2
Most read
3
Most read
ह िंदी क
े म ान लेखक
01
मिंशी प्रेमचिंद
मिंशी प्रेमचिंद ह न्दी और
उददू में म ान लेखक थे
02
जयशिंकर प्रसाद
ह न्दी कहि, नाटककार,
क ानीकार, उपन्यासकार
तथा हनबन्ध-लेखक थे।
1880 में जन्मे मिंशी प्रेमचिंद
िाराणसी श र में र ते थे, उनक
े
हपता ि ीिं लम ी गाि में ी
डाकघर क
े मिंशी थेइनका जीिन
बहुत ी दखदायी और कास्टपदणू
र ा ै, प्रेमचिंद जी जब साथ साल
क
े थे तभी उनकी माता का दे ािंत
ो गया इनको अपनी सौतेली मााँ
से उतना अच्छा प्यार और दलार
न ीिं हमला, 14 िर्ू की उम्र में
इनक
े हपता का भी दे ािंत ो गया
इस तर से इनक
े बचपन में
मसीबतोिं का प ाड़ टद ट पड़ा था।
इतनी समस्या ो गयी थी की
उनक
े पास प नने क
े हलए कपडे
तक न ीिं हुआ करते थे ऐसी
ालात में उन्ोिंने एक हदन अपनी
सभी हकताबोिं को बेचने क
े हलए
एक पस्तक की दकान पर पहुिंचे
ि ािं उन्ें एक स्क
द ल क
े ेड मास्टर
हमले, ेड मास्टर ने देखा प्रेमचिंद
अपनी पस्तकोिं को बेच र े ै तो
उन्ोिंने प्रेमचिंद को अपने ि ािं
स्क
द ल में नौकरी दे दी।अपनी
गरीबी से लड़ते हुए प्रेमचन्द ने
अपनी पढाई मैहटि क तक
पहुिंचाई~िे अपने गााँि से दद र
बनारस पढने क
े हलए निंगे पााँि
जाया करते थे। आगे चलकर
िकील बनना चा ते थे। मगर
गरीबी ने तोड़ हदया।
मिंशी प्रेमचिंद
मिंशी प्रेमचिंद ह न्दी और उददू में
म ान लेखक थे, हजनका जन्म 31
जलाई 1880 को लम ी,
िाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में
हुआ था। इनको निाब राय और
मिंशी प्रेमचिंद क
े नाम से भी जाना
जाता था। इनक
े हपता का नाम
अजीब राय और माता का नाम
आनिंदी देिी था, पत्नी हशिरानी
देिी थी
1880 में जन्मे मिंशी प्रेमचिंद
िाराणसी श र में र ते थे, उनक
े
हपता ि ीिं लम ी गाि में ी
डाकघर क
े मिंशी थेइनका जीिन
बहुत ी दखदायी और कास्टपदणू
र ा ै, प्रेमचिंद जी जब साथ साल
क
े थे तभी उनकी माता का दे ािंत
ो गया इनको अपनी सौतेली मााँ
से उतना अच्छा प्यार और दलार
न ीिं हमला, 14 िर्ू की उम्र में
इनक
े हपता का भी दे ािंत ो गया
इस तर से इनक
े बचपन में
मसीबतोिं का प ाड़ टद ट पड़ा था।
मिंशी प्रेमचिंद
मिंशी प्रेमचिंद ह न्दी और उददू में
म ान लेखक थे, हजनका जन्म 31
जलाई 1880 को लम ी,
िाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में
हुआ था। इनको निाब राय और
मिंशी प्रेमचिंद क
े नाम से भी जाना
जाता था। इनक
े हपता का नाम
अजीब राय और माता का नाम
आनिंदी देिी था, पत्नी हशिरानी
देिी थी
िर्ू 1930 से 1932 क
े बीच
उन्ोने अपना खद का माहसक
पहिका िंस एििं साप्ताह क
पहिका जागरण हनकलना शरू
हकया। उन्ोने ने मिंबई मे
हिल्म क
े हलए कथा भी हलखी
थी।उनक
े क ानी पर एक
हिल्म बनी थी हजसका नाम
मजदर था, य 1934 में
प्रदहशूत हुई। लेहकन हिल्मी
दहनया उसको पसिंद न ीिं
आयी और िो िापस बनारस
आ गए। मिंशी प्रेमचिंद 1915
से क ाहनयािं हलखना शरू कर
हदए थे। िर्ू 1925 में सरस्वती
पहिका में सौत नाम से
प्रकाहशत हुई।
िर्ू 1918 ई से उन्ोने उपन्यास
हलखना शरू हकया। उनक
े प ले
उपन्यास का नाम सेिासदन ै।
प्रेमचिंद ने लगभग 12 उपन्यास
300+ क
े करीब क ाहनयााँ कई
लेख एििं नाटक हलखे ै।
िर्ू 1930 से 1932 क
े बीच
उन्ोने अपना खद का माहसक
पहिका िंस एििं साप्ताह क
पहिका जागरण हनकलना शरू
हकया। उन्ोने ने मिंबई मे
हिल्म क
े हलए कथा भी हलखी
थी।उनक
े क ानी पर एक
हिल्म बनी थी हजसका नाम
मजदर था, य 1934 में
प्रदहशूत हुई। लेहकन हिल्मी
दहनया उसको पसिंद न ीिं
आयी और िो िापस बनारस
आ गए। मिंशी प्रेमचिंद 1915
से क ाहनयािं हलखना शरू कर
हदए थे। िर्ू 1925 में सरस्वती
पहिका में सौत नाम से
प्रकाहशत हुई।
िर्ू 1918 ई से उन्ोने उपन्यास
हलखना शरू हकया। उनक
े प ले
उपन्यास का नाम सेिासदन ै।
प्रेमचिंद ने लगभग 12 उपन्यास
300+ क
े करीब क ाहनयााँ कई
लेख एििं नाटक हलखे ै।
जयशिंकर प्रसाद एक अच्छे कहि क
े रूप में ी न ीिं
बल्कि एक अच्छे नाटककार, कथाकार, उपन्यासकार
और हनबिंधकार क
े रूप में भी मशहूर थे।य ी न ीिं
उन्ोिंने एक साथ कहिता, नाटक, क ानी और उपन्यास
क
े क्षेि में ह न्दी साह त्य को एक नई हदशा प्रदान की
और भारतीय ह न्दी साह त्य को गौरल्कित
हकया।जयशिंकर प्रसाद जी को प्रारिंहभक हशक्षा उनक
े घर
पर ी दी गई। उनक
े हलए घर पर ी सिंस्क
ृ त, ह न्दी,
िारसी और उददू क
े हशक्षक भी हनयक्त हकए गए थे।
ालािंहक कछ समय क
े बाद उन्ोिंने स्थानीय कीन्स
कॉलेज में भी एडहमशन हलया लेहकन य ािं पर िे आठिीिं
क्लास तक ी पढ सक
े ।
जयशिंकर प्रसाद आपको बता दें हक जयशिंकर प्रसाद एक अध्वसायी
व्यल्कक्त थे और हनयहमत रुप से अध्ययन करते थे। बचपन
से ी जयशिंकर प्रसाद जी का रुझान साह त्य की तरि
था, िे साह ल्कत्यक प्रिृहत्त क
े व्यल्कक्त थे। और बाद में इन्ोिंने
भारतीय ह न्दी साह त्य में अपनी प्रहतभा का लो ा
मनिाया और कई ऐसी क
ृ हत हलखीिं हजससे उनका नाम
ह न्दी साह त्य क
े मख्य कहियोिं में हगना जाने लगा।
जयशिंकर प्रसाद एक अच्छे कहि क
े रूप में ी न ीिं
बल्कि एक अच्छे नाटककार, कथाकार, उपन्यासकार
और हनबिंधकार क
े रूप में भी मशहूर थे।य ी न ीिं
उन्ोिंने एक साथ कहिता, नाटक, क ानी और उपन्यास
क
े क्षेि में ह न्दी साह त्य को एक नई हदशा प्रदान की
और भारतीय ह न्दी साह त्य को गौरल्कित
हकया।जयशिंकर प्रसाद जी को प्रारिंहभक हशक्षा उनक
े घर
पर ी दी गई। उनक
े हलए घर पर ी सिंस्क
ृ त, ह न्दी,
िारसी और उददू क
े हशक्षक भी हनयक्त हकए गए थे।
ालािंहक कछ समय क
े बाद उन्ोिंने स्थानीय कीन्स
कॉलेज में भी एडहमशन हलया लेहकन य ािं पर िे आठिीिं
क्लास तक ी पढ सक
े ।
जयशिंकर प्रसाद आपको बता दें हक जयशिंकर प्रसाद एक अध्वसायी
व्यल्कक्त थे और हनयहमत रुप से अध्ययन करते थे। बचपन
से ी जयशिंकर प्रसाद जी का रुझान साह त्य की तरि
था, िे साह ल्कत्यक प्रिृहत्त क
े व्यल्कक्त थे। और बाद में इन्ोिंने
भारतीय ह न्दी साह त्य में अपनी प्रहतभा का लो ा
मनिाया और कई ऐसी क
ृ हत हलखीिं हजससे उनका नाम
ह न्दी साह त्य क
े मख्य कहियोिं में हगना जाने लगा।

More Related Content

PPTX
Munshi premchand ppt by satish
PPTX
517126262-HINDI-PPT-PREMCHAND.pptx............
PPTX
517126262-HINDI-PPT-PREMCHAND.pptx......
PDF
मुंशी प्रेमचंद और पंच परमेश्वर की कहानी-MPTET-2025
PPTX
616287756-munshi-premchand-ppt.pptx...........
PPTX
616287756-munshi-premchand-ppt.pptx.....
PPTX
प्रेमचंद
PPTX
Premchand
Munshi premchand ppt by satish
517126262-HINDI-PPT-PREMCHAND.pptx............
517126262-HINDI-PPT-PREMCHAND.pptx......
मुंशी प्रेमचंद और पंच परमेश्वर की कहानी-MPTET-2025
616287756-munshi-premchand-ppt.pptx...........
616287756-munshi-premchand-ppt.pptx.....
प्रेमचंद
Premchand

Recently uploaded (13)

PDF
Mechanic Electric Vehicle Question Paper MCQ ITI NIMI EV Question Bank Book Free
PDF
RRB REASONING most important questions group d paper analysis railway ntpc
PDF
Tool and Die Maker (Dies & Moulds) Question Paper MCQ ITI NIMI Question Bank...
PDF
Manufacturing Process Control and Automation Technician Question Paper MCQ IT...
PDF
Textile Mechatronics Question Paper MCQ ITI NIMI Question Bank Book Free
PDF
Determiners in English Grammar – Types, Rules & Examples
PPTX
narendra ethical committee.pptxjeusjjsunsisj
PPTX
INTERNATIONAL YOGA DAY 21 june IMPORTANCE.pptx
PDF
The French Revolution: A Turning Point in World History
PPTX
gospel and awareness poster jesus ands.pptx
PDF
The Russian Revolution: Causes, Events & Impact
PPTX
mukta_101855.pptx all about pearl in ayurveda
PDF
Surveyor Question Paper MCQ ITI Surveying NIMI Question Bank Book Free
Mechanic Electric Vehicle Question Paper MCQ ITI NIMI EV Question Bank Book Free
RRB REASONING most important questions group d paper analysis railway ntpc
Tool and Die Maker (Dies & Moulds) Question Paper MCQ ITI NIMI Question Bank...
Manufacturing Process Control and Automation Technician Question Paper MCQ IT...
Textile Mechatronics Question Paper MCQ ITI NIMI Question Bank Book Free
Determiners in English Grammar – Types, Rules & Examples
narendra ethical committee.pptxjeusjjsunsisj
INTERNATIONAL YOGA DAY 21 june IMPORTANCE.pptx
The French Revolution: A Turning Point in World History
gospel and awareness poster jesus ands.pptx
The Russian Revolution: Causes, Events & Impact
mukta_101855.pptx all about pearl in ayurveda
Surveyor Question Paper MCQ ITI Surveying NIMI Question Bank Book Free
Ad
Ad

हिंदी के महान लेखक.pptx

  • 1. ह िंदी क े म ान लेखक
  • 2. 01 मिंशी प्रेमचिंद मिंशी प्रेमचिंद ह न्दी और उददू में म ान लेखक थे 02 जयशिंकर प्रसाद ह न्दी कहि, नाटककार, क ानीकार, उपन्यासकार तथा हनबन्ध-लेखक थे।
  • 3. 1880 में जन्मे मिंशी प्रेमचिंद िाराणसी श र में र ते थे, उनक े हपता ि ीिं लम ी गाि में ी डाकघर क े मिंशी थेइनका जीिन बहुत ी दखदायी और कास्टपदणू र ा ै, प्रेमचिंद जी जब साथ साल क े थे तभी उनकी माता का दे ािंत ो गया इनको अपनी सौतेली मााँ से उतना अच्छा प्यार और दलार न ीिं हमला, 14 िर्ू की उम्र में इनक े हपता का भी दे ािंत ो गया इस तर से इनक े बचपन में मसीबतोिं का प ाड़ टद ट पड़ा था। इतनी समस्या ो गयी थी की उनक े पास प नने क े हलए कपडे तक न ीिं हुआ करते थे ऐसी ालात में उन्ोिंने एक हदन अपनी सभी हकताबोिं को बेचने क े हलए एक पस्तक की दकान पर पहुिंचे ि ािं उन्ें एक स्क द ल क े ेड मास्टर हमले, ेड मास्टर ने देखा प्रेमचिंद अपनी पस्तकोिं को बेच र े ै तो उन्ोिंने प्रेमचिंद को अपने ि ािं स्क द ल में नौकरी दे दी।अपनी गरीबी से लड़ते हुए प्रेमचन्द ने अपनी पढाई मैहटि क तक पहुिंचाई~िे अपने गााँि से दद र बनारस पढने क े हलए निंगे पााँि जाया करते थे। आगे चलकर िकील बनना चा ते थे। मगर गरीबी ने तोड़ हदया। मिंशी प्रेमचिंद मिंशी प्रेमचिंद ह न्दी और उददू में म ान लेखक थे, हजनका जन्म 31 जलाई 1880 को लम ी, िाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। इनको निाब राय और मिंशी प्रेमचिंद क े नाम से भी जाना जाता था। इनक े हपता का नाम अजीब राय और माता का नाम आनिंदी देिी था, पत्नी हशिरानी देिी थी
  • 4. 1880 में जन्मे मिंशी प्रेमचिंद िाराणसी श र में र ते थे, उनक े हपता ि ीिं लम ी गाि में ी डाकघर क े मिंशी थेइनका जीिन बहुत ी दखदायी और कास्टपदणू र ा ै, प्रेमचिंद जी जब साथ साल क े थे तभी उनकी माता का दे ािंत ो गया इनको अपनी सौतेली मााँ से उतना अच्छा प्यार और दलार न ीिं हमला, 14 िर्ू की उम्र में इनक े हपता का भी दे ािंत ो गया इस तर से इनक े बचपन में मसीबतोिं का प ाड़ टद ट पड़ा था। मिंशी प्रेमचिंद मिंशी प्रेमचिंद ह न्दी और उददू में म ान लेखक थे, हजनका जन्म 31 जलाई 1880 को लम ी, िाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। इनको निाब राय और मिंशी प्रेमचिंद क े नाम से भी जाना जाता था। इनक े हपता का नाम अजीब राय और माता का नाम आनिंदी देिी था, पत्नी हशिरानी देिी थी
  • 5. िर्ू 1930 से 1932 क े बीच उन्ोने अपना खद का माहसक पहिका िंस एििं साप्ताह क पहिका जागरण हनकलना शरू हकया। उन्ोने ने मिंबई मे हिल्म क े हलए कथा भी हलखी थी।उनक े क ानी पर एक हिल्म बनी थी हजसका नाम मजदर था, य 1934 में प्रदहशूत हुई। लेहकन हिल्मी दहनया उसको पसिंद न ीिं आयी और िो िापस बनारस आ गए। मिंशी प्रेमचिंद 1915 से क ाहनयािं हलखना शरू कर हदए थे। िर्ू 1925 में सरस्वती पहिका में सौत नाम से प्रकाहशत हुई। िर्ू 1918 ई से उन्ोने उपन्यास हलखना शरू हकया। उनक े प ले उपन्यास का नाम सेिासदन ै। प्रेमचिंद ने लगभग 12 उपन्यास 300+ क े करीब क ाहनयााँ कई लेख एििं नाटक हलखे ै।
  • 6. िर्ू 1930 से 1932 क े बीच उन्ोने अपना खद का माहसक पहिका िंस एििं साप्ताह क पहिका जागरण हनकलना शरू हकया। उन्ोने ने मिंबई मे हिल्म क े हलए कथा भी हलखी थी।उनक े क ानी पर एक हिल्म बनी थी हजसका नाम मजदर था, य 1934 में प्रदहशूत हुई। लेहकन हिल्मी दहनया उसको पसिंद न ीिं आयी और िो िापस बनारस आ गए। मिंशी प्रेमचिंद 1915 से क ाहनयािं हलखना शरू कर हदए थे। िर्ू 1925 में सरस्वती पहिका में सौत नाम से प्रकाहशत हुई। िर्ू 1918 ई से उन्ोने उपन्यास हलखना शरू हकया। उनक े प ले उपन्यास का नाम सेिासदन ै। प्रेमचिंद ने लगभग 12 उपन्यास 300+ क े करीब क ाहनयााँ कई लेख एििं नाटक हलखे ै।
  • 7. जयशिंकर प्रसाद एक अच्छे कहि क े रूप में ी न ीिं बल्कि एक अच्छे नाटककार, कथाकार, उपन्यासकार और हनबिंधकार क े रूप में भी मशहूर थे।य ी न ीिं उन्ोिंने एक साथ कहिता, नाटक, क ानी और उपन्यास क े क्षेि में ह न्दी साह त्य को एक नई हदशा प्रदान की और भारतीय ह न्दी साह त्य को गौरल्कित हकया।जयशिंकर प्रसाद जी को प्रारिंहभक हशक्षा उनक े घर पर ी दी गई। उनक े हलए घर पर ी सिंस्क ृ त, ह न्दी, िारसी और उददू क े हशक्षक भी हनयक्त हकए गए थे। ालािंहक कछ समय क े बाद उन्ोिंने स्थानीय कीन्स कॉलेज में भी एडहमशन हलया लेहकन य ािं पर िे आठिीिं क्लास तक ी पढ सक े । जयशिंकर प्रसाद आपको बता दें हक जयशिंकर प्रसाद एक अध्वसायी व्यल्कक्त थे और हनयहमत रुप से अध्ययन करते थे। बचपन से ी जयशिंकर प्रसाद जी का रुझान साह त्य की तरि था, िे साह ल्कत्यक प्रिृहत्त क े व्यल्कक्त थे। और बाद में इन्ोिंने भारतीय ह न्दी साह त्य में अपनी प्रहतभा का लो ा मनिाया और कई ऐसी क ृ हत हलखीिं हजससे उनका नाम ह न्दी साह त्य क े मख्य कहियोिं में हगना जाने लगा।
  • 8. जयशिंकर प्रसाद एक अच्छे कहि क े रूप में ी न ीिं बल्कि एक अच्छे नाटककार, कथाकार, उपन्यासकार और हनबिंधकार क े रूप में भी मशहूर थे।य ी न ीिं उन्ोिंने एक साथ कहिता, नाटक, क ानी और उपन्यास क े क्षेि में ह न्दी साह त्य को एक नई हदशा प्रदान की और भारतीय ह न्दी साह त्य को गौरल्कित हकया।जयशिंकर प्रसाद जी को प्रारिंहभक हशक्षा उनक े घर पर ी दी गई। उनक े हलए घर पर ी सिंस्क ृ त, ह न्दी, िारसी और उददू क े हशक्षक भी हनयक्त हकए गए थे। ालािंहक कछ समय क े बाद उन्ोिंने स्थानीय कीन्स कॉलेज में भी एडहमशन हलया लेहकन य ािं पर िे आठिीिं क्लास तक ी पढ सक े । जयशिंकर प्रसाद आपको बता दें हक जयशिंकर प्रसाद एक अध्वसायी व्यल्कक्त थे और हनयहमत रुप से अध्ययन करते थे। बचपन से ी जयशिंकर प्रसाद जी का रुझान साह त्य की तरि था, िे साह ल्कत्यक प्रिृहत्त क े व्यल्कक्त थे। और बाद में इन्ोिंने भारतीय ह न्दी साह त्य में अपनी प्रहतभा का लो ा मनिाया और कई ऐसी क ृ हत हलखीिं हजससे उनका नाम ह न्दी साह त्य क े मख्य कहियोिं में हगना जाने लगा।