव को याद रखा जाता
है।
1. रसे शन ए रया म
य द संभव हो तो अपने बाहरी कपड़े नकालकर रसे श न ट को दे द। कसी भी द तर म
फ़ालतू का सामान ले जाने से बच, जससे आपसे चूक हो सकती है और आप अकुशल लग
सकते ह। रसे शन क जगह पर कभी न बैठ और हमेशा खड़े रह। रसे श न ट आपको बैठने के
लए कह सकती ह, य क बैठ जाने पर आप उनक नज़र से र हो जाते ह और उ ह आपसे
नपटना नह पड़ता। अपने हाथ को पीठ के पीछे मोड़कर (आ म व ास) रख और अपने पैर
पर धीरे–धीरे आगे–पीछे (आ म व ासी एवं नयं त प से) ह या ट पल मु ा अपनाएँ। इस
शारी रक हावभाव से रसे श न ट को यान रहेगा क आप वहाँ पर इंतज़ार कर रहे ह। टै स
ऑ फ़स म ऐसा कभी न कर।
2. वेश
आपके वेश के तरीके से आपके साथ होने वाला बताव तय होता है। रसे श न ट ारा अंदर
जाने का संकेत दए जाने पर न संकोच अंदर जाएँ। हेडमा टर से मलने आए कसी शरारती
कूली ब चे क तरह दरवाज़े पर खड़े न रह। जब आप कसी के ऑ फ़स के दरवाज़े से
होकर अंदर जाते ह तो अपनी ग त बनाकर रख। आ म व ास न रखने वाले लोग अपनी ग त
बदलते ह और अंदर जाते ए पैर घसीटते लगते ह।
3. तरीका
चाहे वह फ़ोन पर ही य न हो, अपनी दराज़ टटोल रहा हो या जूत े के फ ते बाँध रहा हो,
आप सीधे आ म व ास के साथ आगे बढ़। अपना ीफ़केस, फ़ो डर या आपके हाथ म जो भी
हो, उसे रख उस से हाथ मलाकर तुरंत अपनी जगह पर बैठ जाएँ। सरे को दे खने
द क आप ऑ फ़स म आ म व ास से आने के आद ह और आप इंतज़ार करते रहने क
अपे ा नह करते। धीमी ग त से चलने या लंबे डग भरने वाले लोग यह बताते ह क उनके पास
काफ़ व त है और उस काम म उनक च नह है, या फर उनके पास कुछ और करने को नह
है। रटायर हो चुके करोड़प त और लो रडा व वी सलड म रहने वाले लोग के लए यह
ठ क हो सकता है, ले कन उस इंसान के लए यह सही नह है जो श , भुता या मता का
संदेश दे ना चाहता है या बताना चाहता है क वह सेहतमंद है और संभा वत साथी हो सकता है।
भावशाली लोग और जो लोग अपनी ओर यान ख चना चाहते ह, वे म यम ग त पर म यम
कदम से आगे बढ़ते ह।
4. हाथ मलाना
अपनी हथेली सीधी रख और जतनी ज़ोर से उसे सामने वाला पकड़ता है, उतना ही दबाव हाथ
मलाने वाले के हाथ पर डाल। सरे को हडशेक समा त करने का फ़ैसला लेने द। हथेली
नीचे करके कए जाने वाले हडशेक से बचने के लए आयताकार डे क के बाई ओर से आगे बढ़।
डे क के आरपार हाथ न मलाएँ। शु आती 15 सेकड म उस का नाम दो बार ल और 30
सेकड से अ धक समय तक लगातार बात न कर।
5. बैठने पर
अगर आपको ठ क सामने नीची कुस पर बैठाया जाता है, तो ‘डाँट‘क थ त से बचने के लए
कुस को उस से 45 ड ी क ओर मोड़ ल। अगर आप कुस को इस कोण पर नह ला
सकते तो अपने शरीर को इस कोण पर मोड़ ल।
6. बैठने क जगह
य द आपको कसी के द तर के अनौपचा रक थान, जैस े क कॉफ़ टे बल पर बैठने के
लए कहा जाता है, तो यह सकारा मक च है, य क 95 तशत बज़नेस ताव डे क के
पीछे से ठु कराए जाते ह। कभी भी इतने नचले सोफ़े पर न बैठ, जस पर बैठकर आपक टाँग
तो वशालकाय लग, ले कन आपका सर ब त छोटा लगने लगे। य द ज़ री हो तो कनारे पर
सीधे बैठ, ता क आप अपने शरीर के हावभाव व मु ा को नयं त कर सक, ऐसे म अपने
शरीर को सरे से 45 ड ी के कोण पर रख।
7. आपके हावभाव
जो लोग कूल, शांत, संय मत होते ह और अपनी भावना पर नयं ण रखते ह, वे प ,
सामा य व सोच– वचारकर ग त व धयाँ करते ह। उ च दज के लोग न न दज के लोग से कम
मु ाएँ इ तेमाल म लाते ह। यह एक ाचीन नेगो शए टग तरीका है क श शाली लोग को
यादा हलना–डु लना नह पड़ता। यह बात यान म रख क पूव यूरोपीय लोग प मी यूरोप के
लोग के मुकाबले कोहनी से नीचे के ह से का यादा इ तेमाल करते ह, जब क द ण यूरोपीय
अपनी पूरी बाँह और कंध का अ धक योग करते ह। जब उ चत हो, तब सामने वाले
क मु ा और हावभाव को त ब बत कर।
8. फ़ासला
सरे के पसनल पेस यानी नजी े का स मान कर, जो क बैठक के शु आती पल म
सबसे बड़ा होगा। अगर आप यादा नज़द क गए तो वह पीछे क ओर टककर, र
झुककर या उँग लय को मेज़ पर बजाने जैसी बार–बार क जाने वाली हरकत से अपनी
त या करेगा। नयम यह है क आप प र चत लोग के नज़द क जा सकते ह, ले कन
नए लोग से र रहना चा हए। पु ष सामा यतया साथ काम करने वाली म हला के नज़द क
जाते ह, जब क म हलाएँ आमतौर पर पु ष से र जाती ह। अपनी उ के लोग के नज़द क
जाएँ, ले कन काफ़ बूढ़े या युवा लोग से री बनाए रख।
9. बाहर नकलना
ज दबाज़ी करने के बजाय शां त से व सावधानी से अपना सामान उठाएँ और संभव हो तो हाथ
मलाकर मुड़ और बाहर नकल जाएँ। अगर आपके अंदर आते समय दरवाज़ा बंद था, तो बाहर
नकलते ए उसे बंद कर द। बाहर नकलते ए लोग आपको पीछे से दे खते ह, इस लए अगर
आप पु ष ह तो सु न त कर ल क आपको जूते का पछला ह सा चमकदार हो। ब त से
पु ष इसे अनदे खा करते ह, ले कन म हला इंटर ूअर इस पर आलोचना मक रवैया रखती ह।
एक म हला बाहर जाते ए अपने पैर दरवाज़े क ओर करती है और अपने कपड़े व बाल ठ क
करती है, ता क नकलते समय उसका पछला ह सा भी अ छा भाव छोड़े। जैसा क पहले भी
बताया जा चुका है, आप इस बात को पसंद कर या नह ले कन छपे ए कैमरे दखाते ह क
जब कोई म हला बाहर नकलती है तो लोग उसके पीछे के ह से पर गौर करते ह। दरवाज़े पर
प ँचकर धीरे से पीछे मुड़कर मु कुराएँ। बेहतर होगा क वे आपके पछले ह से के बजाय
आपका मु कुराता चेहरा याद रख।
5. भावी श द का इ तेमाल कर
कै लफ़ो नया यू नव सट के एक अ ययन म पता चला क बोलचाल क भाषा म सबसे भावी
श द ह : खोज, गारंट , ेम, सा बत, प रणाम, बचत, आसान, सेहत, धन, नया, सुर ा और
आप। इन श द का अ यास कर। इन मा णत श द से जो प रणाम आपको मलगे, वे आपको
अ धक ेम, बेहतर सेहत क गारंट दगे और आपके धन क बचत करगे। ये पूरी तरह सुर त ह
और इ तेमाल करने म आसान ह
6. ह का ीफ़केस ले जाएँ
कॉ बनेशन लॉक वाला ह का ीफ़केस ले जाने वाला मह वपूण होता है, जसका
सरोकार नणायक काम से होता है; बड़े, भारी–भरकम ीफ़केस उन लोग के होते ह, जो सारा
काम करते ह और समय पर उसे पूरा न करने के कारण उ ह सु व थत नह माना जाता।
7. कोट के बटन दे ख
यू नयन और कॉप रेशन के बीच ए टकराव के वी डयो के व ेषण दखाते ह क लोग के
कोट के बटन खुले होने क थ त म सहम त होने क संभावना सबसे अ धक होती है। छाती पर
बाँह मोड़ने वाले लोग ऐसा तभी करते ह, जब उनक जैकेट के बटन बंद होते ह और वे अ धक
नकारा मक होते ह। अगर कोई मी टग म अचानक अपनी जैकेट के बटन खोलता है, तो
आप यह मान सकते ह क उसका दमाग भी शायद खुल गया है।
सारांश
कसी भी मह वपूण इंटर ू या मी टग म जाने से पहले पाँच मनट के लए शां तपूवक बैठ और
मान सक प से अ यास कर क आप यह सब कर रहे ह और उसे अ छ तरह कर रहे ह। जब
आपका दमाग यह सब प प से दे ख लेता है, तो आपका शरीर भी उसे कर पाएगा और
अ य लोग से आपको मन मुता बक त या मलेगी।
3. कुस क थ त
जैसा क बैठने क व था वाले अ याय म बताया जा चुका है, कसी मुलाकाती पर तब सबसे
यादा ताकत का असर पड़ता है, जब उसक कुस ठ क सामने त पधा मक थ त म रखी
गई हो। आमतौर पर मुलाकाती क कुस ए ज़ी यू टव के डे क से काफ़ र उसके सामा जक
या सावज नक े म रखी जाती है, जससे मुलाकाती का दजा और भी कम हो जाता है।
अगर वह उसे दे खने के लए आगे झुकता है, ले कन उसे उठाता नह , तो आपको अपनी जगह
पर बैठकर ही उसे दे ना होगा, य क वह नह चाहता क आप डे क पर उसके ह से क
ओर आएँ। अगर ऐसा होता है, तो अपने शरीर को 45 ड ी पर रख। अगर वह उसे अपने ह से
म ले लेता है, तो ठ क है, वरना ऐसे म आप उसके े म जाने क अनुम त ले सकते ह और
कोने क या आपसी सहयोग क थ त म आ सकते ह।
काग़ज़ को अपने इलाके म करना नॉन वबल वीकृ त का संकेत है
उसके े म वेश करने क नॉन–वबल सहम त
ले कन अगर वह उसे आपक ओर धकेलता है, तो अपनी तरफ़ ही रह। सरे इंसान के े म
तब तक न घुस, जब तक क आपको बोलकर या बना बोले ऐसा करने क अनुम त न मल,
वरना आप उ ह और भी र कर सकते ह।
45 ड ी क री क थ त
जॉन का शु आती ऑ फ़स
इ तेमाल करने वाले क सु वधा के लहाज़ से और नॉन–वबल कोण से जॉन का ऑ फ़स
ब त बुरी थ त म था। उसम वेश करने वाले को वह मै ीपूण नह लगता था। जॉन क बंधन
शैली को अ धक म तापूण बनाने के लए और ो सा हत करने के लए न न व थाएँ फर से
क गई:
बदलाव के बाद का ऑ फ़स
सारांश
श के खेल और कायालय क राजनी त को आप समझ सकते ह और पहले से अपनी योजना
बन सकते ह।
ऐडम नह जानता था क प मी सं कृ त म चॉकलेट रंग का सूट पहने पु ष को
म हलाएँ पसंद नह करत और छोट सी दाढ़ भले ही फैशन म य न हो, शैतान से जुड़े होने के
कारण अनजाने ही वह बूढ़े लोग म तरोध उ प करती है। कान के बूंदे और ज़ रत से यादा
भरे ीफ़केस ऐसे लोग ारा इंटर ू म ले जाए जाते ह, ज ह नॉन–वबल बात क समझ नह
होती।
अ याय 19
सरसरी तौर पर इस च को दे खने पर आपको एक हाथी दखाई दे गा। इसे काफ़ नज़द क से
दे खने पर आप जानगे क जो जैसा दखता है, वह वा तव म वैसा नह होता। जब अ धकतर
लोग अ य लोग को दे खते ह, तो वे उस को तो दे खते ह, ले कन उन व तृत बात को नह
दे ख पाते, जो बाद म बताए जाने पर दखाई दे ती ह। बॉडी ल वेज के साथ यही होता है।
शारी रक हावभाव के मा यम से संचार लाख साल से चला आ रहा है, ले कन बीसव सद के
अंत म इसे वै ा नक ढं ग से पढ़ा जाने लगा। नयाभर म लोग बॉडी ल वेज को आ ख़रकार
‘समझ’ रहे ह और अब यह औपचा रक श ा और बज़नेस े नग का ह सा बन गई है।
यह अं तम अ याय सामा जक व ावसा यक प र य पर क त है और ये आपको
अवसर दे गा क अब आप कतनी अ छ तरह से शारी रक संकेत को पढ़ व समझ सकते ह।
नोट् स पढ़ने से पहले हर त वीर के म को यान से समझ और दे ख क इस कताब म आपके
ारा पढ़े गए कतने शारी रक संकेत को आप समझ सकते ह। खोजे गए हर मुख संकेत के
लए वयं को एक अंक द और अंत म आप पूरा मू याँकन दे ख पाएँगे। आपको हैरानी होगी क
आपक ‘परसे टवनेस’ यानी अनुभू त– मता कतनी बेहतर हो गई है। यह यान म रख क
यहाँ हम थर मु ा का व ेषण कर रहे ह, इस लए बेहतर होगा क आप मु ा–समूह को
उनके संदभ म समझ और सां कृ तक अंतर पर भी ज़ र गौर कर।
आप कतनी अ छ तरह न हत अथ नकाल सकते ह?
बाएँ बैठा पु ष अपनी कुस पर टाँग फैलाकर उ टा बैठा है, जो बातचीत को नयं त करने या
दाई ओर बैठे पर भु व जमाने के लए है। उसने अपने शरीर को दाई ओर बैठे क
ओर कया आ है। उसक उंग लयाँ कसी ई ह व कुस के नीचे पाँव भी आपस म बँध े ह,
जससे हताशा भरा रवैया हो रहा है, यानी संभवत: उसे अपनी बात समझाने म मु कल हो
रही है। बीच बीच बैठा इंसान बाक दो से े तर महसूस कर रहा है, य क वह कैटाप ट का
इ तेमाल कर रहा है। उसक टाँग चार क मु ा यानी फ़गर फ़ोर म ह, जो संकेत दे रही ह क वह
त पधा मक या ववाद य है। उसक कुस ऊँची है, जो घूमती है, पीछे क ओर होती है और
उस पर प हए व ह थे ह। दाई ओर बैठा कम ऊँची कुस पर बैठा है, उस पर प हए नह है
और न ही अ य कोई अ त र चीज़ ह। उसक बाँह और टाँग कसकर बँधी (र ा मक) ह और
उसका सर नीचे ( तकूल) है, शरीर कसी अ य दशा म है ( दलच पी न होना), जससे संकेत
मल रहा है क बात उसे पसंद नह आ रही ह।
यह च तनाव भरे माहौल को दखा रहा है। तीन एक– सरे से यादा से यादा री
बनाए रखने के लए अपनी कुस पर पीछे टककर बैठे ह। दाई ओर वाला शायद अपने
नकारा मक मु ा समूह से सम या खड़ी कर रहा है। बात करते ए वह नाक को छू रहा है
(कपट) और उसक , दाई बाँह शरीर पर आं शक अवरोध (र ा मक) बना रही है अ य लोग के
वचार के त उसका कोई सरोकार न होना कुस के ह थे पर पाँव रखने क मु ा, ॉच दशन
और शरीर अ य लोग से र होने से प हो रहा है। बाई ओर बैठे को दाई ओर बैठे
क बात पसंद नह आ रही ह और वह रोएँ चुनने (असहम त) क मु ा अपना रहा है, उसक टाँग
मुड़ी ई (र ा मक) ह और कसी अ य दशा क ओर ह। बीच म बैठा कुछ कहना चाहता
है, ले कन अपनी राय को दबाए ए है, जो कुस के ह थे को पकड़ने और जकड़े ए टखन क
उसक संय मत करने क मु ा से द शत हो रहा है। अपना शरीर दाई ओर बैठे क
दशा म करके वह उसे मूक चुनौती दे रहा है।
बातचीत क शु आत
100–130 अंक
आप लोग के मामले म ब ढ़या ह और आमतौर पर ‘महसूस‘कर लेत े ह क या चल रहा है।
थोड़ी लगन और अ यास से आप बेहतरीन क यु नकेटर बन सकते ह।
70–100 अंक
कई बार आप समझ जाते ह क लोग हालात या एक– सरे को लेकर कैसा महसूस कर रहे ह,
ले कन कई बार आपको ब त दन बाद यह समझ आता है। आपको बॉडी ल वेज का खूब
अ यास करना चा हए।
70 या उससे कम
यह कताब पढ़ने के बावजूद आप 70 अंक तक नह ला पाए? हमारा सुझाव है क आप
क यू टग, अकाउं टग म क रयर तलाश या फर मे डकल रसे श न ट बन जाएँ, य क वहाँ
पर लोग से जुड़े कौशल क ज़ रत नह होती। कताब को फर से पढ़ना शु कर। इस दौरान
न तो घर से नकल और न ही कसी फोन कॉल का जवाब द।
सारांश
शोध अब ठोस माण के साथ दखाते ह क अगर आप अपनी बॉडी ल वेज म बदलाव कर द
तो आप ज़दगी के त अपने नज़ रये म भी बदलाव ला सकते ह। बाहर जाने से पहले आप
अपना मूड बदल सकते ह, काम म अ धक आ म व ास ला सकते ह, लोग को अ धक पसंद
आ सकते ह और लोग को अपने प म करने वाले या व सनीय बन सकते ह। अपने शारी रक
हावभाव म बदलाव लाकर आप लोग के साथ अलग तरीके से बताव करते ह और नतीजतन,
उनक त या भी अलग होती है।
जब आप पहले अपनी बॉडी ल वेज के त जाग कता बढ़ाते ह तो हो सकता है क
आपको असहज महसूस हो और थोड़ा संकोच हो। ले कन फर कुछ समय बाद आप अपनी हर
अभ के त जाग क ह गे और आपको हैरानी होगी क आप कतनी मु ाएँ अपनाते ह
और कतनी बार चीज़ से खेलते ह और आपको महसूस होगा जैस े आपके आसपास का हर
इंसान इसे दे ख रहा है। याद र खए क अ धकतर लोग अपने शरीर क भाषा से पूरी तरह
अनजान रहते ह और वे आप पर अपनी छाप छोड़ने क को शश म इतने त रहते ह क वे
आपके हावभाव पर गौर भी नह कर पाते। अगर आपको जेब म हाथ रखने क या अपनर हाथ
थामे रहने और कह और दे खने क आदत रही है, तो शु आत म जानबूझकर अपनी हथे लयाँ
खोलना और सीधे कसी को दे खना आपको अजीब लग सकता है।
आप सवाल कर सकते ह, ‘म अपनी बॉडी ल वेज के बारे म सोचते ए और बातचीत
पर यान लगाते ए कैसे कसी के शारी रक हावभाव पर नज़र रख सकता ँ?’ याद र खए क
आपका दमाग पहले से ही ब त से बॉडी ल वेज संकेत को पढ़ने के लए ो ा ड है, इस लए
आप बस इन संकेत व संदेश को चेतन तौर पर पढ़ना सीख रहे ह। यह पहली बार साइ कल
चलाने जैसा है, शु म थोड़ा डर लगता है, आप एक–दो बार गर सकते ह, ले कन फर कुछ ही
दन म आप उसे चलाने म मा हर हो जाते ह।
कुछ लोग को लग सकता है क शारी रक हावभाव पढ़ना सीखना चालाक व छल–
कपट भरा है, ले कन इसका इ तेमाल कुछ ख़ास क म के कपड़े पहनने, भाषा वशेष का योग
करने या ऐसी कहा नयाँ सुनाने जैसा ही है, जो आपको ब त अ छे पेश ढं ग से पेश करती ह।
बस अंतर इतना है क यह अनजाने म नह होगा और आप अ य लोग पर अ छा भाव छोड़
पाएँगे। अगर आप पु ष ह, तो याद र खए क आपके जाने या अनजाने म हलाएँ आपक बॉडी
ल वेज के संकेत को समझ रही होती ह, इस लए इसके बारे म सीखने से आप भी उनक
बराबरी कर सकते ह। सश शारी रक हावभाव के बना आप पैगेट वे टन (प म इटै लयन
फ़ म ) क तरह लगगे – आपके ह ठ श द के साथ मेल नह खाएँगे और दे खने वाले लगातार
असमंजस म रहगे या चैनल बदल दगे।
अंत म, तुत है उन मुख ब का सार, जससे आप अ य लोग पर अपने
शारी रक हावभाव से सकारा मक भाव डाल सकते ह।