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Body Language - Hindi

This book about learning body language in Hindi
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बॉडी

ल वेज
पहचा नए शरीर क भाषा
Why not use Allan Pease as guest speaker for your next
Conference or Seminar?
PEASE INTERNATIONAL PTY LTD
PO Box 1260, Buderim 4556, Queensland, AUSTRALIA
Tel: +61 7 5445 5600

Email: [email protected]
Website: www.peaseinternational.com
Allan and Barbara Pease are the most successful relationship authors in the business. They have written a
total of 15 bestsellers - Including 9 number ones-and give seminars in up to 30 countries each year. Their
books are available in over 100 countries, are translated into 51 languages and have sold over 25 million
copies. They appear regularly in the media worldwide and their work has been the subject of 9 television
series, a stage play and a number one box office movie which attracted a combined audience of over 100
million.

Their company, Pease International Ltd, produces videos, training courses and seminars for business and
governments worldwide. Their monthly relationship column was read by over 20 million people in 25
countries. They have 6 children and 5 grandkids and are based in Australia and the UK.

Also by Allan Pease


DVD Programs
Body Language Series
Silent Signals Series
How To Be A People Magnet - It’s Easy Peasey
The Best Of Body Language
How To Develop Powerful Communication Skills - Managing the Differences Between Men & Women

Audio Programs
The Definitive Book Of Body Language
Why Men Don’t Listen & Women Can’t Read Maps
Why Men Don’t Have A Clue & Women Always Need More Shoes
How To Make Appointments By Telephone
Questions Are The Answers
It’s Not What You Say

Books
Body Language-How to Read other’s Thoughts by their Gestures
The Body Language of Love
Body Language in the Work Place
The Definitive Book Of Body Language
Why Men Don’t Listen & Women Can’t Read Maps
Why Men Lie & Women Cry
Why Men Want Sex & Women Need Love
You Can! People Skills For Life
Questions Are The Answers
Why He’s So Last Minute & She’s Got It All Wrapped Up
Why Men Can Only Do One Thing. At A Time & Women Never Stop Talking
How Compatible Are You? Your Relationship Quiz Book
Talk Language
Gett Write
बॉडी ल वेज
पहचा नए शरीर क भाषा

ऐलन + बारबरा पीज़

अनुवाद : नीलम भ

मंजुल प ल शग हाउस
This book is dedicated to all people who who have good eyesight but who cannot see.

First published in India by

Manjul Publishing House


Corporate and Editorial Office
• 2nd Floor, Usha Preet Complex, 42 Malviya, Nagar, Bhopal 462 003 - India
Sales and Marketing Office
• 7/32, Ground Floor, Ansari Road, Daryaganj, New Delhi 110 002 - India
Website: www.manjulindia.com
Distribution Centres
Ahmedabad, Bengaluru, Bhopal, Kolkata, Chennai,
Hyderabad, Mumbai, New Delhi, Pune

Hindi translation Copyright © 2014 of original English title


The Dtfinitive Book of Body Language by Allan and Barbara Pease

Copyright © 2004 by Allan Pease

All rights reserved. Published by agreement with


PEASE INTERNATIONAL PTY. LTD. AUSTRALIA,
c/o Dorie Simmonds Literary Agency Ltd.

Art direction by Santamaria www.santamaria.co.uk


Illustrations by Piero

This edition first published in 2014


Second impression 2016

ISBN 978-81-8322-318-8

Translation by Neelam Bhatt

All rights reserved. No part of this publication may be reproduced, stored in or introduced into a retrieval
system, or transmitted, in any form, or by any means (electronic, mechanical, photocoppying, pying,
recording or otherwise) without the prior written permission of the publisher. Any person who does any
unauthorised act in relation to this publication may be liable to criminal prosecution and civil claims for
damages.
वषय – सूची

आभार
प रचय
अ याय 1 बु नयाद बात समझना
अ याय 2 आपके हाथ म है श
अ याय 3 मु कुराहट और हँसी का जा
अ याय 4 आम स न स (बाँह के संकेत)
अ याय 5 सां कृ तक अंतर
अ याय 6 हाथ और अँगूठे क मु ाएँ
अ याय 7 मू याँकन और छल-कपट क मु ाएँ
अ याय 8 आँख के संकेत
अ याय 9 घुसपैठ करने वाले – इलाके और नजी दायरे
अ याय 10 टाँग कैसे बताती ह क दमाग या चाहता है
अ याय 11 दै नक जीवन म दखने वाली 13 सबसे आम मु ाएँ
अ याय 12 त ब बत करना – हम कैसे घ न ता बनाते ह
अ याय 13 सगरेट, च मे और मेकअप के गु त संकेत
अ याय 14 शरीर उधर कैसे संकेत करता है, जधर दमाग़ जाना चाहता है
अ याय 15 णय- नवेदन दशन और आकषण संकेत
अ याय 16 वा म व, े और लंबाई के संकेत
अ याय 17 बैठने क व था - कहाँ बैठे और य
अ याय 18 सा ा कार, श - दशन और कायालय क राजनी त
अ याय 19 अपनी जानकारी का मू यांकन कर
आभार

न न ल खत लोग ने जाने-अनजाने, य या अ य तरीके से इस पु तक म अपना योगदान


दया है :

डॉ. जॉन टकेल, डॉ. डे नस वेटली, डॉ. आं े डेव रल, ोफ़ेसर फ लप ह सेकर, े वर डॉ बी,
आ मन गॉ टरमेन, लोठा मेन,े रे ड थ पीज़, मै कम एडवड् स, इयान माशल, लॉरा मीयन, रॉन
ड टोबी हेल, डै रल वट , सूज़न लै ब, सडाक हायाशसी, डेब मेरटस, डेब ह समैन, डॉरीन
कैरल, ट व राइट, डे रन हच, डैना री स, रॉनी कॉबट, वनेसा फ़े ट् ज़, ए थर रटज़ेन, जॉनाथन
कोलमैन, श गोदार, केरी ऐन केनरली, बट यूटन, रॉजर मूर, लेनी हेनरी, रे मा टन, माइक
वॉ श, डॉन लेन, इयान लेज़ली, ऐड डायमंड, जेरी ड शेरी मीडोज़, टै न ज़ेरमा नक, डैरेल
सॉमस, आं े स केपेस, लयॉन बायनर, बॉब गे डॉफ़, लाद मर पु तन, डी मेकनैब, जॉन
हावड, नक ड कैथरीन ाइनर ाइस कटनी, टोनी ड शेरी लेयर, ेग ड कैथी ओवन, लडी
चबरलेन, माइक टॉलर, जेरी ड कैथी ेडबीयर, ट ड पैट बॉएड, माक व टर है सन, ायन
े सी, केरी पैकर, इयान बॉथम, हेलेन रचड् स, टोनी ेग, साइमन टाउनसड, डायना पसर, स
व लयम, स हैरी, स चा स, डॉ. डेसमंड मॉ रस, सस ऐन, डे वड ड यैन गुड वन, इवेन
ै गी, व टो रया सगर, जॉन ने वन, रचड ऑटन, राउल बॉएल, मै यू ॉ ड, डू ग कॉ टे बल,
जॉज डेवरॉ, रॉब एडमंड्स, जेरी हैटन, जॉन हेपवथ, बॉब हसलर, गे बर, इयान मैक कलप,
डे लया म स, पामेला डरसन, वेन म ज, पीटर ओपी, डे वड रोज़, ऐलन वाइट, रॉब वच,
रॉन ताक , बैरी मारकॉफ़, ट न मार, सैली ड जेफ़ बक, जॉन फ़े टन, नॉमन ड लडा
लेनड

और

डोरी समंड्स, जनके ो साहन और उ साह ने हम इस पु तक को लखने के लए


े रत कया।
प रचय

कसी इंसान के नाख़ून , कोट क आ तीन , उसके बूट ,


पतलून क सलवट , उसक उँग लय और अँगूठ पर पड़ी
गाँठ , उसके हाव - भाव, उसक कमीज़ के कफ़, उसक
ग त व धय – इन सभी से उसके कामकाज का पता
चलता है। ये सभी मलकर कसी मामले क पड़ताल म
लगे नपुण खोजी को कोई सुराग न दे पाएं, ऐसा लगभग
नामुम कन है।
शरलॉक हो स, 1892

लड़कपन से ही म जानता था क जो कुछ भी लोग कहते ह, ज़ री नह क वे वही कहना चाहते


ह या वैसा ही महसूस कर रहे ह और यह भी क य द म उनक असली भावनाएँ पढ़ लूँ और
उनक ज़ रत के हसाब से त या ँ , तो म उनसे वे सब काम करवा सकता ँ, जो म
चाहता ँ। 11 साल क उ म जेबखच कमाने के लए मने कूल के बाद घर-घर रबर पंज बेचने
के साथ अपना से स क रयर शु कया। म ज द ही समझ गया क कैसे पता लगाया जाए क
कोई मुझसे पंज ख़रीदे गा या नह । दरवाज़ा खटखटाने पर अगर कोई मुझे जाने के लए बोलता,
ले कन उसक हथे लयाँ सामने खुली दखत , तो म समझ जाता क इस इंसान के पीछे पड़ा जा
सकता है, य क भले ही वह मेरी उपे ा करता लग रहा हो, ले कन वह आ ामक नह था। य द
कोई कोमल आवाज़ म मुझे जाने के लए कहता, ले कन उसक उँगली सीधी तनी होती और
मु याँ बँधी होती, तो म समझ जाता था क वहाँ से खसक जाने म ही भलाई है। मुझे
से सपसन का काम पसंद था और म उसम लाजवाब था। कशोराव था म म बरतन बेचने का
काम करने लगा। म रात को काम करता था और लोग को समझने क मेरी का ब लयत के
कारण म इतना पैसा कमा सका क मने अपनी पहली ॉपट खरीद ली। चीज बेचने के काम ने
मुझे लोग 8 बॉडी ल वेज : पहचा नए शरीर क भाषा से मलने और उ ह करीब से समझने के
अवसर दए, ता क उनक बॉडी ल वेज दे खकर म पता लगा सकूँ क वे कुछ खरीदगे या नह ।
यह नर ड को म लड़ कय से मलने के मामले म भी ब त कारगर सा बत आ। म लगभग हर
बार सही अनुमान लगा लेता था क कौन सी लड़क मेरे साथ नाचने के लए हामी भरेगी और
कौन नह ।
20 साल क उ म मने लाइफ़ इं योरस का काम शु कया और अपनी कंपनी के लए
मने ब त से से स रकॉड तोड़े। अपने पहले साल म म दस लाख डॉलर से यादा का इं योरस
बेचने वाला सबसे कम उ का बना। मेरी इस उपल ध ने मुझ े अमे रका के त त
म लयन डॉलर राउंड टे बल का ह सा बनने का मौका दया। म भा यशाली था क कम उ म
बरतन बेचने के दौरान सीखी ई शारी रक हावभाव पढ़ने क मेरी तकनीक का इ तेमाल इस
नए े म कया जा सकता था और उसका सीधा संबंध मेरी सफलता से था, जो मुझे लोग से
जुड़े कसी भी काम म मल सकती थी।

सभी चीज़ वैसी नह होती, जैसी वे दखती ह


कसी इंसान के साथ या हो रहा है, यह समझ पाना सीधा-सरल है। यह काम आसान नह ,
ब क सीधा-सरल है। इसका संबंध कसी माहौल म आपको दखाई दे ने वाली चीज़ और सुनाई
दे ने वाली बात को आपस म जोड़ने और फर उससे संभा वत प रणाम नकालने से है। हालां क
अ धकांश लोग सफ़ वही दे खते ह, जसके बारे म उ ह लगता है क वे उसे दे ख रहे ह।

इस त य को सा बत करने के लए पेश है एक कहानी :

दो जंगल से गुज़र रहे थे क उ ह रा ते म एक ब त बड़ा और गहरा ग ा दखाई


दया।
‘वाह…यह तो काफ़ बड़ा दखता है, एक ने कहा। ‘चलो कुछ कंकड़ इसम डालकर
दे खते ह क यह कतना गहरा है।‘
उ ह ने ग े म कुछ कंकड़ डाले और इंतज़ार करने लगे, ले कन उ ह कोई आवाज़ नह
सुनाई द ।
‘यह तो सचमुच काफ़ गहरा ग ा है। अब इस बड़े से प थर को इसम डालकर दे खते
ह। उससे तो ज़ र आवाज़ होगी।‘
उ ह ने फुटबॉल जतने बड़े दो प थर उठाकर उ ह ग े म डाल दया और इंतज़ार करने
लगे, ले कन तब भी उ ह कुछ सुनाई नह दया।
‘वहाँ घासफूस म एक रेलवे लीपर (रेल क पटरी के नीचे बछाए जाने वाली लकड़ी या
कॉ ट) है,‘एक ने कहा। ‘अगर हम उसे इस ग े म डाल द तो उससे तो कोई न कोई आवाज़
ज़ र होगी।‘दोन भारी-भरकम लीपर को घसीटते ए ग े तक लेकर आए और उसे अंदर
डाल दया, ले कन ग े से ह क सी भी आवाज़ नह आई।
तभी जंगल से अचानक हवा क रफ़तार से भागती ई एक बकरी उ ह अपनी ओर
आती दखाई द । वह उन दोन आद मय के बीच से ब त तेज़ी से गुज़री। फर वह हवा म
उछली और सीधे ग े म जाकर गायब हो गई। यह दे खकर दोन आद मय क आँख खुली क
खुली रह ग ।
जंगल से एक कसान नकला और उसने उनसे पूछा, ‘ या आप लोग ने मेरी बकरी को
दे खा?‘?‘
“हाँ, दे खा तो! इससे हैरत अंगेज़ बात हमने आज तक नह दे खी! बकरी तो जंगल से
जैस े हवा के घोड़े पर सवार होकर नकली और उस ग े म कूद गई।”
‘अरे नह , वह मेरी बकरी नह हो सकती। मने तो अपनी बकरी को एक रेलवे लीपर से
बाँधकर रखा था!‘ कसान ने कहा।

आप अपने हाथ को कतनी अ छ तरह पहचानते ह?


कई बार हम कहते ह क हम कसी चीज़ को अपने हाथ क तरह ब त अ छ तरह जानते-
समझते ह, जब क योग से सा बत आ है क 5 तशत से भी कम लोग कसी त वीर म
अपने हाथ के पछले ह से को पहचान पाते ह। एक ट वी ो ाम के लए कए गए साधारण से
योग से मले नतीज से हमने पाया क अ धकतर लोग शारी रक हावभाव से जुड़े संकेत को
समझने म उतने मा हर नह होते। हमने एक लंबी होटल लॉबी के एक सरे पर बड़ा सा आईना
लगवाया, जससे होटल म घुसते समय ऐसा म होता था क लॉबी से पीछे बाहर तक एक बड़ा
सा ग लयारा है। हमने फ़श से 5 फ ट ऊपर छत पर बड़े-बड़े पौधे लटकाए, ता क जब भी कोई
लॉबी म वेश करे तो ऐसा लगे क ठ क उसी समय सरे छोर से कोई अ य भी
अंदर आ रहा है। वह ‘‘अ य ‘पहचान म नह आता था, य क पौधे उसके चेहरे को ढक
दे त े थे, ले कन उसके शरीर और ग त व धय को साफ़ तौर पर दे खा जा सकता था। होटल म
आने वाले हर गे ट ने सरे ‘गे ट‘को तकरीबन पाँच से छह सेकड तक यान से दे खा और फर
रसे शन डे क क तरफ़ बाएँ मुड़ गया। यह पूछे जाने पर क या वे सरे ‘गे ट‘को पहचान
पाए, 85 तशत पु ष ने जवाब म ‘नह ’ कहा। अ धकांश पु ष शीशे म अपनी छ व को नह
पहचान पाए। एक का कहना था, ‘आपका मतलब उस मोटे , भ े आदमी को?‘?‘इसम कोई
आ य नह क 58 तशत म हला ने जवाब दया क वह आईना था, जब क 30 तशत
म हला का कहना था क उ ह वह ‘गे ट‘कुछ ‘‘जाना- - पहचाना‘‘लगा।

अ धकांश पु ष और लगभग आधी म हलाएँ नह जानते


क गरदन से नीचे वे कैसे दखते ह।

बॉडी ल वेज के वरोधाभास को आप कतनी अ छ तरह पहचान सकते ह?


हर जगह राजनी त क बॉडी ल वेज को लेकर लोग ब त उ सुक होते ह, य क कई बार नेता
उन चीज़ पर व ास करने का दखावा करते ह, जन पर उनक कोई आ था नह होती। कई
बार वे खुद को कुछ और ही सा बत करना चाहते ह, जैस े वे अस लयत म नह होते। नेता अपना
अ धकांश समय सवाल के हमले से बचने, उनसे कतराने, उ ह टालने, दखावा करने, झूठ
बोलने, अपनी भावना को छपाने, मोक न या आईन का इ तेमाल करने और भीड़ म
अपने का प नक दो त को हाथ हलाने म करते ह। ले कन हम अपने सहज बोध से यह जानते
ह क वे आ ख़रकार ब कुल वरोधाभासी शारी रक हावभाव के कारण ठोकर खाएंग,े इस लए
उनके झूठ पकड़े जाने क उ मीद म हम उन पर ब त करीब से नज़र रखना अ छा लगता है।

कस संकेत से आप सचेत हो जाते ह क कोई नेता झूठ


बोल रहा है? उसके ह ठ हल रहे होते ह।
एक अ य टे ली वज़न शो के लए हमने एक थानीय टू र ट यूरो के सहयोग से एक योग
कया। यूरो म आने वाले पयटक थानीय दशनीय थल और अ य आकषक जगह के बारे म
जानकारी लेना चाहते थे। उ ह एक काउंटर पर भेजा गया, जहाँ उ ह एक टू र म ऑ फ़सर से
बात करनी थी। सुनहरे बाल वाले उस अ धकारी क मूँछ थ , उसने सफ़ेद कमीज़ पहनी थी और
टाई लगाई ई थी। संभा वत जगह और उनक या ा संबंधी जानकारी पर बात करने के कुछ
मनट बाद वह अ धकारी* कुछ ॉशस उठाने के लए नीचे झुका। फर * ॉशस लेकर एक
अ य आदमी उसी सीट पर दखाई दया, जसके बाल काले) थे, दाढ़ -मूँछ नह थी और उसने
नीली कमीज़ पहनी ई थी। उस आदमी ने ठ क उसी ब से बात शु क , जहाँ से पहले
आदमी ने बात अधूरी छोड़ी थी। आ यजनक ढं ग से लगभग आधे टू र ट इस बदलाव को
पकड़ने म नाकाम रहे। म हला क तुलना म दोगुन े पु ष इस बदलाव को ब कुल भी नह
पहचान सके। बॉडी ल वेज के बदलाव को पहचानना तो र क बात है, वे सामने कसी अलग
इंसान क मौजूदगी को भी नह समझ सके। य द आपम बॉडी ल वेज समझने क सहज या
वाभा वक तभा नह है या फर इसे आपने नह सीखा है, तो इस बात क संभावना है क
आप भी ब त कुछ नह समझ पाते ह। यह पु तक आपको बताएगी क या है जो आपक
पकड़ म नह आ पाता है।

हमने यह पु तक कैसे लखी


बारबरा और मने बॉडी ल वेज : पहचा नए शरीर क भाषा लखने के लए मेरी मूल पु तक,
बॉडी ल वेज , को आधार बनाया है। हमने न केवल उस पु तक का व तार कया है, ब क
वकासमूलक जीव व ान और मनो व ान जैसी नई वै ा नक शाखा और म त क म होने
वाली ग त व धय क जानकारी दे ने वाली मैगने टक रेज़ोनस इमे जग (एम आर आई) जैसी
टे नोलॉजी म " ए शोध को भी इसम तुत कया है। हमने इस पु तक को ऐसी शैली म
लखा है क कसी भी प े को खोलकर इसे कह से भी पढ़ा जा सकता है। हमने वषयव तु को
मु यतया शरीर क ग त व धय , हावभाव और मु ा तक सी मत रखा है, य क इनके बारे
म सीखकर ही कसी से मुलाकात होने पर आपको फ़ायदा हो सकता है। बॉडी ल वेज :
पहचा नए शरीर क भाषा आपको अपने हावभाव को समझने म मदद करेगी और बताएगी क
कसी से भी बातचीत करने म आप कैसे उनका इ तेमाल कर सकते ह और अपने मनचाही
त या पा सकते ह।
यह पु तक बॉडी ल वेज और मु ा या भाव के हर ह से को अलग करके उ ह
परखती है, ता क साधारण श द म आप उ ह समझ सक। कुछ भाव-भं गमा का संबंध बाक
हावभाव से नह होता, इस लए हमने भी अ तसरलीकरण से बचने क को शश क है।
कुछ लोग ऐसे ह गे जो डर के मारे अपने हाथ खड़े कर दगे और दावा करगे क बॉडी
ल वेज यानी शारी रक संकेत का अ ययन मा एक साधन है, जसके ारा लोग के रह य
और वचार को पढ़कर वै ा नक ान का इ तेमाल लोग का शोषण करने या उन पर हावी होने
के लए कया जाता है। जब क हम लगता है क यह पु तक आपको अपने साथ के इंसान से
बातचीत या संवाद को लेकर गहरा ान दे गी, ता क आप अ य लोग को और फर आ ख़रकार
खुद को अ छ तरह समझ सक। कसी भी चीज़ के काम करने के तरीक को समझने से हमारी
ज़दगी थोड़ी आसान हो जाती है। जब क अ ानता या कसी बात क समझ न होने से डर और
अंध व ास को बढ़ावा मलता है और हम लोग के त अ धक आलोचना मक हो जाते ह।
प य को दे खने वाला इंसान उनके बारे म जानकारी इस लए हा सल नह करता क वह उ ह
मारकर अपनी द वार पर सजाना चाहता है। ठ क इसी तरह, शारी रक संकेत क जानकारी
और उ ह समझने का नर कसी सरे इंसान से होने वाली हमारी मुलाकात को यादा दलच प
बनाते ह।
यहाँ समझने म आसानी के लए हमने पु लंग श द का योग कया है, ले कन इसका
ता पय म हला और पु ष , सभी से है।

आपक बॉडी लगवेज क ड शनरी


मूल पु तक से सक मय , मैनेजर , म य थ , ए ज़ी यू ट स के लए लखी गई थी, ले कन इस
पु तक का इ तेमाल आप घर पर, डेट पर जाने म या फर काय े म यानी अपने जीवन के हर
आयाम म कर सकते ह। बॉडी ल वेज : पहचा नए शरीर क भाषा हमारे 30 वष से अ धक के
अनुभव और इस े म हमारे जुड़ाव का प रणाम है। हम आपको एक बु नयाद ‘श दावली‘दे
रहे ह, ता क आप लोग के रवैय े और ज बात पढ़ सक। यह पु तक आपके उन सबसे पेचीदा
सवाल के जवाब दे गी, जो आपके मन म लोग के बताव को दे खकर उठते थे और इससे आपका
अपना वहार भी हमेशा के लए बदल जाएगा। आपको लगेगा जैसे अब तक आप कसी अँधेरे
कमरे म थे और उसम मौजूद साज- सामान, वॉल ह ग स और दरवाज़े को महसूस तो कर सकते
थे, ले कन आपने असल म नह दे खा था क वे कैसे ह। यह पु तक ऐसी चीज़ो को उजागर करने
का काम करेगी, जो हमेशा से आपके आसपास मौजूद थ । अब आप चीज़ को उनके असली
प और उनक जगह पर दे ख पाएँग े और समझ पाएँग े क उनका या करना है।

ऐलन पीज़
अ याय 1

बु नयाद बात समझना

प मवा सय के लए इसका अथ है ‘अ छा‘, इतालवी लोग के लए ‘एक,


जापा नय के लए ‘पाँच’ और ीक लोग के लए है, ‘उँगली करना‘

हर कोई कसी न कसी ऐसे को जानता है, जो लोग से भरे कसी कमरे म घुसते ही कुछ
पल म मौजूदा लोग के र त और उनक भावना के बारे म एकदम सट क ववरण दे सकता
है। कसी इंसान के वहार को दे खकर उसके रवैय े और वचार को पढ़ने क यो यता भाषा के
वकास से पहले मनु य म मौजूद थी और उसके मा यम से वे एक- सरे तक अपनी बात
प ँचाते थे।
रे डयो के आ व कार से पहले अ धकतर संचार कताब , प और समाचारप के
मा यम से लेखन ारा कया जाता था। इसका अथ था क अ ाहम लकन जैस े कु प और
ख़राब व ा भी सफल हो सकते थे, बशत वे डटे रह और उनम अ छा लखने क यो यता हो।
रे डयो के युग ने व टन च चल जैसे राजनी त को अवसर दया, जनक भाषा पर अ छ
पकड़ थी। ले कन च चल जैस े अ छे व ा को आज के य और रंग- प को मह व दे न े वाले
युग म ब त संघष करना पड़ सकता था।
आज के राजनी त जानते ह क राजनी त का संबंध उनक छ व और उनके रंग- प
से है। आजकल अ धकतर बड़े राजनी त के नजी बॉडी ल वेज क सलटट होते ह, जो स चा,
लोग क परवाह करने वाला और ईमानदार दखने म उनक मदद करते ह, खासकर तब जब क
उनम ये गुण मौजूद नह होते।
यह आ यजनक है क हज़ार साल से यादा के हमारे वकास के बावजूद, बॉडी
ल वेज का अ ययन कसी पैमाने पर स य तौर पर 1960 के दशक म कया गया और
अ धकांश लोग को इसके अ त व क जानकारी 1978 म हमारी कताब बॉडी ल वेज के
का शत होने पर ई। फर भी अ धकतर लोग का मानना है क अब भी बोलचाल क भाषा
हमारे संचार का मुख व प है। वकासा मक कोण से दे ख तो बोलचाल क भाषा हमारे
संचार के साधन के प म हाल ही म शा मल ई है और इसका योग मु य तौर पर त य और
आँकड़ को बताने के लए कया जाता है। शायद भाषा 20 लाख से 5 लाख वष के बीच
वक सत ई, इसी दौरान हमारे म त क का आकार तीन गुना बढ़ गया। उससे पहले बॉडी
ल वेज और गले से नकलने वाली व नयाँ हमारी भावना को सर तक प ँचाने का मुख
मा यम थ और आज भी यही बात सच है। ले कन हम बोले जाने वाले श द पर इतना अ धक
यान दे ते ह क अपनी ज़दगी म बॉडी ल वेज क अह मयत को समझना तो र क बात है, उसे
लेकर हम कोई जानकारी ही नह होती।
हालाँ क हमारी बोलचाल क भाषा हमारे संचार म बॉडी ल वेज क अह मयत को
बयान करती है। हमारे ारा यु कुछ उ याँ यही सा बत करती ह–

छाती का बोझ ह का करना। मुँह बचकाना। हाथ भर का


फासला रखना। सर उठाकर जीना। कांध पर ज मेदारी
लेना। आँख दखाना। फूँक-फूँककर कदम रखना। तलवे
चाटना।

हो सकता है क इनम से कुछ उ याँ आपको टे ढ़ खीर लग, ले कन आपको हमारी


पीठ तो थपथपानी पड़ेगी, य क इ ह दे खकर आपक आँख तो ज़ र खुल गई ह गी। हम इ ह
बार-बार आपक नज़र के सामने तब तक लाते रहगे, जब तक क आप इस वचार के सामने या
तो घुटने न टे क द या फर इससे अपना मुँह न मोड़ ल। हम आशा है क ये उ याँ आपके दल
को ज़ र छु एँगी, ता क बॉडी ल वेज क अवधरणा के त आपका झुकाव हो जाए।

शु आत म …
चाल चैप लन जैस े मूक फ़ म के कलाकार बॉडी ल वेज के नर के अ णी लोग म से थे,
य क परदे पर संचार का यही एकमा उपल ध साधन था। हर कलाकार के नर को अ छे या
बुर े के प म वग कृत करना इस बात पर नभर करता था क वह कस हद तक अपने हावभाव
और शारी रक संकेत का इ तेमाल दशक से जुड़ने म करता था। जब सवाक फ़ म सफल होने
लग तो अ भनय के श द से परे या गैर-ज़बानी नॉन - वबल) आयाम पर कम ज़ोर दया जाने
लगा, ब त से मूक फ़ म के कलाकार नज़र से ओझल हो गए और सफ़ वही कलाकार टके
रहे, जनका बोलचाल और शारी रक हावभाव संबंधी कौशल अ छा था।
जहाँ तक बॉडी ल वेज के सै ां तक अ ययन का सवाल है, शायद इस े म बीसव
सद से पूव क सबसे भावशाली पु तक चा स डा वन क 1872 म का शत द ए ेशन
ऑफ द इमोश स इन मैन ड ए नम स थी, ले कन इसे मु यतया श ा वद ने पढ़ा। इसने
चेहरे के भाव और बॉडी ल वेज के आधु नक अ ययन को ज म दया और डा वन के ब त से
वचार और ट प णय को नया भर के शोधकता ने मा यता द । तब से लेकर आज तक
शोधकता ने लगभग दस लाख नॉन-वबल संकेत को दज कया है। 1950 के दशक के बॉडी
ल वेज के एक अ णी शोधकता ऐ बट मेहरे बयन ने पाया क कसी भी संदेश के कुल भाव
का 7 तशत शा दक होता है, 38 तशत मौ खक (इसम आवाज़ का लहजा, उतार-चढ़ाव
और अ य व नयाँ शा मल ह) और 55 तशत नॉन-वबल होता है।

मह वपूण यह है क बात कहते समय तुम कैसे दख रहे


थे, न क तुमने असल म या कहा था।

मानव व ानी रे बड व टल श दे तर संचार के ारं भक अ ययन के अ णी थे, इसे वे


‘काइने स स‘कहते थे। बड व टल ने भी मनु य के बीच होने वाले श दे तर संचार यानी नॉन-
वबल क यु नकेशन के समान अनुमान पेश कए। उनके अनुसार, अमूमन एक औसत इंसान दन
भर म लगभग दस या यारह मनट श द को बोलता है और एक वा य कहने म उसे औसतन
2.5 सेकड लगते ह। बड हसटे ल का अनुमान था क हम अपने चेहरे पर 250,000 भाव ला
सकते ह और उ ह पहचान सकते ह।
मेहरे बयन क तरह उ ह ने भी पाया क एक- सरे से बातचीत म शा दक बातचीत का
ह सा 35 तशत से कम होता है और 65 तशत से अ धक बातचीत नॉन-वबल होती है।
1970 और 1980 के दशक म रकॉड कए गए हज़ार से स इंटर ू और समझौता वाता के
व ेषण से हम पता चला क कामकाज से जुड़ी मुलाकात म कसी समझौते पर प ँचने के
दौरान पड़े कुल असर म 60 से 80 तशत ह सा बॉडी ल वेज का था और लोग चार मनट से
भी कम समय म कसी नए के बारे म अपनी 60 से 80 तशत शु आती राय बना लेते
ह। अ ययन से यह भी पता चला क टे लीफ़ोन पर ई बातचीत म मज़बूत तक वाला इंसान
अ सर जीतता है, ले कन आमने-सामने होने पर ऐसा नह होता, य क कुल मलाकर हम
अपने अं तम नणय इस आधार पर लेत े ह क हम या दख रहा है, न क या सुनाई दे रहा है।

केवल श द ही पया त नह
यह मानना भले राजनी तक तौर पर सही हो, ले कन जब हम पहली बार लोग से मलते ह तो
हम उनके दो ताना रवैय,े उनके भु व और संभा वत यौन साथी के प म दखने को लेकर
ब त ज द नणय दे त े ह और ऐसे म हम सबसे पहले उनक आँख म नह झाँकते।
अ धकतर शोधकता सहमत ह क श द का इ तेमाल ाथ मक तौर पर सर तक
जानकारी प ँचाने के लए कया जाता है, जब क बॉडी ल वेज का योग लोग के आपसी भाव
के आदान- दान म होता है और कुछ मामल म तो ये शा दक संदेश के वक प का काम
करती है। उदाहरण के लए, कोई म हला कसी पु ष को का तलाना नगाह से दे खते ए मुँह
खोले बना उस तक अपनी बात ब कुल प प से प ँचा सकती है।
सं कृ त क बात छोड़ द, तो श द और ग त व धयाँ इतनी अ छ तरह संकेत दे त े ह क
बड हसटे ल ने पहली बार यह दावा कया क एक श त कसी भी इंसान क
ग त व धय का अंदाज़ा उसक आवाज़ सुनकर लगा सकता है। उ ह ने कसी इंसान के हावभाव
को दे खकर उसक भाषा के बारे म पता लगाने का तरीका भी सीखा।
ब त से लोग को यह बात वीकारने म मु कल होती है क जै वक तौर पर मनु य
आ ख़रकार एक जानवर है। हम ाइमेट - होमो से पयंस क एक जा त ह, जो क प र कृत
म त क वाला, दो पैर पर चलने वाला एक बालर हत वानर है। ले कन अ य जा तय क तरह
हम पर भी जीववै ा नक नयम हावी हो जाते ह, जो हमारी या , त या , बॉडी
ल वेज और हावभाव को नयं त करते ह। आ यजनक बात यह है क मानव इस बात को
लेकर ब त कम सजग है क उसके उठने-बैठने के तरीके, ग त व धयाँ और हावभाव अलग
कहानी कह सकते ह, जब क उसक आवाज़ कुछ और ही बता रही होती है।

बॉडी ल वेज कस कार भावना और वचार को सामने लाती है


बॉडी ल वेज कसी क भावना मक थ त क बाहरी झलक है। उसक हर मु ा या
ग त व ध वह मह वपूण साधन है, जसके ारा बताया जा सकता है क वह कैसा महसूस कर
रहा है। उदाहरण के लए, वज़न बढ़ने को लेकर आशं कत अपनी ठु ी क लटक ई
वचा सहला सकता है; अपनी जाँघ पर जमी चब को लेकर च तत म हला अपनी पोशाक क
सलवट को नीचे क तरफ़ सीधा कर सकती है; डर महसूस करने वाला या सुर ा मक रवैया
अपनाने वाला इंसान अपनी बाँह या टाँग या फर दोन को मोड़ सकता है; भारी व थल वाली
म हला से बातचीत करने वाला पु ष जान-बूझकर उसके व क ओर दे खने से बचने क
को शश कर सकता है, ले कन अवचेतन तौर पर उसके हाथ व टटोलने क मु ा म आ सकते
ह।
एक म हला म के साथ स चा स

कसी क बात सुनकर और जन हालात म वे बात कही जा रही ह, उ ह जानकर उस


क भावाना मक थ त को समझना बॉडी ल वेज को पढ़ने का मूल त व है। उससे आप
का प नक बात से त य को और फंतासी से वा त वकता को अलग कर सकते ह। हाल के
समय म, बोले जाने वाले श द और बोलचाल म मा हर होने के त हमारा जुनन ू ब त बढ़ गया
है। अ धकतर लोग हमारे शारी रक हावभाव और संकेत और उनके असर को लेकर ब कुल
अनजान है, जब क स चाई यह है क जब हमारी कसी से आमने-सामने बातचीत होती है तो
अ धकतर संदेश शारी रक संकेत के ारा होते ह। उदाहरण के लए, ांस के रा प त
शराक, अमे रका के रा प त रॉन ड रीगन और ऑ े लया के धानमं ी बॉब हॉक अपने
वचार म व भ मु क अह मयत को बताने के लए हाथ का इ तेमाल करते थे। एक बार
बॉब हॉक ने राजनी त के वेतन म बढ़ोतरी के ताव का समथन करते ए उसक तुलना
कॉप रेट जगत के ए ज़ी यू ट स के वेतन से क थी। उनका दावा था क ए ज़ी यू ट स के वेतन
म ब त अ धक वृ ई, जब क राजनी त के लए ता वत बढ़ोतरी ब त कम थी। हर बार
राजनी त के वेतन क बात करते ए वे अपने हाथ एक याड (एक मीटर) तक ले जाते थे।
ए ज़ी यू ट स के वेतन का उ लेख करते समय उनके हाथ के बीच केवल एक फुट (30
सट मीटर) क री होती थी। उनके हाथ के बीच क री से यह साफ़ था क दरअसल वे
महसूस करते थे क राजनी त को अ छा-ख़ासा पैसा मलता था, ले कन वे उसे मानने को
तैयार नह थे।
रा प त ज़ाक शराक - कसी मु े को आँक रहे ह या फर अपने ेमजीवन क ड ग
हाँक रहे ह ?

म हलाएँ अ धक परसे टव (अनुभू त म) य ह


जब हम कहते ह क फलाँ इंसान ‘परसे टव (अनुभू त म)’ या ‘इ ू टव अंत ानी’ है तो, हम
अनजाने म कसी सरे इंसान के शारी रक हावभाव पढ़ने और उस जानकारी क तुलना
शा दक या मौ खक संकेत से करने क उसक का ब लयत क बात कर रहे होते ह। सरे श द
म, जब हम यह कहते ह क हम कह भीतर से लग रहा है क कोई हमसे झूठ कह रहा है, तो
अ सर इससे हमारा ता पय यह होता है क उस क बॉडी ल वेज और उसके ारा कहे
गए श द आपस म मेल नह खा रहे ह। व ा इसी बात को ोता क सजगता कहते ह या
कसी समूह से जुड़ना कहते ह। उदाहरण के लए, य द ोता अपनी सीट पर टककर बैठे ह,
उनके चेहरे नीचे क ओर ह और बाँह छाती पर मुड़ी ई ह, तो ‘परसे टव’ व ा को एहसास हो
जाएगा क उसक बात से लोग सहमत नह ह। वह समझ जाएगा क लोग को ख़ुद से जोड़ने
के लए उसे कोई अलग तरीका अपनाना होगा। जो व ा ‘परसे टव’ नह होगा, वह ज़ र
ग़लती करेगा।

‘परसे टव’ होने का अथ है, कसी के श द और उसक


बॉडी ल वेज के बीच के वरोधाभास को समझने क
मता होना।

कुल मलाकर, पु ष के मुकाबले म हला म महसूस करने क मता अ धक होती है और


इसी कारण आमतौर पर ‘म हला का अंत ान या इ ूशन‘कहलाने वाली धारणा वक सत
ई है। म हला म नॉन-वबल संकेत को पकड़ने और उनके अथ समझने क वाभा वक
यो यता होती है, साथ ही उनम सू म बात को समझने क पारखी नगाह भी होती है। यही वजह
है क ब त कम पु ष अपनी प नय से सफ़ाई से झूठ बोल सकते ह और इसके वपरीत
म हलाएँ अपने प तय क आँख म धूल झ क सकती ह और प तय को उसक भनक भी नह
मल पाती।
हावड यू नव सट म ए शोध से पता चला क पु ष क तुलना म म हलाएँ बॉडी
ल वेज को लेकर अ धक सतक रहती ह। योग के अंतगत लोग को कुछ व नर हत लघु
फ़ म दखाई ग , जनम ी-पु ष के बीच बातचीत हो रही थी। फर उनसे कहा गया क वे
परदे पर पा के चेहरे के हावभाव के आधार पर बताएँ क या हो रहा है। प रणाम से पता
चला क 87 तशत मामल म म हला ने हालात का सही आकलन कया, जब क पु ष म
यह सट कता केवल 42 तशत रही। पालन-पोषण के े , कला मक पेश,े कलाकार और
न सग जैस े वसाय म लगे पु ष ने म हला जतनी सट कता द शत क , समल गक पु ष
का दशन भी अ छा रहा। ब च का पालन-पोषण करने वाली म हला म ी अंत ान प
तौर पर दे खा गया। शु आती कुछ साल म माँ हावभाव और शारी रक संकेत के मा यम से
अपने ब चे से संचार करती है, यही कारण है क वे पु ष से बेहतर समझ के साथ म य थता
करने वाली होती ह, य क शारी रक संकेत को पढ़ने का उनका अ यास ज द शु हो जाता
है।

म त क के कैन या दखाते ह
अ धकांश म हला का म त क इस कार बना होता है क वे संचार के े म पु ष को
पछाड़ सकती ह। मैगने टक रेज़ोनस इमे जग (एमआरआई) से प होता है क लोग से
बातचीत करने और उनका मू याँकन करने क का ब लयत म हला म य यादा होती है।
उनके म त क म अ य लोग के वहार का मू याँकन करने के लए चौदह से सोलह भाग होते
ह, जब क पु ष के म त क म ये ह से चार से छह होते ह। इससे प हो जाता है क कैसे
डनर पाट म शा मल कोई म हला वहाँ मौजूद अ य जोड़ के र त क थ त का ब त तेज़ी से
व ेषण कर सकती है, जैसे क कसके बीच बहस ई है, कौन कसे पसंद करता है, इ या द।
इससे यह भी साफ़ हो जाता है क य म हला को लगता है क पु ष यादा बात नह करते
और उ ह य लगता है क म हला को चुप करवाना नामुम कन है।
हमने वाय मेन ड ट लसन ड वमेन कांट रीड मै स (ऑ रयन) म दखाया था क
य का म त क एक से अ धक काम करने के लए बना है। एक औसत म हला एक ही समय
म एक- सरे से ब कुल अलग दो से चार तरह के काम को सँभाल सकती है। वह कॉफ़ पीते
ए टे लीफ़ोन पर बात करते-करते टे ली वज़न दे ख सकती है और साथ ही अपने पीछे हो रही
सरी बातचीत को भी सुन सकती है। एक ही बातचीत म वह कई ब कुल अलग क म के
वषय पर बात कर सकती है और कसी वषय को बदलने या कसी ब पर बल दे न े के अपने
वर म पाँच तरह के बदलाव का इ तेमाल करती है। भा यवश, अ धकतर पु ष इनम से केवल
तीन वर को पहचान सकते ह। नतीजतन, जब म हलाएँ पु ष से बातचीत करने क को शश
करती ह, तो पु ष चकरा जाते ह।
अ ययन से पता चला है क जो कसी सरे के वहार के बारे म य दखाई
दे न े वाले ठोस त य का सहारा लेता है, वह उस क तुलना म अ धक सट क राय दे सकता
है, जो सफ़ अपने भीतरी एहसास पर नभर रहता है। इंसान क बॉडी ल वेज म सभी माण
मौजूद होते ह, म हलाएँ अनजाने ही उ ह पढ़ सकती ह, ले कन कोई भी इन संकेत को
पढ़ना सीख सकता है।

भ व यव ा इतना कुछ कैसे जानते ह


य द आप कभी कसी भ व यव ा के पास गए ह , तो आप ज़ र हैरान होकर लौटे ह गे क वह
आपके बारे म कतना कुछ जानता है, शायद कोई भी उतना नह जानता। तो यह ज़ र ईएसपी
(ए ा से सरी परसे शन) यानी छठ इं य होने जैसी बात होगी, है न ? भ व य बताने के
कारोबार को लेकर कए गए शोध बताते ह क इस काम म लगे लोग ‘को ड री डग यानी
भावशू य ा या‘क तकनीक अपनाते ह, जससे ब कुल अनजान इंसान को ‘पढ़ने या
समझने‘म लगभग 80 तशत तक सट कता मल सकती है। सीधे-सादे लोग को यह सब ब त
जा ई लग सकता है, ले कन यह शरीर ारा दए गए संकेत के सू म अ ययन के साथ मानव
वभाव क अ छ समझ और संभा ता के हसाब- कताब क जानकारी का नतीजा होता है।
साइ क स, टै रो रीडस, यो तषी और हाथ दे खने वाले लोग अपने ‘ ाहक‘के बारे म जानकारी
हा सल करने के लए इसी तकनीक का इ तेमाल करते ह। ‘को ड री डग’ करने वाले लोग कई
बार ख़ुद भी श द से परे संकेत को पढ़ने क अपनी का ब लयत से अनजान होते ह और इस
बात को मानने लगते ह क उनम वाकई अत य या वशेष कार क यो यता है। कुल मलाकर,
इनसे इस काम म लगे लोग का दशन ब त व सनीय हो जाता है, इसके अलावा उनके पास
नय मत प से आने वाले लोग सकारा मक आशा लेकर आते ह, जससे काम और आसान हो
जाता है। कुछ टै रो काड, एक या दो टल बॉ स और थोड़ी नाटक यता के साथ बॉडी ल वेज
पढ़ने का काम इतनी अ छ तरह कया जा सकता है क संशयी लोग को भी यक न हो सकता
है क जा अपना काम कर रहा है। कुल मलाकर, यह बताई गई बात और पूछे गए पर
कसी क त या को समझने और उसके हावभाव को दे खकर जुटाई गई जानकारी का
म ण होता है। अ धकांश साइ क स म हलाएँ होती ह, य क, जैसा क पहले भी बताया गया
है, शशु के संकेत को समझने और अ य लोग क भावना मक थ त का जायज़ा लेने के
लए उनका म त क अलग कार से वक सत आ है।

भ व यव ा ने टल बॉल म झाँका और फर
अ नयं त ढं ग से हँसने लगी। जॉन ने उसक नाक पर
मु का दे मारा। ऐसा पहली बार आ था क जॉन ने
कसी हँसते मा यम को चोट प ँचाई थी।

इस बात को समझाने के लए यहाँ एक साइ कक री डग द गई है। क पना क जए क आप


एक म म रोशनी वाले धुए ँ से भरे कमरे म ह, जहाँ पर पगड़ी लगाए, चमक ले जवाहरात से
सजी एक साइ कक चाँद के आकार वाली मेज़ पर बैठ है, जस पर एक टल बॉल रखी है :

मुझ े खुशी है क आप यहाँ आए। मुझ े आपसे ब त श शाली संकेत मल रहे ह और


म उन चीज़ को दे ख सकती ँ, जो आपको परेशान कर रही ह। म महसूस कर रही ँ
क कई बार ज़दगी म जो चीज आप चाहते ह, वे अस लयत से र होती ह और आप
अ सर सोचते ह क उ ह हा सल कर पाएँग े या नह । म दे ख सकती ँ क कई बार
आप लोग से मलते-जुलते ह और उनके साथ दो ताना रवैया रखते ह, ले कन कई बार
आप अपने आप म समटे ए, अकेले और सतक रहते ह। आप आज़ाद सोच के
मा लक ह और इस पर आपको गव है, आप सर ारा कही-सुनी बात को बना
कसी सबूत के नह वीकारते। आपको बदलाव और व वधता पसंद है, ले कन बंधन
और बँधी-बँधाई दनचया से आप बेचैन हो जाते ह। आप अपने नज़द क लोग से
अपनी भावनाएँ बाँटना चाहते ह, ले कन आपका तजुबा रहा है क यादा खुलापन और
अपने ज बात ज़ा हर करना बेवकूफ़ है। फ़लहाल ‘स‘श द से शु होने वाले नाम का
एक आदमी आपके जीवन पर ब त गहरा भाव डाल रहा है और अगले महीने नवंबर
म पैदा होने वाली एक म हला आपके लए ब त आकषक ताव लेकर आएगी।
बाहरी तौर पर आप अनुशा सत और संयत लगते ह, ले कन अंदर से आप च तत और
परेशान रहते ह। कई बार आपको लगता है क आपने सही नणय लया है या नह ।

तो यह अनुभव कैसा रहा? या हमने आपको सही तरीके से पढ़ा? अ ययन से प


आ है क इस ‘री डग‘म द गई जानकारी इसे पढ़ने वाले कसी भी के लए 80 तशत
से यादा सट क है। कसी के शरीर क भाव- - भं गमा , चेहरे के भाव और उसके हलने-
डु लने को समझने क बेहतरीन का ब लयत के साथ ही अगर ह क सी रोशनी हो, अजीबोग़रीब
संगीत हो और अगरब ी का धुआँ हो, तो हमारी गारंट है क आप कसी को भी हैरत म डाल
सकते ह। हम आपको भ व यव ा बनने के लए तो ो सा हत नह कर रहे ह, ले कन यह
ज़ र कह रहे ह क ज द ही आप भी उनक तरह ही बाक लोग को अ छ तरह पढ़ पाएँगे।

यह ज मजात है, आनुवं शक है या इसे सां कृ तक तौर पर सीखा जा सकता


है?
जब आप अपनी बाँह को छाती पर मोड़ते ह, तो आप अपनी दाई बाँह पर बा बाँह मोड़ते ह या
फर बा पर दाई? ब त से लोग इसका सही-सही जवाब तब तक नह दे सकते, जब तक क वे
ऐसा करने क को शश न कर ल। आप तुरंत अपने बाजू को छाती पर मो ड़ए और फर ठ क
उससे उ टा क जए। जो थ त एक आदमी को आरामदे ह लगती है, वही सरे को तकलीफ़दे ह
लगती है। सा य से पता चलता है क यह एक आनुवं शक मु ा हो सकती है, जसे बदला नह
जा सकता।

दस म से सात लोग अपने बाएँ बाज़ू को दाएँ पर मोड़ते ह।

श दे तर या नॉन-वबल संकेत ज मजात होते ह, सीखे जाते ह, आनुवं शक तौर पर आगे बढ़ाए
जा सकते ह या कसी अ य तरीके से हा सल कए जा सकते ह, इसे जानने के लए काफ़ वाद-
ववाद और शोध कए जाते रहे ह। हीन लोग (जो दे खकर शारी रक हावभाव को पढ़ना नह
सीख सकते) के अवलोकन, नया भर म व भ सं कृ तय के सांके तक वहार के नरी ण
और क प तथा बंदर जैस े अपने नज़द क मानवशा ीय संबं धय के वहार के अ ययन से
त य जुटाए जाते रहे ह।
इस शोध के प रणाम से पता चला क कुछ मु ाएँ हर ेणी म आती ह। उदाहरण के
लए, अ धकतर नरवानर शशु चूसने क ख़ा सयत के साथ पैदा होते ह, जो यह दखाता है क
यह ज मजात आनुवं शक होता है। जमन वै ा नक आइबल-आइबसफ़े ट ने पाया क ज म से
मूक-ब धर ब च का मु कुराना सीखने या नकल करने पर नभर नह करता, जसका अथ है क
ये हावभाव ज मजात होते ह। एकमन, ज़ेन और सॉरेनसन ने पाँच व भ सं कृ तय के लोग
के चेहरे के हावभाव का अ ययन करते समय ज मजात मु ा के बारे म डा वन क मूल
मा यता का समथन कया। उ ह ने पाया क हर सं कृ त म भाव को करने के लए
चेहरे क कुछ बु नयाद मु ा का योग कया जाता है और वे इस नतीजे पर प ँच े क ये
मु ाएँ ज मजात ह गी।

सां कृ तक अंतर ब त ह, ले कन बु नयाद शारी रक


संकेत हर जगह एक जैस े ह।

इस बात पर ववाद अब भी होता है क या कुछ मु ाएँ सां कृ तक प से सीखी जाती ह, वे


आदत बन जाती ह या फर आनुवं शक होती ह। उदाहरण के लए, अ धकतर पु ष कोट क
दाई बाँह पहले डालते ह; यादातर म हलाएँ बाई बाँह पहले डालती ह। इससे सा बत होता है क
इस काम के लए पु ष अपने म त क के बाएँ ह से का इ तेमाल करते ह, जब क म हलाएँ
दाएँ ह से का। एक भीड़भाड़ वाली जगह म जब कोई पु ष कसी म हला के नज़द क से
गुज़रता है तो वह अ सर अपना शरीर उसक ओर झुका लेता है; म हला सहज ही अपने
व थल को बचाने के लए अपना शरीर पु ष से र कर लेती है। या म हला क यह त या
ज मजात है या उसने बाक म हला को दे खकर अनजाने ही इसे सीख लया है?

कुछ आधारभूत मूल कारण


अ धकतर बु नयाद संचार संकेत नयाभर म एक जैसे ह। खुश होने पर लोग मु कुराते ह और
खी या नाराज़ होने पर भ ह चढ़ाते ह। सर हलाने का हर जगह ‘हाँ‘या वीकृ त के प म
इ तेमाल कया जाता है। यह सर नीचे करने क एक मु ा लगती है और शायद यह ज मजात
होती है, य क हीन लोग ारा भी इसका योग कया जाता है। एक सरे से सरे सरे तक
सर हलाना भी सभी जगह पर ‘नह ’ या असहम त का संकेत है और लगता है क बचपन म
यह मु ा सीखी जाती है। जब ब चा पया त खाना खा चुका होता है, तो और खाने के लए मना
करने के लए वह सर को एक ओर से सरी ओर हलाता है, इस कार वह सीख जाता है क
कस तरह सर हलाने क मु ा का इ तेमाल असहम त या नकारा मक रवैया दखाने के लए
कया जा सकता है।

सर हलाने क मु ा का अथ है, ‘नह ’ और इसक


उ प तनपान म है।

कुछ मु ा क उ प हमारे आ दम अतीत म छपी है। उदाहरण के लए, अ धकतर


माँसाहारी ा णय के लए मु कुराना एक धमक भरी मु ा है, ले कन नरवानर म यह न धमकाने
वाली मु ा के साथ मलकर अधीनता दखाने का तरीका है।
दाँत दखाने और नथुन े फुलाने का ज म आ मण क ग त व ध से आ है और ये अ य
नरवानर ारा यु आ दम संकेत ह। उपहास या उपे ापूण मु ा का योग जानवर ारा अ य
ा णय को चेतावनी दे न े के लए कया जाता है क ज़ रत पड़ी तो वे हमला करने या अपनी
हफ़ाज़त के लए अपने दाँत का इ तेमाल कर सकते ह। इंसान आज भी यह मु ा अपनाते ह,
हालाँ क वे दाँत से हमला नह करते।

इंसान और जानवर ारा द शत उपे ापूण मु ा - कोई भी इनम से कसी के भी साथ


डेट पर नह जाना चाहेगा

नथुने फुलाने से लड़ने या भागने क तैयारी म शरीर को अ धक ऑ सीजन मलती है और


नरवानर क नया म यह अ य सा थय के लए संकेत होता है क आने वाले खतरे से नपटने
के लए उसे मदद क ज़ रत पड़ सकती है। मानव नया म उपहास या उपे ापूण मु ा का
कारण गु सा और चड़ चड़ाट हो सकती है, ख़ासकर जब कोई शारी रक या भावना मक
प से असुर त हो या फर उसे कुछ भी अ छा न लग रहा हो।

सावभौ मक मु ाएँ
सावभौ मक मु ा का एक अ छा उदाहरण कंधे उचकाना है, जसका इ तेमाल यह दखाने के
लए कया जाता है क आपक कही बात वह नह समझ रहा या उसे वह नह जानता।
यह कई छोट -छोट मु ा से मलकर बनी है, जसके तीन ह से ह : खुली हथे लयाँ, जो यह
बताती ह क हाथ म कुछ भी नह छपाया गया है, गले को हमले से बचाने के लए उठे ए कँधे
और उठ ई भ ह, जसे नयाभर म अधीनता या बात मान लेन े क मु ा के प म दे खा जाता
है।
कँधे उचकाना अधीनता द शत करता है

जस कार हर सं कृ त क मौ खक भाषा अलग होती है, उसी कार शारी रक हावभाव म भी


कुछ अंतर हो सकता है। संभव है क कसी एक सं कृ त म कोई मु ा ब त आम हो और उसका
प अथ हो, ले कन कसी सरी सं कृ त म उसका कोई अथ नह हो या फर उसके मायने
ब कुल अलग ह । सां कृ तक अंतर के बारे म हम अ याय 5 म जानगे।

सट क अ ययन के लए तीन नयम


कसी भी थ त म आप जो भी दे खते-सुनते ह, उसका यह मतलब ब कुल नह है क उससे
लोग का असली रवैया झलके। आपको सही बात जानने के लए तीन बु नयाद नयम का
पालन करना होगा।

पहला नयम- भाव-भं गमा को एक साथ पढ़


बॉडी ल वेज सीखने वाले लोग अ सर एक ब त बड़ी गलती यह करते ह क वे एक अकेली
मु ा को बाक मु ा से या थ तय से अलग करके दे खते ह। उदाहरण के लए, एक ही समय
पर दखने वाले संकेत के लहाज़ से सर खुजलाने के कई मतलब हो सकते ह- पसीना आना,
अ न तता, डै फ़, प सू, भु लकड़पन या झूठ बोलना। हमारी मौ खक भाषा क तरह शरीर
क भाषा म भी श द, वा य और वराम च ह होते ह। हर मु ा या संकेत एक श द क तरह
होता है और एक श द के कई अलग-अलग अथ हो सकते ह। मसलन, अं ेज़ी के श द ‘ े सग’
के कम से कम दस अथ हो सकते ह, जनम कपड़े पहनना, खाने के लए सॉस, मुग म भरे जाने
वाला मसाला, ज़ म क मरहमप , उवरक और घोड़े क दे खरेख करना शा मल है।
जब आप कसी श द को अ य श द के साथ एक वा य म सजाते ह, तभी आप उसका
पूरा अथ समझ सकते ह। भाव-भं गमाएँ समूह कहलाने वाले ‘वा य ’ म आती ह और कसी
क भावना और रवैय े क अस लयत को सहज ही बाहर ले आती ह। मौ खक वा य
क तरह बॉडी ल वेज समूह को भी कम से कम तीन श द क ज़ रत होती है, तभी आप हर
श द को सही ढं ग से प रभा षत कर सकते ह। ‘अनुभू त म या परसे टव’ वह है, जो
बॉडी ल वेज के वा य को पढ़ सके और फर उस के मौ खक वा य के साथ उनका
मलान कर सके।

सर खुजलाने का अथ अ न तता हो सकता है ले कन


यह डै फ़ का भी ल ण है।

अतः सही अथ समझने के लए हमेशा भाव-भं गमा के पूर े समूह को दे ख। हमम से हर कोई
एक या उससे अ धक दोहराए जाने वाली मु ाएँ अपनाता है, जो बताती ह क हम या तो ऊब गए
ह या फर कसी दबाव म ह। लगातार बाल को छू ना या उनके छ ले बनाना इसका आम
उदाहरण है, ले कन बाक हावभाव से अलग करके दे ख तो इसका अथ हो सकता है क वह
अ न त महसूस कर रहा हो या बेचैन हो। लोग अपने बाल या सर को सहलाते ह,
य क बचपन म उनक माँ उ ह ऐसा करके तस ली दे ती थी।
समूह के बारे म अ धक समझने के लए एक ब त आम उदाहरण है, टकल या
ववेचना मक मु ा समूह का। यह तब अपनाई जाती है, जब कोई सुनी ई बात से
भा वत न हो : मुख ववेचना मक संकेत है, चेहरे पर हाथ रखने क मु ा, जसम गाल पर
तजनी सीधी रखी है और बाक उँग लय से चेहरा ढँ का आ है और अँगठ ू ा ठु ी पर टका है।
इस ोता के आलोचना मक रवैय े क बात को उसक मुड़ी ई टाँग और बाजू (र ा मक
मु ाएँ), झुका आ सर और ठु ी (नकारा मक / श ुतापूण मु ाएँ) मा णत कर रही ह। उसका
बॉडी ल वेज ‘वा य‘यह कहता लग रहा है, ‘मुझ े आपक बात कतई पसंद नह ’, ‘म असहमत
ँ‘या ‘म अपनी नकारा मक भावना को रोके ए ।ँ ’

इस पर आपक बात बेअसर होगी


हलेरी लंटन जब आ त नह होत तो इस मु ा का योग करत ह

सरा नयम- तालमेल को दे ख


शोध से पता चला है क श द के मुकाबले, श दे तर यानी नॉन-वबल संकेत का असर पाँच गुना
अ धक होता है, ख़ासकर जब दोन ही म हलाएँ ह , य क वे शा दक बात क तुलना म नॉन-
वबल संदेश पर अ धक नभर करती ह।
य द आप व ा होने के नाते पहले दखाए गए ोता से अपनी बात पर उसक राय
पूछते, तो उसका जवाब होता क वह आपसे असहमत है, ऐसे म उसके शारी रक संकेत उसके
मौ खक वा य से सामंज य रखते, यानी एक- सरे से मेल खाते। य द वह आपसे सहमत होने
क बात कहता, तो उसके झूठ बोलने क आशंका होती, य क उसके श द और मु ा म
सामंज य नह होता।

जब कसी के श द और शारी रक हावभाव म


वरोधाभास हो, तो म हलाएँ उसक कही बात को
नज़रअंदाज़ कर दे ती ह।

य द आप कसी राजनी त को ब त आ म व ास के साथ मंच से यह बोलते ए सुन क वह


नौजवान के वचार को सुनने-समझने को लेकर खुली सोच रखता है, ले कन उसक बाँह
र ा मक मु ा म छाती पर मुड़ी ई ह और नकारा मक या श ुता मक मु ा म ठु ी नीचे क
तरफ़ हो तो या आप उसक बात से आ त ह गे? या हो, य द वह अपने सामने मंच पर हाथ
से चोट करते ए अपनी गमजोशी और परवाह करने वाले रवैय े से आपको आ त करने क
को शश करे? सगमंड ायड ने एक बार उ लेख कया था क कस तरह उनक एक मरीज़
श द के मा यम से अपनी खुशहाल शाद शुदा ज़दगी का बखान कर रही थी, ले कन अनजाने म
ही वह अपनी शाद क अँगठ ू को उँगली से बार-बार नकाल रही थी। ायड इस अवचेतन मु ा
के मह व को समझते थे, इस लए जब उस म हला के वैवा हक जीवन क सम याएँ उजागर होने
लग , तो उ ह ब कुल भी आ य नह आ।
भाव-भं गमा के समूह और शा दक और शारी रक संकेत के बीच सामंज य को
यान से दे खना-समझना बॉडी ल वेज के मा यम से रवैय क सट क ा या करने के लए
सबसे मह वपूण है।

तीसरा नयम- मु ा को उनके संदभ म पढ़ना


सभी मु ा को उनके आसपास क थ तय के संदभ म समझना चा हए। उदाहरण के लए,
य द कड़कड़ाती ठं ड के दन एक आदमी बस ट मनल पर अपनी बाँह और टाँग मोड़कर, ठु ी
नीचे करके बैठा हो, तो यह संभावना अ धक है क उसे ठं ड लग रही है, न क वह र ा मक मु ा
म है। ले कन य द कसी को आप कोई वचार, व तु या सेवा बेचने क को शश कर रहे ह
और वह इसी मु ा म बैठा आ है, तो यह ा या सही होगी क वह नकारा मक ख़ अपना
रहा है या आपक पेशकश ठु करा रहा है।

ठठु रन, न क र ा मक रवैया

इस पूरी कताब म सभी शारी रक हावभाव और मु ा को उनके संदभ म दे खा जाएगा, और


जहाँ तक संभव हो, हम उनके समूह क ववेचना भी करगे।

हावभाव को ग़लत समझना य आसान हो सकता है


य द हाथ मलाते समय कसी का हाथ ब त नरम और ढ ला लगे, ख़ासकर य द वह पु ष
हो, तो उसे कमज़ोर च र वाला माना जा सकता है। हम हाथ मलाने या हडशेक क तकनीक
पर दए अ याय म इसके पीछे मौजूद कारण को जानगे। ले कन हाथ म ग ठया क बीमारी होने
पर भी कोई मज़बूत हडशेक से होने वाले दद से बचने के लए ह के ढं ग से हाथ
मलाएगा। ठ क इसी तरह, कलाकार, संगीतकार और श य च क सक जैसे हाथ का काम करने
वाले लोग आमतौर पर हाथ मलाना पसंद नह करते, ले कन अगर मजबूरी म उ ह ऐसा करना
पड़े तो अपने हाथ क सुर ा के लए वे ‘डेड फश‘यानी मरी ई मछली जैसा महसूस होने
वाला हडशेक करते ह।
ब त ढ ले या ब त कसे ए कपड़े पहले ए इंसान को भी कुछ मु ा अपनाने म
परेशानी हो सकती है और इससे भी उनक बॉडी ल वेज यानी शारी रक हावभाव भा वत हो
सकते ह। मसलन, ब त मोटे लोग अपनी टाँग नह मोड़ सकते। छोट कट पहनने वाली
म हलाएँ अपनी सुर ा के लए ब त कसकर अपनी टाँग मोड़ती है, ले कन इससे वे कम
मलनसार लगती ह और हो सकता है क कसी नाइट लब म उ ह डाँस करने के लए कम ही
पूछा जाए। ये हालात ब त कम लोग पर लागू होते ह, ले कन यह यान रखना ज़ री है क
शारी रक सीमा या अ मता का असर लोग क शारी रक ग त व धय पर पड़ता है।

ब च के हावभाव समझना आसान य है


छोटे ब च क तुलना म वय क को पढ़ना मु कल है, य क उनके चेहरे पर कम मसल टोन
(माँसपेशीय भाव) होती ह।
कुछ हावभाव क ग त और वे बाक लोग को कतने प दखते ह, यह भी क
उ के साथ जुड़ा है। उदाहरण के लए, अगर पाँच साल का एक ब चा झूठ बोलता है, तो संभव
है क वह एक या दोन हाथ से तुरंत अपना मुँह ढँ क ले।

झूठ बोलती ब ची

मुँह ढँ कने से माता- पता ब चे का झूठ पकड़ सकते ह और हो सकता है क झूठ बोलने पर मुँह
ढँ कने क यह मु ा वह हमेशा अपनाए, बस उसक ग त म कुछ अंतर आ सकता है। जब
कोई कशोर झूठ बोलता है, तो उसका हाथ भी पाँच साल के ब चे क तरह मुँह पर जाता है,
ले कन वह हाथ से उसे ढँ कने क बजाय अपनी उँग लय को मुँह के आसपास घुमाता रहता है।
झूठ बोलती कशोरी

मुँह ढँ कने क मूल मु ा क ग त वय क अव था म यादा तेज़ हो जाती है। जब कोई वय क


झूठ बोलता है, तो उसका दमाग झूठे श द को नकलने से बचाने के लए उसके हाथ को मुँह
पर ले जाने का नदश दे ता है, ठ क वैस े ही जैसा क छोटे ब चे और कशोर के साथ होता है।
ले कन आ ख़री पल म हाथ को चेहरे से र कर लया जाता है और उसके बजाय नाक छू ने क
मु ा अपनाई जाती है। बचपन म मुँह ढँ कने क मु ा बड़ी उ म यह प धारण कर लेती है।

ड यूरी के सामने मो नका लव क से जुड़े सवाल के जवाब दे त े बल लंटन

इससे ज़ा हर होता है क जैसे-जैस े लोग बूढ़े होते जाते ह, उनके हावभाव या मु ाएँ अ धक
प र कृत और कम प होती जाती ह, यही कारण है क पाँच साल के ब चे के मुकाबले एक
पचास साल के वय क का झूठ पकड़ना यादा मु कल होता है।

या आप ढ ग कर सकते ह?
हमसे अ सर पूछा जाता है, ‘ या नकली बॉडी ल वेज बनाई जा सकती है?’ ?‘इसका सामा य
जवाब है,’ ‘नह ’ , य क ऐसी थ त म मु य मु ा , शरीर के सू म संकेत और बोले गए
श द के बीच सामंज य या तालमेल नह रहेगा। मसलन, खुली हथे लय को ईमानदारी से जोड़ा
जाता है, ले कन अगर कोई ढ गी आपसे झूठ बोलते समय अपनी हथे लयाँ सामने रखे और
मु कुराता रहे, तब भी उसके शरीर के छोटे -छोटे संकेत उसके झूठ को बयान कर दगे। उसक
पुत लयाँ सकुड़ सकती ह, एक भ ह उठ सकती है या उसके मुँह का एक छोर फ़ड़क सकता है
और ये संकेत उसक खुली हथे लय और स ची मु कुराहट के ठ क उलट काम कर सकते ह।
नतीजतन, उसक बात सुनने वाले लोग, ख़ासकर म हलाएँ, उसक बात पर व ास नह करगी।

म हला के मुकाबले पु ष के सामने बॉडी ल वेज का


ढ ग करना आसान है, य क पु ष उसे पढ़ने म ब त
अ छे नह होते

एक स ची कहानी : झूठ बोलने वाला नौकरी आवेदक


हम एक का इंटर ू ले रहे थे और वह हम अपनी पछली नौकरी छोड़ने का कारण बता
रहा था। उसने कहा क वहाँ उसके भ व य के लए ब त अवसर नह थे और वहाँ के लोग से
अ छे र ते होने के कारण उस नौकरी को छोड़ना उसके लए एक मु कल फैसला था। इंटर ू
लेने वाली एक म हला का कहना था क उ ह भीतर से लग रहा था क वह आदमी झूठ बोल रहा
था और अपने बुराने बॉस के त उसका रवैया नकारा मक था, जब क वह लगातार उसक
तारीफ़ कर रहा था। लो-मोशन वी डयो म इंटर ू क समी ा करते ए हमने पाया क अपने
पुराने बॉस का ज़ करते ए हर बार आवेदक के चेहरे के बा तरफ़ कुछ सेकड के लए एक
ह का ं या मक भाव आता था। इस तरह के वरोधाभासी संकेत ब त ही कम समय.पकड़ के
लए चेहरे पर आते ह और अ श त उ ह नह पकड़ पाता। हमने उसके पुराने बॉस को
फ़ोन कया और पाया क वहाँ के अ य कमचा रय को स उपल ध कराने के कारण उसे काम
से नकाला गया था। इस ने ब त आ म व ास के साथ अपनी बॉडी ल वेज का ढ ग
करने क को शश क थी. ले कन हमारी म हला इंटर ूकता ने उसके वरोधाभासी सू म
हावभाव से उसक अस लयत पकड़ ली।
यहाँ असली भाव-भं गमा को नकली हावभाव से अलग करना मह वपूण है, ता क
कसी स चे और झूठे या धोखेबाज़ इंसान के बीच अंतर कया जा सके। पुत लय के फैलने,
पसीना आने और शमाने जैसे संकेत का जानबूझकर दखावा नह कया जा सकता, ले कन
ईमानदार दखने के लए हथे लय को सामने फैलाना आसानी से सीखा जा सकता है।

ढ गी ब त कम समय के लए दखावा कर सकते ह

हालाँ क कुछ मामले ऐसे होते ह, जनम मौके का फ़ायदा उठाने के लए जानबूझकर झूठ
शारी रक भाव-भं गमाएँ अपनाई जाती ह। मसलन, मस व ड या मस यू नवस जैसी
तयो गता म हर तयोगी लोग पर अपनी गमजोशी और ईमानदारी क छाप छोड़ने के लए
बारीक से सीखी गई शारी रक मु ा और हावभाव का इ तेमाल करती है। यह इस हद तक
होता है क हर तयोगी ऐसे संकेत लोग तक प ँचाकर नणायक से अंक हा सल कर सकती
है। ले कन ब त मा हर तयोगी भी ब त कम समय तक ही सही लगने वाले हावभाव का
दखावा कर सकती ह और आ खरकार शरीर वरोधाभासी संकेत दे न े लगता है, जन पर
जानबूझकर कए गए हावभाव का कोई असर नह होता। कई राजनी त मतदाता को
अपनी बात से आ त करने के लए शारी रक हावभाव का ढ ग करने म मा हर होते ह और जो
ऐसा कर पाने म सफल होते ह, उनम ‘क र माई‘कहा जाता है- जैस े जॉन एफ़ कैनेडी और
अडॉ फ़ हटलर।
सारांश यह है क लंबे समय तक बॉडी ल वेज का ढ ग या दखावा करना क ठन है,
ले कन जैसा क आगे हम दे खगे, अ य लोग से संचार के लए सकारा मक भाव भं गमा का
इ तेमाल करना और गलत संदेश दे न े वाले नकारा मक शारी रक हावभाव से बचना सीखना
ज़ री है। इससे आप अ य लोग के साथ अ धक सहज ह गे, वे आपको अ धक अपनाएँगे और
यही हमारी पु तक के ल य म से एक है।

अ छा रीडर (बॉडी ल वेज समझने वाला) कैसे बना जाए


दन भर म कम से कम पं ह मनट बाक लोग क बॉडी ल वेज समझने और साथ ही अपनी
भाव-भं गमा को समझने के लए अव य नकाल। लोग के मलने-जुलने क जगह अ ययन
के लए उपयु होती है। एयरपोट एक ऐसी ही जगह ह, जहाँ पर इंसानी हावभाव के पूर े दायरे
को दे खा जा सकता है। यहाँ लोग अपने शारी रक संकेत के ारा सरेआम उ सुकता, गु सा,
ख, ख़ुशी, बेस ी और कई अ य मनोभाव दखाते ह। सामा जक समारोह, बज़नेस मी ट स
और पा टयाँ भी सही मौके दे ती ह। बॉडी ल वेज पढ़ने म मा हर हो जाने पर आप कसी पाट म
एक कोने म बैठकर अपनी पूरी शाम लोग के शारी रक हावभाव दे खने म बता सकते ह।

शारी रक संकेत को पढ़ने के मामले म आधु नक इंसान


अपने पूवज से बदतर ह, य क श द से उनका यान
भटक जाता है।

टे ली वज़न भी सीखने का एक ब ढ़या मा यम हो सकता है। ट वी क आवाज़ बंद करके य


को दे खकर हालात को समझने क को शश क जए। कुछ मनट के अंतर पर आवाज़ बढ़ाकर
आप जाँच कर सकते ह क श दे तर भाव को समझने म आप कतने सट क रहे। कुछ समय म
आप आवाज़ के बना भी पूर े काय म को दे खकर समझ जाएँगे, जैसा क सुनने से लाचार लोग
करते ह।
शारी रक हावभाव पढ़ना सीखकर आप न केवल इस बात को लेकर अ धक सचेत रहगे
क लोग कैसे हावी होने और चालाक से काम नकलवाने क को शश करते ह, ब क यह भी
समझगे क हमारे साथ भी यही होता है। इससे हम लोग क भावना को लेकर अ धक
संवेदनशील होते ह।
हम एक नए कार के सामा जक वै ा नक का उदय दे ख रहे ह और वह है, बॉडी
ल वेज वॉचर यानी शारी रक हावभाव दे खने वाला। जस तरह बडवॉचर प य और उनके
वहार को दे खना पसंद करता है, उसी तरह बॉडी ल वेज वॉचर को इंसान के श दे तर संकेत
और इशार को दे खने म खुशी मलती है। वह लोग को सामा जक समारोह , समु तट , ट वी
पर, द तर म या लोग के मलने-जुलने क जगह पर गौर से दे खता है। वह मानव वहार का
व ाथ है, जो अपने साथी मानव के कायकलाप के बारे म जानना चाहता है, ता क वह वयं
को अ छ तरह समझ सके और अ य लोग के साथ अपने र त को बेहतर बना सके।

लोग को गौर से दे खने वाले और पीछा करने वाले के बीच


सबसे बड़ा अंतर या है? एक लपबोड और पेन।
अ याय 2

आपके हाथ म है श

कस तरह हथे लय और हाथ मलाने का योग नयं ण था पत करने हेतु


कया जाता है

ाचीन समय म खुली ई हथे लय का इ तेमाल यह दखाने के लए कया जाता था


क उनम कोई ह थयार नह छपाया गया है

नई पीआर कंपनी म ऐडम क नौकरी का वह पहला दन था और वह सब पर अपनी


अ छ छाप छोड़ना चाहता था। साथी सहक मय से प रचय के समय उसने ब ढ़या
मु कान के साथ ब त गमजोशी से सबसे हाथ मलाया। 6 फुट 3 इंच (1.9 मीटर) लंबा
ऐडम दखने म अ छा था, ब ढ़या कपड़े पहनता था और वाकई एक सफल पीआर का
लगता था। वह हमेशा मज़बूती से हाथ मलाता था, जैसा क बचपन म उसके
पता ने उसे सखाया था। उसक पकड़ इतनी मज़बूत थी क उसक दो म हला
सहक मय क उँग लयाँ लाल हो गई और कई अ य म हला को हाथ म दद महसूस
आ। अ य पु ष ने हाथ मलाने म एडम के साथ मुकाबला कया - पु ष ऐसा ही
करते ह। म हला ने ख़ामोशी से दद को सहा और ज द ही यह फुसफुसाहट शु हो
गई, ‘उस नए श स एडम से र रहना – वह पहलवान क म का है।‘पु ष ने इस पर
कोई बात नह क , ले कन म हला ने एडम से कनारा करना शु कर दया। वहाँ
आधी से यादा बॉस म हलाएँ थ ।

हाथ से जुड़ा एक ख़याल - आपका हाथ भारी है या फर आप उसे ऊपर रखने म यक न रखते
ह, खाने के लाले पड़ने से बचने के लए हाथ क सफ़ाई म यक न रखते ह या अपना हाथ ऊपर
रखने का मौका आप हाथ से जाने नह दे ते। एक बात का यान रख क रंगे हाथ न पकड़े जाएँ
या कसी गलती से हाथ धोने क को शश न कर, य क अगर आपने उस हाथ को काटने क
को शश क , जो आपके मुँह म नवाला डालता है, तो पूरा मामला आपके हाथ से नकल
जाएगा।
मानव वकास म हाथ सबसे मह वपूण अंग रहे ह और दमाग तथा हाथ के बीच शरीर
के कसी भी अ य अंग के मुकाबले यादा ताल-मेल है। कम लोग इस बात पर यान दे त े ह क
कसी से मलने पर उनके हाथ कैसा बताव करते ह या कसी से मलने पर वे कैसे हाथ मलाते
ह। इसके बावजूद हाथ मलाते समय शु आती पाँच या छह बार उसे हलाने से पता लग जाता है
क कौन हावी होगा, कौन झुकेगा या कैसे श - दशन होगा। समूच े इ तहास म खुली हथे लय
को स चाई, ईमानदारी, न ा और समपण से जोड़ा जाता है। ब त सी शपथ आज भी हथेली
को दल पर रखकर ली जाती ह और अदालत म गवाही दे त े समय हथेली को उठाए रखा जाता
है; बाएँ हाथ म बाइबल रखी जाती है और दा हथेली को अदालत के सामने उठाए रखा जाता
है। कसी इंसान के खुलेपन और ईमानदारी का पता लगाने के लए सबसे मह वपूण सुराग
उसक हथे लय म मलता है। जैस े कु ा वजेता के त अधीनता या समपण के प म अपनी
गदन सामने लाता है, उसी तरह इंसान नह था होने और खतरा न होने को अपनी हथे लय के
मा यम से दखाता है।

अधीनता वीकारने वाले कु े अपनी गदन दखाते ह।


इंसान अपनी हथे लयाँ सामने रखते ह।

खुलेपन को कैसे पहचान


जब लोग खुद को उदार और ईमानदार दखाना चाहते ह, तो वे अ सर दोन हथे लय को सरे
इंसान क तरफ़ फैलाकर कहते ह, ‘मने ऐसा नह कया ‘, ‘मने आपको परेशान कया हो तो म
माफ़ चाहता ’ँ या ‘म आपको सच बता रहा ँ’ | य द कोई खुलने लगता है या स चा होता है तो
संभव है क वह सरे को अपनी हथे लयाँ या उनका कुछ ह सा सामने दखाए।
अ धकतर शारी रक संकेत क तरह यह भी पूरी तरह से अनजानी मु ा है, जो आपको एक
अंद नी एहसास दे ती है क सामने वाला इंसान सच बोल रहा है।
मेरा यक न करो - म डॉ टर ँ

खुला, ईमानदार रवैया दखाने के लए हर जगह हथे लय का जानबूझकर इ तेमाल


कया जाता है

जब ब चे झूठ बोल रहे होते ह या फर कुछ छपा रहे होते ह, तो वे अ सर अपनी


हथे लयाँ पीठ के पीछे छपा लेत े ह। इसी तरह, जब कोई वय क अपने दो त के साथ पाट के
बाद अपने ठकाने के बारे म नह बताना चाहता, तो वह अपनी हथे लयाँ जेब म छपाता है या
साथी को जगह क बात पर सफ़ाई दे त े ए अपनी बाँह को मोड़कर रखता है। उसक छपी ई
हथे लय से, हालाँ क, उसक साथी को यह एहसास हो जाता है क वह सच नह बता रहा। य द
कोई म हला कुछ छपाना चाहती है तो वह उस वषय से बचती है या फर एक ही समय पर
ब त से काम करते ए एक- सरे से ब कुल अलग वषय पर बात करने लगती है।

पु ष के झूठ बोलने पर उनके शारी रक संकेत ब त प


होते ह। झूठ बोलते ए म हलाएँ त दखना पसंद
करती ह।
से सक मय को यह सखाया जाता है क जब कोई ाहक कोई सामान न खरीदने के कारण
बता रहा होता है तो वे उसक हथे लय को दे ख, य क जब उ चत कारण दे रहा हो तो
आमतौर पर उसक हथे लयाँ सामने ह गी। जब लोग कारण बताने म खुलापन अपनाते ह तो वे
अपने हाथ का इ तेमाल करते ह और हथे लयाँ दखाते ह, जब क सच न बोलने वाले लोग के
श द तो वही ह गे, ले कन उनके हाथ छपे रहगे। कसी बातचीत म शा मल होने से बचने के लए
पु ष अपनी जेब म हाथ डाले रखते ह। शु आती दौर म हथे लयाँ शारी रक भाषा के वोकल
कॉड् स यानी वर-सू जैसी थ , य क वे शरीर के कसी और ह से के मुकाबले यादा
‘बातचीत’ करती थ और उ ह र रखने का मतलब कसी का मुँह बंद रखने जैसा था।

जेब म हाथ : स व लयम मी डया को जता रहे ह क वह बात नह करना चाहते

धोखा दे ने के लए हथे लय का जानबूझकर योग


कुछ लोग पूछते ह, ‘अगर म झूठ बोलते ए अपनी हथे लयाँ सामने रखू,ँ तो या लोग मेरा
यक न करगे ?’ जवाब है, हाँ और नह भी। अगर आप हथे लय को सामने रखकर सफ़ेद झूठ
बोल, तब भी सुनने वाले को आप कपट लग सकते ह, य क ऐसे म ईमानदारी दखाते ए जो
हावभाव प होने चा हए, वे नह ह गे और झूठ बोलते समय दखने वाली भाव-भं गमाएँ भी
दखाई दगी, इनका खुली हथे लय के साथ तालमेल नह बैठेगा। ठग और पेशेवर झूठ बोलने
वाले लोग अपने श दे तर यानी नॉन-वबल संकेत का तालमेल शा दक झूठ के साथ बठाने क
कला के मा हर हो जाते ह। पेशेवर ठग झूठ बोलते व जतनी अ छ तरह ईमानदारी के
हावभाव दखाएगा, उतना ही वह अपने काम म सफल होगा।

‘मेर े बूढ़े हो जाने पर भी तुम मुझसे ेम करोगे?’ े मका न


हथे लयाँ सामने रखकर कहा। ‘न केवल ेम क ँ गा,
ब क ख़त भी लखूँगा‘, ेमी ने जवाब दया।

कारण और प रणाम का नयम


खुली हथे लय क मु ा का अ यास कर लोग से बातचीत करते ए यादा स चा और
व सनीय दखा जा सकता है। दलच प बात यह है क अगर हथे लय को सामने रखने क
आदत पड़ जाए तो झूठ बोलने क आदत ख़ म हो सकती है। ब त से लोग को हथे लयाँ खुली
रखकर झूठ बोलना मु कल लगता है और ऐसा कारण और प रणाम के नयम के कारण होता
है। अगर कोई ईमानदार है, तो वह अपनी हथे लयाँ सामने रखेगा, ले कन हथे लय के
खुल े रहने से के लए झूठ बोलना मु कल हो जाएगा। हमारी मु ा और भावना का
एक- सरे से सीधे जुड़े रहना इसका कारण है। अगर आप कसी थ त म खतरा महसूस करते
ह, तो आप अपनी बाँह को छाती पर मोड़ते ह। ले कन अगर आप अपनी बाँह को बना कसी
कारण मोड़ते ह, तो आप अपनी सुर ा को लेकर सतक हो जाते ह। अगर बात करते समय
आपक हथे लयाँ खुली ह, तो इससे सामने वाले पर भी सच बोलने का दबाव पड़ता है।
अ य श द म, खुली हथे लय से बाक लोग ारा द जाने वाली झूठ जानकारी के दबे रहने म
मदद मलती है और उ ह आपके साथ ईमानदारी बरतने का ो साहन मलता है।

हथे लय क श
जब इंसान कसी को दशा- नदश दे रहा होता है या फर हाथ मला रहा होता है, ऐसे म उसक
हथेली सबसे सश संकेत दे ती है, जस पर ब त कम यान दया गया है। एक न त तरीके से
इ तेमाल कए जाने पर हथेली क श को मूक भु व दान करती है।
हथेली से जुड़े तीन मुख आदे शा मक संकेत ह : हथेली का सीधे रहना, हथेली का
उ टे रहना और हथेली बंद रहना, ले कन उँगली का सीधे तने रहना। इन तीन म अंतर को इस
उदाहरण म समझाया गया है: मान ली जए, आप कसी को कोई चीज़ उठाकर कह और ले
जाने के लए कह रहे ह हर उदाहरण म आपका वर, आपके श द और चेहरे के हावभाव एक
जैसे रहगे, बस आप अपनी हथेली क थ त बदल लगे।
हथेली को सीधा रखने या फैलाने का इ तेमाल दबने और ख़तरनाक न होने क मु ा के
प म कया जाता है और यह कसी भखारी के याचनापूण भाव क याद दलाता है।
वकासा मक से यह दखाता है क इंसान के पास कोई ह थयार नह है। जस को
आप सामान ले जाने के लए कह रहे ह, वह काम का दबाव महसूस नह करेगा और आपके
अनुरोध से ख़तरा महसूस नह करेगा। य द आप चाहते ह क वह आपसे बात करे तो
आप हथेली सीधी रखकर उसे यह संकेत दे सकते ह क वह आपसे बात कर सकता है और
आप उसे सुनने के लए तैयार ह।
हथेली सीधे सामने रखने क मु ा कई स दय म पांत रत ई और हवा म उठ ई
हथेली, दल पर हथेली रखने जैसी तथा कई अ य व भ मु ाएँ वक सत ई।

हथेली को उ टा करने पर आप भु व जमाने का भाव दखाते ह। सरे को लगेगा क


आपने उसे सामान हटाने का आदे श दया है और हो सकता है क वह आपके त वरोधी रवैया
अपना ले, यह आप दोन के संबंध और कामकाज के े म आपके पद पर भी नभर करता है।

अपनी हथेली को ऊपर क ओर रखने या नीचे क ओर


रखने से लोग आपके बारे म ब कुल अलग तरह क राय
बनाते ह

मसलन, अगर सरा आपक है सयत का है, तो संभव है क वह उ ट हथेली के साथ


कए गए आपके अनुरोध का तरोध करे और हथेली सीधी रखने पर आपक बात मान ले। य द
वह आपका मातहत है, तो हथेली उ ट रखने पर भी उसे एतराज़ नह होगा, य क ऐसे
म आपके पास उसे आदे श दे न े का अ धकार होगा।
नाज़ी सै यूट म हथेली को नीचे क ओर उ टा रखा जाता था और वह जमन रा य (थड
राइक) म श और नरंकुशता का तीक था। य द अडॉ फ़ हटलर सै यूट म हथेली सीधी
रखता, तो कोई भी उसे गंभीरता से नह लेता, ब क हर कोई उसक हँसी उड़ाता।
हथेली नीचे क ओर करने का स संकेत अपनाता आडॉ फ़ हटलर
जब कोई जोड़ा हाथ म हाथ डाले चलता है तो अ धक भु व रखने वाला साथी, जो क अ सर
पु ष होता है, अपनी हथेली पीछे क ओर रखकर थोड़ा आगे चलता है, जब क म हला क
हथेली सामने क ओर होती है। इस साधारण सी मु ा से तुरंत पता चल जाता है क प रवार म
कसक अ धक चलती है।
बंद हथेली और सीधी तनी ई उँगली दरअसल एक मु होती है, जसम तनी ई उँगली
का इ तेमाल डंडे क तरह कया जाता है, जससे व ा अपने ोता को तीका मक प से
पीटता है, ता क वे अधीनता वीकार ल। अवचेतन तौर पर इससे लोग म नकारा मक भावनाएँ
आती ह, य क इससे पहले बाँह को उठाकर झटका दया जाता है, और अ धकांश नरवानर
हमला करते ए यह आ दम तरीका अपनाते ह।

तनी ई उँगली = ‘ऐसा करो, वरना!‘

बंद हथेली और तनी ई उँगली कसी व ा ारा इ तेमाल क जाने वाली एक ब त ही खझाने
वाली मु ा है, ख़ासकर जब वह व ा के श द से पहले दखाई दे । मले शया और फ़लीपी स
जैसे दे श म कसी इंसान क तरफ़ उँगली दखाने को अपमान माना जाता है और जानवर क
ओर संकेत करने के लए उसका इ तेमाल कया जाता है। लोग क ओर इशारा करने या दशा
बताने के लए मले शयाई लोग अँगठ ू े का योग करते ह।

ोता से जुड़ा हमारा योग


हमने आठ ले चरस के साथ एक योग कया। उ ह ोता से दस मनट लंबी बातचीत करने
के दौरान इन तीन मु ा का इ तेमाल करने को कहा गया और हर ले चर के दौरान लोग के
रवैय े को भी हमने रकॉड कया। हमने पाया क जन ले चस म हथेली अ धकतर सीधी यानी
ऊपर क ओर रखी गई थी, उनम भाग लेने वाले 84 तशत लोग क त या सकारा मक
रही, जब क उसी ेज़टे शन को हथेली उ ट यानी नीचे क ओर रखकर तुत करने म यह
तशत 52 हो गया। तनी ई उँगली क मु ा अपनाए जाने पर 28 तशत सकारा मक
त या मली और कुछ लोग तो ले चर के दौरान बाहर नकल गए।
तनी ई उँगली अ सर अ धकांश ोता म नकारा मक भाव जगाती है

तनी ई उँगली से न सफ़ ोता से सबसे कम सकारा मक त या मली, ब क लोग को


उस व ा क कही बात भी ब त कम याद रही। य द आप आदतन अपनी उँगली तानकर रखते
ह, तो हथेली ऊपर और नीचे करने क मु ा का अ यास करने क को शश कर, इससे आप
एक राहतभरा माहौल बना पाएँगे और लोग पर अ धक सकारा मक भाव डाल सकगे। इसके
अलावा अगर आप अपने अँगठ ू े को उँग लय के पोर से छु एँ, ता क ‘ठ क है’ का भाव आए, इस
कार बातचीत करते ए आपक बात ामा णक लगेगी, ले कन आप आ ामक नह दखगे।
हमने कुछ व ा , राजनी त और बज़नेस लीडस को यह मु ा सखाई और ोता क
त या को दज कया। जन व ा ने अँगठ ू े से उँग लय के छोर को छू ने क मु ा अपनाई,
उ ह लोग ने ‘ वचारवान’ ‘ल य - क त’ और ‘एका च ’ बताया । तनी ई उँगली का योग
करने वाले व ा को ोता ने ‘आ ामक’, ‘लड़ाकू’ और ‘अस य’ बताया। ऐसे व ा ारा
द गई जानकारी भी लोग को कम याद रही। जब व ा ने सीधे लोग क तरफ़ उँगली उठाई, तो
उसक बात सुनने के बजाय लोग नजी तर पर उसके बारे म राय बनाने म लग गए।
अँगठ
ू े को उँग लय के पोर पर दबाने क मु ा से ोता को भयभीत करने से बचा
जा सकता है

हाथ मलाने के तरीक का व ेषण


हाथ मलाना हमारे अतीत का एक अवशेष है। आ दम जनजा तय के लोग जब भी मै ीपूण
प र थ तय म मलते थे, तो वे अपने बाजू फैलाकर अपनी हथे लयाँ दखाते थे, ता क यह
बताया जा सके क उनम कोई ह थयार तो नह रखा या छपाया गया है। रोमन काल म आ तीन
म कटार छपाना क था आम थी, इस लए रोमन लोग ने सुर ा के लए सामा य अ भवादन के
तौर पर बाँह के नचले ह से को थामने क मु ा वक सत क ।

बाँह के नचले ह से को थामना – छपाए ए ह थयार क जाँच करना - रोमन लोग


के अ भवादन का मूल तरीका

अ भवादन के इस ाचीन तरीके का आधु नक प है, हथे लय को मलाकर हलाना। उ ीसव


शता द म मूल प से इसका इ तेमाल बराबर के दज के पु ष के बीच ापा रक लेनदे न को
सु न त करने के लए कया जाता था। पछले कुछ सौ वष म इसे ापक तौर पर मा यता
मली है और हाल के कुछ समय तक यह पु ष का े था। आज प मी और यूरोपीय दे श म
म हला तथा पु ष ारा सभी ापा रक प र थ तय म शु आती अ भवादन एवं वदाई के
प म और पा टय और सामा जक समारोह म हाथ मलाया जाता है।

हाथ मलाना एक ऐसे तरीके के प म वक सत आ


जससे पु ष के बीच ापा रक समझौता मज़बूत हो
सके।

जापान जैस े दे श म, जहाँ सर झुकाना एक पारंप रक अ भवादन है और थाईलड म, जहाँ


अ भवादन के लए ाथना जैसी मु ा वाई अपनाई जाती है, वहाँ भी हाथ मलाने जैसा आधु नक
अ भवादन आम हो गया है। अ धकांश जगह पर आमतौर पर हाथ मलाकर उसे पाँच या छह
बार हलाया जाता है, ले कन जमनी जैसे कुछ दे श म ऐसा दो-तीन बार कया जाता है और दो
बार के हाथ हलाने जतने समय म हाथ को थामकर रखा जाता है। ांसीसी लोग सबसे
ख़ुश मज़ाज तरीके से हाथ मलाने वाले होते ह, वे वागत और वदाई अ भवादन के प म
गमजोशी से हाथ मलाते ह और अपना काफ समय हाथ मलाने म लगाते ह।

कसे पहल करनी चा हए?


कसी इंसान से पहली बार मुलाकात होने पर हाथ मलाना एक आमतौर पर वीकृत था है,
ले कन कई प र थ तय म यह उ चत नह होता क आप हाथ मलाने क पहल कर। अगर यह
मान क हाथ मलाना व ास और वागत का तीक है, तो पहल करने से पहले यह ज़ री है
क आप खुद से ये सवाल पूछे ? या मेरा यहाँ वागत है या यह इंसान मुझसे मलकर खुश है
या फर म ज़बरद ती का मेहमान ँ से सक मय को सखाया जाता है क य द वे कसी ाहक
के पास अचानक या बना बुलाए प ँच और हाथ मलाने क पहल कर तो इससे नकारा मक
असर पड़ सकता है, य क संभव है क ाहक या ख़रीदार उ ह न वीकारे और हाथ मलाना
उसे मजबूरी लगे। ऐसी प र थ त म से सक मय को सलाह द जाती है क वे सरे क
पहल का इंतज़ार कर और अगर वह पहल न करे तो ह के से सर हलाकर अ भवादन कर।
कुछ दे श म म हला से हाथ मलाना ब त आम नह है (मसलन, कई मु लम दे श म इसे
अ श ता माना जाता है, धीरे से सर हलाना यहाँ वीकाय है), ले कन अ धकांश अ य जगह
पर यह पाया गया है क हाथ मलाने क पहल करने वाली म हला को खुल े वचार का माना
जाता है और वे पहली बार मलने पर अपनी बेहतर छाप छोड़ती ह।

भु व और नयं ण को कैसे जताया जाता है


हथेली सीधी रखने और उसे उलटकर रखने के भाव के बारे म कही गई बात को यान म रखते
ए अब हम हाथ मलाने म इनके औ च य या मह व को दे खगे।
रोमन काल म दो मु खया अ भवादन करते समय ऐसी मु ा अपनाते थे, जो आजकल
के पंजा लड़ाने जैसी थी, बस अंतर इतना था क वह खड़े होकर कया जाता था। अगर एक नेता
सरे के मुकाबले मज़बूत होता, तो अंत म उसका हाथ कमज़ोर हाथ के ऊपर होता, जसे आज
अपर हड यानी मज़बूत थ त कहा जाता है।
मान ली जए क आप कसी से पहली बार मल रहे ह और आपने एक- सरे से हाथ
मलाया। इनम से तीन रवैय े अवचेतन तौर पर सरे तक प ँच:े

1. भु वः ‘यह मुझ पर हावी होने क को शश कर रहा है। बेहतर होगा क म


सावधान र ।ँ ’
2. अधीनताः ‘म इस इंसान पर हावी हो सकता ँ। यह वही करेगा जो म चा ँगा।’
3. बराबरीः ‘म इस इंसान के साथ सहज महसूस कर रहा ।ँ ’

हम पता भी नह चलता और ये रवैय े या भाव एक- सरे को भेजे और हण कए जाते ह,


ले कन कसी भी मुलाकात पर इनका भाव त काल पड़ जाता है। 1970 के दशक म हमने
अपनी बज़नेस क स लासेज़ ( ापार कौशल सखाने वाली क ा ) म हाथ मलाने के इन
तरीक के भाव को दज कया और ापार कूटनी तय के प म इ ह पढ़ाया। ये तरीके कसी
भी मुलाकात पर नाटक य असर डाल सकते ह, जसे आगे आप वयं दे खगे।
य द आप हाथ मलाते समय (धारीदार आ तीन) को दे ख अपनी हथेली नीचे क ओर
रखगे (नीचे दे ख) तो आप भु व का संकेत दगे। ज़ री नह है क आपक हथेली सीधे नीचे क
ओर हो, ले कन ऐसे म आपका हाथ ऊपर होगा, जो यह बताता है क आप मुलाकात का
नयं ण अपने हाथ म रखना चाहते ह।

नयं ण लेना

350 सफल सी नयर मैनेजमट ए ज़ी यू ट स ( जनम से 89 तशत पु ष थे) के अ ययन से


हम पता चला क लगभग सभी मैनेजर ने न सफ़ हाथ मलाने क शु आत क , ब क 88
तशत पु ष और 31 तशत म हला ने भु व जमाने क मु ा को अपनाया। ताकत और
नयं ण से जुड़े मु े अ सर म हला के लए कम मह वपूण होते ह, शायद इसी लए केवल
एक- तहाई म हला ने हाथ ऊपर रखने क मु ा अपनाई। हमने यह भी दे खा क कुछ म हलाएँ
क ह सामा जक प र थ तय म पु ष से कोमलता या ह के ढं ग से हाथ मलाती ह, जससे
उनका द बूपन ज़ा हर होता है। यह नारी व को द शत करने या यह बताने का एक तरीका है
क उन पर भु व जमाया जा सकता है। कामकाज के लहाज़ से कसी नारी के लए यह तरीका
नुकसानदे ह हो सकता है, य क ऐसे म पु ष उसक नारी व संबंधी वशेषता पर यान दगे
और उसे गंभीरता से नह लगे। बज़नेस मी ट स म नारी व का दशन करने वाली म हला को
बाक म हला या पु ष ारा गंभीरता से नह लया जाता, हालाँ क आजकल यह कहना
फ़ैशनेबल है या राजनी तक तौर पर सही है क ी-पु ष एक समान ह। इसका यह मतलब नह
क बज़नेस के े म म हला को पु ष क तरह बताव करना चा हए, य द वे पु ष के
बराबर व सनीयता चाहती ह, तो उ ह ह के ढं ग से हाथ मलाने, छोट कट् स और ऊँची एड़ी
के सडल पहनने जैस े नारी व संबंधी संकेत दे ने से बचना चा हए।
गंभीर बज़नेस मी टग म नारी व के संकेत दे न े वाली
म हलाएँ व सनीयता खो दे ती ह।

2001 म अलाबामा यू नव सट के व लयम चैप लन ने हाथ मलाने पर एक अ ययन कया और


पाया क ब हमुखी या मलनसार लोग मज़बूती से हाथ मलाते ह, जब क शम ले, यूरॉ टक
(कमज़ोर तं का तं वाले) लोग ऐसा नह करते। चैप लन ने यह भी पाया क नए वचार को
लेकर खुली सोच रखने वाली म हलाएँ मज़बूती से हाथ मलाती ह। पु ष चाहे नए वचार को
लेकर खुली सोच रख या नह , वे भी वैसे ही हाथ मलाते ह। य द म हलाएँ सबसे, वशेषकर
पु ष से, मज़बूती से हाथ मलाने का अ यास कर तो यह कामकाज के लहाज़ से कारगर
होगा।

हाथ मलाते समय अधीनता द शत करना


हाथ मलाते समय भु व का ठ क उ टा है, हाथ बढ़ाते समय (धारीदार आ तीन को दे ख)
अपनी हथेली को ऊपर क ओर (जैसा क अगले च म दखाया गया है) करते ए तीका मक
तौर पर सरे को हाथ ऊपर रखने दे ना, यह वैसा ही है जैस े कसी कु े का अपने से
बेहतर कु े के सामने गदन दखाना।

हाथ मलाते ए अधीनता द शत करना

य द आप सरे को यह संदेश दे ना चाहते ह क थ त उसके नयं ण म है, जैसा क


कसी से मा याचना करने क थ त म होता है, तो यह मु ा कारगर हो सकती है।
हथेली सीधी रखते ए हाथ मलाने से सरे के सामने झुकने का रवैया ज़ा हर हो
सकता है, ले कन कई बार अ य प र थ तय को भी यान म रखा जाना चा हए। जैसा क हम
जानते ह, ग ठया के मरीज़ को मजबूरन ह के ढं ग से हाथ मलाना पड़ता है और इस कारण
उनक हथेली अधीनता क मु ा म ऊपर क ओर रहती है। अपने पेश े म हाथ का इ तेमाल करने
वाले श य च क सक, कलाकार और संगीतकार जैसे लोग भी अपने हाथ क सुर ा के लए
कम मज़बूती से हाथ मलाते ह। हाथ मलाने के बाद क उनक भाव-भं गमा के समूह से
आप उनके व के बारे म यादा जानकारी ले सकते ह। अधीनता वीकारने वाले क
मु ाएँ अ धक वन ह गी, जब क हावी होने वाला इंसान कठोर हावभाव अपनाएगा।
समानता क थ त बनाना
दो बल या भु व वाले लोग ारा हाथ मलाते समय तीका मक तौर पर श संघष शु
होता है, य क दोन ही एक- सरे क हथेली को अधीनता क मु ा म लाने क को शश म लग
जाते ह। नतीजतन शकंजे क मु ा बन जाती है, जसम दोन क हथे लयाँ सीधी खड़ी थ त म
होती ह और इससे एक- सरे के साथ बराबरी और स मान का भाव पैदा होता है, य क दोन
ही दबना नह चाहते।

समानता का भाव

स ाव बनाना
हाथ मलाते समय स ावना करने के लए दो चीज़ मह वपूण ह। सबसे पहले, यह
सु न त कर ल क आपक और सरे क हथे लयाँ लंबवत् ह , ता क कोई भी हावी होने
या दबने क थ त म न हो। सरी बात यह क हाथ मलाते समय उतना ही दबाव रख, जतना
आपके हाथ पर पड़ रहा है। इसका अथ है क य द मज़बूती के 1-10 के पैमाने पर आपका
दबाव 7 है और सरे का केवल 5, तो आपको अपनी पकड़ या प 20 तशत कम
करनी होगी। य द सरे क पकड़ 9 है । और आपक 7, तो आपको 20 तशत पकड़ बढ़ानी
होगी। य द आप दस लोग के समूह से मल रहे ह, तो आपको हर कसी से सौहाद और बराबरी
क भावना बनाए रखने के लए हाथ मलाने के तरीके और कोण म फेरबदल करते रहना होगा।
यह यान रखना भी ज़ री है क कसी म हला के मुकाबले पु ष का हाथ औसतन दोगुना ज़ोर
लगा सकता है, इस लए इस बात को नज़र अंदाज़ न कर। मक वकास म काटने, चीरने,
सामान उठाने, फकने और हथौड़ा मारते ए पु ष के हाथ क पकड़ क ताकत 100 पाउंड (45
क ा) तक हो सकती" है।
याद र खए क हाथ मलाने का वकास अ भवादन करने या वदाई दे न े और समझौता
करने क अ भ के लए आ है, इस लए इसे गमजोशी से भरा, दो ताना और सकारा मक
होना चा हए।

श संघष का सामना कैसे कया जाए


हथेली पर नीचे क ओर दबाव डालना नाज़ी सै यूट का अवशेष है। और यह हाथ मलाने का
सबसे आ ामक तरीका है, य क इसम सरे को बराबरी पर आने का मौका ही नह
दया जाता। रौबीले, हावी होने वाले लोग इस तरीके से हाथ मलाते ह और उसक पहल करते
ह, उनक स त बाँह और नीचे क ओर उ ट हथेली सरे इंसान को दबने के लए मजबूर करती
है।

उ ट हथेली का दबाव

अगर आपको लगे क कोई जानबूझकर हथेली उ ट कर दबाव डाल रहा है, तो इस तरह उसका
जवाब दया जा सकता है:

1. सही तकनीक क ओर कदम बढ़ाना


य द कोई पावर लेयर यानी श संघष करने वाला, जो क अ धकतर पु ष होते ह, हाथ
मलाने क हावी होने क मु ा अपनाए तो अपनी हथेली को बराबरी क थ त म लाना न केवल
मु कल है, ब क आपका ऐसा करना साफ़ तौर पर नज़र आता है।
इस तकनीक म हाथ मलाने के लए बाएँ पैर को आगे कर कदम बढ़ाया जाता है। इसे
सीखने का अ यास करना होगा, य क दायाँ हाथ बढ़ाते समय 90 तशत लोग वाभा वक
तौर पर अपना दायाँ पैर आगे बढ़ाते ह।

फर अपना दायाँ पैर आगे बढ़ाते ए, सरे के सामने से गुज़रकर उसके करीबी दायरे
यानी पसनल पेस म प ँच जाएँ। आ ख़र म अपने बाएँ पैर को दाएँ पैर क ओर ले जाएँ, ता क
आपक या पूरी हो जाए और फर उस से हाथ मलाएँ। इससे आपको सीधा रखकर
हाथ मलाने म मदद मलेगी या उसे काबू करने क थ त बन जाएगी। इससे लगता है क आप
उसके आगे से जा रहे ह, जो क पंजा लड़ाने का मुकाबला जीतने के बराबर है। उसके पसनल
पेस म घुसपैठ करके आप नयं ण अपने हाथ म ले सकते ह।

दायाँ पैर बढ़ाते ए उसके सामने आकर उसक हथेली को पकड़कर ऊपर लाएँ

हाथ मलाते समय अपनी ग त व ध पर गौर क जए और दे खए क हाथ बढ़ाते ए आप बायाँ


कदम आगे बढ़ाते ह या फर दायाँ। अ धकतर लोग दाएँ पैर को उठाते ह, जससे थ त तकूल
हो जाती है य क हाथ मलाने क भु व वाली थ त म उ ह हलने-डु लने का मौका कम
मलता है और सरा इंसान हावी हो जाता है। अपना बायाँ कदम बढ़ाकर हाथ मलाने का
अ यास करने से आप पाएँगे क आपको नयं त करने वाले पावर लेयर से नपटना आसान
है।

2.ऊपर हाथ रखने क तकनीक


जब कोई पावर लेयर आपक हथेली को नीचे क ओर दबाता है, तो अपनी हथेली को ऊपर
रखते ए आप अपने बाँए हाथ को उसके दाँए हाथ पर रखकर डबल हडर यानी दोहरे हाथ जैसी
थ त बनाकर हाथ को सीधा कर ल।

डबल हडर
इस तरह नयं ण या ताकत उसके हाथ से आपके हाथ म आ जाती है, यह थ त से नपटने का
ब त साधारण तरीका है, जसे म हलाएँ आसानी से अपना सकती ह। अगर आपको लगे क
पावर लेयर जानबूझकर आपको भयभीत करने क को शश कर रहा है और वह बार-बार ऐसा
करता है, तो ऊपर से उसके हाथ को पकड़कर उसे हलाएँ (जैसा अगले च म दखाया गया
है)। इससे पावर लेयर को झटका लगेगा, इस लए इसे अपनाते समय यान रख और अं तम
उपाय के प म ही इसका इ तेमाल कर।

अं तम उपाय

ठं डा, चप चपा हडशेक


कसी को भी ऐसे हाथ पसंद नह , जनसे अपने हाथ मलाते ए लगे क आपको ठं डे सॉसेज
थमा दए गए ह। अजनबी लोग से मलते ए अगर हम तनाव म आ जाएँ तो हाथ क वचा क
बाहरी परत क को शका से ख़ून ‘लड़ने या भाग जाने‘क तैयारी के लए बाँह और पैर क
माँसपे शय म चला जाता है। नतीजतन हमारे हाथ का तापमान गर जाता है, हम पसीना आने
लगता है और वे ठं डे और चप चपे महसूस होने लगते ह, जससे हाथ मलाते समय वे गीली
मछली क तरह लगते ह। अपनी जेब या बैग म माल रख, ता क कसी अहम इंसान से मलने
से पहले आप अपनी हथे लयाँ सुखा ल और उस पर आपका पहला भाव अ छा पड़े। इसके
अलावा, कसी भी नई बैठक से पहले क पना कर क आपके हाथ आग के सामने है। यह
सा बत आ है क इस तकनीक से एक औसत के हाथ का तापमान 3-4 ड ी तक बढ़
जाता है।

बा ओर होने का लाभ लेना


जब दो नेता मी डया के सामने फ़ोटो खचवाने के लए एक- सरे के साथ खड़े होते ह, तो वे
शारी रक आकार और ेस कोड म बराबर दखने क को शश करते ह, ले कन लोग को त वीर
म बा ओर खड़ा अ धक भु व वाला लगता है। ऐसी थ त म हाथ मलाते ए बा ओर
खड़े का हाथ ऊपर रहता है, जससे वह नयं ण म लगता है। 1960 म टे ली वज़न पर
बहस से पहले जॉन एफ़ कैनेडी और रचड न सन के हाथ मलाने से यह ब त प लगता है।
उस समय नया को बॉडी ल वेज का ान नह था, ले कन व ेषण करने पर पता लगता है
क जेएफ़के को इसके इ तेमाल क गहरी समझ थी। वह अ सर त वीर म बा ओर खड़े होते थे
और हाथ ऊपर रखना उनक पसंद दा थ त थी।
हाथ को ऊपर रखना - जेएफ़के ारा रचड न सन को कमज़ोर दखने वाली थ त
म रखने के लए बा तरफ़ होने का लाभ लेना

इस स चुनावी बहस ने बॉडी ल वेज के मह व का शानदार सबूत दया। चुनाव ने दखाया


क अमे रका के जन लोग ने रे डयो पर बहस सुनी, उनम से अ धकांश का मानना था क
न सन वजेता थे, ले कन ट वी पर बहस दे खने वाल म से अ धकतर लोग ने केनेडी को प
तौर पर वजेता माना। यह दशाता है क केनेडी क असरदार बॉडी ल वेज ने कमाल कया और
आ ख़रकार वे रा प त चुन े गए।
त वीर म बा ओर खड़े बल लंटन, टोनी लेयर के मुकाबले मज़बूत थ त म ह
ग़लत दशा से आगे बढ़ते ए व के कुछ नेता – वे त वीर क बा ओर से आए –
और सरे को भु वशाली थ त दान क ।
जब ी-पु ष हाथ मलाते ह
पेशेवर जगत म कई दशक से म हला क मज़बूत उप थ त रही है, इसके बाबजूद ी-पु ष
अ भवादन म कई लोग अ न तता और उलझन म रहते ह। अ धकतर पु ष का कहना है क
उ ह बचपन म अपने पता से हाथ मलाने क बु नयाद तालीम मली, ले कन ब त कम
म हलाएँ इस कार के श ण क बात कहती ह। बड़े होने पर इससे असहज हालात पैदा हो
सकते ह, य क जब कोई पु ष कसी म हला से हाथ मलाने के लए आगे बढ़ता है, तो वह
उसके चेहरे क ओर दे खने के कारण बढ़ते हाथ पर यान नह दे पाती। आगे बढ़े ए अपने हाथ
से झपा आ अब उसे पीछे ख चता है और सोचता है क शायद म हला ने उसका हाथ
नह दे खा, और तभी वह अपना हाथ आगे बढ़ाती है और पु ष का हाथ वहाँ नह होता। वह फर
से हाथ बढ़ाता है और नतीजतन उनक उँग लयाँ ऐसे उलझी ई लगती ह जैस े दो कवड एक-
सरे के आगोश म ह ।

ी-पु ष के बीच क शु आती मुलाकात हाथ मलाने


क ख़राब तकनीक से बरबाद हो सकती ह

अगर आपके साथ कभी ऐसा हो, तो बाएँ हाथ से सामने वाले इंसान के दाएँ हाथ को लेकर
अपने दाएँ हाथ पर सही ढं ग से रख और मु कुराते ए कह, ‘ फर से को शश करते ह!‘इससे
आपक व सनीयता ब त बढ़ जाती है और उसे लगता है क आपको इस मुलाकात क इतनी
परवाह है क आप सही ढं ग से हाथ मलाना चाहते ह। य द आप म हला ह, तो बेहतर होगा क
आप हाथ मलाने क मंशा का पहले से कोई संकेत द। जतनी ज द हो सके, अपना हाथ आगे
बढ़ाएँ ता क सामने वाले को साफ़ तौर पर पता चल जाए क आप हाथ मलाना चाहती ह, इससे
असहजता से बचा जा सकता है।

डबल हडर (दोन हाथ मलाना)


नया भर म कॉप रेट लोग का हाथ मलाने का यह पसंद दा तरीका है इसके साथ सामने वाले
क आँख म सीधे दे खकर, आ त करने वाली मु कान के साथ ब त आ म व ास से उसका
नाम लया जाता है और साथ म अ सर सेहत से जुड़ा सवाल पूछा जाता है।
डबल हडर

इस तरह से हाथ मलाने क पहल करने वाले का सरे के साथ शारी रक संपक बढ़ता है और
उस का दायाँ हाथ सी मत कर पहल करने वाले को नयं ण क थ त मल जाती है। इसे
‘राजनी त का हडशेक’ भी कहा जाता है, य क इसम पहल करने वाला अपने भरोसेमंद
और ईमानदार होने क छाप छोड़ना चाहता है, ले कन तुरंत मले कसी पर इसे आज़माने
से सरे को उसक मंशा पर शक हो सकता है। डबल हडर दरअसल गले मलने का लघु
प है और और इसका इ तेमाल तभी कया जा सकता है, जब गले मलना भी सामा य प से
वीकृत हो।
‘आप ब त यारे, यादगार इंसान ह - आप चाह जो कोई भी ह ...’

न बे तशत मनु य अपने दा बाँह को शरीर के आगे करते ह, यह बाँह उठाकर कया गया
हार है और आ मर ा के लए अपनाई गई सहज मु ा है। डबल हडर इंसान को हफाज़त
करने से रोकता है, इस लए सरे के साथ कोई गत संबंध न होने क थ त म इसे
ब कुल नह अपनाया जाना चा हए। इसका इ तेमाल तभी कया जाना चा हए जब एक
भावना मक र ता पहले से हो, जैस े क कसी पुराने दो त के साथ मुलाकात म। इन हालात म
आ मर ा का कोई सवाल नह उठता, इस लए हाथ मलाने को स चे प म लया जाता है।
टोनी लेयर पर डबल हडर का इ तेमाल करते यासर अराफ़ात, ह ठ भ चे ए लेयर
के हावभाव बता रहे ह क वे इससे भा वत नह ह
नयं त करने वाला हडशेक
हाथ मलाते ए दोन हाथ का इ तेमाल करने के पीछे ईमानदारी, भरोसा या सामने वाले इंसान
के लए गहराई से महसूस करने का भाव होता है। दो मह वपूण त व पर यान दया जाना
ज़ री है। पहला, बाएँ हाथ का इ तेमाल भावना क गहराई को करने के लए कया
जाता है और यह इस बात पर नभर करता है क पहल करने वाले का बायाँ बाज़ू सरे
क दा बाँह पर कतनी ऊँचाई पर रखा गया है। । यह गले लगाने क इ छा जैसा है और पहल
करने वाले क बा बाँह घ न ता को नापने के लए इ तेमाल क जाती है। इसे सरे क
बाँह पर जतनी ऊँचाई पर रखा जाता है, पहल करने वाला उतनी ही दखाने क को शश
करता है। वह सामने वाले से न केवल घ न संबंध दखाने क को शश करता है, ब क
साथ-साथ उसक ग त व ध को भी नयं त करने क को शश करता है।
उदाहरण के लए, कलाई क पकड़ के मुकाबले कोहनी को पकड़ना और ऊपरी बाँह
पकड़ने क तुलना म कंधे को पकड़ना अ धक आ मीयता और नयं ण दखाता है।
सरे, पहल करने वाले क बा बाँह सरे के पसनल पेस म ह त ेप करती है। आमतौर
पर कलाई और कोहनी क पकड़ को तभी वीकृत कया जाता है, जब एक सरे से
नज़द क महसूस करता है और ऐसे म पहल करने वाला का बायाँ हाथ सरे के पसनल पेस के
बाहरी कनारे तक ही प ँचता है। कंधे को थामना और ऊपरी बाँह पर पकड़ से नज़द क का
पता चलता है और इसके बाद लोग गले मल (पसनल पेस के बारे म व तार से अ याय 11 म
पढ़गे) सकते ह। अगर दोन म नज़द क का एहसास न हो या पहल करने वाले के पास डबल
हडर आज़माने का कोई उ चत कारण न हो, तो सामने वाला इंसान शंकालु हो सकता है और उस
के इराद पर संदेह कर सकता है। सं ेप म कह तो य द सरे के साथ आपक
घ न ता नह है, तो डबल हडर न अपनाएँ। य द कोई इंसान ऐसा करता है और उसके साथ
आपका कोई जुड़ाव नह है, तो उसके गु त इरादे पर यान द।

य द आपके और सरे कसी के बीच कोई


गत या भावना मक जुड़ाव नह है, तो सामा य
तरीके से हाथ मलाएँ।

राजनी त आमतौर पर अपने मतदाता के साथ और कारोबारी अपने ाहक के साथ हाथ
मलाते ए डबल हडर का इ तेमाल करते ह, वे यह नह समझ पाते क इससे लोग उनसे र हो
सकते ह, जो क राजनी तक और ापा रक से नुकसानदे ह हो सकता है।

लेयर-बुश का पावर गेम (श संघष)


2003 म इराक संकट के दौरान जॉज ड यू बुश और टोनी लेयर ने मी डया के सामने एक
मज़बूत गठबंधन क छ व पेश क , जो ‘संग ठत और समान‘था, ले कन त वीर के गहरे
व ेषण से जॉज बुश का मज़बूत पावर गेम सामने आया।

पहनावे और भाव क से टोनी लेयर के मुकाबले जॉज बुश क मज़बूत थ त


इस त वीर म बुश बा ओर खड़े ह और उनका हाथ ऊपर है। बुश क वेशभूषा सश सेना
के मुख जैसी है, जब क लेयर हेडमा टर से मुलाकात कर रहे कूली छा जैसे दख रहे ह।
बुश के पैर मज़बूती से ज़मीन पर टके ह और वे लेयर को नयं त करने के लए बैक हो ड का
इ तेमाल कर रहे ह। बुश नय मत प से त वीर के बा ओर रहते ह, जससे वे ऐसे के
प म दखाई दे त े ह, जो भावशाली है और जसक बात मानी जाती है।

समाधान
य द आप ख़ुद को हमेशा त वीर म दा ओर पाते ह और उसके कारण नयं ण खोते ह, तो ऐसी
थ त से बचने के लए आपको र से ही ज द से जलद अपना हाथ बढ़ाना चा हए, जससे
सरा को सामने से ही सीधे आपसे हाथ मलाना पड़े। इससे आप बराबरी पर हाथ मला
पाएँग।े य द फ़ोटो या वी डयो लया जा रहा है, तो पहले आगे ब ढ़ए ता क आपको उसम बा
ओर का थान मल जाए। ऐसा न हो पाने क थ त म बराबरी तक आने के लए डबल हडर
का इ तेमाल कर।

व के सबसे ख़राब आठ हडशे स


अब तुत ह, नयाभर म हाथ मलाने के आठ सबसे खीझ भरे और नापसंद तरीके और उनके
प रव तत प। हर हालत म इनसे बच।

1. वैट फश (गीली मछली)


व सनीयता मू याँकन : 1/10

ब त कम अ भवादन वैट फ़श या गीली मछली क तरह अनाकषक होते ह, जनम हाथ ठं डे


और चप चपे लगते ह। गीली मछली के नम और गल गले एहसास के कारण यह कह भी
लोक य नह है और अ धकतर लोग इसे कमज़ोर च र से जोड़ते ह, य क इसम हथेली को
आसानी से उलटा कया जा सकता है। सरे ारा इसे तब ता क कमी के प म
दे खा जाता है, ले कन इसके कुछ सां कृ तक या अ य आशय हो सकते ह। मसलन, कुछ
ए शयाई और अ क सं कृ तय म ह के ढं ग से हाथ मलाना आम हो सकता है और मज़बूत
हडशेक को आ ामक माना जा सकता है। इसके अलावा लगभग 20 तशत लोग को
हाइपरहाइ ॉ सस होता है, जो क एक आनुवं शक बीमारी है और इसम इंसान को ब त यादा
पसीना आता है। ऐसे म अपने पास टशू या माल रखना चा हए, ता क हाथ मलाने से पहले
उसे प छा जा सके।
वैट फ़श

हमारी हथे लय म शरीर के कसी अ य अंग के मुकाबले यादा वेद यानी पसीने क ं थयाँ
होती ह, जससे उनम पसीना साफ़ तौर पर दखता है। आ यजनक प से इस तरह से हाथ
मलाने वाले लोग को इसक कोई जानकारी नह होती, इस लए आने वाली मी ट स म अपनाए
जाने वाली शैली पर वचार करने से पहले बेहतर है क दो त से अपने हाथ मलाने के तरीके पर
राय ली जाए।

2. द वाइस ( शकंजा)
व सनीयता मू याँकन : 4/10

ख़ामोशी से हावी हो जाने वाली यह शैली ापार जगत के पु ष का पसंद दा तरीका है और यह


सर पर भु व जमाने और संबंध क शु आत म बागडोर अपने हाथ म लेन े या लोग को
उनक है सयत दखाने क इ छा को करती है। हथेली को नीचे रखकर आगे बढ़ाकर ब त
तेज़ी से सरे के हाथ पर दबाव बनाकर फर उसे दो या तीन बार ज़ोरदार ढं ग से हलाया जाता है
और इतनी मज़बूत पकड़ बनाई जाती है, जससे हाथ पर ख़ून का दौरा क जाए। कई बार
अपने पर सर के हावी होने से डरने वाला और ख़ुद को कमज़ोर समझने वाला इंसान भी इस
तरीके को अपनाता है।
द वाइस

3. बोन शर (ह याँ तोड़ने वाला)


व सनीयता मू याँकन : 0/10

वाइस या शकंजे का ब त नज़द क हडशेक है, ह य को तोड़ दे ने वाला बोन शर। इससे
सब लोग डरते ह, य क यह तरीका न सफ़ हाथ मलाने वाले क ऊँग लय , ब क उसके
दमाग़ पर भी अ मट छाप छोड़ता है और पहल करने वाले के सवा कोई अ य इससे
भा वत नह होता। यह आ ामक व क नशानी है, ऐसा बना कसी चेतावनी के
शु आती बढ़त लेता है और अपने वरोधी क ऊँग लय के जोड़ का चूरा बनाकर उसे
हतो सा हत करने क को शश करता है। य द आप म हला ह, तो बज़नेस मी ट स म दाएँ हाथ
पर अँगू ठयाँ पहनने से बच, य क बोन शर उन पर दबाव बनाकर ख़ून जमा सकता है और
आपको सदमे क हालत म अपना काम करना शु करना पड़ सकता है।
बोन शर

बद क मती से इसका कोई असरदार तोड़ नह है। अगर आपको यक न है क कसी ने


जानबूझकर ऐसा कया है, तो आप यह कहकर हर कसी का यान अपनी ओर ख च सकते ह,
‘अरे! इससे मेरे हाथ को तकलीफ़ प ँच रही है। आपक पकड़ काफ़ मज़बूत है।‘इससे बोन
शर अपनाने वाले को फर से ऐसा न करने क सीख मल जाएगी।

4. फगर टप ेब (उँग लय के पोर पकड़ना)


व सनीयता मू याँकन : 2/10

ी-पु ष के बीच अ भवादन म यह आमतौर पर होता है, उँग लय के पोर पकड़ने के इस


तरीके म दरअसल हाथ मल नह पाते और ग़लती से सरे इंसान क सफ़ उँग लयाँ पकड़ म
आती ह। पहल करने वाला भले ही जोशीले ढं ग से शु आत करे, पर असल म उसम
आ म व ास नह होता। ऐसे हालात म, सरे इंसान को पया त री पर रखा जाता है। हाथ
मलाने वाले लोग के बीच पसनल पेस के अंतर होने के प रणाम व प ऊँग लय के पोर
पकड़ने का तरीका अपनाया जाता है। यह तभी होता है, जब एक इंसान का इं टमेट पेस या
अंतरंग े दो फ ट (60 सेमी) हो और सरे का तीन फ ट (90 सेमी), और अ भवादन करते
समय सरा इंसान पीछे क ओर हो जाए, तो हाथ अ छ तरह जुड़ नह पाते।
फगर टप ैब

य द आपके साथ ऐसा हो, तो अपने बाएँ हाथ से सरे इंसान का दायाँ हाथ लेकर अपने दाएँ
हाथ पर रखकर मु कुराते ए कह, ‘च लए, फर से को शश करते ह।‘और फर बराबरी पर हाथ
मलाएँ। इससे आपक व सनीयता बनती है, य क आप उस को बता रहे ह क
आपक नज़र म वह इतना मह वपूण है क आप उससे सही तरीके से हाथ मलाना चाहते ह।

5. टफ आम ट (बाँह स त करके ज़ोर डालना)


व सनीयता मू याँकन : 3/10

हथेली को नीचे क ओर करके दबाव बनाने क तरह टफ़ आम ट भी आ ामक लोग ारा


अपनाया जाता है और इसका मु य उ े य आपको अपने पसनल पेस से री पर रखना है। बड़े
पसनल पेस क ज रत रखने वाले और अपने े क र ा करने क इ छा रखने
वाले ामीण इलाक म पले-बढ़े लोग भी इसका इ तेमाल करते ह।
टफ़ आम ट

ऐसे लोग टफ़ आम ट का योग करते ए फ़ासला बनाए रखने के लए आगे तक झुक


जाएँगे या एक पैर पर संतुलन बनाएँगे।

6. सॉकेट रचर (बाँह को झटका दे ना)


व सनीयता मू याँकन : 3/10

यह पावर लेयस का पसंद दा तरीका है और इससे आँख म पानी आ जाता है और कुछ


थ तय म ह य को जोड़ने वाले लगामट् स (ऊतक) उखड़ सकते ह। यह बट - आम - पुल -
इन (बाँह मोड़ते ए ख चने क मु ा) का जनक है। इसम पहल करने वाला आगे बढ़ हथेली को
मज़बूती से पकड़ता है और साथ-साथ अपनी ओर ख चने के लए ज़ोर लगाकर उसे अपने दायरे
म लाने क को शश करता है। इससे संतुलन बगड़ सकता है, जसका आपसी संबंध पर बुरा
असर पड़ सकता है।

सॉकेट रचर

सामने वाले को अपने दायरे म ख चने से इन तीन म से कोई एक बात हो सकती है :


पहली यह क पहल करने वाला असुर त क म का इंसान है, जो केवल अपने दायरे या
पसनल पेस म ही सुर त महसूस करता है, सरी, वह ऐसी सं कृ त से आता है, जहाँ लोग
क पसनल पेस क ज़ रत कम होती ह; या वह आपका संतुलन बगाड़कर आपको नयं त
करना चाहता है। कसी भी तरीके से वह मुलाकात को अपनी शत पर नयं त करना चाहता
है।

7. प प हडल (प प चलाना)
व सनीयता मू याँकन : 4/10

मज़बूत ामीण छाप वाली इस मु ा म पहल करने वाला सरे के हाथ को लपककर
मज़बूती से पकड़ता है और लयब ढं ग से उसे ऊपर-नीचे करता है।
सात बार तक ऐसा करना सामा य बात है, ले कन कई लोग हाथ को ऊपर-नीचे करते
रहते ह, जैसे क प प चलाकर पानी नकालने क को शश कर रहे ह ।

प प हडल

कई बार हाथ को प प करना कम हो जाता है, ले कन पहल करने वाला हाथ को थामे रखता है,
ता क सरा उसे छु ड़ा न सके। दलच प यह है क अ सर लोग अपना हाथ छु ड़ाने क
को शश भी नह करते। शारी रक संपक बनाए रखने क यह मु ा हाथ छु ड़ाने क को शश को
कमज़ोर कर दे ती है।

8. डच ट
व सनीयता मू याँकन : 2/10

यह तरीका थोड़ा शाकाहारी है और इसक जड़ नीदरलड म ह, जहां कसी इंसान पर ‘गाजर के


गु छे क तरह हाथ मलाने‘का आरोप लगाया जा सकता है। यह वेट फ़श का ही र का
र तेदार है, ले कन यह थोड़ा स त होता है और इसम हाथ उतने चप चपे नह लगते।
डच ट

नई पीढ़ म इस हडशेक क जगह ‘बतन प छने क गीले नम कपड़े‘ने ली है। जैसा क नाम से
प है, इसका मतलब बताने क ज़ रत नह है।

अराफ़ात-रै बन हडशेक
नीचे द गई त वीर म इज़राइल के वग य धानमं ी य ज़ैक रै बन और फ़ ल तीनी चेयरमैन
यासर अराफ़ात 1993 म हाइट हाउस म हाथ मलाते दख रहे ह, इसम कई दलच प चीज
उजागर हो रही ह। रा प त लंटन बीच बीच खड़े रहने, अ त र ऊँचाई और फैली ई बाँह
और खुली हथे लय के कारण मह वपूण थ त म ह, उ ह दे खकर लग रहा है जैस े क वे अपने
लोग क सभा म कोई अ ध ाता दे वता ह। लंटन क अ चं ाकार भची ई मु कान उनके
ारा महसूस कए जा रहे या दखाए जा रहे भावना मक संयम को कर रही है।
यासर अराफ़ात ारा बट - आम - पुल - इन क को शश और उनक ओर खचने से
बचते ए टफ़-आम ट अपनाते ए य ज़ैक रै बन (बाएँ)

इस मश र फ़ोटो म दोन श सयत अपनी जगह पर मज़बूती से खड़ी ह और सरे को उसक


जगह से ख चने क को शश कर रही ह। य ज़ैक रै बन त वीर के बा ओर सश थ त म ह
और टफ़ आम ट का इ तेमाल करते ए आगे झुककर अराफ़ात को अपने पसनल पेस से
बाहर रखे ए ह, जब क अराफ़ात ब कुल सीधे खड़े होकर बट - आम - पुल - इन से उनका
तरोध कर रहे ह।

सारांश
इस स चाई के बावजूद क कसी मुलाकात के शु आती कुछ मनट ही कसी र ते को बनाने या
बगाड़ने का काम कर सकते ह, ब त कम लोग जानते ह क शु आती मुलाकात म लोग पर
उनका कैसा भाव पड़ता है। समय नकालकर अपने म और सहक मय के साथ हाथ
मलाने क शै लय का अ यास करने से आप ज द ही सीख जाएँगे क हर बार सकारा मक
ढं ग से हाथ कैसे मलाया जा सकता है। हथे लय को लंबवत रखकर और सामने वाले क
पकड़ क बराबरी करने वाले हडशेक को 10/10 यानी सबसे अ छा माना जाता है।
अ याय 3

मु कुराहट और हँसी का जा

या कारण है क यह नया का सबसे आकषक आइकॉन है ?

बॉब क नज़र कमरे के सरे कोने पर खड़ी काले बाल वाली एक आकषक म हला से
मल । उसे लगा क वह उसे दे खकर मु कुरा रही है। मौका न गँवाते ए वह तेज़ी से
उस म हला के पास प ँचा और उससे बातचीत करने लगा। वह यादा बात नह कर
रही थी, ले कन उसक मु कान ने बॉब को को शश करते रहने के लए े रत कया।
उसक एक म हला म उनके पास से गुज़री और फुसफुसाकर बोली, ‘भूल जाओ,
बॉब... उसे लगता है क तुम बेवकूफ़ हो।’ वह भ च का रह गया। ले कन वह तो अब
भी उसे दे खकर मु कुरा रही थी! जैसा क पु ष के साथ अ सर होता है, बॉब म हला
क दाँत को द शत न करने वाली भचे ह ठ वाली मु कान के नकारा मक मतलब को
नह समझ सका।

दाद -नानी अ सर ब च को कहती थ क कसी नए से मलने पर ‘चेहरा खुशनुमा


रखो’, ‘मु कुराकर बात करो’, और ‘अपने मो तय जैसे दाँत दखाओ’, य क भीतर से कह
उ ह पता होता था क ऐसा करके उ ह सरे लोग से सकारा मक त या मल सकती है।
मु कुराहट पर सबसे पहला दज वै ा नक अ ययन उ ीसव शता द के आरं भक वष
म कया गया, जब ांसीसी वै ा नक गयोम शेन द बुलाने ने वा त वक आनंद से आने वाली
मु कान और अ य कार क मु कुराहट के बीच के अंतर को दखाने के लए
इले ोडाय नॉ ट स और इले कल ट युलेशन ( व ुत उ पन) का योग कया। उ ह ने
चेहरे क मांसपे शय क काय णाली को समझने के लए गलट न ारा कटे सर का व ेषण
कया। उ ह ने व भ कोण से चेहरे क मांसपे शय को ख चा और सूची बनाकर ववरण दया
क कौन सी मांसपेशी से कस तरह क मु कुराहट बनती है। उ ह ने पाया क मु कुराहट दो तरह
क मांसपे शय के समूह से नयं त होती ह : ज़ायगोमै टक मेजर ( मुख ग डा थ), जो चेहरे
के एक ओर से नीचे जाती ह और मुँह के सरे से जुड़ती ह और ऑ ब यूल रस ऑ युलाइ
(गोलाकार ने का), जो आँख को पीछे क ओर ख चती ह। : ज़ायगोमै टक मेजस मुँह को पीछे
कर पीछे कर दाँत को सामने दखाकर गाल को बड़ा करती ह, जब क ऑ ब यूल रस
ऑ युलाइ आँख को सकोड़कर उनके आसपास झु रयाँ बना दे ती ह, ज ह ‘ ोज़ फ़ ट‘कहा
जाता है। इन मांसपे शय को समझना मह वपूण है, य क ज़ायगोमै टक मेजस को नयं त
कया जा सकता है, यानी दो ताना भाव या समपण क थ त जताने क को शश म झूठमूठ क
ख़ुशी दखाती नकली मु कुराहट लाने के लए इनका इ तेमाल कया जा सकता है। आँख म
मौजूद ऑ ब यूल रस ऑ युलाइ अपने आप करती ह और स ची मु कान के असली काम
ज बात ज़ा हर करती ह। इस लए कसी क मु कुराहट क स चाई जानने के लए आँख के
आसपास बनी झु रय को दे खना चा हए।

सहज मु कान आँख के आसपास झु रयाँ बनाती है और झूठे लोग


सफ़ मुँह से मु कुराते ह।

ख़ुशी क मु कान म न केवल ह ठ के कनारे ऊपर क ओर हो जाते मु कुराहट और हँसी का


जा ह, ब क आँख के आसपास क मांसपे शयाँ भी सकुड़ जाती ह, जब क नकली मु कान
सफ़ ह ठ पर दखाई दे ती है।
कौन सी मु कुराहट नकली है ? नकली मु कान केवल मुँह को पीछे क ओर ख चती है,
असली मु कान मुँह के अलावा आँख को भी पीछे क ओर ख चती है

वै ा नक फ़े शयल ऐ शन को डग स टम (एफएसीएस) कहलाने वाली को डग णाली के


योग से असली और नकली मु कान म अंतर बता सकते ह। कै लफ़ो नया यू नव सट के
ोफ़ेसर पॉल एकमन और कटक यू नव सट के डॉ. वॉलेस वी ज़ेन ने यह कोड तैयार कया
था। स ची मु कान अवचेतन म त क ारा उ प होती है, यानी यह ऑटोमै टक या वतः होती
है। आपके ारा खुशी महसूस करने पर ये संकेत म त क म भावना को ोसेस करने वाले
ह से तक प ँचते ह, जससे मुँह क मांसपे शयाँ हलने लगती ह, गाल उठ जाते ह, आपक
आँख के आसपास झु रयाँ बन जाती ह और भ ह थोड़ी सी उठ जाती ह।

फ़ोटो ाफ़र आपको ‘चीज़‘कहने के लए बोलता है, य क यह


श द कहने से ज़ायगोमै टक मेजर मांसपे शयाँ पीछे क ओर हो
जाती ह। नतीजतन, नकली मु कान और पाखंड भरी त वीर सामने
आती है।

नकली मु कान म भी आँख के आसपास झु रयाँ दख सकती ह और गाल ऊँचे उठ सकते ह,


जससे आँख सकुड़ती लगती ह और लगता है क मु कुराहट असली है। ले कन कुछ संकेत क
मदद से इन मु कान को असली मु कान से अलग कया जा सकता है। जब कोई मु कुराहट
स ची होती है, तो भ ह और पपोट के बीच का आँख का मांसल ह सा नीचे क तरफ़ होता है
और भ ह के कनारे थोड़े झुकते ह।
मु कान समपण का संकेत है
मु कुराने और हँसने को नया भर म खुश होने के संकेत के प म दे खा जाता है। हम ज म के
समय रोते ह, कुछ स ताह म मु कुराने लगते ह और चौथे-पाँचव महीने के बीच हँसना शु कर
दे त े ह। शशु ज द ही समझ जाते ह क रोने से वे हमारा यान ख च सकते ह और मु कान से
हम बाँध े रख सकते ह। हमारे नज़द क ाइमेट संबं धय यानी च पां ज़य पर कए गए हाल के
शोध से पता चला है क मु कान एक गहरे और अ धक आ दम उ े य को भी पूरा करती है।
अपनी आ ामकता दखाने और काटने क चेतावनी दे ने के लए वानर अपने नचले
दाँत दखाते ह। इंसान भी आ ामक होने पर अपने नचले ह ठ को नीचे या आगे क ओर करते
ह, य क वह नचले दांत को छपाकर रखने वाले आवरण का काम करता है। च पां ज़य क
मु कान दो तरह क होती ह- पहली है, कसी को संतु करने क । इसम च पांज़ी कसी
भु वशाली च पांज़ी के सामने समपण दखाता है। सरी ‘ फ़यर फ़ेस‘यानी डरा आ चेहरा
कहलाती है, जसम नचले जबड़े को खोलकर दांत दखाए जाते ह। मुँह के कनारे पीछे क ओर
नीचे झुक जाते ह और यह इंसानी मु कुराहट से मेल खाती है।

एक ाइमेट का ‘ फ़यर फ़ेस‘(बाएँ) और ‘ ले फ़ेस‘

सरा है, ‘ ले फ़ेस‘यानी खलंदड़ा चेहरा। इसम दाँत दखाई दे त े ह, मुँह के कनारे और आँख
ऊपर क ओर होती ह तथा इंसान क हँसी जैसी आवाज़े नकाली जाती ह। दोन मामल म इन
मु कुराहट का योग समपण क मु ा के प म कया जाता है। पहली कहती है, ‘तु ह मुझसे
ख़तरा नह है, य क जैसा क तुम दे ख सकते हो म तुमसे डरा आ ँ’ और सरी कहती है,
‘तु ह मुझसे ख़तरा नह है, य क जैसा क तुम दे ख सकते हो म तो खलंदड़े ब चे क तरह
ँ‘। कसी हमले या घायल होने से आशं कत बेचैन या डरा ए च पांज़ी ऐसा ही चेहरा बनाता
है। ज़ायगोमै ट स मांसपे शयाँ मुँह के कनार को ै तज या नीचे क ओर पीछे करती ह और
ऑ ब यूल रस मांसपे शयाँ नह हलत । यह वही घबराहट भरी मु कान है, जो कसी त
सड़क पर चल रहे उस आदमी के चेहरे पर आती है, जो तभी कसी बस के नीचे कुचले जाने से
बचा हो। यह डर क त या है, वह मु कुराते ए कहता है, ‘म तो बस मरने ही वाला था!’
नर वानर क तरह इंसान का मु कुराना भी वही काम करता है। यह सरे को
बताता है क उसे आपसे कोई ख़तरा नह है और वे आपको नजी तर पर वीकार कर सकते
ह। मु कुराहट क कमी बताती है क य लाद मर पु तन, जे स कै नी, लंट ई टवुड, मागरेट
थैचर और चा स ॉ सन जैसे भावशाली हमेशा चड़ चड़े या आ ामक तीत होते ह
और उ ह शायद ही कभी कोई मु कुराते ए दे खता है – वे कसी भी तरह से ख़ुद को कसी से
कम नह दखाना चाहते।
अदालत पर ए शोध से पता चलता है क मु कुराहट के साथ क गई मा याचना म
बना मु कान के साथ माफ़ माँगने क तुलना म कम दं ड भुगतना पड़ता है। वाकई दाद माँ क
बात सही थी।
स , वन या आपक चीर-फाड़ क तैयारी म ?

मु कुराहट सं ामक य होती है


मु कान के बारे म सबसे ख़ास बात यह है क अगर आप कसी को दे खकर मु कुराते ह, तो वह
भी जवाब" म मु कुराएगा, भले आप दोन क मु कान नकली ही य न हो।
वीडन क उपसाला यू नव सट के ोफ़ेसर उ फ़ डमबग ने एक योग कया, जससे
पता चला क कैसे आपका अवचेतन दमाग़ चेहरे क मांसपे शय पर सीधा नयं ण रखता है।
मांसपे शय के तंतु से इले कल स नल लेने वाले एक यं क मदद से उ ह ने खुशी और
गु से भरे चेहर क त वीर दखाकर 120 लोग के चेहरे क मांसपे शय क ग त व ध को नापा।
इन लोग को कहा गया क वे उन चेहर को दे खकर भ ह ,चढ़ाने, मु कुराने या भावहीन बने रहने
क त या द। कई बार उ ह दखाए गए हावभाव से ब कुल उलट त या दे नी ,थी, जैसे
मु कान को दे खकर भ ह चढ़ाना या फर गु से को दे खकर मु कुराना। प रणाम से प आ क
इन लोग का अपने चेहरे क मांसपे शय पर पूरा नयं ण नह था। कसी गु सैल चेहरे को
दे खकर भ ह चढ़ाना आसान था, ले कन उसे दे खकर मु कुराना काफ़ मु कल था। ये लोग
अपनी सहज त या को जानबूझकर नयं त करने क को शश कर रहे थे, ले कन उनके
चेहरे क मांसपे शय का खचाव एक अलग ही कहानी बयाँ कर रहा था- सामने दख रहे
हावभाव ही उनके चेहरे पर आ ,रहे थे, जब क उनक को शश उससे ठ क उलट थी।
यू नव सट कॉलेज लंदन क ोफ़ेसर थ कै पबेल का मानना है क म त क म एक
‘ मरर यूरॉन‘होता है, जो चेहरे और अ भ य क पहचान के लए ज़ मेदार भाग को
स य करता है। और फर एक ‘ मर रग स टम‘यानी त ब ब णाली तुरंत शु हो जाती है।
सरे श द म, चाहे हम महसूस कर या न कर, हम सहज ही सामने दखने वाले चेहरे के भाव
क नकल करने लगते ह।
यही कारण है क अपने बॉडी ल वेज के पटारे म नय मत प से मु कुराने को शा मल
करना ब त ज़ री है और ऐसे हालात म भी मु कुराएँ, जब आप ऐसा नह करना चाहते, य क
इससे सरे लोग के नज़ रये और आपके त उनके रवैय े पर सीधा असर पड़ता है।

व ान ने सा बत कर दया है क जतना अ धक आप मु कुराएँग,े


आपको लोग से उतनी ही सकारा मक त या मलेगी।

से स और नेगो शए स या के 30 वष से अ धक के अ ययन म हमने पाया क सही समय


पर मु कुराने से, जैसे क कसी बातचीत क शु आत म जब लोग एक- सरे को आँक रहे होते
ह, दोन प से सकारा मक त या मलती है और प रणाम व प अ धक सफल नतीजे
और अ छे ब अनुपात मलते ह।

मु कुराहट कैसे म त क को चकमा दे ती है


मु कान का अथ नकालने क यो यता जी वत रहने के एक साधन के प म म त क म
वाभा वक प से होती है। मु कुराहट अ नवाय प से एक समपण या झुकने का संकेत है,
हमारे पूवज के लए यह समझना ब त ज़ री था क सामने से आने वाला अजनबी दो ताना है
या फर आ ामक, इसे नह समझने वाला ख़ म हो गया।

या आप इस कलाकार को पहचानते ह ?

इस त वीर को दे खने पर शायद आप यू ांट को पहचान ल। जब लोग से इस फ़ोटो म उनके


हावभाव का वणन करने के लए कहा गया, तो उनके मु कुराते लगते चेहरे के कारण अ धकतर
लोग ने उ ह न त और स च बताया। इसे सही सीधा करने पर भावना मक अ भ
का अलग ही नज़ारा दखाई दया।

हमने डरावना चेहरा दखाने के लए ांट क आँख और मु कान को काटकर यहाँ चपकाया,
ले कन जैसा क आप दे ख सकते ह, आपका म त क उ टाए ए चेहरे पर दखती मु कान को
भी पहचान सकता है। इसके अलावा म त क चेहरे के अ य ह स से भी मु कान को अलग कर
सकता है। इससे मु कुराहट के ज़ोरदार असर क मसाल मलती है।

नकली मु कान का अ यास करना


जैसा क हमने कहा, अ धकतर लोग सचेतन प से नकली और असली मु कुराहट के बीच
फ़क नह कर सकते। चाहे कोई मु कान नकली ही य न हो, फर भी हम इस बात से ही संतु
हो जाते ह क कोई हम दे खकर मु कुरा रहा है। मु कुराना एक ऐसी स मोहक मु ा है क
अ धकांश लोग ग़लती से यह मान लेत े ह क यह झूठ बोलने वाल क य अ भ है। पॉल
एकमन के शोध ने बताया क जब लोग जानबूझकर झूठ बोलते ह तो उनम से अ धकतर,
ख़ासकर पु ष सामा य से कम मु कुराते ह। एकमन का मानना है क झूठे लोग को एहसास
होता है क अ धकांश लोग मु कुराने को झूठ से जोड़कर दे खते ह, इस लए वे जानबूझकर
मु कुराहट म कमी करते ह। स ची मु कान के मुकाबले झूठे इंसान क मु कान ह ठ पर ज द
आती है और यादा दे र तक बनी रहती है, जैसे क उस इंसान ने कोई मुखौटा पहना हो।
झूठ मु कुराहट चेहरे के एक तरफ़ यादा गहरी लगती है य क म त क के दोन
ह से उसे स चा दखाने क को शश म लग जाते ह। चेहरे के भाव से संबं धत म त क का
ह सा दाएँ गोलाध म होता है और मु यतया शरीर के बाएँ ह से को संकेत भेजता है।
प रणाम व प चेहरे के दा ओर के मुकाबले बा ओर के भाव अ धक प होते ह। असली
मु कुराहट म म त क के दोन गोलाध चेहरे के दोन भाग को संतुलन के साथ काम करने का
नदश दे त े ह।
झूठ बोलने पर चेहरे के बाएँ ह से क मु कुराहट दाएँ भाग के मुकाबले अ धक प
होती है।

त कर कम मु कुराते ह
ऑ े लयाई क ट स ने 1986 म हम ऑ े लया म त करी कर लाई गई अवैध तबं धत
व तु और नशीले पदाथ क अ धक मा ा ज़ त करने म सहायता करने वाला एक काय म
तैयार करने को कहा। तब तक क ट स अ धकारी यह मानते थे क झूठ बोलते समय या कसी
दबाव म होने पर झूठे लोग यादा मु कुराते ह। हमने कुछ लोग को जानबूझकर झूठ बोलने को
कहा और उ ह फ़ माया। व ेषण से ठ क इससे उ टे प रणाम मले, झूठ बोलने पर लोग कम
या फर ब कुल नह मु कुराए और हर सं कृ त म ऐसे प रणाम मले। सच बोलने वाले नद ष
लोग ने ईमानदारी का दशन करते समय अपनी मु कुराहट बढ़ा द । मु कुराने क जड़ समपण
म ह, इस लए बेगन ु ाह लोग इ ज़ाम लगाने वाल को संतु या ख़ुश करने क को शश म यादा
मु कुरा रहे थे, जब क पेशेवर झूठ बोलने वाल ने मु कुराना और अ य शारी रक संकेत कम कर
दए थे। यह वैसा ही है, जैसे ै फ़क लाइट् स पर पु लस क कोई कार आप तक प ँच े और कसी
कानून को न तोड़ने के बावजूद पु लस क मौजूदगी से आप ख़ुद को कसूरवार महसूस कर
मु कुराने लग। इससे प होता है क नकली मु कुराहट को कैसे नयं त कया जाता है और
इसे आसपास क प र थ त के संदभ म दे खा जाना चा हए।

पाँच सामा य कार क मु कुराहट


अब तुत ह, आमतौर पर दखने वाली मु कुराहट और उनका व ेषणः

1. टाइट ल ड माइल ( भचे ह ठ वाली मु कान)


दाँत को छपाकर ह ठ को ब कुल कसकर भ चा जाता है, जससे चेहरे पर एक सीधी रेखा
बन जाती है। यह मु कान संकेत दे ती है क मु कुराने वाला कोई रह य या दबा आ ख़याल या
नज़ रया छपाए ए है और वह आपको उसके बारे म नह बताना चाहता। यह म हला क
पसंद दा मु कुराहट है, जो कसी के त अपनी नापसंदगी को ज़ा हर नह करना चाहती।
आमतौर पर अ य म हलाएँ इसे अ वीकृ त के संकेत के तौर पर प तया समझ सकती ह।
अ धकतर पु ष इससे अनजान रहते ह।

भचे ए ह ठ क मु कान बता रही है क कोई रह य है, जसे वह आपके साथ नह


बाँटना चाहती

उदाहरण के लए, एक म हला कसी सरी म हला के बारे म सोचती है, ‘मेरे ख़याल से वह ब त
आ ामक और अ त मह वाकां ी है’, ले कन असल म ऐसी बात करने के बजाय वह कहती है,
‘वह ब त का बल औरत है और जानती है क उसे या चा हए’, और फर अपने ह ठ कसकर
बंद रखकर मु कुराती है। प का म छपी ापार जगत के सफल य क त वीर म भी
टाइट ल ड माइल होती है, जो दरअसल कहती है, ‘मेरे पास सफलता के सू ह, आपको
उनका अनुमान लगाने क को शश करते र हए।’ इन सा ा कार म ये लोग सफलता के स ांत
क बात करते ह, ले कन ऐसा ब त कम होता है क वे अपनी सफलता के बारे म व तार से
बताएँ। इसके उलट, रचड ै सन के चेहरे पर हमेशा दाँत दखाती मु कान रहती है और वे
अपनी सफलता के कारण पर बात भी करते ह, य क वे जानते ह क अ धकतर लोग वैसा
करगे नह ।

टोनी और चेरी लेयर, शेरी क आ ख़री ेगनसी के बारे म ‘टाइट ल ड’ थे

2. ट् व टे ड माइल ( ठन भरी मु कान)


यह मु कुराहट चेहरे के दोन तरफ़ वपरीत भाव दखाती है। च ए म म त क का दायाँ ह सा
चेहरे के बाएँ भाग पर मु कान लाने के लए बा भ ह, बा ज़ायगोमै टक मांसपे शय और बाएँ
गाल को उठाता है। सरी ओर, म त क का बायाँ भाग चेहरे के दाएँ ह से पर मौजूद
मांसपे शय को नीचे करता है, जससे उस पर ोध का भाव उभरता है। य द आप चेहरे के हर
भाग के त बब के लए च ए के बीच बीच 90 ड ी पर एक आईना रखते ह, तो दो ब कुल
अलग तरह के हावभाव वाले दो चेहरे दखाई दे त े ह। चेहरे के दाएँ ह से के त बब से च बी
सामने आता है, जसम बनावट मु कान है और बाएँ भाग का त बब ( च सी) गु सैल तेवर
दखाता है।

ट् व टे ड माइल प मी जगत क एक अनोखी ख़ा सयत है और जानबूझकर इसे अपनाया


जाता है, जसका मतलब है क यह एक ही संदेश भेजती है और वह है - कटा का।
3. ॉप-जॉ माइल (जबड़ा नीचे कर मु कुराना)
यह अ यास करके सीखी जाने वाली मु कान है, जसम नचले जबड़े को नीचे कर यह जताया
जाता है क वह इंसान हँस रहा है या मज़ा कया मज़ाज का है। बैटमैन के जोकर, बल लंटन
और ांट जैस े लोग क यह पसंद दा मु कान है। ये सभी अपने ोता म अ छ त या
तैयार करने या यादा वोट लेन े के लए इस मु कान का इ तेमाल करते ह।

आँख म नकली मु कान लाने क को शश म ॉप-जॉ माइल


ॉप-जॉ माइल, जसम स ता दखाने के लए सफ़ जबड़े को नीचे कया जाता है।

4. साइडवेज़ - लु कग — अप माइल ( तरछ नगाह से ऊपर दे खते ए


मु कुराना)
नीचे झुके ए सर को एक ओर करके ऊपर दे खते ए ह ठ को भ चकर मु कुराने से इंसान
नौजवान, खलंदड़ और रह या मक लगता है। पु ष को यह शम ली मु कान पसंद है, य क
कसी म हला के ह ठ पर आई यह मु कान उनम पता होने के ज बात जगाती है, जससे उनम
म हला क र ा और उनक दे खभाल करने क इ छा पैदा होती है। सेस डायना इस
मु कान से हर जगह लाख लोग का दल जीत लेती थ ।
डायना क साइडवे - लु कग - अप माइल का म हला और पु ष , दोन पर ब त
ज़बरद त असर पड़ता था।

इस मु कान से पु ष म उनक हफ़ाज़त करने क इ छा जगती थी और म हलाएँ उनके जैसा


दखना चाहती थ । कोई आ य नह क पु ष को आक षत करने के लए म हला के पटारे
म मौजूद इस मु कान का कोट शप के दौरान अ सर योग कया जाता है, य क पु ष को
यह स मोहक लगती है और उ ह आमं त करने का सश संकेत दे ती है। इसी मु कान को अब
स व लयम ने अपना लया है, जससे वे न केवल लोग का यार जीतते ह, ब क वे उ ह
डायना क याद भी दलाते ह।

5. जॉज ड यू बुश न (जॉज ड यू बुश क बनावट मु कान)


रा प त जॉज ड यू बुश के चेहरे पर एक थायी बनावट मु कान बनी रहती है। रे बड वसल ने
पाया क अमे रका क अ य जगह के मुकाबले अटलांटा, लुई वल, मे फ़स, नैश वल और
टे सस म म यमवग य लोग अ धक मु कुराते ह। बुश टे सस के नवासी ह
और वे अ य अमरी कय से अ धक मु कुराते ह। नतीजतन, कसी न मु कुराने वाले
इंसान से टे सस म पूछा जा सकता है क या वह ‘ कसी बात को लेकर नाराज़ है‘, जब क
यूयॉक म मु कुराते ए इंसान से पूछा जा सकता है क उसे ‘कौन सी बात मज़ा कया लग रही है
?‘रा प त जमी काटर भी द णी अमे रका के नवासी थे, जो हमेशा मु कुराते रहते थे। इससे
उ र अमे रकावासी आशं कत रहते थे क काटर ऐसा कुछ जानते ह, जसक जानकारी उ ह
नह है।

हमेशा मु कुराते र हए। हर कोई सोचेगा क आपके माग म कुछ


चल रहा है

हँसी सबसे अ छ औष ध य है।


मु कान क तरह हँसी को भी आपक श सयत के एक ह से के प म दे खा जा सकता है,
इससे दो त आक षत होते ह, सेहत बेहतर होती है और ज़दगी लंबी होती है। जब हम हंसते ह,
तो हमारे शरीर के हर अंग पर उसका सकारा मक असर पड़ता है। हमारी सांस तेज़ चलती है,
जससे सीने, नाक, पेट, चेहरे और कंध का ायाम होता है। हँसी से खून म ऑ सीजन क
मा ा बढ़ती है, जससे न केवल व थ होने क या और र संचार तेज़ होता है, ब क चचा
क सतह के पास क मौजूद र वा हकाएं फैल जाती ह। यही कारण है क हँसते समय लोग
के चेहरे लाल हो जाते ह। इससे दयग त धीमी हो जाती है, धम नयां फैल जाती ह, भूख बढ़ती
है और ऊजा का तेज़ी से इ तेमाल होता है। यूरोलॉ ज ट हेनरी बन टाइन ने पाया क एक
मनट खुलकर हँसने से 45 मनट तक का व ाम मलता है। टै नफ़ोड यू नव सट के ोफ़ेसर
व लयम फ़ाइ का कहना है क 100 बार क हँसी आपके शरीर को रोइंग मशीन पर 10 मनट
तक कए गए ायाम का लाभ दे ती है। मे डकल नज़ रये से अ छ हँसी आपके लए वाकई
अ छ है।

बूढ़े होने के साथ–साथ हम ज़दगी को लेकर अ धक


गंभीर होते
जाते ह। एक वय क दन भर म औसतन 15 बार
हँसता है;
जब क एक छोटा ब चा एक दन म औसतन 400 बार
हँसता है।

हँसी को य गंभीरता से लया जाना चा हए


शोध से पता चला है क जो लोग कभी–कभार ख़ुशी महसूस न करने के बावजूद हमेशा
मु कुराते या हँसते ह, उनके म त क के बाएँ गोलाध म मौजूद ‘हैपी ज़ोन‘के एक ह से म
व ुतीय ग त व ध बढ़ जाती है। हँसी पर कए गए ब त से अ ययन म से एक म मै डसन क
व कॉ सन यू नव सट म मनो व ान के ोफ़ेसर रचड डे वडसन ने लोग को म त क क
तरंग क ग त व ध नापने वाली ईईजी (इले ोएनसेफ़ेलो ाफ़) मशीन से जोड़ा और उ ह हा य
फ़ म दखाई। मु कुराने से उनके है पी ज़ोन म ग त व धयाँ ब त तेज़ हो गई। उ ह ने सा बत
कर दया क जानबूझकर हँसी और मु कुराहट पैदा करके हमारा दमाग़ वाभा वक स ता क
ओर े रत होता है।
नॉथ कैरो लना यू नव सट म मनो व ान के ोफ़ेसर आन कैन ने पाया क तनाव से
लड़ने म हा य का सकारा मक भाव पड़ता है। कैन ने ड ेशन (मान सक अवसाद) के
आरं भक ल ण वाले लोग को लेकर एक योग कया। दो समूह को तीन ह ते तक वी डयो
दखाए गए। हा य से जुड़े वी डयोज़ दे खने वाले समूह के ल ण म उस समूह के मुकाबले
अ धक सुधार दखाई दया, जसने सरे वी डयो दे खे थे। उ ह ने यह भी पाया क अ सर से
पी ड़त लोग सामा य लोग से यादा भ हे चढ़ाते ह। य द आपको लगे क आपक यो रयाँ चढ़
रही ह, तो उससे बचने के लए अपने माथे पर हाथ रखकर बात करने क को शश कर।

हम य हँसते और बात करते ह, जब क च पांज़ी ऐसा नह करते


बा ट मोर क मैरीलड यू नव सट म मनो व ान के ोफ़ेसर रॉबट ोवाइन ने पाया क इंसान
क हँसी अपने नरवानर संबं धय से अलग है। च पांज़ी क हँसी हाँफ़ने जैसी लगती है और
उसम हर जाती या आती ई साँस के साथ एक व न नकलती है। सन च और वर के
उ चारण के बीच एक–एक के इस अनुपात के कारण अ धकतर नरवानर का बोल पाना
मुम कन आ है। जब मानव ने सीधे खड़े होकर चलना शु कया, तो उसके शरीर के ऊपरी
ह से को वज़न उठाने के काम से मु मल गई और इससे उसका सन नयं ण बेहतर आ।
नतीजतन, इंसान सांस छोड़ने को छोटे –छोटे ह स म बाँट सकता है और उसम उतार–चढ़ाव
लाकर भाषा और हँसी उ प कर सकता है। च पांज़ी म भाषा क अवधारणा हो सकती है,
ले कन वे शारी रक तौर पर भाषा के वर नह बना सकते। हमारे सीधे चलने के कारण हम कई
कार क व नय को नकाल सकते ह, जसम हँसी और मु कान शा मल ह।

हा य कैसे उपचार करता है


हँसी ए डॉ फ़ स नामक शरीर के ाकृ तक ददनाशक और अ छा महसूस करने के भाव को
बढ़ाने वाले रसायन को बढ़ाती या उ त करती है, जससे तनाव से राहत मलती है और शरीर
को ठ क होने म मदद मलती है। जब नॉमन कज़ स को एं कलो पॉ डलाइ टस बीमारी ई तो
डॉ टर ने उनसे कहा क वे कुछ नह कर सकते और कज़ स को ज़दगी भर क दायक दद
झेलना होगा। ले कन कज़ स ने एक होटल का कमरा कराए पर लया और जतनी भी हा य
फ म मल सकती थ , सबको मँगवाया : मा स दस, एयर लेन और द ी टू जेस, आ द।
उ ह ने बार–बार ये फ़ म दे ख और जतना ज़ोर से हँस सकते थे, हँस।े छह महीने क उनक
इस ला टर थेरेपी (हा य च क सा) के बाद डॉ टर को तब ब त आ य आ जब उ ह ने पाया
क कज़ स क बीमारी पूरी तरह ठ क हो चुक थी। इस आ यजनक प रणाम के बाद कज़ स
क एनैटमी ऑफ़ एन इलनेस नामक पु तक का शत ई और ए डॉ फ़ स के काय को लेकर
बड़े पैमाने पर शोध शु ए। हमारे हँसने पर हमारा म त क ए डॉ फ़ स नामक रसायन
छोड़ता है। इनक रासाय नक बनावट मा फ़न और हेरोइन जैसा होता है और इनसे शरीर क रोग
तरोधक णाली मज़बूत होती है और शरीर पर इनका शामक भाव होता है। इससे प होता
है क य खुश मज़ाज लोग ब त कम खी और बीमार होते ह, जब क शकवे– शकायत करने
वाले लोग अ सर बीमार पड़ते ह।

रोने क हद तक हँसना
मनोवै ा नक और शरीर वै ा नक के कोण से रोना और हँसना एक– सरे से जुड़े ह। पछली
बार कब कसी के चुटकुला सुनाने पर हँसते–हँसते आपके पेट म बल पड़ गए थे और आप ख़ुद
पर काबू नह रख पाए थे ? उसके बाद आपने कैसा महसूस कया था ? आपको एक सहरन सी
महसूस ई थी, है न ? आपके माग ने आपके शरीर म ए डॉ फ़ स छोड़ दए थे, जससे
आपको वाभा वक तौर पर मदहोशी महसूस ई थी। नशेड़ी लोग को भी नशा करने के बाद
ऐसा ही महसूस होता है। जदगी क मु कल को झेलते ए जन लोग को हँसने म मु कल
होती है, वे ए डॉ फ़ स के कारण आने वाली हँसी के एहसास को महसूस करने के लए अ सर
शराब तथा अ य नशीले पदाथ का सहारा लेत े ह। शराब से बंधन ढ ले पड़ जाते ह और लोग
यादा हँस पाते ह, जससे ए डॉ फ़ स का ाव होता है। यही वजह है क ज़दगी से संतु लोग
शराब पीने पर यादा हँसते ह, जब क नाख़ुश लोग यादा उदास या हसक भी हो जाते ह।

लोग शराब और स लेकर वैसा ही महसूस करना चाहते


ह, जैसा क खुश मज़ाज लोग सामा य तौर पर करते ह।

पॉल एकमन ने पाया क मु कुराते और हँसते चेहर क ओर आक षत होने का एक कारण यह


है क वे असल म हमारे तं का तं को भा वत कर सकते ह। कसी मु कुराते चेहरे को दे खकर
हम मु कुराते ह, जससे हमारे शरीर म ए डॉ फ़ स प ँचते ह। अगर आप खी, परेशान लोग से
घरे रहते ह तो आप भी उनके जैसे हावभाव अपनाने लगते ह और उदास या अवसाद त
दखने लगते ह।

ख भरे वातावरण म म काम करना आपक आपक


सेहत को को नुकसान प ँचा सकता है।

चुटकुले कैसे हँसाने का काम करते ह


अ धकतर चुटकुल म पंच लाइन (आ खरी लाइन) म कसी के साथ कुछ ददनाक या भयावह
होता है। यह अ या शत अंत हमारे म त क को ‘डराता‘है और और हम व नयाँ नकालकर
वैस े ही हँसते ह, जैस े कोई च पांज़ी अपने सा थय को आने वाले ख़तरे क चेतावनी दे ता है। हम
अ छ तरह जानते ह क चुटकुला एक स ची घटना नह है, फर भी हमारी हँसी हम शांत करने
के लए ए डॉ फ़ स शरीर म छोड़ती है, जैस े क चुटकुला कोई स ची घटना हो। स ची घटना
होने पर हम रोने का अंदाज़ अपना लेत े ह और ऐसे म भी हमारा शरीर ए डॉ फ स छोड़ेगा। रोना
अ सर हँसने का ही व तार होता है और इसी लए कसी क मौत क ख़बर सुनने के बाद उसे
मान सक प से वीकार न कर पाने के कारण कोई हँसना शु कर सकता है। सच का
एहसास होने पर यही हँसी रोने म त द ल हो जाती है।

इंसान क हँसी का उ म नरवानर के चेतावनी के संकेत म है

ला टर म (हँसी – क )
1980 के दशक म कई अमे रक अ पताल म ‘ला टर म‘क अवधारणा शु क गई। नॉमन
कज़ स के अनुभव और डॉ टर पैच ऐड स के हँसी से जुड़े शोध के आधार पर एक कमरा चुना
गया, जसम चुटकुल क कताब, हा य फ़ म और टे स रखे गए और हा य कलाकार और
जोकर को नय मत प से बुलाया गया। मरीज़ को हर रोज़ 30 से 60 मनट तक वहाँ रखा
गया। प रणाम ब त कारगर रहे – मरीज़ क सेहत म नाटक य सुधार आ और मरीज़ क
अ पताल म रहने क औसत अव ध भी कम ई। ला टर म के कारण दद नवारक दवाइय के
इ तेमाल म भी कमी आई और मरीज़ से नपटना आसान हो गया। तो कहा जा सकता है क
मे डकल पेश े ने अपनी हँसी को ब त गंभीरता से लया।

हँसने वाला यादा लंबी ज़दगी जीता है

मु कान और हँसी जुड़ाव के मा यम ह


रॉबट ोवाइन ने पाया क एकांत क तुलना म सामा जक मेलजोल के माहौल म लोग के हँसने
क संभावना 30 गुना अ धक होती है। उ ह ने पाया क हँसी का संबंध चुटकुल और मज़ा कया
कहा नय से उतना नह है, जतना क र ते बनाने से है। उ ह ने दे खा क हमारी हँसी का केवल
15 तशत ह सा चुटकुल से आता है। ोवाइन के अ ययन म शा मल ए लोग अकेले होने पर
हँसने के बजाय ख़ुद से बात करना पसंद करते थे। एक हा य वी डयो लप दे खते ए तीन
थ तय लोग क वी डयो रकॉ डग क गई : जब वे अकेले थे, जब समान लग के अजनबी के
साथ थे और जब समान लग के दो त के साथ थे।

हमारी हँसी म 15 तशत ह सा चुटकुल का है हँसी का


यादा संबंध जुड़ाव से होता है।

सभी लोग को वी डयो ल स मज़ेदार लग , ले कन चाहे वह दो त हो या फर कोई अजनबी,


कसी सरे इंसान के साथ वी डयो दे खने वाले लोग के मुकाबले अकेले इंसान को ब त कम
हँसी आई। अकेले क तुलना म कसी सरे के साथ वी डयो ल स दे ख रहे लोग
को यादा बार और यादा समय तक हँसी आती रही। सामा जक मेलजोल के मौक पर हँसी
यादा आती है। इन नतीज से सा बत होता है क मौका जतना सामा जक होगा, लोग उतनी ही
यादा बार और यादा दे र तक हँसगे।

हा य बकता है
सन सनाट यू नव सट के कॉलेज ऑफ़ बज़नेस एड म न े शन म माक टग क ोफ़ेसर कैरन
मैकलाइट ने पाया क व ापन म हा य डालने से ब बढ़ती है। उ ह ने पाया क हा य होने
क वजह से ाहक ारा व ापनदाता के दाव को मान लेने क संभावना अ धक होती है,
इस लए ऐसे व ापन क वीकायता और भी बढ़ जाती है, जनम हा य का त व होने के साथ–
साथ कोई स भी हो।

परमानट डाउन माउथ ( थायी प से मुँह नीचे क ओर रहना)


स ता करने के लए मुँह के कनार को ऊपर करने का वपरीत प है– दोन कनार
को नीचे कर डाउन–माउथ दखाना। नाखुश, उदास, अवसाद त, नाराज़ या तनाव त
ऐसा करता है। अगर उस इंसान म ज़दगी भर ऐसी नकारा मक भावनाएँ रहती ह, तो उसके मुँह
के सरे हमेशा के लए नीचे क ओर झुक जाते ह।
बाद म इसके कारण वह इंसान कसी बुलडॉग जैसा दख सकता है। अ ययन बताते ह
क इस तरह के हावभाव लोग से हम र खड़े होते ह, उनसे नज़र कम मलाते ह और अपने
पास आने पर हम उनसे बचते ह। अगर आपको पता लगे क डाउन–माउथ आपक आदत म
शा मल हो गया है, तो नय मत प से मु कुराने का अ यास कर, जससे न सफ़ बुढ़ापे म आप
नाराज़ बुलडॉग जैसे दखने से बचगे, ब क अ धक सकरा मक भी महसूस करगे। इससे आप
छोटे ब च को डराने से भी बचगे और आपको कोई चड़ चड़ा बु ा भी नह समझेगा।
डाउन–माउथ हावभाव चेहरे पर एक थायी ल ण बन सकता है। हमारी सहज वृ
हम डाउन–माउथ वाले चेहर से र रहने को कहती है

म हला के लए मु कान संबंधी सलाह


बॉ टन यू नव सट के मा वन हे ट और मै रयन ला ा स ने उजागर कया क अपने से व र
और भावशाली लोग क मौजूदगी म उनके अधीन थ कमचारी यादा मु कुराते ह, माहौल
चाहे म तापूण हो या फर व े षपूण। जब क व र लोग अपने मातहत लोग के बीच तभी
मु कुराते ह, जब हालात दो ताना हो।
इस शोध ने बताया क सामा जक और कामकाजी थ तय म पु ष क तुलना म
म हलाएँ अ धक मु कुराती ह, जससे वे न मु कुराने वाले पु ष से सामना होने पर दज म उनसे
कम या कमज़ोर लगती ह। कुछ लोग का दावा है क म हला क अ त र मु कान
ऐ तहा सक तौर पर पु ष ारा उ ह अधीन थ थ त म रखे जाने का प रणाम है। ले कन कुछ
अ य शोध दखाते ह क आठ ह ते क उ म लड़क क तुलना म लड़ कयाँ यादा मु कुराती
ह, तो शायद यह गुण सीखने के बजाय उनम ज मजात होता है। इसका प ीकरण ऐसे हो
सकता है क मक वकास म पालन–पोषण तथा समझाने–बुझाने क म हला क भू मका
म मु कुराना सही बैठता है। इसका यह मतलब नह क पु ष क तरह म हलाएँ भु वशाली
नह हो सकत ले कन उनक अ त र मु कान उनक थ त को कमज़ोर करती है।

अपने म त क के ाकृ तक गुण के कारण संभवत:


म हलाएँ अ धक मु कुराती ह
यूसीएलए म सामा जक मनोवै ा नक डॉ. नै सी, हे ली, कसी म हला क मु कान का वणन
कसी को तु करने के ल ण या चहन‘के प म करती ह, जसका इ तेमाल अ सर कसी
अ धक श शाली पु ष को मनाने के लए कया जाता है। उनके शोध के अनुसार, सामा जक
प से आमना–सामना होने पर पु ष के 67 तशत क तुलना म म हलाएँ 87 तशत
अवसर पर मु कुराती ह। पु ष क मु कान के जवाब म म हला ारा मु कुराने क संभावना
भी 26 तशत यादा होती है। एक योग के अंतगत म हला के स , खभरे और
न वकार चेहरे क त वीर को 257 लोग ारा आकषकता के पैमाने पर आँका गया। ख भरे
भाव वाली म हला को सबसे कम आकषक माना गया। म हला के नह मु कुराने को खी
होने का ल ण माना गया, जब क पु ष ारा न मु कुराने को भु व के तीक के प म दे खा
गया। इसम म हला के लए यह सबक है क वे कामकाज के े म भु व रखने वाले पु ष
से वहार करते समय अ धक न मु कुराएँ या फर पु ष ारा द शत मु कुराहट के हसाब से
मु कुराएँ। इसके ठ क वपरीत, य द पु ष चाहते ह क म हलाएँ उनक बात मान, तो उ ह हर
थ त म अ धक मु कुराना होगा

यार म हँसना
रॉबट ोवाइन ने पाया क कोट शप ( ( णय– नवेदन) के दौरान म हलाएँ ही यादा हँसती–
मु कुराती ह, न क पु ष। ऐसी थ त म हँसना यह तय करने का एक तरीका है क वह जोड़ा
अपने र ते म कतना सफल होगा। साधारण श द म कह तो ेमी जतना अपनी े मका को
हँसाएगा, वह उसे उतना ही आकषक मानेगी। इसका कारण यह है क सरे लोग को हँसाने को
एक भु वशाली गुण के प म दे खा जाता है और म हलाएँ ऐसे पु ष को पसंद करती ह,
जब क पु ष को अधीन रहने वाली म हलाएँ पसंद आती ह। ोवाइन ने यह भी दे खा क
अधीन थ अपने से उ च पद पर बैठे को खुश करने के लए हँसेगा और उ च पद
वाला भी अपने मातहत को हँसाएगा, ले कन ख़ुद नह हँसेगा, य क यह उसक े ता
बनाए रखने का एक तरीका है।

अ ययन से प होता है क म हलाएँ जन पु ष क


ओर आक षत होती ह, वे उनक बात पर हँसती ह, और
पु ष उन म हला क ओर आक षत होते ह, जो उनक
बात पर हँसती ह।

इससे प हो जाता है क जब म हलाएँ पु ष के गुण क बात करती ह, तो उसम मज़ा कया


होने का गुण सबसे ऊपर होता है। जब कोई म हला कहती है, ‘वह तो ब त मज़ा कया है – हम
सारी रात साथ–साथ हँसते रहे’, तो ऐसे म अ सर उसका आशय होता है क उसने हँसते ए
रात बताई और ेमी ने उसे हँसाने का काम कया।

जब कोई पु ष कहता है क म हला म हा य क समझ है,


तो उसका मतलब म हला क चुटकुले सुनाने क
का ब लयत से नह होता; इसका अथ होता है क वह
उसके चुटकुल पर हँसती है।

गहरे तौर पर पु ष हा य द होने और आकषक होने के संबंध को समझता है और अ धकतर


समय अपने दज को बेहतर बनाने के लए बेहतरीन चुटकुले सुनाने म बाक पु ष से
तयो गता करता है। जब एक ही पु ष चुटकुले सुनाने के मामले म छा जाता है, ख़ासकर तब
जब वहाँ म हलाएँ मौजूद ह और चुटकुल पर हँस रही ह , तो कई पु ष को यह बात पसंद नह
आती। गौरतलब है क म हला के लगातार हँसते रहने के बावजूद बाक पु ष के वचार म
चुटकुले सुनाने वाला न केवल बेवकूफ़ होता है, ब क उ ह वह मज़ा कया भी नह लगता। पु ष
को यह बात समझनी होगी क हा य द पु ष अ धकतर म हला को आकषक लगते ह।
खुश क मती से आप हा य द होना सीख सकते ह।

कोई म हला कसी पु ष को कैसे दे खती है। पु ष ारा हँसाए न जाने पर म हला को
वह बा ओर क त वीर जैसा दखता है। जब पु ष म हला को हँसाता है, तो वह उसे
दा ओर क त वीर जैसा दखता है।

सारांश
जब भी आप कसी को दे खकर मु कुराते ह, तो वह भी जवाब म मु कुराता है, जससे
कारण और भाव के प रणाम व प दोन म सकारा मक भावनाएँ जागती ह। अ ययन से
सा बत आ है क य द आप नय मत तौर पर मु कुराएंगे व हँसगे और इसे अपनी आदत बना
लगे, तो आपक अ धकतर मुलाकात बना कसी ग तरोध के, लंब े समय तक चलगी और उनके
अ छे प रणाम मलगे। लोग से आपके र ते भी बेहतर ह गे।
माण से यह स आ है क मु कान और हँसी से रोग तरोधक णाली बनती है,
रोग–बीमा रय से र ा होती है, शरीर व थ होता है, आपके वचार लोग को पसंद आते ह,
पढ़ाई बेहतर ढं ग से होती है, यादा दो त आक षत होते ह और जीवन क अव ध बढ़ती है।
हा य हम व थ रखता है।
अ याय 4

आम स न स (बाँह के संकेत)

ॉच (जाँघ के बीच) पर हाथ रखने से पु ष संकट क थ त म अ धक सुर त


महसूस करते ह

आम बै रयर स न स (बाँह क आड़ से जुड़े संकेत)


ब त कम उ से ही हम सीख जाते ह क अपनी र ा के लए हम सहज ही कसी आड़ के पीछे
छप जाना चा हए। बचपन म कसी भी संकटपूण थ त म फँसने पर हम कुस - मेज़ , फ़न चर
या अपनी माँ के कपड़ जैसी ठोस चीज़ के पीछे छप जाते थे। बड़े होने के साथ हम अ धक
प र कृत होते जाते ह और छपने क वृ भी सू म होती जाती है। लगभग छह साल क उ
म हम जान जाते ह क चीज़ के पीछे छपना सही नह है, इस लए संकटपूण थ त के आते ही
हम बाँह को सीने पर मोड़ना सीख जाते ह। कशोराव था म इसे कम ज़ा हर करने के लए हम
बाँह को थोड़ा ढ ला छोड़ते ह और साथ म अपनी टाँग मोड़ लेत े ह।
बड़े होने पर बाँह मोड़ने क मु ा का व प इतना वक सत हो जाता है वह लोग के
सामने कम ज़ा हर होता है। अपने सीने पर एकया दोन बाँह को मोड़कर हम एक अवरोध
बनाते ह जो क हमारे ारा महसूस कए गए गए खतरे या अनचाहे हालात को रोके रखने का
एक तरह का अवचेतन यास है। दय और फेफड़ को कसी चोट से बचाने के लए हम अपनी
बाँह को सीने पर अ छ तरह मोड़ते ह, यानी बाँह मोड़ना ज मजात है। बंदर और च पांज़ी भी
अपने सामने के ह से को हमले से बचाने के लए ऐसा ही करते ह। एक बात तो तय है : घबराने,
नकारा मक या र ा मक रवैया होने क थ त म कोई भी अपने सीने पर बाँह को
कसकर मोड़ता है, जससे पता चलता है क वह खुद को संकट म महसूस कर रहा है।

मुड़ी ई बाँह य हा नकारक हो सकती ह


अमे रका म ॉ ड- आ स (बाँह मोड़ने क मु ा) पर ए एक शोध से कछ चताजनक प रणाम
मले ह। व ा थय के एक समूह को कुछ ले चस सुनने को कहा गया और हर कसी को कहा
गया क वे अपनी टाँग न मोड़, बाँह भी सामा य मु ा म रख और एक साधारण, सहज मु ा म
बैठे। ले चस के बाद हर व ाथ क जाँच क गई क उसे कसी वषय पर कही गई बात
कतनी याद रह और उसके नज़ रये को रकॉड कया गया। एक अ य समूह को इस या से
गुज़रने को कहा गया, ले कन उ ह सभी ले चस के दौरान अपने सीने पर बाँह कसकर मोड़े
रखने को कहा गया। प रणाम से पता चला क बाँहो को मोड़कर न रखने वाले समूह के
मुकाबले बाँह कसकर मोड़े रखने वाले छा को जानकारी 38 तशत कम याद रही। सरे
समूह क ले चस और ले चरस के त राय भी अ धक आलोचना मक थी।

बाँह मोड़ने से आपक व सनीयता नाटक य ढं ग से कम


हो जाती है।

1989 म हमने 6 अलग-अलग ले चस के दौरान 1500 लोग पर यही परी ण कए और हम भी


ऐसे ही प रणाम मले। इन प रणाम ने उजागर कया क जब एक ोता अपनी बाँह मोड़ता है,
तो न केवल व ा को लेकर उसके वचार अ धक नकारा मक हो जाते ह,ब क उसके ारा कही
गई बात को भी वह यान से नह सुनता। यही वजह है क े नग सटस म ह थे वाली कु सयाँ
होनी चा हए, ता क लोग अपनी बाँह को मोड़ने के बजाय सहज मु ा म रख सक।

हाँ…ले कन म ‘आराम से’ ँ


कुछ लोग दावा करते ह क वे आदतन अपने बाजू मोड़ते ह, य क यह उ ह आरामदे ह लगता
है। कोई भी ऐसी मु ा आपको आरामदे ह लगेगी, जो आपके रवैय े को दखाती हो, यानी अगर
आपका रवैया नकारा मक, सुर ा मक या बेचैनी भरा है, तो आपको बाँह मोड़ने से आराम
मलेगा। अगर आप दो त के साथ म ती कर रहे ह, तो बाँह मोड़ना आपको सही नह लगेगा।
याद र खए क हर शारी रक हावभाव म संदेश का अथ उसे दे ने वाले के साथ-साथ उसे
पाने वाले पर भी नभर करता है। हो सकता है क बाजू मोड़कर, अपनी पीठ और गदन को
अकड़ाना आपको आरामदे ह‘लगे, ले कन अ ययन से पता चला है क इन मु ा क त या
लोग म नकारा मक होती है। तो यहाँ सीख एकदम प है- कसी भी हालत म अपनी बाँह
मोड़ने से बच, ऐसा तभी कर जब आप बाक लोग को जताना चाहते ह क आप उनसे
असहमत ह या कसी ग त व ध या बातचीत म भाग नह लेना चाहते।

हो सकता है क बाँह मोड़ना आपको आरामदे ह लगे


ले कन इससे बाक लोग सोच सकते ह क आप तक नह
प ँचा जा सकता।

ल गक अंतर
पु ष क बाँह अंदर क ओर और म हला क बाँह थोड़ी बाहर क ओर मुड़ती ह। इस अंतर
के कारण पु ष सट क ढं ग से कोई चीज़ फक सकते ह और ल य साध सकते ह, जब क
म हला क बाहर क ओर नकली ई कोह नयाँ ब च को पकड़ने के लए खुली और यादा
थर थ त दे ती ह। एक दलच प अंतर यह है क म हलाएँ जब आकषक लगने वाले पु ष के
आसपास होती ह, तो वे अपनी बाँह को यादा खुला रखती ह और आ ामक व अनाकषक
पु ष के सामने अपनी बाँह को सीने पर मोड़ लेती ह।

अंदर क ओर बाँह का घूमना पु ष को सट कता से कसी चीज़ को फकने क


गुंजाइश दे ता है; जब क म हला क बाँह का अंदर क ओर घूमना उ ह ब चे उठाने
क स लयत दे ता है।

ॉ ड आ स ऑन चे ट (सीने पर बाँह को मोड़ना)


कसी इंसान या कसी चीज़ को नापसंद करने क थ त म उस इंसान या चीज़ और अपने बीच
आड़ बनाने के लए दोन बाँह को सीने पर मोड़ा जाता है। बाँह भी कई तरह से मोड़ी जाती ह
और हम यहाँ उन तरीक के बारे म बताएँग े जो अ सर दखाई दे त े ह। ॉ ड आ स ऑन चे ट
सब जगह पाई जाने वाली मु ा है और लगभग हर जगह पर इसका र ा मक या नकारा मक
अथ नकाला जाता है। आमतौर पर यह मु ा सावज नक बैठक म अजन बय के बीच,
कैफ़ेटे रया क कतार या कसी अ य कतार म, ए लवेटस म या कसी भी ऐसी जगह पर दखाई
दे ती है, जहाँ लोग अ न त या असुर त महसूस कर रहे ह ।
ॉ ड आ स ऑन चे ट : न वह आप तक प ँच रहा है और न आप उस तक

हम अपनी लोकल काउं सल क एक मी टग म गए, जहाँ पर डेवलपस ारा पेड़ काटे जाने पर
बहस हो रही थी। डेवलपस कमरे म एक ओर बैठे थे और उनके वरोधी पयावरण ेमी सरी
ओर। मी टग क शु आत म वहाँ मौजूद लगभग आधे लोग क बाँह सीने पर मुड़ी थ ।
डेवलपस ारा बातचीत कए जाने के दौरान 90 तशत पयावरण े मय ने ऐसा कया और
जब पयावरण े मय ने अपनी बात रखी तो लगभग 100 तशत डेवलेपस ने यही मु ा
अपनाई। इससे प है क कसी बात से असहमत होने पर लोग कैसे बाजू मोड़ने क मु ा
अपना लेत े ह। ब त से व ा अपनी बात ोता तक नह प ँचा पाए, य क उ ह ने ोता
क बाँह मोड़े रखने क मु ा पर यान नह दया। अनुभवी व ा जानते ह क ोता को
अ धक हणशील थ त म लाने के लए उ ह कसी कारगर तरीके क ज़ रत होगी, जससे
ोता का रवैया नकारा मक से सकारा मक हो सके।
जब आप कसी को यह मु ा अपनाते दे ख तो यह मानना सही होगा क शायद आपने
कोई ऐसी बात कही है, जससे वह असहमत है। शा दक तौर पर भले ही वह
आपसे सहमत होता लगे, ले कन ऐसे के साथ बहस करने का कोई फ़ायदा नह होगा।
स चाई यह है क श द के मुकाबले बॉडी ल वेज यादा ईमानदार होती है।

जब तक कोई बाँह मोड़े रखने क मु ा म रहेगा तब


तक नकारा मक ख़ बना रहेगा।

आपको यह जानना चा हए क उस ने बाँह को मोड़े रखने क मु ा य अपनाई है और


आपको को शश करनी चा हए क वह आपक बात को वीकारने क मु ा म आ जाए।
कसी ख़ास रवैय े क वजह से यह मु ा अपनाई जाती है और मु ा के कारण वह नज़ रया बना
रहता है।

समाधान
बाँह मोड़े रखने क थ त को र करने का एक साधारण, ले कन असरदार तरीका यह है क
ोता को पकड़े रखने के लए कोई चीज़ द जाए या कोई काम थमा दया जाए। पेन, कताब,
ॉशर, सै पल या ल खत टे ट दे ने से लोग को अपनी बाँह खुली रखनी ह गी और आगे झुकना
पड़ेगा। इससे वे अ धक खुली थ त म आ जाते ह, इस लए उनका रवैय े म भी खुलापन आ
जाता है। कसी को वजुअल ेज़टे शन दे खने के लए आगे झुकने को बोलना भी उनक बाँह
खोलने का अ छा तरीका हो सकता है। आप भी आगे बढ़कर हथे लयाँ सीधी कर उनसे पूछ
सकते ह, ‘मुझ े लगता है क आप कुछ पूछना चाहते ह...आप या जानना चाहते ह?‘या
‘आपक या राय है?‘ फर आप पीछे टककर उ ह संकेत दे सकते ह क अब उनके बोलने क
बारी है। अपनी हथे लय का इ तेमाल कर आप बना कुछ कहे भी उ ह बता सकते ह क आप
चाहते ह क वे खुलकर ईमानदारी से बात कह, य क आप भी वैस े ही ह।

‘मने ये पेन, प सल और ॉशस य पकड़े ह?’ ाहक ने


पूछा, जो सजे ए समस जैसा दख रहा था। ‘म
बाद म आपके पास आऊंगा,’ नेगो शएटर ने कहा।

से सक मय और नेगो शएटस को अ सर यह सखाया जाता है क तब तक अपने उ पाद या


वचार के तु तकरण को आगे बढ़ाना ठ क नह होता, जब तक क संभा वत ाहक के बाँह
मोड़े रखने का कारण सामने नह आता। अ सर ऐसा होता है क ख़रीदार क कुछ छपी ई
आप याँ होती ह, जनके बारे म से सकम कभी नह जान पाते। इसक वजह यह है क वे
ख़रीदार क मुड़ी ई बाँह क मु ा को नह दे ख पाते, जो कसी चीज़ को लेकर उसक
नकारा मक भावना का संकेत दे ती है।

मज़बूती से बाँह मोड़ना


अपनी बाँह को मोड़ने के साथ-साथ अगर कसी क मु याँ भी बंद ह, तो इस समूह को
फ़ ट् स ल ड-आम- ॉ ड (बँधी मु य के साथ बाँह मोड़ना) कहा जाता है और यह र ा मक
होने के साथ-साथ मनी भरा रवैया भी दखाता है। इसके साथ अगर चेहरा लाल हो और भचे
ह ठ वाली मु कान या दाँत पीसने क मु ा बनी हो, तो शा दक या शारी रक हमला होने क
आशंका भी हो सकती है। कारण प न होने क थ त म दो ताना या समझौतापूण उपाय
कया जाना चा हए। ऐसे का रवैया आ ामक होता है।
मु कसकर बाँह मोड़ना दखाता है क इंसान का रवैया श ुतापूण है

आम पग (बाँह कसकर पकड़ना)


डबल आम प (बाँह को कसकर पकड़ने) म ख़ुद को सहारा दे ने और शरीर के सामने
वाले ह से को बचाने के लए अपनी ऊपरी बाँह को हाथ से कसकर पकड़ता है। कई बार बाजू
को इतनी स ती से पकड़ा जाता है क खून का दौरा कने के कारण उँग लयाँ और उनके जोड़
सफ़ेद पड़ सकते ह। यह उस का ख़ुद को दलासा दे ने का एक तरीका है और ख़ुद को गले
लगाने का एक व प है। डॉ टर और डे ट ट् स के वे टग म म या उड़ान भरने का इंतज़ार
कर रहे पहली बार हवाई सफ़र कर रहे लोग म यह मु ा आमतौर पर दखाई दे ती है। इससे
नकारा मक और संय मत रवैया होता है।

डबल आम प : असुर त महसूस करना और सर क बात से सहमत न होना

अदालत म दावेदार अ सर फ़ ट ल ड आम ॉ ड मु ा अपनाते ह, जब क तवाद डबल


आम प मु ा म होते ह।
बॉस और मातहत कमचारी
ओहदे से भी बाँह मोड़ने क मु ा भा वत होती है। ऊँचे ओहदे वाला अपनी व र ता को
जताने के लए अपने बाजू नह मोड़ता, ऐसा करके दरअसल वह कहता है क ‘मुझे कोई भय
नह , इस लए म अपने शरीर को मु रखूंगा।‘उदाहरण के लए, मान ली जए क कसी कंपनी
के सामा जक समारोह म जनरल मैनेजर को कई नए कमचा रय से मलवाया जाता है। पाम-
डाउन (हथेली नीचे करके) हडशेक से उनका अ भवादन करने के बाद जनरल मैनेजर उनसे
लगभग एक मीटर क री पर जाकर खड़ा हो जाता ह। ऐसे म अपनी बाँह को वह सामा य
थ त म या स फ़ लप क तरह हथेली पर हथेली क मु ा ( े तर थ त) म हाथ को पीछे
रखकर या फर एक या दोन हाथ अपनी जेब (जुड़ाव न दखाने क थ त) म रखता है। वह
कभी-कभार ही अपने सीने पर बाजु को मोड़ता है, ता क कसी को उसक घबराहट का ज़रा
सा भी इशारा न मले।
इसके ठ क उलट, बॉस के साथ हाथ मलाने के बाद नए कमचारी कंपनी के सबसे बड़े
ओहदे के के सामने होने क झझक के कारण आं शक या पूरी तरह बाँह मोड़ने क मु ा
अपना सकते ह। जनरल मैनेजर और नए कमचारी अपनी-अपनी मु ा के साथ सहज महसूस
करते ह, य क दोन ही एक- सरे से अपने पद के संबंध को कर रहे होते ह। ले कन तब
या होता है, जब जनरल मैनेजर एक ऐसे युवा उभरते ए कमचारी से मलता है, जो ऊँचे दज
का है और ख़ुद को जनरल मैनेजर के बराबर मह वपूण समझने का संकेत भी दे ता है? ऐसे म
संभावना यही हो सकती है क एक- सरे से भावशाली ढं ग से हाथ मलाने के बाद युवा
कमचारी अपने बाजू मोड़ने क मु ा अपना ले, ले कन उसके अँगठ ू े ऊपर क ओर ह ।

थ स अप : र ा मक, ले कन ख़ुद को ‘कूल’ मानने क सोच

इस मु ा म बाजू मुड़ने के साथ ही दोन अँगठू े ऊपर क ओर होना यही जताता है क वह ख़ुद
को ‘कूल’ या आ म व ासी मानता है और थ त को अपने नयं ण म मानता है। बात करते ए
वह अपने अँगठ ू े से अपनी बात पर ज़ोर डालता है, जैसा क हम पहले बता चुके ह क थ स
अप यानी अँगठ ू े ऊपर करने क मु ा, सर को यह बताने का तरीका है क हमम आ म व ास
है, जब क मुड़े बाजू सुर ा मक भाव करते ह।
जो एक साथ र ा मक और अधीनता का भाव महसूस कर रहा हो, वह
सम मतीय या सम थ त म बैठेगा, जसका अथ है क उसके शरीर का एक ह सा सरे ह से
को ही त ब बत कर रहा है। उसक मांसपे शयाँ तनी ई होती ह और उसे दे खने से लगता है
क उसे कसी के हमला करने क आशंका है। जो र ा मक होने के साथ-साथ वयं को
भु वशाली भी मान रहा हो, उसक मु ा वषम या असम मतीय होगी, यानी उसके शरीर का
एक ह सा सरे ह से को त ब बत नह करेगा।

थ स अप मलना
आप कसी के सामने अपना प तुत कर रहे ह और आपके ेज़टे शन के बाद आपको थ स
अप आ स ॉ ड (मुड़ी ई बाँह के साथ अँगठ ू ा ऊपर क ओर) दखाई दे और उसके साथ
अ य सकारा मक मु ा समूह भी हो, तो इससे यह संकेत मलता है क आप ब त आसानी से
उस इंसान से तब ता क आशा कर सकते ह। सरी ओर, य द ेज़टे शन के आ ख़र म
आपको फ़ ट् स ल ड आ स ॉ ड मु ा (कसी ई मु य के साथ मुड़ी बाँह ) के साथ-साथ
भावशू य चेहरा दखे तो समझ जाइए क ऐसे म ‘हाँ‘कहलवाने क को शश म आप कसी
मुसीबत को बुलावा दे सकते ह। ऐसे म सवाल पूछकर उस क आप य को जानना
बेहतर होगा। कसी ताव को जब कोई ‘न’ कहता है, तो आ ामक दखे बना उसक
राय बदलना थोड़ा मु कल हो जाता है। बॉडी ल वेज पढ़ने-समझने क मता से आप कसी
नकारा मक नणय को श द म अ भ होने से पहले ही ‘दे ख‘सकते ह और आपको अपनी
बात कहने का कोई और तरीका ढूं ढने का मौका मल जाता है।

जब आप बोले जाने से पहले कसी क ‘नह ’ को दे ख


लेते ह, तो आप कोई अलग रा ता नकालने क को शश
कर सकते ह।

ह थयार ले जा रहे या सुर ा मक कवच पहने लोग कभी-कभार ही बाजू मोड़ने क मु ा अपनाते
ह, य क उनके ह थयार और कवच उ ह पया त सुर ा दे त े ह। उदाहरण के लए, बं क लए
ए पु लस अफ़सर ब त कम अपने बाजू मोड़ते ह, वे ऐसा तभी करते ह जब वे कसी चौकसी
पर ह । आमतौर पर वे कसकर बंद मु क मु ा अपनाते ह, ता क लोग को यह संदेश प तौर
पर मल जाए क वे जहाँ खड़े ह, वहाँ से जाने क अनुम त कसी को नह है।

अपना आ लगन करना


बचपन म हमारे माता- पता या दे खभाल करने वाले लोग कसी खद या तनावपूण थ त से
हमारा सामना होने पर हम गले लगा लेत े थे। बड़े होने पर तनावपूण थ तय म हम उस तस ली
दे न े वाले एहसास को फर से महसूस करना चाहते ह। बाँह को पूरी तरह मोड़ने से लोग तक
यह संदेश प ंचता है क हम भयभीत ह, इस लए इस मु ा को अपनाने क बजाय म हलाएँ
अ सर इसका कम प व प अपनाती ह। इसम एक बाँह को सरी पर टकाकर या उसे छू ते
ए आं शक प से बाजु को मोड़ा जाता है, इस तरह एक अवरोध बन जाता है और दे खकर
लगता है क म हला अपना आ लगन कर रही है। बाँह के आं शक अवरोध अ सर ऐसी बैठक
म दे ख े जाते ह जहाँ कोई अजनबी हो या उसम आ म व ास क कमी हो। तनावपूण
थ त म इस मु ा को अपनाने वाली म हला अ सर ऐसे म आराम महसूस करती है।

बचपन म मां ारा आ लगन कए जाने जैसी मु ा

पु ष जस आं शक अवरोध का इ तेमाल करते ह, उसे हो डंग हड् स वद योरसे फ़ (अपने


हाथ पकड़ना) कहा जाता है। यह अ सर उन पु ष ारा अपनाया जाता है, जो कोई इनाम लेने
या भाषण दे न े के लए भीड़ के सामने खड़े होते ह। इसे ोकन ज़पर पोज़ीशन भी कहा जाता
है। इससे पु ष सुर त महसूस करता है, य क उसे लगता है क वह अपनी ‘बेशक मती
चीज़‘क र ा कर सकता है और सामने के ह से पर ज़बरद त हमले से बच सकता है।

ोकन ज़पर पोज़ीशन


सूप कचन (जहाँ खाना मु त या रयायती दर पर दया जाता है) क कतार म या सामा जक
सुर ा लाभ लेन े क थ त म पु ष यही मु ा अपनाते ह, जससे उनक नराशा और असुर ा
क भावनाएँ होती ह। इससे महसूस होता है क कोई हमारा हाथ पकड़ने वाला या हम
सहारा दे ने वाला है। अडॉ फ़ हटलर केवल एक अंडकोश होने के कारण अपनी यौन संबंधी
कमी को छपाने के लए लोग के बीच अ सर यह मु ा अपनाता था।
संभव है क मक वकास म पु ष क बाँह छोट हो गई ह , जससे वे सुर ा क इस
मु ा को अपना पाए य क हमारे नज़द क नरवानर र तेदार च पांज़ी अपने बाजू को घुटन
पर मोड़कर ऐसी ही र ा मक मु ा अपनाते ह।

अपने शरीर के जन भाग को इंसान कमज़ोर या असुर त समझता है, वह उ ह


छपाने क को शश करता है

धनी और स य क असुर ा कैसे उजागर होती है


शाही प रवार क ह तयाँ, राजनी त , टे ली वज़न श सयत और फ़ मी कलाकार, जो
लगातार लोग के सामने रहते ह, अ सर लोग को यह भनक नह दे ना चाहते क वे घबराए या
ख़ुद को लेकर अ न त ह। वे ‘कूल’ (आ म व ासी), शांत, और संतु लत दखना चाहते ह,
ले कन उनक बेचैनी या आशंकाएँ बाजु को मोड़ने के छपे ए प म सामने आ जाती ह।
बाँह मोड़ने क सभी मु ा क तरह इसम भी एक बाँह शरीर के सामने से सरी बाँह क ओर
ले जाई जाती है, ले कन उसे मोड़ने के बजाय उससे कसी बैग, ेसलेट, घड़ी या कमीज़ के कफ़
या सरी बाजू पर या उसके नज़द क मौजूद कसी अ य चीज़ को छु आ जाता है। फर से एक
आड़ बनती है और सुर त रहने का एहसास होता है।
मश र श सयत को भी लोग के बीच उतनी ही घबराहट होती है जतनी क हम

कसी कमरे या डांस लोर म लोग क नज़र के सामने से गुज़रते ए कफ़ ल स पहने पु ष


अ सर उ ह ठ क करते दखते ह। कफ़- लक- एडज ट स चा स क एक ख़ास मु ा है, जो
लोग के सामने से कसी खुली जगह से गुज़रने के दौरान वे ख़ुद को सुर ा का भाव दे ने के लए
वे अपनाते ह।

स चा स कफ़ लक एडज ट मु ा से अपनी असुर ा उजागर कर रहे ह

आपको लगेगा क पचास साल से यादा लोग क नज़र म रहने और वशाल भीड़ से सामना
करते रहने के बाद स चा स जैसे शाही इंसान को घबराहट नह होती होगी, ले कन बाँह को
मोड़ने क उनक छोट -छोट मु ा से यही सामने आता है क वे भी उन हालात म हमारे
जतना ही असुर त महसूस करते ह।
बेचैन या संकोची भी अपनी घड़ी के फ ते को ठ क करता, अपने वॉलेट क
चीज़ को जाँचता, अपने हाथ को पकड़ता या रगड़ता, कफ़ के बटन के साथ खेलता या कोई
ऐसी मु ा अपनाता दखेगा जो उसके बाजू को शरीर के सामने वाले ह से पर मोड़े। असुर त
बज़नेसमैन कसी बज़नेस मी टग म ीफ़केस या फ़ो डर को अपने शरीर के आगे रखकर
चलता है। श त के लए इस तरह क मु ाएँ संकेत मा ह, जनसे कसी उ े य क
ा त नह होती, बस घबराहट को छपाने क को शश क जाती है। इन मु ा को उन जगह
पर दे खा जा सकता है, जहाँ कसी को लोग के सामने से गुज़रना होता है, जैस े डांस
लोर को पार करके कसी म हला से डांस के लए पूछने जाता पु ष या इनाम लेने के लए मंच
से गुज़रकर जाता ।
म हला ारा बाजु क आड़ लया जाना पु ष क तुलना म कम प होता है,
य क वे कसी संकोच या अ न तता क थ त म अपने हडबैग या पस को पकड़ सकती ह।
सेस ऐन लोग के बीच से गुज़रते ए अ सर फूल का गुलद ता पकड़कर रखती ह और वीन
ए लज़ाबेथ फूल या हडबैग को थामे रखती ह। यह तो न त है क वे अपने बैग म लप टक,
मेकअप का सामान, े डट काड या थयेटर टकट लेकर नह चलती ह गी। वे तो इसका
इ तेमाल कसी सुर ा आवरण क तरह या फर संदेश दे न े के लए करती ह। रॉयल वॉचस ने
उनके ारा अपने कमचा रय को दए 12 संकेत दज कए ह, जो क उनके चलने, कने, कह
से जाने या उबाऊ क म के लोग से उ ह बचाने क थ त म दए गए थे।

अवरोध के प म हडबैग का इ तेमाल

अ य या सू म प से अवरोध बनाने का एक ब त आम उदाहरण है, अपने दोन हाथ म


गलास या कप को पकड़ना। आपको गलास को पकड़ने के लए एक हाथ ही काफ़ है, ले कन
उसे दोन हाथ से पकड़ने से असुर त इंसान अपने बाजु से एक आड़ बना लेता है, जस पर
कसी का यान नह जाता। इस तरह क मु ाएँ लगभग हर कोई अपनाता है और हमम से ब त
कम लोग ही उ ह अपनाने को लेकर सजग होते ह।
फूल को पकड़े रहना आ मसंकोची भाव दखाता है

कॉफ़ कप क आड़
बातचीत के दौरान खाने-पीने क चीज़ पेश करना यह जाँचने का अ छा तरीका है क आपक
पेशकश को सरा कैसे ले रहा है। चाय-कॉफ़ पीने के बाद उस ारा कप रखने क
जगह आपको संकेत दे ती है क वह आपक बात से सहमत है या नह या आपक बात के त
उसका रवैया कतना खुला है। संकोची, अ न त या आपक बात के त नकारा मक
कोण रखने वाला अपने कप को शरीर के सरी ओर रखेगा, ता क उसके एक बाजू से
आड़ बन जाए। कसी ारा कप को अपनी तरफ़ ही रखे जाने पर उसके खुलेपन या
वीकृ त भरे कोण का पता चलता है।

बाज़ू क आड़ का मतलब है ‘नह ’


आपके वचार को लेकर इनका रवैया वीकारा मक है

कुस पर बैठकर अपनी कोह नयाँ उसके ह थ पर रखना भु व क मु ा है और एक मज़बूत व


ईमानदार छ व का संकेत दे ती है। वन , हालात से हारे ए क म के लोग अपनी बाँह को कुस
के ह थे क भीतरी ओर लटकाते ह, इस लए तभी ऐसा कर जब आपको ख़ुद को हारा आ
जताना चाहते ह, वरना ऐसा कभी न कर।

पश क श
दायाँ हाथ मलाते समय कसी को अपने बाएँ हाथ से छू ने से ज़बरद त नतीजे मल सकते
ह।
मनेसोटा यू नव सट म शोधकता ने ‘द फ़ोन बूथ टे ट’ कहलाने वाला एक योग
कया। उ ह ने टे लीफ़ोन बूथ पर एक स का रख दया और एक पेड़ के पीछे छपकर वहाँ आने
वाले लोग का इंतज़ार करने लगे। कसी के आने पर कोई शोधकता बाहर नकलकर उससे
पूछता, ‘ या आपने फ़ोन बूथ पर मेरा स का दे खा? मुझ े एक और कॉल करना है।’ केवल 23
तशत लोग ने ही स का मलने क बात कही और उसे लौटाया।
अ ययन के सरे ह से म स के को फर से बूथ पर रखकर योग को दोहराया गया,
ले कन इस बार शोधकता ने लोग क कोहनी को सफ़ कुछ सेकड् स के लए छु आ और फर
उनसे स के के बारे म पूछा। इस बार 68 तशत लोग ने स का लेन े क बात क और कुछ
झपते ए इस कार कहा, ‘म आसपास दे ख रहा था क यह कसका है...’

कसी क कोहनी का कुशलता से पश करने से आपके


सफल होने क संभावना तीन गुना बढ़ जाती है।

इस तरीके के कारगर होने के तीन कारण ह : पहला, कोहनी को प लक पेस माना जाता है
और यह शरीर के अंतरंग ह स से र होती है; सरा, अ धकतर दे श म अजन बय को छू ना
अ छा नह माना जाता, इस लए इस पश का असर पड़ता है; तीसरा, तीन सेकड तक कोहनी
को छू ने से दो लोग के बीच एक णक जुड़ाव हो जाता है। जब हमने एक ट वी ो ाम के लए
इस योग को दोहराया, तो हमने पाया क स का लौटाने क दर हर सं कृ त म अलग थी और
यह इस बात पर नभर करता था क कसी न त जगह पर सामा यतया पश कतनी बार
कया गया था। उदाहरण के लए, कोहनी छू ने पर ऑ े लया म 72 तशत, इं लड म 70
तशत, जमनी म 85 तशत, ांस म 50 तशत और इटली म केवल 22 तशत लोग ने
स के लौटाए। इस नतीजे से ज़ा हर होता है क कस तरह कोहनी छू ने से उन जगह पर बेहतर
प रणाम मले, जहाँ लोग को अ सर छू ना सां कृ तक प से आम नह है। हम जन दे श म
अ सर जाते ह, वहाँ हमने कैफ़े म लोग के एक- सरे को छू ने से संबं धत आँकड़े दज कए और
पाया क रोम म एक घंटे म 220 बार, पे रस म 142 बार, सडनी म 25 बार, यूयॉक म 4 बार
लोग के बीच पश का आदान- दान आ, जब क लंदन म एक घंटे म एक बार भी ऐसा नह
आ। इससे यह पु होती है क आप अगर टश या जमन ह, तो आपके ारा लोग को छू ने
क संभावना कम होगी, इस लए कोहनी के पश का योग आप पर अ धक सफल होगा।

य द आप टश या जमन मूल के ह, तो बाक लोग के


मुकाबले आप पर पश का भाव अ धक पड़ेगा।

कुल मलाकर, हमने पाया क पु ष ारा अ य पु ष का पश कए जाने क तुलना म


म हला ारा अ य म हला को छू ने क संभावना चार गुना अ धक होती है। कई जगह पर
अजन बय को कोहनी के ऊपर या नीचे छू ने पर उतने सकारा मक प रणाम नह मले, जतने
सीधे कोहनी छू ने से मले, ब क ऊपर या नीचे पश करने से नकारा मक त या भी मली।
तीन सेकड से यादा समय तक छू ने से भी त या नकारा मक रही और लोग सशं कत होकर
दे खने लगे क आप कर या रहे ह।

हाथ का पश
एक अ य अ ययन म लाइ े रयन को शा मल कया गया और उ ह कहा गया क वे कताब दे ते
समय सरे के हाथ को धीरे से छु एँ। लाइ ेरी के बाहर कताब लेन े वाल का सव ण
कया गया और उनसे लाइ ेरी ारा द जाने वाली सेवा के बारे म पूछा गया। जन लोग के
हाथ कताब लेत े समय छु ए गए थे, उ ह ने सभी के उ र म अनुकूल त या द और उ ह
लाइ े रयन का नाम भी याद रहा। टश सुपरमाकट् स म कए गए अ ययन से पता चला क
बचे ए पैस े दे त े ए ाहक के हाथ का पश करने पर भी ऐसी ही सकारा मक त या
मली। अमे रका म भी म हला वेटर के साथ भी यही योग कया गया, जनक आमदनी का
एक बड़ा ह सा लोग ारा द गई टप से आता है। पु ष क कोहनी और हाथ को छू ने वाली
म हला वेटर को उन वेटर से 36 तशत अ धक टप मली, ज ह ने ऐसा नह कया। पु ष
वेटर क आमदनी 22 तशत बढ़ , इससे कोई अंतर नह पड़ा क उ ह ने पु ष का पश
कया या म हला का।
अगली बार जब आप कसी नए से हाथ मलाते समय अपनी बाई बाँह बढ़ाकर
उनक कोहनी या हाथ को धीरे से पश कर और इस बात क पु करने के लए क आपने उस
का नाम सही सुना है, उसका नाम दोहराएँ और फर उसक त या दे ख। इससे न
केवल वह मह वपूण महसूस करता है, ब क दोहराने से आपको भी उसका नाम याद
रखने म आसानी होती है।
सावधानीपूवक, कुशलता से कोहनी और हाथ छू ने से लोग का यान आपक ओर
जाता है, बात यादा असरदार होती है, वचार अ धक भावी होता है, सर को आप अ धक
भा वत कर पाते ह, लोग आपको याद रखते ह और हर कसी पर आपक अ छ छाप पड़ती
है।

सारांश
इस बात से कोई अंतर नह पड़ता क सीने पर बाजू मोड़ने को आप कैसे दे खते ह, ले कन सही
बात यह है क इसे नकारा मक माना जाता है और इसका असर इस मु ा को अपनाने वाले और
दे खने वाले, दोन के दमाग़ पर पड़ता है। हो सकता है क पीठ के दद के कारण आप अपनी
बाँह मोड़, ले कन दे खने वाला अवचेतन तौर पर पर यही समझेगा क उसक बात को लेकर
आपका रवैया नकारा मक है। आप अभी से सोच ल क आपको अपनी बाँह को नह मोड़ने का
अ यास करना है। आने वाले अ याय म हम आपको बताएँग े क अ धक सकारा मक और
आ म व ासी छ व के लए या करना चा हए।
अ याय 5

सां कृ तक अंतर

कोई टश, जमन या अमे रक इस मु ा का या अथ नकालेगा?

क पना क जए क आप कोई मकान दे ख रहे ह, जसे आप ख़रीदना चाहते ह। मकान दे खते


ए जब आप उसके बाथ म का दरवाज़ा खोलते ह, तो बाथटब म आपको एक नव म हला
दखाई दे ती है। आपके याल से उस म हला क त या या होगी? कोई टश या अमे रक
म हला एक हाथ से अपने व और सरे से अपने जननांग को ढकेगी, जब क कोई वी डश
म हला केवल अपने जननांग ढकेगी। मु लम म हला अपना चेहरा ढकेगी, सुमा ा क ी अपने
घुटने ढकेगी, जब क समोआ क म हला अपनी ना भ को ढकेगी।

हम उस समय पीट् ज़ा खा रहे थे


इस अ याय को लखते ए हम इटली के वे नस शहर म ह और सां कृ तक अंतर पर आयो जत
एक स मेलन म भाग ले रहे ह। अगर हम कभी इटली न गए होते, तो वहाँ के अनुभव से हम
ज़ र सदमा प ँचता। सभी सं कृ तय म लोग पटरी या फ़टपाथ पर उसी तरफ़ चलते ह, जस
तरफ़ वे गा ड़याँ चलाते ह। इसका मतलब है क अगर आप टश, ऑ े लयाई या द ण
अ क या यूज़ीलड के नवासी ह तो आप गाड़ी को बाई ओर चलाएँगे और ख़ुद भी बाई ओर
चलगे। इटली म पटरी या फ़टपाथ पर चलते ए आप लगातार लोग से टकराते रहते ह, य क
उनके सामने आने पर आप बाई ओर होते ह और वे अपनी दाई ओर। सरे दे श म सन लासेज़
भी लगातार टकराते रहने का एक बड़ा कारण बन जाते ह, य क एक इंसान सरे इंसान क
नज़र नह दे ख पाता क वह कस ओर जाएगा। फर भी यह सरे दे श के नए और दलच प
लोग से मलने का अ छा तरीका है।
कसी इटै लयन से वदा लेते ए हाथ मलाने पर भी आपको झटका लगेगा, य क
हाथ मलाने के बजाय आपके दोन गाल चूम े जाएँग।े

वदा लेते समय इटै लयन ने मुझ े दोन गाल पर


चूमा। उस व त म अपने जूत े के फ ते बाँध रहा था। वुडी
ऐलन

इटली के थानीय लोग से बातचीत करते समय वे आपके पेस ( े ) म खड़े रहते ह, लगातार
आपको पकड़ते रहते ह, च लाने क हद तक ज़ोर-ज़ोर से बात करते ह और हर बात को लेकर
गु से म लगते ह। दरअसल यह सब इटै लयन लोग क रोज़मरा क दो ताना बातचीत को आम
ह सा है। सभी सं कृ तय म एक जैसी चीज़ के मतलब समान नह होते।

सां कृ तक परी ा
बॉडी ल वेज से जुड़े सां कृ तक अंतर के बारे म आप या जानते ह? यह करके दे ख – अपने
हाथ को ऊपर करके सं या पाँच दखाएँ तुरंत ऐसा कर। अब इसे दो म बदल द। अगर आप
लो-सै सन ह, तो इस बात क संभावना 96 तशत है क आपने अपनी मडल (म यमा)
और इंडे स फ़गर (तजनी) को उठाया होगा। अगर आप यूरोपीय ह, तो 94 तशत संभावना है
क आपने अपने अँगठ ू े और तजनी को उठाया होगा। यूरोपीय हाथ पर गनती क शु आत
अपने अँगठ ू े से करते ह, तजनी पर दो क गनती और म यमा पर तीन गनकर उनक गनती
आगे बढ़ती है। एं लो-सै सन तजनी से गनती क शु आत करते ह, दो म यमा पर आता है और
अँगठ
ू े पर पाँच के साथ गनती पूरी होती है।
अब आप आगे दए गए हाथ के संकेत को दे खकर बताइए क आप हर एक से कतने
अलग अथ नकाल सकते ह। हर सही उ र के लए ख़ुद को एक अंक द और ग़लत जवाब पर
एक अंक घटा द। पृ के अंत म उ र दए गए ह।
हर सही उ र के लए वयं को एक अंक द।

ए. यूरोप और उ र अमे रका : ओके


भूम यसागरीय े , स, ाज़ील तुक :
छे द का संकेत, यौन अपमान, सम लगी पु ष
ूनी शया, ांस, बे जयम : शू य, बेकार
जापान : धन; स के

बी. प मी दे श : एक; माफ़ क जए!; ई र मेरा गवाह है; नह ! (ब च से)

सी. टे न, ऑ े लया यूज़ीलड, मा टा : अप योअस!


(उँगली करना)
अमे रका : दो
जमनी : वजय
ांस : शां त
ाचीन रोम : जू लयस सीज़र पाँच बीयर मँगाते ए

डी. यूरोप : तीन


कैथ लक दे श : आशीष
ई. यूरोप : दो
टे न, ऑ े लया, यूज़ीलड : एक
अमे रका : वेटर!
जापान : अपमानबोधक

एफ. प मी दे श : चार
जापान : अपमानबोधक

जी. प मी दे श : सं या पाँच
हर जगह : को!
ीस और तुक : जह ुम म जाओ!

एच. भूम यीय े : छोटा श


बाली : बुरा
जापान : म हला
द ण अमे रका : पतला
ांस : तुम मुझे बेवकूफ़ नह बना सकते!

आई. भूम यीय े : तु हारी प नी बेवफ़ा है


मा टा और इटली : शैतानी नज़र से सुर ा (संकेत कए जाने पर)
द ण अमे रका : भा य से सुर ा (घुमाने पर)
अमे रका : टे सस यू नव सट लोगो, टे सस लॉ गहॉन फ़टबॉल ट म

जे. ीस : जह ुम म जाओ!
प मी जगत : दो

के. ाचीन रोम : अप योअस!


अमे रका : इस पर बैठो! तु हारी ऐसी-तैसी कर ँ गा!

एल. यूरोप : एक
ऑ े लया : इस पर बैठो! (ऊपर क ओर झटका दे कर)
हर जगह : मु त क सवारी करना; ब ढ़या; ओके
ीस : अप योअस! (आगे क ओर करना)
जापान : पु ष; पाँच

एम. हवाई : ‘हग लूज़’ (सब ठ क है)


हॉलड : या आप क लगे?

एन. अमे रका : आई लव यू


ओ. प म : दस; आ मसमपण
ीस : अप योअस – दो बार!
हर जगह : म सच बोल रहा ँ

आपका दशन कैसा रहा?


30 से अ धक अंक : आप कई जगह पर घूमे ए, संतु लत और खुली सोच वाले ह, जो
कसी भी दे श या सं कृ त के के साथ घुल मल सकते ह। लोग आपसे यार करते ह।

15-30 अंक : आपको बु नयाद बात पता ह क लोग के वहार म अंतर हो सकता है।
लगातार अ यास करके आप अपनी समझ को बेहतर बना सकते ह।

15 या उससे कम अंक : आपको लगता है क हर कसी क सोच आपके जैसी है। आपको
पासपोट मलना तो र घर से नकलने क भी इजाज़त नह होनी चा हए। आपको ब कुल भी
अंदाज़ा नह है क बाक नया आपसे अलग है। आपको लगता है क हर जगह एक ही समय
और एक ही मौसम रहता है। शायद आप अमे रक ह।

हम सभी अमे रकन य बनते जा रहे ह


अमे रकन टे ली वज़न और फ़ म के हर जगह प ँचने के कारण सभी सं कृ तय क युवा
पी ढ़याँ उ री अमे रका क बॉडी ल वेज के आम व प को अपना रही ह। उदाहरण के लए,
ऑ े लया म 60 साल का कोई दो उँग लय को ऊपर करने क टश मु ा को
अपमानजनक बात के प म समझेगा, जब क ऑ े लयाई कशोर उसे दो पढ़े गा और
अमे रक मडल फ़गर रे ड (उठ ई म यमा) को अपमानजनक बात से जोड़ेगा। पारंप रक
तौर पर थानीय प से इ तेमाल न होने के बावजूद अ धकतर दे श म रग मु ा को ‘ओके‘के
अथ म लया जाता है। हर दे श के ब च के पास टे ली वज़न ह और वे बॉ केटबॉल कैप को उ ट
तरफ़ पहनकर च लाते ह ‘ह ता ला व ता, बेबी’ ( फर मलगे), यह और बात है क वे पै नश
नह समझते।

अमे रक टे ली वज़न के कारण बॉडी ल वेज के


सां कृ तक अंतर वलु त हो रहे ह।

अं ेज़ी भाषा से ‘टॉयलेट‘श द धीरे-धीरे ग़ायब हो रहा है, य क अपनी कम नफ़ासत के लए


मश र उ री अमे रकावासी इसे बोलने से डरते ह। वे ‘टॉयलेट‘के बजाय ‘बाथ म’ कहना
पसंद करते ह, यूरोप के कई ह स म इसका मतलब सफ़ नहाने क जगह से है। उ री
अमे रकावासी इसे ‘रे ट म‘भी कहते ह, इसके लए पूछे जाने पर उ ह आराम करने के लए
लाउंज क तरफ़ ले जाया जा सकता है। इं लड म ‘पाउडर म‘होता है, जसम आईना और
वॉशबे सन होता है, कडरगाटन म ‘ ल टल ग स म‘होता है और यूरोप के मोटरवे पर ‘क फ़ट
टे श स‘होते ह। ऐसे म अगर कोई उ री अमरीक ‘वॉश अप‘के लए पूछेगा, तो उसे ख़ुशी-
ख़ुशी कचन क ओर ले जाकर ट टावल (चाय के बतन धोने का छोटा तौ लया) दे कर बतन धोने
का काम दे दया जाएगा।

हर जगह सां कृ तक आधार समान ह


जैसा क हमने अ याय 3 म दे खा क चेहरे के हावभाव और मु कान का मतलब हर जगह के
लोग के लए एक जैसा है। सैन ां स को क कै लफ़ो नया यू नव सट के पॉल एकमन ने 21
व भ सं कृ तय के लोग को ख़ुशी, गु सा, डर, ख, घृणा और आ य के भाव करती
त वीर दखाई। उ ह ने पाया क हरेक दे श म हर मामले म ख़ुशी, ख और घृणा के भाव को
अ धकांश लोग ने वैसे ही पहचाना। 21 म से 20 दे श के अ धकांश लोग ने आ य के भाव को
उसी प म पहचाना, डर को 19 दे श के और गु से क 21 म से 18 दे श के लोग ने वैस े ही
पहचान क । सां कृ तक अंतर के मामले म जापान थोड़ा अलग था, जहाँ गु से वाली त वीर को
लोग ने आ य के भाव के प म पहचाना।
एकमन साउथ फ़ोर क सं कृ त के अ ययन के लए यू गनी भी गए और उ ह ने
प मी इ रयन के डानी लोग का अ ययन भी कया, जो बाक नया से अलग-थलग थे। वहाँ
भी उ ह वही प रणाम मले, बस जापा नय क तरह वे भी गु से और आ य के बीच अंतर नह
कर पाए।
उ ह ने पाषाण-युग के इन लोग को इ ह भाव के साथ फ़ माया और उ ह अमे रक
लोग को दखाया, ज ह ने सभी क सही पहचान क । इससे यही सा बत आ क मु कान और
चेहरे के भाव के अथ सावभौ मक ह।
शकागो क दपॉल यू नव सट क डॉ. लडा कैमरास ने भी यही त य सा बत कया क
भावा भ मानव म ज मजात होती है। उ ह ने फ़े शयल ऐ शन को डग स टम (ऑ टर
ड रॉज़ेन टाइन, 1991) के ारा जापानी और अमे रक शशु के चेहर क त या मापी।
इस णाली से शोधकता शशु के चेहरे के हावभाव को रकॉड कर, उ ह अलग-अलग करके
उनक सूची बना सकते थे। उ ह ने पाया क जापानी और अमे रक शशु ने ब कुल एक जैसे
भावना मक हावभाव दखाए।
अब तक इस पु तक म हमने नया के अ धकतर ह स म आमतौर पर पाई जाने
वाली बॉडी ल वेज पर यान क त कया है। सबसे बड़े सां कृ तक अंतर टे रटो रयल पेस
( नजी दायरे), आँख के संपक, पश क आवृ और अपमानजनक मु ा से जुड़े होते ह।
अरब दे श , ए शया के कुछ ह स और जापान ऐसे े थे, जहाँ सबसे यादा अलग-अलग
थानीय संकेत थे। सां कृ तक अंतर को एक अ याय म समझा पाना ब त क ठन है, इस लए
हम कुछ बु नयाद चीज़ तक सी मत रहगे, जो आपको सरे दे श म दखाई दे सकती ह।
य द कसी सावज नक थान पर कोई सऊद पु ष कसी सरे पु ष का हाथ थामे तो
यह एक- सरे के त स मान दखाता है। ले कन ऑ े लया, टे सस या लवरपूल
और इं लड म ऐसा न कर

अ भवादन म अंतर
हाथ मलाने के अंतर से कई बार ब त झप भरी और हा या पद सां कृ तक मुठभेड़ हो जाती ह।
टश, ऑ े लयाई, यूज़ीलडवासी, जमन और अमे रक लोग अ सर मुलाकात होने और
वदा होने पर हाथ मलाते ह। कई यूरोपीय सं कृ तय म लोग दन भर म कई बार हाथ मलाते ह
और कुछ च लोग तो एक दन म हाथ मलाने म 30 मनट तक का समय भी लगाते ह।
इं डयन, ए शयाई और अरब सं कृ तय म लोग हाथ मलाने के बाद भी आपका हाथ थामे रह
सकते ह। जमन और च लोग एक दो बार हाथ हलाकर उसे थोड़ी दे र थामे रहते ह, जब क
कसी अमे रक के पाँच से सात बार हाथ हलाने क तुलना म टश लोग तीन से पाँच बार
ऐसा करते ह। अंतरा ीय स मेलन म हैरत म पड़े व भ त न धय को अपने-अपने तरीके से
हाथ मलाते ए दे खना एक मज़ेदार अनुभव होता है। हाथ मलाते ए बस एक बार उसे हलाने
वाले जमन लोग अमे र कय को उदासीन लगते ह, जब क अमे रक लोग का यादा बार हाथ
हलाना जमन लोग को ऐसा लगता है जैसे वे एयरबेड म हवा भर रहे ह ।
गाल पर चु बन दे न े दे कर अ भवादन करने के मामले म क डने नया के लोग एक बार
चूमना पसंद करते ह, च दो बार, जब क डच, बे जयन और अरबी लोग के लए यह तीन बार
होना चा हए। ऑ े लयाई, यूज़ीलडवासी और अमे रक लोग चूमकर अ भवादन करने के
मामले म उलझन म रहते ह और चूमने के लए आगे बढ़ते ए अ सर उनक नाक आपस म
टकरा जाती ह। टश अ सर पीछे खड़े रहकर उससे बचने क को शश करते ह या फर
यूरोपीय दोहरे चु बन से आपको हैरत म डाल दे त े ह। अपनी पु तक अ ू ॉम द स मट म सर
एडमंड हलेरी ने एवरे ट क चोट पर प ँचने क बात याद करते ए लखा है क कस तरह
उ ह ने बधाई दे ने के लए ब कुल टश अंदाज़ म अपना हाथ शेरपा तेन ज़ग नोरगे से मलाने
के लए बढ़ाया। ले कन नोरगे ने आगे बढ़कर गले से लगाकर उ ह चूम लया, जो क बधाई दे ने
का त बती तरीका था।
दो सं कृ तय का आमना-सामना
इटली के लोग बात करते ए अपने हाथ ऊपर उठाए रखते ह। बातचीत के दौरान नेहपूवक
बाँह को छू ना दरअसल ोता को उसके हाथ ऊपर करने से रोकना और उसे बातचीत का क
बनने से रोकना होता है। कसी इटै लयन को बातचीत के बीच रोकने के लए आपको उसका
हाथ पकड़कर नीचे करना होता है। इनक तुलना म टश और जमन लोग ऐसे लगते ह, जैसे
बातचीत के दौरान उ ह लकवा मार गया हो। उ ह इटै लयन और च लोग से बातचीत क
को शश करना ब त चुनौतीपूण लगता है और कभी-कभार ही उ ह बोलने का मौका मल पाता
है। बातचीत करते ए च अपनी बाँह के आगे वाले ह से और हाथ का, इटै लयन अपनी पूरी
बाँह तथा शरीर का ब त इ तेमाल करते ह, जब क टश और जमन लोग एकदम सावधान
क मु ा म खड़े रहते ह।
अंतरा ीय बज़नेस के मामले म बेहतरीन वेशभूषा, ब ढ़या रे रस और एक अ छा
ताव कई बार ब त मामूली और बेहद नामालूम से लगने वाले वाले हावभाव से मात खा जाते
ह और बज़नेस डील डू ब जाती है। 42 दे श म कए गए हमारे शोध से पता चला क उ री
अमे रकन लोग को सां कृ तक भ ता क समझ सबसे कम होती है और टश इसम सरे
म पर ह। 86 तशत उ री अमे रकन के पास पासपोट नह है, जससे इस नतीजे पर प ँचा
जा सकता है क अंतरा ीय बॉडी ल वेज से जुड़े संकेत क जानकारी म वे सबसे अन भ ह।
जॉज ड यू बुश को भी अमे रका का रा प त बनने के बाद पासपोट के लए आवेदन करना
पड़ा था, ता क वे सरे दे श क या ा कर सक। सरी ओर टश व भ थान क या ा तो
करते ह, ले कन चाहते ह क बाक लोग अं ेज़ी बोल सक, फ़श और च स पेश कर और उ ह
टश बॉडी स न स क जानकारी हो। अ धकतर वदे शी सं कृ तयाँ आपसे उनक भाषा
सीखने क अपे ा नह करत , ले कन जब कोई पयटक उनक थानीय बॉडी ल वेज के बारे म
जानता और सीखता है तो वे ब त भा वत होते ह। इससे उ ह पता चलता है क आप उनक
सं कृ त का स मान करते ह।

भचे ए ह ठ (इं लश टफ़ अपर लप)


इसम चेहरे पर नयं ण लाने के लए ह ठ को इतना दबाया जाता है क चेहरे पर भाव नह
उभरते और इंसान क भावना को पढ़ना मु कल हो जाता है। इस तरह से इं लश लोग अपने
संपूण भावना मक नयं ण का संकेत दे ते ह। 1997 म जब स फ़ लप, चा स, हैरी और
व लयम डायना के ताबूत के पीछे चल रहे थे, तो उनक भावभं गमा टफ़ अपर लप क थी,
जसे ग़ैर- टश जगत म डायना क मौत पर उनका भावहीन होना माना गया।
हेनरी अ म भचे ए ह ठ के लए स थे। उनका मुँह छोटा था और त वीर बनाए
जाते वे अपने ऊपरी ह ठ को भ च लेत े थे, जससे उनका मुँह और भी छोटा लगता था। उनक
इस आदत का प रणाम आ क सोलहव शता द म इं लश लोग ने छोटे मुँह को े होने से
जोड़ दया। आज भी इं लश लोग यह भाव दखाते ह, जब उ ह लगता है क कोई उनसे
न नतर उ ह त कर रहा है। इस मु ा के साथ अ सर आँख झपकाई जाती ह।
हेनरी अ म ने छोटा मुँह होने के कारण इस मु ा को उ च तरीय होने के तीक के प
म लोक य बनाया, आज भी टश और अमे रकन इसे अपनाते ह

जापानी लोग
जापान एक ऐसी जगह ह, जहाँ हाथ मलाने, चूमने और कसकर गले लगाने को आज भी
वीकृ त नह है, य क वहाँ पर शारी रक संपक को अ श ता माना जाता है। पहली बार मलने
पर जापानी झुककर अ भवादन करते ह और सबसे ऊंचे दज का आदमी सबसे कम झुकता है,
जब क कम दज का सबसे यादा। पहली बार मलने पर बज़नेस काड एक- सरे को दए जाते
ह, ता क हर का दजा प हो जाए और फर उसी के अनुसार झुकना तय हो।

जापान म सु न त कर ल क आपके जूत े ब कुल साफ़


और अ छ अव था म ह। हर बार झुकते समय जापानी
उनक जाँच करते ह।

कसी क बात सुनते ए जापानी मु कुराते, सर हलाते और वन आवाज़ नकालते ह, कसी


और भाषा म उन जैसी अ भ याँ नह ह। यहाँ मकसद आपको बात करते रहने के लए
ो सा हत करना है, ले कन ग़लती से इसे प मी और यूरोपीय दे श के लोग अ सर सहम त के
प म ले लेत े ह। सर हलाने का मतलब हर जगह ‘हाँ‘होता है, सवाय बु गा रया और जापान
के। बु गा रया म इसका मतलब ‘नह ‘होता है और जापान म इसे वन ता व प अपनाया
जाता है। आपक बात से असहमत होने के बावजूद जापानी ‘हाँ’या जापानी म हई
कहेगा, ता क आप बात करते रह। जापानी ारा ‘हाँ’ कहे जाने का मतलब है, ‘हाँ, मने आपक
बात सुन ली’ न क ‘हाँ, म सहमत ’ँ , उदाहरण के लए, अगर आप कसी जापानी से
कहगे क ‘आप सहमत नह ह न?‘तो वह जवाब म सर हलाते ए कहेगा ‘हाँ’, जब क वह
आपसे असहमत होगा। जापानी संदभ म इसका अथ है, ‘हाँ आप सही कह रहे ह - म सहमत
नह ँ।’
जापानी लोग थ त को संभालना चाहते ह और उ ह ने कुछ नयम बनाए ह, ता क
थ त को बगड़ने से रोका जा सके, न कहने और उ र म ‘नह ’ होने क संभावना होने पर
पूछे जाने से बचा जा सके। य द कोई जापानी ‘ना’ कहना चाहे तो वह कहेगा, ‘यह ब त
मु कल है‘या ‘हम इसे यान से पढ़गे‘, जब क उनका मतलब होगा, ‘इस बात को भूल जाओ
और अपने घर जाओ’।

‘गंदे घृणा पद ाणी’ - नाक साफ़ करना


यूरोपीय और प मी दे श के लोग माल या टशू म अपनी नाक साफ़ करते ह, जब क ए शयाई
और जापानी लोग थूककर या नाक से उसे बाहर नकाल दे त े ह। दोन एक- सरे के बताव को
‘घृणा पद‘मानते ह। पछली स दय म ट बी या तपे दक सं मण के फैलने के कारण इस मामले
म इतना बड़ा सां कृ तक अंतर है। यूरोप म ट बी उस ज़माने म एड् स जैसी बीमारी थी, जससे
बचने क उ मीद ब त कम होती थी, इस लए सरकार उसे अ धक फैलने से रोकने के लए लोग
को माल म नाक साफ़ करने को कहती थ । यही कारण है क प मी लोग थूकने को लेकर
कड़ी त या करते ह, थूक से ट बी के फैलने क आशंका होती थी, इस लए उसे दे खकर लोग
उतने ही सावधान हो जाते थे, जतने क आप होते, य द एड् स भी थूकने से फैलता।

आधु नक समय म नाक साफ़ करना अतीत क तपे दक


क महामारी का प रणाम है।

य द पूव दे श म तपे दक एक सम या होती, तो प मी दे श क तरह वहाँ भी ऐसी ही


सां कृ तक त या होती। जापान के लोग कसी को माल म नाक साफ़ करके उसे वापस
जेब, पस या आ तीन म रखते दे ख सदमे म आ जाते ह! जापा नय को जैकेट क ऊपरी जेब म
माल सजाने का अं ेज़ी अंदाज़ फूट आँख नह भाता। उ ह यह जेब से लटकते टॉयलेट पेपर
के रोल जैसा लगता है, जो हमेशा काम के लए तैयार रहता है। ए शयाई लोग का मानना है क
थूक दे ना बेहतर वक प है, ले कन प मी या यूरोपीय लोग को यह बात नागवार गुज़रती है।
य द यूरोपीय लोग को जकाम हो जाए तो पूव दे श के लोग के बीच उनक बज़नेस मी टग
नाकाम हो सकती है। य द कोई ए शयाई आदमी थूके या फर नाक को सीधे बाहर साफ़ करे तो
बुरा न मा नए और जापानी लोग के सामने कभी अपनी नाक साफ़ न कर।

तीन सबसे आम ॉस-क चरल मु ाएँ


आइए, अब हाथ से जुड़ी तीन सबसे आम मु ा के अथ और आशय समझ। वे ह- रग, थ स
अप और वी का संकेत।

1. रग
उ ीसव सद के आरंभ म अमे रका म यह मु ा अमे रका म समाचारप ारा लोक य क
गई, जब वे सामा य मुहावर को करने के लए आ ा र (इनी शय स) का चलन शु
कर रहे थे। मूलतः ‘ओके‘के अथ को लेकर कई कार के वचार पाए जाते ह। कुछ लोग मानते
ह क इसका अथ ‘ऑल करे ट यानी सब सही‘है, जसम ऑल म ‘ए’ के बजाय ‘ओ’ और
करे ट के ‘सी’ के बजाय ‘के’ लखा जाता था। बाक लोग का कहना है क ‘नॉक आउट‘वाले
‘के ओ‘को उलटकर ‘ओके’ बनाया गया।

प मी नया के लए ‘ओके’, जापानी के लए ‘धन’ च के लए ‘शू य’ और तुक


तथा ाज़ीलवा सय के लए अपमानबोधक

एक अ य लोक य धारणा के अनुसार यह ‘ओ ड कडर क’ का सं त प है, जो


क उ ीसव सद के एक अमे रक रा प त का ज म थान था और जसके आ ा र का योग
वे अपने चुनावी नारे के प म करते थे। यह प है क छ ले क मु ा ‘ओके’ के ‘ओ’ को
दखाती है। ‘ओके’ का अथ अं ेज़ी बोलने वाले सभी दे श म समान है और अमे रक टे ली वज़न
और फ़ म के कारण इसका अथ अब तेज़ी से हर जगह फैल रहा है, ले कन कुछ न त थान
पर इसके उ म और अथ अलग ह। उदाहरण के लए, ांस और बे जयम म इसका अथ ‘शू य’
या ‘कुछ नह ‘है। पै रस के एक रे तरां म वेटर ने हमारी मेज़ दखाकर जब हमसे पूछा, ‘यह
टे बल ओके है?‘, तो हमने ओके संकेत के प म जवाब दया। वेटर ने फर कहा, ‘अगर आपको
यह पसंद नह , तो हम आपके लए सरी मेज़ दे खते ह...‘उसने ओके संकेत का अथ ‘शू य’ या
‘बेकार’ के प म समझा था, यानी उसे लगा क हमने मेज़ पसंद न होने क बात कही है।

कसी च को ‘ओके’ मु ा बनाकर कह क उसका


खाना लाजवाब है हो सकता है क वह आपको बाहर
नकाल दे ।

जापान म इसका अथ ‘पैसा‘है; अगर आप जापान म बज़नेस कर रहे ह और ‘ओके‘का संकेत


दे त े ह, तो जापानी सोचगे क आप उनसे र त माँग रहे ह। कुछ भूम यसागरीय दे श म यह छ
(ऑ र फ़स) का संकेत है और अ सर कसी को समल गक बताने के लए इसका
इ तेमाल कया जाता है। कसी ीक को यह संकेत दखाने पर वह समझेगा क आपका
मतलब ख़ुद को या उसे समल गक बताना है, जब क तुक का कोई समझेगा क आप
उसे गुदा (आसहोल) कह रहे ह। अरब दे श म यह ब त कम इ तेमाल होती है। और इसका
मतलब या तो ख़तरे क घंट या फर अ ील बात है।
1950 के दशक म रा प त बनने से पहले रचड न सन लै टन अमे रका के लोग के
साथ संबंध सुधारने के लए स ावना या ा के तौर पर वहाँ गए थे। वमान से उतरते ही उ ह ने
बाहर इंतज़ार कर रहे लोग को अमे रक ‘ओके’ स नल दखाया और लोग ारा नाराज़गी
ज़ा हर करने पर उनके आ य का कोई ठकाना नह रहा। बॉडी ल वेज के थानीय संकेत से
अनजान न सन के ‘ओके’ को इस कार समझा गया, ‘आप सब आसहोल’ ह।
य द आप अंतरा ीय या ाएँ करते ह, तो सबसे सुर त बात यही होगी क आप
थानीय लोग से वे संकेत जान ल, जो अपमानबोधक ह । इससे आप अ य थ तय से बच
सकते ह।

2. थ ब-अप
ऑ े लया, अमे रका, द ण अ का, सगापुर और यूज़ीलड जैसे दे श म, जहाँ पर टश
भाव दे खा जा सकता है, थ स अप (अँगठ ू ा ऊपर करना) के तीन मतलब हो सकते ह :
आमतौर पर मु त सवारी करने वाले ल ट लेन े के लए इसका इ तेमाल करते ह; यह ओके
स नल है; ले कन जब अँगठ ू े को झटका दे कर ऊपर कया जाता है, तो इसका मतलब ‘अप
योअस’ या ‘इस पर बैठो‘होता है, जो क अपमानजनक है। ीस जैस े कुछ दे श म अँगठ ू े को
आगे कया जाता है, जसका अथ होता है, ‘गेट ट ड‘!

ीस म कभी ल ट न माँग।

जैसा क हमने पहले भी बताया है क जब यूरोपीय लोग एक से पाँच तक गनती करते ह, तो


उनके थ ब-अप का मतलब ‘एक‘होता है, तजनी ‘दो’ बन जाती है, जब क अं ेज़ी बोलने वाले
अ धकतर लोग तजनी से गनती क शु आत करते ह और म यमा से दो दखाते ह। ऐसे म थ ब
अप का मतलब पाँच होगा।

आपके दे श के हसाब से इसका मतलब ‘अ छा’, ‘एक’, ‘अप योअस’ या ‘इस पर


बैठो’, इनम से कुछ भी हो सकता है।

अँगठू ा हाथ का सबसे मह वपूण ह सा है, इसका इ तेमाल श के तीके प म कया जाता
है और इसे अ सर जेब , वे ककोट आ द से बाहर नकलते दे खा जा सकता है। सामा य तौर पर
या जब कोई हम ‘अपने अँगठू े के नीचे करने‘क को शश करता है, तो अ य मु ा के साथ
अँगठ ू े का इ तेमाल कर हम अपनी श और े होने का संकेत दे सकते ह। अँगठ ू े क ताकत
के कारण इसे श से जोड़ा जाता है।
3. वी-साइन (वी का च ह)
ऑ े लया, यूज़ीलड और ेट टे न म आमतौर पर इसका इ तेमाल कया जाता है और इसका
मतलब ‘अप योअस‘के प म भी लया जाता है। सरे व यु के दौरान व टन च चल ने
इसे लोक य बनाया, ले कन यह च ह बनाते ए उनक हथेली लोग के सामने होती थी,
जब क व ा क ओर हथेली होने का मतलब अ ीलतापूण अपमान जाता है।

कसी अमे रक के लए इसका अथ ‘दो’ है, जमन के लए ‘ वजय’ और टे न म ‘अप


योअस’

इसक उ प कई स दय पहले के इं लश तीरंदाज़ से जुड़ी है, जो तीर चलाने के लए इन दो


उँग लय का इ तेमाल करते थे। कसी कुशल तीरंदाज़ के लए मारे जाने के मुकाबले पकड़े
जाना और इन दो उँग लय का काटा जाना सबसे शमनाक बात होती थी। दो उँग लय वाला वी-
साइन ज द ही टश सेना ारा अपने मन को उकसाने वाला संकेत बन गया, जो उ ह
बताता था क ‘मेरी तीर चलाने वाली दो उँग लयाँ अब भी सही-सलामत ह।’
हालाँ क यूरोप के कुछ ह स म व ा क ओर हथेली वाली मु ा का अथ अब भी
‘जीत’ है, यानी अगर कोई अं ेज़ कसी जमन को ‘अप योअस‘कहने के लए यह संकेत
अपनाता है, तो मुम कन है क जमन सोचे क उसे कोई इनाम मला है। यूरोप के कई ह स म
इसका मतलब दो भी है, अगर अपमा नत आ बारटडर यूरोपीय है तो संभव है क वह कसी
अं ेज़, अमरीक या ऑ े लयाई को बीयर के दो मग लाकर थमा दे ।

पश कर या नह
बातचीत करते ए छु ए जाने पर कोई बुरा मानेगा या नह , यह उसक सं कृ त पर नभर
करता है। उदाहरण के लए, ांसीसी और इतालवी लोग बातचीत करते ए लगातार एक- सरे
को छू ना पसंद करते ह, जब क टश ऐसा करना पसंद नह करते और ब त से लोग के सामने
खेल के मैदान पर ही ऐसा कर सकते ह। टश, ऑ े लयाई और यूज़ीलड के खला ड़य
ारा एक- सरे को गले लगाना द ण अमरीक और कॉ टनटल खला ड़य क नकल है, जो
क गोल हो जाने पर गले लगते ह और एक- सरे को चूमते ह। उनका यह वहार े सग म म
भी बरकरार रहता है। ले कन ऑ े लयाई, टश या यूज़ीलड के खलाड़ी खेल के मैदान से
नकलते ही अपने पुराने ढर पर लौट आते ह यानी एक- सरे से र रहने क नी त अपनाते ह।
खेल के मैदान पर कोई पॉइंट मलने या गोल हो जाने पर
टश खलाड़ी एक- सरे को छू ते ह, गले लगते ह, चूमते
ह और एक- सरे को पकड़ते ह। ले कन कसी पब म
आप यह सब करने क को शश करके दे खए, आप जान
जाएँगे क या होगा।

डॉ टर केन कूपर ने कई दे श म छु ए जाने क आवृ का अ ययन कया और त घंटे म उ ह


ये प रणाम मले - यूट रको 180, पे रस 110, लो रडा 2, लंदन o...
हमारे ारा कए गए शोध और गत अनुभव के आधार पर हमने यह पाया क
कन दे श म पश करना वीकाय है और कन दे श म नह :

अ य सं कृ तय को ठे स प ँचाना
जब अनजाने म अ य सं कृ तय को ठे स प ँचाने का सवाल आता है, तो इसका पहला
पुर कार अ सर अमरीक लोग ले जाते ह। जैसा क पहले भी बताया जा चुका है, अ धकतर
अमरी कय के पास पासपोट नह ह और वे मानते ह क बाक नया उनक तरह सोचती है
और उनके जैसा बनना चाहती है। यहाँ जॉज बुश क एक त वीर म वे टे सस लॉ गहॉन फुटबॉल
ट म क व श मु ा दखा रहे ह, जसके वे समथक ह। तजनी और छोट उँगली बैल के स ग
दशाती ह, इस फुटबॉल वाली मु ा को अ धकतर अमरीक पहचानते ह।
इटली म यह अमे रक फ़टबॉल वाली मु ा दखाने पर आपको जेल हो सकती है

इटली म इस मु ा को ‘कक ड‘के नाम से जाना जाता है, जसका इ तेमाल कसी पु ष को यह
बताने के लए कया जाता है क उसक प नी के अ य पु ष से संबंध ह। 1985 म रोम शहर म
वे टकन के बाहर पाँच अमरी कय को यह मु ा अपनाकर लॉ गहॉन क जीत का ज मनाते
गर तार कया गया था। लगता है पोप इससे भा वत नह ए।

सारांश
लोग ऐसे ही लोग के साथ काम करना पसंद करते ह, जो उ ह सहज महसूस कराएँ और
आ ख़रकार यह सब ईमानदारी और श ाचार पर नभर करता है। कसी सरे दे श म जाने पर
थानीय लोग से मलने-जुलने का अवसर मलने तक अपनी बॉडी ल वेज को सी मत रख।
बॉडी ल वेज से जुड़े सां कृ तक अंतर को सीखने-समझने का एक सरल तरीका वदे शी फ़ म
को रकॉड कर उनक आवाज़ बंद करके, उनके सबटाइटल पढ़े बना उ ह दे खना है। य को
दे खकर घटना म को समझने क को शश कर और फर सबटाइट स के साथ फ़ म को
दे खकर अपने अंदाज़े क जाँच कर।

य द आप नह जानते क कसी अ य सं कृ त म श ता
के या मायने ह तो थानीय लोग से जानकारी ल।

मु ा या संकेत क गलत ा या से झप भरे प रणाम मल सकते ह। कसी भी के


शारी रक हावभाव या संकेत से कसी नणय पर प ँचने से पहले उस क पृ भू म पर
ज़ र गौर कर।
अगर आप नय मत प से नया म घूमते रहते ह तो हमारी राय है क आप रॉजर
ऐ सटे ल क कताब जे चस : डू ज़ ड टै बूज़ ऑफ़ बॉडी ल वेज अराउंड द व ड (जॉन वाइली
ड स स) पढ़। ऐ सटे ल ने नयाभर के 70,000 से यादा व भ शारी रक संकेत और
था क पहचान क है और बताया है क अ धकतर सं कृ तय म आप अपना बज़नेस कैसे
कर सकते ह।
अ याय 6

हाथ और अँगठ
ू े क मु ाएँ

ज़ाक-लुई डे वड ारा बनाया गया नेपो लयन का च , 1812, ांसीसी नेता इसम
अपनी स मु ा म ह- या उ ह सचमुच पे टक अ सर था या फर वे जीवन का
आनंद ले रहे थे?

मनु य के हाथ म 27 छोट ह याँ होती ह, जनम से कंकड़ के आकार क आठ ह याँ कलाई
म पाई जाती ह। ये लगामट् स के जाल से आपस म जुड़ी होती ह, जोड़ को हलाने के लए
दजन छोट -छोट मांसपे शयाँ होती ह। वै ा नक ने पाया है क शरीर अ य अंग के मुकाबले
हाथ और म त क के बीच सबसे अ धक तं का संपक होते ह, इस लए हाथ ारा अपनाई
जाने वाली मु ाएँ या उनक व भ थ तयाँ हमारी भावना मक थ त को दशाती ह। हमारे
हाथ अ सर शरीर के सामने दखाई दे ते ह, इस लए इन संकेत को दे खना आसान है। हमम से
अ धकतर लोग क हाथ क थ त से जुड़ी ख़ास मु ाएँ होती ह, जनका हम अ सर इ तेमाल
करते ह। उदाहरण के लए, ‘नेपो लयन’ कहते ही हर कोई ऐसे आदमी का वणन करेगा, जसका
हाथ उसके वे टकोट म होगा और उसका अँगठ ू ा ऊपर क ओर होगा, फर शायद कोई अनुमान
लगाएगा या कोई चुटकुला सुनाएगा क नेपो लयन ऐसा य करता था। इनम से कुछ चुटकुले ह
: उ ह पेट का अ सर था; वह अपनी घड़ी को चाबी दे रहे थे; उस युग म जेब म हाथ डाले रखना
अ श ता थी; उ ह छाती का कसर था; उनका हाथ वकृत था; वे अपने कपड़ के भीतर
ख़ुशबूदार थैली रखते थे और उसे सूँघते थे; ऐसे ही अपना मनोरंजन करते थे या फर च कार
को हाथ बनाना पसंद नह था। स ची कहानी यह है क नेपो लयन के ज म से भी पहले 1738 म
ांसुआ नवेलॉन ने अ बुक ऑफ़ जट ल बहे वयर। का शत क , जस इस मु ा का वणन
कया गया क ‘...इस तरह हाथ रखना कुलीन और नडर पु ष क आम मु ा थी, जसम
वन ता का पुट था।’ जब नेपो लयन ने अपनी प टग दे खी, तो कलाकार से कहा, ‘तुमने मुझे
अ छ तरह से समझा, मेरे य डे वड।’ इस कार यह तबा दखाने क मु ा थी।
इ तहास क कताब से पता चलता है क नेपो लयन आमतौर पर इस मु ा को नह
अपनाता था, दरअसल इस स प टग के लए भी वह कभी सामने नह बैठा। कलाकार ने
अपनी याददा त से इसे बनाया और यह मु ा उसम जोड़ द । इस तरह हाथ रखने क कु या त
ने यह ज़ र बताया क कस कार ज़ाक-लुई डे वड को हाथ और अँगठ ू े क थ त के मह व
क समझ थी।

नेपो लयन का कद 5’4” (1.64 मीटर) था, ले कन प टग दे खने वाले


उ ह 6’ (1.85 मीटर) ऊँचा समझते थे।

हाथ कैसे बात करते ह


हज़ार साल तक समाज म लोग के तबे से यह तय होता था क कौन अपनी बात बेरोकटोक
लोग के सामने रख सकता था। जतनी अ धक श या स ा आपके पास होती थी, उतने ही
अ धक लोग को आपक बात सुनते ए ख़ामोश रहना होता था। उदाहरण के लए, रोमन
इ तहास बताता है क कसी नचले दज के आदमी को जू लयस सीज़र को टोकने के लए फाँसी
द जा सकती थी। आज अ धकतर लोग ऐसे समाज म रहते ह, जहाँ सबको बोलने क आज़ाद
है और कोई भी अपनी राय रख सकता है। टे न, ऑ े लया और अमे रका म लोग को
रा प त या धानमं ी के भाषण के बीच अपनी राय रखने या फर धीरे से ताली बजाकर उ ह
टोकने क अनुम त है 2003 म इराक संकट पर टे ली वज़न बहस के बीच धानमं ी टोनी लेयर
के साथ ऐसा आ था। कई दे श म बातचीत म लोग के म को सु न त करने के लए हाथ ने
‘ वराम च ’ क भू मका नभानी शु कर द है। हाथ ऊपर उठाने क मु ा इटै लयन और
ांसीसी लोग से ली गई है, जो सबसे यादा ‘हाथ से बातचीत’ करते ह। इं लड म ऐसा ब त
कम होता है, य क वहाँ बातचीत के दौरान हाथ हलाने को अनुपयु या ख़राब शैली माना
जाता है।
इटली म बात करने का म ब त सरल है - जस के हाथ उठे रहते ह, वह लोग
को संबो धत करता है और अपनी बात कहता है। ोता को उसके हाथ या तो नीचे करने होते ह
या उसक पीठ के पीछे । य द आप अपनी बात कहना चाहते ह तो अपने हाथ को हवा म रखने
क को शश कर, ऐसा करने के लए या तो आपको कह और दे खते ए अपने हाथ उठाने ह गे
या फर अपने हाथ उठाते ए सरे क बाँह को छू ते ए उसके हाथ को दबाना होगा। कई
लोग को लगता है क इटै लयन लोग बात करते ए ब त दो ताना रवैया रखते ह या अंतरंग
रहते ह, य क वे लगातार एक- सरे को छू ते रहते ह। ले कन असल म हर कोई अपनी बात
रखने के लए सरे को हाथ को रोकने क को शश कर रहा होता है।
इस अ याय म हम सामा य प से च लत हाथ और अँगठ ू े से जुड़ी कुछ आम मु ा
के मू याँकन क को शश करगे।

कसी इटै लयन के हाथ उसक पीठ के पीछे बाँध द जए वह


ख़ामोश हो जाएगा।

एक तरफ़...
एक को दोन प को तुत करते ए कसी चचा का सार बताते ए दे खकर पता
लगाया जा सकता है क उसका झुकाव कस ओर है। लोग अ सर अपनी हथेली को सामने
रखकर हर ब पर बात करते ह और फर सरे हाथ से वप के ब बताते ह। दाएँ हाथ का
इ तेमाल करने वाले लोग अपने प का कोण दाएँ हाथ से और बाएँ हाथ का इ तेमाल करने
वाले उसे बाएँ हाथ से बताते ह।

सरी तरफ़, मु ा से याद रखने म आसानी होती है


हाथ के इ तेमाल से यान आक षत होता है, संवाद का भाव बढ़ता है और सुनी ई बात को
याद रखने म मदद मलती है। इं लड क मैनचे टर यू नव सट म जै बीट और नीना
मैकलाड लन ने एक अ ययन कया, जसम लोग को रॉजर रै बट, ट् वीट पाय और स वे टर द
कैट जैस े काटू न पा वाली कहा नयाँ सुनाई गई। कुछ ोता के लए सू धार ने दौड़ना बताने
के लए हाथ को तेज़ी से ऊपर-नीचे करने, हेयर ायर के लए हाथ हलाने और मोट ऑपेरा
सगर को दशाने के लए बाँह को फैलाने जैसी मु ा का इ तेमाल कया। दस मनट बाद जब
ोता से पूछा गया तो एक- तहाई से अ धक लोग को कहा नयाँ यादा व तार से याद रह ,
ज ह ने हाथ के संकेत दे ख े थे। इससे सा बत आ क बात याद रखने म हाथ क मु ा का
कतना नाटक य भाव पड़ता है।
इस अ याय म हम 15 सबसे आम हाथ क उन मु ा को दे खगे, ज ह आप रोज़
दे खते ह और हम चचा करगे क उनके बारे म या कया जाए।

हाथ को रगड़ना
हाल ही म हमारी एक म ने हमारे घर आकर हमारे आने वाले क इंग हॉ लडे के बारे म चचा
क । बातचीत के दौरान वह आराम से कुस पर बैठ , मु कुरा और तेज़ी से अपनी हथे लयाँ
रगड़ते ए बोली, ‘म ब त बेस हो रही ँ।’ उठे ए हाथ को रगड़ते ए उसने बना कुछ कहे
हम बता दया क उ ह उ मीद है क हमारी छु याँ शानदार रहगी।
सकारा मक संभावना दखाना

हथे लय को रगड़ना एक ऐसा तरीका है, जससे लोग सकारा मक अपे ाएँ करते ह।
पासा फकने वाला उसे पहले अपनी हथे लय के बीच रखकर रगड़ता है, इससे वह जीतने क
अपे ा करता है कसी समारोह का संचालक अपनी हथे लयाँ रगड़ते ए ोता से
कहता है, ‘हम अपने अगले व ा को सुनने के लए बेताब ह,’ और उ सा हत से सपसन से स
मैनेजर के ऑ फस म घुसकर अपनी हथे लयाँ रगड़ते ए कहता है, ‘हम अभी एक बड़ा ऑडर
मला है।’ ले कन शाम ख़ म होने पर आपक टे बल पर आया आ वेटर अगर हथे लयाँ रगड़कर
आपसे पूछता है, ‘कुछ और चा हए, सर?’ तो वह बना बोले आपको यह बता रहा है क उसे
अ छ टप मलने क उ मीद है।
जतनी तेज़ी से कोई इंसान अपनी हथे लयाँ रगड़ता है, उससे पता चलता है क वह
कसे सकारा मक लाभ होने क उ मीद कर रहा है। उदाहरण के लए, आप एक घर ख़रीदना
चाहते ह और कसी ए टे ट एजट से मलते ह। घर का वणन करते ए एजट तेज़ी से अपनी
हथे लयाँ रगड़ते ए कहता है, ‘मुझ े आपके लए एकदम सही घर मल गया है!’ इस तरह एजट
यह संकेत दे ता है क उसे उ मीद है क घर आपके लए उपयु रहेगा। ले कन आपको कैसा
लगेगा अगर वह धीरे-धीरे हथे लयाँ रगड़ते ए आपसे कहे क उसे आपके लए ब ढ़या घर मल
गया है? ऐसे म वह घ टया या कु टल लगेगा और आपको महसूस हो जाएगा क उसे अपने
फ़ायदे क उ मीद है न क आपके।

हथे लय को रगड़ने क ग त से पता चल जाता है क ऐसा करने


वाला कसके फ़ायदे क बात कर रहा है।

से सक मय को बताया जाता है क भावी ाहक को कसी उ पाद या सेवा के बारे म बताते ए


कस कार हथे लय को रगड़ने क मु ा का इ तेमाल करना चा हए और ख़रीदार को संदेह क
थ त म लाने से बचने के लए तेज़ी से हथे लय को रगड़ना चा हए। य द कोई ख़रीदार तेज़ी से
हथे लयाँ रगड़ते ए कहता है, ‘दे खते ह क आपके पास या है!’ तो वह संकेत दे ता है क उसे
कुछ ब ढ़या दखने क उ मीद है और हो सकता है क वह उसे ख़रीद ले।
‘ या मेरे पास कोई अ छ डील है!‘

हमेशा संदभ को याद रख : कसी ठं डे दन पर बस ट मनल पर खड़ा कोई आदमी अगर अपनी
हथे लय को तेज़ी से रगड़ता है तो इसका यह मतलब नह क वह बस क उ मीद कर रहा है,
ब क यह है क उसके हाथ ठं डे ह।

अँगूठे और उँगली को रगड़ना


तजनी पर या उसके छोर पर अँगठ ू े को रगड़ना अ सर पैसे क अपे ा करने क मु ा है। यह
अँगठ
ू े और उँगली के छोर के बीच स के को रगड़ने का तीक है। इसका इ तेमाल अ सर
सड़क पर चीज़ बेचने वाला यह कहते ए करता है, ‘म आपक 40 तशत बचत कर सकता ,ँ
या अपने कसी दो त से यह कहते ए कोई कर सकता है, ‘ या तुम मुझ े पचास पाउ ड उधार
दोगे?‘

‘हम इससे पैसा बना सकते ह!‘

कसी भी पेशेवर इंसान को अपने ाहक से बातचीत करते ए इस मु ा को अपनाने से हमेशा


बचना चा हए, य क यह पैस े के नकारा मक प को ज़ा हर करती है।

हाथ का आपस म बँधे रहना


पहली बार दे खने पर यह मु ा आ म व ास दखाती ई लग सकती है, य क इसे अपनाने वाले
लोग अ सर मु कुरा रहे होते ह। एक बार हमने एक नेगो शएटर को कसी डील के नुकसान के
बारे म बात करते दे खा। अपनी कहानी बताते ए उसने न केवल हाथ को बाँध े रखने क मु ा
अपनाई, ब क उसक उँग लयाँ सफ़ेद पड़ने लगी और लगा क वे आपस म बुरी तरह से जुड़
गई ह। हाथ को कसकर बाँध े रखना एक संय मत, बेचैन या नकारा मक रवैया दखाता है। शाही
या ा और सावज नक जगह पर यह वीन ए लज़ाबेथ क य मु ा है और इस मु ा म
अ सर उनके हाथ अपनी गोद म होते ह।

ऊपर उठाकर हाथ को बाँधना हताशा दखाता है, चाहे वह मु कुरा ही य न


रहा हो

नेगो सएशन ए सपट नीरेनबग और कलेरो ारा हाथ को कसकर आपस म बाँध े रखने पर कए
गए शोध से पता चला क कसी नेगो सएशन के दौरान इ तेमाल क गई यह मु ा नराश भी
दखाती है और इससे संकेत मलता है क वह कोई नकारा मक या बेचैन रवैया छपाए
ए है। इसे अ सर उस ारा अपनाया गया, जो सरे को आ त करने म नाकाम रहा था
या जसे लग रहा था क वह नेगो सएशन म चूक रहा है।
इस मु ा क तीन थ तयाँ ह : चेहरे के सामने बँध े हाथ; डे क पर बँध े ए हाथ और
खड़े होने पर ॉच या ऊ सं ध पर बँध े हाथ।

बीच बीच बँध े हाथ


नीचे क ओर बँधे हाथ

जस ऊँचाई पर हाथ बाँध े गए ह और क हताशा के बीच संबंध को हमने दे खा और पाया


क शरीर के नचले ह से म बँध े हाथ के मुकाबले य द के हाथ ऊपर क ओर बँध े ए ह
( च दे ख) तो उससे नपटना यादा मु कल है। जैसा क सभी नकारा मक मु ा के मामले
म कया जाता है, इसम भी उस क उँग लय को अलग करने के लए कदम उठाने ह गे।
उसे कुछ पीने क पेशकश करनी चा हए या कोई चीज़ पकड़ने के लए कहना चा हए, नह तो
उनका नकारा मक रवैया ठ क वैसे ही बरकरार रहेगा, जैसे क बाँह मोड़े रखने क थ त म
होता है।

ट पल (मीनार)
अब तक हमने इस बात पर ज़ोर दया है क वा य म श द क तरह मु ाएँ समूह म होती ह और
जस थ त म आप उ ह दे ख रहे ह, उनक ा या उनके संदभ म क जानी चा हए। ट प लग
इन नयम का अपवाद हो सकती है, य क यह अलग-थलग होती है। एक हाथ क उँग लयाँ
सरे हाथ क उँग लय से मलकर चच क मीनार जैसी बनाती ह और कई बार कसी आईने म
मकड़ी ारा ऊपर उठने क तरह आगे-पीछे होती ह।
हमने पाया क ट पल का इ तेमाल व र और मातहत कमचा रय के बीच वहार म
कया जाता है और यह आ म व ास का संकेत दे ता है। व र लोग अ सर अपने मातहत
कमचा रय को नदश या सलाह दे ते ए इसका इ तेमाल करते ह और इसे आमतौर पर
अकाउंटट, वक ल और बंधक ारा अपनाया जाता है। आ म व ासी, े तर लोग अ सर
इस मु ा को अपनाते ह और इस तरह अपने आ म व ासी रवैय े को दखाते ह।
सही जवाब होने का आ म व ास

इस मु ा को अपनाने वाले लोग ई र क तरह दखने क को शश म कई बार इस ट पल या


मीनार को ाथना क मु ा म बदल दे त े ह। सामा यतया य द आप कसी को समझा-बुझा रहे ह
या सरे का व ास जीतना चाहते ह तो आपको इस मु ा से बचना चा हए, य क कई
बार इसे आ मसंतु या अहंकार के प म भी पढ़ा जाता है। य द आप आ म व ासी दखना
चाहते ह और चाहते ह क लोग समझ क आपके पास हर जवाब है, तो ट पल मु ा यह जताने
म आपक मदद कर सकती है।

रा प त शराक और जेरी ऐड स कई बार ई र क तरह दखाई दे त े है

शतरंज म जीत के लए ट प लग का इ तेमाल


ज़रा सो चए - आप शतरंज खेल रहे ह और अब मोहरे चलने क आपक बारी है। आप चेसबोड
पर अपना हाथ घुमाकर अपने मोहरे पर यह जताने के लए हाथ रखते ह क आप उसे चलने
वाले ह। फर आप दे खते ह क आपका वरोधी आराम से बैठकर ट पल मु ा अपना लेता है।
उसने बना कुछ कहे आपको बता दया है क आपक चाल को लेकर उसम भरोसा है, ऐसे म
आपक सबसे अ छ रणनी त यही होगी क आप वह चाल न चल। फर आप सरे मोहरे को
छू ते ह और दे खते ह क सरे खलाड़ी ने हाथ बाँध लए या फर अपनी बाँह मोड़ ली ह, यानी
उसे आपक भावी चाल पसंद नह - मतलब आपको वही चाल चलनी चा हए।
ट पल के दो प ह : रे ड या उठा आ ट पल, इसे तब अपनाया जाता है जब कोई
अपनी राय या वचार कर रहा हो या फर बातचीत कर रहा हो। सरा प है :
लोअड यानी नचला ट पल, जसका सामा यतया तब इ तेमाल होता है जब बोलने के
बजाय बात को सुन रहा हो।

लोअड ट पल

म हलाएँ रे ड ट पल के मुकाबले लोअड ट पल का यादा इ तेमाल करती ह। रे ड ट पल के


साथ य द का सर पीछे क ओर है, तो इससे वह अहंकारी या अ भमानी लगता है।
ट पल मु ा हालाँ क सकारा मक संकेत दे ती है, ले कन इसका इ तेमाल सकारा मक
या नकारा मक थ तय म कया जा सकता है और इसका ग़लत अथ लया जा सकता है।
उदाहरण के लए, मान ली जए क आप कसी के सामने कोई वचार रख रहे ह और आपने
दे खा है क खुली हथे लय , आगे झुकने, सर ऊँचा रखने, उसे हलाने जैसी मु ा के मा यम से
सामने वाला सकारा मक रवैया कर रहा है। अब आपके ेज़टे शन के आ ख़र म वह
ट पल मु ा अपना लेता है।
य द आपके ारा कसी सम या का समाधान बताए जाने के बाद ट पल के साथ अ य
सकारा मक मु ाएँ अपनाई जाती ह, तो हो सकता है क वह आपको ‘ऑडर लेन े के
लए’ हरी झंडी दखा दे । ले कन सरी ओर, अगर ट पल के बाद बाँह व टाँग मोड़ने, कह और
दे खने और चेहरे पर हाथ ले जाने जैस े नकारा मक संकेत दख तो हो सकता है क उस आदमी
को भरोसा हो क वह ‘हाँ’ नह कहेगा और वह आपसे छु टकारा पा सकता है। इन दोन ही
मामल म ट पल के ारा आ म व ास कया गया, ले कन एक के प रणाम सकारा मक
रहे और सरे के नकारा मक। ट पल से पहले क मु ाएँ भी प रणाम के लहाज़ से मह वपूण
होती ह।

सारांश
आपके हाथ हमेशा आपके आगे रहते ह और आपक भावना तथा रवैय े को दखाते ह। ब त
से शारी रक हावभाव को सीखना मु कल हो सकता है, ले कन हाथ क मु ा का अ यास
कया जा सकता है और बार-बार अ यास करके आप अपने हाथ क ग त व धय पर अ छा
नयं ण पा सकते ह। हाथ से जुड़ी मु ा को समझने के बारे म सीखकर आप अ धक
आ म व ासी दखगे, अ धक सफल महसूस करगे और शतरंज क यादा बा ज़याँ जीत पाएँग।े
फ़ेस लैटर (चेहरे को परोसना)
यह नकारा मक मु ा नह है - यह णय- नवेदन के समय इ तेमाल होने वाली सकारा मक मु ा
है। इसका इ तेमाल म हला और समल गक पु ष ारा अ धक कया जाता है, जो कसी
पु ष का यान अपनी ओर ख चना चाहते ह। म हला अपना एक हाथ सरे पर रखकर उस पर
अपना चेहरा पु ष के सामने उससे तारीफ़ पाने के लए ऐसे परोसती है, जैसे क वह कसी थाल
पर रखा हो।

चेहरे को परोसना - अपना चेहरा कसी पु ष ारा सराहे जाने हेत ु तुत करते ए

य द आप सचमुच या फर बस यू ँ ही ख़ुशामद का इ तेमाल करने जा रहे ह, तो यह मु ा


आपके ब त काम आ सकती है।

पीठ के पीछे हाथ बाँधना


ए डनबग के ूक और टश प रवार के अ य पु ष अपने सर को ऊँचा करके, ठोड़ी
नकालकर और अपने हाथ पीछे बाँधकर चलने के लए जाने जाते ह। नेता और शाही प रवार
के लोग म यह आदत आमतौर पर पाई जाती है और इसका इ तेमाल ग त लगा रहे
पु लसवाल , कूल म घूम रहे हेडमा टर, सेना के व र अ धका रय और भु वशाली लोग
ारा कया जाता है।
े तर- आ म व ासी मु ा का अ और पृ भाग

इस मु ा से जुड़े भाव ह- े ता, आ म व ास और स ा। इसम अपने पेट,


दय, ॉच (ऊ सं ध) और गले को नडरता क अवचेतन या के प म सामने करता है।
हमारा अनुभव बताता है क अख़बार के रपोटर ारा इंटर ू लए जाने या ड ट ट के यहाँ
सजरी का इंतज़ार करते ए जैसी तनावपूण थ तय म अगर आप इस मु ा को अपनाते ह, तो
कारण और भाव के प रणाम व प आप आ म व ास महसूस करने लगगे।
पु लस अ धका रय के साथ अपने काम के दौरान हमने पाया क ह थयार न रखने वाले
अफ़सर नय मत प से इस मु ा का इ तेमाल करते ह और ऊँचा दखने के लए ए ड़य के बल
खड़े होकर आगे-पीछे होते ह। ह थयारबंद पु लस अफ़सर इस मु ा को कभी-कभार ही अपनाते
ह और उनक बाँह अपनी सामा य थ त म रहती ह या फर उनके अँगठ ू े बे ट म ठूँ से रहते ह।
ह थयार के कारण पु लसवाले ख़ुद को सश मानते ह और उ ह पीठ पीछे अपनी हथे लयाँ
बाँधकर स ा क थ त दखाने क ज़ रत नह पड़ती।
कलाई को पकड़ने क मु ा हथेली बाँधने क मु ा से अलग भाव द शत करती है। यह
हताशा और वयं पर नयं ण करने का संकेत है। एक हाथ से सरे हाथ क कलाई को पीठ
पीछे कसकर पकड़ा जाता है, जैसे क एक बाँह सरी को हमला करने से रोक रही हो।

कलाई को कसकर पकड़ने क मु ा

कोई एक हाथ से सरी बाँह को जतनी अ धक ऊँचाई पर पकड़ेगा, वह उतना ही हताश


या ो धत होगा। अगले च म दखाया गया पछले च क तुलना म अ धक
आ म नयं ण दखा रहा है, य क उसके हाथ ने कलाई को नह ऊपरी बाँह को पकड़ा है। इसी
मु ा से ‘ वयं पर अ छ पकड़ रखने’ के भाव क उ प ई है।
ऊपरी बाँह को पकड़ना

पीठ के पीछे कलाई और बाँह बाँधने क मु ा अ सर अदालत के बाहर वरोधी प आमने-


सामने होने पर, कसी ाहक के रसे शन ए रया म खड़े से सक मय म और डॉ टर का इंतज़ार
कर रहे मरीज़ म दखाई पड़ती है। यह घबराहट या आ म नयं ण को छपाने क को शश है
और अगर आप ख़ुद को ऐसा करते ए पाते ह तो ऊपरी बाँह पकड़ने के बजाय अपनी हथे लय
को आपस म जोड़ ल, इससे आपको अ धक आ म व ास महसूस होगा और थ त अपने
नयं ण म लगेगी।

अँगूठे का दशन
जैसा क पहले बताया जा चुका है, अँगठ ू ा े ता दखाता है। ह तरेखा शा म अँगठ ू ा च र
क मज़बूती व अहंकार का त न ध व करता है और इससे जुड़े शारी रक हावभाव भी आ म-
मह व के रवैय े को दखाते ह। अँगठू का इ तेमाल भु व, ढ़ आ ह या कभी-कभी आ ामक
रवैया दखाने के लए कया जाता है। अँगठ ू े से जुड़ी मु ाएँ गौण होती ह और अ सर कसी
समूह का ह सा होती ह। अँगठ ू ा सकारा मक संकेत दखाता है और अ सर ‘कूल’ या
आ म व ासी इसे अपनाता है, जो अपनी े ता जताने के लए ऐसा करता है। कोई
कसी ऐसी म हला के सामने बाहर क ओर नकले अँगठ ू े क मु ा अपनाएगा, जसक
ओर वह आक षत हो। ऊँचे दज के कपड़े पहने भी अपने अँगठ ू े दशाते ह। ऐसा ब त कम
होगा क आप कसी सड़कछाप जैसे नचले दज के को यह मु ा अपनाते दे ख।
वे टकोट म अँगठ
ू े ठूँ सना

अँगठ
ू ा दशाने वाले अ सर ऊँचाई का आभास दे न े के लए अपनी ए ड़य के बल खड़े
होकर आगे-पीछे होते ह।

कोट क जेब से अँगूठे का नकलना

कोट क जेब से नकले अँगठ


ू े का दशन करते स चा स

यह मु ा आमतौर पर उन लोग ारा अपनाई जाती है, जो ख़ुद को और से े तर थ त म


समझते ह। यह स चा स क नय मत मु ा म से एक है और उनके ारा नयं ण महसूस
कए जाने क थ त को दशाती है। अपने ऑ फ़स म चहलकदमी करते ए बॉस इस मु ा को
अपना सकता है। और उसक अनुप थ त म उसके बाद के म का इस मु ा का
इ तेमाल कर सकता है। कोई भी मातहत कमचारी अपने बॉस क उप थ त म ऐसा करने का
साहस नह करेगा।
अँगठ
ू े का दशन तब काफ़ प हो जाता है, जब शा दक तौर पर
वरोधाभासी बात कह रहा हो। उदाहरण के लए, जब कोई वक ल अपने अँगठ ू े बाहर क ओर
नकालकर और सर पीछे क ओर करके यूरी क ओर मुख़ा तब होकर ब त कोमल, धीमी
आवाज़ म कहता है, ‘दे वय और स जन , मेरी वन राय म...’ तो दरअसल वह अपना
अहंकारी रवैया दखा रहा होता है।
वन ता का दखावा करता एक वक ल

इससे यूरी को लग सकता है क वक ल दखावा कर रहा है। य द वक ल सचमुच वन दखना


चाहता है तो उसे अपना कोट खुला रखना चा हए, हथे लयाँ सामने रखनी चा हए और आगे क
ओर झुककर छोटा दखने क को शश करनी चा हए।

आप एक समझदार, ईमानदार इंसान लग रहे ह,’ वक ल ने आ मतु


ढं ग से कहा। ‘म भी बदले म आपक तारीफ़ करना चा ँगा सर,
ले कन मने सच बोलने क कसम खाई है,’ गवाह बोला।

कई बार अँगठ
ू े पीछे क जेब से भी बाहर नकलते ह ( च दे खए), जैसे क वह अपने
भु वशाली रवैय े को छपाने क को शश कर रहा हो। 1960 के दशक तक म हला को अँगठ ू े
द शत करते ब त कम दे खा जाता था, उसके बाद से उ ह ने पट पहनना और समाज म यादा
सश भू मकाएँ नभाना शु कया।

अँगठ
ू े का दशन आ म व ासी और ताकतभरा रवैया दखाता है

बाँह मोड़कर अँगठ


ू े ऊपर क ओर करना एक अ य सामा य अँगठ
ू े से जुड़ा समूह है। यह दोहरा
संकेत है और र ा मक या नकारा मक रवैय े (मोड़ी ई बाँह ) के साथ अँगठ ू े के ारा वयं को
े तर समझने का रवैया भी दशाता है। इस समूह को अपनाने वाला अ सर बात करते
ए अपने अंगठ ू से संकेत दे ता है और एड़ी के बल खड़े होकर आगे-पीछे होता है।

बाक लोग से कटा आ, ले कन वयं को े समझने का भाव

कसी सरे को अँगठ ू ा दखाकर उसका इ तेमाल कसी का मज़ाक उड़ाने या अपमान
करने के संकेत के प म भी कया जा सकता है। उदाहरण के लए, अपने दो त पर टका आ
कोई आदमी अँगठ ू े से अपनी प नी क ओर इशारा करके ‘यह हमेशा सर खाती है’, कहकर
उससे झगड़ा मोल लेता है। इस मामले म हलता आ अँगठ ू ा उसका मज़ाक उड़ाने म इ तेमाल
हो रहा है। प रणाम व प अँगठ ू े से इशारा करना अ धकतर म हला को ब त खजाने वाला
लगता है, ख़ासकर जब कोई पु ष ऐसा करता है। अँगठ ू ा हलाने क मु ा म हला म आम नह
है, ले कन कई बार वे इसका इ तेमाल उन लोग क ओर इशारा करने म करती ह, ज ह वे पसंद
नह करत ।

‘वह हमेशा मेरा सर खाती है।’

सारांश
अँगठ
ू का इ तेमाल ताकत और स ा के संकेत के प म हज़ार साल से कया जाता रहा है।
रोमन काल म ऊपर या नीचे क ओर कए गए अँगठ ू े से कसी लै डएटर क जदगी या मौत तय
होती थी बना कसी श ण के भी लोग सहजबोध से अँगठ ू े के संकेत को समझकर उनका
अथ नकाल लेत े ह। अब आप न केवल अँगठ
ू े के संकेत को समझ सकते ह, ब क उनके
इ तेमाल के लए वयं को श त कर सकते ह।
अ याय 7

मू याँकन और छल–कपट क
मु ाएँ

हाथ –व–चेहरे के संकेत को समझना

ड यूरी के सामने बल लंटन–


आपके मुता बक वे या सोच रहे ह ?

य द आप हर मलने–जुलने वाले इंसान से केवल सच बोलगे तो नतीजा या होगा ? अगर आप


वही बोल, जो आप सोच रहे ह तो उसके या प रणाम ह गे ? उदाहरण के लए :
अपने बॉस से : ‘गुड मॉ नग बॉस – तभाहीन का हल।’
म हला ाहक से एक पु ष : ‘ बज़नेस के लए शु या, सूज़न। म आपको
बताना चाहता ँ क आपका व कतना पु है।’
अपने पड़ोसी से म हला : ‘सामान उठाने म मदद करने का शु या। आपके
नत ब मज़बूत ह, ले कन आपके इतने ख़राब बाल कौन काटता है?’
अपनी सास से : ‘ फर से मलकर अ छा लगा – दख़लअंदाज़ी करने वाली
नकारा मक बु ढ़या।’
जब कोई म हला पूछती है, ‘ या इसम म मोट लग रही ँ ?’ तो आपका जवाब या होता है ?
अगर आप पु ष ह तो आप जानते ह क आपके लए या बेहतर होगा, आप कहगे, वह अ छ
लग रही है ले कन हो सकता है क आप सोच रहे ह , ‘उस ेस क वजह से तुम मोट नह लग
रही हो – जो केक और आइस म तुम खाती हो, उससे तुम मोट हो गई हो।’
अगर आप हर व त कसी से सच बोलगे तो आप न केवल अकेले रह जाएँग,े ब क हो
सकता है क आप हॉ पटल या जेल प ँच जाएँ। झूठ उस तेल क तरह है, जो लोग से हमारे
बताव को चकना बनाता है और दो ताना सामा जक र ते बनाने म हमारी मदद करता है। इ ह
सफ़ेद झूठ कहा जाता है, य क इनका मकसद सरे इंसान को कड़वा और ू र सच बताने के
बजाय अ छा महसूस कराना है। शोध से पता चलता है क सामा जक तौर पर झूठ बोलने वाला
इंसान उन लोग के मुकाबले यादा लोक य होता है, जो लगातार सच बोलते ह, मज़ेदार बात
यह है क हम मालूम रहता है क लोक य झूठ बोल रहा है। भावनापूण झूठ इनसे
अलग होते ह, य क इ ह बोलने वाला अपने नजी हत के लए सर को धोखा दे ता है।

झूठ पर शोध
श द से झूठ पकड़ना मु कल है, य क इन पर इंसान का पूरा काबू होता है और वह बार–बार
अपने झूठ का अ यास कर सकता है। झूठ पकड़ने के व सनीय सुराग कसी क मु ाएँ
हो सकती ह, य क उ ह वह वतः अपनाता है और उन पर उसका नयं ण नह होता। झूठ
बोलने के दौरान ये हावभाव ज़ा हर हो सकते ह, य क झूठे इंसान के लए भावना मक तौर पर
वे ब त अहम होते ह।
ऐमह ट म मैसाचुसेट्स यू नव सट म रॉबट फ़े डमैन ने कसी तीसरे से बात
करते ए 121 जोड़ का अ ययन कया। एक– तहाई लोग को कहा गया क वे पसंद आने
लायक लग, अ य एक– तहाई को कहा गया क वे अपने काम म बेजोड़ लग और अ य लोग से
कहा गया क वे अपने सहज प म रह। बाद म सभी लोग को अपना वी डयो दे खने को कहा
गया और बातचीत के दौरान कहे गए छोटे –मोटे या फर बड़े झूठ को पहचानने के लए कहा
गया। कुछ तो कोरे झूठ थे, जैस े क नापसंद इंसान को पसंद करने क बात कहना, जब क कुछ
झूठ कसी रॉकबड का टार होने क बात कहने जैस े ब त बड़े थे। कुल मलाकर फे डमैन ने
पाया क अ ययन म भाग लेने वाले 62 तशत लोग ने हर दस मनट पर औसतन दो से तीन
झूठ बोले थे। द डे अमे रका टो ड द टथ के लेखक जे स पैटरसन ने 2006 से यादा
अमरी कय का इंटर ू लया और पाया क उनम से 91 तशत घर और द तर, दोन जगह
नय मत प से झूठ बोलते थे।

‘सच बोलना हमेशा ही सबसे अ छ नी त है, बशत आप


झूठ बोलने म मा हर ह ’।
जे. के. जेरोम

तो आप कैसे बता सकते ह क कोई झूठ बोल रहा है, टालमटोल कर रहा है या फर बस बात पर
वचार कर रहा है ? धोखे, टालमटोल, ऊब और मू याँकन मु ाएँ कुछ सबसे अ छे अवलोकन
कौशल हो सकते ह, ज ह आप सीख सकते ह। इस अ याय म आप उन बॉडी ल वेज संकेत के
बारे म सीखगे जो लोग क पोल खोल दे त े ह। पहले भाग म हम झूठ और छल के बारे म जानगे।

तीन समझदार बंदर


ये तीन बंदर बुरा न सुनने, बुरा न दे खने और बुरा न बोलने का तीक ह। उनक चेहरे पर हाथ
रखने क साधारण सी मु ाएँ इंसान के छलकपट के हावभाव का आधार ह। सरल श द म कह
तो जब हम झूठ दे खते, बोलते या सुनते ह, तो हम अपने मुँह, आंख या कान को अपने हाथ से
ढकने क को शश करते ह।

बुरा मत सुनो, बुरा मत दे खो बुरा मत बोलो

बुरी ख़बर सुनने पर या कोई भयावह घटना दे खने पर अ सर लोग अपने हाथ से पूरा चेहरा
ढक लेत े ह, ता क तीका मक तौर पर वे बुरी खबर को सुनने या दे खने से बच जाएँ। 11 सतंबर
2001 को ट् वन टावर पर वमान के टकराने क ख़बर सुनकर नयाभर म लोग ने यही मु ा
अपनाई थी।
जैसा क हम पहले भी बता चुके ह, झूठ बोलने पर ब चे अ सर अपने हाथ चेहरे पर ले
जाते ह। झूठ बोलने पर कोई ब चा झूठ को मुँह से नकलने से बचाने के लए अ सर अपने एक
या दोन हाथ से अपने मुँह को ढक लेता है। अगर वह मां–बाप क डांट नह सुनना चाहता, तो
वह आवाज़ से बचने के लए अपने हाथ से कान को ढक लेता है। अगर उसे ऐसा कुछ दखता
है, जो वह दे खना नह चाहता तो वह अपने हाथ या बाजू से अपनी आंख ढक लेता है। बड़ा होने
पर चेहरे पर हाथ ले जाने क मु ा यादा तेज़ और कम प हो जाती है, ले कन फर भी झूठ
बोलने, उस पर पदा डालने या छलकपट दे खने के दौरान इसे अपनाया जाता है।
ये मु ाएँ संदेह, अ न तता या अ तशयो से भी जुड़ी ह। डेसमंड मॉ रस ने एक शोध
कया, जसम उ ह ने एक बनावट थ त म नुस को अपने मरीज़ से उनक सेहत के बारे म
झूठ बोलने को कहा। झूठ बोलने वाली नस सच बोलने वाली नस के मुकाबले कई बार अपने
हाथ को चेहरे पर ले गई। झूठ बोलते समय ी–पु ष बार–बार थूक गटकते ह, ले कन पु ष
क यह हरकत उनके बड़े कंठ के कारण प तौर पर दखाई दे ती है।

‘उस म हला से मेर े शारी रक संबंध नह थे,’थूक गटककर


अपनी नाक रगड़ते ए उस नेता ने कहा।

जैसा क कताब क शु आत म कहा गया था, हम मु ा को अलग करके दे खगे और हर एक


पर चचा करगे, ले कन अ सर ऐसा नह होता। वे बड़े मु ा समूह का ह सा होती ह और उ ह
ठ क वैस े ही पढ़ा जाना चा हए जैस े क कसी वा य म हम श द को पढ़ते ह, यानी हर श द
सरे श द के साथ ासं गक होता है और उ ह कसी बड़े संदभ म बोला जाता है। अगर कोई
अपने हाथ को मुँह तक ले जाता है, तो इसका हमेशा यह मतलब नह क वह झूठ बोल
रहा है। यह इस बात का संकेत ज़ र है क वह इंसान कोई बात छपा रहा है और फर यान से
मु ा समूह का अवलोकन करने पर आपके संदेह सही या गलत सा बत हो सकते ह। ज़ री यह
है क चेहरे पर हाथ ले जाने क केवल एक मु ा से कोई अथ नकालने से आपको बचना
चा हए।
कोई एक न त ग त व ध, चेहरे का भाव या फड़कन यह पु नह कर सकती क
कोई झूठ बोल रहा है, आप कई समूह क पहचान करना सीख सकते ह, जससे कसी झूठ को
पकड़ने क आपक मता ब त बढ़ जाएगी।

चेहरा कैसे झूठ बयाँ करता है


शरीर के कसी अ य अंग क तुलना म झूठ छपाने के लए चेहरे का सबसे यादा इ तेमाल
कया जाता है। मु कुराकर, सर हलाकर और आँख झपकाकर हम झूठ छपाने क को शश
करते ह, ले कन बद क मती से हमारे शारी रक संकेत सच बता दे त े ह और हमारी शारी रक
मु ा और चेहरे के हावभाव के बीच तालमेल क कमी हो जाती है। हमारा रवैया और ज बात
लगातार हमारे चेहरे पर उभरते रहते ह और हम अ धकतर समय इस बात से अनजान रहते ह।

चेहरे पर आया णक असामंज य हमारी भावना के


वरोधाभास को सामने ले आता है।

जब हम कसी झूठ को छपाने क को शश करते ह या कोई खयाल हमारे दमाग म आता है तो


वह ण भर के लए हमारे चेहरे पर दख सकता है। हम अ सर कसी के नाक छू ने को खुजली
के प म लेते ह या फर कसी के चेहरे पर हाथ टकाने को अपने त उनक गहरी दलच पी
के प म समझते ह, ऐसे म हम सोच भी नह पाते क हो सकता है क वह इंसान हमसे ऊब
रहा हो। उदाहरण के लए, हमने एक आदमी को यह बताते ए फ माया क कस तरह अपनी
सास के साथ उसक अ छ नभती है। हर बार अपनी सास का ज़ करते ए उस के
चेहरे का बायाँ ह सा उभरा और उस पर एक उपहास का भाव आया, जो कुछ ही पल के लए
रहा, ले कन उसने असली बात को ज़ा हर कर दया।

म हलाएं सबसे अ छ तरह झूठ बोलती ह और यही सच है


वाय मेन लाय ड वमेन ाय (ओरायन) म हमने दखाया क कैसे म हलाएँ भावना को पढ़ने
म बेहतर होती ह और इस लए उपयु झूठ बोलकर कुशलतापूवक काम नकाल लेती ह। यह
खा सयत छोट लड़ कय म दखाई दे ती है, जो अ य शशु से सहानुभू त दखाते ए रोती ह
और फर जानबूझकर आँसू बहाकर सरे ब च को भी रोने पर मजबूर करती ह। माइंडरी डग
क ले खका संजीदा ओकॉनेल ने पांच महीने तक यह अ ययन कया क हम कैसे झूठ बोलते ह
और यह पाया क पु ष क तुलना म म हलाएँ बेहतर झूठ बोल सकती ह। उ ह ने पाया क
म हलाएँ अ धक ज टल झूठ बोलती ह, जब क पु ष साधारण से झूठ जैस े क ‘मेरी बस छू ट
गई’ या ‘मेर े मोबाइल फ़ोन क बैटरी चा ड नह थी, इस लए फोन नह कर पाया’, बोलते ह।
उ ह ने यह भी पाया क अनाकषक लोग के झूठ के मुकाबले आकषक लोग के झूठ पर यादा
भरोसा कया जाता है, जससे पता चलता है क जॉन एफ़ कैनेडी और बल लंटन जैसे नेता
सब कुछ करके भी कैसे बच नकलते ह।

झूठ बोलना मु कल य है
जैसा क हमने अ याय 3 म कहा क अ धकतर लोग का मानना है क झूठ बोलते ए लोग
सामा य से यादा मु कुराते ह, जब क शोध से इसके उलट प रणाम मले ह क वे लोग कम
मु कुराते ह। झूठ बोलने के साथ मु कल यह है क अवचेतन म त क वत: काम करता है, जो
हमारे शा दक झूठ से अलग काम करता है और हमारे शारी रक हावभाव से हमारी चोरी पकड़ी
जाती है। यही कारण है क कम झूठ बोलने वाले लोग ब त व सनीय ढं ग से झूठ बोलने के
बावजूद आसानी से पकड़े जाते ह। उनके झूठ बोलते ही उनका शरीर वरोधाभासी संकेत भेजने
लगता है और उससे हम जान जाते ह क वे सच नह बोल रहे ह। झूठ के दौरान अवचेतन
म त क नवस ऊजा भेजता है, जो ऐसी मु ा के प म सामने आती है जो कही गई बात के
वपरीत काम करती है। राजनी त , वक ल, कलाकार और ट वी अनाउंसर जैसे पेशेवर झूठ
बोलने वाले लोग ने अपनी बॉडी ल वेज को इतना प र कृत कर लया है क उनके झूठ को
‘दे खना‘मु कल हो जाता है और लोग उनके झाँस े म आ जाते ह।
वे इसे इनम से कसी एक तरीके से करते ह। पहला, वे झूठ बोलते समय सही ‘महसूस’
होने वाली मु ा का अ यास करते ह, ले कन यह तभी कारगर होता है जब उ ह ने लंबे समय
तक ब त सारे झूठ बोलने का अ यास कर लया हो। सरा, झूठ बोलते समय वे मु ा या
शारी रक हावभाव को कम कर दे त े ह, ता क कसी सकारा मक या नकारा मक मु ा का
इ तेमाल न हो। यह करना ब त मु कल होता है।

अ यास करके झूठे लोग कलाकार क तरह व सनीय


बन सकते ह।

इस साधारण से टे ट को आज़माएँ – जानबूझकर कसी के मुँह पर झूठ बोल और सभी


शारी रक मु ा को दबाने का चेतन यास कर। आपके मुख हावभाव को दबाने के बावजूद
ब त से सू म हावभाव तब भी कट ह गे। इनम चेहरे क मांसपे शय क फड़कन, पुत लय का
फैलना – सकुड़ना , पसीना आना, गाल का लाल होना, आँख झपकने क दर त मनट 10
के मुकाबले 50 हो जाना और छल करने वाले अ य सू म संकेत शा मल ह। लो–मोशन
कैमरे के इ तेमाल से पता चलता है क ये सू म संकेत एक सेकड के छोटे से ह से म होते ह
और ोफ़ेशनल इंटर ूअस, से सकम और ब त जानकार लोग ही इ ह पकड़ पाते ह।
यह प है क सफलतापूवक झूठ बोलने के लए या तो आपका शरीर छपा रहे या
कसी क नज़र म न आए। कसी से पूछताछ करने के लए उसे हमेशा खुल े म या लाइट् स के
नीचे कुस पर बैठाया जाता है, ता क पूछताछ करने वाल को उसका समूचा शरीर सामने दखाई
दे । ऐसे हालात म झूठ पकड़ना आसान हो जाता है। डे क के पीछे बैठने पर झूठ बोलना यादा
आसान होता है, य क आपका शरीर आं शक प से छपा होता है, उसी तरह चारद वारी से
झाँकते ए या बंद दरवाज़े के पीछे से झूठ बोलना आसान होता है। झूठ बोलने के लए सबसे
अ छा तरीका टे लीफ़ोन पर बात करना या ईमेल भेजना है।

झूठ बोलने क सबसे आम आठ मु ाएँ

1. मुँह ढकना
छलकपट भरे श द को बाहर आने से रोकने के लए अवचेतन प से म त क हाथ को मुँह पर
ले जाने का नदश दे ता है। कई बार केवल कुछ उंग लय या मु को मुह
ँ पर ले जाया जाता है,
ले कन उसका मतलब वही रहता है।

मुँह ढकना

कुछ लोग मुँह को ढकने क मु ा को छपाने के लए नकली खाँसी खाँसते ह। कसी


गग टर या अपराधी क भू मका नभाते ए कलाकार अ सर अ य अपरा धय से आपरा धक
ग त व धय पर बातचीत करते ए या पु लस ारा पूछताछ कए जाने पर यही मु ा अपनाते ह,
ता क दशक को उनके ारा कोई बात छपाने या उनक बेईमानी का अंदाज़ा हो जाए।
अगर कोई इंसान बात करते ए इस मु ा को अपनाता है, तो हो सकता है क वह झूठ
बोल रहा हो। अगर आपक बात के दौरान वह अपना मुँह ढकता है तो इसका मतलब है क हो
सकता है क वह सोच रहा है क आप कुछ छपा रहे ह। कसी व ा के लए यह सबसे परेशान
करने वाला नज़ारा हो सकता है, जब वह दे खता है क उसके ले चर के दौरान ोता यह मु ा
अपना रहे ह। ऐसे म व ा को ककर पूछना चा हए, ‘ या आप कोई सवाल पूछना चाहते ह ?’
या ‘म दे ख रहा ँ क कुछ लोग असहमत ह। तो अब सवाल को लेत े ह।‘इससे ोता क
आप य को खुल े म ज़ा हर होने का मौका मलता है, व ा को बात प करने और सवाल
का जवाब दे न े का मौका मलता है। यह थ त ठ क वैसी है, जब ोता बाँह को बाँधकर बैठे
होते ह।
मुँह ढकना ह ठ पर उँगली रखकर ‘ श’ कहने जैसी ब त सीधी–साद मु ा लग
सकती है, जसका इ तेमाल माता– पता ारा अ सर ब चे को चुप कराने के लए कया जाता
है। बड़े होने पर अपनी स ची भावनाएँ होने से बचाने के लए वह इस मु ा को
अपना सकता है। यह मु ा कसी गु त बात को छपाए रखने के त आपको सचेत करती है।

य द आपके माता– पता या दे खभाल करने वाल ने आपके बचपन म यह मु ा अपनाई


थी, तो इस बात क संभावना है क यह आपके हावभाव का ह सा बन गई हो

2. नाक छू ना
इसम नाक के नीचे कई बार हाथ रगड़ा जाता है या फर इसे इतनी तेज़ी से कया जाता है क
यह नजर म नह आता। पु ष के मुकाबले म हलाएँ इसे धीरे करती ह, शायद वे अपना मेकअप
खराब नह करना चाहत ।

नाक छू ना

यह याद रखना ज़ री है क इस तरह क ग त व ध को समूह म और संदभ म समझा


जाना चा हए। हो सकता है क यह मु ा अपनाने वाले कसी इंसान को जुकाम या बुखार हो।
शकागो के मेल ड टे ट टमट ड रसच टमट फ़ाउंडेशन के वै ा नक ने पाया
क जब आप झूठ बोलते ह तो कैटे कोलामाइ स नामक रसायन नकलते ह और नाक के अंदर
मौजूद ऊतक फूल जाते ह। पेशल इमे जग कैमर का इ तेमाल करते ए उ ह ने शरीर म होते
र संचार को दखाया और बताया क कस तरह जानबूझकर झूठ बोलने से र चाप बढ़ जाता
है। यह टे नॉलोजी बताती है क झूठ बोलने के दौरान कैसे खून के दौरे से असल म इंसानी नाक
फूल जाती है, इसे ‘ पनो कयो इफे ट‘कहा जाता है। बढ़ा आ र चाप नाक को फैला दे ता है
और नाक क नस म सहरन होने लगती है, नतीजनतन उस ‘खुजली‘से छु टाकारा पाने के लए
हाथ से नाक को रगड़ा जाता है।
आप आँख से इस सूजन को नह दे ख सकते, ले कन नाक को छू ने क मु ा का यही
कारण लगता है। कसी इंसान के परेशान होने, बेचैन या गु सा होने पर भी ऐसा ही होता है।
अमे रक यूरोलॉ ज ट ऐलन हश और मनोवै ा नक चा स वु फ़ ने मो नका लव क
के साथ संबंध को लेकर ड यूरी के सामने बल लंटन क गवाही का गहरा व ेषण कया
और पाया क सच बोलने पर उ ह ने अपनी नाक को नह छु आ। झूठ बोलने पर पल भर के लए
उनक यो रयाँ चढ़ और हर चार मनट म उ ह ने, अपनी नाक को छु आ, कुल मलाकर,
जसक सं या 26 थी।

‘मेरे उस म हला के साथ शारी रक संब ध नह थे।’

बॉडी इमे जग कैमर क मदद से ए अ ययन से पता चला है क कसी पु ष ारा झूठ
बोले जाने पर खून का दौरा बढ़ जाने पर उसका श भी फूल जाता है। शायद ड यूरी को
बल क पतलून उतारकर दे खनी चा हए थी।
ड यूरी ॉ स यूटर : ‘ म. लंटन – चकन (चूज)े ने सड़क पार य क ?’
बल लंटन : ‘ चकन से आपका या मतलब है? या आप उसक प रभाषा
दे सकते ह ? मने उस चकन के साथ सड़क पार नह क ।’

3. नाक खुजलाना
नाक पर हो रही खुजली को रगड़कर या खर चकर र कया जा सकता है, जो क हौले से नाक
को छू ने से काफ़ अलग होता है। मुँह ढकने क तरह नाक छू ने का इ तेमाल व ा ारा अपने
छल को छपाने और ोता ारा व ा के श द के त अ व ास करने के लए कया जा
सकता है। खुजली बार–बार क जाती है और कसी क पूरी बात से उसका कोई तालमेल
नह होता और उसका कोई संदभ भी नह होता।

4.आँख रगड़ना
‘बुरा मत दे खो,’ एक समझदार बंदर ने कहा। जब कोई ब चा कोई चीज़ नह दे खना
चाहता तो वह एक या दोन हाथ से अपनी आँख छपा लेता है। जब कोई बड़ा ऐसा नह
करना चाहता तो वह अपनी आँख मसलता है। आँख मसलकर म त क छल, संदेह या
अ चकर चीज़ को र रखने क को शश करता है या जस से झूठ बोला जा रहा है, उसे
दे खने से बचने क को शश करता है। पु ष अ सर ब त ज़ोर से आँख मसलते ह और बड़ा झूठ
होने पर कह और दे खने लगते ह। म हला ारा ऐसा कए जाने क संभावना कम होती है,
य क उनक परव रश के दौरान उ ह सखाया जाता है क उ ह भारी–भरकम मु ाएँ नह
अपनानी चा हए या फर अपने मेकअप को खराब होने से बचाने के लए वे आँख को कम
मसलती ह। ोता क नज़र से बचने के लए वे और कह दे खती ह।

आँख रगड़ना

‘लाइंग ू योअर ट थ’ यानी साफ़ झूठ बोलना एक आम कहावत है। यह ऐसे मु ा समूह
क ओर इशारा करती है, जसम दाँत भ चकर नकली मु कान के साथ आँख को मसला जाता
है। फ मी कलाकार इस मु ा का इ तेमाल बेईमानी का भाव दखाने के लए करते ह और
इं लश जैसी कुछ ‘ श ’ सं कृ तय म इसका इ तेमाल यह जताने के लए कया जाता है क
जो कुछ सोच रहा है, उसे आपको नह बताना चाहता।

5. कान पकड़ना
मान ली जए क आप कसी से कह रहे ह, ‘इसक क मत सफ़ 300 पाउंड ह’ और वह
अपने कान पकड़ते ए कह और दे खते ए आपसे कहता है, ‘मेरे हसाब से यह ब ढ़या सौदा
है।’ यह सुनने वाले ारा ‘बुरा मत सुनो’ का तीका मक यास है। वह अपने कान पर या उसके
आसपास हाथ रख कर या कान क लव को छू कर सुने गए श द को रोकने क को शश करता
है। यह कसी ब चे ारा माँ–बाप क फटकार सुनने से बचने के लए दोन हाथ को कान पर
रखने का बड़ ारा इ तेमाल का एक व प है। कान पकड़ने के अ य प ह, कान के पीछे
हाथ रगड़ना, उँगली के छोर को कान म डालकर आगे–पीछे करना, लव को ख चना या समूचे
कान को आगे लाकर कान के छे द को बंद करना।

“म यह नह सुनना चाहता”

कान पकड़ना यह संकेत भी दे सकता है क वह बात सुनते ए उकता चुका है


और खुद बोलना चाहता है। नाक छू ने क तरह कान छू ने क मु ा का इ तेमाल करने वाला
इंसान बेचैन हो सकता है। लोग से भरे कमरे म घुसते ए या भीड़ के सामने से गुज़रते ए स
चा स अ सर नाक–कान छू ने क मु ा अपनाते ह। इससे उनक बेचैनी ज़ा हर होती है और
हमने उ ह अपनी कार के सुर त माहौल म बैठे ए ऐसा करते कभी नह दे खा।
इटली म कान पकड़ने का मतलब यह संकेत दे ना है क कोई य जैसा या
समल गक है।

6. गला खुजलाना
अ सर लखने वाले हाथ क तजनी से कान क लव के नीचे गदन को खुजलाया जाता है।
हमारे अ ययन के मुता बक एक औसतन पाँच बार ऐसा करता है। ऐसा ब त कम होता है
क पाँच से यादा बार या इससे कम बार ऐसा कया जाए। यह मु ा संदेह या अ न तता का
संकेत है और यह ऐसे इंसान का ल ण है, जो कहता है, ‘म प का नह सकता क म सहमत
ँ।’ श द के वरोधाभास से यह मु ा ब त प दखाई दे ती है, उदाहरण के लए, अगर कोई
गदन खुजलाते ए कह रहा हो, ‘म समझ सकता ँ क तुम कैसा महसूस कर रहे हो’ तो यही
संकेत मलता है क वह सचमुच आपक थ त नह समझता।
अ न तता दखाना

7. कॉलर ख चना
डेसमंड मॉ रस ने पहली बार यह खोज क क झूठ बोलने से चेहरे और गदन के कोमल ऊतक
म सहरन होती है और उसे रगड़ने या खुजलाने क ज़ रत पड़ती है। यह न केवल उन लोग के
लए सही है, जो अ न तता म अपनी गदन खुजलाते ह, ब क यह इस बात का प ीकरण भी
है क कुछ लोग झूठ बोलने पर और यह संदेह होने पर क वे पकड़े गए ह, अपना कॉलर य
ख चते ह। जब झूठ बोलने वाले को लगता है क आपको संदेह है क वह सच नह बोल रहा, तो
छल से बढ़े र चाप के कारण उसक गदन पर पसीना आता है।

कॉलर के नीचे गम

महसूस होना

गु सा आने या हताशा महसूस होने पर भी ऐसा ही होता है और वह इंसान अपनी गदन


पर ठं डक महसूस करने के लए अपने कॉलर को गदन से र ख चता है। अगर आप कसी को
ऐसी मु ा अपनाते दे ख तो उनसे पूछ, ‘ या आप उस बात को दोहरा सकते ह ?’ या ‘ या उस
बात को आप फर से प कर दगे ?’ इससे झूठ बोलने वाले क पोल खुल जाएगी।

8.मुँह म उँगली डालना


यह कसी ारा माँ का ध पीने क सुर ा मक अव था म लौटने क अवचेतन को शश है
और कसी दबाव क थ त म ऐसा कया जाता है। एक छोटा ब चा माँ क छाती के बजाय
अपने अँगठ
ू े या कंबल को सहारा बनाता है, जब क एक बड़ा अपनी उँग लय को मुँह म
डालकर सगरेट, पाइप, पेन, गलास या यूइंग गम को चूसता है। हाथ को मुँह तक ले जाने क
अ धकतर मु ा को झूठ या धोखे से जोड़ा जा सकता है, ले कन मुँह म उँगली डालने क मु ा
आ त क भीतरी ज़ रत क बाहरी अ भ है, इस लए उस को गांरट और
आ ासन दे ना एक सकारा मक कदम हो सकता है।

यहाँ आ त क आव यकता है।

मू याँकन और टालमटोल क मु ाएँ


एक अ छा व ा वही होता है जो कह भीतर से जानता है क कब ोता उसक बात म
दलच पी रहे ह और कब वे उससे ऊब रहे ह। एक अ छा से सपसन महसूस कर लेता है क
कब उसने अपने ाहक क सही न ज़ पकड़ी है और उसक दलच पी को जान लया है। हर
ेजटर उस ख़ालीपन के एहसास को जानता है, जब वह कसी ऐसे इंसान के सामने अपना
ेजटे शन दे रहा है, जो बना कुछ कहे बस सामने दे खता रहता है। खुश क मती से गाल तक
हाथ ले जाने और ठोड़ी छू ने क ऐसी ब त सी मु ाएँ ह, जनका इ तेमाल थमामीटर क तरह
सरे इंसान के रवैया क गमजोशी और ठं डेपन को नापने के लए कया जा सकता है। इससे
व ा को अपने दशन का भी पता चल जाता है ।

ऊब
जब ोता अपने हाथ का इ तेमाल सर को सहारा दे न े के लए करने लगता है तो यह इस बात
का संकेत है क उसे ऊब होने लगी है और वह सर को हाथ से सहारा दे कर खुद को सोने से
बचाने क को शश कर रहा है। ोता क ऊब और उसक बाँह और हाथ ारा सर को सहारा
दे न े क सीमा के बीच सीधा संबंध है। इसक शु आत अ सर अँगठ ू े से ठोड़ी को सहारा दे न े से
होती है और फर दलच पी घटने पर कलाई का सहारा दया जाता है। दलच पी के ब कुल
कम होने जाने को हाथ से पूरी तरह सर को सहारा दे न े के प म दे खा जा सकता है ( च दे ख)
और ऊब होने का अं तम संकेत तब सामने आता है जब सर को हाथ का पूरा सहारा हो और
खराटे क आवाज सुनी जा सकती ह ।
हाथ से सर को सहारा दे कर सोने से बचा जा रहा है

मेज़ पर उँग लयाँ बजाना और फ़श पर पैर से आवाज़ करने को भी गलती से ऊब के संकेत


समझ लया जाता है, जब क वे बेचैनी के संकेत होते ह। अगर लोग के समूह को संबो धत करते
ए ये संकेत आपको दखाई द, तो एक रणनी तक कदम के तहत मेज़ बजाने वाले या फ़श पर
आवाज़ करने वाले को बातचीत म शा मल कर बाक लोग को उनके नकारा मक असर से
बचाया जा सकता है। ऊब और बेचैनी दखा रहे ोता मलकर व ा को यही संकेत दे त े ह क
अब उसे अपनी बात का समापन कर दे ना चा हए।

‘ या आप न द म बात करते ह?’ उसने व ा से पूछा।


जवाब था, ‘नह ’ । ‘तो फर मेरी न द म बात मत
क जए,’ उसने कहा।

ऊँगली और पैर क ग त कसी क बेचैनी क सीमा से संबं धत है – जतनी तेज़ी से


आवाज़ होगी, ोता उतना ही बेचैन होगा।

मू याँकन मु ाएँ
ठोड़ी या गाल पर पर टके बँध े ए, हाथ और तजनी के ऊपर क ओर होने से मू याँकन का पता
चलता है। जब इंसान क दलच पी ख म होने लगती है, ले कन फर भी वह श ता के कारण
दलच पी का दखावा करना चाहता है तो थ त म बदलाव आता है और ऊब बढ़ने पर हथेली
का छोर सर को सहारा दे ने लगता है।
दलच पी वाला मू याँकन – सर अपने सहारे होता है और हाथ गाल पर टका होता है

मँझले दज के मैनेजर अ सर कंपनी के े ज़डट के नीरस और उबाऊ भाषण म नकली


दलच पी दखाने के लए इस मु ा को अपनाते ह। जब हाथ सर को सहारा दे ने क थ त पर
जाने लगता है तो बद क मती से उनक पोल खुल जाती है और े ज़डट को लग सकता है क
कुछ मैनेजर न ाहीन ह या चापलूसी कर रहे ह।

नकारा मक वचार का होना

हाथ से सर को सहारा दे न े के बजाय उसे हौले से गाल पर रखकर असली दलच पी दखाई
जाती है। जब गाल पर रखी तजनी ऊपर क ओर होती है और अँगठ ू े से ठोड़ी को सहारा दया
जाता है, तो इसका अथ है क व ा या उसके वषय को लेकर ोता क सोच नकारा मक या
आलोचना मक है। नकारा मक सोच के दौरान कई बार तजनी से आँख को रगड़ा या ख चा
जाता है।
वे ऊब चुके ह या भा वत नह ह

इस मु ा को अ सर दलच पी के संकेत के प म दे खा जाता है, जब क ठोड़ी के नीचे


सहारा दे ता अँगठ
ू ा आलोचना मक रवैय े क स चाई बयान कर दे ता है। कसी मु ा समूह को
बनाए रखने से उस का रवैया भा वत होता है, इस लए जतनी दे र तक वह उस मु ा म
रहेगा उतनी दे र तक उसका आलोचना मक ख बरकरार रहेगा। इन मु ा से यही संकेत
मलता है क तुरंत कारवाई करनी होगी, या तो ोता को बातचीत म शा मल करना होगा या
बात को वराम दे ना होगा। ोता क मु ा को बदलने के लए उसे कोई चीज़ पकड़ाने जैसा
साधारण – सा कदम उसके रवैय े म बदलाव ला सकता है।
रॉ डन कृत द थकर शारी रक मु ा से वचारशील और मू यांकना मक रवैया दखा
रहा है और हाथ से सर को सहारा दे कर नराशा को उजागर कर रहा है।

झूठ बोलने वाला उ मीदवार


हमने अपनी कंपनी के एक पद के लए वदे श से आने वाले एक का इंटर ू लया। पूरे
समय उसक बाँह और टाँग बँधी रही, उसने आलोचना मक मू याँकन क मु ाएँ अपनाई, हथेली
का ब त कम इ तेमाल कया और बार–बार कह और दे खता रहा। प तया उसे कोई चता
सता रही थी, ले कन इंटर ू के आरं भक चरण म हमारे पास पया त जानकारी नह थी, जससे
क हम उसक नकारा मक मु ा का सही मू याँकन कर सक। हमने उसके अपने दे श म
उसके पुराने ए लॉयस (मा लक ) के बारे म सवाल पूछे । उ र के साथ उसने कई बार आँख
मसल और नाक को छु आ, साथ ही कह और भी दे खता रहा। आ खरकार हमने उसक कही
बात के आधार पर नह , ब क दे खे ए सच के आधार पर उसे नौकरी पर न रखने का फैसला
कया। हम उसक छलभरी मु ा को लेकर उ सुक थे और जब हमने उसके दे श के रेफरस को
जाँचा तो हम पता लगा क उसने अपने अतीत के बारे म गलत जानकारी द थी। उसने मान
लया था क शायद कसी सरे दे श का ए लॉयर कसी अ य दे श के रे स क जाँच नह
करेगा। अगर हम बॉडी ल वेज के सुराग और संकेत क जानकारी नह होती तो हम उसे नौकरी
पर रखने क गलती कर सकते थे।

ठोड़ी सहलाना
अगली बार जब आपको लोग के समूह के सामने अपना वचार तुत करने का मौका मले तो
अपना वचार रखते समय उ ह यान से दे खएगा, शायद आप उनम से अ धकतर लोग को
अपने एक हाथ को चेहरे पर ले जाकर मू याँकन मु ा अपनाते दे ख। अपने ेजटे शन के आ खर
म जब आप उस समूह को अपने वचार या सुझाव दे न े के लए कहगे तो उनक मू याँकन मु ाएँ
क जाएँगी और ठोड़ी सहलाना शु हो जाएगा। ठोड़ी सहलाना इस बात का संकेत है क ोता
नणय लेने क या से गुज़र रहा है।
नणय लेना

ठोड़ी सहलाने का म हला का तरीका

जब आप ोता से उनके नणय के बारे म पूछते ह, तो वे अपनी ठोड़ी सहलाने लगते ह और


फर उनक अगली मु ा बताती है क उनका नणय नकारा मक है या सकारा मक। आपक
सबसे अ छ रणनी त शांत रहना है और उनक अगली मु ा को गौर से दे खना है जससे
संकेत मलेगा क वे अपने नणय पर प ँच े या नह । उदाहरण के लए, अगर ठोड़ी सहलाने के
बाद बाँह और टाँग बँधी ई ह और इंसान कुस पर पीठ टकाकर बैठा हो, तो उसके ‘न’ कहने
क आशंका अ धक होगी। इससे आपको मौका मल जाता है। क आप उस इंसान ारा श द
के मा यम से न कहने से पहले, उसे फर से फ़ायद के बारे म बता द। इस कार सहम त तक
प ँचना आसान होगा।
अगर ठोड़ी सहलाने के साथ–साथ बाह फैलाकर या आपके ताव या सै पल को
उठाते ए आगे क ओर आ रहा है, तो उसके ‘हाँ’ कहने क संभावना अ धक है और
आप यह मानकर बात जारी रख सकते ह क उसक सहम त होगी।

टालमटोल के मु ा समूह
कई बार कसी नणय पर प ँचने के दौरान च मा लगाने वाले लोग ठोड़ी को न सहलाकर च मा
उतारकर उसके एक सरे को मुँह म रखने क मू याँकन मु ा अपनाते ह। सगरेट पीने वाला
उसका कश लगता है। जब कोई नणय के बारे म पूछे जाने पर अपने मुँह म पेन या उंगली
डालता है, तो यह इस बात का संकेत है क वह अ न त है और उसे आ त चा हए। मुँह म
रखी चीज़ नणय को टालने म उसक मदद करती है और उसे महसूस कराती है क त काल
जवाब दे ने क ज़ रत नह है।
कई बार ऊब, मू याँकन और नणय लेने क मु ाएँ संयु प से सामने आती ह और
हर एक मु ा उस के रवैय े के व भ त व को दखाती है।
अगले च म मू याँकन मु ा ठोड़ी पर प ँच गई और हाथ अब भी ठोड़ी को सहला रहा
है। यह ताव का मू याँकन करते ए नणय तक प ँच रहा है।

मू याँकन/ नणय लेने क संयु मु ा

जब व ा म ोता क दलच पी ख म होने लगती है, तब उसके हाथ पर उसका सर टकने


लगता है। अगले च म ोता क दलच पी कम हो रही है और मू याँकन के साथ अँगठ
ू े से सर
को सहारा दया जा रहा है।

मू याँकन, नणय और ऊब क संयु मु ा


आन ड ा ज़नेगर अपनी बात रखते ए और ट वी हो ट उस पर वचार करते ए

सर को रगड़ने और चपत मारने क मु ाएँ


जब आप कहते ह क कोई आपके लए ‘पेन इन द नेक‘यानी परेशानी का सबब है, तो
आप दरअसल गदन पर मौजूद छोट –छोट इरे टर पले मस स क त या क बात कर रहे
होते ह, जसे र गटे खड़े होना भी कहते ह। यह हमारे अ त वहीन फ़र पे ट के सर को खड़ा
करने क को शश है, ता क डरने या गु सा होने क थ त म हम यादा भयावह लग सक। यह
ठ क उसी तरह क र गटे खड़े करने क त या है, जो कसी सरे मन कु े को दे खकर
कसी ो धत कु े क होती है। जब भी आप नराशा या गु से म होते ह तो इस त या से
गदन क पीछे आपको सहरन महसूस होती है। आप अपने हाथ को उस जगह पर ले जाकर
सहरन को र करने क को शश करते ह।
‘पेन इन द नेक’ क मु ा

मान ली जए क आपने कसी से छोटा सा काम करने का अनुरोध कया और वह उसे


भूल गया। जब आप फर से उसके बारे म पूछते ह तो वह अपने सर पर या फर गदन के
पीछे चपत लगाता है, जैस े क तीका मक तौर पर खुद को पीट रहा हो। सर पर चपत लगाना
हालाँ क भूल जाने का संकेत है, इस लए यह दे खना ज़ री है क वह कहाँ पर चपत
मारता है, गदन पर या माथे पर। अगर वह माथे पर मारता है तो इसका मतलब है क वह आपसे
डर नह रहा, ब क अपने भुल कड़पन को जता रहा है। अगर यह चपत गदन के पछले ह से
पर पड़ती है तो इसका अथ है क वह उठे ए र गट को सहलाने के लए उस ह से पर चपत
मारता है, जो इस बात का संकेत है क काम का ज़ करके आप वाकई उसके लए ‘पेन इन द
नेक‘बन गए ह। अगर वह इंसान अपने पछले ह से पर चपत लगाता है तो...
यू यॉक के नेगो सएशन इं ट ूट के जेराड नरेनबग ने पाया क जो लोग आदतन
अपनी गदन के पीछे रगड़ते रहते ह, उनक नकारा मक या आलोचना मक वृ होती है और
जो लोग अपने माथे को अ सर रगड़कर गलती का संकेत दे त े ह, वे यादा खुल े मज़ाज के और
आरामतलब होते ह।

खुद को मारकर सज़ा दे ना


चेहरे पर हाथ ले जाने क मु ा को उनके संदभ और हालात म सही ढं ग से समझने क
यो यता हा सल करने के लए समय और अवलोकन क आव यकता होती है। जब कोई इंसान
इस अ याय म बताई गई चेहरे पर हाथ ले जाने क मु ाएँ अपनाता है, तो यह माना जा सकता है
क उसके दमाग म कोई नकारा मक बात आई है। अब सवाल यह है क वह नकारा मक बात
आ खर है या ? वह संदेह, धोखा, अ न तता, अ तशयो , संशय या फर कोई कोरा झूठ हो
सकता है। नकारा मक बात को पकड़ पाने क यो यता ही स चा नर है। हाथ को चेहरे पर ले
जाने क मु ा से पहले के हावभाव का व ेषण करके बात को सही संदभ म समझा जा
सकता है।

बॉब य हमेशा शतरंज म हारता था


बॉब हमारा एक सहकम है, जसे शतरंज खेलना पसंद है। हम उसे खेलने क चुनौती दे ते ह और
उसक बॉडी ल वेज का व ेषण करने के लए खेल का वी डयो बनाते ह। वी डयो से उजागर
होता है क जब बॉब अपनी अगली चाल को लेकर अ न त होता है तो वह अ सर अपने कान
या नाक को रगड़ता है। हमने पाया क जब हम कसी मोहरे को छू कर उसे चलने क इ छा कट
करते ह तो बॉब के शारी रक हावभाव हम संकेत दे दे त े ह क वह उस चाल के बारे म या
सोचता है। जब उसे लगता है क वह उस चाल म हम हरा दे गा और उससे नपटने के लए उसने
कोई चाल सोच ली होती है तो वह ट प लग या मीनार बनाकर अपना आ म व ास कट करता
है। सरी ओर, जब वह अ न त या नाखुश होता है तो वह मुँह ढकने, कान ख चने या गदन
खुजलाने क मु ा अपनाता है। यह सब इतने सही अनुमान से होता है क जब हमने अपने
शतरंज म शा मल बाक लोग को चुपके से बॉब के सुराग बताए, तो वे सब उसक बॉडी ल वेज
से पहले ही उसके वचार को भाँपकर उसे हराने लगे। हमने इस कताब क एक भी त बॉब
को नह द है।

दोहरा अथ
हमने एक नकली इंटर ू को रकॉड कया, जसम इंटर ू दे ने वाले ने सवाल पूछे जाने पर
अचानक अपने मुंह को ढक लया और अपनी नाक को रगड़ा। जवाब दे ने से कुछ सेकड पहले
उसने मुँह ढका और फर अपनी खुलेपन क मु ा म आ गया। तब तक इंटर ू के खेल म उसक
मु ा खुलापन लए थी उसके कोट के बटन खुले थे, हथे लयाँ दख रही थ , सर हल रहा था
और जवाब दे त े समय वह आगे क ओर झुक रहा था, इस लए हमने सोचा क हो सकता है क
वे मु ाएँ अलग–थलग ह और उनका कोई संदभ न हो। वी डयोटे प क समी ा करने पर हमने
उससे हाथ को मुँह पर ले जाने क मु ा के बारे म पूछा। उसने कहा क पूछे जाने पर उसने
सोचा क वह दो तरीके से जवाब दे सकता है : नकारा मक और सकारा मक। नकारा मक
जवाब के बारे म और उसके त इंटर ू लेन े वाले क त या के बारे म सोचते ही उसे अपने
मुँह को ढक लया। जब उसने सकारा मक जवाब के बारे म सोचा तो उसका हाथ मुँह से र
चला गया और उसके हावभाव म खुलापन आ गया। नकारा मक जवाब के बारे म इंटर ू लेने
वाले क संभा वत त या को लेकर उसक अ न तता के कारण उसने अचानक मुँह ढक
लया।
इससे प होता है क कतनी आसानी से मुँह पर हाथ ले जाने क मु ा का गलत अथ
नकालकर गलत प रणाम तक प ँचा जा सकता है।
अ याय 8

आँख के संकेत

कुछ लोग ठोस चीज़ के आरपार दे ख सकते ह

समूचे इ तहास म हमने आँख और मानव वहार पर उनके भाव को लेकर ब त मह व दया
है। आँख के संपक से बातचीत नयं त होती है और भु व का सुराग मलता है, जैस े ‘उसने
मुझे नीची नगाह से दे खा‘या कसी झूठे इंसान पर शक करने का आधार मलता है, जैस े ‘मेरी
आँख म आँख डालकर कहो!’ हम कसी से मुलाकात करते ए यादा समय उस इंसान के
चेहरे को दे खते ह, इस लए आँख के इशारे कसी इंसान के रवैय े और वचार को पढ़ने के मामले
म ब त मह चपूण होते ह। जब लोग पहली बार मलते ह, तो वे दखाई दे ने वाली चीज़ के
आधार पर ही तेज़ी से अपनी राय बनाते ह। ‘उसने मुझे पैनी नज़र से दे खा’, ‘उसक आँख म
चमक थी’, ‘उसक आँख ब च जैसी ह’, ‘वह तोताच म है’, ‘उसक आँख नमं ण दे ती लगती
ह’ , ‘उसने का तलाना नज़र से उसे दे खा’, ‘उसक नज़र ठं डी थ ’ या ‘उसने मुझ े शैतानी नज़र
से दे खा’ जैसी कहावत का हम अ सर इ तेमाल करते ह। हम यह भी कहते ह क फ़लाँ इंसान
क बेट डे वस आईज़, पै नश आईज़ (ये सभी मश र गाने ह), बेड म आईज़ (कामुक
नगाह), स त, नाराज़, ख़ाली, नजी, खी, खुश, नडर ठं डी, इ यालु, बेरहम और पैनी आँख
ह। जब हम इन कहावत या वा यांश का इ तेमाल करते ह, तो अनजाने ही इंसान क पुत लय
के आकार और उसक नज़र के बताव क बात कर रहे होते ह। इंसान के सभी संचार संकेत म
आँख सबसे यादा सारग भत और अचूक हो सकती ह, य क वे शरीर का क ब होती ह
और पुत लयाँ चेतन नयं ण से अलग काम करती ह।

फैली ई पुत लयाँ (डायले टग यू प स)


काश क कुछ न त थ तय म आपके रवैय े और मूड के सकारा मक से नकारा मक होने
या वपरीत थ त के मुता बक आपक पुत लयाँ फैलती या सकुड़ती ह। कसी के
उ े जत होने पर उसक पुत लयाँ अपने सामा य आकार से चार गुना तक फैल सकती ह। इसके
उलट, गु से या नकारा मक मूड म पुत लयाँ सकुड़ सकती ह, जसे ‘बीडी लट् ल आईज़ (छोट
मनकेदार आँख)’ या ‘ नेक आईज़ (सप ली आँख)’ कहा जाता है। ह के रंग क आँख म
पुत लय का फैलना आसानी से दे खा जा सकता है, इस लए ऐसी आँख यादा आकषक लगती
ह।

‘बीडी’ आईज़

बेड म आईज़

शकागो यू नव सट म मनो व ान वभाग के पूव अ य और यू पलोमे के अ णी, एकहाड


हेस ने पाया क पुत लय का आकार क उ ेजना क सामा य थ त से भा वत होता
है। सामा य तौर पर उ त या उ े जत करने वाली चीज़ को दे खकर पुत लय का आकार बढ़
जाता है। हेस ने पाया क हे ोसे शुअल यानी वपरीत लगकामी ी-पु ष क पुत लयाँ
वपरीत लग के लोग क बड़ी त वीर दे खकर फैल जाती ह, जब क समान लग के लोग को
दे खकर वे सकुड़ जाती ह। लोग को खाने क चीज़ , नेता , वकलांग ब च या यु क
अ य और खुशनुमा त वीर दखाए जाने और संगीत सुनाए जाने पर भी ऐसे ही प रणाम मले।
हेस ने यह भी पाया क पुतली का आकार बढ़ने का संबंध सम या हल करने क मान सक
ग त व ध से है और जब इंसान हल पर प ँच जाता है तो उसक पुत लयाँ सबसे यादा फैल
जाती ह
इस शोध को हमने बज़नेस क नया म लागू कया और बताया क अगर त वीर म
दखाई गई मॉड स क पुत लय को बड़ा करके दखाया जाए तो कैसे लोग उ ह यादा
आकषक मानने लगते ह। यह म हला क साधन साम ी, बाल से संबं धत उ पाद और
कपड़े जैसी चीज़ क ब बढ़ाने का असरदार तरीका था, जनम चेहरे का लोज़-अप
दखाया जाता है। य डाक अ भयान म हमने ऐसे ॉशस का इ तेमाल कया, जनम मॉड स
क त वीर म उनक पुत लय को बड़ा दखाया गया था, इससे हम रेवलॉन लप टक के
कैटालॉग क सीधी ब म 45 तशत क बढ़ोतरी कर पाए।

इनम से कौन त वीर आपको अ धक आकषक लग रही है?

णय- नवेदन म आँख आँख ब त ब त मह वपूण होती ह और आँख का मेकअप करने का


मकसद केआँख आँख के दशन पर ज़ोर दे ना है। कसी पु ष क ओर आक षत होने पर
म हला अपनी पुत लयाँ फैला दे ती है और वह पु ष अनजाने ही उस संकेत का सही अथ समझ
जाता है। यही कारण है क रोमां टक मुलाकात ह क रोशनी म यादा कामयाब होती ह, य क
हर कसी क पुत लयाँ फैलती ह और ऐसा लगता है क जोड़े एक- सरे म दलच पी रखते ह।

जब कोई पु ष कसी म हला ारा उ े जत होता है, तो उसके शरीर


के कौन से ह से का आकार तीन गुना तक बढ़ जाता है?

जब ेमी एक- सरे क आँख क गहराई म झाँकते ह, तो वे अनजाने ही पुत लय के फैलने क


तलाश कर रहे होते ह और दोन एक- सरे क पुत लय के फैलाव से उ े जत होते ह। शोध
बताते ह क जब पु ष को पोन ा फ़क फ़ म दखाई जाती ह, तो उनक पुत लयाँ तीन गुना
तक फैल सकती ह। अ धकतर म हला क पुत लयाँ माँ और ब च क त वीर को दे खकर
सबसे यादा फैलती ह। वय क के मुकाबले शशु और छोटे ब च क पुत लयाँ यादा बड़ी
होती ह और वय क के आसपास होने पर यारा लगने और उनका यान अपनी ओर आक षत
करने के लए उनक पुत लयाँ लगातार फैलती रहती ह। यही कारण है क सबसे यादा बकने
वाले खलौन क पुत लयाँ सामा य से बड़े आकार क होती ह।
शोध यह भी दखाते ह क फैली ई पुत लय को दे खने वाले इंसान पर उसका सीधा
असर पड़ता है। म हला क सकुड़ी पुत लय वाली त वीर क तुलना म फैली ई पुत लय
वाली त वीर दे खकर पु ष क पुत लयाँ अ धक फैल ।

पुतली परी ण कर
पुत लय के फैलने का अथ नकालने क यो यता म त क म वाभा वक तौर पर होती है और
यह ब कुल वतः ही होती है। इसका परी ण करने के लए च (बी) को छपाकर कसी को
च (ए) म मौजूद ‘पुत लय ‘को लगातार दे खने को कह। फर उ ह च (बी) दे खने को कह,
आप पाएँगे क कैसे च से मेल खाने के लए उनक पुत लयाँ फैल जाती ह, य क दमाग को
लगता है क वह उन आँख को दे ख रहा है, जो उसे आकषक समझती ह। पु ष के मुकाबले
म हला क पुत लयाँ उस चीज़ से संपक साधने के लए यादा तेज़ी से फैलती ह, जसे उनका
दमाग सरे क आँख समझता है।

च - ए

च - बी

हेस ने लोग को एक नव पु ष, एक नव म हला, एक शशु, एक माँ-ब चा और एक


ाकृ तक य क त वीर दखाई। उ मीद के मुता बक, न न म हला को दे खकर पु ष क
पुत लयाँ सबसे अ धक फैल , समल गक पु ष क पुत लयाँ न न पु ष को दे खकर यादा
फैल , जब क म हला क पुत लयाँ सबसे यादा माँ-ब चे क त वीर को दे खकर फैल और
फर न न पु ष क त वीर दे खकर।
ताश खेलने म मा हर लोग पर ए परी ण से उजागर आ क वरोधी ारा काला
च मा पहने जाने क थ त म वे ब त कम बा ज़याँ जीत पाए। उदाहरण के लए, अगर वरोधी
ने पोकर के खेल म चार इ के नकाले, तो तेज़ी से फैलती उसक पुतली से खेल म नपुण
को अनजाने ही इसका पता चल जाएगा और वह अगली चाल पर दाँव नह लगाएगा। काले
च म पहनने से पुतली के संकेत दखाई नह दए और नतीजतन खेल के मा हर लोग भी सामा य
से कम बा ज़याँ जीत पाए।
हीरे-जवाहरात के चीन के ाचीन ापारी खरीदार से मोलभाव करते ए उनक
पुत लय के संकेत समझने का इ तेमाल करते थे। स दय पहले वे याएँ अपनी पुत लय को
फैलाने के लए ऐ ोपाइन यु ट चर बेलाडॉना क कुछ बूंद आँख म डालती थ , ता क वे
अ धक आकषक लग सक।

डे वड बोवी क आँख दो रंग क ह – एक नीली और सरी ह क भूरी। इनम से एक


क पुतली हमेशा फैली रहती है, जसे हे ो ो मया कहा जाता है और एक तशत
लोग म यह थ त पाई जाती है। बोवी क आँख के इस अंतर का कारण 12 साल क
उ म गल ड को लेकर ए झगड़े म पड़ा मु का है।

एक पुरानी कहावत है क बातचीत या मोलभाव करते ए ‘ कसी से बात करते ए


उसक आँख म झाँको’, ले कन इसके बजाय ‘उनक पुत लय को दे खने‘का अ यास करना
बेहतर हो सकता है, य क पुत लय से ही उनक असली भावना का पता चलेगा।

म हलाएँ इसम भी बेहतर ह


के ज यू नव सट के डॉ टर साइमन वैरन - कोएन ने कुछ परी ण कए, जनम लोग को
ऐसी त वीर दखाई गई, जनम सफ़ दोन आँख क संकरी सी प दखाई दे रही थी। लोग से
कहा गया क ‘ म तापूण’, ‘तनावमु ’ , ‘श ुतापूण’ और ‘ च तत’ मान सक अव था और
‘आपके लए चाहत’ या ‘ कसी और के लए चाहत’ जैस े रवैय को चुन।
इस योग म यह तय था क केवल अंदाज़ा लगाने से भी आधे से यादा जवाब सही
ह गे, ले कन पु ष ने 25 म से औसतन 19 जवाब सही दए, जब क म हलाओ ने 22 । इससे
यही उजागर आ क ी-पु ष शारी रक हावभाव क तुलना म आँख के संकत को समझने
क अ धक का ब लयत रखते ह, ले कन इसम म हलाएँ पु ष से बेहतर ह। वै ा नक अब तक
नह जानते क आँख से कस तरह जानकारी भेजी और समझी जाती है, बस उ ह यह मालूम है
क ऐसा होता है। ऑ ट टक लोग ने, जो अ धकतर पु ष होते ह, सबसे कम सही उ र दए।
ऑ ट टक लोग के म त क बाक लोग क बॉडी ल वेज नह पढ़ सकते और ब त अ धक
आई यू होने के बावजूद उनके सामने सामा जक र ते बनाने म परेशानी आने का एक कारण
यह भी है।

कसी पर नज़र रखना


मनु य ही केवल ऐसे नरवानर ह, जनक आँख म सफेद ह सा होता है, जसे कलेरा या
ेतपटल कहते ह। क पय क आँख पूरी तरह काली होती ह। आँख का सफेद ह सा संचार म
मदद करने के प म वक सत आ, ता क इंसान दे ख सक क बाक लोग कहाँ दे ख रहे ह,
य क दशा का संबंध भावना मक अव था से होता है। म हला के म त क पु ष के
मुकाबले भावना को पढ़ने म यादा स म होते ह और इसके प रणाम व प उनक आँख म
ेतपटल बड़ा होता है। क पय क आँख म ेतपटल नह होता, जसका मतलब है क उनके
शकार यह नह जान पाते क क प कहाँ दे ख रहा है या उसने उ ह पहचान लया है। इससे क प
को शकार करने म अ धक सफलता मलती है।

केवल मानव ही ऐसे नरवानर ह जनक आँख म सु प सफेद भाग


होता है।

भ ह उठाना
यह मु ा र से कया गया ‘हलो‘का अ भवादन संकेत है, जो ाचीनकाल से हर जगह इ तेमाल
होता रहा है। आई ाउ लैश या भ ह उठाना सावभौ मक है और इसका इ तेमाल सामा जक
अ भवादन के संकेत के प म बंदर और क पय ारा भी कया जाता है, जससे यही पु
होती है क यह एक ज मजात मु ा है। भ ह ब त कम समय के लए तेज़ी से उठती ह और फर
नीचे हो जाती ह। इसका मकसद चेहरे क ओर यान ख चना है, ता क प संकेत का आदान-
दान हो सके। केवल जापानी सं कृ त म ही इसका इ तेमाल नह कया जाता, य क वहाँ इसे
अनु चत या अ श माना जाता है और इसके यौन न हताथ भी होते ह।

भ ह उठाना
यह अ य क उप थ त को वीकारने का एक अवचेतन संकेत है और शायद
आ यच कत होने पर क गई भय त या है, या यह कहना है क ‘म तुमसे हैरान और डरा
आ ‘ँ , जसका अथ है क ‘म तु हारी उप थ त वीकार करता ँ और तुमसे डरा आ नह
ँ। ‘सड़क पर गुज़रते ए अजन बय और नापसंद कए जाने वाले लोग के साथ हम ऐसा नह
करते। जो लोग आरं भक अ भवादन पर भ ह उठाने क मु ा नह अपनाते उ ह आ ामक माना
जाता है। इस साधारण से परी ण को आज़माकर आप खुद आई ाउ लैश क जबरद त
ताकत को समझ सकते ह। कसी होटल क लॉबी म बैठकर हर आने-जाने वाले को दे खकर
अपनी भ ह ऊपर कर। आप पाएँगे क न केवल जवाब म लोग ऐसा ही करते और मु कुराते ह,
ब क कई लोग आपसे बात करने लगते ह। बु नयाद नयम यही है क ऐसा केवल उन लोग को
दे खकर कर, ज ह आप पसंद करते ह या ज ह आप चाहते ह क वे आपको पसंद कर।

आँख को फैलाना
भ ह नीचे करके इंसान भु व या अ य लोग के त आ ामकता दखाते ह, जब क उ ह
चढ़ाकर समपण दखाया जाता है। क टग ड क टग ने पाया क क पय व बंदर क कुछ
जा तयाँ इसी उ े य के लए ब कुल इ ह मु ा को अपनाती ह। उ ह ने यह भी पाया क
जो लोग जानबूझकर अपनी भ ह उठाते ह, उ ह मनु य एवं क पय ारा द बू माना जाता है
और भ ह को नीचे करने वाल को आ ामक माना जाता है।
वाय मेन लाय ड वमेन ाय (ओरायन) म हमने दखाया क कैसे न हे शशु जैसा
दखने के लए ‘बेबी फ़ेस‘बनाने के लए म हलाएँ अपनी भौह व पलक को उठाकर अपनी
आँख को चौड़ा करती ह। इससे पु ष पर ब त ज़बरद त असर पड़ता है और उनके म त क
म कुछ ऐसे हाम स ा वत होते ह, जो मादा को बचाने और उनक सुर ा करने के लए उ ह
उ त करते ह। म हलाएँ अपनी भौह के आकार को माथे पर थोड़ा ऊँचा कर के अ धक वन
या द बू दखती ह, य क अवचेतन तर पर वे जानती ह क ये पु ष को पसंद आता है। पु ष
ारा अपनी भौह क काँट-छाँट ऊपर से नीचे क ओर क जाती है, ता क आँख संकरी और
अ धक भु वशाली लग।

ऊँची उठ भ ह ने म लन मुनरो को वश म आ सकने वाला दखाया, जब क जे स


के नी क नीचे क ओर झुक भौह से वे आ ामक लगे और जेएफके क गोलाई ली
ई भ ह ने उ ह भु वशाली और लोग से सरोकार रखने वाले का प दया।

जॉन एफ कैनेडी क भ ह नीचे क ओर झुक ई थ और इससे उनके चेहरे पर लोग के त


सरोकार का भाव आता था, जो वोटर को लुभाता था। अगर जे स के नी क तरह उनक बड़ी
भ ह होती तो लोग पर उनका कम असर पड़ता।

ऊपर क ओर दे खने का समूह

आठ वष क आयु म सस डायना - अ धकतर छोट लड़ कय क तरह वे भी सर


नीचे करके ऊपर क ओर दे खने के असर को समझती थ

सर को नीचे करके ऊपर क ओर दे खना एक और समपण या वन ता क मु ा है जो पु ष को


पसंद आती है, य क इससे म हला क आँख बड़ी लगती ह, जससे वे छोटे ब चे जैसी
दखती ह। इसका कारण यह है क बड़ के मुकाबले ब चे इतने छोटे होते ह क वे यादातर
व ऊपर क ओर दे खते रहते ह, जससे ी-पु ष म उनक दे खभाल करने क त या पैदा
होती है।

सेस डायना अपने वैवा हक संकट के दौरान ऊपर दे खने के मु ा समूह का इ तेमाल
कर नया क समानुभू त जगाती थ
सस डायना ऊपर क ओर दे खते ए ब त ही नफ़ासत से अपनी ठु ी को नीची कर अपनी
नाजुक गदन को सामने करती थ । ब च जैसी यह मु ा लाख -करोड़ लोग म मातृ व और
पतृ व क भावना जगाती थी, खासकर तब जब वे टश शाही प रवार के नशाने पर होती थ ।
इन समपण मु ा का इ तेमाल करने वाले लोग अ सर जानबूझकर इनका अ यास नह करते,
ले कन यह ज़ र जानते ह क इनके इ तेमाल से उ ह सही प रणाम मलते ह।

पु ष कैसे आक षत होते ह

म लन मुनरो चरम-आनंद पर प ँचने से पहले क ी अ भ य और बॉडी ल वेज


का इ तेमाल करने म मा हर थ और अवचेतन तौर पर जानती थ क इससे पु ष को
कैसे काबू कया जा सकता है

भ ह को उठाते ए पलक को झुकाना, ऊपर क ओर दे खना और ह ठ के बीच ह का


सा फ़ासला रखना, एक ऐसा मु ा समूह है जसका इ तेमाल म हला ारा यौन अधीनता
दखाने के लए स दय से कया जाता रहा है। ये म लन मुनरो, डेबोरा हैरी और शैरन टोन जैसी
आकषक ह तय क ख़ा सयत रही है।
इस मु ा से न केवल पलक और भ ह के बीच का फासला बढ़ता है, ब क इससे
इंसान रह यपूण दखता है और नया शोध दखाता है क यौन - चरम पर प ँचने से पहले ब त
सी म हला के चेहरे पर यही भाव होता है।

टकटक लगाकर दे खना – आप कहाँ दे खगे?


कसी से आँख मलाकर बात करने से ही बातचीत क बु नयाद बन सकती है। कई लोग बात
करके हम अ छा महसूस कराते ह, जब क कुछ लोग के साथ हम असहज महसूस करते ह और
कुछ तो भरोसे के का बल ही नह लगते। शु आत म इसका संबंध इस बात से होता है क वे
लोग कतनी दे र तक हम दे खते ह और बात करते ए हमारी नज़र को कतनी दे र तक बाँध े रख
सकते ह।
टे न के सामा जक मनो व ान और गैर-शा दक संपक के अ णी माइकल आगा इल
ने पाया क प मी जगत के और यूरोपीय लोग जब बात करते ह, तो उनका औसत टकटक
लगाकर दे खने का समय 61 तशत होता है, जसम 41 तशत बातचीत के समय होता है, 75
तशत बात सुनने के दौरान और 31 तशत समय वे एक- सरे को दे खते ह। उ ह ने औसत
टकटक लगाकर दे खने क लंबाई को 2.95 सेकड रकॉड कया और एक- सरे को दे खने का
समय 1.18 सेकड था। हमने पाया क एक आम बातचीत म आँख का संपक 25 से 100
तशत तक होता है और यह इस बात पर नभर करता है क कौन बात कर रहा है और वह
कस सं कृ त से है। हम जब बातचीत करते ह तो हम 40 से 60 तशत तक आँख का संपक
बनाए रखते ह और यह औसतन 80 तशत तब होता है जब हम बात सुन रहे होते ह। इसका
एक मुख अपवाद जापान और कुछ ए शयाई एवं द ण ए शयाई सं कृ तयाँ ह, जहाँ लगातार
आँख का संपक बनाए रखने को आ ामक और बदतमीज़ी माना जाता है जापानी लोग या तो
कह और दे खते ह या फर आपके गले को दे खते ह, जो इस मामले म अनुभवहीन प मी जगत
के लोग और यूरोपीय लोग के लए परेशान कर दे ने वाली बात हो सकती है।
आगाइल ने पाया क (ए) जब बी को पसंद करता है, तो वह उसे कई बार
दे खेगा। इससे (बी) को लगेगा क (ए) उसे पसंद करता है, तो वह भी बदले म उसे पसंद करने
लगेगा। अ य श द म कह तो अ धकतर सं कृ तय म सरे से अ छा संपक बनाने के
लए उससे आपक नज़र 60 से 70 तशत समय तक मलनी चा हए। इससे वे भी आपको
पसंद करने लगगे। इसम आ य नह क घबराया आ संकोची आदमी जो केवल एक- तहाई
समय ही हमारी ओर दे खता है, हम उस पर व ास नह कर पाते। यही कारण है क
नेगो सएश स के दौरान काले च मे से बचना चा हए, य क बाक लोग को इससे लगता है क
या तो आप उ ह घूर रहे ह या फर उनसे बचने क को शश कर रहे ह।

उसने उस औरत क खूबसूरत आँख पर फदा होकर


उससे शाद क , ले कन शाद के बाद प नी क नज़र
बदल गई।

जैसा क बॉडी ल वेज और मु ा के साथ होता है, एक ारा सरे को दे ख े जाने का


समय सं कृ त ारा नधा रत होता है। कसी भी नतीजे पर प ँचने से पहले सां कृ तक
प र थ तय पर ज़ र यान द। जापान जैसे दे श क या ा करने के दौरान अपने मेज़बान क
नज़र के मुता बक बताव करना सबसे सुर त तरीका है।
जब पहली बार दो लोग मलते ह और उनके बीच नज़र का संपक बनता है, तो नचले
दज का पहले नज़र हटाता है। अगर आप नज़र हटाने के बजाय उ ह टकाकर रखते ह,
तो इसका अथ है क या तो आप उस को चुनौती दे रहे ह या फर उसक बात पर आपक
असहम त है। य द सरे इंसान का दजा आपसे ऊँचा है, यानी अगर वह आपका बॉस है तो
असहम त का संदेश दे न े के लए आप अपनी नज़र को कुछ सेकड तक जमाए रख सकते ह,
ऐसा करना वीकाय होता है। ले कन नय मत तौर पर अपने बॉस के साथ ऐसा करने से आपको
अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।
यू ड ट कॉलोनी म कैसे आँख का संपक बनाया जाए
हमने नॉन- यू ड ट के एक समूह को एक यू ड ट कॉलोनी म भेजा और नए लोग से उनका
प रचय कराते ए, उनक नज़र कहाँ टकती ह, उसे रकॉड कया। सभी नॉन- यू ड ट पु ष ने
माना क वे शरीर के नचले ह स को दे खने क अपनी इ छा को रोक नह पाए और वी डयो से
साफ़ ज़ा हर था क वाकई उनका वहाँ दे खना काफ़ प था। म हला ने कहा क उ ह ऐसी
कोई परेशानी नह ई और रकॉ डग म कह भी म हला को नचले ह स को घूरते नह पाया
गया। इसका कारण यह है क पु ष क सुरंग (टनल वजन) होती है, जसके कारण वे
म हला के मुकाबले अपने सामने और र क चीज़ो को अ छ तरह दे ख पाते ह और नशाना
साध सकते ह। ले कन अ धकतर पु ष क नज़द क और प रधीय (पे रफेरल वज़न)
म हला से बदतर होती है, यही कारण है क रे जरेटर अलमारी और दराज़ म रखी चीज
दे खने म उ ह मु कल होती है। म हला क प रधीय दाएँ-बाएँ और ऊपर-नीचे 45 ड ी
तक प ँच सकती है, जसका अथ है क भले ही दे खने म लगे क वह कसी का चेहरा दे ख रही
है, ले कन असल म वह उसी दौरान क पूरी जाँच -पड़ताल कर लेती है।

भले ही म हलाएँ एक दशा म दे खती ई लग ले कन अपनी प रधीय के कारण वे


ब कुल सरी दशा म भी एक साथ दे ख सकती ह

कसी पु ष का यान कैसे आक षत कया जाए


अगर कोई म हला कमरे म मौजूद कसी पु ष का यान अपनी ओर ख चना चाहती है, तो वह
उससे नज़र मलाएगी, और दो-तीन मनट तक ऐसा करने के बाद कह और दे खते ए नज़र
झुका लेगी। इतने ही समय म वह अपनी दलच पी और संभा वत समपण का संदेश उस तक
प ँचा सकती है। वेब टस यू नव सट क मो नका मूर ( पी. एचडी.) ने बताया क अ धकतर
पु ष के दमाग म हला क शु आती नज़र को पढ़ पाने म नाकाम रहते ह, इस लए वह अ सर
तीन बार इसे दोहराती है ता क पु ष उस संकेत को समझ सके। मंदबु पु ष के लए इसे चार
बार करना पड़ता है और परले दज के मूख आदमी के लए पाँच या उससे अ धक बार ऐसा
करना पड़ता है। जब म हला क ओर पु ष का यान जाता है तो वह अ सर थोड़ी दे र के लए
सू म ढं ग से आँख फैलाती है, जो भ ह उठाने का एक छोटा व प होता है और जताती है क
वह संकेत" उसके लए ही था ।
कई बार आमने-सामने ‘म तु ह पसंद करती ँ!‘जैसे श द बोलकर अपनी बात प ँचाना
यादा असरदार होता है, ख़ासकर जब पु ष संकेत समझने म ब त ही सु त ह ।

अ धकतर झूठे सीधे आँख म दे खते ह


जैसा क हमने) पहले भी बताया क अ धकतर लोग झूठ बोलने को इधर-उधर दे खने से जोड़ते
ह। हमने ब त से योग कए, जनम लोग को रकॉडड इंटर ू म कई बार झूठ बोलने को कहा
गया। इन रकॉ ड स का इ तेमाल हमारे क यु नकेशन से मनार म कया गया जहाँ दशक से
कहा गया क वे बताएँ क कौन झूठ बोल रहा था और कौन नह । हमने जो पाया, वह लोक य
धारणा के ब कुल वपरीत था। लगभग 30 तशत झूठ बोलने वाले झूठ बोलते ए लगातार
कह और दे खते रहे और दशक ने 80 तशत मामल म उन झूठ को पकड़ लया, जनम
म हलाएँ अ धक सट कता से झूठ पकड़ पाई। " झूठ बोलने वाले अ य 7० तशत लोग ने
अपने शकार के के साथ नज़र मलाए रख , य क उ ह लगा क अगर वे लोग क धारण के
उलट काम कर तो उनके पकड़े जाने क संभावना कम होगी। वे सही थे। ऐसे म झूठ पकड़ने क
दर औसतन 25 तशत हो गई, जसम पु ष का तशत 15 था, जब क 35 तशत म हलाएँ
झूठ पकड़ सक । झूठ बोलने के दौरान ए आवाज़ म बदलाव, पुत लय के फैलाव और अ य
संकेत को पहचानने म म हला के सहज ान वाले म त क पु ष के मुकाबले बेहतर थे।
इससे पता चलता है क केवल नज़रे जमाए रखना झूठ का व सनीय संकेत नह है और
आपको अ य मु ा को भी यान से दे खना चा हए।
जब कुल समय के दो- तहाई समय से अ धक समय तक कसी इंसान से आपक नज़र
मलती ह तो दो म से इसका एक मतलब हो सकता है । पहला, आप उसे दलच प या आकषक
लगे, तो उसक पुत लयाँ भी फैलगी, सरा, वह आपके त श ुतापूण है और हो सकता है क
वह आपको चुनौती दे रहा हो, ऐसे म उसक पुत लयाँ सकुड़ जाएँगी। जैसा क पहले भी बताया
जा चुका है, पुत लयाँ फैलने के संकेत को समझने म म हलाएँ कुशल होती ह और दलच पी व
आ ामकता म अंतर समझती ह, ले कन पु ष का दशन इसम काफ बदतर होता है। यही
कारण है क एक औसत पु ष यह नह समझ पाता क म हला उसे चूमने वाली है या फर
थ पड़ रसीद करने वाली है।

हमला होने या वहार से कैसे बचा जाए


अ धकतर नरवानर समपण दखाने के लए अपनी नज़र हटा लेत े ह। अगर कोई क प
आ ामकता दखाना चाहता है या फर आ मण करने वाला है, तो वह अपने शकार से नज़र
मलाए रखता है। हमले से बचने के लए शकार अपनी नज़र हटा लेगा और खुद को अपने
आकार से छोटा दखाने क को शश करेगा। वै ा नक माण से पता चला है क समपण करने
का वहार अ त व बनाए रखने के कारण से नरवानर के म त क का ह सा होता है।
आ मण होने पर हम अपने कंधे झुकाकर, बाँह को शरीर के नज़द क लाकर, अपने घुटन को
मलाकर, अपने टखन को कुस के नीचे बाँधकर खुद को छोटा दखाते ह और गले क सुर ा
के लए ठु ी को छाती के पास लाकर कह और दे खते ए अपनी नज़र को हटा लेत े ह। इन
मु ा से आ मणकारी के म त क म हमला न करने का संदेश स य हो जाता है और हमले
से बचा जा सकता है।

खुद को छोटा दखाने से हमलावर के म त क का


आ ामक वच बंद हो जाता है।

य द आपसे कोई भूल ई है और कोई व र आपको डाँट रहा है तो आपको यही मु ा


अपनानी चा हए, ले कन सड़क पर होने वाले हमले म ऐसा करना हा नकारक हो सकता है।
अगर कोई संभा वत हमलावर के समूह के सामने से गुज़र रहा है, तो ऐसा करना डर का
संकेत दे गा और इसके कारण हमला हो सकता है। अगर आप बड़े कदम उठाते ए सीधे चलगे,
अपनी बाँह और टाँगे झटकते ए आगे बढ़गे तो आप यह संदेश दगे क ज़ रत पड़ने पर आप
खुद को बचा सकते ह और इससे हमला होने क आशंका कम हो जाएगी।

तरछ नज़र डालना


तरछ नज़र का इ तेमाल दलच पी, अ न तता या श ुता का संदेश दे न े के लए कया जाता
है। य द इसके साथ-साथ भ ह उठ ह या फर मु कुरा रहा हो, तो इसका मतलब है क
वह दलच पी दखा रहा है। अ धकतर म हलाएँ इसका इ तेमाल णय- नवेदन के संकेत के
प म करती ह। य द इसके साथ भ ह नीचे क ओर ह , उनम शकन हो या मुंह के छोर नीचे क
ओर ह , तो यह संदेहजनक, श ुतापूण या आलोचना मक रवैय े का संकेत है।

लगातार आँख झपकाना


आँख झपकाने क सामा य दर छह से आठ त मनट है और ऐसे म आँख केवल सेकड के
दसव ह से तक ही बंद रहती ह। झूठ बोलने जैसी थ त म दबाव म आने पर लोग आँख
झपकाने क दर ब त तेज़ी से बढ़ा लेत े ह। लगातार आँख झपकाकर उस का म त क
आपको नज़र से र कए जाने का अवचेतन यास करता है, य क वह या तो आपक बात
से ऊब गया है, उसक दलच पी ख म हो गई है या फर उसे लगता है क वह आपसे बेहतर है।
यह ठ क वैसा है क जैसे उसका दमाग आपसे बातचीत अब और सहन नह कर सकता,
इस लए वह अपनी नज़र से आपको हटाने के लए आँख को दो-तीन सेकड या उससे अ धक
समय तक बंद रखता है, वे तब तक बंद रहती ह जब तक क आप उसके दमाग से हट न जाएँ।
आपको र रखने का यास

खुद को े तर समझने वाले अपने सर को पीछे एक ओर करके आपको थोड़ी दे र तक दे खते


ह, इसे ‘नीची नगाह से दे खना‘कहते ह। ऐसा उस ारा भी कया जाता है, जो सोचता है
क उसक अह मयत पर यान नह दया जा रहा। यह मु यतया प मी सं कृ त क मु ा है और
अं ेज़ लोग क वशेषता है, जो वयं को उ च ेणी का मानते ह। अगर आप बातचीत के दौरान
ऐसा होते दे ख तो इसका मतलब है क आपका दशन अ छा नह है और आपको बात बदल
लेनी चा हए। अगर आपको लगता है क अहंकारी है, तो इसे आज़माएँ । जब वह
तीसरी या चौथी बार आँख बंद करे तो अपनी दाई या बाई ओर कुछ कदम बढ़ाएँ। जब वह
आँख खोलेग तो उसे म होगा क आप वहाँ पर नह ह और सरी जगह पर मौजूद ह
इससे वह घबरा जाएगा। अगर वह खराटे भरने लगे तो आप पूरी तरह मान सकते ह क अपनी
बात प ँचाने म आप नाकाम रहे ह।

सरसरी नगाह से दे खना (डा टग आईज़)


जब आँख एक ओर से सरी ओर लगातार घूमती रहती ह, जैसे क वह कमरे म हो रही
ग त व धय को दे ख रहा हो, ले कन असल म उसका दमाग वहाँ से बचने का रा ता ढूं ढ रहा
होता है (जैसा क बंदर और क पय म होता है)। यह उस माहौल को लेकर उस क
असुर ा भी करता है।
जब आप कसी ब त ही उबाऊ इंसान के साथ होते ह तो आपक सहज इ छा बचने
का रा ता ढूँ ढने के लए कह और दे खने क होती है। ले कन हमम से अ धकतर लोग जानते ह
क कह और दे खना उस इंसान म दलच पी न होना और बच नकलने क इ छा करता
है, इस लए हम उसी इंसान क ओर यादा दे खने लगते ह और दलच पी का ढ ग करने के लए
ह ठ को भ चकर मु कुराते ह। यह बताव उस झूठे के जैसा है जो यादा भरोसेमंद दखने
के लए नज़र यादा मलाता है।

चेहरे का भूगोल
आमने-सामने बातचीत करते ए नज़र के दायरे म दखता के चेहरे और शरीर का
भौगो लक े उसके प रणाम पर ब त बड़ा असर डालता है।
अगले भाग को पढ़ने के बाद बना कसी को बताए हमारी तकनीक को आज़माने क
को शश करके आप इनके ज़बरद त असर को खुद ही महसूस कर सकते ह। ह ते भर तक
आँख क इन तकनीक का अ यास कर आप दे खगे क ये आपके आपसी संचार का सामा य
ह सा बन जाएँगी। टकटक लगाकर दे खने के तीन बु नयाद तरीके ह। सामा जक (सोशल
गेज़), अंतरंग (इं टमेट गेज़) और श (पावर गेज़ ।)

1. सोशल गेज़
टकटक लगाकर दे खने को लेकर कए गए योग से उजागर आ है क सामा जक मेलजोल के
दौरान कसी क आँख सरे के चेहरे के कोणीय ह से यानी आँख और मुंह के बीच
लगभग 90 तशत समय तक दे खती ह।

(सोशल गेज़ का े )

चेहरे के इस ह से को हम संकट न होने क सामा य प र थ तय म दे खते ह। ऐसे म


सरा इंसान आपको आ ामक नह समझेगा।

2. इं टमेट गेज़
जब लोग थोड़ी री से एक- सरे तक प ँचते ह तो वे तेज़ी से सरे के चेहरे और उसके
लग को जानने के लए शरीर के नचले ह से को पहले दे खते ह और फर उनम अपनी
दलच पी के तर को आँकने के लए सरी बार दे खते ह। यह नज़र आँख के पार और ठु ी के
नचले ह से से के शरीर के नचले ह से तक जाती है। ब त नज़द क मुलाकात म यह
आँख और छाती के बीच का कोणीय ह सा होता है और र से दे खने के मामले म यह आँख
से लेकर ॉइन ( ो ण े ) तक या उससे नीचे तक होता है।
ी- पु ष इसका इ तेमाल एक- सरे म दलच पी दखाने के लए करते ह और
दलच पी रखने वाले लोग जवाब म नज़र मलाते ह हम अ सर दो बार सरसरी नगाह डालते ह
और फर लोग के चेहरे को दो बार दे खते ह। अ धकतर लोग ारा मना कए जाने के बावजूद
हमारे छपे ए कैमर से ए अ ययन से उजागर आ है क हर कोई, यहाँ तक क न स भी,
ऐसा ही करती ह।
जैसा क हमने पहले भी कहा क म हला के पे रफेरल वज़न (प रधीय ) का
दायरा ब त व तृत होने के कारण वे कसी पु ष को ऊपर से नीचे तक दे ख सकती ह और
कसी को पता भी नह चलता । अपने टनल वज़न (सुरंग ) के कारण पु ष म हला को
ब त साफ़ तौर पर ऊपर से नीचे तक दे खते ह। पु ष पर म हला को नज़द क से घूरने के
आरोप का एक कारण यह भी हो सकता है, जब क म हला ारा घूरे जाने के बावजूद उन पर
ऐसा आरोप ब त कम लगता है। इसका यह मतलब नह क पु ष यादा घूरते ह, ब क यह है
क उनके टनल वज़न के कारण वे पकड़े जाते ह।

अंतरंग े

म हला के व तृत पे रफेरल वज़न का अथ है क वे पकड़ी नह जाती; पु ष के


टनल वज़न का अथ है क वे हमेशा पकड़े जाते ह

बातचीत के दौरान ज़मीन क तरफ़ दे खना म हला और पु ष के लए अलग मायने


रखता है। पु ष के लए यह म हला को उसे पूरी तरह दे खने का मौका दे ना होता है। म हला
इससे दोहरा मकसद पूरा करती है, वह पु ष को दे ख सकती है और ठ क उसी समय कह और
दे खते ए नीचे क तरफ़ दे खकर समपण का संकेत भी दे ती है।

पु ष को म हला से नज़र मलाने म परेशानी य


होती है? य क व पर आँख नह होती।
3. पावर गेज़
क पना क जए क कसी के माथे के बीच बीच तीसरी आँख है और उसक ‘तीन‘आँख
के बीच के कोणीय ह से को दे ख। इस तरह दे खने का सरे पर या असर पड़ता है,
यह तो ऐसा करके ही अनुभव कया जा सकता है।
इससे न केवल वातावरण ब त गंभीर हो जाता है, ब क उबाऊ को अपनी बात
रोकनी पड़ती है इस ह से पर नज़र जमाकर आप उस पर अपनी पकड़ बनाए रख सकते
ह।

पावर गेज़

अगर आप अपनी नज़र उनक आँख के तर से नीचे न कर तो दबाव बना रहेगा। दो ताना
रोमां टक मुलाकात म इसे ब कुल न या आज़माएँ। ले कन यह उस के लए ब कुल
उपयु है, जसे आप डराना चाहते ह या जो चुप न हो रहा हो।

घूरना (पावर टे अर)


अगर आपक आँख कोमल, कमज़ोर या अ भावी ह, तो आपको खुद को यादा भावशाली
बनाने के लए पावर टे अर का अ यास करना चा हए। अगर आप पर कोई हावी हो रहा है, तो
उससे आँख का संपक बनाते ए को शश क जए क आप पलक न झपकाएँ। हमलावर को
दे खते ए अपनी पलक को सकोड़कर उस पर यान क त कर। शकारी जानवर अपने
शकार पर हमला करने से पहले ऐसा ही करते ह। जब आप पलक झपकाए बना अपनी आँख
को एक से सरे पर जमाते ह, तो आपको दे खने वाले पर भी इसका असर पड़ता है
और वह हतो सा हत होता है।
ट मनेटर से न उलझे

इसके लए अपने कंध को थर रखकर पहले अपनी आईबॉ स (ने गोलक ) को हलाएँ और
फर अपने सर को घुमाएँ। आन ड ा ज़नेगर ने द ट मनेटर म इसी पावर टे अर को अपनाया
था, इससे हमलावर के दल दहल जाते ह। वैसे बेहतर यही है क आप सफ खुश मज़ाज लोग
से ही संपक रख, ता क आपको कभी पावर टे अर का इ तेमाल ही न करना पड़े ।

एक नेता क कहानी
जब कोई बात करते ए इधर-उधर दे खता रहता है या आँख म सीधे नह दे खता, तो उस
क व सनीयता पर हमारा भरोसा नाटक य ढं ग से कम हो जाता है, जब क संभव है क वह
शम लेपन के कारण ऐसा न कर पा रहा हो। हमारे पास एक ऐसा नेता आया, जो इंटर ू
दे न े के मामले म अनाड़ी था और इंटर ू दे न े के दौरान रपोटर और कैमर के बीच अपनी नज़र
घुमाता रहता था। इससे न पर वह धूत दखाई दे ता था और हर बार ट वी पर आने पर उसक
लोक यता घट जाती थी। हमने उसे कैमरे को नज़र अंदाज़ कर केवल रपोटर को दे खने को
कहा और उसक व सनीयता बढ़ गई। एक अ य नेता को हमने कहा क टे ली वज़न पर बहस
म भाग लेत े ए वह टू डयो म बैठ जनता पर यान न दे कर केबल टे ली वज़न कैमरे को दे ख।
टू डयो म मौजूद 150 लोग भले उससे र ए ह , ले कन ट वी दे खने वाले लाख दशक को
लगा क वह सीधे उनसे बात कर रहा है और वे उससे ब त भा वत ए।

मेरी आँख क गहराई म दे खो


एक टे ली वज़न शो के लए हमने एक डे टग एजसी का उपयोग कर एक योग कया। कुछ
पु ष को हमने कहा क उनक अगली डेट उनके मनमुता बक है और संभावना है क वे उनके
साथ अ छा समय बताएँगे। हमने हर पु ष को कहा क बचपन म लगी चोट के कारण उसक
म हला - म क एक आँख म कुछ परेशानी है और इसके कारण वह उसे लेकर सशं कत रहती
है। हमने कहा क यह पता नह क वह कौन सी आँख है, ले कन यान से दे खने पर उ ह पता
लग जाएगा। हर म हला को भी उसके पु ष - साथी के बारे म यही कहा गया और बताया गया
क गौर से दे खने पर वह कमज़ोर आँख को पहचान सकेगी। डे टग पर सभी जोड़े अ धकतर
समय ‘कमज़ोर आँख‘क पहचान करने के लए एक- सरे क आँख म आँख डाले रहे।
प रणाम यह रहा क हर जोड़े का रोमांस व अंतरंगता का तर ब त ऊँचा रहा और उनके दोबारा
मलने क संभावना एजसी के औसत से 200 तशत अ धक रही।

लगातार नज़र मलाने से अंतरंग भावनाएँ पैदा हो सकती


लोग को यह कहकर क उनके डेट के साथी को सुनने म द कत होती है और उ ह सामा य से


10 तशत ऊँची आवाज़ म बातचीत करनी होगा, आप उनम अलगाव पैदा कर सकते ह। इससे
जोड़े लगातार ऊँची आवाज़ म बात करते रहगे और शाम के आ खर तक वे एक- सरे पर
च लाने लगगे।

इंटर ू के शु आती 20 सेकड


कई लोग को बताया जाता है क से स या नौकरी के इंटर ू के दौरान उ ह सामने वाले
से आँख का संपक बनाए रखना चा हए और बैठने तक उसे बरकरार रखना चा हए। इससे
इंटर ू लेने और दे न े वाले, दोन को परेशानी हो सकती है, य क कसी से पहली बार मलने
पर हम ऐसा नह करते। पु ष म हला के बाल, उसक टाँग, शरीर का आकार और पूरी
श सयत का जायज़ा लेना चाहता है। अगर वह उससे नज़र मलाए रखती है तो इस या म
कावट आती है और उसे इंटर ू के दौरान पकड़े जाने से बचने के लए उस पर चुपके से नज़र
डालनी पड़ती है। इस तरह उसका यान इंटर ू से भटक जाता है। कुछ म हला को इस बात
से नराशा होती है क तथाक थत बराबरी क नया म पु ष अब भी ऐसा करते ह, ले कन हम
पसंद कर या नह , छपे ए कैमरे हम बताते ह क यही सच है।

आप इसे पसंद कर या न कर, हर कोई कमरे से नकलती


ई म हला के पछले ह से को नज़र बचाकर ताकता है,
चाहे उ ह उसका अगला ह सा नापसंद ही य न हो

वी डयो कैमरे यह भी बताते ह क इंटर ू लेने वाली म हलाएँ भी इंटर ू दे ने आए पु ष व


म हला को ऐसे ही दे खती ह, ले कन उनके व तृत प रधीय के कारण वे पकड़ी नह
जात । पु ष के बजाय म हलाएँ इंटर ू के लए आई म हला उ मीदवार के त यादा
आलोचना मक होती ह, जो दखने म भावशाली नह होत ।
म हलाएँ पु ष उ मीदवार के बाल क लंबाई, कपड़ के डज़ाइन और मेल खाती पतलून क
ज़ और जूत क चमक पर गौर करती ह। अ धकतर पु ष इस बात को लेकर अनजान होते ह
क कमरे से नकलते ए म हलाएँ उनके जूत के पछले ह से क थ त को भी दे खती ह।

समाधान
जब कभी आप इंटर ू के लए जाएँ तो हाथ मलाकर इंटर ूअर को दो-तीन सेकड का समय
द, ता क वे आपको अ छ तरह दे ख सक। अपना ीफ़केस या फ़ो डर खोलने के लए नीचे दे ख
या मह वपूण काग़ज़ को ठ क कर, कोट टाँगने के लए मुड़ या कुस को नज़द क लाने के लए
ख च और फर ऊपर दे ख। से स इंटर ू फ़ माने के दौरान हमने पाया क इससे न केवल
इंटर ू अ छे रहे, ब क इस रणनी त को अपनाने वाले से स के लोग को बेहतर से स प रणाम
मले।

आप कस ओर दे ख रहे ह?
कसी क आँख क ग त व धय से पता चल जाता है क उनका दमाग कस चीज़ पर
यान लगा रहा है, वह दे खी ई, सुनी ई, सूँघी गई, वाद ली गई या छु ई गई चीज़ को याद करने
क को शश कर रहा है। अमे रक मनोवै ा नक ाइंटर और बडलर ने इस तकनीक का वकास
कया है, जसे यूरो ल व टक ो ा मग या एनएलपी कहा जाता है।
साधारण श द म, अगर कोई दे खी ई चीज़ को याद कर रहा है, तो उसक
आँख ऊपर क ओर घूमगी। अगर वह सुनी ई बात को याद कर रहा है तो वह सर को एक ओर
झुकाकर उस तरफ़ दे खेगा जैसे क कुछ सुन रहा हो। अगर वह कसी एहसास को याद
कर रहा है तो वह नीचे दा तरफ़ दे खेगा। य द वह ख़ुद से बात कर रहा है तो वह नीचे दा
ओर दे खेगा।
मु कल यह है क आँख क ये हरकत एक सेकड के ब त छोटे से तौर पर ह से म होती ह
और अ य मु ा के साथ होती ह, जससे सीधे तौर पर य पढ़ना क ठन होता है।
वी डयोटे प को दे खने से आप उस क बोली ई बात और उसक असली सोच म अंतर को
दे ख सकते ह।
पतीस तशत लोग वजुअल इ फॉमशन चैनल ( दखने वाली जानकारी) पसंद करते ह
और म दे ख सकता ं क आप या कहना चाहते ह’, ‘ या आप इसे दे ख सकते ह ?’, ‘यह तो
ब कुल प है’ या ‘ या आप मुझ े दखा सकते ह?’ जैसे वा य का इ तेमाल करते ह। ऐसे
लोग को त वीर, चाट् स और ा स दखाकर आप उनका यान अपनी ओर ख च सकते ह और
उनसे पूछ सकते ह क उ ह सही त वीर मली या नह ।
प चीस तशत लोग ऑ डटरी चैनल (सुनकर मली जानकारी) पसंद करते ह और
‘इससे दमाग़ क घंट बजी’, ‘म आपको सुन सकता ’ँ ‘यह सुनने म ठ क नह लगता’ और वे
आपके साथ ‘सही सुर’ म ह, जैस े श द का योग करते ह। अ य चालीस तशत लोग
फ़ ल स चैनल (महसूस करके मली जानकारी) पसंद करते ह और ‘इस वचार को अपनाते ह’,
‘हमारे डपाटमट को ो साहन क ज़ रत है’ और ‘म आपक बात समझ नह पा रहा’ जैसी
बात कहगे। उ ह चीज़ का परी ण करना पसंद होता है और उ ह कसी परी ण म शा मल
करके पूछा चा हए क या ‘वे बात को समझ पाए’।
एनएलपी एक शानदार खोज और ज़बरद त संचार साधन है, जसे एक अलग वषय
मानना चा हए। हमारा सुझाव है क आप इस कताब म दए गए रे रस से शन म बताई गई
ाइंडर और बडलर क रचनाएँ पढ़कर इस वषय को समझने क को शश कर।

ोता से कैसे मलाई जाए


ोफ़ेशनल कॉ स पीकस होने के नाते हमने ोता का यान अपनी ओर रखने और उ ह
जोड़े रखने का एहसास दे ने के लए एक तकनीक वक सत क । 50 लोग के समूह म हर एक से
नज़र मलाना संभव है, ले कन बड़े समूह म यादा पीछे खड़े होने के कारण आपको अलग
तरीका अपनाने क ज़ रत होती है। आप समूह के हर कोने और बीच बीच कसी वा त वक या
का प नक ब या इंसान को खड़ा मान सकते ह। य द आप आगे क पं से 10 याड (10
मीटर) क री पर ह तो 50 लोग के समूह म से लगभग 20 लोग को लगेगा क बोलते ए आप
उ ह दे ख रहे ह और इस तरह आप अपने अ धकतर ोता से जुड़ जाएँगे।

वजुअल इ फ़ॉमशन ( य संबंधी जानकारी) कैसे द जाए


जब आप पु तक , चाटस, ा स या लैपटॉप से वजुअल ेज़टे शन दे रहे होते ह तो यह जानना
ज़ री है क सरे क को कैसे नयं त कया जाए। शोध दखाते ह क वजुअल
ेज़टे श स म म त क तक 83 तशत जानकारी आँख से, 11 तशत कान से और 6
तशत अ य इं य से प ँचती है।

वजुअल ेज़टे शन के दौरान इं य से मली जानकारी का म त क पर भाव

अमे रका म ए वॉटन अ ययन म पाया गया क वबल ेज़टे शन यानी शा दक तु तकरण से
मली जानकारी याद रखने का तशत केवल 10 था। इसका अथ है क शा दक तु तकरण
को असरदार बनाने के लए मु य ब को कई बार दोहराना पड़ता है। इसक तुलना म वबल
और वजुअल ेज़टे शन को मलाकर याद रखने क दर 50 तशत हो जाती है। इसका मतलब
है क वजुअल एड् स यानी य संबंधी सहायक चीज़ के इ तेमाल से कुशलता म 400 तशत
तक वृ हो सकती है। अ ययन म यह भी पाया गया क वजुअल एड् स के इ तेमाल से औसत
बज़नेस मी टग के समय को 25.7 मनट से घटाकर 18.6 मनट कया जा सकता है यानी समय
क 28 तशत बचत होती है।
पावर ल ट
कसी इंसान क नज़र को काबू म रखने के लए तथा ेज़टे शन क ओर इशारा करने के लए
पेन का इ तेमाल कर और उसी समय दखने वाली बात को श द से कर। फर पेन को
ेज़टे शन से उठाकर उसे अपनी और उसक आँख के बीच म रख। इससे उसका सर उठ
जाएगा और वह आपक तरफ़ दे खकर आपक बात को दे खेगा और सुनेगा, जससे आपक
अ धकतर बात उस तक प ँच सकेगी। बोलते ए अपनी सरी हथेली खुली रख।

पावर ल ट - ेज़टे शन के दौरान क को नयं त करने के लए पेन का


इ तेमाल कर

हमने यह भी पाया क ेज़टे श स के दौरान पु ष क तुलना म म हलाएँ आँख के ारा अ धक


सीधा संपक बनाए रखती ह, वशेषकर जब वे बात न कर रही ह । ले कन बात करते ए पु ष
के मुकाबले म हलाएँ अपनी अ धक हटाती ह।
पु ष म हला को यादा घूरते ह और म हला क बात सुनने क तुलना म पु ष
क बात सुनते ए आँख से कम संपक बनाते ह।

सारांश
आमने-सामने क बातचीत पर इस बात का ब त असर पड़ता है क आपक नज़र कहाँ जमी ह।
य द आप मैनेजर ह और अपने मातहत कसी लापरवाह कमचारी को डाँटने वाले ह या माता/
पता ह जो अपने ब चे को डाँटने वाले ह, तो आपक कैसी होगी ? य द आप सोशल ग ज़ग
अपनाएँगे तो आपक बात का कोई वज़न नह रह जाएगा, फर चाहे आप कतनी भी ज़ोर से
डाँटने क को शश कर। सोशल गे ज़ग आपके श द को कमज़ोर कर दे गी, जब क इं टमेट
गे ज़ग से वे डर या झप जाएँगे। पावर गे ज़ग का डाँट खाने वाले पर ज़बरद त असर पड़ेगा और
उसे प संदेश मलेगा।

सही का योग व सनीयता दे ता है।

म हला क जस नज़र को पु ष ‘आमं त करने वाली‘कहते ह, वह तरछ नगाह , फैली


पुत लय और इं टमेट गे ज़ग से जुड़ी होती है। य द कोई म हला यह जताना चाहती है क उसे
पाना मु कल है तो उसे इं टमेट के बजाय सोशल गे ज़ग को अपनाना चा हए। ले कन अ धकतर
पु ष इसे समझने म नाकाम रहते ह। णय- नवेदन के दौरान पावर गेज़ के इ तेमाल से उस
म हला या पु ष पर ठं डा या खा होने का ठ पा लग सकता है। संभा वत साथ पर जब आप
इं टमेट गेज़ का इ तेमाल करते ह तो आप अपने प े खोल दे त े ह। इस नज़र के आदान- दान म
म हलाएँ कुशल होती ह, ले कन बद क मती से पु ष ऐसे नह होते। जब पु ष इं टमेट गेज़
अपनाते ह तो अ सर म हला को उसका प पता चल जाता है, जब क म हला ारा
इसका इ तेमाल कए जाने पर पु ष इससे अनजान रहते ह और इससे म हलाएँ हताश हो जाती
ह।
अ याय 9

घुसपैठ करने वाले – इलाके और


नजी दायरे

‘माफ़ क जए.... आप मेरी सीट पर बैठे ह!’

पशु–प य , मछ लय और नरवानर ारा अपनी जगह क घेराबंद करने और अपने े क


सुर ा करने को लेकर ब त – सी पु तक व लेख लखे जा चुके ह, ले कन हाल ही के वष म यह
बात सामने आई क इंसान के भी अपने दायरे या े होते ह। इस त य के न हताथ समझकर
आप भी अपने बताव को गहराई से समझ सकते ह और लोग के साथ मुलाकात म उनक
त या का पूवानुमान लगा सकते ह। अमे रक मानव व ानी एडवड हॉल मनु य क थान
संबंधी आव यकता का अ ययन करने वाले अ णय म से थे और 1960 के आरं भक दशक
म उ ह ने ‘ ॉ स मट ’ यानी ‘नज़द क ’ श द से एक नया श द ‘ ो से म स’ गढ़ा। इस े म
उनके शोध से हमारे आपसी संबंध को लेकर एक नई समझ सामने आई।
हर दे श एक ऐसा े है, जो सीमा से प तौर पर प रभा षत होता है और कई बार
उसक र ा म सश र क लगे होते ह। हर दे श म अ सर रा य और ांत के प म छोटे े
होते ह। इनके अंदर भी नगर व क बे जैसे अ धक छोटे े होते ह, जनके भीतर उपनगर होते ह
और उनम कई सड़क व ग लयाँ होती ह। ये भी एक कार से वहाँ रहने वाले लोग के लए े
या दायरे का त न ध व करती ह। सनेमा हॉल म कुस के ह थे पर हक जमाने के लए हम
अजनबी लोग से एक ख़ामोश लड़ाई लड़ते ह। कसी भी े के नवासी उसके त एक अमूत
न ा रखते ह और उसक र ा के लए पशुता और अ य लोग को मरने-मारने पर तक उता हो
जाते ह।
कसी इंसान के आसपास का दायरा भी एक कार का इलाका होता है, जसे वह
अपना कहता है और वह वयं उसका ही व तार होता है। हर का अपना नजी दायरा
होता है, जसम उसक संप जैस े क चारद वारी से घरा उसका घर, उसके अंदर रखा उसका
वाहन, उसका शयनक या उसक कुस , और जैसा क डॉ टर हॉल ने खोजा, उसके शरीर के
आसपास का उसका एयर पेस यानी हवाई े शा मल होता है।
इस अ याय म हम मु यतया इस हवाई े के न हताथ, इस पर हमला होने पर लोग
क त या और ‘बाँह भर का फ़ासला‘ रखने के संबंध के मह व को समझगे।

नजी दायरा
अ धकतर ा णय के शरीर के आसपास एक न त हवाई े होता है, जसे वे अपना नजी
े मानते ह। यह दायरा कतना बड़ा होगा, यह इस बात पर नभर करता है क वह ाणी
कतनी भीड़भरी प र थ तय म पला-बढ़ा है और थानीय सं या का घन व कतना था।
इस लए थानीय प र थ तय के मुता बक नजी दायरा व तृत या संकु चत हो सकता है।
अ का के सु र े म पले-बढ़े शेर का े ीय दायरा उस े के शेर क सं या के घन व के
अनुसार 30 मील (50 कलोमीटर) तक या उससे अ धक हो सकता है। वह मल या मू याग
करके अपनी सीमाएँ नधा रत करता है। सरी ओर, अ य शेर के साथ पजरे म पले-बढ़े शेर
का नजी दायरा केवल कुछ याड (मीटर) का हो सकता है, जो क भीड़ भरी प र थ तय का
सीधा प रणाम है।
अ धकतर ा णय क तरह, हर इंसान का भी अपना नजी चलायमान अथात् या
पोटबल ‘एयर बबल’ (हवा का बुलबुला) होता है, जसे लेकर वह चलता है; इसका आकार उस
जगह के जनसं या घन व पर नभर करता है, जहाँ वह पला-बढ़ा है। पसनल पेस या नजी
दायरा सां कृ तक तौर पर नधा रत होता है। जापान जैसी सं कृ तयाँ भीड़भाड़ क आद ह,
जब क अ य सं कृ तयाँ खुल े ए े को पसंद करती ह और आपसे फ़ासला बनाए रखना
चाहती ह।
नजी े – पोटवल बबल, जसे हम अपने साथ लेकर चलते ह

शोध बताते ह क समुदाय क तुलना म जेल म लोग को बड़े नजी दायर क ज़ रत


होती है, जसके कारण अ य लोग के नज़द क आने पर कैद आ ामक हो जाते ह। एकांत
कारावास म जब कैद के नजी दायरे म कोई और नह होता, तो वह शांत हो जाता है। 1990 के
दशक म वमान म या ी अ धक हसक हो गए थे, य क आय म ए नुकसान क भरपाई के
लए वमान कंप नय ारा क मत म रयायत दे न े से यादा लोग वमान म सवार होने लगे थे।

े ीय रयाँ
अब हम ऑ े लया, यूज़ीलड, ेट टे न, उ री अमे रका, उ री यूरोप, क डने वया, कनाडा
या फर सगापुर, गुआम और आइसलड जैस े ‘पा ा यीकरण‘ वाले दे श के उपनगर म रहने
वाले म यमवग य लोग के आसपास के हवाई बुलबुले के दायरे पर वचार करगे। हो सकता है
क जस दे श म आप रहते ह , उनके े यहाँ बताए गए े से बड़े या छोटे ह , ले कन
आनुपा तक तौर पर वे ऐसे ही रहगे। 12 वष क आयु तक ब चे इस फ़ासले के बारे म सीख
जाते ह, इसे चार अलग-अलग इलाक म बाँटा जा सकता है :

1. अंतरंग े (इं टमेट ज़ोन) 6 से 18 इंच (15–45 सट मीटर) के बीच होता है। सभी े म
से यह सबसे मह वपूण है, य क कोई भी इंसान अपनी संप क तरह इसक र ा करता है।
भावना मक तौर पर हमारे नज़द क लोग ही इसम वेश पा सकते ह। ेमी, माता- पता, प त-
प नी, ब चे, नज़द क दो त, र तेदार और पालतू जानवर इनम शा मल ह। इसम शरीर के 6 इंच
(15 सट मीटर) दायरे तक का एक उप े होता है, जसम ब त अंतरंग संपक के दौरान ही
प ँचा जा सकता है। यह नज़द क अंतरंग े होता है।

2. नजी े (पसनल ज़ोन) 18 इंच से 48 इंच (46 सेमी – 1.22 मीटर) के बीच होता है। हम
कॉकटे ल पा टय , ऑ फ़स पा टय , सामा जक समारोह और दो ताना मह फ़ल म बाक लोग
से इतने फ़ासले पर खड़े होते ह।

3. सामा जक े (सोशल ज़ोन) 4 से 12 फ़ ट (1.22 – 3.6 मीटर) के बीच होता है। हम


अजन बय , घर म काम करते ल बर या बढ़ई, पो टमैन, थानीय कानदार, द तर म आए नए
कमचारी और कम जान-पहचान वाले लोग से इस री पर खड़े होते ह।

4. सावज नक े (प लक ज़ोन) 12 फ़ ट (3.6 मीटर) से अ धक होता है। कसी बड़े समूह


को संबो धत करने क थ त म हम इतनी री पर खड़े होते ह।

नजी े क री

म हला के बीच ये सभी फ़ासले घटते ह और पु ष के बीच बढ़ते ह।

े ीय री के ावहा रक उपयोग
हमारे इं टमेट ज़ोन (6 से 18 इंच, 15–45 सेमी) म कोई इंसान इनम से कसी एक कारण से
वेश करता है : पहला, वह ब त नज़द क र तेदार या दो त है या फर वह यौन संपक क
को शश कर रहा हो; सरा, वह श ुतापूण हो और हमला करने वाला हो। हम अजन बय को
अपने पसनल और सोशल ज़ोन म आने दे ते ह, ले कन वे हमारे इं टमेट ज़ोन म आ जाए तो हमारे
शरीर म बदलाव आने लगते ह। दल ज़ोर से धड़कने लगता है, र म ए ेन लन बढ़ जाता है,
र म त क म जाने लगता है और हमारी मांसपे शयाँ संभा वत लड़ाई या भाग नकलने क
थ त के लए शारी रक तैयारी करने लगती ह।
इसका मतलब है क कसी ऐसे के गले म बाँह डालने से, जससे आपक अभी
मुलाकात ई हो, वह आपके त नकारा मक महसूस कर सकता है। यह और बात है क
वह मु कुराकर उसे झेल रहा हो, ता क आपको बुरा न लगे।

पु ष क तुलना म म हलाएँ एक- सरे के यादा नज़द क


खड़ी होती ह, एक- सरे का यादा सामना करती ह। और
एक- सरे को यादा छू ती ह।
अगर आप चाहते ह क आपके आसपास लोग यादा आरामदे ह महसूस कर तो सुनहरा नयम
यही है क ‘सही फ़ासला बनाए रख’। अ य लोग के साथ हमारा र ता जतना यादा अंतरंग
होता है, वे हम अपने इं टमेट ज़ोन म उतना ही अंदर आने दे त े ह। उदाहरण के लए, काम पर
आए नए कमचारी को शु म लग सकता है क बाक लोग उसके त थोड़े खे ह, ले कन सच
यह है क वे उसे तब तक अपने सोशल ज़ोन म रखते ह, जब तक क वे उससे अ छ तरह
प र चत नह हो जाते। जैसे ही लोग उसे अ छ तरह जानने लगते ह, उनके बीच का अंतर कम
होने लगता है और आ ख़रकार वह उनके पसनल ज़ोन म आ सकता है और कुछ मामल म तो
उनके इं टमेट ज़ोन तक प ँच सकता है।

कौन कसके दायरे म होता है?


दो य के गले लगने पर उनके कू ह के बीच का फ़ासला उनके र ते का संकेत दे ता है।
ेमी अपने धड़ को आपस म मलाते ह और एक- सरे के इं टमेट ज़ोन म वेश करते ह। यह
नए साल पर कसी अजनबी से, अपनी दो त के जीवनसाथी या फर अपनी बूढ़ आंट से चु बन
पाने से अलग है, जसम सभी अपने पे वक ( ो ण) े को आपसे 6 इंच (15 सेमी) र रखते
ह।
फ़ासले/नज़द क के नयम का एक अ य अपवाद तब सामने आता है, जब थान से
संबं धत री के सामा जक तबे से जुड़ी हो। उदाहरण के लए, जब एक कंपनी का
सीईओ अपने कसी मातहत कमचारी के साथ छु के दन मछली पकड़ने जाता है, तो वे दोन
एक- सरे के नजी या अंतरंग े म आते-जाते ह। ले कन द तर म सीईओ सामा जक ओहदे
के अ ल खत नयम को मानते ए उससे सामा जक री बनाए रखता है।

हम ल ट् स म जाना य नापसंद है
संगीत समारोह, सनेमा, रेल या बस म अनचाहे ही लोग के इं टमेट ज़ो स म घुसपैठ होती है
और ऐसे म लोग क त या दे खने लायक होती है। भीड़ भरी जगह , जैस े लोग से खचाखच
भरी ल ट म, कसी सड वच शॉप क कतार म या सावज नक प रवहन म सफ़र करते ए,
अ धकतर सं कृ तय म लोग कुछ नयम का पालन करते ह।
ल ट म चलने के कुछ आम नयम इस कार ह :

1. कसी से भी बात नह करनी होगी, चाहे कोई आपक जान-पहचान का ही य न


हो।
2. सभी लोग से नज़र बचाकर रखनी ह गी।
3. चेहरा भावशू य बना रहे।
4. य द कोई कताब या अख़बार आपके हाथ म है, तो उसम डू ब े रहने का दखावा
कर।
5. यादा भीड़ होने पर शारी रक ग त व ध नह होगी।

ऐसा बताव ‘मा कंग’ यानी भावना को छपाना कहलाता है और यह हर जगह आम है। यह
एक न प मुखौटा पहनकर अपनी भावना को अ य लोग से छपाने क को शश है।
हम अ सर त समय म सावज नक प रवहन से सफ़र करते लोग का वणन करने के
लए ‘ खी’, ‘नाख़ुश’ और ‘उदास’ जैसे श द का इ तेमाल करते ह। इनके ारा हम या य के
ख़ाली, भावनाशू य चेहर का वणन करते ह, ले कन यह दरअसल दे खने वाले क ग़लत धारणा
है। जो कुछ दखाई दे ता है, वह असल म लोग ारा अपनी भावना को छपाने क को शश है,
ऐसा करके वे उन नयम का पालन कर रहे होते ह, जो भीड़भरी जगह म उनके इं टमेट ज़ोन म
होने वाली अप रहाय घुसपैठ पर लागू होते ह।

सावज नक प रवहन म सफ़र कर रहे लोग नाख़ुश नह


होते, वे तो बस अपनी भावना को ज़ा हर नह होने
दे ते।

अगली बार भीड़ भरे सनेमा म अकेले जाने पर अपने बताव पर गौर कर। अजनबी चेहर से
घरी ई अपनी सीट चुनते ए गौर कर क कस तरह एक ी- ो ा ड रोबोट क तरह आप भी
भीड़भाड़ वाली जगह म अपनी भावनाएँ छपाने के अ ल खत नयम का पालन करना शु
कर दगे। अपनी सरी ओर बैठे अजनबी के साथ कुस के ह थे के लए मुकाबला करते ए आप
समझ जाएँग े क अ सर सनेमा म अकेले जाने वाले लोग य लाइट बंद होने और फ़ म शु
हो जाने पर ही अपनी सीट पर य प ँचते ह। हम चाहे भीड़ भरी ल ट म ह , सनेमा हॉल म
या फर बस म, आसपास के लोग हमारे लए अ त वहीन हो जाते ह, यानी हमारे लए उनका
कोई वजूद नह रहता। इस लए जब कोई हमारे दायरे म घुसपैठ करता है, तब भी हम इस तरह
त या नह करते, जैसे हम पर हमला कया जा रहा हो।

भीड़ ो धत य हो जाती है
कसी साझे उ े य से जुट गु सैल भीड़ या दशनका रय के समूह का बताव उस से
अलग होता है, जसके दायरे म घुसपैठ ई हो; ब क इसम अलग कुछ घ टत होता है। भीड़
बढ़ने के साथ हर का नजी दायरा कम होता जाता है और वह मनी का भाव महसूस
करने लगता है। यही कारण है क भीड़ बढ़ने के साथ ही अ धक गु सैल व ख़तरनाक होती जाती
है और झगड़ क आशंका होने लगती है। पु लस भीड़ को ततर– बतर करने क को शश करती
है, ता क हर कसी को अपना नजी े मल जाए और वह शांत हो जाए।
हाल के वष म ही सरकार और शहर क योजना बनाने वाल को समझ आने लगा है
क उ च घन व वाली आवास प रयोजनाएँ कैसे लोग को उनके नजी े से वं चत करती ह।
अमे रका म चैज़ापीक बे म मैरीलड के तट से लगभग एक मील (2 कलोमीटर) र मौजूद जे स
प पर हरन के एक अ ययन से उ च घन व म रहने और अ य धक भीड़भाड़ से होने वाले
प रणाम सामने आए। वहाँ पर बड़ी सं या म हरन क मौत हो रही थी, जब क वहाँ उनके लए
पया त भोजन था, उनके शकारी नह थे और कोई सं मण भी मौजूद नह था। चूह और
खरगोश पर ए इसी तरह के अ ययन से यही वृ सामने आई। अ धक खोजबीन से पता
चला क हरन अ त स य ए ीनल ं थ के कारण मारे गए, जो हरन क सं या बढ़ने के साथ
हर हरन के नजी े के कम हो जाने से पैदा ए तनाव का प रणाम था। शरीर क बढ़ोतरी,
जनन और सुर ा को नयं त करने म ए ेनल ं थ मह चपूण भू मका नभाती है। अ य धक
सं या बढ़ने के कारण पैदा ए तनाव के त ई शारी रक त या के कारण मौत ई, न क
भूख, सं मण या अ य हरन क आ ामकता के कारण यही कारण है क उ च जनसं या
घन व वाले इलाक म सबसे अ धक अपराध होते ह और हसा क दर अ धक होती है।

हमारी एक सबसे गहरी इ छा ज़मीन का मा लक बनना


है। यह दबाव इस स चाई से आता है क उससे हम हमारा
अपना े मलता है।

पूछताछ करने वाले अपरा धय से सवाल करते ए उ ह तोड़ने के लए े ीय घुसपैठ क


तकनीक अपनाते ह। वे अपराधी को कमरे क खुली जगह म बना ह थे क थर कुस पर
बैठाकर उसके अंतरंग और नज़द क इं टमेट जो स म घुसपैठ कर उससे तब तक सवाल करते
ह, जब तक क वह जवाब न दे । इस तरह के उ पीड़न से कुछ ही दे र म अपराधी का तरोध टू ट
जाता है।

इलाका तय करने के तरीके


जब कोई अजन बय के बीच कसी जगह या े पर, जैस े क सनेमा हॉल म कसी
सीट, स मेलन म कसी मेज़ या हे थ लब म कसी तौ लये पर दावा करता है, तो यह ब त
संभा वत तरीके से होता है। वह अ सर दो लोग के बीच मौजूद सबसे यादा फ़ासले क तलाश
करता है और उसके ठ क बीच वाले े पर दावा करता है। सनेमा हॉल म वह कतार के एक
सरे और सबसे नज़द क बैठे के बीच बीच मौजूद सीट चुनेगा। हे थ लब म वह उस
तौ लये के क को चुनेगा जो सबसे बड़े उपल ध े म हो-दो अ य तौ लय के बीच बीच या
फर सबसे नज़द क तौ लए और टावल रैक के सरे के बीच बीच। इस तरीके को अपनाने का
ल य अ य लोग के यादा नज़द क या फर उनसे ब त र जाकर उ ह नाराज़ करने से बचना
है।

डॉ टर और हेयर ेसस को हमारे इं टमेट ज़ो स म वेश


क अनुम त होती है। हम पालतू जानवर को भी आने दे ते
ह, य क उनसे हम कोई ख़तरा नह होता।

सनेमा म अगर आप कतार के छोर और सबसे नज़द क इंसान के बीच बीच क री से अ धक


री क सीट चुनगे तो सरे को आपके ब त र बैठने या उसके ब त नज़द क बैठने क
बात से बुरा लग सकता है। जगह चुनने के इस तरीके का मुख उ े य सामंज य बनाना है और
यह सीखा आ बताव लगता है।
इस नयम का एक अपवाद सावज नक शौचालय के लॉक ह। हमने पाया क लोग
100 म से 90 बार शौचालय का अं तम छोर चुनते ह और अगर उनम पहले से कोई है तो बीच
का तरीका चुना जाता है। सावज नक मू ालय म पु ष कसी अजनबी के साथ खड़े होने से
हमेशा बचने क को शश करते ह और ‘आँख मलाने से पहले मौत आ जाए’ के अ ल खत
नयम का पालन करते ह।

खाने के दौरान परी ण


अगली बार कसी के साथ भोजन करने पर यह सामा य सा परी ण कर। अनकहे े ीय नयम
के मुता बक रे टोरट क मेज़ बीच बीच से बराबर ह से म बँट होती है और वहाँ के कमचारी
सावधानी से नमक, काली मच, चीनी, फूल और अ य चीज़ बीच म रखते ह। खाना शु होते ही
चुपचाप नमकदानी को सरे क ओर रख द और फर काली मच, फूल और अ य चीज़
को। ज द ही इस े ीय घुसपैठ को लेकर आपका साथी त या दे गा। या तो वह पीछे होकर
अपने े को फर से ले लेगा या हर चीज़ को वापस बीच म रख दे गा।

े ीय री को भा वत करते सां कृ तक कारक


इटली से आया आ एक इटै लयन जोड़ा ऑ े लया के सडनी शहर म रहने लगा और उसे एक
थानीय सामा जक लब का सद य बनाने के लए आमं त कया गया। सद य बनने के कुछ
स ताह बाद तीन म हला सद य ने इटै लयन पु ष पर आरोप लगाया क वह उ ह यौन आमं ण
(से शुअल एडवांस) दे ने क को शश करता है और वे उसके आसपास असहज महसूस करती
ह। लब के पु ष सद य ने भी महसूस कया क इटै लयन म हला का बताव भी ऐसा है क
जैसे वह यौन संपक के लए वयं को उपल ध बता रही हो।
यह थ त उन ज टलता को दखा रही है, जो व भ े ीय आव यकता वाली
सं कृ तय के साथ आने पर पैदा हो सकती ह। कई द ण यूरोपीय लोग क अंतरंग री केवल
8 से 11 इंच ( (20–30 सेमी) होती है और कुछ जगह पर यह इससे भी कम हो सकती है।
इटै लयन जोड़े को ऑ े लयाई लोग से 10 इंच (25 सेमी) क री पर खड़े होना सहज लगा,
ले कन वे इस बात से पूरी तरह अनजान थे क वे ऑ े लयाई लोग के 46 सट मीटर के दायरे
का अ त मण कर रहे ह। ऑ टे लयाई लोग के मुकाबले इटली के लोग नज़र यादा मलाते ह
और पश भी अ धक करते ह, जससे उनक ग त व धय को लेकर ग़लतफ़हमी हो सकती है। ये
बात जानकर इटै लयन जोड़ा त ध रह गया और उसने न य क वह सां कृ तक तौर पर
वीकृत री पर खड़े रहने का अ यास करेगा।
वपरीत लग के इं टमेट ज़ोन म जाना उस म अपनी दलच पी जताना है और
आमतौर पर इसे ‘एडवांस’ या आगे बढ़ना कहा जाता है। इं टमेट ज़ोन म कए गए एडवांस को
ठु कराए जाने पर वापस अपने े म लौट जाएगा। एडवांस वीकार करने क थ त म
सरा अपनी जगह पर कायम रहेगा और घुसपै ठये को वह रहने दे गा। खुद म कसी
पु ष क दलच पी नापने के लए म हला पहले उसके इं टमेट ज़ोन म जाती है और फर वापस
आ जाती है। य द पु ष क दलच पी है तो उसे म हला के दायरे म जाने का संकेत मलता है।

लोग एक– सरे से जतना गहरा भावना मक जुड़ाव


महसूस करते ह वे उतना ही नज़द क खड़े होते ह।
इटै लयन जोड़े को जो ब कुल सामा य सामा जक मेलजोल लगा, उसे ऑ े लयाई लोग ने
से शुअल एडवांस के प म समझा। इटै लयन जोड़े को ऑ े लया के लोग कठोर और खे
लगे, य क वे उनसे पया त फ़ासला बनाते ए र होते रहे।

अ धकतर प मी, उ र यूरोपीय और क डने वयन शहरी लोग के बीच बातचीत


करते ए वीकृत री

कम े ीय ज़ रत वाला म हला को पीछे होकर अपने े क र ा करने पर


मजबूर करता है

इस च म उस म हला क नकारा मक त या दखाई दे रही है, जसके े का पु ष


अ त मण कर रहा है। वह पीछे होकर सहज री बनाने क को शश करती है। संभव है क
पु ष ऐसी सं कृ त से हो जहाँ लोग के पसनल ज़ोन छोटे होते ह और वह आगे बढ़ते ए उतनी
री बना रहा है, जो उसके लए सहज है। म हला इसे यौन संबंधी हरकत समझ सकती है।

जापानी हमेशा वॉ ट् ज़ (एक नृ य) करने म अगुवा य रहते ह


हमारे अंतरा ीय स मेलन म शहर म पले-बढ़े अमे रक अ सर एक- सरे से 18 से 48 इंच
(46–22 सेमी) क री बनाए रखते ह और एक जगह पर खड़े होकर बातचीत करते ह। अगर
आप एक जापानी और अमे रक को बात करते दे खगे तो पाएँगे क थोड़ी दे र म वे कमरे
म घूमने लगगे, अमे रक जापानी से र होगा, जब क जापानी उसक ओर बढ़े गा। दोन असल
म एक– सरे से सां कृ तक तौर पर आरामदे ह री बनाए रखने क को शश करते ह। अपने 10
इंच (25 सेमी) के छोटे इं टमेट ज़ोन वाला जापानी लगातार अपनी थान संबं धत ज़ रत को
पूरा करने के लए आगे बढ़ता है, ले कन ऐसा करके वह अमे रक के इं टमेट ज़ोन म घुस
जाता है, जससे अमे रक को पीछे होकर अपना सामंज य ठ क करना पड़ता है। इस बताव क
वी डयो रकॉ डग को तेज़ ग त से चलाने पर आपको लगेगा क दोन कमरे म वॉ ट् स कर
रहे ह और जापानी उसक अगुवाई कर रहा है। यही कारण है क ए शयाई, यूरोपीय या अमे रक
बज़नेस के मामले म एक- सरे को संदेह क से दे खते ह। यूरोपीय या अमे रक लोग
ए शयाई लोग को ‘अ तमह वाकां ी’ और ‘घ न ’ कहते ह, जब क ए शयाई लोग उ ह ‘शु क’
‘ खा’ और ‘उदासीन’ मानते ह। व भ सं कृ तय के बीच के इं टमेट ज़ोन के अंतर को लेकर
जानकारी न होने के कारण उनके बीच ग़लत धारणाएँ और ां तयाँ बन सकती ह।

दे श और शहर के री संबंधी े
जैसा क बताया जा चुका है कसी क पसनल पेस क ज़ रत और उसके नवास थान
के जनसं या घन व के बीच संबंध होता है। खुल े ए कम जनसं या वाले ामीण े म पले–
बढ़े लोग को सघन जनसं या वाले शहर म पले-बढ़े लोग के मुकाबले अ धक पसनल पेस क
ज़ रत होती है। हाथ मलाने के लए कोई कतनी र तक अपनी बाँह ले जाता है, इससे
संकेत मल जाता है क वह बड़े शहर से है या फर कसी ामीण े से। शहर के लोग का
अ सर 18 इंच (46 सेमी) का नजी ‘बबल’ होता है; हाथ मलाने के लए उसे बढ़ाते ए उनक
कलाई और धड़ के बीच क री भी यही होती है।

शहर के दो लोग एक- सरे का अ भवादन करते ए, उनके हाथ 18 इंच (46 सेमी)
तक बढ़ते ह

इससे हाथ तट थ े म मलते ह। कम जनसं या वाले दे हात म पले-बढ़े लोग के दायरे का


‘बबल’ 36 इंच (1 मीटर) तक या उससे अ धक हो सकता है और उनके हाथ मलाने के दौरान
कलाई और शरीर के बीच औसतन इतनी ही री होती है।

ामीण इलाके के दो लोग 36 इंच (1 मीटर) तक हाथ बढ़ाते ए

ामीण लोग के पैर ज़मीन पर मज़बूती से टके होते ह और आपसे हाथ मलाते ए वे आगे क
ओर झुकते ह, जब क शहर का आपसे अ भवादन करते ए आगे कदम बढ़ाएगा। सु र
इलाक म पले-बढ़े लोग क पसनल पेस क ज़ रत 18 फ ट (6 मीटर) तक बड़ी हो सकती
ह। वे अ सर हाथ मलाने के बजाय फ़ासले से हाथ हलाना पसंद करते ह।

कम जनसं या वाले इलाक के लोग अपनी री बरकरार रखते ए

शहर म रहने वाले खेती-बाड़ी के उपकरण बेचने वाले से स के लोग के लए ामीण इलाक के
कसान से मुलाकात म यह जानकारी काम आती है। मान ली जए क एक कसान का ‘बबल’
3 से 6 फ ट (1–2 मीटर) या अ धक है, ऐसे म हाथ मलाने को े ीय घुसपैठ के प म दे खा
जा सकता है, जसके कारण कसान नकारा मक या र ा मक त या दे सकता है। दे हात म
सफलतापूवक काम करने वाले से स के लोग ने लगभग सवस म त से माना है क सबसे अ छे
हालात तब होते ह, जब वे र से हाथ बढ़ाकर ामीण ाहक का अ भवादन करते ह और सु र
इलाके म रहने वाले कसान का अ भवादन र से हाथ हलाकर करते ह।

े और वा म व
कसी के वा म व वाली जायदाद या उसके ारा यु े उसका नजी इलाका होता है
और वह उसक वैस े ही र ा करता है, जैस े क अपने नजी बुलबुल े क करता है। एक का
घर, द तर और कार उसके इलाके का त न ध व करते ह और हर कसी क द वार, फाटक,
चारद वारी और दरवाज़ के प म न त सीमा या घेरा होता है। हर इलाके म कई उप े हो
सकते ह। उदाहरण के लए, घर म मौजूद रसोईघर उस का नजी े हो सकता है और
वह कसी के उसम वेश और उसके इ तेमाल को लेकर आप कर सकता है; बज़नेसमैन क
य जगह उसक कॉ स टे बल होती है, कैफ़े म जाने वाल क वहाँ पर कोई पसंद दा सीट
होती है या फर घर म माता– पता क कोई य कुस होती है। इन जगह पर या इनके आसपास
अपनी नजी चीज़ रखकर या फर इनका अ सर इ तेमाल कर े को च हत कया जाता है।
कैफ़े म जाने वाला ‘अपनी’ जगह पर अपने नाम के कुछ अ र लखने क हद तक जा
सकता है और बज़नेसमैन अपने कॉ स टे बल पर पसनल फ़ो डर, पेन, कताब आ द रखकर
और अपने इं टमेट ज़ोन क 18 इंच (46 सेमी) क सीमा पर मेज़पोश बछाकर अपने े को
च हत करता है।
डेसमंड मॉ रस ारा पु तकालय म बैठने क व था पर कए गए अ ययन से पता
चला क डे क पर अपनी कताब या नजी चीज़ छोड़कर जाने से वह जगह औसतन 77 मनट
के लए आर त हो जाती है और कुस पर जैकेट छोड़ दे ने से वह दो घंटे के लए आर त हो
जाती है। घर म प रवार का कोई सद य अपनी पसंद दा कुस को च हत करने के लए उस पर
या उसके आसपास हडबैग या प का जैसी कोई चीज़ छोड़कर उस े पर अपना दावा और
वा म व दखाता है।
अगर घर का मा लक कसी मेहमान को उसक जगह दखाता है, ले कन भूल से वह
ग़लत कुस पर बैठ जाता है, तो मा लक अपने े म घुसपैठ को लेकर आंदो लत हो सकता है
और र ा मक थ त म आ सकता है। ऐसे म साधारण सा सवाल ‘आपक कुस कौन सी है?’
पूछकर इस तरह क ग़लती के नकारा मक नतीज से बचा जा सकता है।

कार े
कार चलाते ए लोग क त या अ सर उनके सामा य सामा जक, े ीय वहार से काफ़
अलग होती है।
वाहन का कसी के पसनल पेस के आकार पर काफ़ बड़ा असर पड़ता है। कुछ
मामल म तो यह े सामा य आकार से 10 गुना तक बढ़ जाता है, और चालक को लगता है
क वह अपनी कार के आगे और पीछे के 25 से 30 फ ट (8–10 मीटर) तक के े पर दावा कर
सकता है। जब कोई अ य चालक उसके आगे आता है, चाहे वह ख़तरनाक न भी हो, तब भी इस
चालक म शारी रक बदलाव आ सकते ह, वह ो धत हो जाता है और सरे चालक पर हमला
भी कर सकता है, इसे हम ‘रोड रेज’ के नाम से जानते ह। अब इसक तुलना उस थ त से
क जए जब वही ल ट म घुसता है और कोई अ य उसके नजी े म घुसता
आ उससे पहले चला जाता है। ऐसे म म उसक त या सामा यतया मायाचना क होती है
और वह उस को पहले जाने दे ता है; यह उस थ त से पूरी तरह अलग है, जब वही
खुली सड़क पर उससे आगे नकल जाता है।
कार म बैठे ए ब त से लोग को लगता है क वे अ य
ह। इस लए वे लोग के सामने कुछ बेहद नजी हरकत
करते ह।

कुछ लोग के लए कार एक सुर ा मक कवच बन जाती है, जसम वे बाहरी नया से छप
सकते ह। पटरी के कनारे, लगभग गटर पर गाड़ी चलाते ए वे सड़क पर उतने ही जो खम भरे
हो सकते ह, जतने क व तृत पसनल पेस वाले चालक। अपनी थान संबंधी कम ज़ रत
वाले इटै लयन लोग पर अ सर सड़क पर ‘टे ल गेटर’ होने यानी सरी गाड़ी के ब त नज़द क
तक आने वाले और लगातार आगे बढ़ते रहने क को शश करने का आरोप लगता है, य क वे
बाक जगह पर सां कृ तक तौर पर वीकृत री से कम फ़ासले पर होते ह।

परी ण कर
अगले च को दे ख और उन दो लोग के बीच के फ़ासले को दे खकर नणय कर क उनके बीच
या प र य हो सकता है। कुछ साधारण से और दोन को गौर से दे खने पर सही जवाब
मल सकता है और आपको ग़लत धारणाएँ बनाने से बचने म मदद मल सकती है।

कौन या है और कहाँ से है?

हम इन लोग के बारे म इनम से कोई भी धारणा बना सकते ह :

1. दोन शहर म रहने वाले ह और पु ष म हला के त अंतरंग हो रहा है।


2. पु ष का इं टमेट ज़ोन म हला से छोटा है और वह अनजाने म उसके े म
घुसपैठ कर रहा है।
3. म हला ऐसी सं कृ त से है, जहाँ पर इं टमेट ज़ोन क ज़ रत कम ह।
4. यह जोड़ा भावना मक तौर पर एक- सरे के करीब है।

सारांश
लोग के पसनल पेस के त आपके स मान के मुता बक लोग आपको आमं त या अ वीकृत
करगे। यही कारण है क हर मलने वाले को धौल जमाने वाले या बातचीत के दौरान लोग को
छू ने वाले म तमौला क म के आदमी को हर कोई नापसंद करता है। कसी ारा सरे
के साथ बनाई गई री को ब त से कारक भा वत कर सकते ह, इस लए समझदारी इसी
म है क कसी ारा बनाए गए फ़ासले पर कोई राय दे ने से पहले हर मानदं ड पर गौर कर
लया जाए।
अ याय 10

टाँग कैसे बताती ह क दमाग़ या


चाहता है

माक अपनी टाई पर हाथ फेरते ए, नमकदानी को सहलाते ए टाँग फैलाकर वहाँ
बैठा रहा। उसने यान ही नह दया क पछले 20 मनट से म हला क टाँग उससे र
बँधी ई थी और बाहर नकलने के दरवाज़े क ओर मुड़ी ई थ ।

शरीर का जो अंग म त क से जतना अ धक र होता है, हम उसक जानकारी उतनी ही कम


होती है क वह या कर रहा है। उदाहरण के लए, अ धकतर लोग अपने चेहरे, उस पर आए
हावभाव और अ भ य को लेकर ब त सचेत रहते ह। हम लोग अ यास करके अपने चेहरे
पर ‘वीरता भरे भाव लाने’, या ‘ नराशा भरी नज़र डालने’, ‘मु कुराकर झेलने’ जैस े हावभाव ले
आते ह और ज म दन पर दाद माँ ारा भ ा सा उपहार दए जाने पर भी ‘ख़ुश नज़र’आते ह।
चेहरे के बाद अपनी बाँह , हाथ , फर अपनी छाती व पेट को लेकर हम कम सचेत होते ह।
अपनी टाँग को लेकर सबसे कम और अपने पैर से तो हम लगभग बेख़बर रहते ह।
इसका मतलब है क टाँग और पाँव कसी के रवैय े के बारे म ब त मह वपूण जानकारी
दे सकते ह, य क अ धकतर लोग उनक हरकत से अनजान रहते ह और उनक मु ा का
ढ ग करने के बारे म सोचते भी नह , जैसा क चेहरे के बारे म सोचते ह। कोई इंसान पूरी तरह से
शांत और संयत दख सकता है, जब क वह पैर से लगातार फ़श पर आवाज़ कर सकता है या
फर उसे हवा म झटक सकता है, जससे थ त से नकलने म नाकाम होने क उसक हताशा
ज़ा हर हो सकती है।

पैर को हलाना वैसा ही है जैस े म त क अपने अनुभवसे


बच नकलने क को शश कर रहा हो।

हर कोई नए तरीके से चलने क बात कर रहा है


लोग ारा चलते ए अपनी बाँह झुलाने के तरीके से उनके व क जानकारी मलती है, या
फर इस बात क क आप उ ह वैसा समझे, जैसा वे चाहते ह। जब व थ, जोशीले नौजवान
चलते ह तो वे बूढ़ के मुकाबले यादा तेज़ी से चलते ह, जसके कारण उनक बाँह यादा तेज़ी
से आगे-पीछे होती ह और ऐसा लगता है क जैस े वे कदमताल कर रहे ह । इसका एक कारण
उनक तेज़ ग त और मांसपे शय क बेहतर लोच है। इसके प रणाम व प तेज़ ग त क चाल
सेना क कदमताल के प म वक सत ई, ता क दे खने वाल को लगे क कदमताल करने वाले
जवान और मज़बूत ह। कई राजनी त और सावज नक व ारा इस चाल को अपनाया
जाता रहा है, जो लोग तक अपने उ साह का संदेश प ँचाना चाहते ह। इसी लए लंब े डग भरना
कई राजनी त क लोक य शैली है। म हला क बाँह कोहनी से यादा मुड़ने के कारण
पीछे क ओर अ धक जाती ह, य क इससे वे शशु को यादा अ छ तरह पकड़ सकती ह।

पाँव कैसे सच बोलते ह


हमने कुछ मैनेजर के साथ कई परी ण कए और उ ह नकली इंटर ू क ंखला म व सनीय
ढं ग से झूठ बोलने को कहा। हमने पाया क मैनेजर, चाहे वे म हला ह या पु ष, उ ह ने झूठ
बोलते ए अपने पैर क ग त व धय को अनजाने ही बढ़ा दया। अ धकतर मैनेजर ने चेहरे के
नकली हावभाव का इ तेमाल कया और झूठ बोलते ए अपने हाथ पर काबू रखने क को शश
क , ले कन लगभग सभी अपने पैर और टाँग क हरकत को लेकर ब कुल अनजान रहे। इन
प रणाम क पु मनोवै ा नक पॉल एकमैन ने क , ज ह ने पता लगाया क झूठ बोलते समय
लोग न केवल अपने शरीर के नचले ह से क ग त व धय को बढ़ा दे त े ह, ब क दे खने वाल
को झूठ पकड़ने म तभी अ धक सफलता मलती है, जब वे झूठे इंसान के समूचे शरीर को दे ख
पाते ह। यही वजह है क कई बज़नेस ए ज़ी यू ट ज़ ठोस अगले ह से वाले डे क के पीछे
सहज महसूस करते ह, जहाँ उनके शरीर का नचला ह सा छपा रहता है।

अगर आप न त नह ह क कोई आपसे झूठ बोल रहा


है या नह , तो उनक डे क के नीचे दे खए।

ठोस मेज़ के मुकाबले काँच के ऊपरी ह से वाली मेज़ से हम यादा तनाव होता है, य क
ऐसे म हमारी टाँग साफ़ दखती ह और हम नह लगता क सब कुछ हमारे काबू म है।

टाँग का उ े य
मानव म टाँग का वकास दो उ े य को पूरा करने के लए कया गया : भोजन के लए आगे
बढ़ने और ख़तरे से भागने के लए। मानव का म त क कुदरती तौर पर इन दो ल य को
समझता है - जो हम चाहते ह उसक ओर बढ़ना और जसे हम नह चाहते, उससे र भागना।
जस तरह से कोई इंसान अपने पैर व टाँग का इ तेमाल करता है, उससे पता चलता है क वह
कहाँ जाना चाहता है। अ य श द म, उनसे पता चलता है क वह बातचीत म शा मल
रहना चाहता है या उसे छोड़कर जाना चाहता है। खुली ई टाँग खुल े या भु वशाली रवैय े को
दखाती ह, जब क बँधी ई टाँग संक ण रवैय े या अ न तता को उजागर करती ह।
कसी पु ष म दलच पी न रखने वाली म हला छाती पर अपनी बाँह मोड़ लेगी और
अपनी टाँग को उससे र मोड़ लेगी, इस तरह वह उसे र रहने का संकेत दे गी, जब क
दलच पी लेन े वाली म हला खुल े शारी रक हावभाव अपनाएगी।

खड़े होने क चार मुख थ तयाँ

1. सावधान क मु ा
यह औपचा रक थ त है, जो कह आने या वहाँ से जाने क तब ता के बजाय तट थ रवैया
दखाती है। ी-पु ष का आमना-सामना होने पर इसका इ तेमाल म हला ारा यादा
कया जाता है, य क इसम टाँग ‘कोई ट पणी नह ’ के संकेत के तौर पर एक साथ होती ह।
व ाथ अपने अ यापक से व क न अ धकारी अपने व र अ धका रय से बात करते ए,
आम जनता शाही लोग से मलते ए और कमचारी अपने बॉस से बात करते ए इसका
इ तेमाल करते ह।

सावधान क मु ा

2. टाँग र रखना
जैसा क पहले भी बताया जा चुका है, यह मु यतया पु ष क मु ा है और यह खड़े होकर ॉच
डस ले (ऊ सं ध का दशन) करना है। ऐसा करने वाला अपने पैर मज़बूती से ज़मीन पर
रखता है और यह प संदेश दे ता है क उसका वहाँ से जाने का इरादा नह है। यह पु ष का
एक भु वशाली संकेत है, य क इसम जननांग सामने होते ह, जससे ॉच डस लेयर का
रवैया मदाना दखता है।

ॉच डस ले - मदानगी का दशन

पु ष खलाड़ी खेल के म यांतर म एक- सरे के साथ इस तरह खड़े होकर अपने ॉच को ठ क
करते दे ख े जा सकते ह। इसका खुजली से कोई लेना-दे ना नह है, ब क इससे पु ष को अपनी
मदानगी दखाने और एक समान काम करके ट म के प म एकता दखाने का मौका मलता है।

मदाना और मज़बूत पु ष ारा ॉच डस ले अपनाया जाता है

3. पैर आगे करना


इसम शरीर का बोझ एक कू हे पर डाल दया जाता है, जससे आगे वाला पैर सामने क ओर हो
जाता है। म यकाल म बनी त वीर म अ सर उ च दज के पु ष को पैर आगे करने क मु ा म
खड़ा आ दे खा जा सकता है। इससे उ ह अपने ब ढ़या जूत-े मोज़े और घुड़सवारी क पोशाक
दशाने का मौका मल जाता था।

पैर आगे करने क मु ा – उस ओर संकेत करना, जहाँ दमाग़ जाना चाहताचाहता


चाहता है

यह कसी क ता का लक इ छा का ब ढ़या सुराग है, य क हम अपने मुख पैर को


उसी दशा म रखते ह जस ओर हमारा दमाग़ जाना चाहता है और इस थ त म लगता है क
चलना शु कर रहा है। समूह म होने पर, हम अपने पैर को सबसे दलच प या आकषक
क ओर करते ह, ले कन जब हम वहाँ से नकलना चाहते ह, तो अपने पैर को नज़द क
नकास ार क ओर करते ह।

4. टाँग मोड़ना
अगली बार लोग के साथ मुलाकात करने पर आप गौर करगे क कुछ लोग के समूह अपनी
बाँह और टाँग मोड़कर खड़े ह। ब त यान से दे खने पर आप पाएँगे क वे एक- सरे से सामा य
सामा जक फ़ासले से भी अ धक री पर खड़े ह।

खड़े होकर टाँग मोड़ना


अगर उ ह ने कोट या जैकेट पहनी है, तो उनके बटन बंद ह गे। जब लोग ऐसे लोग के बीच ह ,
ज ह वे नह जानते तो वे इस मु ा म खड़े होते ह। उनके साथ बातचीत करने पर आपको पता
लगेगा क उनम से कोई एक या वे सब उस समूह के बाक लोग से प र चत नह ह।
खुली टाँग जहाँ खुलापन या भु व दखाती ह, वह टाँग मोड़ना एक बंद, द बू या
र ा मक रवैया दखाता है, य क ऐसे लोग तीका मक तौर पर अपने जननांग तक प ँचना
नषेध करते ह।

कची मु ा - ‘कोई ट पणी नह ’ ले कन वहाँ से नकलने का इरादा नह है

कसी भी म हला ारा कची मु ा अपनाना या एक टाँग मोड़ना दो संदेश दे ता है : एक, वह वह


रहना चाहती है, जाना नह चाहती; दो, उस तक प ँचने क मनाही है। जब कोई पु ष ऐसा
करता है तब भी यह होता है क वह वह रहेगा, ले कन साथ ही यह भी संकेत मलता है
क वह सु न त करना चाहता है क आप उसे ‘उस जगह पर चोट न प ँचाएँ, जहाँ सबसे
यादा दद होता है’। खुली टाँग पौ ष दशन करती ह; बँधी टाँग पौ ष क र ा करती ह। य द
कोई ऐसे पु ष के साथ है, जो उसे ख़ुद से कमतर लगते ह, तो ॉच डस ले सही लगता
है; अगर वह े तर पु ष के साथ है तो इस मु ा से वह त पधा मक लगेगा और उसे
असुर ा महसूस होगी। अ ययन दखाते ह क कम आ म व ासी लोग भी टाँग मोड़ने क मु ा
अपनाते ह।

खुली टाँग पु ष का आ म व ास दखाती ह; बँधी ई


टाँग संकोच द शत करती ह।

अब क पना क जए क आप अब ऐसे समूह को दे खते ह, जसम लोग क बाँह खुली ह,


हथे लयाँ दख रही ह, कोट के बटन खुल े ह, वे न त दख रहे ह और एक टाँग पर पीछे क
ओर झुककर सरी को लोग क ओर कए ए ह। बातचीत के दौरान सभी अपने हाथ का
इ तेमाल कर रहे ह और एक- सरे के पसनल पेस या नजी दायरे म आ-जा रहे ह। यादा
यान से दे खने पर आप पाएँगे क ये लोग दो त ह या फर एक- सरे को नजी तौर पर जानते
ह। मुड़ी ई बाँह और टाँग वाले पहले समूह के लोग भले ही चेहरे के हावभाव से न त लग
और उनक बातचीत खुली व सरल लगे, ले कन मुड़ी ई बाँह और टाँग हम बताती ह क एक-
सरे के साथ वे उतने सहज या आ म व ासी नह ह, जतना वे दखने क को शश कर रहे ह।
अब इसे आज़माएँ : अब ऐसे समूह म शा मल ह , जसम आप कसी को नह जानते
और चेहरे पर ब त गंभीर भाव लाकर अपनी बाँह व टाँग को कसकर मोड़ ल। एक-एक करके
समूह के सभी सद य अपनी बाँह और टाँग मोड़ लगे और तब तक उस अव था म रहगे, जब
तक क आप (यानी अजनबी) वहाँ से चला न जाए। वहाँ से नकलकर उ ह दे ख क कस कार
एक-एक करके वे फर से अपनी खुली ई मु ा म वापस आ जाएँग।े टाँग मोड़ना न केवल
नकारा मक या सुर ा मक भावना को उजागर करता है, ब क इससे वह असुर त
दखाई दे ता है और अ य लोग को भी वैसा ही करने को े रत करता है।

र ा मक, ठं डा या ‘बस सहज’ नज़ रया?


कुछ लोग दावा करते ह क वे र ा मक या असुर त महसूस करने के कारण अपने हाथ-पाँव
नह मोड़ते, ब क ठं ड के कारण ऐसा करते ह जब कोई इंसान अपने हाथ को गम करना
चाहता है तो वह उ ह अपनी बगल म दबाएगा, न क कोहनी के नीचे, जैसा क बाँह मोड़ने क
र ा मक मु ा म कया जाता है। सरे, जब कोई ठं ड महसूस कर रहा है तो वह शरीर का
आ लगन करने का कोई तरीका अपना सकता है, ऐसे म जब टाँग मोड़ी जाती ह तो वे अ सर
सीधी, स त और एक- सरे पर कसकर लपट होती ह, जो क र ा मक रवैय े या थ त क
अ धक श थल मु ा से ब कुल उलट है।

संभव है क उसे ठं ड लग रही हो या फर वह रे ट म तलाश रही हो

आदतन अपनी बाँह या टाँग मोड़ने वाले लोग यह मानने के बजाय क वे घबराहट, बेचैनी या
र ा मक महसूस करते ह, ठं ड को इसका कारण बताते ह। कुछ लोग के लए यह बस
‘आरामदे ह’ होता है। हो सकता है क यह सच हो, य क जब कोई र ा मक या असुर त
महसूस करता है तो उसे बाँह या टाँग को मोड़कर आराम मलता है और यह उसक
भावना मक अव था से मेल खाता है।

हम बँधी थ त से खुलेपन म कैसे आते ह


जब लोग कसी समूह म अ धक सहज महसूस करते ह और एक- सरे को जानने लगते ह तो वे
ग त व धय क एक ंखला से गुज़रते ह जो उ ह र ा मक मुड़ी ई बाँह और टाँग क थ त
से अ धक सहज खुली अव था म ले आती है। खड़े होकर खुलने क यह या हर जगह इसी
म म होती है।

इसक शु आत बँधी ई थ त से होती है, बाँह और टाँग मुड़ी ई होती ह ( च 1)। एक- सरे
के साथ सहज महसूस करने के साथ संपक बनने लगता है, पहले टाँग खुलती ह और फर पैर
एक साथ होकर सावधान क मु ा म आ जाते ह। फर बाँह मोड़ने क मु ा म ऊपर रखा आ
हाथ नीचे आता है और बातचीत करते ए बीच-बीच म हथेली दखती है और बाधा के प म
उसका इ तेमाल नह कया जाता। हो सकता है क उसका इ तेमाल एक बाँह क बाधा वाली
थ त म सरी बाँह को पकड़ने म हो। फर दोन बाँह खुल जाती ह और एक बाँह से संकेत दए
जाते ह या उसे कू हे पर या फर जेब म रखा जाता है। आ ख़रकार, एक अपना पाँव आगे
ले जाता है, जो क सरे को वीकारना द शत करता है ( च 2)।

यूरोपीय शैली म टाँग मोड़ना


एक टाँग को सफ़ाई से सरी पर रखा जाता है, 70 तशत लोग दा टाँग पर अपनी बा टाँग
रखते ह। यूरोपीय, ए शयाई और टश सं कृ तय म टाँग मोड़ने क इस सामा य थ त को
अपनाया जाता है।

टाँग मोड़ने का यूरोपीय/ टश तरीका

जब कोई टाँग व बाँह को साथ मोड़ता है, तो वह भावना मक तौर पर बातचीत से ख़ुद
को अलग कर लेता है और इस तरह बैठने वाले को राज़ी करने क को शश करना नरथक हो
सकता है।

कसी भी तर पर बातचीत के लए राज़ी नह

बज़नेस के मामल म हमने पाया क बाँह व टाँग खुली रखकर बैठने वाले लोग के मुकाबले इस
तरह बैठे लोग छोटे वा य बोलते ह, अ धक ताव को ठु कराते ह और चचा म शा मल बात को
कम याद रख पाते ह।

अमे रकन फ़गर फ़ोर


यह ॉच डस ले का बैठा आ व प है, य क इसम जननांग े प दखता है। इसका
इ तेमाल अमे रक पु ष या सगापुर, जापान व फ़लीपी स जैसे अमरीक करण वाली
सं कृ तय के युवा ारा कया कया जाता है। इससे पता चलता है क ता कक या
त पधा मक रवैया अभी मौजूद है। बंदर और चपांज़ी भी आ ामक होने पर अपने जननांग
का दशन करते ह, य क इस दशन से लड़ाई म होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।
सभी नरवानर म सबसे भावशाली दशन वाले नर को अ य सभी वजेता के प म दे खते ह।
ऑ े लया और यूज़ीलड जैसे थान म टाँग को मोड़ने क यूरोपीय और अमे रक फ़गर फ़ोर
(यानी अंक 4) के आकार क मु ा अपनाई जाती है। सरे व यु के दौरान नाज़ी फ़गर फ़ोर
अपनाने वाले लोग क तलाश करते थे य क इसे अपनाने वाले लोग जमन नह हो सकते थे
या फर उ ह ने अमे रका म समय बताया था।

बहस करने को तैयार - अमे रकन फ़गर फ़ोर

टे न और यूरोप के बूढ़े लोग म फ़गर फ़ोर अब भी आम नह है, ले कन स, जापान,


साड नया और मा टा जैसी व व धतापूण सं कृ तय क नई पीढ़ म यह मु ा दखाई दे ती है,
जो अमे रक फ़ म व टे ली वज़न क आद है और दे खी गई चीज़ का अनुसरण करती है। इस
तरह बैठे गए पु ष को न केवल भु वशाली माना जाता है, ब क उ ह तनावमु और युवा
माना जाता है। म य ए शया और ए शया के कुछ भाग म फ़गर फ़ोर को अपमानजनक माना
जाता है, य क इसम धूल- म लगा जूत े का तला दखाई दे ता है।
पतलून या ज स पहनने वाली म हला को भी कभी-कभार फ़गर फ़ोर म बैठे ए
दे खा जा सकता है, ले कन वे अ सर अ य म हला के साथ ऐसे बैठती ह। पु ष के सामने इस
मु ा को नह अपनाया जाता, य क वे मदाना नह दखना चाहत या फर यौन संबंध के लए
उपल धता का संकेत नह दे ना चाहत ।
अ ययन यह भी दखाते ह क अ धकतर लोग कसी काम को करने के अपने
अ धकांश नणय तभी लेत े ह, जब उनके दोन पैर ज़मीन पर ह , इस लए फ़गर फ़ोर क
अव था म बैठे ए से नणय लेन े क बात करना सही नह होगा।

शरीर के बंद होने पर दमाग़ भी बंद हो जाता है


हमने एक स मेलन म भाग लया, जसम ी-पु ष क सं या आधी-आधी थी और लगभग
100 मैनेजर तथा से स के 500 लोग शा मल थे। उसम एक ववादा पद मु े पर बात क गई थी
- से स के लोग के त कॉप रेश स का बताव। से सपस स एसो सएशन के मुख एक स
व ा को लोग को संबो धत करने के लए बुलाया गया। उनके मंच पर आते ही लगभग सभी
पु ष मैनेजर और तकरीबन 25 तशत म हला मैनेजर ने बाँह व टाँग मोड़ने क र ा मक मु ा
अपना ली, जससे यही उजागर आ क उनके भावी भाषण को लेकर वे आशं कत महसूस कर
रहे थे। उनक आशंका सही थी। व ा ने मैनेजमट क ख़राब वा लट पर ज़ोरदार भाषण दया
और कहा क कैसे उ ोग के कमचा रय से जुड़ी सम या म उसका मुख योगदान है। अपने
पूर े भाषण के दौरान अ धकतर से स के लोग या तो आगे बढ़कर दलच पी दखा रहे थे या
मू याँकन मु ा को अपना रहे थे, जब क मैनेजर ने अपनी र ा मक थ त बनाए रखी।

दमाग़ के बंद हो जाने पर शरीर भी वैसा ही करता है।

से सपसन ने फर बताया क उनके मुता बक से स के लोग को लेकर मैनेजर क भू मका या


होनी चा हए। अ धकतर पु ष मैनेजर ने फ़गर फ़ोर को ऐसे अपनाया जैसे वे ऑक ा के मुख
के कसी आदे श के मुता बक काम कर रहे ह । अब वे मान सक तौर पर से सपसन के कोण
पर बहस करने लगे थे, ब त से मैनेजर ने बाद म इस बात क पु क । हमने पाया क कुछ
मैनेजर ने अपनी मु ा नह बदली। अ धकतर मैनेजर हालां क व ा के कोण से सहमत नह
थे, ले कन वे यादा वज़न होने, टाँग म तकलीफ़ होने या ग ठया के कारण फ़गर फ़ोर क मु ा
नह अपना पाए।
अगर आप इस तरह क मु ा म बैठे कसी इंसान से अपनी बात मनवाने क को शश
कर रहे ह तो बात जारी रखने से पहले आपको उनक बँधी ई टाँगे व बाँह खुलवानी ह गी।
अगर आपके पास दखाने के लए कुछ है तो आप उ ह अपने पास बुला सकते ह या उ ह कुछ
करने के लए या पकड़ने के लए दे सकते ह, ता क वे नोट् स लखने या ॉशस व सै पल पकड़ने
के लए आगे झुक। चाय या कॉफ़ क पेशकश भी कारगर हो सकती है, य क चाय पीते ए
बाँह व टाँग मोड़कर रखना असंभव होगा।

फ़गर फ़ोर के साथ टाँग जकड़ना


ऐसे का रवैया न केवल त पधा मक होता है, ब क वह एक या दोन हाथ को शकंजा
बनाकर फ़गर फ़ोर को थायी थ त म बदल दे ता है। यह ढ़ न यी, अ ड़यल का
ल ण है, जो अपनी राय के अलावा बाक सभी क राय ठु कराता है।
टाँग को जकड़ना त पधा मक रवैय े को सु न त करना

टखने मोड़ना
इस मु ा को अपनाने वाले पु ष अ सर अपनी मु य को घुटन पर टकाकर उ ह कसकर बाँधे
रखते ह या अपने हाथ से कुस के ह थे को जकड़े रहते ह और साथ ही ॉच द शत ( च
दे ख) करते ह। म हला क मु ा थोड़ी अलग होती है, उनके घुटने साथ होते ह, पैर एक ओर हो
सकते ह और हाथ बगल म या फर टाँग के ऊपरी ह से पर, एक पर एक रखे हो सकते ह।

मुड़े ए टखने : म हला अपनी टाँग के दायरे को घटाते ए और पु ष अपना दायरा


बढ़ाते ए

तीन दशक से अ धक समय तक लोग के इंटर ू लेन े और से स के अपने अनुभव से हमने


दे खा है क जब इंटर ू दे ने वाला अपने टखने मोड़ता है तो वह मान सक तौर पर अपने ह ठ
काट रहा होता है। इस मु ा से पता चलता है क वह कसी नकारा मक भाव, अ न तता या डर
को दबाए ए है। अ सर पैर कुस के नीचे समटे होते ह, जससे उसके अंतमुखी रवैये का संकेत
मलता है। जब लोग कसी बातचीत म शा मल होते ह तो उनके पैर भी उसम ह सा ले रहे होते
ह।
वक ल के साथ हमारे अनुभव ने हम बताया क कसी सुनवाई से ठ क पहले
अ भयो ा के मुकाबले अदालत के बाहर बैठे तवा दय के ारा कुस के नीचे अपने टखन
को मोड़कर बैठने क संभावना तीन गुना अ धक होती है, वे अपनी भावना मक थ त को
नयं त करने क को शश कर रहे होते ह। दाँत म तकलीफ़ वाले 319 मरीज़ के अपने अ ययन
से हमने पाया क ड ट ट क कुस पर बैठते ही 88 तशत मरीज़ अपने टखने मोड़ लेत े ह।
केवल जाँच के लए गए मरीज़ ने 68 तशत समय अपने टखने मोड़े रखे, जब क ड ट ट ारा
इंजे शन लगवाने वाले लोग म यह तशत 98 था।

ड ट ट के मुकाबले टै स लेन े वाले के सामने लोग अपने


टखने यादा मोड़ते ह।
पु लस, सीमा शु क वभाग और कर कायालय जैस े सरकारी सं थान के साथ हमारे अनुभव ने
बताया क इंटर ू दे न े आने लोग ने शु आत म ही अपने टखने मोड़ लए थे, यह डर या
अपराधबोध का नतीजा भी हो सकता है।
हमने मानव संसाधन वसाय का भी व ेषण कया और पाया क अ धकतर लोग ने
इंटर ू के दौरान कभी न कभी अपने टखने मोड़े, जो संकेत था क वे कसी भावना या रवैय े को
काबू म रखे ए ह। नीरेनबग और कलेरो ने पाया क जब नेगो सएशन के दौरान कोई प अपने
टखने मोड़ता है तो इसका मतलब है क वह कसी मू यवान क सेशन या रयायत को दबाए ए
है। उ ह ने पाया क सवाल पूछने क तकनीक अपनाकर वे अ सर उस को उसके टखने
खोलने के लए ो सा हत कर सकते थे और क सेशन का पता लगा सकते थे।

लोग से उनक भावना को लेकर सकारा मक सवाल


करने से उनके आपस म मुड़े ए टखने खुल सकते ह।

टखने मोड़ने के अ ययन के दौरान शु आती चरण म हमने पाया क सवाल पूछकर उ मीदवार
को शांत करके उनके टखन को खुलवाया जा सकता है। हमने जाना क अगर इंटर ू लेन े वाला
उ मीदवार के पास आकर उसक तरफ़ बैठकर डे क क बाधा को हटाता है तो इससे उ मीदवार
सहज महसूस कर अपने टखन को खोल दे ता है और बातचीत म यादा खुलापन व अपनापन
आ जाता है।
हम एक कंपनी को कारगर क टमर टे लीफ़ोन कॉ टै ट मामले म सलाह दे रहे थे क
तभी हमारी मुलाकात ऐसे आदमी से ई जो ऋण वसूली का काम करता था। हमने उसे फ़ोन
करते दे खा, उसक आवाज़ तो शांत लग रही थी, ले कन हमने गौर कया क ाहक से बात
करते ए कुस के नीचे उसके टखने लगातार बँध े ए थे, जब क हमसे बातचीत के दौरान उसने
ऐसा नह कया। हमारे पूछने पर क ‘आपको यह काम कैसा लगता है?’, उसका जवाब था,
‘ब ढ़या! ब त मज़ा आता है।’ वह दखने और बोलने म व सनीय लग रहा था, ले कन उसके
श द उसके नॉन-वबल संकेत से मेल नह खाते थे। हमने पूछा, ‘ या सचमुच ऐसा है?’ एक पल
ककर उसने अपने टखने खोले और खुली हथे लयाँ दखाते ए जवाब दया, ‘असल म यह
काम मुझे चकरा दे ता है!’ उसने कहा क दन भर म उसे ऐसे ाहक के फोन आते ह, जो अ श
और आ ामक होते ह और वह अपनी भावना पर काबू रखने का अ यास करता है, ता क
वह उ ह उनके लहज़े म ही जवाब न दे । हमने ऐसे से सक मय के अनुभव भी रकॉड कए, जो
टे लीफोन कॉल पसंद नह करते और अ सर टखने मोड़कर बैठते ह।

छोट कट क सम या
मनी कट पहनने वाली म हलाएँ प और आव यक कारण से अपनी टाँग और टखन को
मोड़ती ह। अपनी पुरानी आदत से मजबूर बूढ़ याँ भी इसी थ त म बैठती ह, जससे न
केवल वे औपचा रक महसूस करती ह, ब क बाक लोग भी अनजाने ही इसे नकारा मक
समझते ह और उनसे ब त सावधानी से पेश आते ह।
मनी कट म कोई म हला ऐसी दख सकती है जैस े क
उस तक प ँचा नह जा सकता।

कुछ लोग का दावा है क वे टखने मोड़कर या बाँह व टाँग मोड़ने क नकारा मक मु ा सफ़


इस लए अपनाते ह य क उ ह ये ‘आरामदे ह‘लगता है। अगर आप इस ेणी म ह तो याद
र खए क टाँग या बाँह क कोई भी मु ा आपको तभी आरामदे ह लगेगी, जब आपका रवैया
र ा मक, नकारा मक या संकोची हो।
कोई नकारा मक मु ा आपके नकारा मक रवैय े को बढ़ा सकती है या उसे लंबे समय
तक बनाए रख सकती है और बाक लोग आपको संदेही, र ा मक या शा मल न होने वाले के
प म दे ख सकते ह। सकारा मक और खुली ई मु ा के इ तेमाल का अ यास कर; इससे
आपका आ म व ास बढ़े गा और लोग आपको अ धक सकारा मक प म दे खगे।

टाँग का लपटना
इस मु ा का इ तेमाल वशेष तौर पर म हला ारा अ धक कया जाता है, यह शम ली व
संकोची म हला और अंशका लक कलाबाज़ क नशानी है। इमस एक पैर को सरी टाँग पर
लपेटा जाता है, जो असुर त रवैया दखाता है और शरीर के ऊपरी ह से के सहज होने के
बावजूद इससे पता चलता है क म हला कसी कछु ए क तरह अपने खोल म समट गई है। य द
आप इस खोल को खोलना चाहते ह तो आपको गमजोशी भरा, शांत व दो ताना तरीका
अपनाना होगा।

शम ले, संकोची लोग यह मु ा अपनाते ह

समानांतर टाँग
म हला क टाँग और कू ह क अ थ संरचना के कारण वे इस मु ा को अपना सकती ह,
पु ष ऐसा नह कर सकते, इस लए इसे ी व के सश संकेत के प म दे खा जाता है। आ य
क बात नह क टाँग के मू यांकन के हमारे सव ण म 86 तशत से अ धक पु ष ने इसे
म हला के बैठने क सबसे आकषक थ त बताया।
पु ष ने बैठ ई म हला क समानांतर टाँग को अपनी सबसे पसंद दा थ त
बताया

इसम एक टाँग सरी पर रखी जाती है, जससे वह यादा सेहतमंद और युवा दखती
है। जनन के कोण से पु ष को यह मु ा आक षत करती है। बताव के तरीके और
मॉड लग क क ा म म हला को यह मु ा सखाई जाती है। इसे टाँग को लगातार मोड़ने
और खोलने क मु ा से अलग करके दे खा जाना चा हए, जसे म हलाएँ तब अपनाती ह, जब वे
अपने पसंद दा पु ष का यान अपनी टाँग क तरफ़ ख चना चाहती ह।

अपने पैर को सही दशा म उठाकर सही कदम बढ़ाएँ


जब हम कसी बातचीत या म च लेत े ह तो हम उससे अपनी री को कम करने के लए
एक पैर आगे बढ़ाते ह। अगर हम चुप रहने वाले ह या हमारी दलच पी नह है तो हम अपने पैर
को वापस ख च लेत े ह और बैठे होने क थ त म उ ह कुस के नीचे कर लेत े ह।

पु ष एक पैर बढ़ाकर अपना ॉच द शत कर रहा है; म हला या तो असमंजस म है


या उसक दलच पी नह है

च म णय- नवेदन क अपनी पु षो चत शैली अपनाते ए पु ष अपनी दलच पी जता रहा


है। उसका पैर आगे क ओर बढ़ा है, टाँग फैली ह, ॉच सामने है और बाँह खुली ह, जससे
उसका आकार बड़ा लग रहा है और वह अ धक जगह घेर े ए है।
म हला भी अपने शारी रक हावभाव के ख़ास तरीके से उसे बढ़ावा न दे ने का संकेत दे
रही है। उसक टाँग एक साथ ह, शरीर पु ष से परे है, बाँह मुड़ी ह और उसने कम से कम जगह
घेरी ई है। शायद पु ष अपना समय बबाद कर रहा है।

सारांश
हमारे पैर बताते ह क हम कहाँ जाना चाहते ह और हम कसे पसंद या नापसंद करते ह। अगर
आप म हला ह, तो बज़नेसमैन के साथ बैठे रहने क थ त म अपनी टाँग तभी मोड़े जब आपने
कोई ए-लाइन या घुटन तक क ेस पहनी है। कसी भी म हला क जाँघे लगभग सभी पु ष
का यान भटकाती ह और उनका यान उसक बात पर कम रहता है। वे उस म हला को तो याद
रखगे, ले कन उसक अ धकतर बात उ ह याद नह रहगी। बज़नेस क नया म ब त सी
म हलाएँ छोट ेस पहनती ह, य क मी डया उन पर ऐसा दखने का दबाव डालता है। सभी
म हला टे ली वज़न तुतकता को छोटे कपड़े पहनने पड़ते ह और टाँग का दशन करना
पड़ता है। इसका कारण यह है क अ ययन से सा बत आ है क ऐसे म पु ष दशक लंबे समय
तक काय म दे खगे, ले कन यही अ ययन बताते ह क कसी काय म म म हला जतनी
अ धक टाँग दखाएगी, पु ष को उसक बात उतनी ही कम याद रहेगी। एक सीधा सा नयम है
क सामा जक थ तय म म हला ारा टाँग मोड़ना सही हो सकता है, ले कन बज़नेस म
ऐसा न कर। अगर आप पु ष ह और म हला के साथ काम करते ह तो आप पर भी यही
नयम लागू होता है क अपने घुटन को एक साथ रख।
अ याय 11

दै नक जीवन म दखने वाली 13


सबसे आम मु ाएँ

कायालय म पु ष क ये भाव-भं गमाएँ म हला को फूट आँख नह भाती

लोग इस बात पर ब त कम यान दे त े ह क उनके ारा अपनाए गए नॉन-वबल संकेत का या


असर पड़ता है। उदाहरण के लए, जब कोई सरे को गले लगाता है तो आ ख़र म पीठ
पर द जाने वाली थपक को नेह का संकेत समझ लया जाता है, ठ क उसी तरह जैस े कसी के
गाल के बगल म आवाज़ के साथ दए चु बन को भी नेह मान लया जाता है। स चाई यह है क
यह थपक कसी पेशेवर पहलवान ारा सरे को दांव ख़ म करने और पकड़ ढ ली करने का
संकेत है। अगर आप कसी को गले नह लगाना चाहते, ले कन आपसे पहले लोग ारा ऐसा
कए जाने के कारण मजबूरी म आपको भी वही करना पड़ रहा है, तो संभव है क आप गले
लगने से पहले ही हवा म थप कयाँ दे ने लग। आवाज़ के साथ हवा म दया गया चु बन दरअसल
यह दखाता है क हम उस इंसान को चूमना नह चाहते।
अ धकतर लोग पकड़ तोड़ने के लए कंधे पर थपक दे ते ह - स चा आ लगन करने वाले कसकर
गले लगते ह। म हला क पकड़ मज़बूत थी, ले कन पु ष तेज़ी से थपक दे रहा था।
इस अ याय म सर क कुछ सबसे आम मु ा और शारी रक मु ा समूह के बारे म पढ़गे,
ज ह हम अपने दै नक जीवन म अ सर दे खते ह।

सर झुकाकर हलाना (हेड नॉड)


अ धकतर सं कृ तय म सर हलाने को ‘हाँ’ या सहम त के प म दे खा जाता है। यह सर
झुकाने का छोटा प ह, जब सर झुकाने के लए बढ़ता तो है ले कन उससे पहले ही क
जाता है। सर झुकाना समपण क मु ा है, इस लए सर हलाना यह दशाता है क हम सामने
वाले के कोण से सहमत ह। ज म से मूक-ब धर और हीन लोग पर ए शोध
दशाते ह क वे भी ‘हाँ‘कहने के लए इस मु ा का इ तेमाल करते ह, जससे लगता है क यह
समपण क ज मजात मु ा है।
भारत म ‘हाँ’ जताने के लए सर को काँपने क मु ा म हलाया जाता है। प मी जगत
और यूरोपीय लोग के लए यह थोड़ा असमंजस भरा हो सकता है, य क उनक इस मु ा का
मतलब होता है, ‘शायद हाँ, शायद नह ।’ जैसा क हम पहले भी बता चुके ह, जापान म सर
हलाने का यह मतलब ज़ री नह क ‘हाँ, म सहमत ’ँ ब क अ सर इसका अथ होता है,
‘हाँ, मने आपक बात सुन ली है।’

सर हलाने क उ प गौण दखने के लए यु सर


झुकाने से ई।

अरब दे श म लोग एक बार सर को ऊपर क ओर करते ह, जसका अथ ‘नह ’ होता है, जब क


बु गा रया नवासी ‘नह ’ क सामा य मु ा का इ तेमाल ‘हाँ’ कहने के लए करते ह।

सर हलाना य सीखना चा हए
अ धकतर लोग ने अपनी बात मनवाने के तौर पर सर हलाने के तरीके क अह मयत को नह
समझा है। शोध दखाते ह क ोता ारा नय मत अंतराल पर तीन बार सर हलाने पर व ा
सामा य से तीन-चार गुना यादा बात करते ह। सर हलाने क ग त से ोता म धैय होने या
उसक कमी का पता चलता है। धीमी ग त से सर हलाने का अथ है क ोता बात म दलच पी
ले रहा है, इस लए कसी ारा बात कए जाने पर धीरे से तीन बार सर हलाएँ। तेज़ी से
सर हलाने से व ा समझा जाता है क आप काफ़ सुन चुके ह और चाहते ह क वह अपनी
बात ख़ म कर दे , ता क आप अपनी बात रख सक।

सहम त को ो साहन कैसे दया जाए


सर हलाने के दो सश उपयोग ह। हमारे शारी रक हावभाव अवचेतन तर पर हमारी आंत रक
भावना का बाहरी त ब ब ह, इस लए अगर आप सकारा मक महसूस कर रहे ह, तो आपके
बोलते ही आपका सर हलना शु हो जाएगा। यानी अगर आप जानबूझकर अपने सर को
हलाने लग तो आप सकारा मक महसूस करने लगगे। सरे श द म, सकारा मक भावना से
सर हलने लगता है, जससे सकारा मक भावनाएँ पैदा होती ह। यह काय और कारण का
प रणाम है।
सर हलाना सं ामक होता है। अगर कोई आपक बात सुनकर सर हला रहा है, तो
आप भी उस क बात से सहमत न होने के बावजूद सर हलाने लगगे। सर हलाकर आप
लोग से संपक बना सकते ह, उनक सहम त और सहयोग ा त कर सकते ह। हर बार अपना
वा य समा त करके आप सर क वीकृ त पाने के लए पूछ सकते ह, ‘है न?’, ‘आप मानते
ह?’, ‘बात सही है न?’ या ‘ठ क है?’ ऐसे म जब व ा और ोता, दोन अपने सर हलाते ह तो
ोता सकारा मक महसूस करता है, जससे क आपक बात से उनके सहमत होने क संभावना
बढ़ जाती है।

सर हलाने से सहयोग और सहम त को बढ़ावा मलता


है।

जब ोता आपके ारा पूछे गए का उ र दे रहा हो तो उस दौरान सर हलाएँ। उसक बात


समा त हो जाने पर त सेकड क दर से फर पाँच बार अपना सर हलाएँ। आपके चार बार
ऐसा करने पर ोता फर से बोलना शु कर दे गा और आपको अ धक जानकारी दे गा। जब तक
आप अपनी ठु ी पर हाथ रखकर मू यांकन क मु ा म बैठकर शांत रहगे, तब तक आप पर
बोलने का दबाव नह होगा और आप कसी कता जैस े नह लगगे। बात सुनते ए अपने हाथ
को अपनी ठु ी पर ले जाकर उसे धीरे से सहलाएँ, य क जैसा क पहले भी बताया जा चुका
है, इससे बाक लोग को बोलते रहने का ो साहन मलता है।

सर ज़ोर से हलाना (हेड शेक)


शोध यह भी दशाते ह क ‘नह ’ जताने वाले हेड शेक यानी ज़ोर से सर हलाने क या
संभवतः ज मजात है और वकासमूलक जीव व ा नय का मानना है क मानव ारा सीखी गई
यह पहली मु ा है यह नयम कहता है क पया त ध पीने के बाद नवजात शशु ध पीने से मना
करने के लए अपने सर को एक ओर से सरी ओर ले जाता है। इसी कार पया त खाना खा
चुका छोटा ब चा खाने से मना करने के लए ऐसे ही सर हलाता है।

सर हलाने क उ प तनपान से ई है।

जब कोई आपको राज़ी करने क को शश करता है तो गौर कर क सहम त क बात करने पर


वह हेड शेक का कैसे इ तेमाल करता है। जब कोई एक ओर से सरी ओर सर हलाते
ए कहता है, ‘म आपका कोण दे ख सकता ँ’, या ‘यह ब ढ़या लग रहा है’, या हम बज़नेस
ज़ र करगे‘, तो वह व सनीय लग सकता है, ले कन हेड शेक क मु ा उसके नकारा मक
रवैय े का संकेत दे ती है और ऐसे म आपको उस पर व ास नह करना चा हए।
कोई भी म हला सर ज़ोर से हलाते ए ‘आइ लव यू’ कहने वाले पु ष का व ास नह
करती। जब बल लंटन ने मो नका लव क करण म अपना स वा य कहा, ‘उस म हला
के साथ मेरे शारी रक संबंध नह ह,’ तो उ ह ने हेड शेक नह अपनाया।

सर क आधारभूत थ तयाँ

1. सर उठाना (हेड अप)

थर चेहरे वाली मु ा

सर क तीन आधारभूत थ तयाँ होती ह। पहली म सर उठा आ होता है और ऐसा


कही गई बात पर न प रवैया रखता है। सर थर रहता है और बीच म कभी-कभार ब त धीरे
से हलाया जाता है। इस थ त के साथ अ सर गाल पर हाथ रखने क मू यांकन मु ा अपनाई
जाती है।
मार ेट थैचर नडरता करत , उभरी ई ठु ी क मु ा म

सर उठाते ए अगर ठु ी बाहर क ओर उभरी हो तो यह े ता, नडरता या अहंकार


का संकेत है। जानबूझकर अपने गले को सामने करता है, जससे उसका कद बढ़ जाता है
और वह आपको नीची नज़र से दे ख सकता है। टे टो टे रॉन के उ च तर के कारण ठु याँ बड़ी
हो जाती ह, इस लए उभरी ठु य को श और आ ामकता से जोड़ा जाता है।

2. सर एक ओर झुकाना (हेड ट ट)
सर को दाई या बाई ओर झुकाना समपण का संकेत है, य क इसम गदन व गला सामने होता
है और इंसान अपने आकार से छोटा और कम ख़तरनाक लगता है। शायद इसक उ प शशु
ारा अपने माता- पता के कंधे या छाती पर सर टकाने से ई हो। इस मु ा ारा सं े षत
समपण और कम ख़तरनाक होने के अथ को अवचेतन तौर पर सभी लोग, वशेषकर म हलाएँ
समझ लेती ह।

हेड ट ट गले को सामने करता है और अ धक छोटा और द बू लगता है

चा स डा वन पहले थे, ज ह ने गौर कया क मनु य और पशु, ख़ासकर कु ,े


कसी चीज़ म दलच पी लेने पर अपना सर एक ओर झुका लेत े ह। म हलाएँ उन पु ष के
सामने ये मु ा अपनाती ह, ज ह वे पसंद करती ह, य क अ धकतर पु ष को ऐसी म हलाएँ
आकषक लगती ह, जो ख़तरनाक न ह और समपण दखाएँ।
सर को एक ओर करके गदन के दशन को अ धकतर लोग सहजता से समझ लेत े ह।

पछले दो हज़ार साल क प ट स का अ ययन दखाता है क पु ष के मुकाबले तीन


गुना अ धक म हला को हेड ट ट का इ तेमाल करते दखाया गया, व ापन म भी पु ष के
मुकाबले म हलाएँ सर को तीन गुना अ धक एक ओर झुकाती ह। इससे यही प होता है क
कैसे अ धकतर लोग सहज तौर पर यह जानते ह क गदन का दशन समपण दखाता है। पु ष
के साथ बज़नेस नेगो सएशन म म हला को अपने सर को सीधा ही रखना चा हए।
अगर आप कोई ेज़टे शन या भाषण दे रहे ह , तो अपने ोता म इस मु ा को दे खने
क को शश कर। अगर लोग सर को एक ओर झुकाकर, आगे बढ़कर ठु ी पर अपना हाथ ले
जाने क मू यांकन मु ाएँ अपना रहे ह, तो आपक बात वे समझ रहे ह। आप भी कसी क बात
सुनते ए हेड ट ट और हेड नॉड का योग कर, इससे सुनने वाला आपके त व ास महसूस
करने लगेगा, य क आप पर उसे भरोसा होगा उसे आप आ ामक नह लगगे।

3. सर नीचे करना (हेड डाउन)


जब ठोड़ी नीचे हो, तो यह इस बात का संकेत है क नकारा मक, आलोचना मक या आ ामक
रवैया मौजूद है। आलोचना मक मू याँकन मु ाएँ सर नीचे कए जाने पर अपनाई जाती ह और
जब तक का सर नह उठता या एक ओर नह झुकता, तब तक सम या बनी रहती है।
ोफ़ेशनल ेज़टस और श क का सामना ऐसे ोता से अ सर होता है, जो सर नीचे
करके अपनी छाती पर बाँह मोड़कर रखते ह।
हेड डाउन असहम त या उदासी दखाता है

अनुभवी कॉ स पीकस और ेज़टस अपने ेज़टे शन से पहले ोता को ख़ुद से


जोड़ने और उनक भागीदारी सु न त करने के लए कदम उठाते ह। इससे ोता के सर उठ
जाते ह और वे स य प से शा मल हो जाते ह। अगर व ा क तरक ब काम कर गई तो कुछ
दे र म ोता अपना सर एक ओर झुका लगे।
अं ेज़ क अ भवादन क अजीब सी मु ा है, जसे हेड ट् व ट कहा जाता है। इसम
सर को नीचे करते ए उसे एक ओर ट् व ट या झटका दया जाता है। इसक उ प
म यकालीन समय म ई थी, जब पु ष अ भवादन व प अपना हैट उतारते थे। यह सर को
थोड़ा झुकाकर, हैट को छू ने के प म वक सत ई और आधु नक समय म हेड ट् व ट म
त द ल हो गई, जसम कसी से मलने पर सै यूट या माथे पर थपक द जाती है।

कंघे उठाते ए सर नीचे करना (हेड ग)


कंधे उठाकर सर को उनके बीच झुकाने से हमारी संवेदनशील गदन और गला चोट से बच जाता
है। जब कोई अपने पीछे से कोई ऊँची आवाज़ सुनता है या उसे लगता है क कोई उस पर
गरने वाला है, तो यह मु ा अपनाई जाती है। जब नजी या कामकाजी प र थ त म इसका
इ तेमाल कया जाता है, तो इसका आशय वन मायाचना होता है और इससे कसी भी
कार क मुठभेड़ से बचा जा सकता है, जसम आप आ म व ासी लगने क को शश कर रहे
ह।
जब कोई ऐसे लोग के नज़द क से गुज़रता है, जो बातचीत कर रहे ह , कसी के
कोण क शंसा कर रहे ह या कसी क बात सुन रहे ह , तो वह अपने सर को नीचे कर
कंधे अंदर क ओर कर लेता है और छोटा व कम मह वपूण दखने क को शश करता है।
मातहत कमचारी अपने से व र लोग क ओर बढ़ते ए इसे अपनाते ह, इससे लोग के बीच
दज और स ा संघष का पता चलता है।
छोटा दखने क को शश, ता क कसी को बुरा न लगे

का प नक रोएँ नकालना
जब कोई अ य लोग के वचार या रवैय े से असहमत होता है, ले कन कुछ कहना नह
चाहता तो उसका नज़ रया अ य मु ा से दखाई दे ता है, यानी अनजाने ही उसके शारी रक
हावभाव उसके ारा दबाई गई राय को उजागर कर दे त े ह। अपने कपड़ से का प नक रोएँ
नकालना एक ऐसी ही मु ा है। ऐसा यह मामूली सी बेमतलब हरकत करते ए अ सर
नीचे क ओर और लोग से हटकर कह और दे खता है। यह असहम त का आम संकेत है और
प तौर पर बताता है क हर चीज़ पर सहम त क बात करने के बावजूद कही गई बात उसे
पसंद नह आ रही।

रोएँ नकालने वाले क अपनी गु त राय है और वह इसे बताना नह चाहता

अपनी हथे लयाँ सामने करके उस से कह, ‘‘आपका या वचार है?’ या फर ‘मुझ े लगता
है क इस बात पर आपक कोई राय है। या आप उसे बताएँग?े ’ पीछे टककर बैठे, बाँह अलग
रख और हथे लयाँ सामने कर जवाब का इंतज़ार कर। अगर वह आपक राय से सहम त जताने
के बाद भी का प नक रोएँ नकालना नह छोड़ता, तो आपको सीधे ही उसे पूछकर उसक छपी
ई आप य को जानना होगा।

हम कैसे दखाते ह क हम कायवाही के लए तैयार ह


लड़ने या णय- नवेदन क री तय के लए बड़ा दखने के लए प ी अपने पंख फैला लेत े ह,
मछ लयाँ पानी हण कर अपना आकार बढ़ा लेती ह और कु -े ब लयाँ अपने रोएँ खड़े कर
लेत े ह। रोम वहीन मनु य के शरीर पर अब मोट खाल नह है क डरने या ो धत होने पर वह
उसे फुलाकर रौबदार लगे। कसी डरावनी फ़ म का ज़ करते ए हम अ सर कहते ह,
‘उससे मेरे र गटे खड़े हो गए’; कसी से गु सा होने पर हम कहते ह, ‘उसके कारण मेरे गदन के
बाल खड़े हो गए’; कसी के ेम म डू बने पर हम कहते ह क वे हम ‘रोमां चत करते’ ह। ये सभी
उन थ तय म हमारे शरीर क त या है, जनम हम खुद को बड़ा दखाने क को शश करते
ह। हमारी वचा पर मौजूद इरे टर पले माँसपे शय के कारण ऐसा होता है, जो हमारी
अ त वहीन खाल को खड़ा करने क को शश करती ह। आधु नक मनु य ने शारी रक प से
खुद को बड़ा दखाने के लए एक मु ा का आ व कार कया है और वह है, कू ह पर हाथ
रखना।

उठ ई, सु प कोह नयाँ भु व जमाने क त परता दखाती ह, अंदर क ओर मुड़ी


कोह नयाँ और एक ओर झुका सर समपण दखाता है।

अपने माता- पता से बहस करते ए ब चे, अपनी बारी क ती ा म धावक, तयो गता शु
करने का इंतज़ार करता बॉ सर और अपने े म घुस आए अ य पु ष *रखने को नॉन-वबल
चुनौती दे न े वाले पु ष अपने कू ह पर हाथ रखने क मु ा अपनाते ह। हर उदाहरण म अपनाई
गई कू ह पर हाथ रखने क थ त एक सावभौ मक मु ा है, जसका इ तेमाल यह बताने म
कया जाता है क वह कायवाही के लए तैयार है। इससे वह अ धक जगह घेरता है और
नकली ई कोह नयाँ ह थयार का काम करती ह, जससे पास आने वाले या वहाँ से गुज़रने वाले
लोग को रोका जा सकता है। आधी उठ ई बाँह हमले क तैयारी दखाती ह और लड़ाई के
दौरान काउबॉय यही मु ा अपनाते ह। कू हे पर रखा एक हाथ भी यही संदेश दे ता है, ख़ासकर
जब वह शकार क दशा म हो। इसका इ तेमाल हर*का जगह कया जाता है और मले शया म
तो यह गु से या नाराज़गी का संदेश दे ता है।
इसे ‘तैयारी’ क मु ा के प म भी जाना जाता है, यानी वह कायवाही के लए
तैयार है, हर जगह इसे सू म तरीके के आ ामक रवैय े के प म समझा जाता है। इसे सफल
क मु ा भी कहा जाता है, जसे ऐसे ल य-क त से जोड़ा जाता है जो अपने
उ े य के लए या फर कसी कायवाही के लए तैयार है। पु ष अ सर अपने न या मक रवैये
को दखाने के लए म हला के सामने यह मु ा अपनाते ह।
कू ह पर हाथ रखकर आप अ धक जगह घेरते ह,
इस लए अ धक बड़े और सु प दखते ह

कसी के रवैय े का सही मू यांकन करने के लए प र थ तय तथा कू हे पर हाथ रखने


क मु ा से पहले के शारी रक हावभाव पर गौर कया जाना ज़ री है। उदाहरण के लए,
आ ामक मु ा अपनाते समय का कोट खुला था या कू ह पर पीछे कया गया था या
फर उसके कोट के बटन बंद थे? कोट बंद होना हताशा दखाता है, जब क खुला आ पीछे
कया गया कोट सीधी आ ामकता दखाता है, य क वह नडरता का दशन करते ए
अपने आगे के ह से को सामने कर रहा है। ज़मीन पर बराबर री पर पैर जमाकर या मु याँ
कसकर इस थ त को और मज़बूत कया जाता है।

अपने कू ह पर हाथ रखकर मॉड स कपड़ को आकषक बनाती ह

पेशेवर मॉड स इस आ ामक व त पर रहने के मु ा समूह का इ तेमाल यह जताने के लए


करती ह क उनके कपड़े आधु नक, आ म व ासी, ग तशील म हला के लए ह। कई बार एक
ही हाथ को कू हे पर रखा जाता है और सरे से कोई अ य मु ा अपनाई जाती है। ऐसा अ सर
उन म हला ारा कया जाता है, जो इस मु ा के साथ ही कू हे को एक ओर झुकाकर
जननसूचक कमर व कू हे के अनुपात पर बल दे कर लोग का यान अपनी ओर ख चना
चाहती ह। ण नवेदन म पु ष व म हला, दोन ही अपनी ओर यान ख चने के लए कू हे पर
हाथ रखने क मु ा नय मत प से अपनाते ह।

काउबॉय क मु ा
बे ट या जेब के ऊपरी ह से म ठूँ से ए अँगठ
ू े जननांग े के गठन को प करते ह और
इसका इ तेमाल मु यतया यौन प से आ ामक पु ष ारा कया जाता है। ट वी पर दखाई
जाने वाली यह आम मु ा है, जसके ारा दशक के पसंद दा बं कधारी के पौ ष का दशन
कया जाता है।
काउबॉय क मु ा - उसक उँग लयाँ उस ओर इशारा करती ह, जहाँ वह आपका यान
आक षत करना चाहता है

मज़ाक म इसे लंब े अँगठ


ू े वाला आदमी भी कहा जाता है, इसम बाँह तैयारी क थ त म होती ह,
हाथ मुख संकेतक का काम करते ह और ॉच प दखाई दे ता है। पु ष अपने े क सीमा
तय करने या अ य पु ष को अपनी नडरता दखाने के लए इस मु ा को अपनाते ह। नरवानर
भी यही करते ह, ले कन बे ट और पतलून के बना।
यह मु ा अ य लोग को बताती है, ‘म जोशीला ँ, म भु व जमा सकता ँ‘यही कारण
है क शकार क टोह म नकले पु ष म यह आम है। कसी म हला से बात करते ए अगर
पु ष ऐसे खड़ा है, उसक पुत लयाँ फैली ई ह और उसका पैर म हला क ओर संकेत कर रहा
है, तो म हलाएँ इस थ त को आसानी से समझ लेती ह। इस मु ा से पु ष क पोल खुल जाती
है और अनजाने ही वह अपने दमाग म चल रही बात म हला तक प ँचा दे ता है।

यौन प से बेधड़क म हला

इस मु ा का उपयोग मु यतया पु ष करते ह, ले कन जी स और पतलून पहनने वाली म हलाएँ


भी ऐसा करते दे खी जाती ह। ेसेज़ या कट् स पहनने वाली यौन प से बेधड़क (से शुअली
अस टव) म हलाएँ बे ट या जेब म एक या दोन अँगठ ू को डालती ह।
तयोगता का जायज़ा लेना
अगले च म दो पु ष को कू हे पर हाथ रखकर और बे ट म अँगठ
ू े डालने क मु ाएँ अपनाते
ए एक- सरे का जायज़ा लेत े ए दखाया गया है। दोन कसी एक कोण पर एक- सरे से र ह
और उनके शरीर के नचले ह से शांत ह, इस लए यह माना जा सकता है क अवचेतन तौर पर
दोन एक- सरे का मू याँकन कर रहे ह और उनके बीच टकराव क आशंका कम है।

एक- सरे का जायज़ा लेत े ए

इनक बातचीत सामा य या दो ताना लग सकती है, ले कन माहौल तब तक तनावमु


नह हो सकता, जब तक क वे कू ह से हाथ न हटा द और खुली मु ाएँ न अपना ल या सर को
एक ओर न झुका ल।

अगर ये दोन पु ष आमने-सामने खड़े होते, उनक टाँग फैली होत और पैर ज़मीन पर टके
होते, तो लड़ाई क आशंका हो सकती थी।

आ ामक रवैया दखाता आ मु ा समूह

अडॉ फ़ हटलर चार के लए ली गई त वीर म भु वशाली दखने के लए कू ह पर हाथ


रखने क मु ा अपनाता था, ले कन फर भी अपने एकमा अंडकोष को छपाने के लए अपने
बाएं हाथ को शरीर के सरी ओर ले जाने से रोक नह पाता था।

वरोधाभासी संकेत : दायाँ हाथ आ ामकता दखाते ए, जब क बायाँ हाथ शरीर के


अगले ह से क र ा करता आ

टाँग फैलाना
यह लगभग पूरी तरह से नर क मु ा है और वानर ारा भी अ य वानर पर भुता जमाने क
को शश म इसका योग कया जाता है। घायल होने से बचने के लए वे अपनी टाँग फैला दे त े ह
और सबसे बड़ा दशन करने वाले को सबसे भु वशाली माना जाता है। ऐसा ही मनु य म नर
के साथ होता है। यह अ सर अनजाने म होता है, ले कन इससे सश संदेश दया जाता है। एक
पु ष ारा अपनी टाँग फैलाए जाने के बाद अ य पु ष भी थ त बनाए रखने के लए ऐसा ही
करते ह, ले कन तब इसका नकारा मक असर पड़ता है जब कोई पु ष म हला के सामने ऐसा
करता है और वह भी कामकाज क थ तय म, य क म हलाएं जवाब म ऐसा नह कर पात ।

कामकाज क थ तय म जब कोई पु ष अपनी टाँगे


फैलाता है तो म हला इसे ध स जमाने के प म दे खेगी

मी ट स क हमारी वी डयो रकॉ डग से पता चला क ऐसा होने पर कई म हलाएं अपनी टाँग
और बाँह मोड़ लेती ह, जससे वे र ा मक थ त म आ जाती ह। यहां पु ष के लए प
सलाह है - बज़नेस मी ट स म अपनी टाँग एक साथ रख। अगर आप म हला ह और आपका
सामना अ सर ॉच दशन करने वाले पु ष से होता है, तो ऐसे म कोई त या न द। अगर
आप तर ा मक तरीके से त या करगी तो यह आपके ख़लाफ़ जा सकता है। इसके
बजाय उसके ॉच को संबो धत करने क को शश कर, जैसे, ‘बॉब, आपक बात सही है’ और
‘म दे ख सकती ँ क यह बात कहाँ से आई है’, इससे उसे सबक मल जाएगा और सही समय
पर इसके इ तेमाल से हँसने का बहाना मल जाएगा।
कुस के ह थे पर टाँग रखना
यह अ धकतर पु ष ारा कया जाता है, य क इसम टाँग फैलाई जाती ह। इससे न केवल
कुस पर पु ष का वा म व प होता है, ब क यह भी पता चलता है क उसका रवैया कतना
अनौपचा रक और आ ामक है।

अनौपचा रकता, उदासीनता और सरोकार क कम

दो पु ष म को इस तरह बैठे रहकर एक- सरे के साथ हँसते ए और मज़ाक करते ए दे खा


जा सकता है, ले कन हम अलग प र थ तय म इसके असर पर वचार करते ह। मान ली जए,
कसी कमचारी क कोई नजी सम या है और वह अपने बॉस के पास सलाह के लए जाता है।
अपनी सम या बताते ए वह आगे क ओर झुकता है, उसके हाथ घुटन पर ह, सर झुका है
और चेहरे पर नराशापूण भाव के साथ वह धीमी आवाज़ म बात करता है। बॉस शां त से उसक
बात सुनता है और फर कुस पर पीछे टककर अपना एक पाँव उसके ह थे पर रख दे ता है। अब
बॉस के रवैय े म कोई चता नह , ब क वह अब उदासीन हो गया है। अ य श द म, उसे
कमचारी या उसक सम या से कोई सरोकार नह और वह यह भी महसूस कर सकता है क
‘वही पुरानी कहानी’ सुनाकर उसका समय बबाद कया जा रहा है।
तो बॉस कस चीज़ को लेकर उदासीन था? हो सकता है क उसने सम या पर गौर
कया हो, फर सोचा हो क वह कोई बड़ी सम या नह है और उसक दलच पी ख़ म हो गई
हो। संभव है क वह अपने कमचारी से कहे क वह चता न करे, सम या र हो जाएगी। जब
तक बॉस क टाँग कुस के ह थे पर रहेगी, उसक उदासीनता बरकरार रहेगी। उस कमचारी के
द तर से नकलने के बाद वह राहत क साँस लेकर कहेगा, ‘शु है, वह चला गया!’ और अपनी
टाँग कुस के ह थे से हटा लेगा।
नेगो सएशन के दौरान कुस के ह थे पर टाँग रखने से कसी को भी परेशानी हो सकती
है और ऐसे म ज़ री है क उस क थ त बदली जाए, य क जतनी दे र वह उस मु ा म
रहेगा, उतनी दे र तक उसका उदासीन या आ ामक रवैया बरकरार रहेगा। इसका आसान तरीका
यह है क उसे आगे झुकने के लए या फर कसी चीज़ को दे खने के लए कहा जाए, और अगर
आप मज़ा कया रवैया अपना सकते ह तो उसे कह क उसक पतलून क सलाई बीच वाले
ह से से नकल गई है।
कुस पर दोन ओर टाँग फैलाना
स दय पहले इंसान मन के भाले और गदा से बचने के लए ढाल का इ तेमाल करते थे और
आज स य आदमी को जब शारी रक या शा दक हमले क आशंका होती है, तो वह अपने पास
मौजूद चीज़ का इ तेमाल कर इसी र ा मक बताव को अपनाता है। गेट, चौखट, चारद वारी या
डे क के पीछे , या अपने वाहन के खुल े दरवाजे के पीछे खड़े होना और कुस पर उ टा बैठकर
दोन ओर टाँग लटकाकर बैठना इसम शा मल है।

इस तरह बैठा इंसान अपना भु व या नयं ण जमाने के साथ-साथ अपने अगले ह से


क सुर ा भी कर रहा है

कुस का पछला ह सा शरीर क र ा करने वाली ढाल का काम करता है और इंसान को


आ ामक और भु वशाली व म बदल दे ता है। पु ष ारा टाँग फैलाने से ॉच डस ले
भी होता है, जससे इसम उनका दावा भी जुड़ जाता है। इस तरह टाँग फैलाकर बैठने वाले
( ै डलर) अ धकतर अपनी हेकड़ी जमाने वाले क म के होते ह, जो बातचीत म ऊब जाने पर
बाक लोग पर नयं ण जमाने क को शश करते ह। कुस क पीठ उ ह समूह के कसी अ य
सद य के ‘हमले’ से सुर ा दे ती है। ै डलर अ सर चतुराई से इस मु ा को अपना लेता है और
कसी का यान भी उस तरफ़ नह जाता।
ै डलर को नह था करने का सबसे आसान तरीका है उसके पीछे खड़े होना या बैठ
जाना, जससे उसे हमले क आशंका होने लगती है और उसे अपनी थ त बदलनी पड़ती है।
समूह म होने पर यह कारगर हो सकता है, य क ऐसे म ै डलर क पीठ लोग के सामने होगी
और उसे कोई अ य मु ा अपनानी पड़ेगी।
अगर ै डलर घूमने वाली कुस पर हो तो आप या करगे? घूमने वाले झूल े पर बैठकर
ॉच दखाते पु ष के साथ तक क बात करना नरथक है, इस लए आप नॉन-वबल तरीके से
उसका सामना कर सकते ह। खड़े होकर बातचीत करते ए ै डलर को दे ख और उसके पसनल
पेस तक प ँच जाएँ, इससे वह घबरा सकता है और जगह से हटने क को शश म कुस से गर
भी सकता है।
अगली बार अगर कोई ै डलर आपसे मलने आए तो सु न त कर ल क वह ऐसी
कुस पर बैठे जस पर ह थे ह और वह घूमती न हो, ता क वह अपनी पसंद दा मु ा न अपना
सके। ऐसी थ त म ै डलर कैटाप ट (गुलेल जैसी मु ा) का इ तेमाल कर सकता है।
गुलेल जैसी मु ा (कैटाप ट)
यह कू ह पर हाथ रखने का एक व प है, जसे बैठने क थ त म अपनाया जाता है। इसम
हाथ सर के पीछे होते ह और कोह नयाँ बाहर क ओर होती ह। यह भी नर क मु ा है, जसका
इ तेमाल सर को भयभीत करने या उनम न त होने का भाव डालने के लए होता है, ता क
वे सुर ा के झाँस े म आ जाएँ और वह हमला कर सके।

कैटाप ट : कूल, आ म व ासी, सब कुछ जानता है और सोचता है क उसके पास


बा कय से यादा केले ह

अकाउ टे ट, वक ल, से स मैनेजर जैस े पेशेवर लोग या फर कसी काम म वयं को े मानने


वाले, भु वशाली या आ म व ासी लोग क यह पसंद दा मु ा है। अगर ऐसे इंसान क सोच
को पढ़ा जाए, तो वह ऐसा कुछ सोच रहा होगा, ‘मेरे पास सभी जवाब ह‘, या ‘सब कुछ नयं ण
म है’, या फर ‘हो सकता है कसी दन तुम भी मेरी तरह माट बन जाओ।’ मैनेजमट कम
इसका नय मत इ तेमाल करते ह और नए नयु ए पु ष मैनेजर भी ज द ही इसका
इ तेमाल करने लगते ह, जब क पदो त से पहले वे शायद ही कभी इसे अपनाते ह । इसे
‘हरफ़नमौला’ क म के लोग भी अपनाते ह और इससे अ धकतर लोग उनक ध स म आ जाते
ह। यह उन लोग क खास मु ा है, जो चाहते ह क आप जान क वे कतना कुछ जानते ह।
इसका इ तेमाल े ीय च ह के प म भी कया जाता है क उस ने कसी न त े
पर अपना दावा पेश कया है।
इसके साथ अ सर फ़गर फोर मु ा या ॉच डस ले भी अपनाया जाता है, जससे
पता चलता है क वह न केवल े महसूस कर रहा है, ब क वह बहस भी कर सकता है
और अकड़ जमाने क को शश भी कर सकता है। हालात के मुता बक इस मु ा के साथ आप
कई तरीक से नपट सकते ह। आप अपनी हथे लयाँ ऊपर करके आगे झुककर कह सकते ह,
‘म दे ख सकता ँ क आप इसके बारे म जानते ह। या आप कोई ट पणी करगे?’ फर टककर
बैठ जाएं और जवाब का इंतज़ार कर।

म हलाएँ ऐसे पु ष को नापसंद करती ह जो बज़नेस


मी ट स म कैटाप ट क मु ा अपनाते ह।
आप कसी चीज़ को उसक प ँच से र रखकर पूछ सकते ह, ‘ या आपने इसे दे खा, ?’, इससे
उसे आगे आना पड़ेगा। अगर आप पु ष ह तो उससे नपटने का अ छा तरीका यह होगा क
आप उसक मु ा को अपना ल, य क इससे समानता का भाव पैदा होता है। हालाँ क यह
तरीका म हला के मामले म कारगर नह होता, य क इससे उसका व थल सामने अ धक
सु प हो जाता है और उसके लए यह हा नकारक हो सकता है। कैटाप ट क को शश करने
वाली सपाट छाती वाली म हला को भी ी-पु ष ारा आ ामक माना जाता ह।

म हला के मामले म कैटाप ट काम नह करता। । तब


भी नह , जब उनक छाती उभरी ई न हो।

अगर आप म हला ह और कोई पु ष कैटाप ट अपनाता है, तो खड़े होकर बात करना जारी
रख। इससे कैटाप टर को बातचीत जारी रखने के लए अपनी मु ा बदलनी होगी। अगर वह
कैटाप ट रोक दे , तो फर बैठ जाएँ। उसके फर से ऐसा करने पर खड़े हो जाएँ। यह लोग को
बताने का अना ामक तरीका है क वे आप पर रौब जमाने या आपको भयभीत करने क
को शश न कर। सरी ओर अगर कैटाप ट करने वाला आपसे व र है और आपको डाँट रहा है
तो आप उसक नकल करके उस पर रौब मारने क को शश करगे। उदाहरण के लए, दो बराबर
ओहदे के लोग एक- सरे क उप थ त म कैटाप ट अपनाकर बराबरी और सहम त दखा सकते
ह, ले कन कसी शरारती छा के ऐसा करने पर सपल आगबबूला हो सकते ह।
एक इं योरस कंपनी म हमने पाया क 30 पु ष से स मैनेजर म से 27 अपने
सहक मय या मातहत कमचा रय के सामने नय मत प से कैटाप ट अपनाते थे, ले कन
अपने व र अ धका रय क उप थ त म ऐसा ब त कम होता था। अपने से व र अ धका रय
के साथ होने पर यही मैनेजर समपण और अधीन थता से जुड़े मु ा समूह को अपनाते थे।

कसी क त परता द शत करने वाली मु ाएँ


बैठकर तैयार रहने यानी सी टड रे डनेस क मु ा उन मह वपूण मु ा म से एक है, जसक
पहचान करना कोई नेगो शएटर सीख सकता है। जब आप कोई ताव तुत कर रहे ह और
सरे इंसान ने उसके अंत म यह मु ा अपना ली है और तब तक बातचीत भी अ छ रही है, तो
आप सहम त क बात कर सकते ह और ऐसे म आपको सफलता मलने क संभावना भी होती
है।
काम के लए तैयार होने क आदश मु ा

से स के लोग ारा संभा वत ख़रीदार के साथ सा ा कार के हमारे वी डयो के री ले से उजागर


आ क जब कभी सी टड रे डनेस से पहले ठोड़ी सहलाने ( नणय लेने) क मु ा अपनाई गई तो
आधे से अ धक मामल म लाइंट ने ताव के लए हामी भरी। इसके वपरीत, अंत म जब
लायंट ने ठोड़ी सहलाने के बाद बाँह मोड़ने क मु ा अपनाई तो ब नह ई। गु से म आया
कोई इंसान भी सी टड रे डनेस क मु ा अपना सकता है, जैसे क हो सकता है वह आपको
बाहर फकना चाहता हो। इस लए सीटे ड रे डनेस से पहले के मु ा समूह से के असली
इराद का पता चलता है।

शु आत करने क मु ा टाटस पोज़ीशन


घुटन पर दोन हाथ रखकर आगे बढ़ते ए झुकना या कसी दौड़ म भाग लेने क तरह दोन
हाथ से कुस पकड़कर आगे झुकने जैसी मु ाएँ कसी बैठक को समा त करने क इ छा का
संकेत दे ती ह। अगर कसी बातचीत के दौरान इनम से कोई एक चीज़ आपको दखती है तो ऐसे
म आपको आगे बढ़कर अपनी बात क दशा बदलनी चा हए या फर बातचीत को समा त कर
दे ना चा हए।

ऑन योअर मा स, गेट, सेट : पहल करना – कसी मुलाकात या बातचीत को समा त


करने क त परता

सारांश
इस अ याय म बताए गए बॉडी ल वेज संकेत को पढ़ पाना आसान है, य क उनम बड़ी मु ाएँ
शा मल ह। न केवल इन संकत के मह व को समझना ज़ री है, ब क बेहतर स पक के लए
यह भी आव यक है क आप अपने पटारे म से नकारा मक मु ा को हटा ल और उन चीज़
का अ यास कर, जो आपको सकारा मक प रणाम द।
अ याय 12

त ब बत करना – हम कैसे
घ न ता बनाते ह

ये सभी एक – से दखते ह, एक जैस े कपड़े पहनते ह, चेहरे पर एक जैस े भाव रखते ह,


एक– – सी बॉडी ल वेज अपनाते ह, ले कन हर कोई आपको बताएगा क वह ‘अपना
काम कर रहा है’

जब हम कसी से पहली बार मलते ह तो हम तेज़ी से पता लगाना पड़ता है क वह इंसान हमारे
त सकारा मक कोण रखता है या नकारा मक, ठ क वैसे ही जैसे जी वत रहने के लए
अ धकतर अ य ाणी करते ह। हम सरे के शरीर क कै नग करके दे खते ह क या वे
भी उसी तरह क हरकत करते ह या मु ाएँ अपनाते ह, जैस े क हम। इस तरीके से त ब बत
करने को ‘ मर रग‘कहते ह। हम जुड़ने, वीकार कए जाने और सामंज य बनाने के लए एक–
सरे क बॉडी ल वेज को त ब बत करते ह, ले कन इसे लेकर हम अ सर अनजान रहते ह।
ाचीन काल म मर रग एक सामा जक तरीका था, जससे हमारे पूवज को बड़े समूह म
सफलता से तालमेल बैठाने म मदद मली। यह दरअसल नकल करने से जुड़े सीखने के आ दम
तरीके का बचा–खुचा अंश भी है।
मर रग का एक सबसे प व प ज हाई लेना है। एक इंसान इसे शु करता है और
सभी ऐसा ही करने लगते ह। रॉबट ोवाइन ने पाया क ज हाई लेना इतना सं ामक होता है क
आपको सरे इंसान को ऐसा करते ए दे खने क ज़ रत नह होती, इसके लए बस खुला आ
मुँह दे खना ही काफ़ होता है। पहले यह वचार था क उबासी लेन े का मकसद शरीर को
ऑ सीजन उपल ध कराना था, ले कन हम जानते ह क यह मर रग का एक व प है, जससे
बाक लोग से तारत य बनता है और आ ामकता से बचा जा सकता है, ठ क वैसे ही जैसे बंदर
और च पां ज़य म होता है।

कसी अ य म हला क तरह कपड़े पहनने क मर रग नह करनी


चा हए। ले कन अगर दो कसी पाट म एक जैसे कपड़े पहने
दखाई दे त े ह तो वे ज़दगी भर लए दो त बन सकते ह।

मर रग बना कुछ बोले यही कहती है, ‘मुझे दे खो; म तु हारे जैसा ँ। म तु हारी तरह महसूस
करता ँ और मेरा नज़ रया तुमसे मलता है।‘यही कारण है क कसी रॉक कॉ सट म सभी लोग
एक साथ उछल–कूद कर संगीत को सराहते ह या मलकर ‘मे सकन वेव‘बनाते ह। भीड़ का
एक साथ ऐसा करना भाग लेने वाल म सुर ा क भावना को बढ़ावा दे ता है। इसी तरह गु साई
ई भीड़ भी आ ामक रवैय े को त ब बत करेगी और यही वजह है क अ सर शांत रहने
वाले लोग भी ऐसी थ त म अपना आपा खो दे ते ह।
एक– सरे क हरकत को त ब बत करना कसी कतार का आधार होता है। कतार
म लगे लोग ऐसे लोग के साथ भी सहयोग करते ह, जनसे वे कभी नह मले और कभी मलगे
भी नह । बस का इंतज़ार इंतज़ार करते करते) ए, कसी आट गैलरी म, बक म या यु म कंधे
से कंधा / मलाते ए वे बताव से जुड़े कुछ अ ल खत नयम का पालन कर रहे होते ह।
म शगन यू नव सट के ोफ़ेसर जोसेफ़ हाइन रख़ ने पाया क सर को त ब बत करने क
इ छा हमारे म त क म सहज प से मौजूद होती है, य क आपसी सहयोग से समुदाय को
अ धक भोजन, बेहतर वा य और आ थक वृ ा त होती है। इससे यह भी पता चलता है क
मर रग करने म बेहद अनुशा सत समाज , जैस े टश, जमन और ाचीन रोम, ने य कई वष
तक नया पर राज कया।
अपने माता– पता को त ब बत करने क शु आत ज द हो जाती है : स फ लप
और स चा स कदम से कदम मलाते ए

मर रग से सरे को सहजता का अनुभव होता है। यह सामंज य बनाने म इतना कारगर तरीका
है क लो–मोशन वी डयो शोध से उजागर आ है क आँख झपकाने, नथुन े फुलाने, भ ह उठाने
और यहाँ तक क पुत लयाँ फैलाने तक म इसे अपनाया जाता है। यह वाकई अनोखी बात है,
य क इन सू म मु ा क नकल जानबूझकर नह क जा सकती।

सही वाइ स (अनुभू तयाँ) पैदा करना


शरीर के स ोनस (समका लक) वहार के शोध से पता चला क जो लोग एक जैस े भाव
महसूस करते ह या जनका झान एक–सा होता है उनके बीच सामंज य होने क संभावना होती
है और वे एक– सरे क बॉडी ल वेज और भाव से तालमेल बैठाने लगते ह। सरे के
साथ जुड़ने के लए ‘उससे तारत य‘बनाने क या गभ म ही शु हो जाती है, जब हमारे
शरीर क याएँ और दल क धड़कन हमारे माँ क लयताल से मेल खाती ह। इस लए मर रग
एक ऐसी थ त है जसक ओर हमारा झुकाव सहज होता है।
जब कोई जोड़ा णयकाल के शु आती दौर म होता है तो उ ह अ सर समका लक
बताव करते दे खा जा सकता है, लगता है जैस े वे दोन नृ य कर रहे ह । उदाहरण के लए, जब
म हला अपने मुँह म खाना डालती है तो पु ष अपने मुँह के कोने को साफ़ करता है; या वह कोई
वा य शु करता है और म हला उसे पूरा करती है। जब वह पीएमट (मा सक धम से पहले होने
वाली बेचैनी) से गुज़रती है तो पु ष चॉकलेट खाना चाहता है और जब वह फूला आ महसूस
करती है, तो वह वायु नकालता है।
जब कोई कहता है क ‘वाइ स या अनुभू तयाँ सही ह‘या उ ह सरे इंसान के साथ
‘सही महसूस होता है’, तो वे अनजाने ही मर रग और समका लक बताव क बात कर रहे होते
ह। उदाहरण के लए, कसी रे तराँ म एक को अकेले खाने या पीने म झझक हो सकती
है, य क उसे बाक लोग से अलग होने क आशंका महसूस होती है। जब खाना मंगवाने क
बात आती है तो हर कोई सरे से जानना चाहता है क वह या ऑडर कर रहा है। वे एक– सरे
से पूछते ह, ‘तुम या ले रहे हो?’ जैस े क खाने म भी नकल करने क को शश कर रहे ह । यही
कारण है क डेट के दौरान पृ भू म म चल रहा संगीत ब त असरदार होता है, य क उससे
ी–पु ष ताल के साथ अपनी ताल मलाते ह।

सरे क बॉडी ल वेज और उसके जैसा दखने से सरे के साथ एकजुटता


द शत होती है और ऐसे म कसी एक को हावी होने का मौका नह

मलता को शक य तर पर मर रग
अमे रक दय श य च क सक डॉ. मेहमेत ओज़ ने नए दल पाने वाल से मली हैरत अंगेज़
जानकारी द । उ ह ने पाया क शरीर के बाक अंग क तरह दय म भी को शक य मृ तयाँ
रहती ह और इससे कुछ मरीज़ को वैसा ही महसूस होता है, जैसा क दय दान करने वाले को
होता होगा। इससे भी आ यजनक यह है क उ ह ने पाया क कुछ मरीज़ ने तो दाता क मु ाएँ
और शैली तक अपनाई, जब क उससे वे कभी मले भी नह थे । वे इस प रणाम पर प ंच े क
दय क को शकाएँ ा तकता के म त क को दाता क बॉडी ल वेज अपनाने का नदश दे ती
ह। इसके वपरीत, ऑ ट म जैसी बीमा रय से त लोग म सरे के बताव को
त ब बत करने क मता नह होती, जससे बाक लोग से बातचीत करने म उ ह मु कल
का सामना करना पड़ता है। नशे म धुत लोग के साथ भी यही होता है और उनक मु ाएँ उनके
श द से तालमेल नह रख पात , जसके कारण मर रग संभव नह होती
काय और कारण क वजह से अगर आप जानबूझकर कोई शारी रक मु ा अपनाते ह
तो आप उनसे जुड़ी भावना को महसूस करने लगगे। उदाहरण के लए, अगर आप
आ म व ासी महसूस कर रहे ह तो आप अपने आ म व ास को द शत करने वाली ट पल
(मीनार वाली मु ा) को अपना लगे ले कन अगर आप जानबूझकर ट पल अपनाएं तो न केवल
आप अ धक आ म व ासी महसूस करने लगगे, ब क बाक लोग भी आपको आ म व ासी
समझगे। लोग क बॉडी ल वेज और थ त के साथ जानबूझकर ताल मलाने से अ य लोग से
घ न ता बन जाती है।

पु ष और म हला के बीच के मर रग अंतर


मैनचे टर यू नव सट के जे बीट ने पाया क कसी पु ष ारा सरे पु ष क मर रग करने
के मुकाबले कसी म हला ारा अ य म हला को त ब बत करने क संभावना चार गुना
अ धक होती है। उ ह ने यह भी पाया क म हलाएँ तो पु ष के शारी रक हावभाव को
त ब बत करती ह, ले कन म हला क मु ा को त ब बत करने से पु ष हचकते ह, वे
णयकाल के दौरान ही ऐसा करते ह।
जब एक म हला कहती है क वह ‘दे ख‘सकती है क कोई समूह के मत से
सहमत नह है, तो वह वाकई असहम त को ‘दे ख‘सकती है। वह जान जाती है क उस के
शारी रक हावभाव समूह के मत से मेल नह खा रहे और वह समूह क बॉडी ल वेज को
त ब बत न करके अपनी असहम त दखा रहा है। अ धकतर पु ष को यह बात हैरतअंगेज़
लगती है क कैसे म हलाएँ असहम त, ोध, झूठ या बुरा लगने जैसे भाव को ‘दे ख’ सकती ह।
इसका कारण यह है क पु ष के म त क म बाक लोग क बॉडी ल वेज क बारी कय को
पढ़ने के क मता नह होती और वे चेतन तौर पर त ब बत होने वाले वरोधाभास को
समझ नह पाते।
जैसा क हम अपनी पु तक वाय मेन डॉट लसन एंड वमेन कांट रीड मै स (ओरायन)
म बता चुके ह क ी और पु ष के म त क चेहरे क अ भ य और शारी रक हावभाव
के मा यम से भावनाएँ करने के लए अलग तरीके से ो ा ड होते ह। आमतौर पर एक
म हला कसी क बात सुनकर उस पर वचार करके और उसक भावना पर अपनी त या
दे न े म दस सेकड म औसतन चेहरे क छह मुख मांसपे शय का योग कर सकती है। उसका
चेहरा व ा ारा भावना को त ब बत कर सकता है। दे खने वाले को लगेगा क
बातचीत के दौरान दोन म हलाएँ ही उन भाव से गुज़र रही ह।
व ा के बात करने के लहजे से म हला उसक बात के अथ को और उसक बॉडी
ल वेज से उसक भावना मक थ त को पढ़ लेती है। कसी म हला का यान आक षत करने
और बात म उसक दलच पी बनाए रखने के लए पु ष को ठ क ऐसा ही करने क ज़ रत
होती है। अ धकतर पु ष बात सुनते ए चेहरे के ारा त या करने से भयभीत हो जाते
ह, ले कन ऐसा करने म मा हर पु ष को ब त फ़ायदा होता है।
कुछ पु ष कहगे क ‘‘वह सोचेगी क म य जैसा ँ! ।’ जब क इन तरीक पर ए
शोध से पता चलता है क जब कोई पु ष कसी म हला ारा बातचीत के दौरान चेहरे के
भाव को त ब बत करता है तो वह उसे यान रखने वाला, बु मान, दलच प और आकषक
बताती है।
सरी ओर, म हला के मुकाबले पु ष एक– तहाई से भी कम चेहरे के भाव का
इ तेमाल करते ह। पु ष, वशेषकर सावज नक तौर पर, अपने चेहरे को अ धकांशतः भावहीन
रखते ह। अपनी भावना को दबाकर अजन बय के संभा वत आ मण से बचने और वयं को
अपनी भावना को काबू करने वाला दखाने क वकासमूलक आव यता के कारण वे ऐसा
करते ह। इसी लए कसी क बात सुनते ए अ धकतर पु ष प थर क मू त जैस े दखते ह।
बातचीत के दौरान पु ष ारा पहने गए भावहीन नकाब से वे थ त को नयं ण म
रखने क हालत म होते ह, ले कन इसका मतलब यह नह क वे कुछ महसूस नह करते।
म त क के कैन दखाते ह क म हला क तरह पु ष भी महसूस करते ह, ले कन उ ह
सावज नक तौर पर दखाने से बचते ह।
या कर जब आप म हला ह ?
पु ष के वहार को त ब बत करने म यह समझना मह वपूण है क अपने रवैय े को दखाने
के लए वह चेहरे क मांसपे शय का उपयोग नह करता, ब क अपने शरीर के मा यम से ऐसा
करता है। अ धकतर म हला को पु ष के भावहीन चेहरे को त ब बत करना मु कल
लगता है, ले कन पु ष के मामले म ऐसा करने क ज़ रत ही नह होती। अगर आप म हला ह
तो इसका मतलब है क आपको अपने चेहरे क भावा भ य को कम करना होगा, ता क
आप ज़बरद त और हावी होने वाली न लग। सबसे मह वपूण यह है क वह त ब बत न कर,
जो आपको लग रहा है क वह महसूस कर रहा होगा। अगर आपने उसे गलत समझा तो यह
ब त खद हो सकता है और ऐसे म आपको ‘‘बेवकूफ़‘या ‘चंचल‘समझा जा सकता है। ।
कामकाज के मामले म जो म हलाएँ चेहरे को गंभीर बनाकर बात सुनती ह, उ ह पु ष ारा
बु मान, चतुर और ववेकपूण माना जाता है।

जब ी–पु ष एक जैस े दखने लगते ह


जब दो लंबे समय तक साथ रहते ह और उनके बीच अ छा र ता होता है, तो वे अ सर
एक समान दखने लगते ह। इसका कारण यह है क वे लगातार एक– सरे के चेहरे के भाव को
त ब बत करते रहते ह, जससे लंबे समय बाद चेहरे के समान भाग पर एक सी मांसपे शयां
उभरने लगती ह। ब कुल अलग चेहरे वाले कई दं प त भी त वीर म एक जैसे दख सकते ह,
य क उनके चेहरे पर एक ही तरह क मु कुराहट होती है।

बेकहेम दं प त तब तक समान नह लगते, जब तक वे मु कुराएँ नह


चालीस साल क मर रग का प रणाम – सेवा नवृत बेकहेम दं प और उनका कु ा
पॉट पॉट

2000 म सऐटल म वॉ शगटन यू नव सट के मनोवै ा नक डॉ. जॉन गॉटमैन और


उनके सहक मय ने पाया क ववाह ऐसी थ त म अ धक असफल होते ह, जब एक साथी न
केवल सरे के खुशी के भाव को त ब बत करता है, ब क नफ़रत के भाव भी दखाता है।
इस वपरीत वहार से मु कुराता आ साथी भा वत होता है, यह तब भी होता है, जब उन
दोन को चेतन तौर पर इसक जानकारी न हो।

या हम अपने पालतू जानवर जैस े दखते ह?


जब लोग अपना पालतू पशु चुनते ह तो उसम भी मर रग होती है। इस बात को समझे बना हम
ऐसे पालतू जानवर को पसंद करते ह, जो शारी रक प से हमसे मलते–जुलते ह या हमारे
रवैय े को त ब बत करते ह। इस बात को द शत करने के लए कुछ उदाहरण यहाँ दए गए
ह। :
या हम ऐसे पालतू चुनते ह, जो हमसे मलते–जुलते ह?

बंदर क तरह नकल करना


अगली बार जब आप कसी सामा जक समारोह म या फर ऐसी जगह जाएँ, जहाँ लोग एक–
सरे से मलते–जुलते ह, तो गौर कर क लोग कैसे उस क तरह मु ाएँ और हावभाव
अपनाते ह, जससे वे बात कर रहे होते ह। त ब बत करके हम सरे इंसान को बताते ह क
हम उसके वचार और कोण से सहमत ह। एक सरे से नॉन–वबली या बना कुछ
बोले कहता है, ‘जैसा क आप दे ख सकते ह क म आपक ही तरह सोच रहा ँ।’ ऊँचे दज का
अ सर पहला कदम बढ़ाता है और बाक उसक नकल करते ह, जो क मानुसार होता
है।
एक जैसी सोच

उदाहरण के लए, दए गए च म दो एक बयर–बार म खड़े ह। दोन एक– सरे को


त ब बत कर रहे ह, इस लए यह मानना ता कक है क वे दोन कसी ऐसे वषय पर चचा कर
रहे ह, जस पर दोन के वचार मलते ह। अगर एक मू याँकन मु ा अपनाता है या एक
पैर पर खड़ा होता है, तो सरा उसक नकल करेगा। एक अपनी जेब म हाथ डालता है, तो
सरा भी वैसा ही करता है। जब तक दोन सहमत ह, तब तक मर रग यानी एक– सरे को
त ब बत करना चलता रहेगा।

रा प त बुश और शराक असहमत होने पर भी अ सर एक– सरे को त ब बत


करते ह, जससे आपसी स मान द शत होता है।

दो त या एक दज के लोग के बीच मर रग होती है और ववा हत जोड़ का एक तरह से चलना,


उठना–बैठना आम है। ऐ बट शे लेन ने त ब बत करना – हम कैसे घ न ता बनाते ह 277
पाया क लोग जानबूझकर अजनबी लोग क मु ा को त ब बत करने से बचते ह।

मलती–जुलती आवाज़
मर रग के दौरान वचार म सामंज य बैठाने और घ न ता बनाने के लए वर शैली, आवाज़ क
उठान, वर का उतार–चढ़ाव और बोलने क र तार का भी तालमेल होता है। इसे ‘पे सग’ कहा
जाता है और इससे लगता है क जैस े दो सुर म गाना गा रहे ह । आप अ सर दे खगे क
व ा बात करते ए अपने हाथ हलाता है और ोता सर हलाकर उसक ताल से ताल मलाता
है। समय के साथ जब र ता गहरा होता है तो शारी रक थ तय क मर रग कम हो जाती है,
य क हर सरे के रवैय े को पहले से समझ जाता है और घ न ता बनाए रखने के लए
बोलने क र तार मुख मा यम बन जाती है।
सरे से यादा तेज़ ग त से बोलने क को शश कभी न कर। अ ययन से उजागर
आ है क जब कोई सरे से अ धक तेज़ी से बोलता है तो सुनने वाला
दबाव महसूस करता है। क बोलने क ग त बताती है क उसका म त क कस दर से
चेतन तौर पर जानकारी का व ेषण करता है। सरे के बराबर या उससे धीमी ग त से
बात कर और उनके वर क शैली और वराघात को त ब बत कर। टे लीफ़ोन पर मलने का
समय लेने के दौरान पे सग ब त मह वपूण होती है, य क ऐसे म आपक आवाज़ ही संचार
का एकमा मा यम होती है।

जानबूझकर घ न ता
बनाना बॉडी ल वेज से जुड़ी बात को जानने के लहाज़ से मर रग सीखना ब त मह वपूण है,
य क इसके मा यम से लोग हम बताते ह क वे हमसे सहमत ह या नह , या वे हमारे जैसे ह।
हम भी लोग क बॉडी ल वेज क मर रग करके उ ह यह जता सकते ह क हम उ ह पसंद करते
ह।
अगर बॉस अपने घबराए ए कमचारी के साथ सौहाद बनाना चाहता है और वातावरण
को सहज बनाना चाहता है तो अपने उ े य क पू त के लए वह उस कम क मु ा क नकल
करेगा। इसी कार, कोई उभरता आ कमचारी बॉस ारा अपनी राय रखने पर उसक मु ा
क नकल करके अपनी सहम त दखाने क को शश करेगा। इस जानकारी का इ तेमाल कर
लोग क सकारा मक मु ा को अपनाकर उ ह भा वत कया जा सकता है। इससे सामने
वाला हण करने क मु ा म जाता है और उसक मन: थ त भी शांत हो जाती है, य क
वह ‘दे ख‘सकता है क आप उसके कोण को समझ रहे ह।
सरे के शारी रक हावभाव को त ब बत करके वीकृ त पाना

कसी क बॉडी ल वेज क मर रग करने से पहले आपको उस के साथ अपने संबंध का


यान रखना होगा। उदाहरण के लए, कसी कंपनी के एक जू नयर कमचारी ारा वेतन बढ़ाने
क माँग करने पर उसे मैनेजर के कायालय म बुलाया जाता है। मैनेजर के कायालय म जाने पर
उसे बैठने के लए कहा जाता है और मैनेजर कैटाप ट के साथ फ़गर फ़ोर क मु ा अपनाकर
कमचारी को अपना े तर और भु वशाली रवैया दखाता है। अगर जू नयर कमचारी भी वेतन
वृ क बात करते ए मैनेजर क भु वशाली मु ा अपना ले, तो या होगा ?
अपने मातहत कमचारी ारा क जाने वाली मर रग को बॉस अहंकार के तौर पर दे ख
सकता है।

बातचीत करते ए भले वह अधीन थ तर पर रहे, ले कन जू नयर कमचारी के शारी रक


हावभाव से मैनेजर अपमा नत महसूस कर सकता है और उसक नौकरी खतरे म पड़ सकती है।
खुद को ‘ े तर‘समझने वाले और थ त पर नयं ण रखने वाले लोग पर ध स जमाने और
उ ह नह था करने म मर रग कारगर हो सकती है। अकाउ टे ट, वक ल और मैनेजर अपने से
कमतर समझने वाले लोग के आसपास े ता करती मु ाएँ अपनाने के लए कु यात
होते ह। उनके जैसी मु ाएँ अपनाने से आप उ ह अशांत करके उ ह अपनी थ त बदलने पर
मजबूर कर सकते ह। ले कन अपने बॉस के साथ ऐसा कभी न कर।
सबक मु ाएँ और बॉडी ल वेज एक जैसी है, इनके बीच का कम फ़ासला बताता है क
ये म ह, जनके समान ल य ह और काम करने का ढं ग भी एक–सा है

कौन कसे त ब बत करता है?


शोध दखाते ह क जब कसी समूह का अगुआ कुछ न त मु ाएँ व थ तयाँ अपनाता है तो
उसके मातहत उसक नकल करते ह, जो मब तरीके से होता है। अ सर समूह के नेता ही
सबसे पहले दरवाज़े से नकलते ह और सोफे, मेज़ या बे च के बीच बीच बैठने के बजाय कनारे
पर बैठना पसंद करते ह। जब कसी कमरे म ए ज़ी यू ट स आते ह तो सबसे बड़े तबे वाला
अ सर पहले आता है। बोड म म जब वे बैठते ह तो बॉस अ सर मेज़ के सरे पर बैठता
है, जो क दरवाज़े से अ सर सबसे र होता है। अगर बॉस कैटाप ट अपनाता है तो उसके
मातहत कमचारी भी समूह म अपने मह व के म म उसक नकल करते ह। आप कसी मी टग
म दे ख सकते ह क कैसे बाक लोग के शारी रक हावभाव को त ब बत करके लोग ‘उनका
प ‘लेत े ह। इससे आप दे ख सकते ह क कौन आपके साथ बोट करेगा और कौन आपके प म
अपना मत दे गा।
कसी ेजटे शन ट म का ह सा होने पर मर रग एक अ छ रणनी त हो सकती है।
पहले से ही नणय लया जा सकता है क जब बात करते ए ट म का व ा कोई मु ा अपनाए
तो सबको वैसा ही करना होगा। इससे न केवल आपक ट म एकजुट लगेगी, ब क आपके
तयोगी भयभीत ह गे, उ ह कसी बात का संदेह होगा ले कन वे जान नह पाएँगे क वह बात
या है।

बल लंटन भले ही नया के सबसे श शाली इंसान रहे ह , ले कन हलेरी ारा


कोई मु ा अपनाने पर, वे उनक नकल करते थे। हाथ म हाथ डालकर चलने पर हलेरी
अगुवाई करती लगती थ
युगल के सामने कोई वचार, उ पाद या सेवा तुत करते समय यह दे खने से क कौन कसक
नकल करता है, पता लग जाता है क कसके पास ताकत है या कौन अं तम नणय लेन े क
मता रखता है। अगर म हला शु आती हरकत करती है, चाहे वह कतनी भी छोट य न हो,
जैसे टाँग मोड़ना, उँगली घुमाना या फर वह आलोचना मक मू याँकन समूह अपनाती है और
पु ष उसक नकल करता है, तो उससे नणय लेने क अपे ा करना बेकार है, य क उसके
पास ऐसा करने क मता नह है।

कदम मलाना– चा स आगे ह और कै मला उनसे थोड़ा पीछे ह; 2003 म इराक संकट
क शु आत के बाद से टोनी लेयर बे ट म अँगठ
ू े डालने क जॉज बुश क मु ा
अपनाने लगे

सारांश
कसी के शारी रक हावभाव को त ब बत करने से वह वीकृत महसूस करता है और
इससे एक जुड़ाव बनता है। दो त और बराबरी के दज के लोग के बीच वाभा वक तौर पर
ऐसा होता है। इसके वपरीत, हम उन लोग क मु ा को त ब बत नह करते, ज ह हम
नापसंद करते ह या फर जो अजनबी ह , जैसे ल ट म साथ चलते लोग या सनेमा क कतार
म खड़े लोग।
सरे क बॉडी ल वेज और उसके बात करने के तरीके को त ब बत करना
तेज़ी से घ न ता या सौहाद बनाने का सबसे सश तरीका है। कसी से पहली बार होने
वाली मी टग म उसके बैठने के ढं ग, थ त, शरीर के कोण, मु ा , भाव और आवाज़ के लहज़े
को त ब बत कर। थोड़ी ही दे र म उस को लगेगा क आपम कुछ है जो उसे पसंद आ
रहा है, वह कहेगा क आपके साथ ‘काम करना आसान‘है। इसका कारण यह है क वह आपम
अपना त ब ब दे खता है। यहाँ पर एक चेतावनी भी है क मुलाकात होते ही ऐसा न कर,
य क हमारी पहली पु तक बॉडी ल वेज के का शत होने के बाद ब त से लोग मर रग
रणनी तय के बारे म जानने लगे ह और उसके बाद आई टे ली वज़न सीरीज़ को एक अरब से
यादा लोग दे ख चुके ह। जब कोई कसी खास मु ा को अपनाता है, तो आपके पास तीन
वक प होते ह – उसे नज़र अंदाज़ कर, कुछ और कर या उसे त ब बत कर। मर रग से ब त
फ़ायदा होता है, ले कन यान रहे क कसी के नकारा मक संकेत क नकल न कर।
अ याय 13

सगरेट, च मे और मेकअप के गु त
संकेत

सगरेट पीना अंद नी उथल-पुथल या टकराव का बाहरी संकेत है और अ धकतर धू पान का


संबंध नकोट न क लत के मुकाबले आ त होने क ज़ रत से अ धक होता है। यह एक तरह
क व थापन ग त व ध है, जसका इ तेमाल लोग आज के अ य धक तनावयु समाज म
सामा जक और ापा रक मुठभेड़ से पैदा होने वाले तनाव को र करने के लए करते ह।
उदाहरण के लए, ड ट ट के यहाँ दाँत नकलवाने क कतार म खड़े अ धकतर लोग अंद नी
तनाव महसूस करते ह। धू पान करने वाला अपनी घबराहट को सगरेट पीकर छपा सकता है,
जब क सगरेट न पीने वाले अपना लया ठ क करने, युइंग-गम चबाने, नाखून कुतरने, फ़श
पर पैर थपथपाने, कफ़ लक ठ क करने, सर खुजाने, कसी चीज़ से खेलने या फर कोई अ य
मु ा अपनाने पर यान दे ते ह, जससे पता चलता है क उ ह आ त क ज़ रत है। गहने भी
इसी वजह से ब त लोक य ह, उ ह सहलाया जा सकता है और इससे पहनने वाले को अपनी
असुर ा, डर, बेस ी या आ म व ास क कमी को गहने से खलवाड़ करके उसम थानांत रत
कर दया जाता है।
अब अ ययन ब त प तरीके से कसी शशु को तनपान कराने और उसके धू पान
करने क संभावना के बीच संबंध दखाते ह। पाया गया है क जन ब च को बोतल से ध
पलाया गया, धू पान करने वाले वय क म उनका बड़ा ह सा था और वे ब त अ धक धू पान
करते थे। सरी ओर, शशु ने जतने अ धक समय तक तनपान कया हो, बड़े होने पर उसके
धू पान करने क संभावना उतनी ही कम थी। ऐसा लगता है क तनपान करने वाले शशु
को तन से आराम और जुड़ाव महसूस होता है, जो क बोतल से नह मल सकता,
प रणाम व प बड़े होने पर वे चीज़ को चूसकर आराम क तलाश करते ह। धू पान करने वाले
अपनी सगरेट का इ तेमाल उसी कारण से करते ह, जस कारण एक छोटा ब चा अपने कंबल
या अँगठू े को चूसता है।

तनपान करने वाले ब च क तुलना म बोतल से ध पीने वाले


ब च के बड़े होने पर धू पान करने क संभावना तीन गुना अ धक
होती है।

धू पान करने वाले लोग के बचपन म अँगठू ा चूसने क संभावना न केवल तीन गुना थी, ब क
वे धू पान न करने वाल के मुकाबले तं का रोग से अ धक त होते ह और मुँह म कुछ डालने
क लत को पूरा करने के लए अपने च मे का सरा चूसकर, नाखून कुतरकर, पेन चबाकर, ह ठ
चबाकर और प सल कुतरकर कसी को श मदा कर दे न े वाली हरकत करते ह। प है क
तनपान करने वाले ब च क चूसने और सुर त महसूस करने क इ छा समेत ब त सी
इ छाएँ पूरी होती ह, जब क बोतल से ध पीने वाले ब च के मामले म ऐसा नह होता।

दो कार के धू पान करने वाले


धू पान करने वाले मु यतः दो तरह के होते ह-धू पान करने के आद और सामा जक धू पान
करने वाले।
अ ययन दखाते ह क सगरेट के छोटे और तेज़ी से लए गए कश म त क को
उ े जत करते ह और उसक चेतना बढ़ाते ह, जब क लंबे और धीमे कश शांत करने का काम
करते ह। धू पान के आद लोग तनाव से नपटने के लए नको टन के शांत करने वाले असर पर
आ त होते ह, वे लंबे, गहरे कश लगाते ह और अकेले धू पान करते ह। सामा जक धू पान
करने वाले अ सर तभी सगरेट पीते ह, जब वे बाक लोग के साथ होते ह या जब उ ह ने ‘कुछ
स लए होते ह।‘इसका मतलब है क उनका धू पान बाक लोग पर कोई न त छाप
छोड़ने के लए कया सामा जक दशन होता है। सामा जक धू पान म सगरेट जलाने से लेकर
उसके बुझने तक छोटे और तेज़ कश लेकर केवल 20 तशत समय उसे पया जाता है, जब क
बाक 80 तशत समय म शरीर के वशेष हावभाव जताए और अ य काम कए जाते ह।
अ धकांश सामा जक धू पान कसी सामा जक री त का ह सा
होता है।

ई ट लंदन यू नव सट के डी पैरट ारा कए गए एक अ ययन म 80 तशत धू पान करने


वाल ने कहा क धू पान करते ए वे कम तनाव महसूस करते ह। धू पान करने वाले वय क
के तनाव का तशत धू पान न करने वाल से कुछ ही अ धक होता है और धू पान क आदत
अपनाने से उनके तनाव का तर बढ़ने लगता है। पैरट ने यह भी पाया क धू पान बंद करने से
दरअसल तनाव म कमी आती है। व ान बताता है क धू पान मनोदशा या मूड को नयं त
करने म मदद नह करता, ब क नको टन पर आ त रहने से तनाव का तर बढ़ जाता है।
धू पान से होने वाला तथाक थत शांत करने वाला भाव असल म धू पान न करने पर होने
वाली नको टन क कमी से पैदा होने वाले तनाव और चड़ चड़ाहट को र करता है। अ य श द
म, धू पान करने के दौरान का मूड सामा य होता है और धू पान न करने पर वह तनाव म
आ जाता है। इसका मतलब है क धू पान करने वाले को सामा य महसूस करने के लए मुँह म
हमेशा सगरेट रखने क ज़ रत होगी! जब धू पान करने वाले इसे छोड़ दे त े ह तो समय के साथ
उनका तनाव धीरे-धीरे कम हो जाता है। धू पान खून म नको टन क कमी से होने वाले तनाव
को उलटने वाले भाव को दखाता है।
अ ययन बताते ह क सगरेट छोड़ने के शु आती कुछ ह त म मनोदशा खराब होती
है, ले कन शरीर से एक बार नको टन के समा त होने के बाद सगरेट क इ छा और उससे पैदा
होने वाले तनाव के कम होने पर पर थ त नाटक य ढं ग से बेहतर हो जाती है।

धू पान अपने सर पर हथौड़ा मारने जैसा है य क उसे रोकने पर


आप बेहतर महसूस करते ह।

कई थान पर और कुछ प र थ तय म धू पान पर अब तबंध लग चुका है, ले कन धू पान


करने वाले के शारी रक संकेत और उसके रवैय े के बीच संबंध समझने के अपने फ़ायदे ह।
धू पान क मु ाएँ उस क भावना मक दशा को समझने म मह वपूण भू मका नभाती ह,
य क ये मु ाएँ एक न त तरीके से अपनाई जाती ह और धू पान करने वाले क
मनोदशा या उनके यास को समझने म मह वपूण संकेत दे ती ह। सगरेट को कसी चीज़ पर
ह के से ठोकना, मोड़ना, झटकना, उसे हलाना या अ य सू म मु ाएँ उसे पीने से जुड़े द तूर म
शा मल ह और संकेत दे ती ह क संभव है क वह * सामा य से अ धक तनाव महसूस कर
रहा हो।

ी-पु ष के बीच अंतर


धू पान करते ए म हलाएँ अ सर कलाई का : दशन करते ए उसे मोड़ते ए सगरेट को
ऊँचा रखकर पकड़ती ह, जससे शरीर का आगे का ह सा सामने खुले म रहता है। जब पु ष
धू पान करते ह, तो वे म हला क तरह दखने से बचने के लए अपनी कलाई को सीधा
‘रखते ह, हर बार कश लगाने पर हाथ को अपनी छाती से नीचे रखते ह और उनके शरीर का
अगला ह सा पूर े समय सुर त रहता है।
पु ष से गनी म हलाएँ धू पान करती ह और दोन त सगरेट बराबर कश लगाते ह,
ले कन पु ष धुए ँ को यादा दे र तक अपने फेफड़ म रखते ह, जसके कारण उ ह फेफड़ का
कसर होने क आशंका अ धक होती है।

म हलाएँ सगरेट का इ तेमाल कलाई का दशन करते ए शरीर को मु करने के


लए सामा जक दशन के लए करती ह, पु ष धू पान करते ए अपने शरीर को
छपाते ह और उसे छपाकर पकड़ना पसंद करते ह

पु ष अ सर धू पान करते ए सगरेट को चुटक से पकड़ते ह, ख़ासकर जब वे उसे अपनी


हथेली म छपाकर चुपचाप ऐसा करने क को शश कर रहे ह । फ़ म म कलाकार अ सर इस
मु ा को अपनाते ह, जब उनक भू मका कठोर हो या फर जब वे घ टया या संदेहा पद दखना
चाहते ह ।

यौन दशन के प म धू पान


फ़ म और मी डया व ापन म धू पान को यौनाकषक प म दखाया जाता है। धू पान ी-
पु ष के बीच के अंतर को दखाने का एक और अवसर है : धू पान करते ए म हला अपनी
कलाई द शत (अ याय 15 म हम इसक चचा करगे) करती है और पु ष के सामने अपने शरीर
को मु करती है, और इसम सगरेट का इ तेमाल एक छोटे लग क तरह कया जाता है, जसे
मोहक तरीके से ह ठ के बीच रखकर चूसा जाता है। पु ष सगरेट को रह या मक और कामुक
ढं ग से पकड़कर अपने पौ ष का दशन कर सकता ह। पहले क पी ढ़याँ णय- नवेदन म
धू पान के कामुक तरीके का इ तेमाल करती थ , पु ष म हला क सगरेट जलाने क
पेशकश करता था और म हला उसके हाथ को छू ते ए, उससे नज़र मलाते ए उनका ध यवाद
करती थी। आज तो कई जगह पर सगरेट पीना वैसा ही है जैसे पेससूट पहने ए पेट से वायु
नकालना, इस लए धू पान का यह ढं ग अब ब कुल ख़ म हो गया है। धू पान करती म हला के
त आक षत होना समपण के रवैय े क ओर संकेत करता है; अ य श द म, यह एक सू म
संदेश दे ता है क धू पान करती म हला को ऐसे काम करने के लए भी राज़ी कया जा सकता
है, जो उसके हत म न ह । कसी भी के मुँह पर धुआँ छोड़ने को तो कह भी अ छा नह
माना जाता, ले कन सी रया म अगर कोई पु ष कसी म हला के चेहरे पर धुआँ छोड़ता है तो इसे
यौन नमं ण समझा जाता है!

सकारा मक या नकारा मक नणय क पहचान


अपने हालात के त कसी के सकारा मक या नकारा मक रवैय े क पहचान उसके ारा
धुआँ छोड़ने क दशा से होती है क उसे ऊपर छोड़ा गया है या फर नीचे। हम यहाँ मानकर चल
रहे ह क धू पान करने वाला इस लए धुआँ ऊपर नह फक रहा है क वह कसी को अपमा नत
नह करना चाहता और वह दोन दशा म धुआँ छोड़ सकता है। सकारा मक, े महसूस
करने वाला या दे खी गई या सुनी गई बात को लेकर आ म व ास रखने वाला ऊपर क
ओर धुआँ छोड़ेगा। इसके वपरीत, नकारा मक, रह या मक या संदेहा पद मनः थ त का
अ धकतर समय धुए ँ को नीचे क ओर छोड़ेगा। मुँह के छोर से नीचे क तरफ़ धुआँ छोड़ने वाला
इंसान अ धक नकारा मक या रह या मक रवैया रखता है।

ऊपर क ओर धुआ ँ छोड़ना: आ म व ास, े ता, सकारा मकता, धुआँ नीचे छोड़ना :
नकारा मक, रह या मक, संदेहा पद

फ म म मोटरसाइ कल गग या अपराधी गरोह के सरगना को अ सर कठोर, आ ामक


आदमी के प म दखाया जाता है, जो सगरेट पीते ए तेज़ी से सर को पीछे झटकता है और
फर सधे ए ढं ग से कश लगाकर छत क तरफ़ धुआँ छोड़कर बाक सद य पर अपना तबा
जताता है। इसके उलट, ह बोगाट को अ सर ऐसे गग टर या कठोर च र के प म दखाया
जाता था जो सगरेट को नीचे क तरफ़ रखता था और जेल तोड़ने या कसी अ य कु टल हरकत
क योजना बनाते ए मुँह के एक छोर पर सगरेट दबाकर धुआँ नीचे फकता था। धू पान के
दौरान धुआँ छोड़ने क र तार और उस क सकारा मक या नकारा मक भावना के
बीच भी संबंध होता है। जतनी तेज़ी से धुआँ ऊपर क ओर फका जाएगा, उतना ही वह
े या आ म व ासी महसूस करेगा और उसे नीचे छोड़ने क ग त जतनी अ धक होगी, उतना
ही यादा वह नकारा मक महसूस करेगा।
ताश म मा हर धू पान करने वाला उसे खेलते ए ऊपर क ओर धुआँ छोड़ेगा, जब क
इस खेल म अनाड़ी इंसान धुए ँ को नीचे क ओर फकेगा। कुछ लोग खेलते ए अपने दाँव क
भनक सरे को न दे न े के लए शारी रक हावभाव छपाने क को शश म अपना चेहरा सपाट
रखते ह, जब क कुछ खलाड़ी अ भनय करते ए सरे को म म डालने वाले शारी रक
हावभाव अपनाते ह, ता क वह आ त रहे। उदाहरण के लए, ताश खेलते एक खलाड़ी को
चार एक जैस े प े मल जाते ह, ले कन अ य खला ड़य को झाँसा दे न े के लए वह सर नीचे
कर, चढ़कर, अपश द बोलते ए, अपनी बाँह मोड़कर बना बोले ऐसे दखाएगा जैसे क उसने
ब त खराब बाज़ी खेली हो। ले कन फर वह चुपचाप टककर बैठता है और अपनी सगरेट
नकालकर उसका धुआँ ऊपर क ओर छोड़ने लगता है। फर ट पल (मीनार) बनाता है। ऐसे म
बाक खला ड़य ारा अगली बाज़ी पर दाँव लगाना मूखता होगी, य क उनके हारने क
आशंका हो सकती है। से स से जुड़ी प र थ तय म धू पान क मु ाएँ दखाती ह क धू पान
करने वाले के सामने खरीदने क पेशकश कए जाने पर अगर वह सकारा मक नणय पर पहले
प ँच चुका है, तो वह धुए ँ के छ ल को ऊपर क 290 बॉडी ल वेज : पहचा नए शरीर क भाषा
ओर उड़ाएगा, ले कन जसने खरीदने का नणय नह लया है, वह नीचे क ओर धुआँ छोड़ेगा।
1978 म धू पान करने वाल के हमारे मूल अ ययन म यह बात सामने आई थी क
धू पान करने वाले लोग ने, ऐसा न करने वाल के मुकाबले, कसी फैसले पर प ँचने म अ धक
समय लगाया और अ सर मोलभाव के तनावपूण पल म धू पान संबंधी वहार बढ़ गया। ऐसा
लगता है क धू पान करने वाले, इस या क तरफ़ लोग का यान ख चकर नणय लेन े के
काम को रोकते ह। अगर आप चाहते ह क धू पान करने वाले ज द से नणय ल तो आपको
ऐसे कमरे म बैठकर बातचीत करनी चा हए, जस पर ‘धू पान नषेध‘को बोड लगा हो।

सगार पीने वाले


ऊँची क मत और आकार के कारण सगार का इ तेमाल हमेशा से े ता दखाने के लए कया
जाता रहा है। बड़े-बड़े बज़नेस ए ज़ी यू टव, गरोह के सरगना और ऊँचे दज के लोग को
अ सर सगार पीते दखाया जाता है। ब चे के ज म, ववाह, बज़नेस डील हा सल करने या
लॉटरी लगने जैसी उपल धय और जीत का ज मनाने के लए सगार का इ तेमाल कया
जाता है। इस लए हैरत क बात नह क अ धकतर सगार पीने वाले धुए ँ को ऊपर क ओर
छोड़ते ह। एक ज क दावत म जहाँ सगार बाँटे गए थे, हमने वहाँ पर दे खा क सगार पीने
वाले 400 लोग म से 320 लोग ने धुआँ ऊपर क ओर छोड़ा।

धू पान करने वाले बात का समापन कैसे करते ह


अ धकतर सगरेट पीने वाले अपनी सगरेट को बुझाने से पहले उसे एक न त सीमा तक पीते
ह। म हलाएँ उसे धीरे से कुचलती ह, जब क पु ष ारा उसे अँगठ ू े से कुचले जाने क संभावना
होती है। अगर कोई सगरेट जलाकर उसे समय से पहले बुझा दे ता है, तो इसका मतलब है
क उसने बातचीत ख़ म कर दे ने का संकेत दे दया है। बात समा त करने के इस संकेत को
समझकर आप नयं ण क थ त म आ सकते ह या फर बातचीत ख म कर सकते ह, ता क
ऐसा लगे क वह नणय आपने लया।

च मे को कैसे पढ़ा जाए


इंसान जन भी सहायक चीज़ का इ तेमाल करता है, वह उनसे कई कार क मु ाएँ अपना
सकता है, जो उसके रवैय े को द शत करती ह। च मे पहनने वाल के साथ ऐसा ही होता है।
च मे के े म क एक डंडी को मुँह म रखान सबसे आम मु ा है।
च मे का इ तेमाल कर अपने लए समय सुर त करना

जैसा क डेसमंड मॉ रस ने इं गत कया था, ह ठ के बीच या मुँह म कुछ रखना दरअसल उस


सुर ा क भावना को महसूस करने का णक यास है, जो शशु के प म हम माँ क छाती से
लगकर मलती थी। इसका अथ है क मुँह म च मे क डंडी रखना आ त क मु ा है।
अगर आप च मा लगाते ह तो हो सकता है क कई बार आपको लगे क आप ज़दगी
को दो टॉयलेट पेपर के रोल म से दे ख रहे ह, ले कन बाक लोग, ख़ासकर बैठक के शु आती
दौर म, आपको ब त पढ़ाकू और बु मान समझते ह। एक अ ययन म यह बात सामने आई क
लोग ने च मा लगाए लोग के आई यू को उनक बना च मे वाली त वीर के मुकाबले 14 पॉइंट
अ धक माना। यह असर पाँच मनट से भी कम समय तक रहा, इस लए कम समय के इंटर ू के
लए ही च मा पहनने म समझदारी है।
अगर आप ज़ रत से यादा बड़े लस वाले, ए टन जॉन क शैली के रंगीन े म या े म
पर आ ा र यानी इनी शय स वाले डज़ाइनर च मे पहनगे तो कम ‘बु मान‘ दखगे। चेहरे से
एक आकार अ धक वाले च मे पहनने से युवा अ धक प रप व, पढ़ाकू और अ धक
अ धकारपूण लगते ह।

ठोस े म वाले च मे से आप अ धक न कपट और बु मान लग सकते ह, ले कन


ज़ रत से यादा बड़े े म से नह
लोग के चेहर क त वीर के अ ययन म हमने पाया क बज़नेस क नया म कसी चेहरे पर
च मा लगाने से लोग ने उस को अ ययनशील, बु मान, ढ़वाद , श त और
न कपट बताया। च मे पर े म जतना भारी था, उतनी ही अ धक बार यही वणन दया गया
और इस बात से कोई अंतर नह पड़ा क चेहरा कसी ी का था या पु ष का। शायद इसक
वजह यह थी क बज़नेस जगत के च मे पहनने वाले मुख लोग भारी े म इ तेमाल करते ह।
बज़नेस के माहौल म च मा श से जुड़ा है। बना े म के, छोटे या लंबे-पतले े म श हीन
छ व बनाते ह और बताते ह क आप काम से यादा फैशन म दलच पी रखते ह। सामा जक
प र थ तय म ठ क इसका उ टा होता है, ले कन यहाँ आप दो त या साथी के प म पेश आते
ह। हम ऊँचे पद पर बैठे लोग को व ीय बजट पढ़ने जैसे मामल म अपनी बात गंभीरता से
रखने के लए मज़बूत े म वाले च मे पहनने क सलाह दे त े ह, जब क अ छे क छ व या
उनम से एक दखने के लए उ ह बना े म का च मा इ तेमाल करने को कहते ह।

टालमटोल क यु याँ
जैसा क सगरेट पीने म होता है, मुँह म च मे क डंडी रखने क मु ा का इ तेमाल कसी नणय
को टालने या उसम वलंब करने म कया जा सकता है। नेगो सएशन के दौरान पाया गया क यह
मु ा तब बार-बार अपनाई जाती है, जब कसी को नणय लेन े के लए कहा जाता है।
लगातार च मा नकालकर उसके लस साफ़ करना भी नणय लेने के लए अ धक समय लेन े का
एक तरीका है। अगर फैसला लेन े के लए बोले जाने के तुरंत बाद कोई ऐसा करता है तो
शांत रहना सबसे अ छा रहेगा।
इसके बाद क मु ाएँ उस क मंशा या नीयत का संकेत दे ती ह और नेगो शएटर
को उनके मुता बक त या दे न े के लए सचेत करती ह। उदाहरण के लए, य द वह
फर से च मा लगा लेता है, तो अ सर इसका मतलब होता है क वह त य को फर से
‘दे खना‘चाहता है। च मे को मोड़ना या उसे र रख दे ना बातचीत समा त करने के संकेत ह और
च मे को डे क पर ज़ोर से रखना तीका मक तौर ताव को अ वीकार करना है।

च मे के ऊपर से झाँकना
1920 और 1930 के दशक क फ़ म म कलाकार च मे के ऊपर से झाँकने क मु ा का
इ तेमाल कसी आलोचना मक च र (जैस े कसी इं लश प लक कूल क ट चर) के अ भनय
के लए करते थे। अ सर उस ने पढ़ने म इ तेमाल होने वाला च मा पहना होता था और
कसी को दे खने के लए उसे उतारने के बजाय उसके ऊपर 7 से दे खना उसे सु वधाजनक लगता
था। जस को इस तरह से दे खा जाता था, उसे लगता था क जैसे उसे कोई जाँच-परख
रहा है। च मे के ऊपर से दे खने क आदत महँगी पड़ सकती है, य क सुनने वाला इसे दे खकर
अपनी बाँह व टाँग मोड़ सकता है या बहस पर उतर सकता है। अगर आप च मा पहनते ह तो
बात करते समय उसे उतार द और सुनने के समय पहन ल। इससे न केवल सरा शांत
महसूस करता है, ब क आपको बातचीत का नयं ण भी लेन े दे ता है। ोता समझ जाता है क
जब आप च मा उतारते ह तो बोलने क बारी आपक है और उसे वापस रख दे ने पर वह बात
कर सकता है।
च मे के ऊपर से झाँकने से कोई भी तनाव महसूस कर सकता है

कॉ टै ट लस से आपक पुत लयाँ फैली ई व नम लगती ह और उनसे रोशनी पराव तत होती


है। इससे आप कोमल और आकषक लगते ह, जो सामा जक थ तय म तो ठ क है, ले कन
कामकाज के हालात म, वशेषकर म हला के लए ख़तरनाक हो सकता है। कॉ टै ट लस
लगाने वाली म हला भले ही अपनी तरफ़ से कसी बज़नेसमैन को राज़ी करने के लए एड़ी-
चोट का ज़ोर लगा ले, ले कन संभव है क उसके कॉ टै ट लस के असर से आकषण म पड़े उस
को उसक कोई बात सुनाई ही न दे ।
बज़नेस मामल म काले या धूप के च मे वीकाय नह होते और सामा जक माहौल म
शक पैदा करते ह। जब आप कसी को बताना चाहते ह क आप चीज़ को प दे खना चाहते ह
तो आपको े म म भी पारदश काँच ही लगाना चा हए - काले या धूप के च मे को बाहर पहनने
के लए रख।

सर पर च मा चढ़ाना
मी ट स के दौरान काले च मे पहनने वाल को संदेहा पद, रह यमय और असुर त माना जाता
है, जब क उसे सर पर रखने वाले को तनावमु , युवा और कूल माना जाता है, य क उससे
ऐसा भाव मलता है क उस के सर पर फैली ई पुत लय वाली दो बड़ी-बड़ी आँख ह,
उससे शशु और उन गुदगुदे खलौन का यान आता है, जन पर बड़ी-बड़ी आँख बनी होती
ह।

फैली ई पुत लय वाली ‘चार आँख ‘का भाव


च मे और मेकअप क ताकत
मेकअप यानी ंगार करने से क थत व सनीयता बढ़ जाती है, वशेषकर बज़नेस जगत म
म हला क । यह दखाने के लए हमने एक साधारण-सा योग कया। एक से मनार म हमने
चार एक-सी दखने वाली म हला सहायक को अपनी े नग साम ी बेचने के लए काम पर
रखा। हर म हला को सामान रखने के लए अलग मेज़ द गई और सभी को पहनने के लए एक
जैसे कपड़े दए गए। एक सहायक ने मेकअप कया था और च मा लगाया था, सरी ने च मा
तो लगाया, ले कन मेकअप नह कया, तीसरी ने मेकअप कया पर च मा नह लगाया और
चौथी ने न तो मेकअप कया था और न ही च मा लगाया। ाहक मेज़ पर आकर सहायक से
काय म के बारे म पूछते और औसतन चार से छह मनट चचा म लगाते। वापस आने के बाद
इन ाहक से हर म हला के व, वेशभूषा के बारे म पूछा गया और उ ह म हला का
वणन करते वशेषण क सूची म से सबसे उपयु श द चुनने को कहा गया। मेकअप करने और
च मा लगाने वाली म हला को आ म व ासी, बु मान, प र कृत और सबसे यादा ख़ुश मज़ाज
माना गया। कुछ म हला ाहक ने उसे आ म व ासी तो माना, ले कन उनके अनुसार वह खी,
अहंकारी या दं भी थी। यह इस बात का संकेत है क वे उसे शायद एक संभा वत तयोगी के
प म दे ख रही थ , य क पु ष ने उस म हला को इस तरह से नह दे खा। च मा न लगाने
वाली और मेकअप करने वाली सहायक को दखने और खुद को ढं ग से पेश करने म अ छ
रे टग मली, ले कन सुनने और सौहाद बनाने जैसे नजी गुण म वह पीछे रही।

मेकअप करने से म हला का आ म व ास बढ़ा आ लगता है।

बना मेकअप वाली सहायक को नजी गुण और दशन, दोन म सबसे खराब बताया गया
और मेकअप के बना च मा पहनने से ाहक के ख़ और बात याद रखने पर कुछ ख़ास अंतर
नह पड़ा। अ धकतर म हला ाहक ने यान रखा क कब सहायक ने मेकअप नह कया था,
जब क अ धकतर पु ष याद नह कर पाए क उ ह ने मेकअप कया था या नह । दलच प बात
यह है क लोग को लगा क मेकअप वाली सहायक क कट मेकअप न करने वाली सहायक
से छोट थी, यानी इससे सा बत आ क मेकअप करने से अ धक आकषक छ व बनती है। प
है क मेकअप से म हला क छ व अ धक बु मान, आ म व ासी और आकषक बनती है।
बज़नेस क नया म मेकअप और च मे के मेल से दे खने वाल पर ब त सकारा मक और
यादगार असर पड़ता है, इस लए एक सामा य च मे का इ तेमाल बज़नेस मी ट स के लए ब त
ब ढ़या रणनी त हो सकता है।

ह ठ को सजाना
अपने एक टे ली वज़न शो म हमने नौ म हला को इंटर ू के लए आने को कहा, इंटर ू लेने
वाल म म हला व पु ष दोन थे। आधे इंटर ू के दौरान म हला ने लप टक लगाई, ले कन
बाक समय उ ह ने ऐसा नह कया। योग के बाद इंटर ू लेने वाल के रवैय े ब कुल प हो
गए, उ ह ने माना क लाल लप टक वाली और ह ठ को अ धक उभारने वाली म हलाएँ केवल
ख़ुद म और पु ष का यान आक षत करने म दलच पी रखती थ , जब क ह ठ कम
उभारनेवाली और ह के रंग लगाने वाली म हला को क रयर म च रखने वाली और
ोफ़ेशनल समझा गया। लप टक न लगाने वाली म हला को पु ष के मुकाबले कामकाज
के त अ धक गंभीर माना गया, ले कन उनम नजी गुण क कमी मानी गई। लगभग सभी
म हला इंटर ूअस ने गौर कया क उ मीदवार ने लप टक लगाई थी या नह , जब क आधे
पु ष ने इस बात पर यान दया क कब म हला ने लप टक नह लगाई थी। इसका मतलब
है क डेट्स पर जाने के लए म हला को लाल रंग क चटख लप टक लगानी चा हए,
जब क बज़नेस बैठक म ह ठ को कम उभारने वाली, ह के रंग क लप टक का इ तेमाल
करना चा हए। अगर वह ऐसे बज़नेस म है, जो म हला क छ व, जैसे कपड़े, कॉ मे ट स
और हेयर े सग को बढ़ावा दे ता है, तो चटख दशन को सकारा मक माना जा सकता है, य क
ऐसे काम म म हला के आकषण को बेचा जाता है।

ीफ़केस संकेत
ीफ़केस के आकार का सीधा संबंध उसके मा लक के ओहदे से है। माना जाता है क बड़े-बड़े
ीफ़केसजातेह, य क ले जाते लोग सारा काम करते ह और काम को घर भी ले जाते जाते ह ,
य क य क वे समय का सही बंधन नह कर पाते। छोटे ीफ़केस बताते ह क उसका
मा लक केवल नणायक काम से सरोकार रखता है, इस लए उसका ओहदा बड़ा है। ीफ़केस
को हमेशा एक ओर, हो सके तो अपने बाएँ हाथ म रख, इससे आप लोग से आसानी से अपना
दायाँ हाथ मला पाएँगे। अगर आप म हला ह, तो ीफ़केस और हडबैग दोन को एक साथ न ले
जाएँ, य क इससे आपको बज़नेस बाला कम और अ व थत अ धक समझा जाएगा। अपने
और सरे इंसान के बीच ीफ़केस को कभी बाधा न बनने द।

सारांश
इस बात से कोई अंतर नह पड़ता क हम कस कार क व तु से खेल रहे ह, पहन रहे या
धू पान कर रहे ह। कुछ ऐसे संकेत होते ह, जो अनजाने ही हम द शत करते ह। हम जतना
अ धक इन चीज़ का इ तेमाल करते ह, उतना ही अ धक हम अपने इराद या भावना को
ज़ा हर करते ह। इन संकेतो को पढ़ना सीखकर आप एक अ य बॉडी ल वेज के सुराग को समझ
सकते ह।
अ याय 14

शरीर उधर कैसे संकेत करता है,


जधर दमाग़ जाना चाहता है

अ सर हमारा शरीर एक ओर जाता है और दमाग सरी ओर

या कभी कसी से बात करते ए आपको महसूस आ है क शायद उस को आपके


बजाय कसी और के साथ होना चा हए था, जब क वह आपके साथ खुश लग रहा है?
ऐसी थ त क त वीर संभवत: दो बात उजागर करेगी : पहली, उस का सर आपक ओर
होगा और मु कुराहट व सर हलाने जैस े संकेत भी मौजूद ह गे, सरे, उसका शरीर और पैर
आपक ओर न होकर कसी सरे या नकास ार क ओर ह गे। जस दशा म का
शरीर या पैर होते ह, वह इस बात का संकेत होता है क वह कस ओर जाना पसंद करेगा।
दा और खड़ा इंसान संकेत दे रहा है क वह जाना चाहता है।

दए गए च म दो आदमी दरवाज़े पर खड़े होकर बात करते दख रहे ह। बा ओर खड़ा पु ष


सरे का यान अपनी ओर बनाए रखने क को शश कर रहा है, ले कन ोता अपने शरीर क
दशा क ओर जाना चाहता है, हालाँ क उसका सर बोलने वाले क उप थ त को दज कर रहा
है। दाई ओर का अगर सरे क ओर अपने शरीर को मोड़ ले तो उनके बीच दलच प
बातचीत हो सकती है।
कसी भी आमने-सामने क मुलाकात म जब एक बातचीत ख़ म करने का
फैसला ले लेता है या जाना चाहता है, तो उसका शरीर या पैर सबसे नज़द क नकास क ओर
ह गे। अगर आपके साथ बातचीत म ऐसा होता है तो यह आपके लए संकेत है क आप उस
को बातचीत म शा मल करने और उसक दलच पी के लए कुछ कर या फर अपनी
शत पर बात समा त कर, ता क नयं ण आपके हाथ म रहे।

शरीर के कोण या कहते ह

1. खुली थ तयाँ (ओपन पोज़ीश स)


जैसा क हम पहले बता चुके ह, दो लोग के बीच का फ़ासला उनक दलच पी या अंतरंगता के
दज से जुड़ा होता है। जस कोण पर उनके शरीर झुके होते ह, उससे उनके रवैय े और र त के
नॉन-वबल संकेत मलते ह।
अ धकतर ाणी जब सरे से लड़ना चाहते ह तो वे अपने सर को आगे क ओर करके
बढ़ते ह। सरे ाणी ारा उसक चुनौती वीकार कए जाने पर वह भी वैस े ही खड़ा होगा।
मनु य के साथ भी ऐसा ही होता है। अगर एक ाणी सरे पर हमला करने के बजाय उसका
नज़द क से जायज़ा लेना चाहता है तो वह बगल से आगे बढ़े गा, जैसा क दो ताना मज़ाज के
कु े करते ह। इंसान के मामले म भी यही होता है। सामने सीधे खड़े होकर ोता के त
स त रवैया रखने वाले व ा को आ ामक माना जाता है। वही संदेश दे ने वाले, ले कन अपने
शरीर को ोता से र रखने वाले व ा को आ म व ासी और ल य-क त माना जाता है,
ले कन उसे आ ामक नह समझा जाता।
आ ामक समझे जाने से बचने के लए हम दो ताना मुलाकात म एक- सरे से 45
ड ी क री पर खड़े होकर 90 ड ी का कोण बनाते ह।

दोन आ ामक दखने से बचने के लए 45 ड ी के कोण पर खड़े ह

दए गए च म दोन ऐसे कोण म खड़े ह क तीसरे का प नक ब से एक कोण बना


रहे ह। इस तरह बना कोण बताता है क संभवत: दोन के बीच अना ामक बातचीत हो रही है
और दोन मर रग के ारा समान दजा भी द शत कर रहे ह। कोण बनना बातचीत म तीसरे
को आमं त करने का संकेत हो सकता है। अगर चौथा समूह म शा मल होता है,
तो एक वग बन जाएगा और पाँचवे, छठे के आने के बाद एक वृत या दो नए कोण बन
सकते ह।
ल ट, भीड़ भरी बस और भू मगत रेल म जहाँ शरीर को अजन बय से 45 ड ी पर
नह रखा जा सकता, वहाँ हम अपने सर को इस कोण पर मोड़ते ह।

2. बंद थ तयाँ ( लो ड पोज़ीश स)


जब दो अंतरंगता चाहते ह तो उनके शरीर का कोण 45 ड ी से बदलकर 0 ड ी हो
जाता है, यानी वे एक- सरे के ब कुल सामने होते ह। कोई ी या पु ष, जो कसी का
यान केवल अपनी ओर चाहता हो, इसी थ त को और णय- नवेदन क अ य भाव-भं गमा
को अपनाता है। पु ष न केवल अपने शरीर को म हला क ओर मोड़ता है, ब क उसके अंतरंग
े म जाकर दोन के बीच के फ़ासले को ख़ म कर दे ता है। उसके बढ़ते कदम को वीकार
करने के लए म हला को अपने शरीर को 0 ड ी पर करने क ज़ रत होती है, ता क वह उसके
े म वेश कर सके। बंद थ त म खड़े लोग के बीच खुली थ तय के मुकाबले कम फ़ासला
होता है।
लो ड पोज़ीश स म शरीर को सीधे सरे के सामने करना उसे आक षत करने क
को शश है

णय- नवेदन क मु ा के अलावा दोन एक- सरे क भाव-भं गमा को त ब बत करते


ह और दोन ही दलच पी होने पर यादा नज़र मलाते ह। एक- सरे के त श ुतापूण रवैया
रखने वाले और चुनौती दे न े वाल के बीच भी बंद थ तय का इ तेमाल कया जा सकता है।
शोध दखाते ह क पु ष सामने से होने वाले हमले से डरते ह और सामने क ओर से
बढ़ने वाले कदम से चौक े रहते ह, जब क म हलाएँ पीछे से होने वाले हमले से डरती ह और
पीछे से बढ़ते कदम को लेकर सावधान रहती ह। इस लए तुरंत मले कसी पु ष के ब कुल
सामने न खड़े ह । पु ष ारा ऐसा कए जाने पर वह उसे आ ामक मानता है और म हला ारा
ऐसा कए जाने को उसक यौन दलच पी के प म दे खता है। अगर आप पु ष ह तो आप
सामने से म हला क ओर बढ़ सकते ह और धीरे-धीरे 45 ड ी के कोण पर आ सकते ह।

हम बाक लोग को कैसे बाहर करते ह?


अगले च म पहले के दो 45 ड ी ओपन पोज़ीशन म ह, जससे तीसरे को
बातचीत म नमं त कया जा सकता है।

खुली कोणीय थ त तीसरे के वेश को ो सा हत करती है


अगर कोई तीसरा लो ड पोज़ीशन म खड़े दो लोग के साथ शा मल होना चाहता है तो
वह तभी आ पाएगा, जब बाक दोन ऐसे खड़े ह क एक कोण बन जाए। अगर वे तीसरे
इंसान को न आने दे ना चाहते ह , तो वे लोज़ड पोज़ीशन बनाए रखते ए उसे मा यता दे ने के
लए केवल अपने सर को उसक ओर घुमाएँग े और शायद उसे भचे ह ठ क मु कान दगे।

जाने का समय - अ य लोग ारा नए को वीकार न कया जाना

हो सकता है क इन तीन लोग के बीच खुली कोणीय थ त म बातचीत शु हो, ले कन


आ ख़रकार दो लोग लो ड पोज़ीशन लेकर तीसरे को उससे बाहर कर द। समूह म बनी ऐसी
थ त तीसरे इंसान को प संकेत दे ती है क झप से बचने के लए उसे समूह से बाहर चले
जाना चा हए।

बैठ ई थ त म शरीर का संकेत


सरे क ओर घुटने मोड़ना उसम दलच पी रखने या उसक वीकृ त पाने का संकेत है।
अगर वह भी च रखता है, तो वह भी पहले क ओर घुटने मोड़कर रखेगा। दो
जैस-े जैस े आपस म अ धक जुड़ते जाते ह, वे एक- सरे क ग त व धय और भाव-
भं गमा को त ब बत करने लगते ह।

शरीर के संकेत से इस जोड़े ने दाई ओर बैठे तीसरे को अलग कर दया है।


च म बाई ओर बैठे ी-पु ष ने एक बंद थ त बना ली है, जसम दाई ओर बैठे को
बाहर कर दया गया है। दाई ओर बैठा आदमी बातचीत म तभी भाग ले सकता है, जब वह उस
युगल के सामने कुस लगाकर कोण बनाने क को शश करे या फर उनक बंद थ त को
तोड़ने के लए कोई अ य कदम उठाए। फलहाल तो वे चाहते ह क वह वहाँ से चला जाए।

पैर के संकेत
पैर न केवल उस दशा क ओर इशारा करने का काम करते ह, जस ओर का दमाग
जाना चाहता है, ब क वे उन लोग क ओर संकेत भी करते ह, जो हम सबसे यादा दलच प
या आकषक लगता है। मान ली जए क आप कसी सामा जक समारोह म ह और आप तीन
पु ष व एक ी के समूह को दे खते ह। बातचीत पर पु ष हावी ह और म हला केवल ोता का
काम कर रही है। फर आप गौर करते ह क सभी पु ष के पाँव म हला क ओर संकेत कर रहे
ह।

पाँव बता रहे ह क के दमाग म या चल रहा है

इस साधारण से नॉन-वबल सुराग से सभी पु ष उस म हला को बता रहे ह क वे उसम


दलच पी रखते ह। अवचेतन तर पर वह पैर क उस मु ा को दे खती है और संभव है क वह
तब तक वहाँ पर रहे, जब तक वह सबके आकषण का क बनी ई है।

सारांश
ब त कम लोग इस बात पर यान दे त े ह क शरीर और पैर क थ त कस कार अ य लोग
के रवैय े और त या को भा वत करने म मह वपूण भू मका नभाती है। अगर आप लोग
को सहज महसूस कराना चाहते ह तो 45 ड ी क ओपन पोज़ीशन अपनाएँ और कसी पर
दबाव बनाने के लए शरीर को सीधे उसक ओर रख। 45 ड ी वाली थ त म सामने वाला
बना कसी दबाव के वतं प से काम कर सकता है और सोच सकता है। कभी कसी
पु ष के पास सीधे सामने से और म हला के पीछे से उसके पास न जाएँ।
इन मु ा म महारत हा सल करने के लए अ यास क ज़ रत होती है, ले कन ज द
ही ये आपके वहार का सहज ह सा बन जाती ह। लोग से आपक रोज़मरा क मुलाकात म
पैर व शरीर से संकेत करने और खुली बाँह , सामने दखती हथे लय , आगे झुकने, सर एक
ओर झुकाने व मु कुराने जैसी सकारा मक भाव-भं गमा से बाक लोग को न केवल आपक
संग त म आनंद मलता है, ब क वे आपके कोण से भा वत भी होते ह।
अ याय 15

णय- नवेदन दशन और


आकषण संकेत

1. समु तट पर ी-पु ष एक- सरे के पास आते ए

2. एक- सरे को दे खते ए


3. अपनी राह जाते ए

बॉडी ल वेज ड द सोशल ऑडर के लेखक डॉ. ए बट शेफ़लेन ने पाया क जब कोई


वपरीत लग के इंसान के संपक म आता है, तो उसके शरीर म कुछ बदलाव आते ह। संभा वत
मलन क तैयारी म मांसपे शयाँ स त हो जाती ह, चेहरे और आँख के आसपास क सूजन कम
हो जाती है, ढ ला पड़ा शरीर तन जाता है, छाती बाहर नकल आती है, पेट अंदर क ओर हो
जाता है, त द कम हो जाती है, शरीर क मु ा एकदम सीधी हो जाती है और वह युवा
दखने लगता है। उ ह ने गौर कया क ी पु ष दोन क चाल म वा य और उ साह का
दशन करते ए यादा ज़दा दली और आ म व ास था, जो साथी के प म उनक नरंतरता
का संदेश दे ता था। ऐसे म पु ष सीधे खड़े होकर, अपने जबड़े को उभारकर छाती फुलाएगा,
ता क वह भु वशाली लगे। उसम दलच पी रखने वाली म हला अपने व को उभारेगी, सर
तरछा करेगी, अपने बाल को छु एगी और कलाई को सामने करेगी, ता क वह समपण क
थ त म लगे।
इन बदलाव को दे खने क आदश जगह समु तट है, जहाँ पर ी-पु ष कुछ री से
एक- सरे के पास आते ह। उनम बदलाव तब आते ह, जब वे एक- सरे क नज़र के दायरे म आ
जाते ह और ये प रवतन तब तक बने रहते ह, जब तक क वे एक- सरे के सामने से गुज़र न
जाएँ, उसके बाद उनके शरीर अपनी मूल थ त म लौट आते ह।
शारी रक हावभाव कोट शप यानी णय- नवेदन का बु नयाद ह सा ह, य क इनसे
ही उजागर होता है क हम कतने उपल ध, आकषक, त पर, उ साही, कामुक या हताश ह।
इसके कुछ संकेत सोच-समझकर दए जाते ह, जब क जैसा क पहले भी बताया जा चुका है,
कुछ ब कुल अनजाने म होते ह। यह अब भी अ प है क हम इ ह कैसे सीखते ह, ले कन अब
शोध बताते ह क इनम से कई ज मजात होते ह।

रंग- बरंगे नर का उदय


अ धकतर तनधा रय म नर कम रंग- बरंगी मादा को भा वत करने के लए ‘तैयार‘होता है।
मनु य म हालाँ क यह अलग ढं ग से होता है। कई स दय से म हलाएँ ख़ुद को रंग- बरंगे कपड़ -
गहन से सजा-सँवारकर और अपने चेहरे को रंगकर अ धकतर यौन संबंधी चार करती रही ह।
सोलहव और स हव शता द के दौरान यूरोप म अपवाद व प पु ष ने ख़ूबसूरत वग और
रंगीन कपड़ से सजकर औसत म हला को पीछे छोड़ दया। गौरतलब बात यह है क
ऐ तहा सक तौर पर जहाँ म हलाएँ पु ष को आक षत करने के लए सजती-धजती रही ह, वह
पु ष ने अपनी वेशभूषा का योग अपने ओहदे को दखाने के लए या फर श ु को डराकर
भगाने के लए कया। आज हम फर से उस आ ममु ध नर का उभरना दे ख रहे ह, जो ख़ुद को
मोर क तरह सजाने म लगा है। हम फ़े शयल व मै न योस करवाते फुटबॉल खला ड़य और
बाल को रंगते पहलवान को दे खते ह। अमे रका म हमने ‘मे ो - से शुअल‘पु ष को दे खा है,
जो क म हला के बताव क नकल करता एक हे ोसे शुअल यानी वषम लगी पु ष है। वह
मै न योस, पै ड योस करवाता है, बाल को अलग-अलग शेड्स म रंगता है, आकषक कपड़े
पहनता है, जकूज़ी म जाता है, ऑग नक शाकाहारी भोजन करता है, बोटो स व फ़ेस ल ट
करवाता है और अपने व के नारी व वाले ह से को मा यता दे ता है। कई सामा य पु ष
को यह मे ो-से शुअल पु ष अजीब लगता है, ले कन हमारा अवलोकन बताता है क इन पु ष
क तीन े णयाँ ह। समल गक, ी-सुलभ गुण वाले पु ष और ऐसे पु ष, जो जानते ह क
म हला के पारंप रक बताव को अपनाने से वे कई कार क म हला से मल सकते ह।

क सा ाहम का
ाहम एक पु ष था, जसके नर को पाने के लए पु ष कुछ भी करगे।
वह कसी भी सामा जक समारोह म जाकर कसी तरह ज द से कसी उपल ध म हला
को खोजकर कम से कम समय म उसके साथ बाहर क ओर जाता दखता। म हला को अपनी
कार तक ले जाकर वह उसके साथ अपने अपाटमट म चला जाता। फर से पाट म आकर वह
इस या को दोहराता और कभी-कभार तो एक ही शाम म कई बार ऐसा होता। शायद उसम
उपल ध म हला को खोजने का कोई राडार पहले से मौजूद था, जो सही समय पर काम करता
और वह म हला को साथ ले जाने म कामयाब हो जाता। कसी ने नह जाना क वह कैसे यह
सब कर पाता था।
जीव व ा नय ारा जीव-जंतु के णय- नवेदन वहार और वहारवाद
वै ा नक ारा कए गए शोध से यह बात सामने आई है क नर व मादा ा णय ारा कुछ
ज टल णय- नवेदन मु ा क एक ृंखला अपनाई जाती है, उनम से कुछ प होती‘ह, कुछ
ब त सू म होती ह और इ ह अवचेतन प से अपनाया जाता जाता है। जंत ु जगत म हर जा त
णय- नवेदन के अपने बताव म कुछ न त और पूव- नधा रत तरीके अपनाती है। उदाहरण के
लए, प य क कई जा तय म मादा के सामने नर मटक कर चलते ए आवाज़ नकालता
नकालता है है अपने पंख फुलाता है और उसका यान आक षत करने के लए ब त सू म
तरीके से शारी रक ग त व धयाँ करता है, जब क मादा उसम न के बराबर या ब त कम
दलच पी दखाती है। यह ठ क वैसा ही है, जैसा इंसान ारा कया जाता है।
इंसान ारा क गई ल टग या इ कबाज़ी म हावभाव का लंबा सल सला होता है, जो
व यजीवन के काय म म दखाए गए प य व अ य जीव-जंतु के णय नृ य क तरह है।
बु नयाद बात यह है क जब कोई वपरीत लग के इंसान को आक षत करना
चाहता है तो वह उनके बीच मौजूद यौन अंतर को ख़ास तौर पर उभारता है। वपरीत लग के
इंसान को हतो सा हत करने के लए हम इन अंतर को कम करते ह या फर उ ह छपाते ह।
लग अंतर को व श प से दखाने से ही
कोई इंसान आकषक दखता है।

ाहम कसी ऐसी म हला को खोजता था, जसक बॉडी ल वेज उसके उपल ध होने का संकेत
दे रही हो, फर वह अपने नरो चत णय- नवेदन मु ा से त या करता था। दलच पी
रखने वाली म हलाएँ उ चत संकेत दे ती थ , वे उसे अगले चरण म जाने के लए कुछ कहे बना
ही हरी झंडी दखा दे ती थ
अंतरंग मुलाकात म म हला को मली कामयाबी का सीधा संबंध पु ष को णय-
नवेदन के संकेत दे न े क उनक मता और पु ष से मलने वाले संकेत के मतलब समझने से
है। कसी पु ष के लए मलन के खेल म सफलता, पहल करने क यो यता के बजाय मु यतया
उसे भेजे गए संकेत को समझने क उसक मता पर नभर करती है। अ धकतर म हलाएँ
मलन के संकेत से प र चत होती ह, ले कन पु ष इस मामले म कम जानकार होते ह और
अ सर उनसे पूरी तरह अनजान रहते ह, इसी लए ब त से पु ष को संभा वत साथी खोजने म
मु कल होती है।
ाहम यह जानता था क कस चीज़ क तलाश करनी है और म हला ने उसे
आकषक, मदाना, मज़ा कया व ‘मुझ े नारी क तरह महसूस करवाने वाला‘बताया। इस
त या का कारण ाहम ारा उन पर लगातार यान दया जाना और उसके ारा यु
मलन के संकेत थे। सरी ओर, पु ष ने उसे ‘आ ामक’, ‘कपट ‘, ‘अहंकारी’ और
‘मज़ा कया नह ’ बताया, जो दरअसल ाहम के त ं प के त उनक त या थी।
नतीजतन, ाहम के पु ष दो त कम थे, ज़ा हर है क कोई भी पु ष नह चाहेगा क उसक
दो त उसके संभा वत त ं पर यान दे । इस अ याय म हम म हला के उन संकेत पर
वचार करगे, ज ह ाहम दे ख पाता था और उस बॉडी ल वेज क बात करगे, जसका वह बदले
म इ तेमाल करता था।

म हलाएँ य हमेशा नयं ण क थ त म होती ह


कसी भी पु ष से पूछ क कोट शप म पहला कदम कौन उठाता है, तो उसका जवाब होगा क
पु ष ऐसा करते ह। इस े म ए अ ययन बताते ह क 90 तशत पहल करने वाली म हलाएँ
होती ह। वे ल त पु ष को आँख , शरीर और चेहरे के सू म संकेत भेजती ह, जन पर पु ष
त या करता है और सोचता है क वह इतना जानकार है क उन संकेत को समझ सके।
कुछ ऐसे पु ष भी होते ह, जो कसी लब या बार म हरी झंडी मले बना ही म हला के
नज़द क प ँच जाते ह, इनम से कुछ पु ष को साथी मलने म नय मत प से सफलता मलती
है, ले कन कुल मलाकर सफलता क दर कम रहती है, य क उ ह पहले आमं त नह कया
गया था और वे तो बस अंधेर े म तीर चला रहे थे।

णय- नवेदन के दौरान म हलाएँ धुन बजाती ह


और अ धकतर समय पु ष उन धुन पर नाचते ह।
इन मामल म अगर पु ष को लगता है क उसका कदम असफल रहेगा, तो संभावना है
क वह जताएगा क वह तो म हला से कोई अ य बात करने आया था और वह इस तरह क
घसी- पट बात करेगा, ‘आप तो नैशनल बक म काम करती ह, है न ?’ या ‘आप जॉन मथ क
बहन तो नह ?’ णय- नवेदन म नंबर गेम खेलकर सफल होने के लए पु ष को कई म हला
से मलना पड़ेगा, या फर उसे ेड पट जैसा दखना होगा। कोई भी पु ष जो म हला के पास
जाकर उससे बात करता है, दरअसल वह उस म हला क इ छा पर ही ऐसा करता है, य क
वह म हला के शारी रक हावभाव के संकेत को पकड़ता है। ऐसा लगता है क पहला कदम
पु ष ने उठाया है, य क वह पहले मलने जाता है। इ कबाज़ी क मुलाकात म 90 तशत
समय तक म हलाएँ पहल करती ह, ले कन यह इतनी बारीक से होता है क अ धकतर पु ष
सोचते ह क वे पहल कर रहे ह।

ी-पु ष के बीच अंतर


पु ष को ब त सू म संकेत को समझने म मु कल होती है और शोध बताते ह क वे दो ताना
रवैय े और मु कुराहट को गलती से यौन दलच पी समझ लेत े ह। इसका कारण यह है क
म हला के मुकाबले पु ष नया को यौन नज़ रये से दे खते ह और उनम म हला क तुलना
म 10 से 20 गुना टे टो टे रॉन यादा होता है, जसक वजह से उनका ऐसा कोण होता है।

कुछ पु ष के लए म हला के ‘न’ कहने का मतलब


‘शायद’
होता है, जब वह ‘शायद’कहती है तो वे ‘हाँ’ समझते ह,
ले कन उसके ‘हाँ’ कहने से वह म हला स य नह रह
जाती।

संभा वत साथी से मलने पर याँ यह दे खने के लए क वाकई वह पु ष उनके लायक है या


नह , वे उसे सू म, ले कन अ सर छलावे भरे संकेत भेजती ह। शु आती कुछ मनट म ही
म हलाएँ णय- नवेदन से जुड़े कई संकेत पु ष को दे ती ह। पु ष इनका गलत अथ नकाल
सकते ह और कोई बेतुक बात कह सकते ह। अ प और अ न त संकेत भेजकर म हलाएँ
दरअसल यह चाहती ह क पु ष अपनी चाल प कर। म हला ारा पु ष को आक षत न
कर पाने का एक कारण यह भी है, इससे पु ष असमंजस म पड़ जाते ह और अगला कदम नह
उठाते।

आकषण या
जैसा क अ य जीव-जंतु के साथ होता है, कसी आकषक से मलने पर मनु य का
णय- नवेदन भी संभा वत पांच चरण के म को अपनाता है।

चरण 1. नजर मलाना : वह कमरे म चार तरफ़ दे खकर पसंद दा को खोज


लेती है। वह उस ारा अपनी ओर दे ख े जाने का इंतज़ार करती है, फर लगभग
पाँच सेकड तक उससे नज़र मलाकर उ ह हटा लेती है। अब पु ष उसे दे खता रहता है
क वह फर कब उसे दे खेगी। म हला को औसतन तीन बार ऐसा करना होता है, य क
उसके बाद ही एक आम पु ष उसक बात समझ पाता है। नज़रे मलाने क यह या
कई बार दोहराई जाती है और इससे ल टग या इ कबाज़ी शु होती है।

चरण 2. मु कुराना : वह एक या अ धक बार मु कुराती है। यह ज द से द गई अधूरी


मु कान होती है, जसका मकसद संभा वत साथी को बढ़ने का संकेत दे ना होता है।
बद क मती से ब त-से पु ष इन संकेत को समझ नह पाते और म हला को लगता है
क वे उसम दलच पी नह रखते।

चरण 3. साज-सँवार : वह सीधी बैठकर अपने व को उभारती है और अपनी टाँग या


टखने मोड़कर उ ह दखाती है, अगर वह खड़ी है तो अपने कू ह को तरछा करती है
और अपने सर को एक कंधे क ओर झुकाकर अपनी गदन को सामने करती है। छह
सेकड तक वह अपने बाल से खेलती है, जो यह इं गत करता है क वह अपने साथी के
लए सज-सँवर रही है। वह अपने ह ठ पर जीभ फरा सकती है, बाल को पीछे कर
सकती है और अपने कपड़ व गहन को ठ कठाक कर सकती है। पु ष
त या व प सीधा खड़ा होता है, पेट अंदर करता है, छाती फुलाता है, कपड़े ठ क
करता है, बाल को छू ता है और अपनी बे ट म अँगठ
ू े डालता है। वे दोन ही अपने पाँव
या समूच े शरीर को एक- सरे क दशा म रखते ह।

चरण 4. बातचीत : वह म हला के पास प ँचकर घसे- पटे वा य बोलकर बातचीत


करने क को शश करता है, ‘मने आपको कह दे खा है या ?‘ जसका मकसद उनके
बीच बात शु करना होता है।

चरण 5. पश : म हला पु ष क बाँह को ह के से छू ने का मौका तलाशती है, यह


‘संयोगवश’ या कसी अ य प म भी हो सकता है। बाँह छू ने क तुलना म हाथ को
छू ना गहरी अंतरंगता का संकेत है। पश के हर तर को दोहराया जाता है, ता क यह
पता लगे क सरा इस अंतरंगता से खुश है और यह भी क पहला पश
संयोगवश नह था। पु ष के कंधे को ह के से छू ना यह जताता है क म हला उसक
सेहत और उसके प-रंग क परवाह करती है। हाथ मलाना पश के चरण तक प ँचने
का रा ता होता है।

कोट शप के ये चार चरण भले ही कम मह चपूण या आक मक लग, ले कन कसी नए र ते क


शु आत के लए ये ब त मह वपूण होते ह और अ धकतर लोग , वशेषकर पु ष को, ये चरण
ब त क ठन लगते ह। इस अ याय म हम उन संकेत के बारे म जानगे, ज ह अ धकतर ी-
पु ष भेजते ह और जो ाहम ारा भी भेज े गए थे।

म हला क 13 सबसे आम णय- जवेदन मु ाएँ व संकेत


म हलाएँ भी पु ष क तरह बाल को छू ने, कपड़े ठ क करने, एक या दोन हाथ को कू ह पर
रखने, पु ष क ओर अपने पाँव तथा शरीर क दशा रखने, अंतरंग लगातार बनाए रखने
और आँख का संपक बढ़ाते रहने जैसी साज-सँवार क मु ाएं अपनाती ह। कुछ म हलाएँ पु ष
क बे ट म अँगठ ू े ठूँ सने क आ ामक मु ा भी अपनाती ह, ले कन वे इसे ब त प र कृत ढं ग से
करती ह। वे बे ट म एक अँगठ ू ा डालती ह अथवा उसे हडबैग या जेब से बाहर रखती ह।
अपने मा सक च के म यकाल म म हलाएँ यौन प से अ धक स य होती ह,
य क उस समय उनके गभधारण क संभावना सबसे अ धक होती है। यही वह समय है, जब
संभावना होती है क वे छोटे कपड़े और ऊँची एड़ी वाले सै डल पहनगी, अ धक उ ेजक ढं ग से
चलगी- फरगी, बातचीत या नाच करगी और उन संकेत को अपनाएँगी, जनके बारे हम बताने
वाले ह। तुत ह, 13 सबसे आम णय- नवेदन मु ाएँ और संकेत, जनका इ तेमाल हर जगह
म हलाएँ पु ष को यह बताने के लए करती ह क वे उपल ध हो सकती ह।

1. सर उठाना और बाल झटकना


जब म हला कसी ऐसे पु ष के आसपास हो, जसे वह पसंद करती हो तो यह अ सर पहला
दशन होता है। बाल को कंधे पर रखने या चेहरे से हटाने के लए सर को पीछे झटका जाता
है। छोटे बाल वाली म हलाएँ भी ऐसा करती ह। म हला का यह दखाने का प र कृत तरीका है
क उसे इस बात क परवाह है क वह कसी पु ष को कैसी दखाई दे ती है। इससे उसक बगल
दखती ह, जससे फ़ेरोमोन नामक ‘से स पर यूम‘ल त पु ष तक प ँचते ह।

बाल सँवारना और बगल म मौजूद फ़ेरोमोन अपना जा चलाते ह

2. गीले व उभरे ए ह ठ, मुँह थोड़ा खुला


रखना त णाव था म लड़क क अ थ संरचना म ब त बड़े बदलाव आते ह, य क
टे टो टे रॉन से उनके जबड़े मज़बूत होते ह व उभर जाते ह, नाक बड़ी हो जाती है और माथा
अ धक सु प हो जाता है। जानवर और मन से सामना होने पर चेहरे क सुर ा के लए ये
सब आव यक ह। लड़ कय क ह य क संरचना म वशेष प रवतन नह होते और वचा के
नीचे मौजूद वसा के कारण वह छोटे ब च जैसी रहती ह, इस कारण कशोराव था म उनका
चेहरा, वशेषकर ह ठ मोटे और भरे ए होते ह। पु ष के ह ठ क तुलना म म हला के बड़े,
मोटे ह ठ नारी व का संकेत होते ह। कुछ म हलाएँ अपने इस यौन अंतर को उभारने के लए
अपने ह ठ म कॉलाजन इंजे ट करवाती ह और इस कार ख़ुद को पु ष के सामने आकषक
बनाकर तुत करती ह। उभरे ए ह ठ अ धक सु प लगते ह।
म हला के बाहरी जनन य ओ और उसके चेहरे पर मौजूद ह ठ क मोटाई समानुपात
म होती है। डेसमंड मॉ रस ‘से फ़ म म ‘यानी अपनी नकल करने के प म इसका वणन
करते ह, य क ये तीका मक तौर पर म हला के जनन य ह से को द शत करते ह लार
या कॉ मे ट स का इ तेमाल कर ह ठ को गीला दखाया जा सकता है, जससे म हला यौन
आमं ण दे ती लगती है।
यौन उ ेजना होने पर ी के ह ठ, व और जननांग बढ़े ए र संचार के कारण बड़े
और लाल हो जाते ह। लप टक म क दे न है और यह चार हज़ार साल पुरानी है। इसका
इ तेमाल चेहरे के मा यम से यौन उ ेजना म आई ी के लाल ए जननांग क नकल करने के
लए होता था। यही कारण है क व भ रंग क लप टक लगाई ई म हला क त वीर से
जुड़े योग म लगातार यह पाया गया क पु ष को चटख लाल रंग सबसे अ धक आकषक
और कामुक लगता है।

मादक यौवनाएँ जानती ह क मुह ँ तथा होठ का योग यान- आकषण हेतु कैसे कया
जाए

3. वयं को छू ना
जैसा क पहले बताया जा चुका है, हमारा दमाग़ हमारे शरीर को सबसे गु त इ छा को
करने को कहता है और ख़ुद को छू ना कुछ ऐसा ही है। पु ष के मुकाबले य म अ धक
तं का संवेदक होते ह, जसके कारण वे पश को अ धक महसूस कर सकती ह और छु ने के
त अ धक संवेदनशील होती ह। जब कोई ी धीरे-धीरे कामुक ढं ग से अपनी जाँघ , गदन या
गले को छू ती है तो उससे यह अनुमान लगाया जा सकता है क अगर कोई पु ष सट क तरीके से
अपने प े खेल े तो वह उस ी को उसी तरह से छू सकता है। इसके अलावा ी ारा ख़ुद को
छु ए जाने से वह क पना कर सकती है क पर उसे कैसा महसूस होगा।

औरत क यादातर मादक अदा वाली त वीर म वयं पु ष ारा छू ने क पहल


कए जाने को छू ना शा मल रहता है

4. कलाई को ढ ला छोड़ना
चलते ए या बैठे ए कलाई को ढ ला छोड़ना ( ल प र ट) समपण क एकमु ा है, जसका
इ तेमाल म हला व समल गक पु ष ारा कया जाता है। इसी तरह से एक प ी भी शकारी
को अपने घ सले से र रखने के लए अपने पंख को घायल दखाने का ढ ग करता है। अ य
श द म, इससे यान ख चना आसान हो जाता है। यह पु ष को आक षत करती है, य क
इससे उ ह लगता है क वे अपना भु व जमा सकते ह। कामकाज क प र थ तय म ल प
र ट से म हला क व सनीयता से यान हटता है और लोग उसे गंभीरता से नह लेत।े यह और
बात है क कोई उसे डेट पर आने का नमं ण दे सकता है।
प ी घायल पंख का बहाना बनाकर यान ख चते ह म हलाएँ ढ ली कलाई का
इ तेमाल करती ह

5. कसी बेलनाकार व तु को सहलाना


सगरेट, उंगली, वाइन लास क नली, कान के लटकते ए आभूषण या लग के आकार क
कसी व तु से खलवाड़ करना एक अवचेतन संकेत है क दमाग म या चल रहा है। उँगली से
अँगठ
ू नकालना व पहनना भी यौन संबंध बनाने का तीका मक संकेत है। जब कोई म हला
ऐसा करती है तो पु ष तीका मक तौर पर म हला को अपने वश म करने के लए उसके
सगरेट लाइटर, कार क चा बय या उसक नज़द क चीज़ से खेलता है।

शराब के लास क नली से संकेत मलता है क आगे या हो सकता है

6. अनावृत कलाई
दलच पी रखने वाली म हला धीरे-धीरे अपनी कलाई क अंद नी चकनी, कोमल वचा को
संभा वत पु ष साथी को दखाएगी ओर दलच पी बढ़ने के साथ-साथ कलाई सामने करने क
दर बढ़ती जाएगी। एक लंबे समय से कलाई के ह से को ी के शरीर के सबसे कामो ेजक
ह स म से एक माना जाता रहा है, य क यह ब त नाजुक होता है। यह कहना मु कल है क
यह सीखा आ बताव है या फर ज मजात है, ले कन एक बात तय है क यह सब अवचेतन तर
पर होता है। बात करते ए म हला अ सर अपनी हथे लय को भी पु ष के सामने रखती है।
सगरेट पीने वाली म हलाएँ उसे पीने के दौरान ककंधे के साथ हथेली को ऊपर करके ऐसा ब त
आसानी से कर लेती ह। अ सर म हला क तरह दखने क चाह रखने वाले समल गक पु ष
अनावृत कलाई और सर झटकने क मु ा क नकल करते ह।
म हलाएँ हथेली के भीतरी ह से पर पर यूम लगाती ह, उ ह लगता है क इससे कलाई
क न ज़ से वह सब तरफ़ फैल जाएगा। ले कन इसका असली मकसद कलाई को संभा वत
साथी क ओर बढ़ाना होता है। ख़ुशबू से म हला क ओर यान जाता है और पु ष उसक कलाई
के भीतरी ह से को दे ख पाता है।

कलाई क अंद नी कोमल चचा आकषण का श शाली संकेत है

7. कंधे के ऊपर से तरछ नगाह से दे खना


उठा आ कंधा गोलाकार व क नकल है। आं शक प से पलक गराकर म हला उतनी ही दे र
तक पु ष से नज़र मलाती है, जब तक क वह उसे न दे ख ले, फर वह तेज़ी से कह और दे खने
लगती है। इस हरकत से ऐसा महसूस होता है जैसे क कोई म हला के अंदर झाँक रहा हो और
पु ष को भी यही एहसास होता है क कोई उसके भीतर झाँक रहा है।

कंधे उठाने से गोलाइय के मा यम से नारी व उभरता है।


8. उठते- गरते कू हे
ब चे उ प करने के कारण से पु ष के मुकाबले म हला के कू हे अ धक चौड़े होते ह और
टाँग के बीच ॉच या उ े बड़ा होता है। इसका मतलब है क जब कोई म हला चलती है तो
उसके घुमाव सु प होते ह, जससे उसका पे वक या ो ण े अ धक उभरता है। पु ष इस
ढं ग से नह चल सकते, इस लए यह ब त ज़बरद त ल गक अंतर का संकेत बन जाता है। इससे
यह प होता है क य अ धकतर म हलाएँ अ छ धावक नह हो सकत , य क उनके चौड़े
नत ब के कारण भागते ए उनक टाँग बगल से बाहर क ओर फैल जाती ह। नत ब का
उठना- गरना म हला क एक सू म णय- नवेदन मु ा है, जसका इ तेमाल स दय से व तुएँ
व सेवाएँ बेचने के लए कया जाता रहा है। इन व ापन को दे खने वाली म हलाएँ उसम द शत
मॉडल क तरह बनना चाहती ह, जसके प रणाम व प चा रत उ पाद क जानकारी बढ़ती है।

मटक कर चलने से ी-पु ष के बीच का अंतर प होता है

9. पे वक ( ोणीय) को एक ओर झुकाना
मे डकल त य दखाते ह क अ छ सेहत वाली और ब चे पैदा करने म स म म हला क
कमर व कू ह का अनुपात 70 तशत होता है, यानी उसक कमर उसके कू ह के आकार का
70 तशत होती है। यह उसे सुडौल आकार दे ता है, जसे आवर लास (काँच का समय मापक
लास) फ़गर कहा जाता है। समूचे इ तहास म शरीर का यह अनुपात नाटक य ढं ग से पु ष का
यान ख चता रहा है। इस अनुपात के 80 तशत से अ धक होने पर पु ष क दलच पी ख़ म
होने लगती है और इस अनुपात के कम या अ धक होने से पु ष क च कम होगी। ी का
अनुपात 100 तशत होने पर उसके त पु ष क दलच पी पूरी तरह ख़ म हो जाती है,
ले कन 70 तशत से कम होने पर वह दलच पी बनाए रखती है। हर हाल म 70 तशत का
अनुपात जनन सफलता के लए उपयु रहता है। इस अनुपात को व श प से दशाने के
लए वह खड़े होने पर अपने पे वस को एक ओर झुकाती है।

खड़े होकर पे वस ( ो ण) टे ढ़ा करने से ी क


सफलतापूवक जनन करने क मता सु प होती है।

टे सस यू नव सट के वकासमूलक वै ा नक ोफ़ेसर दे व सह ने मस अमे रका स दय


तयो गता म भाग लेने वाली तयो गय और लेबॉय प का के बीच के प म दखने वाली
मॉड स के शारी रक आकषण का 50 वष तक अ ययन कया और पाया क पु ष को 67 से
80 तशत के बीच का कमर- कू हे का अनुपात सबसे अ धक आकषक लगता है।

काइली मनॉग उन सभी चीज़ का म ण है, जसे पु ष पसंद करते ह - लंबे बाल,
खुली गदन, 70 तशत कमर-कू हे का अनुपात, खुला आ भीगा मुँह, उभरे ह ठ,
झुक पलक, उभरा व व गोलाकार नत ब, वयं को छू ना और कू ह पर हाथ रखने
क मु ाएँ

ोफ़ेसर सह ने कम वज़न, यादा वज़न और औसत वज़न क म हला क त वीर का


इ तेमाल करते ए एक परी ण कया और पु ष के समूह को उ ह दखाकर आकषण के
आधार पर उनका मू यांकन करने को कहा। औसत वज़न वाली 70 तशत कमर-कू हे के
अनुपात वाली म हला को सबसे यादा आकषक पाया गया। यादा और कम वज़न वाली
म हला म से सबसे पतली कमर वाली म हला को पु ष के वोट मले। इस योग क
शानदार खोज यह रही क पु ष ने 70 तशत अनुपात को सबसे यादा वोट दए और ऐसा
तब भी आ जब म हला का वज़न यादा था। इसका मतलब है क शारी रक तौर पर भारी-
भरकम होने के बावजूद अगर म हला का अनुपात यही है तो वह पु ष का यान ख च सकती
है।

10. हडबैग को नज़द क रखना


अ धकतर पु ष ने म हला के हडबैग म मौजूद चीज़ को कभी नह दे खा है और अ ययन
बताते ह क यादातर पु ष बैग खोलना तो र उसे छू ने से भी डरते ह। बैग म हला क नजी
व तु होता है और वह उसे अपने शरीर का व तार मानती है, इस लए जब वह उसे कसी पु ष
के नज़द क रखती है तो यह अंतरंगता का ज़बरद त संकेत बन जाता है। अगर उसे वह पु ष
वशेष तौर पर आकषक लगता है, तो संभव है क वह बैग से खलवाड़ करे या उसे सहलाए।
वह उसे हडबैग बढ़ाने के लए कह सकती है या उससे कोई चीज़ नकालने के लए भी कह
सकती है। पु ष के पास हडबैग रखना ता क वह उसे दे ख या छू सके, एक सश संकेत है क
ी उसम दलच पी रखती है, बैग को उससे र रखना भावना मक री का संकेत है।

अपने हडबैग को कसी पु ष के नज़द क रखना उसे वीकार ने का च ह है

11. घुटने का संकेत


एक टाँग को सरी के ऊपर रखा जाता है और उसे उस पु ष क तरफ़ रखा जाता है, जो उसे
दलच प लगता है। यह तनावमु थ त है, जसके कारण बातचीत से औपचा रकता ख म हो
जाती है। इसम पल भर के लए जाँघ के दशन का मौका भी मलता है।

सबसे दलच प क ओर घुटने से संकेत करना


12. जूत े से खेलना
पाँव के सरे पर जूते को लटकाना एक तनावमु रवैय े को दखाता है और उसम पैर डालने और
नकालने का ल गक असर पड़ता है। इससे कई पु ष घबरा जाते ह, य क वे नह जानते क
या हो रहा है।

जूता संकेत दे ता है

13. टाँग को लपेटना


अ धकतर पु ष इस बात से सहमत ह गे क म हला क लेग ट् वाइन यानी टाँगे लपेटकर बैठने
क थ त सबसे अ धक आकषक होती है। यह एक ऐसी मु ा है, जसके ारा म हलाएँ
जानबूझकर अपनी टाँग क ओर लोग का यान ख चती ह। ए बट शे लेन का कहना है क
एक टाँग को सरी पर इस तरह लपेटा जाता है क सरी टाँग क मांसपे शयाँ तनी ई लगती ह।
जैसा क पहले भी बताया जा चुका है, शरीर म ऐसा तब होता है जब कोई यौन मलन के
लए तैयार होता है।
य ारा पु ष के सामने अपनी टाँग को मोड़ना व खोलना और अपनी जाँघ को
हौले से सहलाना छु ए, जाने क इ छा का संकेत दे ता है।।
टाँग को लपेटना : पु ष ारा पसंद क जाने वाली म हला क बैठने क मु ा

पहले पढ़े गए संदभ को दे खे बना बताइए क आप इस च म कतने णय- नवेदन


के संकेत व मु ाएँ दे ख सकते ह?

म हला के शरीर म पु ष या दे खते ह


हाय मेन लाय ड वमेन ाय (ऑरायन) म हमने अपने उस शोध का सार दया था, जसम
हमने बताया था क ी–पु ष एक– सरे के कौन से शारी रक अंग को दे खते ह। शोध ब त
प था – पु ष के म त क इस तरह बने ह क वे जनन क मता रखने वाली सबसे
सेहतमंद ी और उसक यौन उपल धता क ओर आक षत होते ह। शरीर के आकार क बात
आने पर ी–पु ष मज़बूत आकार को ाथ मकता दे ते ह। पु ष के लए इसका मतलब उ च
वा य का तर है और म हला ारा सफलतापूवक उसक जी स का जनन करने क मता
है।
सा य दखाते ह क पु ष ऐसी म हला क ओर आक षत होते ह, जनका चेहरा
ब चे जैसा होता है – बड़ी आँख, छोट नाक, भरे ए ह ठ और गाल – य क ये संकेत
अ धकांश पु ष म पता होने क व सुर ा मक भावनाएँ जगाते ह। यही कारण है क
कॉ मे टक सजरी के व ापन म इ ह गुण पर अ धक बल दया जाता है। इसके वपरीत,
म हलाएँ ऐसे पु ष को पसंद करती ह जनके चेहरे वय क ह और जो मज़बूत जबड़े, बड़ी भ ह
व सश नाक वाले ह , जो र ा करने क मता दखाते ह।

म हला के ब च जैस े चेहरे के कारण पु ष म ऐसे


हॉम स नकलते ह जनक वजह से उनम म हला
क सुर ा करने क इ छा जागती है।

अ छ बात यह है क पु ष को आक षत करने के लए कसी म हला को ाकृ तक प से सुंदर


होने क ज़ रत नह , ख़ूबसूरती उसे अपने त ं य पर शु आती बढ़त दे ती है, ले कन
मु यतया उसे अपने उपल ध होने के संकेत द शत करना आना चा हए। यही कारण है क
शारी रक तौर पर अ धक आकषक न लगने वाली कुछ म हला को संभा वत सा थय क
कमी नह होती। कुल मलाकर, कोई पु ष म हला के शारी रक आकषण से अ धक उसके
उलप ध होने के संकेत से अ धक आक षत होता है और आप उपल ध होने के संकेत को
सीख सकते ह और उनका अ यास कर सकते ह। कुछ म हला को यह बात घ टया लगती है
क आधु नक पु ष उसके पालन–पोषण, लोग से जुड़ने क यो यता, घरेलू कामकाज म उसक
नपुणता या पयानो बजाने के उसके गुण के बजाय उसके प–रंग और उपल धता क ओर
अ धक आक षत होते ह। उ ह इस वषय पर बात करना अपमानजनक लगता है।
ले कन पछले 60 वष म आकषण पर ए लगभग सभी अ ययन से वही नतीजे मले
ह, जो पछले 6000 वष से च कार , क वय व लेखक क कला कहती रही है क कसी
म हला क बु मानी या उसके गुण के मुकाबले उसका प–रंग, शरीर और शारी रक भाषा
पु ष के लए अ धक आकषण का वषय है, और राजनी तक प से सही इ क सव सद म
भी यही स चाई है। इ क सव सद का पु ष भी म हला म वही सब चाहता है, जो उसके पूवज
पहली नज़र म चाहते थे, ले कन जैसा क हमने बाय मेन लाय ड वमेन ाय (ऑरायन) म
कहा, द घकालीन साथी के लए उसका मापदं ड थोड़ा अलग है।
सच यह है क पहले आपको कसी पु ष को आक षत करना होगा, उसके बाद ही वह
आपके अंद नी गुण के बारे म जान सकता है जब आप मछली पकड़ने जाते ह तो आप चारे म
वही लगाते ह, जो मछली को पसंद है, न क वह जो आपको पसंद हो। या आपने कभी कोई
क ड़ा चखा है?यह सोचकर ही आपको उबकाई आएगी, ले कन मछली के लए वही पंसद दा
ंजन है।

ख़ूबसूरत लोग कहाँ चूकते ह


अ धकतर लोग यह मानने को लाला यत रहते ह क शारी रक प–रंग कसी संभा वत साथी को
आक षत करने क कुंजी है, ले कन इस वचार को ट वी, फ म और मी डया ने अ धक बढ़ावा
दया है। अ य धक आकषक लोग लभ होते ह और म याजनक तौर पर ऐसे मानक के प म
चा रत कए जाते ह क हम सबको उनके जैसा दखना चा हए, ले कन अ ययन बताते ह क
हमम से अ धकतर लोग सुंदर लोग को लेकर संशयी होते ह। अ ययन म पाया गया क हम ऐसे
सा थय को पंसद करते ह जो लगभग हमारी तरह आकषक ह , जसका मतलब है क उनके
हमारे साथ रहने क संभावना अ धक होगी और वे बेहतर पेशकश क ओर नह जाएँगे। यह
ाथ मकता ज मजात होती है और शशु सुंदर चेहर को दे खने के बजाय सामा य चेहर को
दे खना यादा पसंद करते ह।

वह नत ब, व या टाँग म से कसे पसंद करता है?


य द ी के शरीर के उस अंग क बात कर, जो पु ष का पसंद दा है, तो उ ह तीन भाग म बाँटा
जा सकता है – व , नत ब व टाँगे पसंद करने वाले।
इस भाग म हम नारी के केवल शारी रक गुण का व ेषण करगे और जानगे क य
पु ष पर हर अंग का इतना ज़बरद त असर पड़ता है। नारी का शरीर एक थायी, चलता– फरता
से शुअल स न लग स टम यानी यौन संकेत णाली के प म वक सत आ, जसक रचना
का ल य जनन के लए पु ष को आक षत करना है और नत ब, व व टाँग इस या म
सबसे मह वपूण भू मका नभाते ह। यह राजनी तक तौर पर भले सही न हो, ले कन जीव व ान
के कोण से सही है।

1. नत ब
पु ष को गोलाकार, नाशपाती के आकार के नत ब सबसे आकषक लगते ह। इंसानी मादा के
नत ब अ य नरवानर से इस से अलग होते ह क नरवानर क मादा के नत ब सहवास के
लए तैयार होने पर बड़े होकर उभर जाते ह। इंसान म मादा के नत ब थायी तौर पर बड़े
आकार इंसानी मादा ही एक ऐसी नरबानर के होते ह और लगभग हमेशा नर है, जसके नत ब
का बड़ा आकार के लए उपल ध होते ह, ता क मनु य क यौन ग त व ध नय मत चलती रहे।
इससे ब च केपालन–पोषण क सफलता के लए लंबे समय तक जोड़ा बनाए रखने को बढ़ावा
मलता है।

इंसान ही केवल ऐसे नरवानर ह, जनके नत ब का बडा आकार थायी होता है


इंसान ही केवल ऐसे नरवानर ह, जनके चेहरे सहवास के समय आमने–सामने रहते ह।
अ य नरवानर जा तय म नर पीछे से मादा के पास आता है और उसके फूले ए लाल नत ब
को इस संकेत के प म लेता है क वह मलन के लए तैयार है। यह य के कू ह के त
पु ष के आकषण का कारण छपा है – वे हमेशा यह संदेश दे त े ह क वह पु ष के लए उपल ध
है। इनके दो अ य उ े य भी ह। ये तनपान के लए वसा जमा करते ह और भोजन क कमी
होने पर पोषण के आपातकालीन भंडार का काम करते ह, जैसा क ऊँट के कूबड़ म होता है।
डज़ाइनर जी स पहनना लोक य आ है, य क उनसे कू हे सु प होते ह और वे
स त व गोलाकार दखते ह। ऊँची एड़ी वाले सडल पहनकर पीठ मुड़ती है, कू हे बाहर क ओर
उभरते ह और चाल लचकदार हो जाती है, जो पु ष का यान ख चती है। म लन मुनरो ने अपने
बाएँ जूत े क एड़ी को एक इंच का तीन–चौथाई कम कर दया था, ता क उसक चाल अ धक
लचकदार हो जाए। भँवर क कई जा तय क मादाएँ संभा वत साथी को आक षत करने के
लए अपने पछले ह से को उसके सामने लहराती ह।

2. व
हाल के वष म नया के अ धकतर ह स म व को लेकर जुनन ू छा गया है और लीवेज यानी
तन के बीच का ह सा व कृ म ढं ग से व बड़ा करने का काम आज करोड़ डॉलर का
ापार बन गया है यह अनोखी बात है, य क मानव मादा का व पसीने क बढ़ ई ं थय
से अ धक कुछ नह है।
व का बड़ा ह सा वसा के ऊतक से बनता है। इससे वे गोलाकार बनती ह और इन
ऊतक का अ धकतर ह सा ध बनाने के काम नह आता।

व ापन

कुल मलाकर, व का एक प उ े य है और वह है, यौन संकेत दे ना। म हला का व उसके


पछले ह से क तरह दखता है और यह उस इ तहास का एक अवशेष है जब मनु य चार पैर
पर चलता था। अगर कोई बंदर या च पांज़ी आपके पास दो पैर पर खड़ा होकर आए तो आप
नह बता पाएँग े क वह नर है या मादा। मनु य दो पैर पर सीधे तनकर चलते ह और म हला
के बढ़े ए व उसके पछले ह से क नकल के प म वक सत ए। नत ब के बीच क दरार
और लीवेज ( तन के बीच क रेखा) क त वीर के परी ण म यह न कष नकला क
अ धकतर पु ष दोन के बीच अंतर करने म नाकाम रहे।

परी ण दखाते ह क अ धकतर पु ष नत ब क दरार और लीवेज के बीच अंतर


नह कर सकते

खुले गले के कपड़े और व थल को ऊपर करने वाली ा लीवेज बनाकर इस संकेत पर ज़ोर
दे ती है। लगभग सभी से स रसच सव ण के नतीजे बताते ह क पु ष को हर आकार और
बनावट क छा तयाँ पसंद आती ह और लीवेज उ ह सबसे यादा उ े जत करता है। इससे
कोई फ़क नह पड़ता क म हला का व छोटे न बू के आकार का है या तरबूज़ का, अ धकतर
पु ष उनम गहरी दलच पी लेत े ह और उ ह लीवेज अ छा लगता है। कसी पु ष क तरफ़
आक षत होने वाली म हला आगे क ओर झुकती है और अपनी बाँह को अपने शरीर के
नज़द क लाती है, जससे उसके तन एक साथ आकर लीवेज बनाते ह।
अमे रका म दो स ताह रहने के बाद मोना लसा

पु ष को म हला का व तब सबसे यादा पसंद आता है, जब वह अपने यौन व जनन के


चरम पर होती है यानी जब वह कशोराव था के अंत म होती है या उ के सरे दशक क
शु आत म होती है। इसे पु ष क प का के बीच वाले प , इरॉ टक डांसस और से स
अपील से जुड़े व ापन म दे खा जा सकता है।
अमे रका क पर ू यू नव सट के शोधकता ने पाया क अगर ल ट माँगने वाली
म हला अपने व के आकार को 2 इंच (5 सेमी) बढ़ा दे तो उसे ल ट मलने क संभावना
दोगुनी हो जाएगी।

जब कोई ‘हॉट’ हो
मानव शरीर का मूल तापमान 98.6 ड ी फ़ैरेनहाइट होता है, ले कन वचा के तापमान म हमारी
भावना मक दशा के अनुसार बदलाव आता है। जैसा क पहले बताया जा चुका है, जन लोग
को ‘ठं डा‘और ‘अलग – थलग‘कहा जाता है, अ सर शारी रक प से वे ठं डे होते ह, य क
तनाव होने पर ‘लड़ो या भागो‘क थ त म उनका खून टाँग व बाँह क मांसपे शय म खचता
है। इस लए जब आप कसी को ‘को ड फ़श‘कहते ह तो आप भावना मक और शारी रक,
दोन तर पर सही होते ह। इसके वपरीत, जब एक इंसान सरे क तरफ आक षत होता है, तो
उसका र चचा क सतह पर आ जाता है, जससे वह गम हो जाता है। यही वजह है क ‘हीट
ऑफ़ पैशन‘यानी ेम के आवेश म ेमी ‘गमजोशी से गले लगते‘ह, उनका कामो ेजक
मलन‘होता है और वे ‘हॉट‘हो सकते ह। ब त सी म हला म शरीर के तापमान म बढ़ोतरी
दे खी जा सकती है, उनका व उ े जत हो जाता है या उनम लाल ध बे हो जाते ह और उनके
गाल भी लाल हो जाते ह।
अगर आप पु ष ह तो आ खरी ह से को पढ़कर
आपका पैसा वसूल हो गया होगा

3. लंबी टाँग का आकषण


पु ष ारा म हला क लंबी टाँग पसंद कए जाने का जीववै ा नक कारण है। यौवन आने
पर लड़ कय के शरीर म हाम नल बदलाव आने के कारण उनक टाँग लंबी हो जाती ह ओर वे
औरत म त द ल हो जाती ह। उनक लंबी टाँग मौन प से पु ष को बताती ह क वह यौन प
से प रप व हो गई है और जनन कर सकती है। इसी कारण से लंबी टाँग को नारी के ज़बरद त
यौनाकषण से जोड़ा जाता है।

सुपरमॉड स और फ़ मी सतार के शरीर का अनुपात सही नह होता, इस लए उनक


लंबी टाँग बरकरार रहती ह

पु ष को म हला क ऊँची ए ड़याँ पसंद आती ह, य क उनसे लंबी टाँग का म बनता है,
जो जननशीलता क नशानी ह। ऊँची ए ड़य के कारण म हला क टाँग लंबी लगती ह, उसक
पीठ पीछे क ओर मुड़ती है, जससे उसके नत ब बाहर क ओर उभरते ह, पाँव छोटे लगते ह
और पे वस आगे क ओर होता है। इसी वजह से सबसे ऊँची एड़ी के बड़े फ ते लगे जूते बाज़ार
म मौजूद सबसे भावी से स–सहायक ह।

ऊँची एड़ी से औरत क टाँग लंबी हो जाती ह, नत ब


लचकते ह और छा तयाँ बाहर क ओर उभरती ह।
अ धकतर पु ष पतली, सूखी टाँग के बजाय सुडौल, अपे ाकृत मोट टाँग को पसंद करते ह,
य क उन पर जमी चब से पु ष व नारी क टाँग के बीच का अंतर सु प होता है और वह
उसके शरीर म ध बना पाने का संकेत भी है। पु ष चाहते ह क म हला क टाँग मज़बूत ह ,
ले कन ऐसी टाँग उ ह पसंद नह आती ज ह दे खकर लगे क उनसे इं लड के लए फुटबॉल मैच
खेला जा सकता है।

एल मैकफ़सन और रेचेल हंटर जैसी मॉड स ने म हला के आकषण संकेत को


अरब डॉलर के बज़नेस म बदल दया है

पु ष के णय– नवेदन संकेत और मु ाएँ


पु ष के दशन म श , संप और ओहदे को दशाना शा मल होता है। अगर आप म हला ह,
तो संभवतः पु ष के णय – नवेदन संकेत के हमारे वणन से आप नराश हो सकती ह, य क
म हला क तुलना म इनक सं या ब त कम है। जहाँ कोई म हला उ ेजक ढं ग से तैयार
होगी, मेकअप करेगी और ब त सी भाव–भं गमाएँ अपनाएगी, वह पु ष अपने कार के इंजन
क र तार बढ़ाएँग,े अपनी कमाई क ड ग हाँकगे और अ य पु ष को चुनौती दगे। णय
नवेदन क री तय के मामले म पु ष उतने ही भावी होते ह, जतना क वह इंसान होगा जो
मछ लय के सर पर डंडे से चोट करके उ ह पकड़ने क को शश कर रहा होगा। म हला म
कह अ धक आकषण और लोग को लुभाने का नर होता है, जसे शायद ही कोई पु ष पा
सकता है।
इस भाग म हम पु ष के उन आम शारी रक हावभाव के बारे म जानगे, जो अ सर
दखाई दे त े ह और अ धकतर उसके ॉच े पर क त होते ह। आमतौर पर पु ष मलन के
खेल से जुड़े संकेत को भेजने और ा त करने म उतने कुशल नह होते और जैसा क हम पहले
भी बता चुके ह, म हलाएँ न केवल खेल को नयं त करती व उसके नयम बनाती ह, ब क
कोरबोड भी उ ह का होता है। अ धकांश समय पु ष संकत को दे खकर त या करते ह।
कुछ प काएँ अपने पाठक को आ त करने क को शश करती ह क पु ष के
णय– नवेदन नर अब बेहतर हो रहे ह, य क वे अपने प–रंग पर अब यादा यान दे न े लगे
ह। पु ष अब फ़े शयल करवाते ह, अपने हाथ–पैर के नाखून सँवारते ह, अपने बाल क रंगत
बदलते ह, दाँत सीधे करवाते ह, हेयर कं डशनर व चेहरे क म इ तेमाल करते ह और पाउडर
लगाते ह। 2004 म यूके म जलेट ारा कए गए एक अ ययन से पता चला क कॉट् स टे न के
सबसे आ ममु ध पु ष ह, जो एक दन म औसतन 16 मनट शीशे के सामने अपनी साज–सँवार
म लगाते ह। ले कन यह बताव पु ष क साज–सँवार के बढ़ते तर को दखाता है, न क
म हला के संकेत पढ़ने क उनक यो यता को।

अमे रका के एक सव ण से पता चला क म हलाएँ


जन तीन श द को सुनना चाहती ह, वे ‘आई लव
यू‘नह ह। वे ह, ‘यू हैव लॉ ट वेट’

जैसा क अ धकांश नर ा णय म होता है, संभा वत साथी के आते ही मानव नर भी अपनी


साज–सँवार करने लगता है। पहले बताए जा चुके शारी रक प रवतन के अलावा वह अपनी टाई
ठ क करता है, अपने कॉलर को सीधा करता है, अपने कंधे से का प नक धूल हटाता है, अपने
कफ़ ल स या घड़ी को छू ता है और अपनी कमीज़, कोट या अ य कपड़ को ठ क करता है।

पु ष ारा टाई ठ क कए जाने क मु ा

कसी र ते क शु आत म पु ष म हला से बातचीत य करते ह


कई पु ष का मानना है क वयं के या म हला के अंतरंग जीवन क बात करके उ ह फ़ायदा हो
सकता है, और उससे म हलाएँ उनके त खुली सोच रख सकती ह और उनके करीब आ सकती
ह। कसी नए र ते क शु आत म पु ष अ सर बातचीत करने क रणनी त अपनाते ह, ले कन
हनीमून पी रयड ख़ म होते ही अपने बातचीत न करने के पुराने बताव पर लौट जाते ह और
त य , जानकारी व सम या के हल के बारे म ही बात करते ह।

पु ष का ॉच जुनून
कसी म हला क ओर जो सबसे सीधा यौन दशन पु ष अपना सकता है, वह है बे ट म अँगठ
ू े
ठूँ सने क आ ामक मु ा, जससे उसका ॉच े सु प होता है। वह अपने शरीर को म हला
क ओर कर सकता है, अपना पाँव उसक ओर कर सकता है, गहरी नज़र से उसे दे ख सकता है
और थोड़े लंबे समय तक उससे नज़र मलाए रख सकता है। अगर वह बैठा हो या फर द वार से
टका आ हो, तो वह अपनी टाँग फैलाकर अपने ॉच का दशन कर सकता है।
बबून बंदर के झुंड म या फर अ य नर वानर के मामले म नर अपने लग का दशन
कर अपने भु व को दखाता है। अपनी टाँग फैलाकर वह झुंड के अ य सद य को अपने लग
का पूरा आकार दखाता है और समय–समय पर उसे छू ता है, इस कार वह अपने भु वशाली
दज को बार–बार दखाता है। मानव नर भी अपने को दखाने के लए इसी दशन को अपनाता
है, हालाँ क बबून क तुलना म यह ब त प र कृत ढं ग से होता है, य क बबून जैसा दशन
इंसान को जेल क हवा खला सकता है।
पं हव सद म कॉडपीस (पु ष के ॉच को ढकने, के लए यु लैप) के इ तेमाल
से पौ ष का दशन होता था और उससे उसके सामा जक तबे का। इ कसव सद म यू गनी
के नवासी अब भी लग का दशन करते ह, जब क प मी जगत के पु ष कसी ई पतलून,
छोटे आकार के पीडो व मग ं स या अपने ॉच के सामने चाबी के बड़े–से गु छे या बे ट के
लंबे कनारे को लटका कर यह दशन कर सकते ह।

इस तरह क लटक ई चीज़ के कारण पु ष को अपने नचले ह से को छू ने और ठ क करने


का मौका मलता है। अ धकतर याँ कसी सावज नक जगह पर खड़े होकर ॉच खुजलाने
क क पना भी नह कर सकत और उ ह यह दे खकर हैरानी होती है क पु ष कैसे न संकोच
होकर नय मत प से ऐसा करते ह। सभी नर वानर के लए एक ही संदेश होता है, बस इसके
लए अलग तरीके अपनाए जाते ह।
बे ट और ॉच–डांस करते ए अपने ॉच को पकड़ना ॉच के दशन का कम
प र कृत तरीका है

अपने लग के खोल के साथ आइ रयन जाया का यह मेक यो ा प ढं ग से अपना


संदेश दे रहा है

ॉच ठ क करना
सबके सामने ॉच को ठ क करना सावज नक तौर पर पु ष के यौन दशन का एक व प है।
हर जगह म हला क यही शकायत रहती है क जब वे कसी पु ष से बात कर रही होती ह
तो वह अचानक बना कसी ख़ास वजह के वह अपने ॉच को ठ क करने या छू ने लगता है। यह
अनुमान है क उसके जननांग इतने बड़े होते ह क र संचार के वाह को कने से बचाने के
लए उन पर लगातार यान दे न े क ज़ रत पड़ती है।

पु ष होने का सबसे बड़ा फ़ायदा यह है क आपको ख़ुद


को ठ क करने के लए कमरे से बाहर नह जाना पड़ता।

पु ष के कसी भी समूह को दे ख, ख़ासकर उ ह, जहाँ पर मदाना रवैय े को बढ़ावा दया जाता


है, जैस े खेल ट म, तो आप पाएँग े क उनम ॉच ठ क करना लगातार चलता रहता है, य क
अवचेतन तर पर हर कोई सरे के सामने अपने पौ ष क धाक जमाना चाहता है। याँ यह
दे खकर हैरान रह जाती ह क जस हाथ से थोड़ी दे र पहले वह अपना ॉच ठ क कर रहा था,
उसी हाथ से वह उसके लए क लाता है और फर उसी से सबसे हाथ मलाता है।

टाई एक ओर पहनना
अगर आप पु ष ह और जानना चाहते ह क कौन–सी म हला आपको पसंद करती है, तो एक
अ छा–सा सूट और टाई पहन, ले कन टाई को थोड़ा एक ओर करके पहन और अपने कंधे पर
कुछ रोएँ डालकर रख। आपको आकषक मानने वाली म हला आपके कंधे से रोएँ झाड़ने और
आपक टाई को ठ क करने से ख़ुद को रोक नह पाएगी, य क वह चाहेगी क आप अ छे
दख।

टाई को एक ओर पहनने से उस पु ष म दलच पी रखने वाली म हला को उसे ठ क


करने का मौका मल जाता है।

पु ष के शरीर म म हला को या आकषक लगता है


सव ण बताते ह क म हला ने लगातार ऐसे पु ष के त अपनी पसंद जताई है, जनक
आवाज़ गहरी और रेशमी होती है, य क आवाज़ क गहराई का सीधा संबंध टे टो टे रॉन के
तर से है। वर म बदलाव लड़क म अ धक प होता है, य क यौवन का आरंभ होने पर
उनके शरीर म नर हॉम स बढ़ने के कारण वे वय क पु ष बनने लगते ह और रात रात उनक
आवाज़ फटने लगती है। जब पु ष कसी ऐसी म हला के आसपास हो, जसे वह पसंद करता है
तो वह अपने पौ ष को करने के लए गहरी आवाज़ म बोलने क को शश करता है,
जब क म हला अपने नारी व को कट करने के लए ऊँची आवाज़ म बोलने लगती है। 1960 के
दशक म ए नारीवाद आंदोलन क शु आत के बाद य ने ऐसे काम करने शु कर दए ह,
जो पहले केवल पु ष करते थे। इन काम को करने के लए टे टो टे रॉन हॉम न क ज़ रत होती
है, इ ह सफलता से जुड़े हॉम न कहा जाता है, य क ये हम ल य ा त क ेरणा दे त े ह। शोध
दखाते ह क अमे रका, यूनाइटे ड कगडम, ऑ े लया, यूज़ीलड जैसे दे श म, जहाँ नारीवाद
अ धक भावशाली रहा है, म हला क आवाज़ अ धक गहरी हो गई है य क वे अ धक ढ़
व भु वशाली हो गई ह। हम आशा करते ह क उनक छाती पर बाल नह उगगे।

वह या पसंद करती है – छाती, टाँग या नत ब?


म हला क यौन त या पु ष के शरीर के कुछ न त ह स को दे खकर तेज़ होती है।
जहाँ तक म हला ारा पु ष के शरीर के अंग को पसंद करने क बात है, तो उ ह भी तीन
ह स म बाँटा जा सकता है – टाँग, नत ब और छाती/बाँह जनम से नत ब को 40 तशत
वोट मले ह। इस भाग म हम पु ष के केवल शारी रक आयाम का व ेषण करगे और जानगे
क हर अंग का म हला पर इतना ज़बरद त असर य पड़ता है।
कुल मलाकर, म हलाएँ भी ब ल शारी रक आकार, चौड़े कंधे, मज़बूत छाती व बाँह
और कसे ए नत ब पसंद करती ह। इ क सव सद म भी सव ण यही दखाते ह क म हलाएँ
अब भी ऐसा पु ष चाहती ह, जसे दे खने से लगे क वह जानवर से लड़ सकता है और मन
को लड़कर भगा सकता है। शकार करने वाले नर का कंधा चौड़ा होता है, जो नीचे क ओर
आते–आते संकरा हो जाता है, जब क म हला के कंधे संकरे होते ह और नत ब चौड़े होते ह।
पु ष के इन शारी रक गुण का वकास लंबी री तक भारी ह थयार को ढोने और शकार को
घर तक लाने के उ े य से आ।

पु ष का शरीर जानवर का पीछा करने, उ ह पकड़ने,


उनसे लड़ने,
भारी चीज ले जाने और मक ड़य को मारने के उ े य से
बना है।

1. चौड़े कंधे, छाती और मज़बूत बाँह


शकार करने वाले नर का कंधा चौड़ा होता है, जो नीचे क ओर आते-आते संकरा हो जाता है,
जब क म हला के कंधे संकरे होते ह और नत ब चौड़े होते ह। पु ष के इन शारी रक गुण का
वकास लंबी री तक भारी ह थयार को ढोने और शकार को घर तक लाने के उ े य से आ।
पु ष क छाती बड़े फेफड़ के कारण चौड़ी ई, ता क ऑ सीजन का वतरण भावी
ढं ग से हो और वह भागते या पीछा करते ए आसानी से साँस ले सके। पछली पी ढ़य म पु ष
क छाती जतनी चौड़ी होती, उसका स मान उतना ही अ धक होता और आज क आ दम
जनजा तय म अब भी ऐसा ही होता है।
म हलाएँ पु ष के सु वक सत ऊपरी शरीर क ओर आक षत होती ह, ले कन उनम से
अ धकतर बॉडी ब डर वाले ‘मांसल शरीर‘को पसंद नह करती, म हला को लगता
है क शायद ऐसा पु ष उसक ख़ूबसूरती के बजाय अपनी सुंदरता म अ धक
दलच पी लेगा।

2. छोटा, सुग ठत नत ब
छोटे , सुग ठत नत ब सभी य को पसंद आते ह, ले कन उनम से कुछ ही इसके चुंबक य
आकषण को समझती ह। इसका रह य यह है क गठा आ मज़बूत पछला ह सा सहवास के
दौरान आगे क ओर धकेलने क ग त व ध के लए आव यक होता है, जससे शु ाणु साथी तक
तक सफलतापूवक प ँच जाते ह। भारी–भरकम नत ब जन ह से परका म हलाएँमू याँकन
पु ष के हो सकती है और वह ऐसा करते ए अपने शरीर का पूरा भार ी पर डाल सकता है।
ी के लए यह आदश थ त नह है, य क पु ष के भार से उसे साँस लेन े म क ठनाई हो
सकती है। इसके वपरीत, छोटे और गठे ए पछले ह से से यही काम असरदार ढं ग से हो
सकता है।
इंटरनेट पर कई ऐसी साइट् स ह, वाले पु ष को ऐसा करने म मु कल पछले ह से का
मू याँकन कर सकती ह

3. संकरे कू हे और मज़बूत टाँग


म हला को पु ष क टाँग केवल उनक पौ ष श और सहनश के कारण आक षत
करती ह। मानव नर क ताकतवर, इकहरी टाँग सभी नरवानर म सबसे लंबी ह और उसके संकरे
कू हे लंबी री तक पीछा करने और शकार करने म मददगार होते ह। भारी कू ह के कारण
कई म हला को दौड़ने म मु कल होती है, य क उनक टाँग के नचले ह से और पाँव
शरीर के भार को संतु लत करने के लए बाहर क ओर फैल जाते ह। अमे रका के मुख
यूरोसाइकॉलोजी ोफ़ेसर डॉ टर दे व सह ने पाया क म हला को पु ष के कमर–कू हे
का 90 तशत का अनुपात सबसे आकषक लगता है।

सारांश
नया म सगल यानी अकेले रहने का चलन बढ़ गया है। सभी प मी दे श म ववाह क दर
पछले सौ वष म आज सबसे कम है, जो 25 साल पहले क तुलना म आधी रह गई है।
ऑ े लया जैस े दे श म 28 तशत वय क ने कभी शाद नह क ।
यह त य क ी–पु ष शु आत म शारी रक गुण से आक षत होते ह, कई लोग को
नराशाजनक लग सकता है, ले कन इसका सकारा मक प यह है क हर कसी के पास अपने
प– रंग को बेहतर करने का मौका होता है, और येक वपरीत लग के लए अपना
आकषण बढ़ाने का नणय ले सकता है। जो बदलना नह चाहते, उनके लए ऑनलाइन डे टग,
आई ट मैचमे कग और पीड डे टग जैसी चीज़ हर जगह फलफूल रही ह, यूयॉक टाइ स के
अनुमान के अनुसार 2003 म इनका वा षक ापार 3 ब लयन डॉलर का था। म हला क
तुलना म पु ष को वपरीत लग से मुलाकात करने म यादा मु कल होती है, इस लए नया
भर क ल टग लासेज़ म पु ष क सं या म हला से दोगुनी होती है।
अ याय 16

वा म व, े और लंबाई के संकेत

जसे हम अपना मानते ह, उस पर अपना शारी रक दावा जताते ह

हम बाक लोग पर या व तु पर अपने े ीय दावे को जताने के लए उन पर टकते ह। कसी


चीज़ पर टकने क मु ा का इ तेमाल भु व था पत करने या फर अगर वह चीज़ कसी और
क है, तो उस पर हावी होने के लए भी हो सकता है। उदाहरण के लए, अगर आप अपने
दो त क नई कार, नाव या कसी अ य नजी चीज़ के साथ उसक त वीर लेना चाहते ह तो
संभव है क वह उस चीज़ पर टकेगा, उस पर अपना पैर रखेगा या उसे अपनी बाँह म लेगा।
जब वह अपनी चीज़ को छू ता है तो वह उसके शरीर का व तार बन जाती है और इस तरह से
वह बाक लोग को दखाता है क उस पर उसका वा म व है। सावज नक थान पर ेमी एक-
सरे का हाथ पकड़कर या फर बाँह म बाँह डालकर त ं य को दखाते ह क उस
पर उनका अ धकार है। बज़नेस ए ज़ी यू टव अपनी डे क पर पाँव रखकर या द तर के दरवाज़े
पर टककर उसके साज-सामान पर अपना अ धकार जताता है। कोई ी अपने प त के कंधे से
का प नक रोएँ झाड़कर बाक म हला को जताती है क वह उसका है।

लोग कसी चीज़ को अपने शरीर से जोड़कर अपना वा म व द शत करते ह

कसी पर ध स जमाने का एक अ छा तरीका यह है क आप बना उनक अनुम त के, उनक


चीज़ पर टक, बैठे या उनका इ तेमाल कर। कसी को पूछे बना उसके डे क पर बैठकर या
उसक कार लेकर उसके े का प तौर पर पयोग करने के अलावा कुछ ब त सू म
तकनीक ह, जससे सरे पर ध स जमाई जा सकती है। एक है, कसी सरे के ऑ फस के
दरवाज़े पर टकना या फर उसक कुस पर बैठ जाना।

व टो रया बेकहेम, डे वड बेकहेम क छाती पर हाथ रखकर अपने अ धकार क पु


कर रही है

कसी ाहक के घर प ँच े से सपसन को कुस पर बैठने से पहले उससे पूछना चा हए


क कौन- सी कुस उसक है, य क ग़लत कुस पर बैठकर वह उसके मा लक पर अनाव यक
रौब जमा सकता है और इससे उसे बुरा लग सकता है।
दरवाज़े पर ध स जमाने वाला

कुछ लोग को दरवाज़े पर टकने क आदत होती है और वे पहली मुलाकात से ही लोग पर ध स


जमाते लगते ह। ऐसे लोग को सीधे खड़े होकर अपनी हथे लयाँ सामने रखने क सलाह द
जाती है, ता क अ य लोग पर उनक अ छ छाप पड़े। कसी से मुलाकात के शु आती चार
मनट म लोग हमारे बारे म अपनी 90 तशत राय बना लेत े ह और आपको पहली छाप छोड़ने
का सरा मौका नह मलता।
ब चे को लटकाने क हरकत के पीछे माइकल जैकसन का मकसद अपने ब चे और
शंसक के बीच क री कम करना था, ता क वे भी ब चे पर अपने अ थायी
अ धकार को महसूस कर सक। यह और बात है क जैकसन ने ब चे और ज़मीन के
बीच के फ़ासले पर यान नह दया

सामा यतया बॉस क कुस ह थेदार होती है और बना ह थ क कुस अ सर


मुलाकाती के लए होती है, ले कन अगर ऐसी कुस बॉस क हो तो उसे एक या दोन पैर डे क
पर रखे दे खा जा सकता है। अगर उससे व र अ धकारी उसके के बन म आता हैतो अधीन थ
कमचारी होने के नाते वह े ीय वा म व क मु ा नह अपनाएगा, ब क अपने अ धकार को
जताने के लए डे क के सबसे नचले दराज़ पर पैर रखने या दराज़ न होने क थ त म मेज़ क
टाँग पर अपना पैर रखने जैसी सू म मु ाएँ अपनाएगा।

डे क पर अपना वा म व जताना

शरीर झुकाना और दजा


ऐ तहा सक तौर पर कसी सरे इंसान के सामने अपने शरीर क ऊँचाई बढ़ाना या उसे कम
करके पेश करना हमेशा से व र और मातहत के बीच के संबंध को था पत करने के साधन के
प म योग कया जाता रहा है। हम शाही प रवार के सद य को ‘यॉर हाइनेस’ कहते ह,
जब क घ टया काम करने वाले को ‘ न न’, ‘नीच’ और ‘घ टया इंसान’ कहा जाता है। कोई भी
इंसान ‘शॉट साइटे ड’ यानी अ रदश नह कहलाना चाहता, न तु छ समझा जाना चाहता है या
फर अपने ल य से पीछे नह रहना चाहता। कसी वरोध दशन म व ा अ य लोग से उ च
थान पर खड़ा होता है, यायाधीश अ य लोग से ऊँचे आसन पर बैठता है, ओलं पक गो ड
मेडल जीतने वाला अ य मेडल वजेता से ऊँचा खड़ा होता है, भूतल पर रहने वाल के
मुकाबले पटहाउस म रहने वाला अ धक भु वशाली होता है, कुछ सं कृ तय म सामा जक वग
को ‘उ च’ व ‘ न न’ दजा म बाँटा जाता है और फामा स ट बाक लोग से 18 इंच ऊँचे खड़े होते
ह।
े तर लोग ‘हाई हॉसज’ पर होते ह यानी ऊँचे उड़ रहे होते ह या ‘ऊँची नाक वाले होते
ह’ या बाक लोग से अ धक मह वपूण माने जाते ह या उनका ‘ दमाग सातव आसमान पर’
होता है। आ मस मान वाला कोई भी दे वता दे हात, कसी समतल धरातल या घाट म कभी नह
रह सकता। वे बलहाला म ओल पस पवत पर या ऊपर वग म रहते ह। हर कोई जानता है क
कसी बैठक म बोलने के लए खड़े होने क या अह मयत होती है।

अ य लोग के सामने समपण दखाने के लए हम अपनी लंबाई को घटाते ह या ऊँचा


दजा पाने के लए उसे बढ़ाते ह

अ धकतर म हलाएँ शाही सद य के सामने घुटने मोड़कर अ भवादन करती ह, जब क पु ष


अपने सर झुकाकर या अपने हैट उतारकर वयं को शाही से छोटा दखाते ह। आधु नक
स यूट खुद को छोटा दखाने के लए हैट उतारने का ही एक अवशेष है। तीका मक तौर पर
अपना हैट उतारता है और सै यूट उसका आधु नक प रणाम है। आज सर पर हैट न होने
के बावजूद पु ष कसी म हला से मलने पर अपने पूवज क हैट उतारने क आदत को माथे पर
थपक दे कर करता है। कोई इंसान कसी को दे खकर जतना अ धक वन या सम पत
होगा, उतना ही अ धक वह अपने शरीर को झुकाएगा।

संगठन के कुछ लोग ने रॉजर को कंपनी क रीढ़ क ह ी


बताया। बाक लोग उतनी ऊँचाई तक नह गए।

कुछ जापानी वसाय ने ‘बोइंग मशीन’ को फर से शु कया है, जो कमचा रय को बताती है


क कसी ाहक के सामने कस कोण पर झुकना चा हए, अ सर सफ़ जानकारी लेन े आए
ाहक के सामने 15 ड ी तक और खरीदने के लए आए ाहक के सामने 45 ड ी तक झुकना
चा हए। कामकाज म जो लोग लगातार मैनेजमट के सामने ‘झुकते’ ह, उ ह चापलूस और
खुशामद करने वाला कहा जाता है।

शहर म उसका कद बड़ा है


ऊँचाई से जुड़ा यह त य शायद राजनी तक तौर पर सही न हो, ले कन अ ययन बताते ह क
छोटे कद के लोग क तुलना म लंबे लोग अ धक सफल होते ह, यादा सेहतमंद व लंबी ज़दगी
जीते ह। यूज़ीलड क कटनबरी यू नव सट म ए सपे रमटल साइकॉलोजी के मुख बूस ए लस
ने पाया क जनन के मामले म भी लंबे लोग अ धक सफल होते ह, ऐसा न केवल लंबाई के
साथ टे टो टे रॉन के संबंध के कारण होता है, ब क म हला ारा साथी के प म वयं से लंबे
पु ष को चुनने क वजह से भी होता है। लंब े पु ष को अ धक सुर ा दे न े वाला माना जाता है
और वे अपने इस गुण को आने वाली पीढ़ म आगे बढ़ा सकते ह। पु ष अपने से छोट
म हला को पसंद करते ह, य क इससे उ ह ऊँचाई का फ़ायदा मलता है।
आपका कद जतना छोटा होगा, उतने ही अ धक पु ष आपको टोकगे। एक पु ष
धान अकाउं टग फ़म म काम करने वाली 5 फ ट 1 इंच (1.55 मीटर) कद क हमारी एक
लायंट क शकायत थी क मैनजमट मी ट स म उसके सहकम लगातार उसे टोकते थे और
ऐसा ब त कम होता था क वह अपने वचार को पूरी तरह तुत कर सके या अपने वा य भी
पूर े कर सके। हमने एक ऐसा तरीका सोचा, जसम हमारी लाइंट को उठकर कॉफ़ टे बल तक
जाना था, ऐसे म जब वह वापस आती तो बात करते ए खड़ी रहती और अपने वचार तुत
करने म कामयाब होती। ऐसा करने से आए अंतर को दे खकर वह हैरान रह गई। वह हर बार तो
कॉफ़ ट न नह अपना सकती थी, ले कन इससे उसने यह ज़ र जाना क कैसे सफ़ अपने
कद के प र े य को बदलकर उसे अ धक श मल सकती थी।

लंब े पु ष के साथ हमेशा छोट म हलाएँ दखती ह,


ले कन इसका उ टा ब त कम दे खने को मलता है।

हमारे से मनार म हम लगातार गौर करते ह क टॉप लेवल के मैनेजर बाक लोग से
काफ़ लंबे होते ह। इं ट ूट ऑफ़ मैनेजमट क सहायता से हमने कंपनी डायरे टर तर के
2566 मैनेजर के कद और वेतन के आँकड़े जमा कए और पाया क कंपनी के सामा य तर से
ऊँचाई के एक इंच बढ़ने से के वेतन म 400 पाउंड क बढ़ोतरी ई, यह ी-पु ष के
मामले म समान प से सही था। अमे रका म ए शोध म पाया गया क कद का संबंध व ीय से
भी है, वॉल ट पर कद म एक इंच क बढ़ोतरी से हर के अं तम लाभ म 340 पाउंड क
वृ ई। सरकारी वभाग , म भी यही पार प रक संबंध पाया गया, जहाँ यह माना जाता है क
लोग क पदो त कद के आधार पर न होकर उनक यो यता व समानता के आधार पर होती है।
एक अमे रक अ ययन ने बताया क अमे रक कंप नय म लंबे लोग को न केवल सबसे अ छ
नौक रयाँ मल , ब क उनका शु आती वेतन भी अ धक था। 6 फ ट 2 इंच (1.9 मीटर) कद के
लोग को 6 फ ट (1.85 मीटर) से कम कद के लोग से 12 तशत यादा तन वाह मली।

कुछ लोग ट वी पर अ धक लंब े य लगते ह


टे ली वज़न पर जो लोग लंबे लगते ह, राजनी त म उनका दशन बेहतर रहता है। न पर लोग
सफ़ 6 इंच (15 सेमी) लंब े होते ह, इस लए हम अवचेतन तौर पर फ़ैसला करना होता है क वह
वा तव म कतना लंबा होगा। हम उनके कद को लेकर जो अंदाज़ा लगाते ह और जस
ताकत को उनसे जोड़ते ह, उसका सीधा संबंध उनके ेजटे शन के भाव और भु व से होता है।
यही कारण है क कम कद के कई कलाकार, नेता और मुख च ट वी पर अ छा दशन
करते ह, वे ऊँचाई का आभास दे ते ह। ऑ े लया के धानमं ी जॉन हावड को ‘ लटल
जॉनी‘का उपनाम मला, य क टे ली वज़न पर उनका तरीका नम भरा व शां तपूण होता था।
अपने सव ण म हमने पाया क मतदाता ने उनके कद का अंदाज़ा लगाया क वह 5 फ ट 6
इंच (1.67 सेमी) था, जो क पु ष के लहाज़ से कम था। अस लयत म उनक ऊँचाई 5 फ ट 9
इंच 1 (1.75 मीटर) थी। उनके वप ी नेता पूव धानमं ी बॉब को लगातार 6 फ ट (1.85
मीटर) समझा गया, य क उनका दशन ‘बड़ा’ था, जब क वे केवल 5 फ़ ट 7 इंच (1.7 मीटर)
लंबे थे।

टे ली वज़न पर ज़ोरदार दशन से आप लंबे लगते ह।

व सन (1968) ारा कए गए एक शोध म पाया गया क जब एक व ाथ ने अ य व ा थय


को संबो धत कया तो उ ह ने उसे 5 फ़ ट साढ़े 8 इंच (1.75 मीटर) लंबा समझा। जब उसी
व ाथ का प रचय ोफ़ेसर के प म कराया गया, तो लोग ने उसे 6 फ़ ट 3 इंच (1.9 मीटर)
लंबा समझा। एक ज़बरद त दशन या भावशाली पद, दोन से लोग आपके कद को ऊँचा
समझते ह।

लोर टे ट कर
अगर आप कद के साथ जुड़े भु व क जाँच करना चाहते ह तो अपने कसी दो त के साथ यह
परी ण कर। पहले, फ़श पर लेट जाएँ और फर ऊँचाई के अंतर को अ धकतम करने के लए
अपने दो त से कह क, आपके पास खड़ा हो जाए। फर अपने दो त से कह क वह जतना
जोर से हो सके आपको डाँटे। अब अपनी थ त बदल द, आप खड़े हो जाए और उसे फ़श पर
लेटने को कहकर फर से डाँटने को कह। आप पाएँगे क न केवल उसे ऐसा करने म मु कल
होगी, ब क उसक आवाज़ भी अलग लगेगी और ऐसा करते ए उसक आवाज़ म भु व भी
नह होगा।

ऊँचाई के नकारा मक पहलू


लंबा होना हमेशा ही फ़ायदे मंद नह होता। लंब े लोग को जहाँ छोटे कद के लोग के मुकाबले
अ धक आदर मलता है, वह एक- सरे से सीधे बातचीत के कई पहलु के लए यह
हा नकारक हो सकता है। उदाहरण के लए, जब आपको कसी से एक तर पर आकर बातचीत
करनी हो या एक- सरे से आँख मलाकर बातचीत करनी हो तो आप ख़ुद को ज़ रत से यादा
बड़ा या मह वपूण नह दखाना चाहते।
टे न म 6 फ ट 8 8 इंच इंच लंब े के मकल से सपसन फ़ लप हाइ न स ने समाज के
लंबे लोग क ावहा रक, च क सक य और सामा जक आव यकता के लए टॉल पस स
लब बनाया। उ ह ने पाया क उनका कद उनके ाहक के लए असहज हो रहा था, ाहक को
लगता था क फ़ लप उन पर हावी हो रहे ह और उनक कही बात पर वे यान नह दे पाते थे।
उ ह ने पाया क जब उ ह ने बैठकर एक से स ेजटे शन दया तो न केवल अ छे संचार के लए
माहौल तैयार आ, ब क शारी रक प से हावी होने क आशंका न होने से उनक ब 62
तशत बढ़ गई।

कैसे कभी खुद को झुकाकर अपना दजा बढ़ाया जाता है


कई प र थ तय म शरीर को झुकाने से भु व का संकेत दया जा सकता है। ऐसा तब होता है
जब आप कसी सरे के घर म जाकर उसक आराम कुस पर आराम से बैठ जाते ह, जब क घर
का मा लक खड़ा होता है। इस तरह आप सरे के े म जाकर अनौपचा रक रवैया दखाकर
भु व या आ ामक रवैय े का संकेत दे त े ह।
अपने घर म कोई भी हमेशा े तर और सुर ा मक रहेगा, इस लए समपणयु
मु ा व बताव से आप उस को अपने पाले म कर ह।

नेता कैसे जीत सकते ह


तीन दशक से अ धक समय से हम सावज नक जीवन म स य लोग को सलाह दे त े रहे ह क
कैसे व सनीय और व ास-यो य दखा जाए। उनम रॉक टास व नेता से लेकर मौसम का
हाल बताने वाले और धानमं ी तक शा मल ह। एक बार दो नेता को टे ली वज़न पर होने
वाली दो बहस म बुलाया गया, जनम उ ह बताना था क वे दे श को कैसे चलाएँगे। उ मीदवार ए
5 फ ट 9 इंच (1.75 मीटर) लंबा था, उसके सौ य, शांत तरीके के कारण लोग ने उसे छोटे कद
का समझा। सरी ओर उसके त ं 6 फ़ ट 2 इंच (1.9 मीटर) लंबे उ मीदवार बी को लोग ने
उसके भु वशाली व ढ़तापूण रवैय े के कारण उसे यादा लंबा समझा। पहली ट वी बहस के
बाद छोटे कद के उ मीदवार को लंबे उ मीदवार से करारी हार मली। उ मीदवार ए ने हमसे
सलाह माँगी। हमने उसे कुछ तरक ब बताई, जैसे अपने ले टन या पाठमंच से 4 इंच (10 सेमी)
घटाना, ता क पाठमंच के ऊपरी ह से और उसक ठोड़ी के बीच का फ़ासला उतना ही रहे,
जतना क उ मीदवार बी का था। हमने उ मीदवार को सलाह द क वह अपने ट वी कैमरे को
थोड़ा नीचे करे ता क उससे ऊपर क ओर शू टग क जा सके और वह लंबा लगे। हमने उसे कहा
क वह अपनी बात सीधे कैमरे क तरफ़ दे खकर कहे, ता क हर मतदाता को लगे क वह उनसे
सीधे बात कर रहा है। यह तरक ब कारगर रही। अगली बहस के बाद उ मीदवार ए को प
वजेता के प म दे खा जाने लगा और मी डया ने कहा क उसके पास ‘ भु व व नेतृ व क नई
समझ थी।’ उसके बाद ए चुनाव म उ मीदवार ए दे श का नेता बन गया। यहाँ सबक यह था क
आमतौर पर मतदाता चुनाव सभा म नेता ारा कही गई बात म न तो दलच पी लेत े ह
और न उसे याद रखते ह। मतदाता अपना मत इस व ास के आधार पर डालते ह क वजेता
नेता बनने के लायक है या नह ।

ो धत लोग को कैसे शांत कया जाए


लोग के सामने जानबूझकर ख़ुद को छोटा पेश करके आप बाक लोग पर ध स जमाने क
थ त से बच सकते ह। मान ली जए क आपने गाड़ी चलाते ए कसी कानून का उ लंघन कर
दया, जैस े कसी स नल को तोड़ा, कसी को रा ता नह दया या ग त सीमा के पार चले गए
और पु लस अफ़सर ने आपको रोक लया। अब ऐसी थ त म आपक बॉडी ल वेज क बात
कर। ऐसे हालात म आपक ओर बढ़ता अ धकारी आपको अपना वरोधी मानेगा। ऐसे म
अ धकतर चालक अपनी गाड़ी म ही रहते ह, खड़क का शीशा नीचे करते ह और कोई बहाना
बनाते ह या कानून तोड़ने क बात से साफ़ इनकार कर दे ते ह। ऐसे म बॉडी ल वेज का
नकारा मक प इस कार होगा :

1. अफ़सर को अपना े (अपना ग ती वाहन) छोड़ना होगा और वह आपके े


(आपके वाहन) क ओर आएगा।
2. यह मानते ए क आप दरअसल दोषी ह, आपके बहान को अफ़सर पर कया
गया हमला माना जा सकता है।
3. अपनी कार म बैठे रहकर आप अपने व पु लस अफ़सर के बीच एक बाधा बनाते
ह।

यह यान रखते ए क इन हालात म पु लस अफ़सर आपसे े तर थ त म है, इस तरह के


बताव से बात बगड़ सकती है और चालान मलने क आशंका बढ़ सकती है। पकड़े जाने क
थ त म कुछ ऐसा करने का यास कर :

1. तुरंत अपनी कार (अपने े ) से बाहर नकल और पु लस अफ़सर क कार


(उसके े ) क ओर जाएँ। इस तरह उसे अपना इलाका नह छोड़ना पड़ेगा।
(अमे रका म यह तरीका न अपनाएँ, जहाँ पर अपनी कार से नकलकर कसी
अफ़सर क ओर बढ़ने से आप उसक गोली का शकार हो सकते ह)
2. उसके सामने झुक, ता क आप उससे छोटे लग।
3. अफ़सर से यह कहकर क आपसे कतनी बड़ी गलती ई है, अपना दजा कम
कर और फर उसका ध यवाद कर क उसने आपक गलती पकड़ी और कह क
आप समझते ह क उसका काम कतना मु कल है क कैसे उसका पाला आप
जैसे बेवकूफ़ से पड़ता है।
4. अपनी हथे लयाँ सामने करके काँपती आवाज़ म वनती कर क वह आपका
चालान न काटे । अगर आप म हला ह और अफ़सर पु ष है तो यादा मु कुराएँ,
अपनी आँख बार-बार झपकाएँ और आवाज़ ऊँची कर। अगर आप पु ष ह तो
बस जुमाना भर द।
‘कृपया मेरा चालान न काट!’

इस तरह का बताव पु लस अफ़सर को बताता है क आपसे कोई ख़तरा नह है और उसे डाँट-


डपट करने वाले अ भभावक क भू मका नभाने का ो साहन मलता है, ऐसे म वह बना
चालान काटे आपको कड़ी चेतावनी दे कर अपने रा ते जाने को कह सकता है। दए गए नदश
का पालन करके आप पु लस कार ारा रोके जाने के 50 तशत मामल म बच सकते ह।
इसी तकनीक का इ तेमाल कर कसी चढ़े ए ाहक को भी शांत कया जा सकता है,
जो कसी रीटे ल टोर म ख़राब सामान को लौटा रहा है या फर कसी चीज़ क शकायत करना
चाहता है। इस मामले म टोर काउंटर ही टोर के कमचा रय व ाहक के बीच बाधा का काम
करता है। अगर कमचारी काउंटर के पीछे खड़े रहते ह तो ो धत ाहक को काबू करना
मु कल हो सकता है, य क इससे ‘तुम बनाम म‘जैसी थ त बन जाती है, जससे वह यादा
गु से म आ सकता है। अगर कमचारी काउंटर से ाहक क तरफ़ आकर अपने शरीर को
झुकाकर अपनी हथे लयाँ सामने करके पु लस अफ़सर के साथ अपनाई गई हमारी वही तकनीक
अपनाए तो उससे अ सर गु से म आया इंसान शांत हो सकता है। डे क या काउंटर के पीछे रहने
से गु सा और बढ़ सकता है।

ेम का इससे या संबंध है?


पोलड के मानव व ानी डॉ. बोगु लॉ पावलॉ क ने पाया क एक आदश र ते म कद के अंतर
के 1 से 1.09 के अनुपात क तुलना म व ास, धन और स मान कम मह वपूण होते ह। 2004
के उनके अ ययन से पता चला क वैवा हक सुख के लए पु ष को अपनी जीवनसाथी क
तुलना म 1.09 गुना लंबा होना चा हए। असफल ेम संग के मामले म यह बात सही सा बत
होती है, उदाहरण के लए, नकोल कडमैन (5 फ़ ट 11 इंच, 1.8 मीटर) और टॉम ू ज़ (5 फ़ ट
7 इंच, 1.7 मीटर)।
जो जोड़े सफलता के इस अनुपात के अनु प ह, वे ह :

चेरी लेयर और टोनी लेयर - 1.10


जे नफ़र ऐ न टन और ैड पट - 1.11
व टो रया बेकहम और डे वड बेकहम - 1.09

जो तकनीक प से इस अनुपात म असफल ह, वे ह :


कै मला पाकर-बो स और स चा स - 1.01
पेनी लकै टर और रॉड टु वट - 0.97

ऊँचाई के आभास को बढ़ाने के लए कुछ रणनी तयाँ


अगर आपका कद कम है तो कई ऐसी रणनी तयाँ ह, जनका इ तेमाल करके आप अपने ऊपर
हावी होने वाले लंबे लोग क ताकत को बेअसर कर सकते ह। अगर आप म हला ह तो यह ब त
मह वपूण है, य क म हलाएँ औसतन पु ष से 2 इंच (5 सेमी) छोट होती ह। ऐसी जगह
चु नए, जहाँ पर आप व भ ऊँचाइय क कु सयाँ रखवाकर वातावरण पर नयं ण रख सकते
ह और लंबे लोग को छोट कु सय पर बैठने को कह सकते ह। बैठने से ऊँचाई बेअसर हो जाती
है, कसी वशालकाय इंसान को कम ऊँचाई के सोफ़े पर बैठाकर उसक ताकत के आभास को
कम कया जा सकता है। मेज़ के वपरीत सर पर बैठने से भी थ त समान हो जाती है और
कसी के ऑ फ़स के दरवाज़े पर टककर बातचीत करने से भी यही होता है, ख़ासकर जब वह
उस समय बैठा आ हो। बीयर बार जैसी कसी सावज नक जगह या भीड़ भरे थान पर
या कार या वमान म बातचीत करने से भी लंबे लोग क यु य को सी मत कया जा सकता
है। अगर कोई रोबीला है या आपके बैठे होने क थ त म आपके सामने खड़ा है, तो आप
उठकर खड़क के नज़द क जाकर बाहर दे खते ए चचा करते रह। ऐसा लगेगा क आप
बातचीत पर गहराई से वचार कर रहे ह और लंबे लोग क ओर न दे ख जाने के कारण उ ह
लंबाई का फ़ायदा नह मल पाएगा। अंत म, ढ़तापूवक अपनी बात रखने से भी कद के अंतर
कम हो जाते ह। इन रणनी तय से आप अपने लंब े कद से ध स जमाने वाल क बराबरी पर
प ँच सकगे और सबके बीच सर उठाकर खड़े रह सकगे।

सारांश
कद के अंतर से र त पर गहरा असर पड़ता है, ले कन ऊँचाई व श अ सर केवल हमारे
आभास होते ह। कम कद के लोग अपने कद का आभास बढ़ा सकते ह और गहरे रंग के कपड़े,
धारीदार सूट या पतलून पहनकर, और ह के, दबे ए मेकअप (म हला के लए) और बड़े
आकार क घ ड़य से लोग को अ धक लंबे इंसान के प म याद रहते ह। घड़ी का आकार
जतना छोटा होगा, उतना ही उस इंसान का भाव कम होगा। सीधे खड़े होकर, और तनकर
चलने से आप आ म व ासी लगते ह और काय-कारण के नयम क वजह से ऐसा करके आप
अ धक आ म व ासी महसूस करगे।
अ याय 17

बैठने क व था – कहाँ बैठ और


‘आराम से बै ठए और मुझे पूरी बात बताइए!’

अ य लोग के सामने आपके बैठने क थ त उनसे कसी काम म सहयोग लेने का एक


असरदार तरीका है। लोग आपके सामने कस जगह पर बैठते ह, इससे आपके त उनके रवैये
का पता चलता है।
1970, 1980 और 1990 के दशक म हमने से मनार श मंडल के सव ण कए, ता क
हम यह जान सक क उनके अनुसार मेज़ पर कस थ त म बैठने से कुछ न त रवैय के
आदान– दान के लए सबसे अ छे प रणाम मलते ह। हमने से मनार म श मंडल के जुड़ाव
और अपने डेटाबेस से सव ण ावली का योग करके यह काम कया। बैठने क व था पर
पहला मुख अ ययन कै लफ़ो नया यू नव सट के मनो व ानी रॉबट सॉमर ने कया। उ ह ने
बार, रे तरां जैसे सावज नक व सामा जक थान म व भ वग के व ा थय व ब च का
व ेषण कया। हमने सॉमर ारा ा त प रणाम को बज़नेस व नेगो सएशन क थ तय म
लागू कया। हालां क सं कृ तय व लोग के बीच के संबंध म कुछ अंतर हो सकता है, फर भी
यहाँ हमने बैठने क उन व था का सारांश दया है, जो आपको अ धकतर थ तय म
दखाई दे ती ह।
अपनी पु तक नॉन–वबल क यु नकेशन इन मन इंटरऐ शन , म वरमॉ ट यू नव सट
के माक नैप ने बताया क बैठने क थ तय का एक सामा य तरीका होता है, ले कन उसके
बावजूद उनके चुनाव म माहौल का असर पड़ सकता है। म यमवग य लोग पर ए शोध से पता
चला कसी सावज नक बार म बैठने क व था कसी बेहतरीन रे तराँ से अलग हो सकती है।
कु सयाँ लगाने क दशा और मेज़ के का फ़ासला, बैठने से जुड़े बताव पर भाव डाल सकता
है। उदाहरण के लए, कोई घ न जोड़ा जहाँ तक संभव हो, एक सरे क बगल म बैठना पसंद
करता है, ले कन कसी भीड़ भरे रे तराँ म जहाँ पर मेज़ ब त नज़द क लगी ह , ऐसे बैठ पाना
मुम कन नह है उस जोड़े को आमने–सामने बैठना पड़ेगा, जो क सामा यतया एक र ा मक
थ त होती है।
इस बात को यान म रखते ए अब हम कामकाज या सामा जक प र थ तय म बैठने
क मुख पसंद दा थ तय को तुत करगे।

मेज़ वाला परी ण कर


मान लेत े ह क आप ए के साथ एक आयाताकार मेज़ पर बैठने वाले ह और आप
बी ह। न न ल खत प र थ तय म आप बैठने क कौन–सी थ त चुनगे :

• एक छोट दो ताना क म क कंपनी म नौकरी के लए कसी का इंटर ू लेने


वाले ह।
• आप वग–पहेली भरने म कसी क मदद करने वाले ह।
• आप कसी के साथ शतरंज खेलने वाले ह।
• आप कसी सावज नक पु तकालय म ह, जहाँ आप कसी से जुड़ना नह चाहते।

अगले च को दे ख और जगह का चुनाव कर। आपके ारा दए गए संभा वत जवाब


इस कार ह गे :

• इंटर ू लेने के लए आप कोने पर यानी बी 1 पर बैठे, य क इससे आप


त पधा मक या आ ामक लगे बना उस को दे ख सकते ह। बी 3 पर
बैठने से भी ऐसा लग सकता है और बी 2 पर बैठने पर आप अ य धक प र चत
लग सकते ह।
• वग–पहेली म मदद करने के लए आपने बी 2 यानी सहयोगा मक थ त को
चुना, य क मदद दे न े या घ न ता बढ़ाने के लए हम यह बैठते ह।
• शतरंज खेलने के लए आपने बी 3 को चुना। इसे त पधा मक/सुर ा मक
थ त कहा जाता है और कसी वरोधी से तयो गता करने के लए हम इसे
चुनते ह, य क इससे हम उसके चेहरे व ग त व धय को प प से दे ख सकते
ह।
• अंत म आपने तरछ थ त को चुना, ता क पु तकालय म आप अ य लोग को
यह बता सक क आप वतं ह और सबसे अलग ह और कसी से आपका
जुड़ाव नह है।
बैठने क बु नयाद थ तयाँ

कोने क थ त (बी 1)
दो ताना, सामा य बातचीत म लगे लोग इस थ त म बैठते ह। यहाँ बैठने से एक– सरे से आँख
का संपक बना रहता है, कई तरह क भाव–भं गमाएँ अपनाई जा सकती ह और सरे के
हावभाव भी दे ख े जा सकते ह। अगर इंसान संकट महसूस करे तो डे क का कनारा आं शक
अवरोध उपल ध करवाता है, इस थ त से मेज़ का े ीय वभाजन नह होता। यह सबसे
सफल रणनी तक थ त है, जससे बी कोई ेज़टे शन दे सकता है। हम मानकर चलते ह
क ए ोता है। अपनी कुस को बी 1 पर ले जाकर आप तनावपूण माहौल को ह का कर
सकते ह और सकारा मक नतीजे क संभावना को बढ़ा सकते ह।

कोने क थ त

सहयोग क थ त (बी 2)
जब दो लोग एक जैसा सोचते ह या कसी काम को एक साथ करते ह, तो यह थ त होती है।
हमने पाया क 55 तशत लोग इस थ त को सबसे सहयोगा मक समझते ह या कसी सरे
इंसान के साथ काम करने को कहे जाने पर सहज ही इसे चुनते ह।
सहयोग क थ त

अपनी बात रखने और उसके वीकार कए जाने क यह सव े थ त है, य क इसम आँख


का संपक होता है और मर रग का अवसर मलता है। तरक ब यह है क बी इस थ त म ऐसे
आए क ए को महसूस न हो क उसके े म घुसपैठ हो रही है। बी ारा कसी तीसरे को
इसम शा मल करने क थ त म भी यह थ त सफल रहती है। उदाहरण के लए, मान ली जए
क कोई से सपसन कसी लायंट के साथ सरा इंटर ू कर रहा है और वह कसी टे नकल
ए सपट का प रचय करवाता है। ऐसे म यह रणनी त काम करेगी :
टे नकल ए सपट लायंट ए के ठ क सामने ब सी पर बैठेगा। से सपसन या तो बी
2 (सहयोगा मक थ त) पर बैठेगा या बी 1 (कोने) पर बैठेगा। इससे वह लायंट के प म हो
सकता है और उसक ओर से टे नकल ए सपट लायंट से पूछ सकता है। इसे ‘ वप का
प लेना‘कहते ह।

तीसरे का प रचय करवाना

त पधा मक/र ा मक थ त (बी 3)


इस व था म त पधा वे टन गन लंगस (प मी दे श म बं क चलाने को त पर ह यारे) क
तरह आमने–सामने बैठते ह। मेज़ पर कसी के सामने बैठने से सुर ा मक,
त पधा मक रवैया पैदा होता है और ऐसे म हर प अपनी बात पर कायम रहता है, य क
मेज़ उनके बीच एक ठोस अवरोधक का काम करती है।
त पधा मक/र ा मक थ त

जवाब दे न े वाले 56 तशत लोग ने ावसा यक मामले म इसे त पधा मक समझा, ले कन


रे तराँ जैसी सामा जक थ तय म 35 तशत लोग ने इसे बातचीत से जुड़ा माना। डे टग के
मामले म यह रे तरां म आमतौर पर दे खी जाने वाली थ त है, ले कन इसका कारण यह है क
वेटस मेज़ को इसी तरह लगाते ह। रे तराँ म बैठे जोड़े के लए यह सही है, य क इससे वे
एक– सरे से नज़र मला पाते ह और ‘ वपरीत‘बैठने क व था कर वपरीत लगी होने के
अंतर को सू म तरीके से उभारते ह। कामकाज के माहौल म त पध लोग यह थ त अपनाते
ह या यह तब होता है जब एक सरे को डाँट रहा हो। य द यह ए के े म है तो ए इसका
इ तेमाल अपनी व र भू मका था पत करने के लए कर सकता है।

कुछ बॉस य नापसंद कए जाते ह


हमने पाया क बज़नेस के मामल म त पधा मक या सुर ा मक थ त म बैठे लोग छोटे
वा य बोलते ह, कही गई बात कम याद रखते ह और उनके बहस करने क संभावना अ धक
होती है।
ए. जी. वाइट ने डॉ टर के कायालय म एक योग कया, जससे पता लगा क डे क
के होने या न होने से इस बात का अंतर पड़ता है क मरीज़ सहज है या नह । डॉ टर के डे क के
सरी ओर बैठने से केवल 10 तशत लोग सहजता से रहे। डे क के न रहने से यह तशत
बढ़कर 55 हो गया। हमने एक योग (पीज़ ड पीज़, 1990) कया, जसम हमने 244 व र
मैनेजर और 127 न न म य तरीय मैनेजर से कहा क वे एक फ़न चर व था का च
बनाएँ, जसे वे नई इमारत म अपने ऑ फ़स म चाहते ह । 76 तशत (185) व र मैनेजर ने
ऐसा च बनाया, जसम उ ह ने अपने और अपने मातहत कमचा रय के बीच डे क बनाए।
केवल 50 तशत न न/ म य तरीय मैनेजर ने ऐसा कया और म हला मैनेजर के मुकाबले
दोगुन े पु ष मैनेजर ने अपने व अ य लोग के बीच डे क क व था का च बनाया।
सबसे यादा दलच प बात यह थी क उनके कमचा रय ने बीच म अवरोध क तरह
डे क न लगाने वाले मैनेजर को कस कार दे खा। ऐसे मैनेजर को अ धक याय य, बना
कसी आलोचना के उनके वचार को सुनने को त पर और अ य लोग के त प पात न करने
वाले के प म दे खा गया।

कसी के ठ क सामने बैठने से असहजता पैदा होती है।


य द बी, ए को मनाना या समझाना चाहता है तो त पधा मक थ त से नेगो सएशन
क सफलता कम हो जाएगी, यह और बात है क बी पूव नयो जत रणनी त के अंतगत सरी
ओर ही बैठना चाहे। उदाहरण के लए, अगर ए मैनेजर है और उसे कमचारी बी को डाँटना है तो
त पधा मक थ त से डाँट–फटकार और गंभीर हो जाएगी। सरी ओर, य द बी चाहता है क
ए को वह े तर महसूस करवाए, तो वह जानबूझकर ए के सीधे सामने बैठ सकता है।
आप चाह कसी भी बज़नेस म ह , अगर वह लोग से जुड़ा है या फर आपको लोग
को भा वत करना है, तो आपका मकसद हमेशा सरे लोग का कोण दे खना होना चा हए,
उसे सहज महसूस करवाना चा हए और यह भी क आपसे संबंध बनाकर वह सही कदम उठा
रहा है। ऐसे म त पधा मक थ त काम नह आती। कोने वाली और सहयोगा मक थ तय
से आपसी सहयोग मल सकता है, जो त पधा क थ त से नह मल सकता। त पधा मक
थ त म बैठने से बातचीत छोट व नपी–तुली होती है।

वतं थ त (बी 4)
इस थ त म तब बैठा जाता है, जब लोग एक– सरे के साथ बातचीत नह करना चाहते।
पु तकालय , पाक क बच या रे तराँ म अजन बय के बीच इसी थ त म बैठा जाता है और
इसका इ तेमाल हम यह बताने के लए करते ह क कैसे कसी वचार के त हम ‘पूरी तरह
वपरीत‘ह। हमारे सवाल का जवाब दे ने वाले 42 तशत लोग ने कहा क इससे यह संदेश
मलता है क कसी क दलच पी नह है और कुछ लोग इसे उदासीनता या श ुता के प म भी
लेत े ह। य द लोग के बीच खुली बातचीत आपका ल य है तो इस थ त से बचना चा हए।

वतं थ त अ य लोग को बताती है क आप उनके साथ शा मल नह होना चाहते

मह वपूण आपक कही बात नह , ब क आपके बैठने का थान है


जैसा क हम बता चुके ह, आयताकार मेज़ लोग के बीच त पधा मक या र ा मक र ता
बनाती है, य क ऐसे म हर के पास बराबर जगह होती है, सामने का बराबर भाग होता है
और अलग कनारे होते ह। इससे हर कोई कसी वषय पर अपनी थ त पर बना रहता है और
मेज़ के आरपार हर कसी को नज़र मलाए रखने का मौका मलता है। छोट और नपी–तुली
बातचीत या व र –मातहत संबंध बनाने के लए वगाकार मेज़ आदश होती है। ऐसे म अ धकांश
सहयोग आपक बगल म बैठे इंसान से आता है और आपक दाई ओर बैठा इंसान बाई ओर बैठे
से अ धक सहयोगी सा बत होता है।
ऐ तहा सक तौर पर इस बात क संभावना कम होती है क आपक दाई ओर बैठा
अपने बाएं हाथ से आपको सफलतापूवक मार सके, इस लए दाई ओर बैठे इंसान का प
अ धक लया जाता है और बाक लोग को अवचेतन तौर पर लगता है क उसके पास बाई ओर
बैठे इंसान से अ धक श है। ठ क सामने गन लंगर क थ त म बैठा सबसे अ धक
तरोध करता है और जब चार लोग बैठते ह तो हर कसी के सामने कोई न कोई बैठता है।

वगाकार मेज़ पर हर कोई त पधा मक और कोने क थ तय म बैठता है

कग आथर का तरीका
कग आथर अपने हर नाइट (सामंत) को बराबर अ धकार व ओहदा दे न े के लए गोलाकार मेज़
का इ तेमाल करता था। गोलाकार मेज़ राहत भरी औपचा रकता का वातावरण बनाती है और
समान दज के लोग के बीच बातचीत को बढ़ावा दे ने के लए उपयु है, य क ऐसे म हर
मेज़ के समान े पर अ धकार जता सकता है। वृत नयाभर म एकता व श का
तीक बन गया है और उसके चार ओर बैठने से यही भाव पैदा होता है। बद क़ मती से कग
आथर को नह पता था क य द समूह के लोग के दज म अंतर है तो गोलाकार मेज़ सामू हक
श के आयाम को बदल सकती है। राजा सवा धक श शाली था, जसका अथ था क
उसके दाएँ–बाएँ बैठे नाइट् स को उसके बाद के म म चुपचाप श शाली मान लया गया और
दाई ओर बैठे नाइट को बाई ओर वाले के मुकाबले यादा ताकतवर मान लया गया। राजा से
री के आधार पर नाइट् स क श कम होती गई।

गोलाकार मेज़ पर बैठा ऊँचे दज का श वतरण को बगाड़ दे ता है


कग आथर के ठ क सामने बैठा नाइट दरअसल त पधा मक/ सुर ा मक थ त म था और
उसके ारा सबसे यादा मु कल खड़ी कए जाने क आशंका थी। 68 तशत लोग ने गोल
मेज़ पर अपने ठ क सामने बैठे को सबसे यादा बहस करने वाले या त पधा मक प
म दे खा। 56 तशत लोग ने कहा क ठ क सामने बैठने क थ त का इ तेमाल, शा मल न होने
या दलच पी क कमी होने के प म कया जा सकता है, जैसा क सावज नक पु तकालय म
होता है। कसी इंसान के साथ बैठने क थ त म 71 तशत लोग का मानना था क वे दोन
दो ताना बातचीत कर रहे ह या एक– सरे से सहयोग कर रहे ह।
आज के अ धकतर बज़नेस ए ज़ी यू टव आयताकार, वगाकार या गोल मेज़ का
इ तेमाल करते ह। आमतौर पर कामकाज क आयताकार, मेज़ का इ तेमाल ावसा यक
ग त व ध, सं त बातचीत कसी को झड़कने या इसी तरह के काम म कया जाता है। अ सर
कॉफ़ टे बल के प म यु गोल मेज़ के आसपास नीची कु सयाँ लगी होती ह और इसका
इ तेमाल अनौपचा रक आरामदे ह वातावरण बनाने के लए या कसी को राज़ी करने के लए
कया जाता है। यह अ सर लोकतां क व था वाले प रवार या फर ऐसे घर म होती ह जहाँ
पर अ भभावक भु वशाली नह होता।

दो लोग को बातचीत म शा मल रखना


मान ली जए क आप सी ह और आप ए व बी से बात करने वाले ह। आप सभी
एक गोल मेज़ पर कोणाकार थ त म बैठे ह। मान ली जए क ए बातूनी है और कई
सवाल पूछता है, जब क बी चुपचाप बैठा रहता है। ए ारा आपसे कए जाने पर आप उसे
कैसे जवाब दगे और बी को बातचीत से बाहर कए बना कैसे उसे जारी रखगे? आप इस
साधारण सी, ले कन शा मल करने क भावी तकनीक का इ तेमाल कर सकते ह : ए ारा
पूछे जाने पर उसे दे खते ए जवाब दे ना शु कर और फर बी क ओर सर घुमाएँ, उसके बाद ए
क ओर तथा फर अपनी बात पूरी करते ए बी को दे ख और आ ख़र म ए पर आकर अपना
वा य पूरा कर।
इस तरीके से बी को महसूस होगा क वह बातचीत म शा मल है और अगर आप बी को
अपनी ओर करना चाहते ह तो यह तरीका कारगर रहेगा।

उ र दे त े ए दोन प को बातचीत म शा मल रखना

आयताकार बोड मेज़


हर सं कृ त म यह दे खा गया है क आयताकार मेज़ पर बैठे सभी लोग का दजा एक समान होने
के बावजूद ए थ त सबसे अ धक भावशाली होती है। बराबर दज के लोग क बैठक म ए पर
बैठा इंसान सबसे अ धक भावशाली होगा, यहाँ हम मानकर चल रहे ह क उसक पीठ दरवाज़े
क ओर नह होगी।

आयताकार मेज़ पर श शाली थ त

य द ए क पीठ दरवाज़े क तरफ़ हो तो बी पर बैठा सबसे भावशाली होगा और ए को


कड़ी ट कर दे गा। ॉटबेक और क ने योग के तौर पर कुछ नणय स म तय के काम पर गौर
कया। उ ह ने पाया क मुख थ त पर बैठे इंसान को अ सर बाक लोग क तुलना म अ धक
बार नेता चुना गया, वशेषकर जब यह भी माना गया क वह उ च आ थक वग से संबं धत है।
मान ली जए क ए सव े श शाली थ त म है, बी उसके बाद के म म है और फर
डी व सी ह। ए और बी थ त को काय करने क थ त माना जाता है, जब क माना जाता है क
डी पर कोई भावना मक जैसे अ सर कोई म हला बैठ होगी, जसका सरोकार समूह के
संबंध व लोग को भाग लेने के लए बढ़ावा दे ना होता है। इस जानकारी से बैठक म होने वाले
स ा संघष को भा वत करना मुम कन हो सकता है। कु सय पर आप जन लोग को बैठाना
चाहते ह, उनके नाम के ब ले आप वहाँ पर लगा सकते ह। इससे आप बैठक क ग त व धय
को कुछ हद तक नयं त कर सकते ह।

श क के य छा हमेशा बाई ओर य बैठते ह


ऑरेगन यू नव सट के शोधकता ने पाया क जब लोग बाएँ के बजाय अपने दाएँ े म
चीज़ दे खते ह तो वे तीन गुना अ धक जानकारी को याद रख पाते ह। उनके अ ययन म कहा
गया है क आप जब सर को ेज़टे शन दे रहे होते ह तो सरे के मुकाबले आपका एक प
बेहतर होता है। इस शोध के मुता बक आपका बेहतर प आपका बायाँ ह सा होता है, य क
वह सरे के दाएँ े म होता है।

अ ययन बताते ह क कसी भी ेज़टे शन को दे न े के लए


आपका बायाँ ह सा सबसे ब ढ़या रहता है।

ऑ टै रयो इं ट ूट फॉर टडीज़ इन एजुकेशन के डा. जान कशनर ने श क का अ ययन


कया और इस बात को दज कया क वे 15 मनट तक हर 30 सेकड म कधर दे खते ह। उ ह ने
पाया क वे अ सर अपनी दाई ओर मौजूद छा को अनदे खा करते ह। अ ययन से पता चला
क 44 तशत समय अ यापक ने सामने क ओर, 39 तशत समय बाई और तथा सफ़ 17
तशत समय अपनी दा ओर दे खा यह भी पाया गया क पे लग टे ट म दाई ओर बैठने वाले
छा के मुकाबले बाई ओर बैठे छा का दशन बेहतर रहा और उ ह दाई तरफ़ बैठे छा से
सज़ा भी कम मली। अपने शोध म हमने पाया क से सपसन ारा ाहक के बाई ओर बैठने पर
यादा सौदे होते ह। अपने ब चे को कूल भेजते समय उसे बताएँ क वह अपने अ यापक के
बाई ओर बैठने क को शश करे ले कन बड़े होने पर उ ह बताएँ क बॉस क दाई ओर बैठने वाले
को कतना ताकतवर माना जाता है।

घर म श का खेल
कसी प रवार क डाइ नग टे बल के आकार से उस प रवार म श – वभाजन का संकेत मल
सकता है, हम मानकर चल रहे ह क डाइ नग म म कसी भी आकार क मेज़ आ सकती है
और ब त सोच–समझकर उस आकार क मेज़ को चुना गया होगा। ‘खुल‘े मज़ाज के प रवार
गोल मेज़ चुनते ह, जब क ‘संक ण‘सोच के प रवार वगाकार मेज़ और ‘तानाशाही‘रवैय े के
प रवार आयाताकार मेज़ को चुनते ह।
अगली बार कसी डनर पाट म जाने पर इस योग को आज़माएँ : सबसे शम ले,
सबसे अ धक अंतमुखी मेहमान को मेज़ के शीष थान पर, दरवाज़े से र बैठाएँ और ऐसे म
उसक पीठ द वार से र हो। आपको आ य होगा क कस तरह से सफ़ भावशाली जगह पर
बैठने से उस को भु वशाली ढं ग से बातचीत करने का ो साहन मलेगा और कस कार
अ य लोग भी उस पर अ धक यान दे ने लगगे।

दशक को कैसे लाया जाए


द बुक ऑफ़ ल ट् स मानव वहार के बारे म हर तरह क जानकारी दे ती है और बताती है क
लोग के बीच बोलना इंसान का सबसे बड़ा भय होता है और मौत का डर औसत प से सातव
म पर आता है। इसका मतलब है क अगर आप कसी शोक सभा म गए ह तो शोक संदेश
पढ़ने के बजाय उस ताबूत म आप बेहतर महसूस करगे।
अगर आपको कभी भी लोग को संबो धत करने को कहा जाए तो यह समझना ज़ री
है क ोता कैसे जानकारी ा त करते ह और उसे कैसे याद रखते ह। सबसे पहले, लोग को यह
कभी न बताएँ क आप घबरा रहे ह या डरे ए ह, य क ऐसा करने पर वे आपके घबराहट भरे
हाव–भाव खोजने लगगे और वे उनक पकड़ म आ भी जाएँग।े आपके ारा न बताए जाने पर वे
कभी आपक घबराहट के बारे म नह जान पाएँगे। सरे, भले ही आप डरे ए ह , ले कन बात
करते ए आ म व ास से जुड़ी मु ाएँ अपनाएँ। ट पल मु ाएँ अपनाएँ, हथे लय क खुली व
बंद थतयाँ अपनाएँ, कभी–कभार अँगठ ू ा बाहर क ओर नकाल और अपनी बाँह न मोड़।
ोता क ओर संकेत करने, बाँह मोड़ने, चेहरे को छू ने और पाठमंच या ले टन को पकड़ने से
बच। अ ययन बताते ह क पहली कतार म बैठे दशक अ य लोग के मुकाबले यादा बात
सीखते व याद रखते ह, आं शक तौर पर इसका कारण यह है क अगली कतार के लोग सीखने
म अ धक दलच पी लेत े ह और अलग से चुन े जाने से बचने के लए व ा पर अ धक गौर करते
ह।
पहली कतार म बैठे लोग यादा सीखते ह, उनक भागीदारी अ धक
होती है और वे अ धक उ साही होते ह।

बीच के ह से म बैठे यान दे न े के मामले म उसके बाद के म म आते ह और सबसे अ धक


सवाल पूछते ह, य क लोग से घरे इस ह से को सबसे सुर त माना जाता है। कनार पर
बैठे और पीछे के ोता सबसे कम यान दे त े ह व त या करते ह। जब आप दशक के बाएँ
यानी मंच क दाई ओर खड़े होते ह तो आपक बात का दशक के म त क के दाएँ ह से पर
अ धक भाव पड़ेगा, जो क अ धकतर लोग का भावना मक प होता है। दशक क दाई
तरफ़ यानी मंच क बाई ओर खड़े रहने से उनके म त क के बाएँ ह से पर अ धक असर होता
है। यही कारण है क मंच के बाई ओर खड़े रहकर जब आप कोई हा य द बात कहगे तो लोग
यादा और दे र तक हँसगे। मंच के दाई ओर से जब आप भावना मक बात और क से सुनाएँगे
तो लोग क त या बेहतर होगी। कई दशक से हा य कलाकार इस त य को जानते ह क
बाई ओर से लोग को हँसाया जा सकता है और दाई ओर से उ ह लाया जा सकता है।

यान दे न े का े
रॉबट सॉमर और ऐड स व बडल जैसे शोधकता के मानदं ड को अपनाते ए हमने दशक
का एक अ ययन कया, जसम हमने इस बात पर यान दया क क से मनार क म बैठने क
जगह के आधार पर डे लगेट्स क सहभा गता कतनी रही और ेज़टर क कही बात उ ह
कतनी याद रही। आ यजनक प से हमारे प रणाम रॉबट सॉमर के मूल अ ययन जैस े ही रहे,
हालाँ क हमारे अ ययन म भाग लेने वाले लोग वय क थे जब क सॉमर ने व ा थय का
अ ययन कया था। हम ऑ े लया, सगापुर, द ण अ का, जमनी, टे न, ांस और
फ़नलड के लोग के बीच कुछ सां कृ तक अंतर दखाई दए। अ धकतर थान पर, वशेषकर
जापान म, ऊँचे दज के लोग पहली कतार म बैठे और उनक भागीदारी सबसे कम रही, इस लए
हमने दशक के उ ह आँकड़ को दज कया, जहाँ पर डे लगेट्स समान दज के थे। इससे मले
प रणाम को हमने ‘फ़नल इफ़े ट‘कहा।
उप थ त लोग ारा उनके बैठने क जगह के चुनाव के आधार पर जानकारी याद
रखना और उनक भागीदारी (पीज़, 1986)

जैसा क आप दे ख सकते ह, जब भाग लेने वाले क ा म बैठने के तरीके से बैठते ह, तो फ़नल


के आकार का एक ‘ल नग ज़ोन‘यानी सीखने का े बन जाता है, जसका व तार दशक के
ठ क बीच बीच और अगली कतार के पार होता है। ‘फ़नल‘म बैठे ए लोग क भागीदारी सबसे
यादा होती है, वे ेज़टर से सबसे यादा बातचीत करते ह और ेज़टे शन म बताई बात उ ह
सबसे यादा याद रहती ह। सबसे कम भाग लेन े वाले लोग या तो पीछे बैठे थे या कनारे पर थे,
वे अ धक नकारा मक या फर झगड़ालू थे और उ ह बात भी कम याद रह । पीछे बैठने से
डे लगेट्स को बेमतलब सोचने, सोने या बच नकलने के मौके भी मलते ह।

सीखने से जुड़ा एक योग


हम जानते ह क जो लोग सीखने को लेकर सबसे अ धक उ साही होते ह, वे आगे बैठना पसंद
करते ह और जो सबसे कम दलच पी लेत े ह, वे पीछे या फर कनार पर बैठते ह। हमने एक
और योग यह जानने के लए कया क या फ़नल इफ़े ट लोग ारा उस वषय म दलच पी
के आधार पर बैठने क जगह के चुनाव का प रणाम है या फर लोग ारा जगह के चुनाव का
असर उनक भागीदारी व बात याद करने क मता पर पड़ता है। हमने डे लगेट्स क कु सय
पर नाम के काड लगा दए, ता क वे अपनी सामा य जगह पर न बैठ सक। हमने जानबूझकर
उ साही लोग को कनार पर और कमरे के पछले भाग म बैठाया और अ सर पछली सीट पर
बैठने वाल को आगे बैठाया। हमने पाया क इस तरीके से न केवल भागीदारी बढ़ , ब क
सामा यतया नकारा मक रवैया रखने वाले लोग को आगे बैठाने पर उ ह बात भी याद रह ।
इससे पढ़ने क ब त प रणनी त व श तौर पर उभरती है। – अगर आप सचमुच चाहते ह
क कोई आपक बात समझे तो उ ह आगे बैठाएँ। कुछ ेज़टस व श क ने छोटे समूह को
श ण दे ने के लए लास म टाइल‘को छोड़ दया है। इसके बजाय वे ‘हॉसहोल‘या ‘ओपन
वैयर‘क व था अपनाते ह, य क माण बताते ह क भाग लेन े वाले लोग के बीच और
उनके तथा व ा के बीच आँख के बढ़ते संपक के कारण भागीदारी बढ़ती है और सुनी गई बात
भी यादा याद रहती ह।

रा भोज करते ए नणय पर प ँचना


इंसान के इलाके और वगाकार, आयताकार व गोलाकार मेज़ के इ तेमाल के बारे म बताई गई
बात को यान म रखते ए, अब खाने के लए कसी रे तराँ म जाने क बात पर वचार करते ह,
ले कन यहाँ आपका मकसद कसी ताव पर सकारा मक त या लेना है।
अगर आप भोजन करते ए बज़नेस करना चाहते ह तो समझदारी इसम है क आप
अ धकांश बातचीत खाना आने से पहले कर ल। एक बार खाना शु करने पर बातचीत क
जाती है और ए कोहल दमाग़ को धीमा कर दे ता है। खाना खाने के बाद आपका पेट र को
म त क से र ले जाकर पाचन म मदद करता है, जससे लोग को प प से सोचने म
मु कल होती है। कुछ लोग जहाँ डेट पर आई म हला पर ऐसे असर क उ मीद करते ह, वह
बज़नेस म यह नुकसानदे ह हो सकता है। अपना ताव उस समय तुत कर, जब हर
मान सक प से सचेत हो।

कोई भी अपने फैसले को मु कल नह बनाना चाहता।

हज़ार साल पहले, हमारा पूवज मानव शाम हो जाने पर अपने शकार के साथ लौटता था और
अपने समूह के साथ अपनी गुफा म उसे मल–बाँटकर खाता था। गुफा के वेश ार पर शकारी
जानवर को भगाने और गमाहट पाने के लए आग जलाई जाती थी। हर कोई गुफा क द वार
पर टक कर बैठता था, ता क उसके खाना खाने के दौरान पीछे से कसी हमले क आशंका न
रहे। ऐसे म सफ़ चीरने–फाड़ने और आग क चगा रय क आवाज़ सुनाई दे ती थ । आग के
आसपास मल–बैठकर खाना बाँटने क यह ाचीन या एक सामा जक घटना क शु आत
थी और आधु नक इंसान आज बारबे यू, घर से बाहर खाना पकाने व डनर पा टय म इसी को
दोहराता है। ऐसे म उसका बताव ठ क वैसा ही रहता है, जैसा क हज़ार साल पहले रहता था।
अब हम अपनी रे तराँ या डनर पाट क बात कर तो अपने प म कोई नणय
करवाना तब आसान होता है, जब सरा आराम से हो और उसका र ा मक चौक ापन
कम हो। इस ल य को पाने और हमारे पूवज के बारे म बताई गई बात को यान म रखते ए,
कुछ सामा य नमय का पालन कया जाना चा हए।
पहला, आप चाहे घर म खाना खा रहे ह या कस रे तराँ म ह तो यान रख क सरे
क पीठ मज़बूत द वार या कसी न क ओर हो। शोध बताते ह क जब कसी
क पीठ खुली जगह क ओर होती है, ख़ासकर जब वहाँ पर लोग क चहल–पहल हो तो सन,
दयग त, म त क क तरंग क आवृ और र चाप तेज़ी से बढ़ता है। यह तनाव तब और
बढ़ जाता है जब उस क पीठ ज़मीन के तर पर मौजूद खुल े दरवाज़े या खड़क क ओर
हो। यह जगह उस को बैठाने के लए सही होगी, जसे आप हतो सा हत करना या
गड़बड़ा दे ना चाहते ह । सरा, ब याँ मंद होनी चा हए और पृ भू म म ह का–सा संगीत बजना
चा हए, ता क मन शांत हो जाए। कई बड़े रे तरां म ाचीन काल म गुफा क दावत म जलने
वाली आग का भाव तैयार करने के लए खुल े फ़ायर लेस होते ह या वेश ार के पास नकली
आग रखी जाती है। अ छा होगा क गोल मेज़ उपयोग म लाई जाए और सरे को अ य
लोग न दख व आपक बात पर उसका यान रहे, इसके लए कसी न या बड़े पौधे का
इ तेमाल कया जा सकता है।
बड़े रे तराँ म साधारण–से भोजन के लए अपने ाहक से यादा पैसा वसूलने के लए
आराम प ँचाने क यही तकनीक अपनाई जाती ह और पु ष हज़ार वष से अपनी े मका
के लए रोमां टक वातावरण बनाने के लए इनका इ तेमाल करते रहे ह। ऐसे हालात म कसी
को अपने प म करना आसान है, जब क तेज़ रोशनी, खुली जगह म मेज़–कुस लगने और
लट व छु री–काँट क आवाज़ के बीच ऐसा करना काफ़ मु कल हो सकता है।

सारांश
बैठने क व था संयोगवश नह होनी चा हए; कुछ न त लोग को न त थान पर बैठाने से
कसी बैठक का प रणाम भा वत हो सकता है। अगली बार जब आप कसी के साथ मी टग म
जाएँ तो ख़ुद से पूछ : आप कसे सबसे अ धक भा वत करना चाहते ह और इसे पाने के लए
कस जगह पर बैठना सबसे उपयु रहेगा? कसके ारा बहस या वरोध करने क आशंका हो
सकती है? अगर कोई नेता नह चुना गया है, तो सबसे श शाली थ त पर कसने अपना दावा
पेश कया है? अगर आप नयं ण करना चाहते ह, तो आपको कहाँ बैठना चा हए? इन के
उ र न केवल आपको ज़बरद त बढ़त दगे, ब क बाक लोग को मी टग म भुता जमाने व
नयं ण करने से रोकगे।
अ याय 18

सा ा कार, श – दशन और
कायालय क राजनी त
ऐडम ने इस संदेह के साथ इंटर ू छोड़ा क उसका दशन ख़राब रहा है। या उसक
कही बात ने खेल बगाड़ दया? या शायद उसके चॉकलेट ाउन सूट, छोट दाढ़ , कान
के बूंदे और ज़ रत से यादा भरा ीफ़केस उ ह पसंद नह आया? या कह वह ग़लत
कुस पर तो नह बैठ गया?

नौकरी के अ धकतर इंटर ू थ होते ह, य क अ ययन से पता चला है क इंटर ू लेन े वाले
ारा उ मीदवार को पसंद कए जाने और उ ह नौकरी मलने या न मलने के बीच गहरा संबंध
होता है। अंततः श ा व काम से जुड़े जानकारी, जो क उ मीदवार के दशन का अ छा पैमाना
है, उसे भुला दया जाता है। इंटर ू लेन े वाले पर पड़े उ मीदवार के भाव को याद रखा जाता
है।

पहला भाव बज़नेस क नया म ‘पहली नज़र म यार’ जैसा है।

टॉ लडो यू नव सट के ोफ़ेसर क ब नयरी ने व भ आयुवग व पृ भू म के उ मीदवार के


20 मनट के इंटर ू म दशन का व ेषण कया, जसम इंटर ू लेन े वाल को कहा गया क
वे मह वाकां ा, बु म ा व यो यता के आधार पर उ मीदवार का मू याँकन कर। फर े क
के एक समूह को हर इंटर ू के शु आती 15 सेकड क फ़टे ज दखाई गई। प रणाम पता चला
क े क पर पड़ा 15 सेकड का भाव और इंटर ूअर पर पड़ी छाप लगभग समान थी। इस
अ ययन से यही सा बत आ क पहला भाव डालने के लए आपको सरा अवसर नह
मलता और आपका हाथ मलाना व समूचे शारी रक हावभाव, प रणाम पर प ँचने म नणायक
भू मका नभाते ह।

जे स बॉ ड य कूल, शांत और संय मत लगता है


भाषा – शा के े म ए शोध कसी के ओहदे , ताकत व त ा और उसके शा दक
भंडार के बीच सीधा संबंध बताते ह। कोई इंसान सामा जक या बंधन क ेणी म जतना ऊपर
होगा, वह उतनी अ छ तरह श द एवं वा यांश से सर तक अपनी बात प ँचा सकेगा।
शारी रक हावभाव से संबं धत शोध से भाषा पर कसी के अ धकार और अपनी बात
प ँचाने के लए यु मु ा क बीच संबंध उजागर आ है। उ च दज का अपनी बात
कहने के लए अपनी श दावली के भंडार का इ तेमाल करेगा, जब क कम पढ़ा लखा, कम
नरमंद, नचले दज का इंसान श द के बजाय अपनी मु ा पर अ धक नभर करेगा। उसके
पास पया त श द नह होते, इस लए वह हावभाव जताकर उनक कमी को पूरी करता है।
सामा य नयम के अंतगत सामा जक–आ थक तर पर इंसान जतना ऊपर जाएगा, उसके ारा
हावभाव तथा शारी रक मु ा के योग क संभावना उतनी ही कम होगी।
पेशल एजट जे स बॉ ड शारी रक मु ा के यूनतम इ तेमाल से इन स ांत का
भावशाली तरीके से इ तेमाल करता है, ख़ासकर जब वह दबाव म होता है। जब बुर े लोग उस
पर हावी होने क को शश करते ह, उसका अपमान होता है या वह नशाने पर होता है तो ऐसी
थ त म वह शरीर को हलाता नह है और छोटे , एक जैसे वा य बोलता है।
जे स बॉ ड इतना कूल था क दस–दस खलनायक को मारने के
तुरंत बाद अपनी े मका से मलन कर सकता था।

उ च दज के लोग ‘अपना आपा नह खोते’, यानी वे अपनी भावनाएँ कम से कम उजागर करते


ह। जम कैरी जैस े अ भनेता इसके वपरीत ह–वे अ सर उ साहपूण भू मकाएँ नभाते ह और
ताकत क कमी को उभारते ह; वे अ सर श हीन, लोग क ध स म आए इंसान क भू मका
नभाते ह।

ज़ोरदार पहला भाव छोड़ने के नौ सुनहरे उपाय


मान ली जए क आप कसी इंटर ू के लए जा रहे ह और अपनी पहली सबसे अ छ छाप
छोड़ना चाहते ह। यह बात यान रहे क अ य लोग शु आती चार मनट म ही आपके बारे म
अपनी 90 तशत राय बना लेते ह और 60 से 80 तशत तक आपका असर नॉन–वबल होता
है।
यहाँ 9 सुनहरे उपाय दए जा रहे ह, ता क आप इंटर ू म पहली बार अ छा भाव छोड़
सक :

1. रसे शन ए रया म
य द संभव हो तो अपने बाहरी कपड़े नकालकर रसे श न ट को दे द। कसी भी द तर म
फ़ालतू का सामान ले जाने से बच, जससे आपसे चूक हो सकती है और आप अकुशल लग
सकते ह। रसे शन क जगह पर कभी न बैठ और हमेशा खड़े रह। रसे श न ट आपको बैठने के
लए कह सकती ह, य क बैठ जाने पर आप उनक नज़र से र हो जाते ह और उ ह आपसे
नपटना नह पड़ता। अपने हाथ को पीठ के पीछे मोड़कर (आ म व ास) रख और अपने पैर
पर धीरे–धीरे आगे–पीछे (आ म व ासी एवं नयं त प से) ह या ट पल मु ा अपनाएँ। इस
शारी रक हावभाव से रसे श न ट को यान रहेगा क आप वहाँ पर इंतज़ार कर रहे ह। टै स
ऑ फ़स म ऐसा कभी न कर।

2. वेश
आपके वेश के तरीके से आपके साथ होने वाला बताव तय होता है। रसे श न ट ारा अंदर
जाने का संकेत दए जाने पर न संकोच अंदर जाएँ। हेडमा टर से मलने आए कसी शरारती
कूली ब चे क तरह दरवाज़े पर खड़े न रह। जब आप कसी के ऑ फ़स के दरवाज़े से
होकर अंदर जाते ह तो अपनी ग त बनाकर रख। आ म व ास न रखने वाले लोग अपनी ग त
बदलते ह और अंदर जाते ए पैर घसीटते लगते ह।

3. तरीका
चाहे वह फ़ोन पर ही य न हो, अपनी दराज़ टटोल रहा हो या जूत े के फ ते बाँध रहा हो,
आप सीधे आ म व ास के साथ आगे बढ़। अपना ीफ़केस, फ़ो डर या आपके हाथ म जो भी
हो, उसे रख उस से हाथ मलाकर तुरंत अपनी जगह पर बैठ जाएँ। सरे को दे खने
द क आप ऑ फ़स म आ म व ास से आने के आद ह और आप इंतज़ार करते रहने क
अपे ा नह करते। धीमी ग त से चलने या लंबे डग भरने वाले लोग यह बताते ह क उनके पास
काफ़ व त है और उस काम म उनक च नह है, या फर उनके पास कुछ और करने को नह
है। रटायर हो चुके करोड़प त और लो रडा व वी सलड म रहने वाले लोग के लए यह
ठ क हो सकता है, ले कन उस इंसान के लए यह सही नह है जो श , भुता या मता का
संदेश दे ना चाहता है या बताना चाहता है क वह सेहतमंद है और संभा वत साथी हो सकता है।
भावशाली लोग और जो लोग अपनी ओर यान ख चना चाहते ह, वे म यम ग त पर म यम
कदम से आगे बढ़ते ह।

4. हाथ मलाना
अपनी हथेली सीधी रख और जतनी ज़ोर से उसे सामने वाला पकड़ता है, उतना ही दबाव हाथ
मलाने वाले के हाथ पर डाल। सरे को हडशेक समा त करने का फ़ैसला लेने द। हथेली
नीचे करके कए जाने वाले हडशेक से बचने के लए आयताकार डे क के बाई ओर से आगे बढ़।
डे क के आरपार हाथ न मलाएँ। शु आती 15 सेकड म उस का नाम दो बार ल और 30
सेकड से अ धक समय तक लगातार बात न कर।

5. बैठने पर
अगर आपको ठ क सामने नीची कुस पर बैठाया जाता है, तो ‘डाँट‘क थ त से बचने के लए
कुस को उस से 45 ड ी क ओर मोड़ ल। अगर आप कुस को इस कोण पर नह ला
सकते तो अपने शरीर को इस कोण पर मोड़ ल।

6. बैठने क जगह
य द आपको कसी के द तर के अनौपचा रक थान, जैस े क कॉफ़ टे बल पर बैठने के
लए कहा जाता है, तो यह सकारा मक च है, य क 95 तशत बज़नेस ताव डे क के
पीछे से ठु कराए जाते ह। कभी भी इतने नचले सोफ़े पर न बैठ, जस पर बैठकर आपक टाँग
तो वशालकाय लग, ले कन आपका सर ब त छोटा लगने लगे। य द ज़ री हो तो कनारे पर
सीधे बैठ, ता क आप अपने शरीर के हावभाव व मु ा को नयं त कर सक, ऐसे म अपने
शरीर को सरे से 45 ड ी के कोण पर रख।

7. आपके हावभाव
जो लोग कूल, शांत, संय मत होते ह और अपनी भावना पर नयं ण रखते ह, वे प ,
सामा य व सोच– वचारकर ग त व धयाँ करते ह। उ च दज के लोग न न दज के लोग से कम
मु ाएँ इ तेमाल म लाते ह। यह एक ाचीन नेगो शए टग तरीका है क श शाली लोग को
यादा हलना–डु लना नह पड़ता। यह बात यान म रख क पूव यूरोपीय लोग प मी यूरोप के
लोग के मुकाबले कोहनी से नीचे के ह से का यादा इ तेमाल करते ह, जब क द ण यूरोपीय
अपनी पूरी बाँह और कंध का अ धक योग करते ह। जब उ चत हो, तब सामने वाले
क मु ा और हावभाव को त ब बत कर।
8. फ़ासला
सरे के पसनल पेस यानी नजी े का स मान कर, जो क बैठक के शु आती पल म
सबसे बड़ा होगा। अगर आप यादा नज़द क गए तो वह पीछे क ओर टककर, र
झुककर या उँग लय को मेज़ पर बजाने जैसी बार–बार क जाने वाली हरकत से अपनी
त या करेगा। नयम यह है क आप प र चत लोग के नज़द क जा सकते ह, ले कन
नए लोग से र रहना चा हए। पु ष सामा यतया साथ काम करने वाली म हला के नज़द क
जाते ह, जब क म हलाएँ आमतौर पर पु ष से र जाती ह। अपनी उ के लोग के नज़द क
जाएँ, ले कन काफ़ बूढ़े या युवा लोग से री बनाए रख।

9. बाहर नकलना
ज दबाज़ी करने के बजाय शां त से व सावधानी से अपना सामान उठाएँ और संभव हो तो हाथ
मलाकर मुड़ और बाहर नकल जाएँ। अगर आपके अंदर आते समय दरवाज़ा बंद था, तो बाहर
नकलते ए उसे बंद कर द। बाहर नकलते ए लोग आपको पीछे से दे खते ह, इस लए अगर
आप पु ष ह तो सु न त कर ल क आपको जूते का पछला ह सा चमकदार हो। ब त से
पु ष इसे अनदे खा करते ह, ले कन म हला इंटर ूअर इस पर आलोचना मक रवैया रखती ह।
एक म हला बाहर जाते ए अपने पैर दरवाज़े क ओर करती है और अपने कपड़े व बाल ठ क
करती है, ता क नकलते समय उसका पछला ह सा भी अ छा भाव छोड़े। जैसा क पहले भी
बताया जा चुका है, आप इस बात को पसंद कर या नह ले कन छपे ए कैमरे दखाते ह क
जब कोई म हला बाहर नकलती है तो लोग उसके पीछे के ह से पर गौर करते ह। दरवाज़े पर
प ँचकर धीरे से पीछे मुड़कर मु कुराएँ। बेहतर होगा क वे आपके पछले ह से के बजाय
आपका मु कुराता चेहरा याद रख।

जब कोई आपसे इंतज़ार करवाता है


अगर कोई आपको 20 मनट से यादा दे र इंतज़ार करवाता है तो इसका मतलब है क या तो
वह अ व थत है या यह श दशन भी हो सकता है। कसी को इंतज़ार करवाना उसके दज
को कम करने और इंतज़ार करवाने वाले के दज को बढ़ाने का एक भावी तरीका है। इसी
भाव को रे तराँ या सनेमा क लंबी कतार म दे खा जा सकता है हर कसी को लगता है क
इंतज़ार का अ छा नतीजा मलेगा, वरना लोग इंतज़ार य करगे?
अपने साथ कोई कताब, पीडीए (पसनल ड जटल अ स टट), लैपटॉप या द तर का
काम ले जाएँ, ता क लगे क आप भी त ह और इस असु वधा के लए तैयार नह ह। जब
आपको इंतज़ार करवाने वाला इंसान आपसे मलने बाहर आए तो उसे पहले बोलने द, अपने
काम से धीरे से सर उठाकर उसका अ भवादन कर और फर आराम व आ म व ास से अपना
सामान समेट। इंतज़ार करते समय एक और ब ढ़या तरीका यह है क अपने व ीय काग़ज़ात व
कैलकुलेटर नकाल और हसाब– कताब करने लग। जब आपको अंदर जाने का बुलावा आए तो
कह, ‘मुझ े एक मनट द जए, म इस हसाब को पूरा कर लू।ँ ‘या आप अपने मोबाइल से फोन
कर सकते ह। यहाँ पर आप प संदेश दे रहे ह क आप ब त त ह और उनक
अ व था से असु वधा म नह ह। अगर आपको संदेह हो क सरा श दशन कर रहा
है तो यह बंदोब त कर क मी टग के दौरान आपके लए कोई ज़ री फोन आए। फर कॉल
लेकर ऊँचे वर म बड़ी रकम का ज़ कर, एक–दो जाने–माने लोग के नाम ज़ र ल और
कॉलर को कह क जतना ज द हो सके आपको सारी बात बताए। फोन रखकर उसके लए
माफ़ माँग और बातचीत जारी रख जैसे क कुछ आ ही न हो। जे स बॉ ड के मामले म यह
कारगर रहता है, आपके भी ज़ र काम आएगा।
अगर सरा मी टग के दौरान फोन कॉल लेता है या तीसरा आकर लंबी
बातचीत शु कर दे ता है तो आप भी अपनी कताब या काम नकालकर उसे पढ़ना शु कर द।
इससे उ ह एकांत मलेगा और लगेगा क आप अपना समय बबाद नह करते। अगर आपको
लगे क वह यह जानबूझकर कर रहा है तो अपना मोबाइल नकालकर कई मह वपूण
फोन कर और अपनी पहले क गई बातचीत पर नई जानकारी ल।

तब तक ढ ग कर, जब तक वह असली न लगने लगे


अगर आप चेहरे पर हाथ न ले जाएँ और बातचीत करते ए खुल े संकेत का इ तेमाल कर, तो
या आप सफ़ाई से झूठ बोल सकगे और पकड़े भी नह जाएँगे? ज़ री नह क ऐसा हो,
य क आप जानते ह क आप झूठ बोल रहे ह तो आपक हथे लय पर पसीना आने लगेगा,
आपके गाल फड़कने लगगे और आपक पुत लयाँ सकुड़ जाएँगी। सबसे यो य झूठ बोलने वाले
वही होते ह जो आसानी से अपनी भू मका म रम जाते ह और ऐसे अ भनय करते ह जैसे क उ ह
उस झूठ पर पूरा यक न हो। इस काम को बाक लोग से बेहतर ढं ग से करने वाले पेशेवर
अ भनेता को ऑ कर दे कर स मा नत कया जाता है। हम, आपको यह सलाह नह दे रहे क
आप झूठ बोल, ले कन इस बात के ठोस सबूत ह क अगर आप इस कताब म बताए गए
सकारा मक कौशल का अ यास करगे तो वे आपके वहार का ह सा बन जाएँग े और ज़दगी
भर आपके काम आएँगे।
वै ा नक ने प य पर परी ण करके ‘तब तक ढ ग करते रहो, जब तक वह असली
न लगने लगे‘को सा बत कया। प य क कई जा तय म कोई प ी जतना भु वशाली
होता है, उसके पंख उतने ही गहरे रंग के होते ह। गहरे रंग के प ी भोजन और सा थय के
मामले म कतार म पहले नंबर पर होते ह। शोधकता ने ह के रंग के कमज़ोर प य के पंख
को इतने गहरे रंग म रंगा क बाक प य को लगे क वे भु वशाली ह। ले कन प रणाम यह
आ क वा तव म श शाली प य ने इन ‘झूठे‘प य पर हमला कर दया, य क ये प ी
अपने शारी रक हावभाव से कमज़ोर और अधीन होने का दशन कर रहे थे। अगले परी ण म
नर व मादा प य को न केवल गहरे रंग से रंगा गया, ब क उनम टे टो टे रॉन हॉम न भी डाला
गया, जससे वे भु वशाली जैसा वहार कर। इस बार ‘झूठे‘प ी सफल रहे, य क इस बार
उनके बताव म आ म व ास और े तर होने का भाव था, जससे वा त वक भु वशाली प ी
धोखा खा गए। इससे सा बत होता है क इंटर ू म आपको वयं को व सनीय भू मका म
रखना पड़ेगा और पहले से मान सक तौर पर अ यास करना होगा क बाक लोग ारा गंभीरता
से लए जाने के लए आपको कैसा बताव करना होगा।

आपको आगे रखने म सहायक सात साधारण रणनी तयाँ


1. बैठक म खड़े रह
सभी अ पकालीन नणय लेन े वाली बैठक म खड़े रह। अ ययन दखाते ह क खड़े होकर क
गई बातचीत बैठकर क गई बातचीत से छोट होती है और ऐसी बैठक को संचा लत करने वाले
को बैठे ए लोग से ऊँचे दज का माना जाता है। आपके काय थल पर कसी और के
आने पर खड़े रहने से समय क बचत होती है, इस लए अपने थान पर आगंतुक के लए कुस
न रखने पर वचार कर। खड़े होकर नणय ज द लए जाते ह और वे नपे–तुल े होते ह। अ य
लोग सामा जक बातचीत करके या आपका प रवार कैसा है?‘जैसे सवाल पूछकर आपका समय
बबाद नह करते।

2. त ं य को ऐसे बैठाएँ क उनक पीठ दरवाज़े क ओर हो


जैसा क पहले बताया जा चुका है, अ ययन बताते ह क जब हमारी पीठ कसी खुली जगह क
ओर होती है, तो हम तनाव म आ जाते ह हमारा र चाप बढ़ जाता है, हमारा दल तेज़ी से
धड़कने लगता है, हमारी म त क तरंग तेज़ी से नकलने लगती ह और हम तेज़ी से साँस लेने
लगते ह, य क हमारा शरीर पीछे के ह से पर होने वाले संभा वत हमले के लए तैयार होने
लगता है। अपने वरोधी को बैठाने क यह ब ढ़या थ त है।

3. अपनी उँग लयाँ साथ जोड़े रख


जो लोग बातचीत करते ए अपनी उँग लय को बंद रखते ह और अपने हाथ को ठु ी से नचले
तर पर रखते ह, उन पर अ धक यान दया जाता है। खुली उँग लय के इ तेमाल या ठु ी से
ऊपर हाथ रखने वाले को कम ताकतवर माना जाता है।

4. अपनी कोह नयाँ बाहर क ओर रख


जब आप कुस पर बैठते ह तो अपनी कोह नयाँ बाहर क ओर या कुस के ह थे पर रख,
बुज़ दल अपनी सुर ा के लए उ ह अंदर क ओर रखते ह। उ ह डरपोक माना जाता है।

5. भावी श द का इ तेमाल कर
कै लफ़ो नया यू नव सट के एक अ ययन म पता चला क बोलचाल क भाषा म सबसे भावी
श द ह : खोज, गारंट , ेम, सा बत, प रणाम, बचत, आसान, सेहत, धन, नया, सुर ा और
आप। इन श द का अ यास कर। इन मा णत श द से जो प रणाम आपको मलगे, वे आपको
अ धक ेम, बेहतर सेहत क गारंट दगे और आपके धन क बचत करगे। ये पूरी तरह सुर त ह
और इ तेमाल करने म आसान ह

6. ह का ीफ़केस ले जाएँ
कॉ बनेशन लॉक वाला ह का ीफ़केस ले जाने वाला मह वपूण होता है, जसका
सरोकार नणायक काम से होता है; बड़े, भारी–भरकम ीफ़केस उन लोग के होते ह, जो सारा
काम करते ह और समय पर उसे पूरा न करने के कारण उ ह सु व थत नह माना जाता।
7. कोट के बटन दे ख
यू नयन और कॉप रेशन के बीच ए टकराव के वी डयो के व ेषण दखाते ह क लोग के
कोट के बटन खुले होने क थ त म सहम त होने क संभावना सबसे अ धक होती है। छाती पर
बाँह मोड़ने वाले लोग ऐसा तभी करते ह, जब उनक जैकेट के बटन बंद होते ह और वे अ धक
नकारा मक होते ह। अगर कोई मी टग म अचानक अपनी जैकेट के बटन खोलता है, तो
आप यह मान सकते ह क उसका दमाग भी शायद खुल गया है।

सारांश
कसी भी मह वपूण इंटर ू या मी टग म जाने से पहले पाँच मनट के लए शां तपूवक बैठ और
मान सक प से अ यास कर क आप यह सब कर रहे ह और उसे अ छ तरह कर रहे ह। जब
आपका दमाग यह सब प प से दे ख लेता है, तो आपका शरीर भी उसे कर पाएगा और
अ य लोग से आपको मन मुता बक त या मलेगी।

द तर म होने वाली श दशन क राजनी त


या आप कभी कसी ऐसे इंटर ू म गए ह, जहाँ आप पर कोई हावी हो गया या आगंतुक क
कुस पर बैठे ए आपने असहाय महसूस कया? जहाँ इंटर ू लेन े वाला आपको इतना बड़ा
और रोबीला लगा क आपने ख़ुद को छोटा और कम मह वपूण पाया? संभव है क इंटर ू लेने
वाले ने धूतता से अपने द तर के साजोसामान को इस तरह लगवाया हो क उसका ओहदा व
ताकत बढ़े और ऐसा करके आपका दजा कम हो जाए। कु सय के इ तेमाल और बैठने क
व था करके इस तरह का वातावरण बनाया जा सकता है।
कुस के इ तेमाल से दज व श के आभास को बढ़ाने के लए तीन त व ह : कुस का
आकार और उससे जुड़ी चीज़, फ़श से कुस क ऊँचाई और सरे के लहाज़ से कुस क
थ त।

1. कुस और उससे जुड़ी चीज़


कुस के पृ भाग क ऊँचाई कसी के दज को उठाती या गराती है। वह जतनी ऊँची
होगी, उस पर बैठने वाले क ताकत व दजा भी उतना ही ऊँचा माना जाएगा। राजा–रानी, पोप
और अ य ऊँचे दज के लोग के सहासन या आ धका रक कु सय क ऊँचाई 8 फ ट (2.5
मीटर) या उससे अ धक हो सकती है, जो लोग क तुलना म उनके ओहदे को दखाती है;
सी नयर ए ज़ी यू टव क कुस का पृ भाग ऊँचा होता है, जब क आगंतुक क कुस का यह
ह सा नचला होता है। अगर वीन या पोप कसी छोटे पयानो टू ल पर बैठ तो उनक ताकत
या रह जाएगी?
थर कु सय क तुलना म घूमने वाली कु सय क श व दजा अ धक होता है,
जससे बैठने वाले को दबाव क थ त म हलने–डु लने म अ धक सु वधा होती है। थर कु सय
म हलने–डु लने क गुंजाइश ब त कम या न के बराबर होती है। उस पर बैठने वाले क मु ाएँ
ग त व ध क कमी क पू त करती ह और इससे उस का रवैया और भावनाएँ उजागर होती
ह। पीछे क ओर होने हो सकने, प हए व ह थ वाली कु सय म अ धक श होती है।
2. कुस क ऊँचाई
ऊँचाई का इ तेमाल कर श पाने क बात अ याय 16 म बताई गई थी, ले कन इस बात पर
गौर करना ज़ री है क अगर आपक कुस सामने वाले क कुस क तुलना म फ़श से अ धक
ऊँचाई पर है तो आपका दजा बढ़ जाता है। कुछ एडवटाइ ज़ग ोफ़ेशनल ऊँचे पृ भाग वाली
ऐसी कुस पर बैठने के लए जाने जाते ह, जसक ऊँचाई अ धकतम क गई होती है, जब क
उनके मुलाकाती र ा मक थ त म उनके ठ क सामने कसी सोफ़े या कुस पर इतने नीचे बैठे
होते ह क उनक नज़र ए ज़ी यू टव के डे क के तर पर होती ह।

3. कुस क थ त
जैसा क बैठने क व था वाले अ याय म बताया जा चुका है, कसी मुलाकाती पर तब सबसे
यादा ताकत का असर पड़ता है, जब उसक कुस ठ क सामने त पधा मक थ त म रखी
गई हो। आमतौर पर मुलाकाती क कुस ए ज़ी यू टव के डे क से काफ़ र उसके सामा जक
या सावज नक े म रखी जाती है, जससे मुलाकाती का दजा और भी कम हो जाता है।

मेज़ के इलाक क अदला–बदली कैसे कर


जब दो लोग मेज़ पर सीधे एक– सरे के सामने बैठते ह तो वे अवचेतन तौर पर उसे दो बराबर
भाग म बाँट लेत े ह। हर एक उसके आधे ह से पर अपना दावा करता है और सरे क घुसपैठ
को अ वीकार करता है।
कई बार ऐसा भी हो सकता है क अपनी बात रखने के लए कोने पर बैठना मु कल हो
या फर अनु चत हो। मान ली जए क आपके पास कोई फ़ो डर, कताब, कोटे शन या सै पल
हो, जसे आयताकार मेज़ के पीछे बैठे को दे ना चाहते ह और आपका मकसद ऐसा करने
के लए सबसे अ छ थ त म आना है। पहले, उस चीज़ को मेज़ पर रख, वह उसे लेने
के लए आगे झुकेगा, उसे दे खेगा और अपनी ओर रख लेगा या फर उसे आपके े म वापस
कर दे गा।
े ीय रेखा पर रखा काग़ज़

अगर वह उसे दे खने के लए आगे झुकता है, ले कन उसे उठाता नह , तो आपको अपनी जगह
पर बैठकर ही उसे दे ना होगा, य क वह नह चाहता क आप डे क पर उसके ह से क
ओर आएँ। अगर ऐसा होता है, तो अपने शरीर को 45 ड ी पर रख। अगर वह उसे अपने ह से
म ले लेता है, तो ठ क है, वरना ऐसे म आप उसके े म जाने क अनुम त ले सकते ह और
कोने क या आपसी सहयोग क थ त म आ सकते ह।
काग़ज़ को अपने इलाके म करना नॉन वबल वीकृ त का संकेत है
उसके े म वेश करने क नॉन–वबल सहम त

ले कन अगर वह उसे आपक ओर धकेलता है, तो अपनी तरफ़ ही रह। सरे इंसान के े म
तब तक न घुस, जब तक क आपको बोलकर या बना बोले ऐसा करने क अनुम त न मल,
वरना आप उ ह और भी र कर सकते ह।

बैठकर शरीर से संकेत करना


इस थ त को दे ख : आप सुपरवाइज़र ह और अपने उस मातहत कमचारी को सलाह–मश वरा
दे न े वाले ह, जसका दशन अ छा नह रहा है। आपको लगता है क शायद सीधे जवाब पाने के
लए उससे सवाल करने पड़े, जससे वह दबाव म आ सकता है। कभी–कभार आपको उसके
साथ क णा दखानी पड़ेगी और उसके वचार या काय से सहम त भी करनी होगी।
य द इन च के मामले म इंटर ू और सवाल पूछने क तकनीक क बात छोड़ द
जाए तो इन ब पर वचार कर : (1) परामश आपके ऑ फ़स म हो; (2) मातहत कमचारी
थर पैर व बना ह थे वाली कुस पर बैठा हो, ता क वह शारी रक हावभाव और अव था का
इ तेमाल कर सके, जससे आप उसके रवैय े को समझ पाएँगे; (3) आप घूमने वाली, ह थे वाली
कुस पर बैठे ह , ता क आप अपनी मु ा पर काबू पा सक और हल–डु ल सक।
आप तीन तरह क मुख कोणीय अव थाएँ अपना सकते ह। जैसा क खड़े रहने क
कोणीय थ त म होता है, 45 ड ी पर बैठने से मी टग अनौपचा रक व तनावमु लगती है
और काउंस लग के लए यह अ छ थ त है।

45 ड ी के कोण से शु आत करने पर माहौल राहत भरा रहता है

ऐसे बैठने पर आप अपने अधीन थ कमचारी क ग त व धय व मु ा को त ब बत कर


उसके साथ अपनी नॉन –वबल या मूक सहम त जता सकते ह। जैसा क खड़े होने पर होता है,
लोग के शरीर कोण बनाने के लए तीसरे ब क ओर मुड़े होते ह, जो सहम त द शत
करता है।
अपनी कुस को मोड़कर अपने शरीर को सीधे उस इंसान क ओर करके आप बना
बोले उस को बताते ह क आप सीधे सवाल के सीधे–सीधे जवाब चाहते ह।

शरीर को क ओर सामने करने से गंभीरता बनी रहती है

जब आप अपने शरीर को सरे से 45 ड ी र रखते ह तो आप इंटर ू से दबाव को हटा


दे त े ह। यह सबसे अ छ थ त है, जसम आप कुछ नाजुक या झप भरे सवाल कर सकते ह
और सामने वाले इंसान को बना दबाव म डाले उसे ो सा हत करते ह क वह अ धक खुलेपन
के साथ आपके के उ र दे ।

45 ड ी क री क थ त

कायालय क पुन व था करना


इस पु तक को पढ़ते ए अब आप जान चुके ह गे क आपको अपने कायालय को कैसे
व थत करना चा हए क उसका वातावरण अ धक श , भाव या नयं णयु रहे या फर
वह राहत भरा, दो ताना व अनौपचा रक हो। अब तुत है एक केस टडी, जसम बताया गया
है क हमने कैसे कसी के कायालय क व था म बदलाव करके उसक गत (मैनेजर/
कमचारी) संबंध से जुड़ी सम या का हल करने म मदद क ।
जॉन एक बड़ी फ़ायनस कंपनी म काम करता था। उसक पदो त करके उसे मैनेजर
बनाकर नया ऑ फ़स दया गया। कुछ महीने बाद जॉन ने पाया क बाक कमचारी उससे संपक
रखना पसंद नह करते थे और उनका र ता अ सर तनाव भरा रहता था, ख़ासकर जब वे उसके
ऑ फ़स म होते थे।
इस अ यास के लए हम जॉन के बंधन कौशल पर यान न दे कर सम या के नॉन–
वबल आयाम पर यादा गौर करगे। जॉन के ऑ फ़स म हमने जो कुछ दे खा और हमारे ारा
नकाले गए न कष का सार इस कार है :

1. आगंतुक क कुस जॉन के ठ क सामने त पधा मक थ त म रखी ई थी।


2. एक खड़क और काँच क पारदश द वार, जससे जॉन बाहर दे ख सकता था
और बाक लोग भी उसे दे ख सकते थे, को छोड़कर ऑ फ़स क द वार ठोस
पैन स से बनी थ । जॉन के दखने से उसका दजा कम होता था और आगंतुक
क कुस पर बैठने वाले उसके अधीन थ कमचारी का दजा बढ़ सकता था,
य क अ य कमचारी ठ क उसके पीछे काम कर रहे होते थे और इस कार, उस
कमचारी क मेज़ क तरफ़ होते थे।
3. जॉन क डे क के आगे का ह सा ठोस था, जो उसके शरीर के नचले ह से को
छपाता था, जससे उसके मातहत कमचारी उस ह से क मु ा को नह दे ख
पाते थे और नह जान पाते थे क वह कैसा महसूस कर रहा है।
4. आगंतुक क कुस इस कार रखी गई थी क उसक पीठ खुल े दरवाज़े क ओर
हो।
5. जब भी कोई मातहत उसके ऑ फ़स म होता था, जॉन अ सर कैटाप ट क मु ा
म या कुस के ह थे पर टाँग रखकर बैठता था या दोन मु ा को अपनाता था।
6. जॉन क घूमने वाली कुस पर प हए व ह थे लगे थे और उसक पीठ ऊँची थी।
मुलाकाती क कुस सामा य नचली ऊँचाई क थी, जसके पाये थर थे और
उस पर ह थे भी नह थे।

जॉन का शु आती ऑ फ़स
इ तेमाल करने वाले क सु वधा के लहाज़ से और नॉन–वबल कोण से जॉन का ऑ फ़स
ब त बुरी थ त म था। उसम वेश करने वाले को वह मै ीपूण नह लगता था। जॉन क बंधन
शैली को अ धक म तापूण बनाने के लए और ो सा हत करने के लए न न व थाएँ फर से
क गई:

1. जॉन के डे क को काँच क द वार के सामने रख दया गया, जससे उसका


ऑ फ़स अ धक बड़ा लगने लगा और अंदर आने वाला अब उसे दे ख सकता था।
इस कार, अंदर आने वाले लोग का वागत मेज़ के बजाय जॉन वयं करता था।
2. ‘हॉट सीट’ को कोने पर रखा गया, जससे बातचीत म अ धक खुलापन आ
सकता था और कोना कमचा रय ारा असुर त महसूस कए जाने पर एक
आं शक बाधा का काम कर सकता था।
3. काँच क द वार पर मरर फ़ नश कया गया, ता क जॉन तो बाहर दे ख सके,
ले कन अ य लोग अंदर न दे ख सक। इस कार जॉन का े सुर त हो गया
और उसके द तर के अंदर एक अ धक अंतरंग वातावरण बन गया।

बदलाव के बाद का ऑ फ़स

4. ऑ फ़स के सरे सरे पर एक गोल मेज़ रखी गई और उसके चार ओर घूमने


वाली कु सयाँ लगाई गई, ता क वहाँ पर अनौपचा रक बैठक हो सक।
5. पहले जॉन के मेज़ क ऊपर क आधी जगह आगंतुक क होती थी, ले कन उसम
बदलाव करने के बाद अब पूर े भाग पर जॉन का अ धकार था।
6. जॉन ने खुलेपन क थ तयाँ अपनाने का अ यास कया, उसने सू म ट पल
मु ाएँ अपनाई और अ य लोग से बातचीत करते ए जानबूझकर अपनी
हथे लय का इ तेमाल शु कया।

नतीजतन मैनेजर/कमचा रय के संबंध म उ लेखनीय प से सुधार आ और कुछ


लोग ने जॉन को म त और तनावमु बताया।
आपका दजा, श और अ य लोग के साथ अपनी भावशीलता बढ़ाने के लए
आपको अपने द तर या घर म नॉन–वबल आयाम पर थोड़ा यान दे ना होगा। भा यवश,
अ धकतर ए ज़ी यू ट स के द तर ऐसे ही डज़ाइन कए जाते ह, य क यह काम ऑ फ़स
डज़ाइनर ारा कया जाता है, न क उन लोग ारा ज ह लोग के आपसी वहार क
जानकारी होती है। नकारा मक नॉन–वबल संकेत पर अ सर ब त कम वचार कया जाता है,
जो अनजाने म लोग तक प ँच जाते ह।
अपने काय थल के डज़ाइन को समझ और द गई जानकारी का इ तेमाल सकारा मक
प रवतन करने म कर।

सारांश
श के खेल और कायालय क राजनी त को आप समझ सकते ह और पहले से अपनी योजना
बन सकते ह।
ऐडम नह जानता था क प मी सं कृ त म चॉकलेट रंग का सूट पहने पु ष को
म हलाएँ पसंद नह करत और छोट सी दाढ़ भले ही फैशन म य न हो, शैतान से जुड़े होने के
कारण अनजाने ही वह बूढ़े लोग म तरोध उ प करती है। कान के बूंदे और ज़ रत से यादा
भरे ीफ़केस ऐसे लोग ारा इंटर ू म ले जाए जाते ह, ज ह नॉन–वबल बात क समझ नह
होती।
अ याय 19

अपनी जानकारी का मू यांकन कर

सरसरी तौर पर इस च को दे खने पर आपको एक हाथी दखाई दे गा। इसे काफ़ नज़द क से
दे खने पर आप जानगे क जो जैसा दखता है, वह वा तव म वैसा नह होता। जब अ धकतर
लोग अ य लोग को दे खते ह, तो वे उस को तो दे खते ह, ले कन उन व तृत बात को नह
दे ख पाते, जो बाद म बताए जाने पर दखाई दे ती ह। बॉडी ल वेज के साथ यही होता है।
शारी रक हावभाव के मा यम से संचार लाख साल से चला आ रहा है, ले कन बीसव सद के
अंत म इसे वै ा नक ढं ग से पढ़ा जाने लगा। नयाभर म लोग बॉडी ल वेज को आ ख़रकार
‘समझ’ रहे ह और अब यह औपचा रक श ा और बज़नेस े नग का ह सा बन गई है।
यह अं तम अ याय सामा जक व ावसा यक प र य पर क त है और ये आपको
अवसर दे गा क अब आप कतनी अ छ तरह से शारी रक संकेत को पढ़ व समझ सकते ह।
नोट् स पढ़ने से पहले हर त वीर के म को यान से समझ और दे ख क इस कताब म आपके
ारा पढ़े गए कतने शारी रक संकेत को आप समझ सकते ह। खोजे गए हर मुख संकेत के
लए वयं को एक अंक द और अंत म आप पूरा मू याँकन दे ख पाएँगे। आपको हैरानी होगी क
आपक ‘परसे टवनेस’ यानी अनुभू त– मता कतनी बेहतर हो गई है। यह यान म रख क
यहाँ हम थर मु ा का व ेषण कर रहे ह, इस लए बेहतर होगा क आप मु ा–समूह को
उनके संदभ म समझ और सां कृ तक अंतर पर भी ज़ र गौर कर।
आप कतनी अ छ तरह न हत अथ नकाल सकते ह?

1. इस च म कौन से तीन मुख संकेत ह?


उ र ............................................
यह खुलेपन के समूह का एक अ छा उदाहरण है। हथे लयाँ समपण क मु ा म पूरी तरह से
खुली ई ह और मु ा को अ धक भावी बनाने व अना ामकता दखाने के लए उँग लयाँ फैली
ई ह। का पूरा शरीर सामने है, जससे पता लगता है क कुछ भी छपाया नह जा रहा है।
यह खुला, न धमकाने वाला रवैया कर रहा है।

2. पाँच मुख संकेत कौन से ह?


उ र ..............................................
यह धोखाधड़ी से जुड़ा एक जाना–पहचाना मु ा समूह है। अपनी आँख मसलता आ यह
कह और दे ख रहा है और उसक आँख अ व ास क थ त म उठ ई ह। उसका सर सरी
ओर है और थोड़ा झुका आ है, जो क नकारा मक रवैया दखा रहा है। भचे ह ठ क उसक
मु कुराहट कपटपूण है।

3. तीन मुख संकेत कौन से ह?


उ र ...............................................
मु ा क असंगतता यहाँ प है। कमरे से गुज़रता यह आ म व ास से हँसने का
दखावा कर रहा है, ले कन उसका हाथ घड़ी ठ क करने के लए उसके शरीर के सरी ओर है
और बाँह से आं शक बाधा बना रहा है। उसक मु कुराहट दरअसल डरी ई है। इससे पता
चलता है क ख़ुद को और अपने माहौल को लेकर वह अ न त है।
4. पाँच मुख संकेत कौन से ह?
उ र .......................................................
यह म हला जस को दे ख रही है, उसे नापसंद करती है। उसने अपने सर और शरीर को
उसक ओर नह कया है और साथ ही सर ह के से झुकाकर (नापसंद करना) उसे तरछ
नगाह से दे ख रही है, उसक भ ह नीचे क ओर (गु सा) ह, बाँह मुड़ी ई (र ा मक मु ा) ह
और उसके मुँह के छोर नीचे क ओर ह।

5. चार मुख संकेत कौन से ह?


उ र .............................................................
भु व, े ता और े ीयता यहाँ ब त प ह। कैटाप ट एक े तर ‘सब कुछ जानने’ का
रवैया दखा रहा है और डे क पर रखे पाँव उस े ीय दावे को जता रहे ह। अपने अहं को
अ धक उजागर करने के लए उ च दज क प हए लगी ह थेदार कुस है। वह र ा मक/
त पधा मक थ त म बैठा है।
6. तीन मुख संकेत कौन से ह?
उ र ...........................................................
ब चे ारा कू ह पर हाथ रखने का मकसद ख़ुद को बड़ा और धमक भरा दखाना है। उभरी ई
ठु ी अव ा दखा रही है। हमला करने से पहले जैसे जानवर दाँत दखाते ए मुँह खोलते ह,
ब चा भी ठ क वैसा ही कर रहा है।
7. पाँच मुख संकेत कौन से ह
उ र ...............................................................
सभी संकत को एक श द म समेटा जा सकता है और वह है, नकारा मक। फ़ो डर का इ तेमाल
अवरोध क तरह कया जा रहा है और हताशा या र ा मक रवैय े के कारण बाँह व टाँग मुड़ी ई
ह। कोट के बटन बंद ह और धूप के च मे से आँख व पुत लय के संकेत नह दे ख े जा सकते।
यह यान म रखते ए क लोग कसी से मलने के शु आती चार मनट म अपनी 90 तशत
राय बना लेत े ह, यह असंभव लगता है क यह कसी पर अपनी पहली अ छ छाप छोड़
सकता है।
8. छह मुख संकेत कौन से ह?
उ र ......................................................
दोन आ ामक और त परता क मु ाएँ अपना रहे ह। बाई ओर वाला कू ह पर
हाथ रखने व दाई ओर वाला बे ट म अँगठ ू े ठूँ सने क मु ा का इ तेमाल कर रहा है। दाई ओर
वाले के मुकाबले बाई ओर वाला कम आ ामक है, य क वह पीछे क ओर झुक
रहा है और उसका शरीर दाई ओर वाले से र है। दाएँ खड़े ने अपने शरीर को सीधे
सामने कर और ब कुल तनकर खड़े होकर सरे पर हावी होने वाली मु ा अपनाई है। उसका
चेहरा भी उसके शारी रक हावभाव के अनु प है और उसका मुँह नीचे क ओर झुका है।
9. तेरह मुख संकेत कौन से ह?
उ र .......................................................

बाएँ बैठा पु ष अपनी कुस पर टाँग फैलाकर उ टा बैठा है, जो बातचीत को नयं त करने या
दाई ओर बैठे पर भु व जमाने के लए है। उसने अपने शरीर को दाई ओर बैठे क
ओर कया आ है। उसक उंग लयाँ कसी ई ह व कुस के नीचे पाँव भी आपस म बँध े ह,
जससे हताशा भरा रवैया हो रहा है, यानी संभवत: उसे अपनी बात समझाने म मु कल हो
रही है। बीच बीच बैठा इंसान बाक दो से े तर महसूस कर रहा है, य क वह कैटाप ट का
इ तेमाल कर रहा है। उसक टाँग चार क मु ा यानी फ़गर फ़ोर म ह, जो संकेत दे रही ह क वह
त पधा मक या ववाद य है। उसक कुस ऊँची है, जो घूमती है, पीछे क ओर होती है और
उस पर प हए व ह थे ह। दाई ओर बैठा कम ऊँची कुस पर बैठा है, उस पर प हए नह है
और न ही अ य कोई अ त र चीज़ ह। उसक बाँह और टाँग कसकर बँधी (र ा मक) ह और
उसका सर नीचे ( तकूल) है, शरीर कसी अ य दशा म है ( दलच पी न होना), जससे संकेत
मल रहा है क बात उसे पसंद नह आ रही ह।

10. चौदह मुख संकेत कौन से ह?


उ र ......................................................

म हला णय– नवेदन क मु ाएँ द शत कर रही है। उसका एक पैर आगे क ओर है और वह


र बाएँ खड़े पु ष क ओर मुड़ा ( दलच पी) है, हाथ कू हे पर है व अँगठ
ू ा बे ट म ठूँ सा है
( ढ़ता, त परता), कलाई सामने दख रही है (यौनाकषक) और वह सगरेट के धुए ँ को ऊपर क
ओर उड़ा रही (आ म व ासी, सकारा मक) है। वह र बाई ओर खड़े को तरछ नगाह
से दे ख रही है और वह अपनी टाई ठ क (सँवरकर) करके और अपने पैर को उसक ओर करके
अपनी त या दे रहा है। उसका सर सीधा ( दलच पी) है। बीच म खड़ा अपने दाएँ
खड़े से भा वत नह दख रहा और उसका शरीर भी उससे र है, और वह उसे
आ ामक तरछ नज़र से दे ख रहा है। उसक हथे लयाँ दखाई नह दे रह और वह सगरेट के
धुए ँ को नीचे क ओर उड़ा रहा (नकारा मक) है। वह द वार पर टका आ है ( े ीय
आ ामकता)।

11. बारह मुख संकेत कौन से ह?


उ र .........................................................
बाई ओर बैठा े ता से जुड़ी मु ाएँ अपना रहा है और अपने सामने बैठे के त
उसका रवैया अहंकार भरा है। वह उसे अपनी से हटाने के लए आँख के संकेत का
इ तेमाल कर रहा है और उसका सर थोड़ा पीछे झुका है, जससे वह उसे नीची नगाह से दे ख
रहा है। र ा मक रवैया भी प है, य क उसके घुटने ब त कसकर एक साथ चपके ह और
गलास को दोन हाथ से पकड़कर उसने एक अवरोध बना लया है। दोन य ने तीसरे
को शा मल करने के लए कोण नह बनाया है, इस लए वह बातचीत से बाहर है। वह
अलग–थलग लगता है, जो क वे टकोट म उसके अँगठ ू े डालने क मु ा ( े ता), कुस पर पीछे
टकने, और ॉच दशन (पौ ष) से प हो रहा है। दाई ओर बैठा सुनते–सुनते ऊब गया
है और उसने टाटस पोज़ीशन (जाने क त परता) अपना ली है, उसके पैर व शरीर नज़द क
दरवाज़े क ओर ह। उसक भ ह और मुँह के कनारे नीचे क ओर ह और उसका सर भी थोड़ा
नीचे है, जससे उसक असहम त का पता चलता है।

12. कौन से यारह मुख संकेत ह?


उ र ..........................................................
बाई व दाई ओर खड़े य ारा लो ड बॉडी पोज़ीश स (बंद मु ाएँ) अपनाई गई ह। बीच
म खड़े का रवैया े ता तथा ं य से भरा है और ऊपरी कोट को पकड़ने क मु ा के
साथ–साथ वह अपने बाएँ खड़े क ओर अँगठ ू े से इशारा (उपहास) कर रहा है। दाई ओर
खड़े ने टाँगे मोड़कर, अपनी बाँह के ऊपरी ह से को आ ामक तरीके से पकड़कर
(आ मसंयम) और तरछ नगाह से दे खते ए र ा मक त या द है। इस च के बाएँ ओर
खड़ा भी बीच वाले के रवैय े से भा वत नह दखता। उसने अपनी टाँग मोड़ ली ह
(र ा मक), हथेली को जेब म डाल लया (भाग लेन े क अ न छा) है और वह गदन म दद क
मु ा को अपनाते ए फ़श क ओर दे ख रहा है।
13. बारह मुख संकेत कौन से ह?
उ र ...................................................

यह च तनाव भरे माहौल को दखा रहा है। तीन एक– सरे से यादा से यादा री
बनाए रखने के लए अपनी कुस पर पीछे टककर बैठे ह। दाई ओर वाला शायद अपने
नकारा मक मु ा समूह से सम या खड़ी कर रहा है। बात करते ए वह नाक को छू रहा है
(कपट) और उसक , दाई बाँह शरीर पर आं शक अवरोध (र ा मक) बना रही है अ य लोग के
वचार के त उसका कोई सरोकार न होना कुस के ह थे पर पाँव रखने क मु ा, ॉच दशन
और शरीर अ य लोग से र होने से प हो रहा है। बाई ओर बैठे को दाई ओर बैठे
क बात पसंद नह आ रही ह और वह रोएँ चुनने (असहम त) क मु ा अपना रहा है, उसक टाँग
मुड़ी ई (र ा मक) ह और कसी अ य दशा क ओर ह। बीच म बैठा कुछ कहना चाहता
है, ले कन अपनी राय को दबाए ए है, जो कुस के ह थे को पकड़ने और जकड़े ए टखन क
उसक संय मत करने क मु ा से द शत हो रहा है। अपना शरीर दाई ओर बैठे क
दशा म करके वह उसे मूक चुनौती दे रहा है।

14. कौन से मुख आठ संकेत ह?


उ र .....................................................
इस य म बाई ओर बैठा पु ष और दाई ओर बैठ म हला एक– सरे क मु ा को
त ब बत कर रहे ह और उ ह ने काउच पर एक बुक ड ( कताब क कतार को सहारा दे ने
वाला सहारा) बना लया है। वे दोन एक– सरे म गहरी दलच पी ले रहे ह और उ ह ने अपने
हाथ को इस तरह से रखा है क उनक कलाइयाँ सामने दख रही ह, दोन क मुड़ी ई टाँग
एक– सरे क ओर ह। बीच म बैठे पु ष के चेहरे पर भचे ए ह ठ क मु कुराहट है और वह
साथ बैठे पु ष क बात म दलच पी लेन े का दखावा कर रहा है, ले कन उसके चेहरे के भाव
तथा शारी रक मु ाएँ कुछ और कह रही ह। उसका सर झुका (नापसंदगी) है, उसके मुँह के
कनारे व भ ह नीचे क ओर (गु सा) ह और वह उस पु ष को तरछ नगाह से दे ख रहा है।
उसक बाँह व टाँग कसकर बँधी ई (र ा मक) ह। ये सब मु ाएँ संकेत दे रही ह क उसका
रवैया ब त नकारा मक है।

15. पं ह कौन से मुख संकेत ह


उ र ........................................................
बाई ओर बैठा खुली हथे लय , आगे क ओर बढ़े पैर, उठे आ सर, कोट के खुले बटन,
खुली बाँह व टाँग , आगे क ओर झुकने और मु कुराहट करने के अपने मु ा समूह से
खुलापन व ईमानदारी द शत कर रहा है। ले कन बद क मती से उसक बात अ य लोग तक
नह प ँच पा रही है। म हला अपनी कुस पर टककर बैठ है, उसक टाँग बँधी ई (र ा मक)
ह, उसने बाँह से आं शक अवरोध बनाया आ (र ा मक) है, उसक मु बँधी (तनाव) है, सर
झुका है और वह आलोचना मक मू याँकन मु ा (हाथ को चेहरे पर ले जाना) अपना रही है। बीच
म पु ष ने उठा आ ट पल बनाया है, जो बता रहा है क वह वयं को आ म व ासी या
आ मतु मान रहा है और उसक फ़गर फ़ोर क थ त बता रही है क उसका रवैया
त पधा मक या ववाद य है। हम मान सकते ह क उसका समूचा रवैया नकारा मक है,
य क वह टककर बैठा है और उसका सर भी नीचे क ओर झुका है।

16. ए. नौ कौन से मुख संकेत ह?


दए गए तीन य म र ा, आ ामकता और णय– नवेदन के मु ा समूह दखाए गए ह।
उ र ............................................................

बातचीत क शु आत

पहले य म तीन क बाँह मुड़ी ई ह, दो क टाँग मुड़ी ई (र ा मक) ह और सभी के शरीर


एक– सरे से र ह, जससे लग रहा है क वे तीन शायद पहली बार मल रहे ह। दाई ओर खड़ा
पु ष साथ खड़ी म हला म दलच पी लेता लग रहा है, य क उसका दायाँ पैर म हला क ओर
है और वह उसे तरछ नज़र से दे ख रहा है। उठ ई भ ह ( दलच पी) व मु कुराहट के साथ
वह अपने शरीर के ऊपरी ह से को उसक ओर झुका रहा है। म हला दोन पु ष के त एक
जैसा रवैया रखती है, उसके हावभाव म खुलापन नह है।

16. बी. यारह मुख संकेत कौन से ह?


उ र ......................................................
पाँच मनट बाद

म हला क टाँग अब बँधी नह ह और वह सावधान क मु ा म खड़ी है, जब क बाएँ खड़े पु ष ने


भी अपनी टाँग सीधी कर ली ह, उसका एक पैर म हला क ओर ( दलच पी) है और वह उसक
ओर झुक रहा है। वह बे ट म अँगठ ू े ठूँ सने क मु ा अपना रहा है, जो या तो सरे पु ष के त
त पधा का दशन है (ऐसे म उसके रवैय े को आ ामक माना जाएगा) या फर वह म हला के
सामने यौन दशन कर रहा है। वह ख़ुद को बड़ा दखाने क को शश म ब कुल सीधा खड़ा है।
दाई ओर खड़ा पु ष अब सरे के दबाव म आ रहा है, जो क उसके तनकर खड़े होने,
बाँह मोड़ने, सरे पु ष को भ ह नीचे कर (नापसंद करना) तरछ नगाह से दे खने (असहम त)
और उसक मु कुराहट के पूरी तरह ग़ायब हो जाने से प हो रहा है।

16. सी. पं ह कौन से मुख संकेत ह?


उ र .................................................................
पं ह मनट बाद

इन तीन के रवैय े और भावनाएँ अब उनके शरीर के हावभाव से ब कुल प ह। बाई और खड़े


पु ष ने बे ट म अँगठ ू े ठूँ से ए ह, उसका पैर आगे क ओर है और उसने अपने पूर े शरीर को
म हला क ओर अ धक बढ़ा लया है, जससे अब यह णय– नवेदन का दशन बन गया है।
उसके अँगठ ू े भी अब बे ट म अ धक कसे ए ह, जससे यह मु ा अब अ धक प हो रही है
और उसका शरीर अ धक तन गया है। म हला इस दशन के जवाब म अपनी णय मु ाएँ
कर यह दखा रही है क वह भी उससे जुड़ने म च रखती है। उसक बाँह अब बँधी ई नह ह,
शरीर अपने दाएँ खड़े पु ष क ओर मुड़ा है और एक पैर भी उसक ओर संकेत कर रहा है।
उसक णय मु ा म बाल को छू ना, कलाई को दखाना, छाती आगे कर लीवेज का दशन
करना, चेहरे के हावभाव शा मल ह और इसके अलावा वह सगरेट के धुए ँ को ऊपर क ओर
उड़ा रही (आ म व ास) है। य म दाई ओर खड़ा पु ष शा मल न होने से नाख़ुश है और कू हे
पर हाथ रखने क (आ ामक त परता) मु ा अपनाते ए अपनी अ स ता को दखाने के लए
ॉच डस ले कर रहा है।
सार यही है क बाई ओर खड़े पु ष ने म हला का यान अपनी ओर ख च लया है और
सरे पु ष को को शश छोड़ दे नी चा हए।

आपका दशन कैसा रहा?


130–150 अंक
वाह! आपने तो कमाल कर दया! आप ब त ही ज़बरद त क यु नकेटर ह, जो अ धकतर समय
अ य लोग क भावना के त संवेदनशील रहता है। आप लास के बेहतरीन छा म से ह!

100–130 अंक
आप लोग के मामले म ब ढ़या ह और आमतौर पर ‘महसूस‘कर लेत े ह क या चल रहा है।
थोड़ी लगन और अ यास से आप बेहतरीन क यु नकेटर बन सकते ह।

70–100 अंक
कई बार आप समझ जाते ह क लोग हालात या एक– सरे को लेकर कैसा महसूस कर रहे ह,
ले कन कई बार आपको ब त दन बाद यह समझ आता है। आपको बॉडी ल वेज का खूब
अ यास करना चा हए।

70 या उससे कम
यह कताब पढ़ने के बावजूद आप 70 अंक तक नह ला पाए? हमारा सुझाव है क आप
क यू टग, अकाउं टग म क रयर तलाश या फर मे डकल रसे श न ट बन जाएँ, य क वहाँ
पर लोग से जुड़े कौशल क ज़ रत नह होती। कताब को फर से पढ़ना शु कर। इस दौरान
न तो घर से नकल और न ही कसी फोन कॉल का जवाब द।

सारांश
शोध अब ठोस माण के साथ दखाते ह क अगर आप अपनी बॉडी ल वेज म बदलाव कर द
तो आप ज़दगी के त अपने नज़ रये म भी बदलाव ला सकते ह। बाहर जाने से पहले आप
अपना मूड बदल सकते ह, काम म अ धक आ म व ास ला सकते ह, लोग को अ धक पसंद
आ सकते ह और लोग को अपने प म करने वाले या व सनीय बन सकते ह। अपने शारी रक
हावभाव म बदलाव लाकर आप लोग के साथ अलग तरीके से बताव करते ह और नतीजतन,
उनक त या भी अलग होती है।
जब आप पहले अपनी बॉडी ल वेज के त जाग कता बढ़ाते ह तो हो सकता है क
आपको असहज महसूस हो और थोड़ा संकोच हो। ले कन फर कुछ समय बाद आप अपनी हर
अभ के त जाग क ह गे और आपको हैरानी होगी क आप कतनी मु ाएँ अपनाते ह
और कतनी बार चीज़ से खेलते ह और आपको महसूस होगा जैस े आपके आसपास का हर
इंसान इसे दे ख रहा है। याद र खए क अ धकतर लोग अपने शरीर क भाषा से पूरी तरह
अनजान रहते ह और वे आप पर अपनी छाप छोड़ने क को शश म इतने त रहते ह क वे
आपके हावभाव पर गौर भी नह कर पाते। अगर आपको जेब म हाथ रखने क या अपनर हाथ
थामे रहने और कह और दे खने क आदत रही है, तो शु आत म जानबूझकर अपनी हथे लयाँ
खोलना और सीधे कसी को दे खना आपको अजीब लग सकता है।
आप सवाल कर सकते ह, ‘म अपनी बॉडी ल वेज के बारे म सोचते ए और बातचीत
पर यान लगाते ए कैसे कसी के शारी रक हावभाव पर नज़र रख सकता ँ?’ याद र खए क
आपका दमाग पहले से ही ब त से बॉडी ल वेज संकेत को पढ़ने के लए ो ा ड है, इस लए
आप बस इन संकेत व संदेश को चेतन तौर पर पढ़ना सीख रहे ह। यह पहली बार साइ कल
चलाने जैसा है, शु म थोड़ा डर लगता है, आप एक–दो बार गर सकते ह, ले कन फर कुछ ही
दन म आप उसे चलाने म मा हर हो जाते ह।
कुछ लोग को लग सकता है क शारी रक हावभाव पढ़ना सीखना चालाक व छल–
कपट भरा है, ले कन इसका इ तेमाल कुछ ख़ास क म के कपड़े पहनने, भाषा वशेष का योग
करने या ऐसी कहा नयाँ सुनाने जैसा ही है, जो आपको ब त अ छे पेश ढं ग से पेश करती ह।
बस अंतर इतना है क यह अनजाने म नह होगा और आप अ य लोग पर अ छा भाव छोड़
पाएँगे। अगर आप पु ष ह, तो याद र खए क आपके जाने या अनजाने म हलाएँ आपक बॉडी
ल वेज के संकेत को समझ रही होती ह, इस लए इसके बारे म सीखने से आप भी उनक
बराबरी कर सकते ह। सश शारी रक हावभाव के बना आप पैगेट वे टन (प म इटै लयन
फ़ म ) क तरह लगगे – आपके ह ठ श द के साथ मेल नह खाएँगे और दे खने वाले लगातार
असमंजस म रहगे या चैनल बदल दगे।
अंत म, तुत है उन मुख ब का सार, जससे आप अ य लोग पर अपने
शारी रक हावभाव से सकारा मक भाव डाल सकते ह।

आकषक बॉडी ल वेज के छह रह य


चेहरा : अपने चेहरे को उ साहपूण बनाए रख और नय मत प से मु कुराने क आदत डाल।
अपने दाँत दखाना न भूल।
मु ाएँ : हावभाव कर, ले कन ज़ रत से यादा नह । ऐसा करते ए अपनी उँग लय को
बंद रख, हाथ को ठु ी के तर से नीचे रख और बाँह व टाँग को मोड़ने से बच।
सर क ग त व ध : बात करते ए तीन बार सर हलाएँ और उसे सुनते ए सर को एक ओर
झुकाएँ। अपनी ठु ी सीधी रख।
आँख का संपक : लोग से नज़र उतनी ही मलाएँ जससे सब लोग को सहज महसूस हो।
लोग से आँख का संपक बनाने वाल क व सनीयता ऐसा न करने वाल से अ धक होती
है। ले कन यह ज़ र यान रख क कह कसी सं कृ त म नज़र मलाने को बुरा तो नह
मानते।
शारी रक थ त : बात सुनते ए आगे क ओर झुक, जब क बात करते ए सीधे खड़े रह।
े : हर कसी से उतनी ही री पर खड़े ह , जो आपको सहज लगती हो। अगर सरा
पीछे होता है, तो फर आगे क ओर न बढ़े ।
त ब ब : अ य लोग के शारी रक हावभाव को त ब बत कर।

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